< יִרְמְיָהוּ 11 >
הַדָּבָר֙ אֲשֶׁ֣ר הָיָ֣ה אֶֽל־יִרְמְיָ֔הוּ מֵאֵ֥ת יְהוָ֖ה לֵאמֹֽר׃ | 1 |
वह संदेश जो याहवेह द्वारा येरेमियाह के लिए प्रगट किया गया:
שִׁמְע֕וּ אֶת־דִּבְרֵ֖י הַבְּרִ֣ית הַזֹּ֑את וְדִבַּרְתָּם֙ אֶל־אִ֣ישׁ יְהוּדָ֔ה וְעַל־יֹשְׁבֵ֖י יְרוּשָׁלִָֽם׃ | 2 |
“इस वाचा के वचन पर ध्यान दो, और फिर जाकर यहूदिया तथा येरूशलेम के निवासियों के समक्ष इसकी बात करो.
וְאָמַרְתָּ֣ אֲלֵיהֶ֔ם כֹּֽה־אָמַ֥ר יְהוָ֖ה אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל אָר֣וּר הָאִ֔ישׁ אֲשֶׁר֙ לֹ֣א יִשְׁמַ֔ע אֶת־דִּבְרֵ֖י הַבְּרִ֥ית הַזֹּֽאת׃ | 3 |
उनसे कहना, याहवेह इस्राएल के परमेश्वर का संदेश यह है: ‘श्रापित है वह व्यक्ति जो इस वाचा की विषय-वस्तु की ओर ध्यान नहीं देता;
אֲשֶׁ֣ר צִוִּ֣יתִי אֶת־אֲבֽוֹתֵיכֶ֡ם בְּי֣וֹם הוֹצִיאִֽי־אוֹתָ֣ם מֵאֶֽרֶץ־מִצְרַיִם֩ מִכּ֨וּר הַבַּרְזֶ֜ל לֵאמֹ֗ר שִׁמְע֤וּ בְקוֹלִי֙ וַעֲשִׂיתֶ֣ם אוֹתָ֔ם כְּכֹ֥ל אֲשֶׁר־אֲצַוֶּ֖ה אֶתְכֶ֑ם וִהְיִ֤יתֶם לִי֙ לְעָ֔ם וְאָ֣נֹכִ֔י אֶהְיֶ֥ה לָכֶ֖ם לֵאלֹהִֽים׃ | 4 |
जिसका आदेश मैंने तुम्हारे पूर्वजों को उस समय दिया था, जब मैंने उन्हें मिस्र देश से लौह-भट्टी से यह कहते हुए निराश किया था. मेरे आदेश का पालन करो तथा मेरे आदेशों का आचरण करो, कि तुम मेरी प्रजा हो जाओ तथा मैं तुम्हारा परमेश्वर.
לְמַעַן֩ הָקִ֨ים אֶת־הַשְּׁבוּעָ֜ה אֲשֶׁר־נִשְׁבַּ֣עְתִּי לַאֲבֽוֹתֵיכֶ֗ם לָתֵ֤ת לָהֶם֙ אֶ֣רֶץ זָבַ֥ת חָלָ֛ב וּדְבַ֖שׁ כַּיּ֣וֹם הַזֶּ֑ה וָאַ֥עַן וָאֹמַ֖ר אָמֵ֥ן ׀ יְהוָֽה׃ ס | 5 |
कि मैं तुम्हारे पूर्वजों को एक देश प्रदान करने की शपथ पूर्ण करूं, जिस देश में दुग्ध एवं मधु धारा-सदृश विपुलता में प्रवाहित होते रहते हैं,’ जैसा कि यह वर्तमान में भी है.” यह सुन मैं कह उठा, “याहवेह, ऐसा ही होने दीजिए.”
וַיֹּ֤אמֶר יְהוָה֙ אֵלַ֔י קְרָ֨א אֶת־כָּל־הַדְּבָרִ֤ים הָאֵ֙לֶּה֙ בְּעָרֵ֣י יְהוּדָ֔ה וּבְחֻצ֥וֹת יְרוּשָׁלִַ֖ם לֵאמֹ֑ר שִׁמְע֗וּ אֶת־דִּבְרֵי֙ הַבְּרִ֣ית הַזֹּ֔את וַעֲשִׂיתֶ֖ם אוֹתָֽם׃ | 6 |
याहवेह ने मुझे उत्तर दिया, “यहूदिया के नगरों में तथा येरूशलेम की गलियों में इस वचन की वाणी करो: ‘इस वाचा के वचन को सुनो तथा उसका अनुकरण करो.
כִּי֩ הָעֵ֨ד הַעִדֹ֜תִי בַּאֲבֽוֹתֵיכֶ֗ם בְּיוֹם֩ הַעֲלוֹתִ֨י אוֹתָ֜ם מֵאֶ֤רֶץ מִצְרַ֙יִם֙ וְעַד־הַיּ֣וֹם הַזֶּ֔ה הַשְׁכֵּ֥ם וְהָעֵ֖ד לֵאמֹ֑ר שִׁמְע֖וּ בְּקוֹלִֽי׃ | 7 |
क्योंकि मैंने तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र देश से बाहर लाते समय उन्हें गंभीर चेतावनी दी थी, आज भी मैं उन्हें आग्रही चेतावनी दे रहा हूं, “मेरे आदेश सुनो.”
וְלֹ֤א שָֽׁמְעוּ֙ וְלֹֽא־הִטּ֣וּ אֶת־אָזְנָ֔ם וַיֵּ֣לְכ֔וּ אִ֕ישׁ בִּשְׁרִיר֖וּת לִבָּ֣ם הָרָ֑ע וָאָבִ֨יא עֲלֵיהֶ֜ם אֶֽת־כָּל־דִּבְרֵ֧י הַבְּרִית־הַזֹּ֛את אֲשֶׁר־צִוִּ֥יתִי לַעֲשׂ֖וֹת וְלֹ֥א עָשֽׂוּ׃ ס | 8 |
फिर भी न तो उन्होंने मेरे आदेश का पालन किया और न ही उन पर ध्यान देना उपयुक्त समझा; बल्कि, उनमें से हर एक अपने कुटिल हृदय की हठीली उत्प्रेरणा में मनमानी करता रहा. जब उन्होंने मेरे इन आदेशों का पालन नहीं किया, मैंने वाचा में बताए सारे शाप उन पर अधीन कर दिए.’”
וַיֹּ֥אמֶר יְהוָ֖ה אֵלָ֑י נִֽמְצָא־קֶ֙שֶׁר֙ בְּאִ֣ישׁ יְהוּדָ֔ה וּבְיֹשְׁבֵ֖י יְרוּשָׁלִָֽם׃ | 9 |
तब याहवेह ने मुझ पर प्रकट किया, “यहूदिया की प्रजा में तथा येरूशलेम वासियों में एक षड़्यंत्र का भेद खुला है.
שָׁ֩בוּ֩ עַל־עֲוֹנֹ֨ת אֲבוֹתָ֜ם הָרִֽאשֹׁנִ֗ים אֲשֶׁ֤ר מֵֽאֲנוּ֙ לִשְׁמ֣וֹעַ אֶת־דְּבָרַ֔י וְהֵ֣מָּה הָלְכ֗וּ אַחֲרֵ֛י אֱלֹהִ֥ים אֲחֵרִ֖ים לְעָבְדָ֑ם הֵפֵ֤רוּ בֵֽית־יִשְׂרָאֵל֙ וּבֵ֣ית יְהוּדָ֔ה אֶת־בְּרִיתִ֕י אֲשֶׁ֥ר כָּרַ֖תִּי אֶת־אֲבוֹתָֽם׃ ס | 10 |
वे अपने उन्हीं पूर्वजों के अधर्म में लौट चुके हैं, जिन्होंने मेरे आदेशों का पालन करना अस्वीकार कर दिया था और वे परकीय देवताओं की उपासना करने लगे. इस्राएल वंशज तथा यहूदाह गोत्रजों ने मेरी वह वाचा भंग कर दी है, जो मैंने उनके पूर्वजों के साथ स्थापित की थी.
לָכֵ֗ן כֹּ֚ה אָמַ֣ר יְהוָ֔ה הִנְנִ֨י מֵבִ֤יא אֲלֵיהֶם֙ רָעָ֔ה אֲשֶׁ֥ר לֹֽא־יוּכְל֖וּ לָצֵ֣את מִמֶּ֑נָּה וְזָעֲק֣וּ אֵלַ֔י וְלֹ֥א אֶשְׁמַ֖ע אֲלֵיהֶֽם׃ | 11 |
इसलिये यह याहवेह की वाणी है: ‘यह देखना कि मैं उन पर ऐसी विपत्ति लाने पर हूं जिससे उनका बच निकलना असंभव होगा, यद्यपि वे मेरी ओर गिड़गिड़ाने लगें.
וְהָֽלְכ֞וּ עָרֵ֣י יְהוּדָ֗ה וְיֹשְׁבֵי֙ יְר֣וּשָׁלִַ֔ם וְזָֽעֲקוּ֙ אֶל־הָ֣אֱלֹהִ֔ים אֲשֶׁ֛ר הֵ֥ם מְקַטְּרִ֖ים לָהֶ֑ם וְהוֹשֵׁ֛עַ לֹֽא־יוֹשִׁ֥יעוּ לָהֶ֖ם בְּעֵ֥ת רָעָתָֽם׃ | 12 |
जिनकी उपासना में वे धूप जलाया करते हैं, किंतु उनकी विपत्ति के समय वे निश्चयतः उनकी रक्षा न कर सकेंगे.
כִּ֚י מִסְפַּ֣ר עָרֶ֔יךָ הָי֥וּ אֱלֹהֶ֖יךָ יְהוּדָ֑ה וּמִסְפַּ֞ר חֻצ֣וֹת יְרוּשָׁלִַ֗ם שַׂמְתֶּ֤ם מִזְבְּחוֹת֙ לַבֹּ֔שֶׁת מִזְבְּח֖וֹת לְקַטֵּ֥ר לַבָּֽעַל׃ ס | 13 |
क्योंकि यहूदिया, तुम्हारे इन देवताओं की संख्या उतनी ही है; जितनी तुम्हारे नगरों की तथा उस घृणित कार्य के लिए उतनी ही वेदियां हैं—वे वेदियां जिन पर तुम बाल के लिए धूप जलाते हो—जितनी येरूशलेम की गलियां.’
וְאַתָּ֗ה אַל־תִּתְפַּלֵּל֙ בְּעַד־הָעָ֣ם הַזֶּ֔ה וְאַל־תִּשָּׂ֥א בַעֲדָ֖ם רִנָּ֣ה וּתְפִלָּ֑ה כִּ֣י אֵינֶ֣נִּי שֹׁמֵ֗עַ בְּעֵ֛ת קָרְאָ֥ם אֵלַ֖י בְּעַ֥ד רָעָתָֽם׃ ס | 14 |
“इसलिये इन लोगों के लिए प्रार्थना मत करो और न उनके लिए मध्यस्थ होकर बिनती करो, क्योंकि जब वे अपने संकट के अवसर पर मेरे पास गिड़गिड़ाने लगे फिर भी मैं उनकी न सुनूंगा.
מֶ֣ה לִֽידִידִ֞י בְּבֵיתִ֗י עֲשׂוֹתָ֤הּ הַֽמְזִמָּ֙תָה֙ הָֽרַבִּ֔ים וּבְשַׂר־קֹ֖דֶשׁ יַעַבְר֣וּ מֵֽעָלָ֑יִךְ כִּ֥י רָעָתֵ֖כִי אָ֥ז תַּעֲלֹֽזִי׃ | 15 |
“अब मेरी प्रिया का मेरे परिवार में क्या स्थान रह गया है जब वह अनेक कुकर्म कर चुकी है? क्या तुम्हारे द्वारा अर्पित की गई बलि तुमसे तुम्हारी विपत्ति दूर कर देगी, कि तुम आनंद मना सको?”
זַ֤יִת רַֽעֲנָן֙ יְפֵ֣ה פְרִי־תֹ֔אַר קָרָ֥א יְהוָ֖ה שְׁמֵ֑ךְ לְק֣וֹל ׀ הֲמוּלָּ֣ה גְדֹלָ֗ה הִצִּ֥ית אֵשׁ֙ עָלֶ֔יהָ וְרָע֖וּ דָּלִיּוֹתָֽיו׃ | 16 |
याहवेह ने तुम्हें नाम दिया था सुंदर आकार तथा मनोरम फल से युक्त हरा जैतून वृक्ष. किंतु अशांति की उच्च ध्वनि के साथ याहवेह ने इसमें आग लगा दी है, अब इसकी शाखाएं किसी योग्य न रहीं.
וַיהוָ֤ה צְבָאוֹת֙ הַנּוֹטֵ֣עַ אוֹתָ֔ךְ דִּבֶּ֥ר עָלַ֖יִךְ רָעָ֑ה בִּ֠גְלַל רָעַ֨ת בֵּֽית־יִשְׂרָאֵ֜ל וּבֵ֣ית יְהוּדָ֗ה אֲשֶׁ֨ר עָשׂ֥וּ לָהֶ֛ם לְהַכְעִסֵ֖נִי לְקַטֵּ֥ר לַבָּֽעַל׃ ס | 17 |
सेनाओं के याहवेह ने, जिन्होंने तुम्हें रोपित किया, इस्राएल वंश तथा यहूदाह के वंश के द्वारा किए गए संकट के कारण तुम पर संकट का उच्चारण किया है. यह उन्होंने बाल को धूप जलाने के द्वारा मेरे कोप को भड़काने के लिए यह किया है.
וַֽיהוָ֥ה הֽוֹדִיעַ֖נִי וָֽאֵדָ֑עָה אָ֖ז הִרְאִיתַ֥נִי מַעַלְלֵיהֶֽם׃ | 18 |
इसके सिवा याहवेह ने मुझ पर यह प्रकट किया, इसलिये मुझे इसका ज्ञान मिल गया, तब याहवेह आपने मुझ पर उनके कृत्य प्रकाशित किए.
וַאֲנִ֕י כְּכֶ֥בֶשׂ אַלּ֖וּף יוּבַ֣ל לִטְב֑וֹחַ וְלֹֽא־יָדַ֜עְתִּי כִּֽי־עָלַ֣י ׀ חָשְׁב֣וּ מַחֲשָׁב֗וֹת נַשְׁחִ֨יתָה עֵ֤ץ בְּלַחְמוֹ֙ וְנִכְרְתֶ֙נּוּ֙ מֵאֶ֣רֶץ חַיִּ֔ים וּשְׁמ֖וֹ לֹֽא־יִזָּכֵ֥ר עֽוֹד׃ | 19 |
मुझे यह बोध ही न था कि वे मेरे विरुद्ध षड़्यंत्र रच रहें हैं; मेरी स्थिति वैसी ही थी जैसी वध के लिए ले जाए जा रहे मेमने की होती है, वे परस्पर परामर्श कर रहे हैं, “चलो, हम इस वृक्ष को इसके फलों सहित नष्ट कर दें; हम इसे जीव-लोक से ही मिटा दें, कि उसके नाम का ही उल्लेख पुनः न हो सके.”
וַֽיהוָ֤ה צְבָאוֹת֙ שֹׁפֵ֣ט צֶ֔דֶק בֹּחֵ֥ן כְּלָי֖וֹת וָלֵ֑ב אֶרְאֶ֤ה נִקְמָֽתְךָ֙ מֵהֶ֔ם כִּ֥י אֵלֶ֖יךָ גִּלִּ֥יתִי אֶת־רִיבִֽי׃ ס | 20 |
सेनाओं के याहवेह, आप वह हैं, जो नीतिपूर्ण निर्णय देते हैं आप जो भावनाओं तथा हृदय को परखते रहते हैं, मुझे उन पर आपके बदले को देखने का सुअवसर प्रदान कीजिए, क्योंकि अपनी समस्या मैंने आप ही को सौंप दी है.
לָכֵ֗ן כֹּֽה־אָמַ֤ר יְהוָה֙ עַל־אַנְשֵׁ֣י עֲנָת֔וֹת הַֽמְבַקְשִׁ֥ים אֶֽת־נַפְשְׁךָ֖ לֵאמֹ֑ר לֹ֤א תִנָּבֵא֙ בְּשֵׁ֣ם יְהוָ֔ה וְלֹ֥א תָמ֖וּת בְּיָדֵֽנוּ׃ ס | 21 |
इसलिये अनाथोथ के उन व्यक्तियों के संबंध में जो तुम्हारे प्राण लेने को तैयार हैं, जिन्होंने तुम्हें यह धमकी दी है, “याहवेह के नाम में कोई भविष्यवाणी न करना, कि तुम हमारे द्वारा वध किए न जाओ”—
לָכֵ֗ן כֹּ֤ה אָמַר֙ יְהוָ֣ה צְבָא֔וֹת הִנְנִ֥י פֹקֵ֖ד עֲלֵיהֶ֑ם הַבַּֽחוּרִים֙ יָמֻ֣תוּ בַחֶ֔רֶב בְּנֵיהֶם֙ וּבְנ֣וֹתֵיהֶ֔ם יָמֻ֖תוּ בָּרָעָֽב׃ | 22 |
इसलिये सेनाओं के याहवेह की वाणी यह है: “यह देखना कि मैं उन्हें दंड देने पर हूं! जवान पुरुष तलवार से घात किए जाएंगे, उनकी संतान की मृत्यु लड़ाई में हो जाएगी.
וּשְׁאֵרִ֕ית לֹ֥א תִֽהְיֶ֖ה לָהֶ֑ם כִּֽי־אָבִ֥יא רָעָ֛ה אֶל־אַנְשֵׁ֥י עֲנָת֖וֹת שְׁנַ֥ת פְּקֻדָּתָֽם׃ ס | 23 |
उनके कोई भी लोग न रहेंगे, क्योंकि मैं अनाथोथ की प्रजा पर विनाश लेकर आ रहा हूं, यह उनके लिए दंड का वर्ष होगा.”