< יִרְמְיָהוּ 27 >
בְּרֵאשִׁ֗ית מַמְלֶ֛כֶת יְהוֹיָקִ֥ם בֶּן־יֹאושִׁיָּ֖הוּ מֶ֣לֶךְ יְהוּדָ֑ה הָיָ֞ה הַדָּבָ֤ר הַזֶּה֙ אֶֽל־יִרְמְיָ֔ה מֵאֵ֥ת יְהוָ֖ה לֵאמֹֽר׃ | 1 |
शाह — ए — यहूदाह सिदक़ियाह — बिन — यूसियाह की सल्तनत के शुरू' में ख़ुदावन्द की तरफ़ से यह कलाम यरमियाह पर नाज़िल हुआ,
כֹּֽה־אָמַ֤ר יְהוָה֙ אֵלַ֔י עֲשֵׂ֣ה לְךָ֔ מוֹסֵר֖וֹת וּמֹט֑וֹת וּנְתַתָּ֖ם עַל־צַוָּארֶֽךָ׃ | 2 |
कि ख़ुदावन्द ने मुझे यूँ फ़रमाया कि: “बन्धन और जुए बनाकर अपनी गर्दन पर डाल,
וְשִׁלַּחְתָּם֩ אֶל־מֶ֨לֶךְ אֱד֜וֹם וְאֶל־מֶ֣לֶךְ מוֹאָ֗ב וְאֶל־מֶ֙לֶךְ֙ בְּנֵ֣י עַמּ֔וֹן וְאֶל־מֶ֥לֶךְ צֹ֖ר וְאֶל־מֶ֣לֶךְ צִיד֑וֹן בְּיַ֤ד מַלְאָכִים֙ הַבָּאִ֣ים יְרוּשָׁלִַ֔ם אֶל־צִדְקִיָּ֖הוּ מֶ֥לֶךְ יְהוּדָֽה׃ | 3 |
और उनको शाह — ए — अदोम, शाह — ए — मोआब, शाह — ए — बनी 'अम्मोन, शाह — ए — सूर और शाह — ए — सैदा के पास उन क़ासिदों के हाथ भेज, जो येरूशलेम में शाह — ए — यहूदाह सिदक़ियाह के पास आए हैं;
וְצִוִּיתָ֣ אֹתָ֔ם אֶל־אֲדֹֽנֵיהֶ֖ם לֵאמֹ֑ר כֹּֽה־אָמַ֞ר יְהוָ֤ה צְבָאוֹת֙ אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל כֹּ֥ה תֹֽאמְר֖וּ אֶל־אֲדֹֽנֵיכֶֽם׃ | 4 |
और तू उनको उनके आक़ाओं के वास्ते ताकीद कर, 'रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है कि: तुम अपने आक़ाओं से यूँ कहना
אָנֹכִ֞י עָשִׂ֣יתִי אֶת־הָאָ֗רֶץ אֶת־הָאָדָ֤ם וְאֶת־הַבְּהֵמָה֙ אֲשֶׁר֙ עַל־פְּנֵ֣י הָאָ֔רֶץ בְּכֹחִי֙ הַגָּד֔וֹל וּבִזְרוֹעִ֖י הַנְּטוּיָ֑ה וּנְתַתִּ֕יהָ לַאֲשֶׁ֖ר יָשַׁ֥ר בְּעֵינָֽי׃ | 5 |
कि मैंने ज़मीन को और इंसान — ओ — हैवान को जो इस ज़मीन पर हैं, अपनी बड़ी क़ुदरत और बलन्द बाज़ू से पैदा किया; और उनको जिसे मैंने मुनासिब जाना बख़्शा
וְעַתָּ֗ה אָֽנֹכִי֙ נָתַ֙תִּי֙ אֶת־כָּל־הָאֲרָצ֣וֹת הָאֵ֔לֶּה בְּיַ֛ד נְבוּכַדְנֶאצַּ֥ר מֶֽלֶךְ־בָּבֶ֖ל עַבְדִּ֑י וְגַם֙ אֶת־חַיַּ֣ת הַשָּׂדֶ֔ה נָתַ֥תִּי ל֖וֹ לְעָבְדֽוֹ׃ | 6 |
और अब मैंने यह सब ममलुकतें अपने ख़िदमत गुज़ार शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र के क़ब्ज़े में कर दी हैं, और मैदान के जानवर भी उसे दिए, कि उसके काम आएँ।
וְעָבְד֤וּ אֹתוֹ֙ כָּל־הַגּוֹיִ֔ם וְאֶת־בְּנ֖וֹ וְאֶֽת־בֶּן־בְּנ֑וֹ עַ֣ד בֹּא־עֵ֤ת אַרְצוֹ֙ גַּם־ה֔וּא וְעָ֤בְדוּ בוֹ֙ גּוֹיִ֣ם רַבִּ֔ים וּמְלָכִ֖ים גְּדֹלִֽים׃ | 7 |
और सब क़ौमें उसकी और उसके बेटे और उसके पोते की ख़िदमत करेंगी, जब तक कि उसकी ममलुकत का वक़्त न आए; तब बहुत सी क़ौमें और बड़े — बड़े बादशाह उससे ख़िदमत करवाएँगे।
וְהָיָ֨ה הַגּ֜וֹי וְהַמַּמְלָכָ֗ה אֲשֶׁ֨ר לֹֽא־יַעַבְד֤וּ אֹתוֹ֙ אֶת־נְבוּכַדְנֶאצַּ֣ר מֶֽלֶךְ־בָּבֶ֔ל וְאֵ֨ת אֲשֶׁ֤ר לֹֽא־יִתֵּן֙ אֶת־צַוָּאר֔וֹ בְּעֹ֖ל מֶ֣לֶךְ בָּבֶ֑ל בַּחֶרֶב֩ וּבָרָעָ֨ב וּבַדֶּ֜בֶר אֶפְקֹ֨ד עַל־הַגּ֤וֹי הַהוּא֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה עַד־תֻּמִּ֥י אֹתָ֖ם בְּיָדֽוֹ׃ | 8 |
ख़ुदावन्द फ़रमाता है: जो क़ौम और जो सल्तनत उसकी, या'नी शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र की ख़िदमत न करेगी और अपनी गर्दन शाह — ए — बाबुल के जूए तले न झूकाएगी, उस क़ौम को मैं तलवार और काल और वबा से सज़ा दूँगा, यहाँ तक कि मैं उसके हाथ से उनको हलाक कर डालूँगा।
וְ֠אַתֶּם אַל־תִּשְׁמְע֨וּ אֶל־נְבִיאֵיכֶ֜ם וְאֶל־קֹֽסְמֵיכֶ֗ם וְאֶל֙ חֲלֹמֹ֣תֵיכֶ֔ם וְאֶל־עֹֽנְנֵיכֶ֖ם וְאֶל־כַּשָּׁפֵיכֶ֑ם אֲשֶׁר־הֵ֞ם אֹמְרִ֤ים אֲלֵיכֶם֙ לֵאמֹ֔ר לֹ֥א תַעַבְד֖וּ אֶת־מֶ֥לֶךְ בָּבֶֽל׃ | 9 |
इसलिए तुम अपने नबियों और ग़ैबदानो और ख्व़ाबबीनों और शगूनियों और जादूगरों की न सुनो, जो तुम से कहते हैं कि तुम शाह — ए — बाबुल की ख़िदमतगुज़ारी न करोगे।
כִּ֣י שֶׁ֔קֶר הֵ֖ם נִבְּאִ֣ים לָכֶ֑ם לְמַ֨עַן הַרְחִ֤יק אֶתְכֶם֙ מֵעַ֣ל אַדְמַתְכֶ֔ם וְהִדַּחְתִּ֥י אֶתְכֶ֖ם וַאֲבַדְתֶּֽם׃ | 10 |
क्यूँकि वह तुम से झूटी नबुव्वत करते हैं, ताकि तुम को तुम्हारे मुल्क से आवारा करें, और मैं तुम को निकाल दूँ और तुम हलाक हो जाओ।
וְהַגּ֗וֹי אֲשֶׁ֨ר יָבִ֧יא אֶת־צַוָּאר֛וֹ בְּעֹ֥ל מֶֽלֶךְ־בָּבֶ֖ל וַֽעֲבָד֑וֹ וְהִנַּחְתִּ֤יו עַל־אַדְמָתוֹ֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה וַֽעֲבָדָ֖הּ וְיָ֥שַׁב בָּֽהּ׃ | 11 |
लेकिन जो क़ौम अपनी गर्दन शाह — ए — बाबुल के जूए तले रख देगी और उसकी ख़िदमत करेगी, उसको मैं उसकी ममलुकत में रहने दूँगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है, और वह उसमें खेती करेगी और उसमें बसेगी।”
וְאֶל־צִדְקִיָּ֤ה מֶֽלֶךְ־יְהוּדָה֙ דִּבַּ֔רְתִּי כְּכָל־הַדְּבָרִ֥ים הָאֵ֖לֶּה לֵאמֹ֑ר הָבִ֨יאוּ אֶת־צַוְּארֵיכֶ֜ם בְּעֹ֣ל מֶֽלֶךְ־בָּבֶ֗ל וְעִבְד֥וּ אֹת֛וֹ וְעַמּ֖וֹ וִֽחְיֽוּ׃ | 12 |
इन सब बातों के मुताबिक़ मैंने शाह — ए — यहूदाह सिदक़ियाह से कलाम किया और कहा कि “अपनी गर्दन शाह — ए — बाबुल के जूए तले रख कर उसकी और उसकी क़ौम की ख़िदमत करो और ज़िन्दा रहो।
לָ֤מָּה תָמ֙וּתוּ֙ אַתָּ֣ה וְעַמֶּ֔ךָ בַּחֶ֖רֶב בָּרָעָ֣ב וּבַדָּ֑בֶר֙ כַּֽאֲשֶׁר֙ דִּבֶּ֣ר יְהוָ֔ה אֶל־הַגּ֕וֹי אֲשֶׁ֥ר לֹֽא־יַעֲבֹ֖ד אֶת־מֶ֥לֶךְ בָּבֶֽל׃ | 13 |
तू और तेरे लोग तलवार और काल और वबा से क्यूँ मरोगे, जैसा कि ख़ुदावन्द ने उस क़ौम के बारे में फ़रमाया है, जो शाह — ए — बाबुल की ख़िदमत न करेगी?
וְאַֽל־תִּשְׁמְע֞וּ אֶל־דִּבְרֵ֣י הַנְּבִאִ֗ים הָאֹמְרִ֤ים אֲלֵיכֶם֙ לֵאמֹ֔ר לֹ֥א תַעַבְד֖וּ אֶת־מֶ֣לֶךְ בָּבֶ֑ל כִּ֣י שֶׁ֔קֶר הֵ֖ם נִבְּאִ֥ים לָכֶֽם׃ | 14 |
और उन नबियों की बातें न सुनो, जो तुम से कहते हैं कि तुम शाह — ए — बाबुल की ख़िदमत न करोगे; क्यूँकि वह तुम से झूटी नबुव्वत करते हैं।
כִּ֣י לֹ֤א שְׁלַחְתִּים֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה וְהֵ֛ם נִבְּאִ֥ים בִּשְׁמִ֖י לַשָּׁ֑קֶר לְמַ֨עַן הַדִּיחִ֤י אֶתְכֶם֙ וַאֲבַדְתֶּ֔ם אַתֶּ֕ם וְהַנְּבִאִ֖ים הַֽנִּבְּאִ֥ים לָכֶֽם׃ | 15 |
क्यूँकि ख़ुदावन्द फ़रमाता है मैंने उनकों नहीं भेजा, लेकिन वह मेरा नाम लेकर झूटी नबुव्वत करते हैं; ताकि मैं तुम को निकाल दूँ और तुम उन नबियों के साथ जो तुम से नबुव्वत करते हैं हलाक हो जाओ।”
וְאֶל־הַכֹּהֲנִים֩ וְאֶל־כָּל־הָעָ֨ם הַזֶּ֜ה דִּבַּ֣רְתִּי לֵאמֹ֗ר כֹּה֮ אָמַ֣ר יְהוָה֒ אַֽל־תִּשְׁמְע֞וּ אֶל־דִּבְרֵ֣י נְבִֽיאֵיכֶ֗ם הַֽנִּבְּאִ֤ים לָכֶם֙ לֵאמֹ֔ר הִנֵּ֨ה כְלֵ֧י בֵית־יְהוָ֛ה מוּשָׁבִ֥ים מִבָּבֶ֖לָה עַתָּ֣ה מְהֵרָ֑ה כִּ֣י שֶׁ֔קֶר הֵ֖מָּה נִבְּאִ֥ים לָכֶֽם׃ | 16 |
मैंने काहिनों से और उन सब लोगों से भी मुख़ातिब होकर कहा, ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है: अपने नबियों की बातें न सुनो, जो तुम से नबुव्वत करते और कहते हैं कि 'देखो, ख़ुदावन्द के घर के बर्तन अब थोड़ी ही देर में बाबुल से वापस आ जाएँगे, क्यूँकि वह तुम से झूटी नबुव्वत करते हैं।
אַל־תִּשְׁמְע֣וּ אֲלֵיהֶ֔ם עִבְד֥וּ אֶת־מֶֽלֶךְ־בָּבֶ֖ל וִֽחְי֑וּ לָ֧מָּה תִֽהְיֶ֛ה הָעִ֥יר הַזֹּ֖את חָרְבָּֽה׃ | 17 |
उनकी न सुनो, शाह — ए — बाबुल की ख़िदमतगुज़ारी करो और ज़िन्दा रहो; यह शहर क्यूँ वीरान हो?
וְאִם־נְבִאִ֣ים הֵ֔ם וְאִם־יֵ֥שׁ דְּבַר־יְהוָ֖ה אִתָּ֑ם יִפְגְּעוּ־נָא֙ בַּֽיהוָ֣ה צְבָא֔וֹת לְבִלְתִּי־בֹ֜אוּ הַכֵּלִ֣ים ׀ הַנּוֹתָרִ֣ים בְּבֵית־יְהוָ֗ה וּבֵ֨ית מֶ֧לֶךְ יְהוּדָ֛ה וּבִירוּשָׁלִַ֖ם בָּבֶֽלָה׃ פ | 18 |
लेकिन अगर वह नबी हैं, और ख़ुदावन्द का कलाम उनकी अमानत में है, तो वह रब्ब — उल — अफ़वाज से शफ़ा'अत करें, ताकि वह बर्तन जो ख़ुदावन्द के घर में और शाह — ए — यहूदाह के घर में और येरूशलेम में बाक़ी हैं, बाबुल को न जाएँ।
כִּ֣י כֹ֤ה אָמַר֙ יְהוָ֣ה צְבָא֔וֹת אֶל־הָֽעַמֻּדִ֔ים וְעַל־הַיָּ֖ם וְעַל־הַמְּכֹנ֑וֹת וְעַל֙ יֶ֣תֶר הַכֵּלִ֔ים הַנּוֹתָרִ֖ים בָּעִ֥יר הַזֹּֽאת׃ | 19 |
क्यूँकि सुतूनों के बारे में और बड़े हौज़ और कुर्सियों और बर्तनों के बारे में जो इस शहर में बाक़ी हैं, रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है,
אֲשֶׁ֣ר לֹֽא־לְקָחָ֗ם נְבֽוּכַדְנֶאצַּר֙ מֶ֣לֶךְ בָּבֶ֔ל בַּ֠גְלוֹתוֹ אֶת־יְכֹנְיָ֨ה בֶן־יְהוֹיָקִ֧ים מֶֽלֶךְ־יְהוּדָ֛ה מִירֽוּשָׁלִַ֖ם בָּבֶ֑לָה וְאֵ֛ת כָּל־חֹרֵ֥י יְהוּדָ֖ה וִירוּשָׁלִָֽם׃ ס | 20 |
या'नी जिनको शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र नहीं ले गया, जब वह यहूदाह के बादशाह यकूनियाह — बिन — यहूयक़ीम को येरूशलेम से, और यहूदाह और येरूशलेम के सब शुरफ़ा को ग़ुलाम करके बाबुल को ले गया;
כִּ֣י כֹ֥ה אָמַ֛ר יְהוָ֥ה צְבָא֖וֹת אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל עַל־הַכֵּלִ֗ים הַנּֽוֹתָרִים֙ בֵּ֣ית יְהוָ֔ה וּבֵ֥ית מֶֽלֶךְ־יְהוּדָ֖ה וִירוּשָׁלִָֽם׃ | 21 |
हाँ, रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल का ख़ुदा, उन बर्तनों के बारे में जो ख़ुदावन्द के घर में और शाह — ए — यहूदाह के महल में और येरूशलेम में बाक़ी हैं, यूँ फ़रमाता है
בָּבֶ֥לָה יוּבָ֖אוּ וְשָׁ֣מָּה יִֽהְי֑וּ עַ֠ד י֣וֹם פָּקְדִ֤י אֹתָם֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה וְהַֽעֲלִיתִים֙ וַהֲשִׁ֣יבֹתִ֔ים אֶל־הַמָּק֖וֹם הַזֶּֽה׃ פ | 22 |
कि वह बाबुल में पहुँचाए जाएँगे; और उस दिन तक कि मैं उनको याद फ़रमाऊँ वहाँ रहेंगे, ख़ुदावन्द फ़रमाता है उस वक़्त मैं उनको उठा लाऊँगा और फिर इस मकान में रख दूँगा।