< יִרְמְיָהוּ 21 >
הַדָּבָ֛ר אֲשֶׁר־הָיָ֥ה אֶֽל־יִרְמְיָ֖הוּ מֵאֵ֣ת יְהוָ֑ה בִּשְׁלֹ֨חַ אֵלָ֜יו הַמֶּ֣לֶךְ צִדְקִיָּ֗הוּ אֶת־פַּשְׁחוּר֙ בֶּן־מַלְכִּיָּ֔ה וְאֶת־צְפַנְיָ֧ה בֶן־מַעֲשֵׂיָ֛ה הַכֹּהֵ֖ן לֵאמֹֽר׃ | 1 |
वह कलाम जो ख़ुदावन्द की तरफ़ से यरमियाह पर नाज़िल हुआ, जब सिदक़ियाह बादशाह ने फ़शहूर — बिन — मलकियाह और सफ़नियाह — बिन — मासियाह काहिन को उसके पास ये कहने को भेजा,
דְּרָשׁ־נָ֤א בַעֲדֵ֙נוּ֙ אֶת־יְהוָ֔ה כִּ֛י נְבוּכַדְרֶאצַּ֥ר מֶֽלֶךְ־בָּבֶ֖ל נִלְחָ֣ם עָלֵ֑ינוּ אוּלַי֩ יַעֲשֶׂ֨ה יְהוָ֤ה אוֹתָ֙נוּ֙ כְּכָל־נִפְלְאֹתָ֔יו וְיַעֲלֶ֖ה מֵעָלֵֽינוּ׃ ס | 2 |
कि “हमारी ख़ातिर ख़ुदावन्द से दरियाफ़्त कर क्यूँकि शाहे — ए — बाबुल नबूकदनज़र हमारे साथ लड़ाई करता है; शायद ख़ुदावन्द हम से अपने तमाम 'अजीब कामों के मुवाफ़िक़ ऐसा सुलूक करे कि वह हमारे पास से चला जाए।”
וַיֹּ֥אמֶר יִרְמְיָ֖הוּ אֲלֵיהֶ֑ם כֹּ֥ה תֹאמְרֻ֖ן אֶל־צִדְקִיָּֽהוּ׃ | 3 |
तब यरमियाह ने उनसे कहा, तुम सिदक़ियाह से यूँ कहना,
כֹּֽה־אָמַ֨ר יְהוָ֜ה אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֗ל הִנְנִ֣י מֵסֵב֮ אֶת־כְּלֵ֣י הַמִּלְחָמָה֮ אֲשֶׁ֣ר בְּיֶדְכֶם֒ אֲשֶׁ֨ר אַתֶּ֜ם נִלְחָמִ֣ים בָּ֗ם אֶת־מֶ֤לֶךְ בָּבֶל֙ וְאֶת־הַכַּשְׂדִּ֔ים הַצָּרִ֣ים עֲלֵיכֶ֔ם מִח֖וּץ לַֽחוֹמָ֑ה וְאָסַפְתִּ֣י אוֹתָ֔ם אֶל־תּ֖וֹךְ הָעִ֥יר הַזֹּֽאת׃ | 4 |
कि 'ख़ुदावन्द, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है कि: देख, मैं लड़ाई के हथियारों को जो तुम्हारे हाथ में हैं, जिनसे तुम शाह — ए — बाबुल और कसदियों के ख़िलाफ़ जो फ़सील के बाहर तुम्हारा घिराव किए हुए हैं लड़ते हो फेर दूँगा और मैं उनको इस शहर के बीच में इकट्ठे करूँगा;
וְנִלְחַמְתִּ֤י אֲנִי֙ אִתְּכֶ֔ם בְּיָ֥ד נְטוּיָ֖ה וּבִזְר֣וֹעַ חֲזָקָ֑ה וּבְאַ֥ף וּבְחֵמָ֖ה וּבְקֶ֥צֶף גָּדֽוֹל׃ | 5 |
और मैं आप अपने बढ़ाए हुए हाथ से और क़ुव्वत — ए — बाज़ू से तुम्हारे ख़िलाफ़ लड़ूँगा, हाँ, क़हर — ओ — ग़ज़ब से बल्कि ग़ज़बनाक ग़ुस्से से।
וְהִכֵּיתִ֗י אֶת־יֽוֹשְׁבֵי֙ הָעִ֣יר הַזֹּ֔את וְאֶת־הָאָדָ֖ם וְאֶת־הַבְּהֵמָ֑ה בְּדֶ֥בֶר גָּד֖וֹל יָמֻֽתוּ׃ | 6 |
और मैं इस शहर के बाशिन्दों को, इंसान और हैवान दोनों को मारूँगा, वह बड़ी वबा से फ़ना हो जाएँगे।
וְאַחֲרֵי־כֵ֣ן נְאֻם־יְהוָ֡ה אֶתֵּ֣ן אֶת־צִדְקִיָּ֣הוּ מֶֽלֶךְ־יְהוּדָ֣ה וְאֶת־עֲבָדָ֣יו ׀ וְאֶת־הָעָ֡ם וְאֶת־הַנִּשְׁאָרִים֩ בָּעִ֨יר הַזֹּ֜את מִן־הַדֶּ֣בֶר ׀ מִן־הַחֶ֣רֶב וּמִן־הָרָעָ֗ב בְּיַד֙ נְבוּכַדְרֶאצַּ֣ר מֶֽלֶךְ־בָּבֶ֔ל וּבְיַד֙ אֹֽיְבֵיהֶ֔ם וּבְיַ֖ד מְבַקְשֵׁ֣י נַפְשָׁ֑ם וְהִכָּ֣ם לְפִי־חֶ֔רֶב לֹֽא־יָח֣וּס עֲלֵיהֶ֔ם וְלֹ֥א יַחְמֹ֖ל וְלֹ֥א יְרַחֵֽם׃ | 7 |
और ख़ुदावन्द फ़रमाता है, फिर मैं शाह — ए — यहूदाह सिदक़ियाह को और उसके मुलाज़िमों और 'आम लोगों को, जो इस शहर में वबा और तलवार और काल से बच जाएँगे, शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र और उनके मुख़ालिफ़ों और जानी दुश्मनों के हवाले करूँगा। और वह उनको हलाक करेगा; न उनको छोड़ेगा, न उन पर तरस खाएगा और न रहम करेगा।
וְאֶל־הָעָ֤ם הַזֶּה֙ תֹּאמַ֔ר כֹּ֖ה אָמַ֣ר יְהוָ֑ה הִנְנִ֤י נֹתֵן֙ לִפְנֵיכֶ֔ם אֶת־דֶּ֥רֶךְ הַחַיִּ֖ים וְאֶת־דֶּ֥רֶךְ הַמָּֽוֶת׃ | 8 |
'और तू इन लोगों से कहना ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि: देखो, मैं तुम को हयात की राह और मौत की राह दिखाता हूँ।
הַיֹּשֵׁב֙ בָּעִ֣יר הַזֹּ֔את יָמ֕וּת בַּחֶ֖רֶב וּבָרָעָ֣ב וּבַדָּ֑בֶר וְהַיּוֹצֵא֩ וְנָפַ֨ל עַל־הַכַּשְׂדִּ֜ים הַצָּרִ֤ים עֲלֵיכֶם֙ וְחָיָ֔ה וְהָֽיְתָה־לּ֥וֹ נַפְשׁ֖וֹ לְשָׁלָֽל׃ | 9 |
जो कोई इस शहर में रहेगा, वह तलवार और काल और वबा से मरेगा, लेकिन जो निकलकर कसदियों में जो तुम को घेरे हुए हैं, चला जाएगा, वह जिएगा और उसकी जान उसके लिए ग़नीमत होगी।
כִּ֣י שַׂ֣מְתִּי פָ֠נַי בָּעִ֨יר הַזֹּ֧את לְרָעָ֛ה וְלֹ֥א לְטוֹבָ֖ה נְאֻם־יְהוָ֑ה בְּיַד־מֶ֤לֶךְ בָּבֶל֙ תִּנָּתֵ֔ן וּשְׂרָפָ֖הּ בָּאֵֽשׁ׃ ס | 10 |
क्यूँकि मैंने इस शहर का रुख़ किया है कि इससे बुराई करूँ, और भलाई न करूँ, ख़ुदावन्द फ़रमाता है; वह शाह — ए — बाबुल के हवाले किया जाएगा और वह उसे आग से जलाएगा।
וּלְבֵית֙ מֶ֣לֶךְ יְהוּדָ֔ה שִׁמְע֖וּ דְּבַר־יְהוָֽה׃ | 11 |
'और शाह — ए — यहूदाह के ख़ान्दान के बारे में ख़ुदावन्द का कलाम सुनो,
בֵּ֣ית דָּוִ֗ד כֹּ֚ה אָמַ֣ר יְהוָ֔ה דִּ֤ינוּ לַבֹּ֙קֶר֙ מִשְׁפָּ֔ט וְהַצִּ֥ילוּ גָז֖וּל מִיַּ֣ד עוֹשֵׁ֑ק פֶּן־תֵּצֵ֨א כָאֵ֜שׁ חֲמָתִ֗י וּבָעֲרָה֙ וְאֵ֣ין מְכַבֶּ֔ה מִפְּנֵ֖י רֹ֥עַ מַעַלְלֵיכֶֽם׃ | 12 |
'ऐ दाऊद के घराने! ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि: तुम सवेरे उठ कर इन्साफ़ करो और मज़लूम को ज़ालिम के हाथ से छुड़ाओ, ऐसा तुम्हारे कामों की बुराई की वजह से मेरा क़हर आग की तरह भड़के, और ऐसा तेज़ हो कि कोई उसे ठंडा न कर सके।
הִנְנִ֨י אֵלַ֜יִךְ יֹשֶׁ֧בֶת הָעֵ֛מֶק צ֥וּר הַמִּישֹׁ֖ר נְאֻם־יְהוָ֑ה הָאֹֽמְרִים֙ מִֽי־יֵחַ֣ת עָלֵ֔ינוּ וּמִ֥י יָב֖וֹא בִּמְעוֹנוֹתֵֽינוּ׃ | 13 |
ऐ वादी की बसनेवाली, ऐ मैदान की चट्टान पर रहने वाली, जो कहती है कि कौन हम पर हमला करेगा? या हमारे घरों में कौन आ घुसेगा?' ख़ुदावन्द फ़रमाता है: मैं तेरा मुख़ालिफ़ हूँ,
וּפָקַדְתִּ֧י עֲלֵיכֶ֛ם כִּפְרִ֥י מַעַלְלֵיכֶ֖ם נְאֻם־יְהוָ֑ה וְהִצַּ֤תִּי אֵשׁ֙ בְּיַעְרָ֔הּ וְאָכְלָ֖ה כָּל־סְבִיבֶֽיהָ׃ ס | 14 |
और तुम्हारे कामों के फल के मुवाफ़िक़ मैं तुम को सज़ा दूँगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है, और मैं उसके बन में आग लगाऊँगा, जो उसके सारे 'इलाक़े को भसम करेगी।