< יְשַׁעְיָהוּ 57 >
הַצַּדִּ֣יק אָבָ֔ד וְאֵ֥ין אִ֖ישׁ שָׂ֣ם עַל־לֵ֑ב וְאַנְשֵׁי־חֶ֤סֶד נֶֽאֱסָפִים֙ בְּאֵ֣ין מֵבִ֔ין כִּֽי־מִפְּנֵ֥י הָרָעָ֖ה נֶאֱסַ֥ף הַצַּדִּֽיק׃ | 1 |
धर्मी व्यक्ति नाश होते हैं, और कोई इस बात की चिंता नहीं करता; भक्त उठा लिये जाते हैं, परंतु कोई नहीं सोचता. धर्मी जन आनेवाली परेशानी से बचने के लिये उठा लिये जाते हैं.
יָב֣וֹא שָׁל֔וֹם יָנ֖וּחוּ עַל־מִשְׁכְּבוֹתָ֑ם הֹלֵ֖ךְ נְכֹחֽוֹ׃ | 2 |
वे शांति पहचानते हैं, वे अपने बिछौने पर आराम पाते हैं; जो सीधी चाल चलते हैं.
וְאַתֶּ֥ם קִרְבוּ־הֵ֖נָּה בְּנֵ֣י עֹנְנָ֑ה זֶ֥רַע מְנָאֵ֖ף וַתִּזְנֶֽה׃ | 3 |
“परंतु हे जादूगरनी, व्यभिचारी और उसकी संतान यहां आओ!
עַל־מִי֙ תִּתְעַנָּ֔גוּ עַל־מִ֛י תַּרְחִ֥יבוּ פֶ֖ה תַּאֲרִ֣יכוּ לָשׁ֑וֹן הֲלֽוֹא־אַתֶּ֥ם יִלְדֵי־פֶ֖שַׁע זֶ֥רַע שָֽׁקֶר׃ | 4 |
तुम किस पर हंसते हो? किसके लिए तुम्हारा मुंह ऐसा खुल रहा है किस पर जीभ निकालते हो? क्या तुम अत्याचार व झूठ की संतान नहीं हो?
הַנֵּֽחָמִים֙ בָּֽאֵלִ֔ים תַּ֖חַת כָּל־עֵ֣ץ רַעֲנָ֑ן שֹׁחֲטֵ֤י הַיְלָדִים֙ בַּנְּחָלִ֔ים תַּ֖חַת סְעִפֵ֥י הַסְּלָעִֽים׃ | 5 |
सब हरे वृक्ष के नीचे कामातुर होते हो और नालों में तथा चट्टानों की गुफाओं में अपने बालकों का वध करते रहते हो.
בְּחַלְּקֵי־נַ֣חַל חֶלְקֵ֔ךְ הֵ֥ם הֵ֖ם גּוֹרָלֵ֑ךְ גַּם־לָהֶ֞ם שָׁפַ֥כְתְּ נֶ֙סֶךְ֙ הֶעֱלִ֣ית מִנְחָ֔ה הַ֥עַל אֵ֖לֶּה אֶנָּחֵֽם׃ | 6 |
तुम्हारा संबंध तो चट्टान के उन चिकने पत्थरों से है; वही तुम्हारा भाग और अंश है. तुम उन्हीं को अन्नबलि और पेय बलि चढ़ाते हो. क्या इन सबसे मेरा मन शांत हो जाएगा?
עַ֤ל הַר־גָּבֹ֙הַּ֙ וְנִשָּׂ֔א שַׂ֖מְתְּ מִשְׁכָּבֵ֑ךְ גַּם־שָׁ֥ם עָלִ֖ית לִזְבֹּ֥חַ זָֽבַח׃ | 7 |
ऊंचे पर्वत पर तुमने अपना बिछौना लगाया है; और तुमने वहीं जाकर बलि चढ़ाई है.
וְאַחַ֤ר הַדֶּ֙לֶת֙ וְהַמְּזוּזָ֔ה שַׂ֖מְתְּ זִכְרוֹנֵ֑ךְ כִּ֣י מֵאִתִּ֞י גִּלִּ֣ית וַֽתַּעֲלִ֗י הִרְחַ֤בְתְּ מִשְׁכָּבֵךְ֙ וַתִּכְרָת־לָ֣ךְ מֵהֶ֔ם אָהַ֥בְתְּ מִשְׁכָּבָ֖ם יָ֥ד חָזִֽית׃ | 8 |
द्वार तथा द्वार के चौखट के पीछे तुमने अपने अन्य देवताओं का चिन्ह बनाया है, तुमने अपने आपको मुझसे दूर कर लिया है. तुमने वहां अपनी देह दिखाई, तब तुमने अपने बिछौने के स्थान को बढ़ा लिया; तुमने उनके साथ अपने लिए एक संबंध बना लिया, तुम्हारे लिए उनका बिछौना प्रिय हो गया, और उनकी नग्न शरीरों पर आसक्ति से नज़र डाली!
וַתָּשֻׁ֤רִי לַמֶּ֙לֶךְ֙ בַּשֶּׁ֔מֶן וַתַּרְבִּ֖י רִקֻּחָ֑יִךְ וַתְּשַׁלְּחִ֤י צִרַ֙יךְ֙ עַד־מֵ֣רָחֹ֔ק וַתַּשְׁפִּ֖ילִי עַד־שְׁאֽוֹל׃ (Sheol ) | 9 |
राजा से मिलने के लिए तुमने यात्रा की तथा सुगंध द्रव्य से श्रृंगार कर उसे तेल भेंट किया. तुमने दूर देशों और अधोलोक में अपना दूत भेजा! (Sheol )
בְּרֹ֤ב דַּרְכֵּךְ֙ יָגַ֔עַתְּ לֹ֥א אָמַ֖רְתְּ נוֹאָ֑שׁ חַיַּ֤ת יָדֵךְ֙ מָצָ֔את עַל־כֵּ֖ן לֹ֥א חָלִֽית׃ | 10 |
तुम तो लंबे मार्ग के कारण थक चुके थे, फिर भी तुमने यह न कहा कि, ‘व्यर्थ ही है यह.’ तुममें नए बल का संचार हुआ, तब तुम थके नहीं.
וְאֶת־מִ֞י דָּאַ֤גְתְּ וַתִּֽירְאִי֙ כִּ֣י תְכַזֵּ֔בִי וְאוֹתִי֙ לֹ֣א זָכַ֔רְתְּ לֹא־שַׂ֖מְתְּ עַל־לִבֵּ֑ךְ הֲלֹ֨א אֲנִ֤י מַחְשֶׁה֙ וּמֵ֣עֹלָ֔ם וְאוֹתִ֖י לֹ֥א תִירָֽאִי׃ | 11 |
“कौन था वह जिससे तुम डरती थी जब तुमने मुझसे झूठ कहा, तथा मुझे भूल गई, तुमने तो मेरे बारे में सोचना ही छोड़ दिया था? क्या मैं बहुत समय तक चुप न रहा तुम इस कारण मेरा भय नहीं मानती?
אֲנִ֥י אַגִּ֖יד צִדְקָתֵ֑ךְ וְאֶֽת־מַעֲשַׂ֖יִךְ וְלֹ֥א יוֹעִילֽוּךְ׃ | 12 |
मैं तुम्हारे धर्म एवं कामों को बता दूंगा, लेकिन यह तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा.
בְּזַֽעֲקֵךְ֙ יַצִּילֻ֣ךְ קִבּוּצַ֔יִךְ וְאֶת־כֻּלָּ֥ם יִשָּׂא־ר֖וּחַ יִקַּח־הָ֑בֶל וְהַחוֹסֶ֥ה בִי֙ יִנְחַל־אֶ֔רֶץ וְיִירַ֖שׁ הַר־קָדְשִֽׁי׃ | 13 |
बुलाने पर, तुम्हारी मूर्तियां ही तुम्हारी रक्षा करें! किंतु होगा यह कि हवा उन्हें उड़ा ले जाएगी, केवल श्वास उन्हें दूर कर देगी. परंतु वे जो मुझ पर भरोसा रखते हैं, वह देश के अधिकारी होंगे, तथा वह मेरे पवित्र पर्वत का स्वामी हो जाएगा.”
וְאָמַ֥ר סֹֽלּוּ־סֹ֖לּוּ פַּנּוּ־דָ֑רֶךְ הָרִ֥ימוּ מִכְשׁ֖וֹל מִדֶּ֥רֶךְ עַמִּֽי׃ ס | 14 |
तब यह कहा जाएगा: “निर्माण करो, निर्माण करो, पांति बांधकर राजमार्ग बनाओ! हर एक रुकावट मेरी प्रजा के मार्ग से हटाई जाए.”
כִּי֩ כֹ֨ה אָמַ֜ר רָ֣ם וְנִשָּׂ֗א שֹׁכֵ֥ן עַד֙ וְקָד֣וֹשׁ שְׁמ֔וֹ מָר֥וֹם וְקָד֖וֹשׁ אֶשְׁכּ֑וֹן וְאֶת־דַּכָּא֙ וּשְׁפַל־ר֔וּחַ לְהַחֲיוֹת֙ ר֣וּחַ שְׁפָלִ֔ים וּֽלְהַחֲי֖וֹת לֵ֥ב נִדְכָּאִֽים׃ | 15 |
क्योंकि जो महान, उत्तम और सदा-सर्वदा जीवित रहते हैं— जिनका नाम ही पवित्र है, वे यों कहते हैं: “मैं ऊंचे एवं पवित्र स्थान में निवास करता हूं, और दुःखी तथा नम्र लोगों के साथ भी रहता हूं, ताकि मैं नम्र और दुःखी लोगों के मन को खुशी दूं.
כִּ֣י לֹ֤א לְעוֹלָם֙ אָרִ֔יב וְלֹ֥א לָנֶ֖צַח אֶקְּצ֑וֹף כִּי־ר֙וּחַ֙ מִלְּפָנַ֣י יַֽעֲט֔וֹף וּנְשָׁמ֖וֹת אֲנִ֥י עָשִֽׂיתִי׃ | 16 |
क्योंकि मैं सदा-सर्वदा वाद-विवाद करता न रहूंगा, न ही मैं सर्वदा रुठा रहूंगा, क्योंकि वे आत्माएं मेरी बनायी हुई हैं— और जीव मेरे सामने मूर्छित हो जाते हैं.
בַּעֲוֹ֥ן בִּצְע֛וֹ קָצַ֥פְתִּי וְאַכֵּ֖הוּ הַסְתֵּ֣ר וְאֶקְצֹ֑ף וַיֵּ֥לֶךְ שׁוֹבָ֖ב בְּדֶ֥רֶךְ לִבּֽוֹ׃ | 17 |
उसके लालच के कारण मैं उससे क्रोधित होकर; उसको दुःख दिया और मुंह छिपाया था, पर वह अपनी इच्छा से दूर चला गया था.
דְּרָכָ֥יו רָאִ֖יתִי וְאֶרְפָּאֵ֑הוּ וְאַנְחֵ֕הוּ וַאֲשַׁלֵּ֧ם נִֽחֻמִ֛ים ל֖וֹ וְלַאֲבֵלָֽיו׃ | 18 |
मैंने उसका चालचलन देखा है, फिर भी अब उसको चंगा करूंगा; मैं उसे ले चलूंगा तथा उसके शोक करनेवालों को शांति दूंगा,
בּוֹרֵ֖א נִ֣יב שְׂפָתָ֑יִם שָׁל֨וֹם ׀ שָׁל֜וֹם לָרָח֧וֹק וְלַקָּר֛וֹב אָמַ֥ר יְהוָ֖ה וּרְפָאתִֽיו׃ | 19 |
मैं उनके होंठों के फल का रचनेवाला हूं. जो दूर हैं उन्हें शांति, और पास हैं उन्हें भी मैं शांति दूंगा,” यह याहवेह का वचन है, “मैं उसे चंगा करूंगा.”
וְהָרְשָׁעִ֖ים כַּיָּ֣ם נִגְרָ֑שׁ כִּ֤י הַשְׁקֵט֙ לֹ֣א יוּכָ֔ל וַיִּגְרְשׁ֥וּ מֵימָ֖יו רֶ֥פֶשׁ וָטִֽיט׃ | 20 |
परंतु दुष्ट लहराते हुए सागर समान है, जो स्थिर रह ही नहीं सकता, उसकी तरंगें कचरे और कीचड़ को उछालती रहती हैं.
אֵ֣ין שָׁל֔וֹם אָמַ֥ר אֱלֹהַ֖י לָרְשָׁעִֽים׃ ס | 21 |
मेरे परमेश्वर का वचन है, “दुष्टों के लिए शांति नहीं.”