< יְשַׁעְיָהוּ 47 >
רְדִ֣י ׀ וּשְׁבִ֣י עַל־עָפָ֗ר בְּתוּלַת֙ בַּת־בָּבֶ֔ל שְׁבִי־לָאָ֥רֶץ אֵין־כִּסֵּ֖א בַּת־כַּשְׂדִּ֑ים כִּ֣י לֹ֤א תוֹסִ֙יפִי֙ יִקְרְאוּ־לָ֔ךְ רַכָּ֖ה וַעֲנֻגָּֽה׃ | 1 |
ऐ कुँवारी दूख़्तर — ए — बाबुल उतर आ और ख़ाक पर बैठ ऐ कसदियों की दुख़्तर, तू बे — तख़्त ज़मीन पर बैठ; क्यूँकि अब तू नर्म अन्दाम और नाज़नीन न कहलाएगी।
קְחִ֥י רֵחַ֖יִם וְטַ֣חֲנִי קָ֑מַח גַּלִּ֨י צַמָּתֵ֧ךְ חֶשְׂפִּי־שֹׁ֛בֶל גַּלִּי־שׁ֖וֹק עִבְרִ֥י נְהָרֽוֹת׃ | 2 |
चक्की ले और आटा पीस, अपना निक़ाब उतार और दामन समेट ले, टाँगे नंगी करके नदियों को पार कर।
תִּגָּל֙ עֶרְוָתֵ֔ךְ גַּ֥ם תֵּרָאֶ֖ה חֶרְפָּתֵ֑ךְ נָקָ֣ם אֶקָּ֔ח וְלֹ֥א אֶפְגַּ֖ע אָדָֽם׃ ס | 3 |
तेरा बदन बे — पर्दा किया जाएगा, बल्कि तेरा सत्र भी देखा जाएगा। मैं बदला लूँगा और किसी पर शफ़क़त न करूँगा।
גֹּאֲלֵ֕נוּ יְהוָ֥ה צְבָא֖וֹת שְׁמ֑וֹ קְד֖וֹשׁ יִשְׂרָאֵֽל׃ | 4 |
हमारा फ़िदिया देनेवाले का नाम रब्ब — उल — अफ़वाज या'नी इस्राईल का क़ुददूस है।
שְׁבִ֥י דוּמָ֛ם וּבֹ֥אִי בַחֹ֖שֶׁךְ בַּת־כַּשְׂדִּ֑ים כִּ֣י לֹ֤א תוֹסִ֙יפִי֙ יִקְרְאוּ־לָ֔ךְ גְּבֶ֖רֶת מַמְלָכֽוֹת׃ | 5 |
ऐ कसदियों की बेटी, चुप होकर बैठ और अन्धेरे में दाख़िल हो; क्यूँकि अब तू मम्लुकतों की ख़ातून न कहलाएगी।
קָצַ֣פְתִּי עַל־עַמִּ֗י חִלַּ֙לְתִּי֙ נַחֲלָתִ֔י וָאֶתְּנֵ֖ם בְּיָדֵ֑ךְ לֹא־שַׂ֤מְתְּ לָהֶם֙ רַחֲמִ֔ים עַל־זָקֵ֕ן הִכְבַּ֥דְתְּ עֻלֵּ֖ךְ מְאֹֽד׃ | 6 |
मैं अपने लोगों पर ग़ज़बनाक हुआ, मैंने अपनी मीरास को नापाक किया और उनको तेरे हाथ में सौंप दिया; तूने उन पर रहम न किया, तूने बूढ़ों पर भी अपना भारी जूआ रख्खा।
וַתֹּ֣אמְרִ֔י לְעוֹלָ֖ם אֶהְיֶ֣ה גְבָ֑רֶת עַ֣ד לֹא־שַׂ֥מְתְּ אֵ֙לֶּה֙ עַל־לִבֵּ֔ךְ לֹ֥א זָכַ֖רְתְּ אַחֲרִיתָֽהּ׃ ס | 7 |
और तूने कहा भी, कि मैं हमेशा तक ख़ातून बनी रहूँगी, इसलिए तूने अपने दिल में इन बातों का ख़याल न किया और इनके अन्जाम को न सोचा।
וְעַתָּ֞ה שִׁמְעִי־זֹ֤את עֲדִינָה֙ הַיּוֹשֶׁ֣בֶת לָבֶ֔טַח הָאֹֽמְרָה֙ בִּלְבָ֔בָהּ אֲנִ֖י וְאַפְסִ֣י ע֑וֹד לֹ֤א אֵשֵׁב֙ אַלְמָנָ֔ה וְלֹ֥א אֵדַ֖ע שְׁכֽוֹל׃ | 8 |
इसलिए अब ये बात सुन, ऐ तू जो 'इश्रत में ग़र्क है, जो बेपर्वा रहती है, जो अपने दिल में कहती है, कि मैं हूँ, और मेरे 'अलावाह कोई नहीं; मैं बेवा की तरह न बैठूँगी, और न बेऔलाद होने की हालत से वाक़िफ़ हूँगी;
וְתָבֹאנָה֩ לָּ֨ךְ שְׁתֵּי־אֵ֥לֶּה רֶ֛גַע בְּי֥וֹם אֶחָ֖ד שְׁכ֣וֹל וְאַלְמֹ֑ן כְּתֻמָּם֙ בָּ֣אוּ עָלַ֔יִךְ בְּרֹ֣ב כְּשָׁפַ֔יִךְ בְּעָצְמַ֥ת חֲבָרַ֖יִךְ מְאֹֽד׃ | 9 |
इसलिए अचानक एक ही दिन में ये दो मुसीबतें तुझ पर आ पड़ेंगी, या'नी तू बेऔलाद और बेवा हो जाएगी। तेरे जादू की इफ़रात और तेरे सहर की कसरत के बावजूद ये मुसीबतें पूरे तौर से तुझ पर आ पड़ेंगी।
וַתִּבְטְחִ֣י בְרָעָתֵ֗ךְ אָמַרְתְּ֙ אֵ֣ין רֹאָ֔נִי חָכְמָתֵ֥ךְ וְדַעְתֵּ֖ךְ הִ֣יא שׁוֹבְבָ֑תֶךְ וַתֹּאמְרִ֣י בְלִבֵּ֔ךְ אֲנִ֖י וְאַפְסִ֥י עֽוֹד׃ | 10 |
क्यूँकि तूने अपनी शरारत पर भरोसा किया, तूने कहा, मुझे कोई नहीं देखता; “तेरी हिकमत और तेरी अक़्ल ने तुझे बहकाया, और तूने अपने दिल में कहा, मैं ही हूँ। मेरे 'अलावाह और कोई नहीं।”
וּבָ֧א עָלַ֣יִךְ רָעָ֗ה לֹ֤א תֵדְעִי֙ שַׁחְרָ֔הּ וְתִפֹּ֤ל עָלַ֙יִךְ֙ הֹוָ֔ה לֹ֥א תוּכְלִ֖י כַּפְּרָ֑הּ וְתָבֹ֨א עָלַ֧יִךְ פִּתְאֹ֛ם שׁוֹאָ֖ה לֹ֥א תֵדָֽעִי׃ | 11 |
इसलिए तुझ पर मुसीबत आ पड़ेगी जिसका मंतर तू नहीं जानती, और ऐसी बला तुझ पर नाज़िल होगी जिसको तू दूर न कर सकेगी; यकायक तबाही तुझ पर आएगी जिसकी तुझ को कुछ ख़बर नहीं।
עִמְדִי־נָ֤א בַחֲבָרַ֙יִךְ֙ וּבְרֹ֣ב כְּשָׁפַ֔יִךְ בַּאֲשֶׁ֥ר יָגַ֖עַתְּ מִנְּעוּרָ֑יִךְ אוּלַ֛י תּוּכְלִ֥י הוֹעִ֖יל אוּלַ֥י תַּעֲרֽוֹצִי׃ | 12 |
अब अपना जादू और अपना सारा सेहर, जिसकी तूने बचपन ही से मश्क कर रख्खी है इस्ते'माल कर; शायद तू उनसे नफ़ा' पाए, शायद तू ग़ालिब आए।
נִלְאֵ֖ית בְּרֹ֣ב עֲצָתָ֑יִךְ יַעַמְדוּ־נָ֨א וְיוֹשִׁיעֻ֜ךְ הֹבְרֵ֣י שָׁמַ֗יִם הַֽחֹזִים֙ בַּכּ֣וֹכָבִ֔ים מֽוֹדִיעִם֙ לֶחֳדָשִׁ֔ים מֵאֲשֶׁ֥ר יָבֹ֖אוּ עָלָֽיִךְ׃ | 13 |
तू अपनी मश्वरतों की कसरत से थक गई, अब अफ़लाक — पैमा और मुनज्जिम और वह जो माह — ब — माह आइन्दा हालात दरियाफ़त करते हैं, उठें और जो कुछ तुझ पर आनेवाला है उससे तुझ को बचाएँ।
הִנֵּ֨ה הָי֤וּ כְקַשׁ֙ אֵ֣שׁ שְׂרָפָ֔תַם לֹֽא־יַצִּ֥ילוּ אֶת־נַפְשָׁ֖ם מִיַּ֣ד לֶֽהָבָ֑ה אֵין־גַּחֶ֣לֶת לַחְמָ֔ם א֖וּר לָשֶׁ֥בֶת נֶגְדּֽוֹ׃ | 14 |
देख, वह भूसे की तरह होंगे; आग उनको जलाएगी। वह अपने आपको शो'ले की शिद्दत से बचा न सकेंगे, ये आग न तापने के अंगारे होगी, न उसके पास बैठ सकेंगे।
כֵּ֥ן הָיוּ־לָ֖ךְ אֲשֶׁ֣ר יָגָ֑עַתְּ סֹחֲרַ֣יִךְ מִנְּעוּרַ֗יִךְ אִ֤ישׁ לְעֶבְרוֹ֙ תָּע֔וּ אֵ֖ין מוֹשִׁיעֵֽךְ׃ ס | 15 |
जिनके लिए तूने मेहनत की, तेरे लिए ऐसे ही होंगे; जिनके साथ तूने अपनी जवानी ही से तिजारत की, उनमें से हर एक अपनी राह लेगा; तुझ को बचानेवाला कोई न रहेगा।