< יִרְמְיָהוּ 41 >
וַיְהִ֣י ׀ בַּחֹ֣דֶשׁ הַשְּׁבִיעִ֗י בָּ֣א יִשְׁמָעֵ֣אל בֶּן־נְתַנְיָ֣ה בֶן־אֱלִישָׁמָ֣ע מִזֶּ֣רַע הַ֠מְּלוּכָה וְרַבֵּ֨י הַמֶּ֜לֶךְ וַעֲשָׂרָ֨ה אֲנָשִׁ֥ים אִתּ֛וֹ אֶל־גְּדַלְיָ֥הוּ בֶן־אֲחִיקָ֖ם הַמִּצְפָּ֑תָה וַיֹּ֨אכְלוּ שָׁ֥ם לֶ֛חֶם יַחְדָּ֖ו בַּמִּצְפָּֽה׃ | 1 |
१सातवें महीने में ऐसा हुआ कि इश्माएल जो नतन्याह का पुत्र और एलीशामा का पोता और राजवंश का और राजा के प्रधान पुरुषों में से था, वह दस जन संग लेकर मिस्पा में अहीकाम के पुत्र गदल्याह के पास आया। वहाँ मिस्पा में उन्होंने एक संग भोजन किया।
וַיָּקָם֩ יִשְׁמָעֵ֨אל בֶּן־נְתַנְיָ֜ה וַעֲשֶׂ֥רֶת הָאֲנָשִׁ֣ים ׀ אֲשֶׁר־הָי֣וּ אִתּ֗וֹ וַ֠יַּכּוּ אֶת־גְּדַלְיָ֨הוּ בֶן־אֲחִיקָ֧ם בֶּן־שָׁפָ֛ן בַּחֶ֖רֶב וַיָּ֣מֶת אֹת֑וֹ אֲשֶׁר־הִפְקִ֥יד מֶֽלֶךְ־בָּבֶ֖ל בָּאָֽרֶץ׃ | 2 |
२तब नतन्याह के पुत्र इश्माएल और उसके संग के दस जनों ने उठकर गदल्याह को, जो अहीकाम का पुत्र और शापान का पोता था, और जिसे बाबेल के राजा ने देश का अधिकारी ठहराया था, उसे तलवार से ऐसा मारा कि वह मर गया।
וְאֵ֣ת כָּל־הַיְּהוּדִ֗ים אֲשֶׁר־הָי֨וּ אִתּ֤וֹ אֶת־גְּדַלְיָ֙הוּ֙ בַּמִּצְפָּ֔ה וְאֶת־הַכַּשְׂדִּ֖ים אֲשֶׁ֣ר נִמְצְאוּ־שָׁ֑ם אֵ֚ת אַנְשֵׁ֣י הַמִּלְחָמָ֔ה הִכָּ֖ה יִשְׁמָעֵֽאל׃ | 3 |
३इश्माएल ने गदल्याह के संग जितने यहूदी मिस्पा में थे, और जो कसदी योद्धा वहाँ मिले, उन सभी को मार डाला।
וַיְהִ֛י בַּיּ֥וֹם הַשֵּׁנִ֖י לְהָמִ֣ית אֶת־גְּדַלְיָ֑הוּ וְאִ֖ישׁ לֹ֥א יָדָֽע׃ | 4 |
४गदल्याह को मार डालने के दूसरे दिन जब कोई इसे न जानता था,
וַיָּבֹ֣אוּ אֲ֠נָשִׁים מִשְּׁכֶ֞ם מִשִּׁל֤וֹ וּמִשֹּֽׁמְרוֹן֙ שְׁמֹנִ֣ים אִ֔ישׁ מְגֻלְּחֵ֥י זָקָ֛ן וּקְרֻעֵ֥י בְגָדִ֖ים וּמִתְגֹּֽדְדִ֑ים וּמִנְחָ֤ה וּלְבוֹנָה֙ בְּיָדָ֔ם לְהָבִ֖יא בֵּ֥ית יְהוָֽה׃ | 5 |
५तब शेकेम और शीलो और सामरिया से अस्सी पुरुष दाढ़ी मुँड़ाए, वस्त्र फाड़े, शरीर चीरे हुए और हाथ में अन्नबलि और लोबान लिए हुए, यहोवा के भवन में जाते दिखाई दिए।
וַ֠יֵּצֵא יִשְׁמָעֵ֨אל בֶּן־נְתַנְיָ֤ה לִקְרָאתָם֙ מִן־הַמִּצְפָּ֔ה הֹלֵ֥ךְ הָלֹ֖ךְ וּבֹכֶ֑ה וַֽיְהִי֙ כִּפְגֹ֣שׁ אֹתָ֔ם וַיֹּ֣אמֶר אֲלֵיהֶ֔ם בֹּ֖אוּ אֶל־גְּדַלְיָ֥הוּ בֶן־אֲחִיקָֽם׃ ס | 6 |
६तब नतन्याह का पुत्र इश्माएल उनसे मिलने को मिस्पा से निकला, और रोता हुआ चला। जब वह उनसे मिला, तब कहा, “अहीकाम के पुत्र गदल्याह के पास चलो।”
וַיְהִ֕י כְּבוֹאָ֖ם אֶל־תּ֣וֹךְ הָעִ֑יר וַיִּשְׁחָטֵ֞ם יִשְׁמָעֵ֤אל בֶּן־נְתַנְיָה֙ אֶל־תּ֣וֹךְ הַבּ֔וֹר ה֖וּא וְהָאֲנָשִׁ֥ים אֲשֶׁר־אִתּֽוֹ׃ | 7 |
७जब वे उस नगर में आए तब नतन्याह के पुत्र इश्माएल ने अपने संगी जनों समेत उनको घात करके गड्ढे में फेंक दिया।
וַעֲשָׂרָ֨ה אֲנָשִׁ֜ים נִמְצְאוּ־בָ֗ם וַיֹּאמְר֤וּ אֶל־יִשְׁמָעֵאל֙ אַל־תְּמִתֵ֔נוּ כִּֽי־יֶשׁ־לָ֤נוּ מַטְמֹנִים֙ בַּשָּׂדֶ֔ה חִטִּ֥ים וּשְׂעֹרִ֖ים וְשֶׁ֣מֶן וּדְבָ֑שׁ וַיֶּחְדַּ֕ל וְלֹ֥א הֱמִיתָ֖ם בְּת֥וֹךְ אֲחֵיהֶֽם׃ | 8 |
८परन्तु उनमें से दस मनुष्य इश्माएल से कहने लगे, “हमको न मार; क्योंकि हमारे पास मैदान में रखा हुआ गेहूँ, जौ, तेल और मधु है।” इसलिए उसने उन्हें छोड़ दिया और उनके भाइयों के साथ नहीं मारा।
וְהַבּ֗וֹר אֲשֶׁר֩ הִשְׁלִ֨יךְ שָׁ֤ם יִשְׁמָעֵאל֙ אֵ֣ת ׀ כָּל־פִּגְרֵ֣י הָאֲנָשִׁ֗ים אֲשֶׁ֤ר הִכָּה֙ בְּיַד־גְּדַלְיָ֔הוּ ה֗וּא אֲשֶׁ֤ר עָשָׂה֙ הַמֶּ֣לֶךְ אָסָ֔א מִפְּנֵ֖י בַּעְשָׁ֣א מֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵ֑ל אֹת֗וֹ מִלֵּ֛א יִשְׁמָעֵ֥אל בֶּן־נְתַנְיָ֖הוּ חֲלָלִֽים׃ | 9 |
९जिस गड्ढे में इश्माएल ने उन लोगों की सब लोथें जिन्हें उसने मारा था, गदल्याह की लोथ के पास फेंक दी थी, (यह वही गड्ढा है जिसे आसा राजा ने इस्राएल के राजा बाशा के डर के मारे खुदवाया था), उसको नतन्याह के पुत्र इश्माएल ने मारे हुओं से भर दिया।
וַיִּ֣שְׁבְּ ׀ יִ֠שְׁמָעֵאל אֶת־כָּל־שְׁאֵרִ֨ית הָעָ֜ם אֲשֶׁ֣ר בַּמִּצְפָּ֗ה אֶת־בְּנ֤וֹת הַמֶּ֙לֶךְ֙ וְאֶת־כָּל־הָעָם֙ הַנִּשְׁאָרִ֣ים בַּמִּצְפָּ֔ה אֲשֶׁ֣ר הִפְקִ֗יד נְבֽוּזַרְאֲדָן֙ רַב־טַבָּחִ֔ים אֶת־גְּדַלְיָ֖הוּ בֶּן־אֲחִיקָ֑ם וַיִּשְׁבֵּם֙ יִשְׁמָעֵ֣אל בֶּן־נְתַנְיָ֔ה וַיֵּ֕לֶךְ לַעֲבֹ֖ר אֶל־בְּנֵ֥י עַמּֽוֹן׃ ס | 10 |
१०तब जो लोग मिस्पा में बचे हुए थे, अर्थात् राजकुमारियाँ और जितने और लोग मिस्पा में रह गए थे जिन्हें अंगरक्षकों के प्रधान नबूजरदान ने अहीकाम के पुत्र गदल्याह को सौंप दिया था, उन सभी को नतन्याह का पुत्र इश्माएल बन्दी बनाकर अम्मोनियों के पास ले जाने को चला।
וַיִּשְׁמַע֙ יוֹחָנָ֣ן בֶּן־קָרֵ֔חַ וְכָל־שָׂרֵ֥י הַחֲיָלִ֖ים אֲשֶׁ֣ר אִתּ֑וֹ אֵ֤ת כָּל־הָֽרָעָה֙ אֲשֶׁ֣ר עָשָׂ֔ה יִשְׁמָעֵ֖אל בֶּן־נְתַנְיָֽה׃ | 11 |
११जब कारेह के पुत्र योहानान ने और योद्धाओं के दलों के उन सब प्रधानों ने जो उसके संग थे, सुना कि नतन्याह के पुत्र इश्माएल ने यह सब बुराई की है,
וַיִּקְחוּ֙ אֶת־כָּל־הָ֣אֲנָשִׁ֔ים וַיֵּ֣לְכ֔וּ לְהִלָּחֵ֖ם עִם־יִשְׁמָעֵ֣אל בֶּן־נְתַנְיָ֑ה וַיִּמְצְא֣וּ אֹת֔וֹ אֶל־מַ֥יִם רַבִּ֖ים אֲשֶׁ֥ר בְּגִבְעֽוֹן׃ | 12 |
१२तब वे सब जनों को लेकर नतन्याह के पुत्र इश्माएल से लड़ने को निकले और उसको उस बड़े जलाशय के पास पाया जो गिबोन में है।
וַיְהִ֗י כִּרְא֤וֹת כָּל־הָעָם֙ אֲשֶׁ֣ר אֶת־יִשְׁמָעֵ֔אל אֶת־יֽוֹחָנָן֙ בֶּן־קָרֵ֔חַ וְאֵ֛ת כָּל־שָׂרֵ֥י הַחֲיָלִ֖ים אֲשֶׁ֣ר אִתּ֑וֹ וַיִּשְׂמָֽחוּ׃ | 13 |
१३कारेह के पुत्र योहानान को, और दलों के सब प्रधानों को देखकर जो उसके संग थे, इश्माएल के साथ जो लोग थे, वे सब आनन्दित हुए।
וַיָּסֹ֙בּוּ֙ כָּל־הָעָ֔ם אֲשֶׁר־שָׁבָ֥ה יִשְׁמָעֵ֖אל מִן־הַמִּצְפָּ֑ה וַיָּשֻׁ֙בוּ֙ וַיֵּ֣לְכ֔וּ אֶל־יֽוֹחָנָ֖ן בֶּן־קָרֵֽחַ׃ | 14 |
१४जितने लोगों को इश्माएल मिस्पा से बन्दी बनाकर लिए जाता था, वे पलटकर कारेह के पुत्र योहानान के पास चले आए।
וְיִשְׁמָעֵ֣אל בֶּן־נְתַנְיָ֗ה נִמְלַט֙ בִּשְׁמֹנָ֣ה אֲנָשִׁ֔ים מִפְּנֵ֖י יֽוֹחָנָ֑ן וַיֵּ֖לֶךְ אֶל־בְּנֵ֥י עַמּֽוֹן׃ ס | 15 |
१५परन्तु नतन्याह का पुत्र इश्माएल आठ पुरुष समेत योहानान के हाथ से बचकर अम्मोनियों के पास चला गया।
וַיִּקַּח֩ יוֹחָנָ֨ן בֶּן־קָרֵ֜חַ וְכָל־שָׂרֵ֧י הַחֲיָלִ֣ים אֲשֶׁר־אִתּ֗וֹ אֵ֣ת כָּל־שְׁאֵרִ֤ית הָעָם֙ אֲשֶׁ֣ר הֵ֠שִׁיב מֵאֵ֨ת יִשְׁמָעֵ֤אל בֶּן־נְתַנְיָה֙ מִן־הַמִּצְפָּ֔ה אַחַ֣ר הִכָּ֔ה אֶת־גְּדַלְיָ֖ה בֶּן־אֲחִיקָ֑ם גְּבָרִ֞ים אַנְשֵׁ֣י הַמִּלְחָמָ֗ה וְנָשִׁ֤ים וְטַף֙ וְסָ֣רִסִ֔ים אֲשֶׁ֥ר הֵשִׁ֖יב מִגִּבְעֽוֹן׃ | 16 |
१६तब प्रजा में से जितने बच गए थे, अर्थात् जिन योद्धाओं, स्त्रियों, बाल-बच्चों और खोजों को कारेह का पुत्र योहानान, अहीकाम के पुत्र गदल्याह के मिस्पा में मारे जाने के बाद नतन्याह के पुत्र इश्माएल के पास से छुड़ाकर गिबोन से फेर ले आया था, उनको वह अपने सब संगी दलों के प्रधानों समेत लेकर चल दिया।
וַיֵּלְכ֗וּ וַיֵּֽשְׁבוּ֙ בְּגֵר֣וּת כִּמְהָ֔ם אֲשֶׁר־אֵ֖צֶל בֵּ֣ית לָ֑חֶם לָלֶ֖כֶת לָב֥וֹא מִצְרָֽיִם׃ | 17 |
१७बैतलहम के निकट जो किम्हाम की सराय है, उसमें वे इसलिए टिक गए कि मिस्र में जाएँ।
מִפְּנֵי֙ הַכַּשְׂדִּ֔ים כִּ֥י יָרְא֖וּ מִפְּנֵיהֶ֑ם כִּֽי־הִכָּ֞ה יִשְׁמָעֵ֣אל בֶּן־נְתַנְיָ֗ה אֶת־גְּדַלְיָ֙הוּ֙ בֶּן־אֲחִיקָ֔ם אֲשֶׁר־הִפְקִ֥יד מֶֽלֶךְ־בָּבֶ֖ל בָּאָֽרֶץ׃ ס | 18 |
१८क्योंकि वे कसदियों से डरते थे; इसका कारण यह था कि अहीकाम का पुत्र गदल्याह जिसे बाबेल के राजा ने देश का अधिकारी ठहराया था, उसे नतन्याह के पुत्र इश्माएल ने मार डाला था।