< יִרְמְיָהוּ 5 >
שׁוֹטְט֞וּ בְּחוּצ֣וֹת יְרוּשָׁלִַ֗ם וּרְאוּ־נָ֤א וּדְעוּ֙ וּבַקְשׁ֣וּ בִרְחוֹבוֹתֶ֔יהָ אִם־תִּמְצְא֣וּ אִ֔ישׁ אִם־יֵ֛שׁ עֹשֶׂ֥ה מִשְׁפָּ֖ט מְבַקֵּ֣שׁ אֱמוּנָ֑ה וְאֶסְלַ֖ח לָֽהּ׃ | 1 |
१यरूशलेम की सड़कों में इधर-उधर दौड़कर देखो! उसके चौकों में ढूँढ़ो यदि कोई ऐसा मिल सके जो न्याय से काम करे और सच्चाई का खोजी हो; तो मैं उसका पाप क्षमा करूँगा।
וְאִ֥ם חַי־יְהֹוָ֖ה יֹאמֵ֑רוּ לָכֵ֥ן לַשֶּׁ֖קֶר יִשָּׁבֵֽעוּ׃ | 2 |
२यद्यपि उसके निवासी यहोवा के जीवन की शपथ भी खाएँ, तो भी निश्चय वे झूठी शपथ खाते हैं।
יְהֹוָ֗ה עֵינֶיךָ֮ הֲל֣וֹא לֶאֱמוּנָה֒ הִכִּ֤יתָה אֹתָם֙ וְֽלֹא־חָ֔לוּ כִּלִּיתָ֕ם מֵאֲנ֖וּ קַ֣חַת מוּסָ֑ר חִזְּק֤וּ פְנֵיהֶם֙ מִסֶּ֔לַע מֵאֲנ֖וּ לָשֽׁוּב׃ | 3 |
३हे यहोवा, क्या तेरी दृष्टि सच्चाई पर नहीं है? तूने उनको दुःख दिया, परन्तु वे शोकित नहीं हुए; तूने उनको नाश किया, परन्तु उन्होंने ताड़ना से भी नहीं माना। उन्होंने अपना मन चट्टान से भी अधिक कठोर किया है; उन्होंने पश्चाताप करने से इन्कार किया है।
וַאֲנִ֣י אָמַ֔רְתִּי אַךְ־דַּלִּ֖ים הֵ֑ם נוֹאֲל֕וּ כִּ֣י לֹ֤א יָדְעוּ֙ דֶּ֣רֶךְ יְהוָ֔ה מִשְׁפַּ֖ט אֱלֹהֵיהֶֽם׃ | 4 |
४फिर मैंने सोचा, “ये लोग तो कंगाल और मूर्ख ही हैं; क्योंकि ये यहोवा का मार्ग और अपने परमेश्वर का नियम नहीं जानते।
אֵֽלֲכָה־לִּ֤י אֶל־הַגְּדֹלִים֙ וַאֲדַבְּרָ֣ה אוֹתָ֔ם כִּ֣י הֵ֗מָּה יָדְעוּ֙ דֶּ֣רֶךְ יְהוָ֔ה מִשְׁפַּ֖ט אֱלֹהֵיהֶ֑ם אַ֣ךְ הֵ֤מָּה יַחְדָּו֙ שָׁ֣בְרוּ עֹ֔ל נִתְּק֖וּ מוֹסֵרֽוֹת׃ | 5 |
५इसलिए मैं बड़े लोगों के पास जाकर उनको सुनाऊँगा; क्योंकि वे तो यहोवा का मार्ग और अपने परमेश्वर का नियम जानते हैं।” परन्तु उन सभी ने मिलकर जूए को तोड़ दिया है और बन्धनों को खोल डाला है।
עַל־כֵּן֩ הִכָּ֨ם אַרְיֵ֜ה מִיַּ֗עַר זְאֵ֤ב עֲרָבוֹת֙ יְשָׁדְדֵ֔ם נָמֵ֤ר שֹׁקֵד֙ עַל־עָ֣רֵיהֶ֔ם כָּל־הַיּוֹצֵ֥א מֵהֵ֖נָּה יִטָּרֵ֑ף כִּ֤י רַבּוּ֙ פִּשְׁעֵיהֶ֔ם עָצְמ֖וּ מְשׁוּבוֹתֵיהֶֽם׃ | 6 |
६इस कारण वन में से एक सिंह आकर उन्हें मार डालेगा, निर्जल देश का एक भेड़िया उनको नाश करेगा। और एक चीता उनके नगरों के पास घात लगाए रहेगा, और जो कोई उनमें से निकले वह फाड़ा जाएगा; क्योंकि उनके अपराध बहुत बढ़ गए हैं और वे मुझसे बहुत ही दूर हट गए हैं।
אֵ֤י לָזֹאת֙ אֶֽסְלַֽח לָ֔ךְ בָּנַ֣יִךְ עֲזָב֔וּנִי וַיִּשָּׁבְע֖וּ בְּלֹ֣א אֱלֹהִ֑ים וָאַשְׂבִּ֤עַ אוֹתָם֙ וַיִּנְאָ֔פוּ וּבֵ֥ית זוֹנָ֖ה יִתְגֹּדָֽדוּ׃ | 7 |
७“मैं क्यों तेरा पाप क्षमा करूँ? तेरे लड़कों ने मुझ को छोड़कर उनकी शपथ खाई है जो परमेश्वर नहीं है। जब मैंने उनका पेट भर दिया, तब उन्होंने व्यभिचार किया और वेश्याओं के घरों में भीड़ की भीड़ जाते थे।
סוּסִ֥ים מְיֻזָּנִ֖ים מַשְׁכִּ֣ים הָי֑וּ אִ֛ישׁ אֶל־אֵ֥שֶׁת רֵעֵ֖הוּ יִצְהָֽלוּ׃ | 8 |
८वे खिलाए-पिलाए बे-लगाम घोड़ों के समान हो गए, वे अपने-अपने पड़ोसी की स्त्री पर हिनहिनाने लगे।
הַֽעַל־אֵ֥לֶּה לוֹא־אֶפְקֹ֖ד נְאֻם־יְהֹוָ֑ה וְאִם֙ בְּג֣וֹי אֲשֶׁר־כָּזֶ֔ה לֹ֥א תִתְנַקֵּ֖ם נַפְשִֽׁי׃ ס | 9 |
९क्या मैं ऐसे कामों का उन्हें दण्ड न दूँ? यहोवा की यह वाणी है; क्या मैं ऐसी जाति से अपना पलटा न लूँ?
עֲל֤וּ בְשָׁרוֹתֶ֙יהָ֙ וְשַׁחֵ֔תוּ וְכָלָ֖ה אַֽל־תַּעֲשׂ֑וּ הָסִ֙ירוּ֙ נְטִ֣ישׁוֹתֶ֔יהָ כִּ֛י ל֥וֹא לַיהוָ֖ה הֵֽמָּה׃ | 10 |
१०“शहरपनाह पर चढ़कर उसका नाश तो करो, तो भी उसका अन्त मत कर डालो; उसकी जड़ रहने दो परन्तु उसकी डालियों को तोड़कर फेंक दो, क्योंकि वे यहोवा की नहीं हैं।
כִּי֩ בָג֨וֹד בָּגְד֜וּ בִּ֗י בֵּ֧ית יִשְׂרָאֵ֛ל וּבֵ֥ית יְהוּדָ֖ה נְאֻם־יְהוָֽה׃ | 11 |
११यहोवा की यह वाणी है कि इस्राएल और यहूदा के घरानों ने मुझसे बड़ा विश्वासघात किया है।
כִּֽחֲשׁוּ֙ בַּיהוָ֔ה וַיֹּאמְר֖וּ לֹא־ה֑וּא וְלֹא־תָב֤וֹא עָלֵ֙ינוּ֙ רָעָ֔ה וְחֶ֥רֶב וְרָעָ֖ב ל֥וֹא נִרְאֶֽה׃ | 12 |
१२“उन्होंने यहोवा की बातें झुठलाकर कहा, ‘वह ऐसा नहीं है; विपत्ति हम पर न पड़ेगी, न हम तलवार को और न अकाल को देखेंगे।
וְהַנְּבִיאִים֙ יִֽהְי֣וּ לְר֔וּחַ וְהַדִּבֵּ֖ר אֵ֣ין בָּהֶ֑ם כֹּ֥ה יֵעָשֶׂ֖ה לָהֶֽם׃ ס | 13 |
१३भविष्यद्वक्ता हवा हो जाएँगे; उनमें परमेश्वर का वचन नहीं है। उनके साथ ऐसा ही किया जाएगा!’”
לָכֵ֗ן כֹּֽה־אָמַ֤ר יְהוָה֙ אֱלֹהֵ֣י צְבָא֔וֹת יַ֚עַן דַּבֶּרְכֶ֔ם אֶת־הַדָּבָ֖ר הַזֶּ֑ה הִנְנִ֣י נֹתֵן֩ דְּבָרַ֨י בְּפִ֜יךָ לְאֵ֗שׁ וְהָעָ֥ם הַזֶּ֛ה עֵצִ֖ים וַאֲכָלָֽתַם׃ | 14 |
१४इस कारण सेनाओं का परमेश्वर यहोवा यह कहता है: “ये लोग जो ऐसा कहते हैं, इसलिए देख, मैं अपना वचन तेरे मुँह में आग, और इस प्रजा को काठ बनाऊँगा, और वह उनको भस्म करेगी।
הִנְנִ֣י מֵבִיא֩ עֲלֵיכֶ֨ם גּ֧וֹי מִמֶּרְחָ֛ק בֵּ֥ית יִשְׂרָאֵ֖ל נְאֻם־יְהֹוָ֑ה גּ֣וֹי ׀ אֵיתָ֣ן ה֗וּא גּ֤וֹי מֵעוֹלָם֙ ה֔וּא גּ֚וֹי לֹא־תֵדַ֣ע לְשֹׁנ֔וֹ וְלֹ֥א תִשְׁמַ֖ע מַה־יְדַבֵּֽר׃ | 15 |
१५यहोवा की यह वाणी है, हे इस्राएल के घराने, देख, मैं तुम्हारे विरुद्ध दूर से ऐसी जाति को चढ़ा लाऊँगा जो सामर्थी और प्राचीन है, उसकी भाषा तुम न समझोगे, और न यह जानोगे कि वे लोग क्या कह रहे हैं।
אַשְׁפָּת֖וֹ כְּקֶ֣בֶר פָּת֑וּחַ כֻּלָּ֖ם גִּבּוֹרִֽים׃ | 16 |
१६उनका तरकश खुली कब्र है और वे सब के सब शूरवीर हैं।
וְאָכַ֨ל קְצִֽירְךָ֜ וְלַחְמֶ֗ךָ יֹאכְלוּ֙ בָּנֶ֣יךָ וּבְנוֹתֶ֔יךָ יֹאכַ֤ל צֹאנְךָ֙ וּבְקָרֶ֔ךָ יֹאכַ֥ל גַּפְנְךָ֖ וּתְאֵנָתֶ֑ךָ יְרֹשֵׁ֞שׁ עָרֵ֣י מִבְצָרֶ֗יךָ אֲשֶׁ֥ר אַתָּ֛ה בּוֹטֵ֥חַ בָּהֵ֖נָּה בֶּחָֽרֶב׃ | 17 |
१७तुम्हारे पके खेत और भोजनवस्तुएँ जो तुम्हारे बेटे-बेटियों के खाने के लिये हैं उन्हें वे खा जाएँगे। वे तुम्हारी भेड़-बकरियों और गाय-बैलों को खा डालेंगे; वे तुम्हारी दाखों और अंजीरों को खा जाएँगे; और जिन गढ़वाले नगरों पर तुम भरोसा रखते हो उन्हें वे तलवार के बल से नाश कर देंगे।”
וְגַ֛ם בַּיָּמִ֥ים הָהֵ֖מָּה נְאֻם־יְהֹוָ֑ה לֹֽא־אֶעֱשֶׂ֥ה אִתְּכֶ֖ם כָּלָֽה׃ | 18 |
१८“तो भी, यहोवा की यह वाणी है, उन दिनों में भी मैं तुम्हारा अन्त न कर डालूँगा।
וְהָיָה֙ כִּ֣י תֹאמְר֔וּ תַּ֣חַת מֶ֗ה עָשָׂ֨ה יְהֹוָ֧ה אֱלֹהֵ֛ינוּ לָ֖נוּ אֶת־כָּל־אֵ֑לֶּה וְאָמַרְתָּ֣ אֲלֵיהֶ֗ם כַּאֲשֶׁ֨ר עֲזַבְתֶּ֤ם אוֹתִי֙ וַתַּעַבְד֞וּ אֱלֹהֵ֤י נֵכָר֙ בְּאַרְצְכֶ֔ם כֵּ֚ן תַּעַבְד֣וּ זָרִ֔ים בְּאֶ֖רֶץ לֹ֥א לָכֶֽם׃ ס | 19 |
१९जब तुम पूछोगे, ‘हमारे परमेश्वर यहोवा ने हम से ये सब काम किस लिये किए हैं,’ तब तुम उनसे कहना, ‘जिस प्रकार से तुम ने मुझ को त्याग कर अपने देश में दूसरे देवताओं की सेवा की है, उसी प्रकार से तुम को पराए देश में परदेशियों की सेवा करनी पड़ेगी।’”
הַגִּ֥ידוּ זֹ֖את בְּבֵ֣ית יַעֲקֹ֑ב וְהַשְׁמִיע֥וּהָ בִיהוּדָ֖ה לֵאמֹֽר׃ | 20 |
२०याकूब के घराने में यह प्रचार करो, और यहूदा में यह सुनाओ
שִׁמְעוּ־נָ֣א זֹ֔את עַ֥ם סָכָ֖ל וְאֵ֣ין לֵ֑ב עֵינַ֤יִם לָהֶם֙ וְלֹ֣א יִרְא֔וּ אָזְנַ֥יִם לָהֶ֖ם וְלֹ֥א יִשְׁמָֽעוּ׃ | 21 |
२१“हे मूर्ख और निर्बुद्धि लोगों, तुम जो आँखें रहते हुए नहीं देखते, जो कान रहते हुए नहीं सुनते, यह सुनो।
הַאוֹתִ֨י לֹא־תִירָ֜אוּ נְאֻם־יְהֹוָ֗ה אִ֤ם מִפָּנַי֙ לֹ֣א תָחִ֔ילוּ אֲשֶׁר־שַׂ֤מְתִּי חוֹל֙ גְּב֣וּל לַיָּ֔ם חָק־עוֹלָ֖ם וְלֹ֣א יַעַבְרֶ֑נְהוּ וַיִּֽתְגָּעֲשׁוּ֙ וְלֹ֣א יוּכָ֔לוּ וְהָמ֥וּ גַלָּ֖יו וְלֹ֥א יַעַבְרֻֽנְהוּ׃ | 22 |
२२यहोवा की यह वाणी है, क्या तुम लोग मेरा भय नहीं मानते? क्या तुम मेरे सम्मुख नहीं थरथराते? मैंने रेत को समुद्र की सीमा ठहराकर युग-युग का ऐसा बाँध ठहराया कि वह उसे पार न कर सके; और चाहे उसकी लहरें भी उठें, तो भी वे प्रबल न हो सके, या जब वे गरजें तो भी उसको न पार कर सके।
וְלָעָ֤ם הַזֶּה֙ הָיָ֔ה לֵ֖ב סוֹרֵ֣ר וּמוֹרֶ֑ה סָ֖רוּ וַיֵּלֵֽכוּ׃ | 23 |
२३पर इस प्रजा का हठीला और बलवा करनेवाला मन है; इन्होंने बलवा किया और दूर हो गए हैं।
וְלֹֽא־אָמְר֣וּ בִלְבָבָ֗ם נִ֤ירָא נָא֙ אֶת־יְהוָ֣ה אֱלֹהֵ֔ינוּ הַנֹּתֵ֗ן גֶּ֛שֶׁם יוֹרֶ֥ה וּמַלְק֖וֹשׁ בְּעִתּ֑וֹ שְׁבֻע֛וֹת חֻקּ֥וֹת קָצִ֖יר יִשְׁמָר־לָֽנוּ׃ | 24 |
२४वे मन में इतना भी नहीं सोचते कि हमारा परमेश्वर यहोवा तो बरसात के आरम्भ और अन्त दोनों समयों का जल समय पर बरसाता है, और कटनी के नियत सप्ताहों को हमारे लिये रखता है, इसलिए हम उसका भय मानें।
עֲוֹנוֹתֵיכֶ֖ם הִטּוּ־אֵ֑לֶּה וְחַטֹּ֣אותֵיכֶ֔ם מָנְע֥וּ הַטּ֖וֹב מִכֶּֽם׃ | 25 |
२५परन्तु तुम्हारे अधर्म के कामों ही के कारण वे रुक गए, और तुम्हारे पापों ही के कारण तुम्हारी भलाई नहीं होती।
כִּי־נִמְצְא֥וּ בְעַמִּ֖י רְשָׁעִ֑ים יָשׁוּר֙ כְּשַׁ֣ךְ יְקוּשִׁ֔ים הִצִּ֥יבוּ מַשְׁחִ֖ית אֲנָשִׁ֥ים יִלְכֹּֽדוּ׃ | 26 |
२६मेरी प्रजा में दुष्ट लोग पाए जाते हैं; जैसे चिड़ीमार ताक में रहते हैं, वैसे ही वे भी घात लगाए रहते हैं। वे फंदा लगाकर मनुष्यों को अपने वश में कर लेते हैं।
כִּכְלוּב֙ מָ֣לֵא ע֔וֹף כֵּ֥ן בָּתֵּיהֶ֖ם מְלֵאִ֣ים מִרְמָ֑ה עַל־כֵּ֥ן גָּדְל֖וּ וַֽיַּעֲשִֽׁירוּ׃ | 27 |
२७जैसा पिंजड़ा चिड़ियों से भरा हो, वैसे ही उनके घर छल से भरे रहते हैं; इसी प्रकार वे बढ़ गए और धनी हो गए हैं।
שָׁמְנ֣וּ עָשְׁת֗וּ גַּ֚ם עָֽבְר֣וּ דִבְרֵי־רָ֔ע דִּ֣ין לֹא־דָ֔נוּ דִּ֥ין יָת֖וֹם וְיַצְלִ֑יחוּ וּמִשְׁפַּ֥ט אֶבְיוֹנִ֖ים לֹ֥א שָׁפָֽטוּ׃ | 28 |
२८वे मोटे और चिकने हो गए हैं। बुरे कामों में वे सीमा को पार कर गए हैं; वे न्याय, विशेष करके अनाथों का न्याय नहीं चुकाते; इससे उनका काम सफल नहीं होता वे कंगालों का हक़ भी नहीं दिलाते।
הַֽעַל־אֵ֥לֶּה לֹֽא־אֶפְקֹ֖ד נְאֻם־יְהֹוָ֑ה אִ֚ם בְּג֣וֹי אֲשֶׁר־כָּזֶ֔ה לֹ֥א תִתְנַקֵּ֖ם נַפְשִֽׁי׃ ס | 29 |
२९इसलिए, यहोवा की यह वाणी है, क्या मैं इन बातों का दण्ड न दूँ? क्या मैं ऐसी जाति से पलटा न लूँ?”
שַׁמָּה֙ וְשַׁ֣עֲרוּרָ֔ה נִהְיְתָ֖ה בָּאָֽרֶץ׃ | 30 |
३०देश में ऐसा काम होता है जिससे चकित और रोमांचित होना चाहिये।
הַנְּבִיאִ֞ים נִבְּא֣וּ־בַשֶּׁ֗קֶר וְהַכֹּהֲנִים֙ יִרְדּ֣וּ עַל־יְדֵיהֶ֔ם וְעַמִּ֖י אָ֣הֲבוּ כֵ֑ן וּמַֽה־תַּעֲשׂ֖וּ לְאַחֲרִיתָֽהּ׃ | 31 |
३१भविष्यद्वक्ता झूठमूठ भविष्यद्वाणी करते हैं; और याजक उनके सहारे से प्रभुता करते हैं; मेरी प्रजा को यह भाता भी है, परन्तु अन्त के समय तुम क्या करोगे?