< יִרְמְיָהוּ 7 >
הַדָּבָר֙ אֲשֶׁ֣ר הָיָ֣ה אֶֽל־יִרְמְיָ֔הוּ מֵאֵ֥ת יְהוָ֖ה לֵאמֹֽר׃ | 1 |
यह वह कलाम है जो ख़ुदावन्द की तरफ़ से यरमियाह पर नाज़िल हुआ, और उसने फ़रमाया,
עֲמֹ֗ד בְּשַׁ֙עַר֙ בֵּ֣ית יְהוָ֔ה וְקָרָ֣אתָ שָּׁ֔ם אֶת־הַדָּבָ֖ר הַזֶּ֑ה וְאָמַרְתָּ֞ שִׁמְע֣וּ דְבַר־יְהוָ֗ה כָּל־יְהוּדָה֙ הַבָּאִים֙ בַּשְּׁעָרִ֣ים הָאֵ֔לֶּה לְהִֽשְׁתַּחֲוֹ֖ת לַיהוָֽה׃ ס | 2 |
तू ख़ुदावन्द के घर के फाटक पर खड़ा हो, और वहाँ इस कलाम का इश्तिहार दे, और कह, ऐ यहूदाह के सब लोगों, जो ख़ुदावन्द की इबादत के लिए इन फाटकों से दाख़िल होते हो, ख़ुदावन्द का कलाम सुनो।
כֹּֽה־אָמַ֞ר יְהוָ֤ה צְבָאוֹת֙ אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל הֵיטִ֥יבוּ דַרְכֵיכֶ֖ם וּמַֽעַלְלֵיכֶ֑ם וַאֲשַׁכְּנָ֣ה אֶתְכֶ֔ם בַּמָּק֥וֹם הַזֶּֽה׃ | 3 |
रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है: अपने चाल चलन और अपने आ'माल दुरुस्त करो, तो मैं तुम को इस मकान में बसाऊँगा।
אַל־תִּבְטְח֣וּ לָכֶ֔ם אֶל־דִּבְרֵ֥י הַשֶּׁ֖קֶר לֵאמֹ֑ר הֵיכַ֤ל יְהוָה֙ הֵיכַ֣ל יְהוָ֔ה הֵיכַ֥ל יְהוָ֖ה הֵֽמָּה׃ | 4 |
झूटी बातों पर भरोसा न करो और यूँ न कहते जाओ, 'यह है ख़ुदावन्द की हैकल, ख़ुदावन्द की हैकल, ख़ुदावन्द की हैकल।
כִּ֤י אִם־הֵיטֵיב֙ תֵּיטִ֔יבוּ אֶת־דַּרְכֵיכֶ֖ם וְאֶת־מַֽעַלְלֵיכֶ֑ם אִם־עָשׂ֤וֹ תַֽעֲשׂוּ֙ מִשְׁפָּ֔ט בֵּ֥ין אִ֖ישׁ וּבֵ֥ין רֵעֵֽהוּ׃ | 5 |
क्यूँकि अगर तुम अपने चाल चलन और अपने आ'माल सरासर दुरुस्त करो, अगर हर आदमी और उसके पड़ोसी में पूरा इन्साफ़ करो,
גֵּ֣ר יָת֤וֹם וְאַלְמָנָה֙ לֹ֣א תַֽעֲשֹׁ֔קוּ וְדָ֣ם נָקִ֔י אַֽל־תִּשְׁפְּכ֖וּ בַּמָּק֣וֹם הַזֶּ֑ה וְאַחֲרֵ֨י אֱלֹהִ֧ים אֲחֵרִ֛ים לֹ֥א תֵלְכ֖וּ לְרַ֥ע לָכֶֽם׃ | 6 |
अगर परदेसी और यतीम और बेवा पर ज़ुल्म न करो, और इस मकान में बेगुनाह का ख़ून न बहाओ, और ग़ैर — मा'बूदों की पैरवी जिसमें तुम्हारा नुक़सान है, न करो,
וְשִׁכַּנְתִּ֤י אֶתְכֶם֙ בַּמָּק֣וֹם הַזֶּ֔ה בָּאָ֕רֶץ אֲשֶׁ֥ר נָתַ֖תִּי לַאֲבֽוֹתֵיכֶ֑ם לְמִן־עוֹלָ֖ם וְעַד־עוֹלָֽם׃ | 7 |
तो मैं तुम को इस मकान में और इस मुल्क में बसाऊँगा, जो मैंने तुम्हारे बाप — दादा को पहले से हमेशा के लिए दिया।
הִנֵּ֤ה אַתֶּם֙ בֹּטְחִ֣ים לָכֶ֔ם עַל־דִּבְרֵ֖י הַשָּׁ֑קֶר לְבִלְתִּ֖י הוֹעִֽיל׃ | 8 |
देखो, तुम झूटी बातों पर जो बेफ़ायदा हैं, भरोसा करते हो।
הֲגָנֹ֤ב ׀ רָצֹ֙חַ֙ וְֽנָאֹ֔ף וְהִשָּׁבֵ֥עַ לַשֶּׁ֖קֶר וְקַטֵּ֣ר לַבָּ֑עַל וְהָלֹ֗ךְ אַחֲרֵ֛י אֱלֹהִ֥ים אֲחֵרִ֖ים אֲשֶׁ֥ר לֹֽא־יְדַעְתֶּֽם׃ | 9 |
क्या तुम चोरी करोगे, ख़ून करोगे, ज़िनाकारी करोगे, झूटी क़सम खाओगे, और बा'ल के लिए ख़ुशबू जलाओगे और ग़ैर मा'बूदों की जिनको तुम नहीं जानते थे, पैरवी करोगे।
וּבָאתֶ֞ם וַעֲמַדְתֶּ֣ם לְפָנַ֗י בַּבַּ֤יִת הַזֶּה֙ אֲשֶׁ֣ר נִקְרָא־שְׁמִ֣י עָלָ֔יו וַאֲמַרְתֶּ֖ם נִצַּ֑לְנוּ לְמַ֣עַן עֲשׂ֔וֹת אֵ֥ת כָּל־הַתּוֹעֵב֖וֹת הָאֵֽלֶּה׃ | 10 |
और मेरे सामने इस घर में जो मेरे नाम से कहलाता है, आकर खड़े होगे और कहोगे कि हम ने छुटकारा पाया, ताकि यह सब नफ़रती काम करो?
הַמְעָרַ֣ת פָּרִצִ֗ים הָיָ֨ה הַבַּ֧יִת הַזֶּ֛ה אֲשֶׁר־נִקְרָֽא־שְׁמִ֥י עָלָ֖יו בְּעֵינֵיכֶ֑ם גַּ֧ם אָנֹכִ֛י הִנֵּ֥ה רָאִ֖יתִי נְאֻם־יְהוָֽה׃ ס | 11 |
क्या यह घर जो मेरे नाम से कहलाता है, तुम्हारी नज़र में डाकुओं का ग़ार बन गया? देख, ख़ुदावन्द फ़रमाता है, मैंने खु़द यह देखा है।
כִּ֣י לְכוּ־נָ֗א אֶל־מְקוֹמִי֙ אֲשֶׁ֣ר בְּשִׁיל֔וֹ אֲשֶׁ֨ר שִׁכַּ֧נְתִּֽי שְׁמִ֛י שָׁ֖ם בָּרִֽאשׁוֹנָ֑ה וּרְאוּ֙ אֵ֣ת אֲשֶׁר־עָשִׂ֣יתִי ל֔וֹ מִפְּנֵ֕י רָעַ֖ת עַמִּ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ | 12 |
इसलिए, अब मेरे उस मकान को जाओ जो शीलोह में था, जिस पर पहले मैंने अपने नाम को क़ाईम किया था; और देखो कि मैंने अपने लोगों या'नी बनी — इस्राईल की शरारत की वजह से उससे क्या किया?
וְעַתָּ֗ה יַ֧עַן עֲשׂוֹתְכֶ֛ם אֶת־כָּל־הַמַּֽעֲשִׂ֥ים הָאֵ֖לֶּה נְאֻם־יְהוָ֑ה וָאֲדַבֵּ֨ר אֲלֵיכֶ֜ם הַשְׁכֵּ֤ם וְדַבֵּר֙ וְלֹ֣א שְׁמַעְתֶּ֔ם וָאֶקְרָ֥א אֶתְכֶ֖ם וְלֹ֥א עֲנִיתֶֽם׃ | 13 |
और ख़ुदावन्द फ़रमाता है, अब चूँकि तुम ने यह सब काम किए, मैंने बर वक़्त' तुम को कहा और ताकीद की, लेकिन तुम ने न सुना; और मैंने तुम को बुलाया लेकिन तुम ने जवाब न दिया,
וְעָשִׂ֜יתִי לַבַּ֣יִת ׀ אֲשֶׁ֧ר נִֽקְרָא־שְׁמִ֣י עָלָ֗יו אֲשֶׁ֤ר אַתֶּם֙ בֹּטְחִ֣ים בּ֔וֹ וְלַ֨מָּק֔וֹם אֲשֶׁר־נָתַ֥תִּי לָכֶ֖ם וְלַאֲבֽוֹתֵיכֶ֑ם כַּאֲשֶׁ֥ר עָשִׂ֖יתִי לְשִׁלֽוֹ׃ | 14 |
इसलिए मैं इस घर से जो मेरे नाम से कहलाता है, जिस पर तुम्हारा भरोसा है, और इस मकान से जिसे मैंने तुम को और तुम्हारे बाप — दादा को दिया, वही करूँगा जो मैने शीलोह से किया है।
וְהִשְׁלַכְתִּ֥י אֶתְכֶ֖ם מֵעַ֣ל פָּנָ֑י כַּאֲשֶׁ֤ר הִשְׁלַ֙כְתִּי֙ אֶת־כָּל־אֲחֵיכֶ֔ם אֵ֖ת כָּל־זֶ֥רַע אֶפְרָֽיִם׃ ס | 15 |
और मैं तुम को अपने सामने से निकाल दूँगा, जिस तरह तुम्हारी सारी बिरादरी इफ़्राईम की कुल नसल को निकाल दिया है।
וְאַתָּ֞ה אַל־תִּתְפַּלֵּ֣ל ׀ בְּעַד־הָעָ֣ם הַזֶּ֗ה וְאַל־תִּשָּׂ֧א בַעֲדָ֛ם רִנָּ֥ה וּתְפִלָּ֖ה וְאַל־תִּפְגַּע־בִּ֑י כִּי־אֵינֶ֥נִּי שֹׁמֵ֖עַ אֹתָֽךְ׃ | 16 |
“इसलिए तू इन लोगों के लिए दुआ न कर, और इनके वास्ते आवाज़ बुलन्द न कर, और मुझसे मिन्नत और शफ़ा'अत न कर क्यूँकि मैं तेरी न सुनूँगा।
הַֽאֵינְךָ֣ רֹאֶ֔ה מָ֛ה הֵ֥מָּה עֹשִׂ֖ים בְּעָרֵ֣י יְהוּדָ֑ה וּבְחֻצ֖וֹת יְרוּשָׁלִָֽם׃ | 17 |
क्या तू नहीं देखता कि वह यहूदाह के शहरों में और येरूशलेम के कूचों में क्या करते हैं?
הַבָּנִ֞ים מְלַקְּטִ֣ים עֵצִ֗ים וְהָֽאָבוֹת֙ מְבַעֲרִ֣ים אֶת־הָאֵ֔שׁ וְהַנָּשִׁ֖ים לָשׁ֣וֹת בָּצֵ֑ק לַעֲשׂ֨וֹת כַּוָּנִ֜ים לִמְלֶ֣כֶת הַשָּׁמַ֗יִם וְהַסֵּ֤ךְ נְסָכִים֙ לֵאלֹהִ֣ים אֲחֵרִ֔ים לְמַ֖עַן הַכְעִסֵֽנִי׃ | 18 |
बच्चे लकड़ी जमा' करते हैं और बाप आग सुलगाते हैं, और औरतें आटा गूँधती हैं ताकि आसमान की मलिका के लिए रोटी पकाएँ, और ग़ैर मा'बूदों के लिए तपावन तपाकर मुझे ग़ज़बनाक करें।
הַאֹתִ֛י הֵ֥ם מַכְעִסִ֖ים נְאֻם־יְהוָ֑ה הֲל֣וֹא אֹתָ֔ם לְמַ֖עַן בֹּ֥שֶׁת פְּנֵיהֶֽם׃ ס | 19 |
ख़ुदावन्द फ़रमाता है, क्या वह मुझ ही को ग़ज़बनाक करते हैं? क्या वह अपनी ही रूसियाही के लिए नहीं करते?
לָכֵ֞ן כֹּה־אָמַ֣ר ׀ אֲדֹנָ֣י יְהֹוִ֗ה הִנֵּ֨ה אַפִּ֤י וַֽחֲמָתִי֙ נִתֶּ֙כֶת֙ אֶל־הַמָּק֣וֹם הַזֶּ֔ה עַל־הָֽאָדָם֙ וְעַל־הַבְּהֵמָ֔ה וְעַל־עֵ֥ץ הַשָּׂדֶ֖ה וְעַל־פְּרִ֣י הָֽאֲדָמָ֑ה וּבָעֲרָ֖ה וְלֹ֥א תִכְבֶּֽה׃ ס | 20 |
इसी वास्ते ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: देख, मेरा क़हर — ओ — ग़ज़ब इस मकान पर, और इंसान और हैवान और मैदान के दरख़्तों पर, और ज़मीन की पैदावार पर उँडेल दिया जाएगा; और वह भड़केगा और बुझेगा नहीं।”
כֹּ֥ה אָמַ֛ר יְהוָ֥ה צְבָא֖וֹת אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל עֹלוֹתֵיכֶ֛ם סְפ֥וּ עַל־זִבְחֵיכֶ֖ם וְאִכְל֥וּ בָשָֽׂר׃ | 21 |
रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है कि: अपने ज़बीहों पर अपनी सोख़्तनी क़ुर्बानियाँ भी बढ़ाओ और गोश्त खाओ।
כִּ֠י לֹֽא־דִבַּ֤רְתִּי אֶת־אֲבֽוֹתֵיכֶם֙ וְלֹ֣א צִוִּיתִ֔ים בְּי֛וֹם הוֹצִיאִ֥י אוֹתָ֖ם מֵאֶ֣רֶץ מִצְרָ֑יִם עַל־דִּבְרֵ֥י עוֹלָ֖ה וָזָֽבַח׃ | 22 |
क्यूँकि जिस वक़्त मैं तुम्हारे बाप दादा को मुल्क — ए — मिस्र से निकाल लाया, उनको सोख़्तनी क़ुर्बानी और ज़बीहे के बारे में कुछ नहीं कहा और हुक्म नहीं दिया;
כִּ֣י אִֽם־אֶת־הַדָּבָ֣ר הַ֠זֶּה צִוִּ֨יתִי אוֹתָ֤ם לֵאמֹר֙ שִׁמְע֣וּ בְקוֹלִ֔י וְהָיִ֤יתִי לָכֶם֙ לֵֽאלֹהִ֔ים וְאַתֶּ֖ם תִּֽהְיוּ־לִ֣י לְעָ֑ם וַהֲלַכְתֶּ֗ם בְּכָל־הַדֶּ֙רֶךְ֙ אֲשֶׁ֣ר אֲצַוֶּ֣ה אֶתְכֶ֔ם לְמַ֖עַן יִיטַ֥ב לָכֶֽם׃ | 23 |
बल्कि मैंने उनको ये हुक्म दिया, और फ़रमाया कि मेरी आवाज़ के शिनवा हो, और मैं तुम्हारा ख़ुदा हूँगा और तुम मेरे लोग होगे; और जिस राह की मैं तुम को हिदायत करूँ, उस पर चलो ताकि तुम्हारा भला हो।
וְלֹ֤א שָֽׁמְעוּ֙ וְלֹֽא־הִטּ֣וּ אֶת־אָזְנָ֔ם וַיֵּֽלְכוּ֙ בְּמֹ֣עֵצ֔וֹת בִּשְׁרִר֖וּת לִבָּ֣ם הָרָ֑ע וַיִּהְי֥וּ לְאָח֖וֹר וְלֹ֥א לְפָנִֽים׃ | 24 |
लेकिन उन्होंने न सुना, न कान लगाया, बल्कि अपनी मसलहतों और अपने बुरे दिल की सख़्ती पर चले और फिर गए और आगे न बढ़े।
לְמִן־הַיּ֗וֹם אֲשֶׁ֨ר יָצְא֤וּ אֲבֽוֹתֵיכֶם֙ מֵאֶ֣רֶץ מִצְרַ֔יִם עַ֖ד הַיּ֣וֹם הַזֶּ֑ה וָאֶשְׁלַ֤ח אֲלֵיכֶם֙ אֶת־כָּל־עֲבָדַ֣י הַנְּבִיאִ֔ים י֖וֹם הַשְׁכֵּ֥ם וְשָׁלֹֽחַ׃ | 25 |
जब से तुम्हारे बाप — दादा मुल्क — ए — मिस्र से निकल आए, अब तक मैंने तुम्हारे पास अपने सब ख़ादिमों या'नी नबियों को भेजा, मैंने उनको हमेशा सही वक़्त पर भेजा।
וְל֤וֹא שָׁמְעוּ֙ אֵלַ֔י וְלֹ֥א הִטּ֖וּ אֶת־אָזְנָ֑ם וַיַּקְשׁוּ֙ אֶת־עָרְפָּ֔ם הֵרֵ֖עוּ מֵאֲבוֹתָֽם׃ | 26 |
लेकिन उन्होंने मेरी न सुनी और कान न लगाया, बल्कि अपनी गर्दन सख़्त की; उन्होंने अपने बाप — दादा से बढ़कर बुराई की।
וְדִבַּרְתָּ֤ אֲלֵיהֶם֙ אֶת־כָּל־הַדְּבָרִ֣ים הָאֵ֔לֶּה וְלֹ֥א יִשְׁמְע֖וּ אֵלֶ֑יךָ וְקָרָ֥אתָ אֲלֵיהֶ֖ם וְלֹ֥א יַעֲנֽוּכָה׃ | 27 |
तू ये सब बातें उनसे कहेगा, लेकिन वह तेरी न सुनेंगे; तू उनको बुलाएगा, लेकिन वह तुझे जवाब न देंगे।
וְאָמַרְתָּ֣ אֲלֵיהֶ֗ם זֶ֤ה הַגּוֹי֙ אֲשֶׁ֣ר לֽוֹא־שָׁמְע֗וּ בְּקוֹל֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהָ֔יו וְלֹ֥א לָקְח֖וּ מוּסָ֑ר אָֽבְדָה֙ הָֽאֱמוּנָ֔ה וְנִכְרְתָ֖ה מִפִּיהֶֽם׃ ס | 28 |
तब तू उनसे कह दे, 'यह वह क़ौम है जो ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की आवाज़ की शिनवा, और तरबियत पज़ीर न हुई; सच्चाई बर्बाद हो गई, और उनके मुँह से जाती रही।
גָּזִּ֤י נִזְרֵךְ֙ וְֽהַשְׁלִ֔יכִי וּשְׂאִ֥י עַל־שְׁפָיִ֖ם קִינָ֑ה כִּ֚י מָאַ֣ס יְהוָ֔ה וַיִּטֹּ֖שׁ אֶת־דּ֥וֹר עֶבְרָתֽוֹ׃ | 29 |
“अपने बाल काटकर फेंक दे, और पहाड़ों पर जाकर नौहा कर; क्यूँकि ख़ुदावन्द ने उन लोगों को जिन पर उसका क़हर है, रद्द और छोड़ दिया है।”
כִּֽי־עָשׂ֨וּ בְנֵי־יְהוּדָ֥ה הָרַ֛ע בְּעֵינַ֖י נְאֻום־יְהוָ֑ה שָׂ֣מוּ שִׁקּֽוּצֵיהֶ֗ם בַּבַּ֛יִת אֲשֶׁר־נִקְרָא־שְׁמִ֥י עָלָ֖יו לְטַמְּאֽוֹ׃ | 30 |
इसलिए कि बनी यहूदाह ने मेरी नज़र में बुराई की, ख़ुदावन्द फ़रमाता है, उन्होंने उस घर में जो मेरे नाम से कहलाता है अपनी मकरूहात रख्खी, ताकि उसे नापाक करें।
וּבָנ֞וּ בָּמ֣וֹת הַתֹּ֗פֶת אֲשֶׁר֙ בְּגֵ֣יא בֶן־הִנֹּ֔ם לִשְׂרֹ֛ף אֶת־בְּנֵיהֶ֥ם וְאֶת־בְּנֹתֵיהֶ֖ם בָּאֵ֑שׁ אֲשֶׁר֙ לֹ֣א צִוִּ֔יתִי וְלֹ֥א עָלְתָ֖ה עַל־לִבִּֽי׃ ס | 31 |
और उन्होंने तूफ़त के ऊँचे मक़ाम बिन हिन्नोम की वादी में बनाए, ताकि अपने बेटे और बेटियों को आग में जलाएँ, जिसका मैंने हुक्म नहीं दिया और मेरे दिल में इसका ख़याल भी न आया था।
לָכֵ֞ן הִנֵּֽה־יָמִ֤ים בָּאִים֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה וְלֹא־יֵאָמֵ֨ר ע֤וֹד הַתֹּ֙פֶת֙ וְגֵ֣יא בֶן־הִנֹּ֔ם כִּ֖י אִם־גֵּ֣יא הַהֲרֵגָ֑ה וְקָבְר֥וּ בְתֹ֖פֶת מֵאֵ֥ין מָקֽוֹם׃ | 32 |
इसलिए ख़ुदावन्द फ़रमाता है, देख, वह दिन आते हैं कि यह न तूफ़त कहलाएगी न बिन हिन्नोम की वादी, बल्कि वादी — ए — क़त्ल; और जगह न होने की वजह से तूफ़त में दफ़्न करेंगे।
וְֽהָ֨יְתָ֜ה נִבְלַ֨ת הָעָ֤ם הַזֶּה֙ לְמַֽאֲכָ֔ל לְע֥וֹף הַשָּׁמַ֖יִם וּלְבֶהֱמַ֣ת הָאָ֑רֶץ וְאֵ֖ין מַחֲרִֽיד׃ | 33 |
और इस क़ौम की लाशें हवाई परिन्दों और ज़मीन के दरिन्दों की ख़ुराक होंगी, और उनको कोई न हँकाएगा।
וְהִשְׁבַּתִּ֣י ׀ מֵעָרֵ֣י יְהוּדָ֗ה וּמֵֽחֻצוֹת֙ יְר֣וּשָׁלִַ֔ם ק֤וֹל שָׂשׂוֹן֙ וְק֣וֹל שִׂמְחָ֔ה ק֥וֹל חָתָ֖ן וְק֣וֹל כַּלָּ֑ה כִּ֥י לְחָרְבָּ֖ה תִּהְיֶ֥ה הָאָֽרֶץ׃ | 34 |
तब मैं यहूदाह के शहरों में और येरूशलेम के बाज़ारों में ख़ुशी और ख़ुशी की आवाज़, दुल्हे और दुल्हन की आवाज़ ख़त्म करूँगा; क्यूँकि यह मुल्क वीरान हो जाएगा।