< יִרְמְיָהוּ 32 >

הַדָּבָ֞ר אֲשֶׁר־הָיָ֤ה אֶֽל־יִרְמְיָ֙הוּ֙ מֵאֵ֣ת יְהוָ֔ה בַּשָּׁנָה֙ הָעֲשִׂרִ֔ית לְצִדְקִיָּ֖הוּ מֶ֣לֶךְ יְהוּדָ֑ה הִ֧יא הַשָּׁנָ֛ה שְׁמֹנֶֽה־עֶשְׂרֵ֥ה שָׁנָ֖ה לִנְבֽוּכַדְרֶאצַּֽר׃ 1
यहूदिया के राजा सीदकियाहू के राज्य-काल के दसवें वर्ष में, जो नबूकदनेज्ज़र के राज्य-काल का अठारहवां वर्ष था, याहवेह का संदेश येरेमियाह को भेजा गया.
וְאָ֗ז חֵ֚יל מֶ֣לֶךְ בָּבֶ֔ל צָרִ֖ים עַל־יְרוּשָׁלִָ֑ם וְיִרְמְיָ֣הוּ הַנָּבִ֗יא הָיָ֤ה כָלוּא֙ בַּחֲצַ֣ר הַמַּטָּרָ֔ה אֲשֶׁ֖ר בֵּֽית־מֶ֥לֶךְ יְהוּדָֽה׃ 2
इस समय बाबेल के राजा की सेना येरूशलेम को घेरे हुए थी तथा भविष्यद्वक्ता येरेमियाह को यहूदिया के राजा के महलों के पहरे के आंगन में बंदी बनाकर रखा गया था.
אֲשֶׁ֣ר כְּלָא֔וֹ צִדְקִיָּ֥הוּ מֶֽלֶךְ־יְהוּדָ֖ה לֵאמֹ֑ר מַדּוּעַ֩ אַתָּ֨ה נִבָּ֜א לֵאמֹ֗ר כֹּ֚ה אָמַ֣ר יְהוָ֔ה הִנְנִ֨י נֹתֵ֜ן אֶת־הָעִ֥יר הַזֹּ֛את בְּיַ֥ד מֶֽלֶךְ־בָּבֶ֖ל וּלְכָדָֽהּ׃ 3
क्योंकि यहूदिया के राजा सीदकियाहू ने येरेमियाह को यह कहते हुए बंदी बना रखा था, “तुम यह कहते हुए भविष्यवाणी क्यों करते हो? ‘यह याहवेह का संदेश है, यह देखना, मैं इस नगर को बाबेल के राजा के हाथों में सौंपने पर हूं, और वह इसे प्राप्‍त कर लेगा.
וְצִדְקִיָּ֙הוּ֙ מֶ֣לֶךְ יְהוּדָ֔ה לֹ֥א יִמָּלֵ֖ט מִיַּ֣ד הַכַּשְׂדִּ֑ים כִּ֣י הִנָּתֹ֤ן יִנָּתֵן֙ בְּיַ֣ד מֶֽלֶךְ־בָּבֶ֔ל וְדִבֶּר־פִּ֣יו עִם־פִּ֔יו וְעֵינָ֖יו אֶת־עֵינָ֥יו תִּרְאֶֽינָה׃ 4
तथा यहूदिया का राजा सीदकियाहू के अधिकार से विमुक्त नहीं हो सकेगा, बल्कि वह निश्चयतः बाबेल के राजा के हाथों में सौंप दिया जाएगा. तब वह आमने-सामने उससे वार्तालाप करेगा तथा वे एक दूसरे को अपने-अपने नेत्रों से देख सकेंगे.
וּבָבֶ֞ל יוֹלִ֤ךְ אֶת־צִדְקִיָּ֙הוּ֙ וְשָׁ֣ם יִֽהְיֶ֔ה עַד־פָּקְדִ֥י אֹת֖וֹ נְאֻם־יְהוָ֑ה כִּ֧י תִֽלָּחֲמ֛וּ אֶת־הַכַּשְׂדִּ֖ים לֹ֥א תַצְלִֽיחוּ׃ פ 5
बाबेल का राजा सीदकियाहू को अपने साथ बाबेल ले जाएगा और वह वहां उस समय तक रखा जाएगा, जब तक मैं उससे भेंट करने वहां न पहुंचूं, यह याहवेह की वाणी है. यदि तुम कसदियों पर आक्रमण भी करो, तुम्हें सफलता प्राप्‍त न होगी.’”
וַיֹּ֖אמֶר יִרְמְיָ֑הוּ הָיָ֥ה דְּבַר־יְהוָ֖ה אֵלַ֥י לֵאמֹֽר׃ 6
येरेमियाह ने यह सूचना दी, “मुझे याहवेह का यह संदेश प्राप्‍त हुआ:
הִנֵּ֣ה חֲנַמְאֵ֗ל בֶּן־שַׁלֻּם֙ דֹּֽדְךָ֔ בָּ֥א אֵלֶ֖יךָ לֵאמֹ֑ר קְנֵ֣ה לְךָ֗ אֶת־שָׂדִי֙ אֲשֶׁ֣ר בַּעֲנָת֔וֹת כִּ֥י לְךָ֛ מִשְׁפַּ֥ט הַגְּאֻלָּ֖ה לִקְנֽוֹת׃ 7
यह देखना, तुम्हारे चाचा शल्लूम का पुत्र हनामेल तुमसे भेंट करने आ रहा है. वह तुमसे कहेगा, ‘अनाथोथ का मेरा खेत तुम मोल ले लो, क्योंकि विधान के अंतर्गत यह तुम्हारा ही अधिकार है.’
וַיָּבֹ֣א אֵ֠לַי חֲנַמְאֵ֨ל בֶּן־דֹּדִ֜י כִּדְבַ֣ר יְהוָה֮ אֶל־חֲצַ֣ר הַמַּטָּרָה֒ וַיֹּ֣אמֶר אֵלַ֡י קְנֵ֣ה נָ֠א אֶת־שָׂדִ֨י אֲשֶׁר־בַּעֲנָת֜וֹת אֲשֶׁ֣ר ׀ בְּאֶ֣רֶץ בִּנְיָמִ֗ין כִּֽי־לְךָ֞ מִשְׁפַּ֧ט הַיְרֻשָּׁ֛ה וּלְךָ֥ הַגְּאֻלָּ֖ה קְנֵה־לָ֑ךְ וָאֵדַ֕ע כִּ֥י דְבַר־יְהוָ֖ה הֽוּא׃ 8
“तब मेरे चाचा का पुत्र हनामेल, याहवेह के संदेश के अनुरूप, पहरे के आंगन में मुझसे भेंट करने आया और मुझसे कहा, ‘बिन्यामिन प्रदेश के अनाथोथ में मेरा जो खेत है, उसे तुम मोल ले लो. क्योंकि उसके स्वामित्व को तथा उसके निष्क्रय का अधिकार तुम्हारा ही है, तुम्हीं इसे मोल ले लो.’ “तब मुझे यह निश्चय हो गया कि यह याहवेह ही का संदेश था;
וָֽאֶקְנֶה֙ אֶת־הַשָּׂדֶ֔ה מֵאֵ֛ת חֲנַמְאֵ֥ל בֶּן־דֹּדִ֖י אֲשֶׁ֣ר בַּעֲנָת֑וֹת וָֽאֶשְׁקֲלָה־לּוֹ֙ אֶת־הַכֶּ֔סֶף שִׁבְעָ֥ה שְׁקָלִ֖ים וַעֲשָׂרָ֥ה הַכָּֽסֶף׃ 9
मैंने अपने चाचा के पुत्र हनामेल से अनाथोथ का खेत मोल ले लिया, इसके लिए मैंने दो सौ ग्राम चांदी उसके लिए तौल दी.
וָאֶכְתֹּ֤ב בַּסֵּ֙פֶר֙ וָֽאֶחְתֹּ֔ם וָאָעֵ֖ד עֵדִ֑ים וָאֶשְׁקֹ֥ל הַכֶּ֖סֶף בְּמֹאזְנָֽיִם׃ 10
मैंने बंधक-पत्र पर हस्ताक्षर किए तथा उस पर मोहर लगा दी, तब मैंने गवाहों को आमंत्रित किया और तुलामान पर चांदी तौल दी.
וָאֶקַּ֖ח אֶת־סֵ֣פֶר הַמִּקְנָ֑ה אֶת־הֶֽחָת֛וּם הַמִּצְוָ֥ה וְהַחֻקִּ֖ים וְאֶת־הַגָּלֽוּי׃ 11
तब मैंने क्रय-बन्धक पत्र लिए—दोनों ही वह, जिस पर मोहर लगी हुई थी, जिसमें नियम तथा शर्तें निहित थी तथा वह, जो खुली हुई प्रति थी—
וָאֶתֵּ֞ן אֶת־הַסֵּ֣פֶר הַמִּקְנָ֗ה אֶל־בָּר֣וּךְ בֶּן־נֵרִיָּה֮ בֶּן־מַחְסֵיָה֒ לְעֵינֵי֙ חֲנַמְאֵ֣ל דֹּדִ֔י וּלְעֵינֵי֙ הָֽעֵדִ֔ים הַכֹּתְבִ֖ים בְּסֵ֣פֶר הַמִּקְנָ֑ה לְעֵינֵי֙ כָּל־הַיְּהוּדִ֔ים הַיֹּשְׁבִ֖ים בַּחֲצַ֥ר הַמַּטָּרָֽה׃ 12
मैंने क्रय-बन्धक पत्र अपने चाचा के पुत्र हनामेल ही के समक्ष तथा उन साक्ष्यों के समक्ष, जिन्होंने बंधक-पत्र पर हस्ताक्षर किए थे तथा पहरे के आंगन में उस समय बैठे हुए यहूदियों के समक्ष, माहसेइयाह के पौत्र, नेरियाह के पुत्र बारूख को सौंप दिया.
וָֽאֲצַוֶּה֙ אֶת בָּר֔וּךְ לְעֵינֵיהֶ֖ם לֵאמֹֽר׃ 13
“तब मैंने बारूख को उन्हीं की उपस्थिति में सूचित किया:
כֹּֽה־אָמַר֩ יְהוָ֨ה צְבָא֜וֹת אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֗ל לָק֣וֹחַ אֶת־הַסְּפָרִ֣ים הָאֵ֡לֶּה אֵ֣ת סֵפֶר֩ הַמִּקְנָ֨ה הַזֶּ֜ה וְאֵ֣ת הֶחָת֗וּם וְאֵ֨ת סֵ֤פֶר הַגָּלוּי֙ הַזֶּ֔ה וּנְתַתָּ֖ם בִּכְלִי־חָ֑רֶשׂ לְמַ֥עַן יַעַמְד֖וּ יָמִ֥ים רַבִּֽים׃ ס 14
‘इस्राएल के परमेश्वर, सेनाओं के याहवेह का आदेश है: इन बंधक पत्रों को मोहर लगे क्रय-बन्धक पत्र को तथा इस खुले बंधक-पत्र को लेकर एक मिट्टी के बर्तन में संजो दो, कि ये दीर्घ काल तक सुरक्षित बने रहें.
כִּ֣י כֹ֥ה אָמַ֛ר יְהוָ֥ה צְבָא֖וֹת אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל ע֣וֹד יִקָּנ֥וּ בָתִּ֛ים וְשָׂד֥וֹת וּכְרָמִ֖ים בָּאָ֥רֶץ הַזֹּֽאת׃ פ 15
क्योंकि इस्राएल के परमेश्वर, सेनाओं के याहवेह की वाणी यह है: आवास, खेत तथा द्राक्षाउद्यान इस देश में पुनः मोल लिए जाएंगे.’
וָאֶתְפַּלֵּ֖ל אֶל־יְהוָ֑ה אַחֲרֵ֤י תִתִּי֙ אֶת־סֵ֣פֶר הַמִּקְנָ֔ה אֶל־בָּר֥וּךְ בֶּן־נֵרִיָּ֖ה לֵאמֹֽר׃ 16
“जब मैं नेरियाह के पुत्र बारूख को क्रय-बन्धक पत्र सौंप चुका, तब मैंने याहवेह से यह बिनती की:
אֲהָהּ֮ אֲדֹנָ֣י יְהוִה֒ הִנֵּ֣ה ׀ אַתָּ֣ה עָשִׂ֗יתָ אֶת־הַשָּׁמַ֙יִם֙ וְאֶת־הָאָ֔רֶץ בְּכֹֽחֲךָ֙ הַגָּד֔וֹל וּבִֽזְרֹעֲךָ֖ הַנְּטוּיָ֑ה לֹֽא־יִפָּלֵ֥א מִמְּךָ֖ כָּל־דָּבָֽר׃ 17
“प्रभु याहवेह, आपने, मैं जानता हूं आपने अपने विलक्षण सामर्थ्य तथा विस्तीर्ण भुजा के द्वारा आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की है. असंभव तो आपके समक्ष कुछ भी नहीं है.
עֹ֤שֶׂה חֶ֙סֶד֙ לַֽאֲלָפִ֔ים וּמְשַׁלֵּם֙ עֲוֹ֣ן אָב֔וֹת אֶל־חֵ֥יק בְּנֵיהֶ֖ם אַחֲרֵיהֶ֑ם הָאֵ֤ל הַגָּדוֹל֙ הַגִּבּ֔וֹר יְהוָ֥ה צְבָא֖וֹת שְׁמֽוֹ׃ 18
सहस्रों पर आप निर्जर प्रेम अभिव्यक्त करते हैं, किंतु इसके विपरीत आप माता-पिता अथवा पूर्वजों की पापिष्ठता का प्रतिफल उनकी संतान की गोद में डाल देते हैं, आपका नाम सेनाओं के याहवेह है,
גְּדֹל֙ הָֽעֵצָ֔ה וְרַ֖ב הָעֲלִֽילִיָּ֑ה אֲשֶׁר־עֵינֶ֣יךָ פְקֻח֗וֹת עַל־כָּל־דַּרְכֵי֙ בְּנֵ֣י אָדָ֔ם לָתֵ֤ת לְאִישׁ֙ כִּדְרָכָ֔יו וְכִפְרִ֖י מַעֲלָלָֽיו׃ 19
महान हैं आपके संकल्प और पराक्रमी आपके कर्म! आपकी दृष्टि मानव की हर एक गतिविधि पर लगी रहती है; आप हर एक को उसके आचरण एवं उसके कार्यों के परिणाम के अनुरूप प्रतिफल देते हैं.
אֲשֶׁר־שַׂ֠מְתָּ אֹת֨וֹת וּמֹפְתִ֤ים בְּאֶֽרֶץ־מִצְרַ֙יִם֙ עַד־הַיּ֣וֹם הַזֶּ֔ה וּבְיִשְׂרָאֵ֖ל וּבָֽאָדָ֑ם וַתַּעֲשֶׂה־לְּךָ֥ שֵׁ֖ם כַּיּ֥וֹם הַזֶּֽה׃ 20
आपने मिस्र देश में चिन्हों एवं विलक्षण कृत्यों का प्रदर्शन किया तथा आप इस्राएल में तथा सारे मानव जाति दोनों ही के मध्य आज भी कर रहे हैं, तथा आपने अपनी प्रतिष्ठा स्थापित कर ली है, जो आज भी स्थापित है.
וַתֹּצֵ֛א אֶת־עַמְּךָ֥ אֶת־יִשְׂרָאֵ֖ל מֵאֶ֣רֶץ מִצְרָ֑יִם בְּאֹת֣וֹת וּבְמוֹפְתִ֗ים וּבְיָ֤ד חֲזָקָה֙ וּבְאֶזְר֣וֹעַ נְטוּיָ֔ה וּבְמוֹרָ֖א גָּדֽוֹל׃ 21
आपने अपनी प्रजा इस्राएल का मिस्र देश से चिन्हों एवं विलक्षण कार्यों तथा सशक्त बाहुबल, विस्तीर्ण भुजा के सिवा घोर आतंक के साथ निकास किया.
וַתִּתֵּ֤ן לָהֶם֙ אֶת־הָאָ֣רֶץ הַזֹּ֔את אֲשֶׁר־נִשְׁבַּ֥עְתָּ לַאֲבוֹתָ֖ם לָתֵ֣ת לָהֶ֑ם אֶ֛רֶץ זָבַ֥ת חָלָ֖ב וּדְבָֽשׁ׃ 22
तब आपने उन्हें यह देश दे दिया, जिसे देने की शपथ आपने उनके पूर्वजों से की थी, वह देश जिसमें दुग्ध एवं मधु का बहाव है.
וַיָּבֹ֜אוּ וַיִּֽרְשׁ֣וּ אֹתָ֗הּ וְלֹֽא־שָׁמְע֤וּ בְקוֹלֶ֙ךָ֙ וּבְתוֹרָתְךָ֣ לֹא־הָלָ֔כוּ אֵת֩ כָּל־אֲשֶׁ֨ר צִוִּ֧יתָה לָהֶ֛ם לַעֲשׂ֖וֹת לֹ֣א עָשׂ֑וּ וַתַּקְרֵ֣א אֹתָ֔ם אֵ֥ת כָּל־הָרָעָ֖ה הַזֹּֽאת׃ 23
उन्होंने आकर इस पर अधिकार तो कर लिया, किंतु उन्होंने न तो आपके आदेशों का पालन ही किया और न ही आपके व्यवस्था-विधान का अनुकरण; आपके द्वारा उन्हें जो सारे आदेश दिए गए थे, उन्होंने उनमें से किसी का भी अनुकरण नहीं किया है. यही कारण है, कि आपने उन पर यह विपत्ति आने दी है.
הִנֵּ֣ה הַסֹּלְל֗וֹת בָּ֣אוּ הָעִיר֮ לְלָכְדָהּ֒ וְהָעִ֣יר נִתְּנָ֗ה בְּיַ֤ד הַכַּשְׂדִּים֙ הַנִּלְחָמִ֣ים עָלֶ֔יהָ מִפְּנֵ֛י הַחֶ֥רֶב וְהָרָעָ֖ב וְהַדָּ֑בֶר וַאֲשֶׁ֥ר דִּבַּ֛רְתָּ הָיָ֖ה וְהִנְּךָ֥ רֹאֶֽה׃ 24
“यह भी देखिए कि नगर अभिग्रहण के लक्ष्य से निर्मित घेराबंदी की ढलान नगर तक पहुंच चुकी है. तलवार, अकाल तथा महामारी के कारण नगर कसदियों के अधिकार में जा चुका है, जिन्होंने इस पर आक्रमण किया है. वस्तुतः इसलिये कि यह आप ही की पूर्वोक्ति है जो कृतार्थ हो रही है, और अब आप ही देख रहे हैं, कि ऐसा ही हो रहा है.
וְאַתָּ֞ה אָמַ֤רְתָּ אֵלַי֙ אֲדֹנָ֣י יְהוִ֔ה קְנֵֽה־לְךָ֧ הַשָּׂדֶ֛ה בַּכֶּ֖סֶף וְהָעֵ֣ד עֵדִ֑ים וְהָעִ֥יר נִתְּנָ֖ה בְּיַ֥ד הַכַּשְׂדִּֽים׃ 25
प्रभु याहवेह, आपने ही मुझे आदेश दिया था, अपने लिए मूल्य चुका कर खेत क्रय कर लो तथा गवाहों को बुला लो, जबकि नगर कसदियों को सौंपा जा चुका है.”
וַיְהִי֙ דְּבַר־יְהוָ֔ה אֶֽל־יִרְמְיָ֖הוּ לֵאמֹֽר׃ 26
इस पर येरेमियाह को याहवेह का यह संदेश प्राप्‍त हुआ:
הִנֵּה֙ אֲנִ֣י יְהוָ֔ה אֱלֹהֵ֖י כָּל־בָּשָׂ֑ר הֲֽמִמֶּ֔נִּי יִפָּלֵ֖א כָּל־דָּבָֽר׃ 27
“यह स्मरण रखो, मैं याहवेह हूं, सभी मनुष्यों का परमेश्वर. क्या कोई भी ऐसा विषय है, जो मेरे लिए दुस्साध्य है?
לָכֵ֕ן כֹּ֖ה אָמַ֣ר יְהוָ֑ה הִנְנִ֣י נֹתֵן֩ אֶת־הָעִ֨יר הַזֹּ֜את בְּיַ֣ד הַכַּשְׂדִּ֗ים וּבְיַ֛ד נְבֽוּכַדְרֶאצַּ֥ר מֶֽלֶךְ־בָּבֶ֖ל וּלְכָדָֽהּ׃ 28
इसलिये याहवेह की वाणी यह है: सुनो, मैं यह नगर कसदियों को सौंपने पर हूं तथा बाबेल के राजा नबूकदनेज्ज़र के हाथ में, जो इसे प्राप्‍त कर लेगा.
וּבָ֣אוּ הַכַּשְׂדִּ֗ים הַנִּלְחָמִים֙ עַל־הָעִ֣יר הַזֹּ֔את וְהִצִּ֜יתוּ אֶת־הָעִ֥יר הַזֹּ֛את בָּאֵ֖שׁ וּשְׂרָפ֑וּהָ וְאֵ֣ת הַבָּתִּ֡ים אֲשֶׁר֩ קִטְּר֨וּ עַל־גַּגּֽוֹתֵיהֶ֜ם לַבַּ֗עַל וְהִסִּ֤כוּ נְסָכִים֙ לֵאלֹהִ֣ים אֲחֵרִ֔ים לְמַ֖עַן הַכְעִסֵֽנִי׃ 29
इस नगर पर आक्रमण करनेवाले कसदी, नगर में प्रवेश कर नगर में आग लगाकर इसे भस्म कर देंगे; इसमें वे भवन भी सम्मिलित होंगे, जहां छतों पर लोगों ने बाल के लिए धूप जलाया, परकीय देवताओं के लिए पेय बलिदान उंडेला और मेरे कोप को उकसाया.
כִּֽי־הָי֨וּ בְנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֜ל וּבְנֵ֣י יְהוּדָ֗ה אַ֣ךְ עֹשִׂ֥ים הָרַ֛ע בְּעֵינַ֖י מִנְּעֻרֹֽתֵיהֶ֑ם כִּ֣י בְנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֗ל אַ֣ךְ מַכְעִסִ֥ים אֹתִ֛י בְּמַעֲשֵׂ֥ה יְדֵיהֶ֖ם נְאֻם־יְהוָֽה׃ 30
“इस्राएल तथा यहूदाह गोत्रज अपनी बाल्यावस्था ही से वही करते आए हैं, जो मेरी दृष्टि में ठीक नहीं है; इस्राएल वंशज अपनी हस्तकृतियों के द्वारा मेरे कोप को उकसाते आए हैं, यह याहवेह की वाणी है.
כִּ֧י עַל־אַפִּ֣י וְעַל־חֲמָתִ֗י הָ֤יְתָה לִּי֙ הָעִ֣יר הַזֹּ֔את לְמִן־הַיּוֹם֙ אֲשֶׁ֣ר בָּנ֣וּ אוֹתָ֔הּ וְעַ֖ד הַיּ֣וֹם הַזֶּ֑ה לַהֲסִירָ֖הּ מֵעַ֥ל פָּנָֽי׃ 31
यह सत्य है कि जिस दिन से इस नगर की स्थापना हुई है, उसी दिन से आज तक यह नगर मेरे क्रोध एवं कोप को उकसाता रहा है, इसलिये यह आवश्यक है कि यह मेरी दृष्टि से दूर कर दिया जाए.
עַל֩ כָּל־רָעַ֨ת בְּנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֜ל וּבְנֵ֣י יְהוּדָ֗ה אֲשֶׁ֤ר עָשׂוּ֙ לְהַכְעִסֵ֔נִי הֵ֤מָּה מַלְכֵיהֶם֙ שָֽׂרֵיהֶ֔ם כֹּהֲנֵיהֶ֖ם וּנְבִֽיאֵיהֶ֑ם וְאִ֣ישׁ יְהוּדָ֔ה וְיֹשְׁבֵ֖י יְרוּשָׁלִָֽם׃ 32
मेरे कोप को भड़काने के लिए इस्राएल एवं यहूदाह गोत्रजों ने जो दुष्टता की है; उन्होंने, उनके राजाओं ने, उनके नायकों ने, उनके पुरोहितों ने, उनके भविष्यवक्ताओं ने तथा येरूशलेम एवं यहूदिया के निवासियों ने भी.
וַיִּפְנ֥וּ אֵלַ֛י עֹ֖רֶף וְלֹ֣א פָנִ֑ים וְלַמֵּ֤ד אֹתָם֙ הַשְׁכֵּ֣ם וְלַמֵּ֔ד וְאֵינָ֥ם שֹׁמְעִ֖ים לָקַ֥חַת מוּסָֽר׃ 33
मेरी ओर उन्मुख होने की अपेक्षा वे मुझसे विमुख हो गए हैं, यद्यपि मैं उन्हें शिक्षा देता रहा बार-बार शिक्षा देता रहा, किंतु उन्होंने न तो मेरी सुनी और न मेरी शिक्षा का स्वीकार ही किया.
וַיָּשִׂ֣ימוּ שִׁקּֽוּצֵיהֶ֗ם בַּבַּ֛יִת אֲשֶׁר־נִקְרָֽא־שְׁמִ֥י עָלָ֖יו לְטַמְּאֽוֹ׃ 34
इतना ही नहीं उन्होंने मेरे नाम में प्रतिष्ठित भवन को अशुद्ध करने के लक्ष्य से अपनी घृणास्पद वस्तुओं को उसमें स्थापित कर दिया है.
וַיִּבְנוּ֩ אֶת־בָּמ֨וֹת הַבַּ֜עַל אֲשֶׁ֣ר ׀ בְּגֵ֣יא בֶן־הִנֹּ֗ם לְ֠הַעֲבִיר אֶת־בְּנֵיהֶ֣ם וְאֶת־בְּנוֹתֵיהֶם֮ לַמֹּלֶךְ֒ אֲשֶׁ֣ר לֹֽא־צִוִּיתִ֗ים וְלֹ֤א עָֽלְתָה֙ עַל־לִבִּ֔י לַעֲשׂ֖וֹת הַתּוֹעֵבָ֣ה הַזֹּ֑את לְמַ֖עַן הַחֲטִ֥יא אֶת־יְהוּדָֽה׃ ס 35
उन्होंने बेन-हिन्‍नोम की घाटी में बाल के लिए पूजा स्थलों का निर्माण किया कि वे मोलेख के लिए अपने पुत्र-पुत्रियों को अग्निबलि प्रथा में समर्पित करें, मैंने उन्हें इसके लिए कोई आदेश न दिया था; हालांकि इसका तो विचार ही मेरे मस्तिष्क में नहीं आया, कि वे यह घृणित कार्य करें तथा यहूदिया को यह पाप करने के लिए प्रेरित करें.
וְעַתָּ֕ה לָכֵ֛ן כֹּֽה־אָמַ֥ר יְהוָ֖ה אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל אֶל־הָעִ֨יר הַזֹּ֜את אֲשֶׁ֣ר ׀ אַתֶּ֣ם אֹמְרִ֗ים נִתְּנָה֙ בְּיַ֣ד מֶֽלֶךְ־בָּבֶ֔ל בַּחֶ֖רֶב וּבָרָעָ֥ב וּבַדָּֽבֶר׃ 36
“इसलिये अब इस नगर के विषय में, जिसके संबंध में तुम्हीं यह कह रहे हो, ‘तलवार, अकाल तथा महामारी के कारण यह नगर बाबेल के राजा के हाथ में दे दिया गया है’; याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की यह वाणी है,
הִנְנִ֤י מְקַבְּצָם֙ מִכָּל־הָ֣אֲרָצ֔וֹת אֲשֶׁ֨ר הִדַּחְתִּ֥ים שָׁ֛ם בְּאַפִּ֥י וּבַחֲמָתִ֖י וּבְקֶ֣צֶף גָּד֑וֹל וַהֲשִֽׁבֹתִים֙ אֶל־הַמָּק֣וֹם הַזֶּ֔ה וְהֹשַׁבְתִּ֖ים לָבֶֽטַח׃ 37
तुम देखना, कि मैं उन्हें उन सभी देशों से एकत्र करूंगा, जिनमें मैंने उन्हें अपने कोप के कारण दूर कर दिया था. अपने क्रोध में, अपने कोप में तथा अपने उग्र आक्रोश में, मैं उन्हें इस देश में लौटा ले आऊंगा कि वे यहां पूर्ण सुरक्षा में निवास करने लगें.
וְהָ֥יוּ לִ֖י לְעָ֑ם וַאֲנִ֕י אֶהְיֶ֥ה לָהֶ֖ם לֵאלֹהִֽים׃ 38
वे मेरी प्रजा होंगे तथा मैं उनका परमेश्वर.
וְנָתַתִּ֨י לָהֶ֜ם לֵ֤ב אֶחָד֙ וְדֶ֣רֶךְ אֶחָ֔ד לְיִרְאָ֥ה אוֹתִ֖י כָּל־הַיָּמִ֑ים לְט֣וֹב לָהֶ֔ם וְלִבְנֵיהֶ֖ם אַחֲרֵיהֶֽם׃ 39
मैं उन्हें एकनिष्ठ हृदय तथा एकमात्र अभीष्ट प्रदान करूंगा, कि उनमें मेरे प्रति सदा-सर्वदा को उन्हीं के तथा उनके बाद उनकी संतान के कल्याण के निमित्त चिरस्थायी श्रद्धा व्याप्‍त हो जाए.
וְכָרַתִּ֤י לָהֶם֙ בְּרִ֣ית עוֹלָ֔ם אֲשֶׁ֤ר לֹֽא־אָשׁוּב֙ מֵאַ֣חֲרֵיהֶ֔ם לְהֵיטִיבִ֖י אוֹתָ֑ם וְאֶת־יִרְאָתִי֙ אֶתֵּ֣ן בִּלְבָבָ֔ם לְבִלְתִּ֖י ס֥וּר מֵעָלָֽי׃ 40
मैं उनसे चिरकालीन वाचा स्थापित करूंगा; कि मैं उनसे विमुख न होऊं, कि उनका हित हो, और मैं उनके हृदय में अपने प्रति ऐसा श्रद्धा संस्थापित कर दूंगा, कि वे मुझसे विमुख कभी न हों.
וְשַׂשְׂתִּ֥י עֲלֵיהֶ֖ם לְהֵטִ֣יב אוֹתָ֑ם וּנְטַעְתִּ֞ים בָּאָ֤רֶץ הַזֹּאת֙ בֶּאֱמֶ֔ת בְּכָל־לִבִּ֖י וּבְכָל־נַפְשִֽׁי׃ ס 41
अपने संपूर्ण हृदय से तथा अपने संपूर्ण प्राण से उनका हित करना तथा उन्हें इस देश में बसा देना मेरे अतीव हर्ष का विषय होगा.
כִּֽי־כֹה֙ אָמַ֣ר יְהוָ֔ה כַּאֲשֶׁ֤ר הֵבֵ֙אתִי֙ אֶל־הָעָ֣ם הַזֶּ֔ה אֵ֛ת כָּל־הָרָעָ֥ה הַגְּדוֹלָ֖ה הַזֹּ֑את כֵּ֣ן אָנֹכִ֞י מֵבִ֤יא עֲלֵיהֶם֙ אֶת־כָּל־הַטּוֹבָ֔ה אֲשֶׁ֥ר אָנֹכִ֖י דֹּבֵ֥ר עֲלֵיהֶֽם׃ 42
“क्योंकि याहवेह की वाणी यह है: ठीक जिस प्रकार मैंने उन पर ये घोर विपत्तियां डाली हैं, ठीक उसी प्रकार मैं उन पर वह सारी समृद्धि ले आऊंगा, जिसकी मैं प्रतिज्ञा कर रहा हूं.
וְנִקְנָ֥ה הַשָּׂדֶ֖ה בָּאָ֣רֶץ הַזֹּ֑את אֲשֶׁ֣ר ׀ אַתֶּ֣ם אֹמְרִ֗ים שְׁמָמָ֥ה הִיא֙ מֵאֵ֤ין אָדָם֙ וּבְהֵמָ֔ה נִתְּנָ֖ה בְּיַ֥ד הַכַּשְׂדִּֽים׃ 43
इस देश में, अब खेत मोल लिए जाएंगे, जिसके विषय में तुम कहते रहते हो, ‘उजाड़ हो चुका है यह देश, इसमें अब न तो मनुष्य शेष रह गए हैं, न पशु; सब कुछ कसदियों के अधिकार में जा चुका है.’
שָׂד֞וֹת בַּכֶּ֣סֶף יִקְנ֗וּ וְכָת֨וֹב בַּסֵּ֥פֶר ׀ וְחָתוֹם֮ וְהָעֵ֣ד עֵדִים֒ בְּאֶ֨רֶץ בִּנְיָמִ֜ן וּבִסְבִיבֵ֣י יְרוּשָׁלִַ֗ם וּבְעָרֵ֤י יְהוּדָה֙ וּבְעָרֵ֣י הָהָ֔ר וּבְעָרֵ֥י הַשְּׁפֵלָ֖ה וּבְעָרֵ֣י הַנֶּ֑גֶב כִּֽי־אָשִׁ֥יב אֶת־שְׁבוּתָ֖ם נְאֻם־יְהוָֽה׃ פ 44
लोग चांदी देकर खेत क्रय कर लेंगे, वे बंधक-पत्र पर हस्ताक्षर करेंगे तथा उसे आमंत्रित साक्ष्यों को सारे मोहरबन्द कर देंगे. यह सब बिन्यामिन प्रदेश में होगा, येरूशलेम के उपनगरों में होगा यहूदिया के नगरों में होगा, घाटी के नगरों में होगा तथा नेगेव के नगरों में होगा; क्योंकि मैं समृद्धि लौटा दूंगा, यह याहवेह की वाणी है.”

< יִרְמְיָהוּ 32 >