< אִיּוֹב 23 >
וַיַּ֥עַן אִיּ֗וֹב וַיֹּאמַֽר׃ | 1 |
तब अय्योब ने कहा:
גַּם־הַ֭יּוֹם מְרִ֣י שִׂחִ֑י יָ֝דִ֗י כָּבְדָ֥ה עַל־אַנְחָתִֽי׃ | 2 |
“आज भी अपराध के भाव में मैं शिकायत कर रहा हूं; मैं कराह रहा हूं, फिर भी परमेश्वर मुझ पर कठोर बने हुए हैं.
מִֽי־יִתֵּ֣ן יָ֭דַעְתִּי וְאֶמְצָאֵ֑הוּ אָ֝ב֗וֹא עַד־תְּכוּנָתֽוֹ׃ | 3 |
उत्तम होगा कि मुझे यह मालूम होता कि मैं कहां जाकर उनसे भेंट कर सकूं, कि मैं उनके निवास पहुंच सकूं!
אֶעֶרְכָ֣ה לְפָנָ֣יו מִשְׁפָּ֑ט וּ֝פִ֗י אֲמַלֵּ֥א תוֹכָחֽוֹת׃ | 4 |
तब मैं उनके सामने अपनी शिकायत प्रस्तुत कर देता, अपने सारे विचार उनके सामने उंडेल देता.
אֵ֭דְעָה מִלִּ֣ים יַעֲנֵ֑נִי וְ֝אָבִ֗ינָה מַה־יֹּ֥אמַר לִֽי׃ | 5 |
तब मुझे उनके उत्तर समझ आ जाते, मुझे यह मालूम हो जाता कि वह मुझसे क्या कहेंगे.
הַבְּרָב־כֹּ֭חַ יָרִ֣יב עִמָּדִ֑י לֹ֥א אַךְ־ה֝֗וּא יָשִׂ֥ם בִּֽי׃ | 6 |
क्या वह अपनी उस महाशक्ति के साथ मेरा सामना करेंगे? नहीं! निश्चयतः वह मेरे निवेदन पर ध्यान देंगे.
שָׁ֗ם יָ֭שָׁר נוֹכָ֣ח עִמּ֑וֹ וַאֲפַלְּטָ֥ה לָ֝נֶ֗צַח מִשֹּׁפְטִֽי׃ | 7 |
सज्जन उनसे वहां विवाद करेंगे तथा मैं उनके न्याय के द्वारा मुक्ति प्राप्त करूंगा.
הֵ֤ן קֶ֣דֶם אֶהֱלֹ֣ךְ וְאֵינֶ֑נּוּ וְ֝אָח֗וֹר וְֽלֹא־אָבִ֥ין לֽוֹ׃ | 8 |
“अब यह देख लो: मैं आगे बढ़ता हूं, किंतु वह वहां नहीं हैं; मैं विपरीत दिशा में आगे बढ़ता हूं, किंतु वह वहां भी दिखाई नहीं देते.
שְׂמֹ֣אול בַּעֲשֹׂת֣וֹ וְלֹא־אָ֑חַז יַעְטֹ֥ף יָ֝מִ֗ין וְלֹ֣א אֶרְאֶֽה׃ | 9 |
जब वह मेरे बायें पक्ष में सक्रिय होते हैं; वह मुझे दिखाई नहीं देते.
כִּֽי־יָ֭דַע דֶּ֣רֶךְ עִמָּדִ֑י בְּ֝חָנַ֗נִי כַּזָּהָ֥ב אֵצֵֽא׃ | 10 |
किंतु उन्हें यह अवश्य मालूम रहता है कि मैं किस मार्ग पर आगे बढ़ रहा हूं; मैं तो उनके द्वारा परखे जाने पर कुन्दन समान शुद्ध प्रमाणित हो जाऊंगा.
בַּ֭אֲשֻׁרוֹ אָחֲזָ֣ה רַגְלִ֑י דַּרְכּ֖וֹ שָׁמַ֣רְתִּי וְלֹא־אָֽט׃ | 11 |
मेरे पांव उनके पथ से विचलित नहीं हुए; मैंने कभी कोई अन्य मार्ग नहीं चुना है.
מִצְוַ֣ת שְׂ֭פָתָיו וְלֹ֣א אָמִ֑ישׁ מֵ֝חֻקִּ֗י צָפַ֥נְתִּי אִמְרֵי־פִֽיו׃ | 12 |
उनके मुख से निकले आदेशों का मैं सदैव पालन करता रहा हूं; उनके आदेशों को मैं अपने भोजन से अधिक अमूल्य मानता रहा हूं.
וְה֣וּא בְ֭אֶחָד וּמִ֣י יְשִׁיבֶ֑נּוּ וְנַפְשׁ֖וֹ אִוְּתָ֣ה וַיָּֽעַשׂ׃ | 13 |
“वह तो अप्रतिम है, उनका, कौन हो सकता है विरोधी? वह वही करते हैं, जो उन्हें सर्वोपयुक्त लगता है.
כִּ֭י יַשְׁלִ֣ים חֻקִּ֑י וְכָהֵ֖נָּה רַבּ֣וֹת עִמּֽוֹ׃ | 14 |
जो कुछ मेरे लिए पहले से ठहरा है, वह उसे पूरा करते हैं, ऐसी ही अनेक योजनाएं उनके पास जमा हैं.
עַל־כֵּ֭ן מִפָּנָ֣יו אֶבָּהֵ֑ל אֶ֝תְבּוֹנֵ֗ן וְאֶפְחַ֥ד מִמֶּֽנּוּ׃ | 15 |
इसलिये उनकी उपस्थिति मेरे लिए भयास्पद है; इस विषय में मैं जितना विचार करता हूं, उतना ही भयभीत होता जाता हूं.
וְ֭אֵל הֵרַ֣ךְ לִבִּ֑י וְ֝שַׁדַּ֗י הִבְהִילָֽנִי׃ | 16 |
परमेश्वर ने मेरे हृदय को क्षीण बना दिया है; मेरा घबराना सर्वशक्तिमान जनित है,
כִּֽי־לֹ֣א נִ֭צְמַתִּי מִפְּנֵי־חֹ֑שֶׁךְ וּ֝מִפָּנַ֗י כִּסָּה־אֹֽפֶל׃ | 17 |
किंतु अंधकार मुझे चुप नहीं रख सकेगा, न ही वह घोर अंधकार, जिसने मेरे मुख को ढक कर रखा है.