< יְשַׁעְיָהוּ 41 >
הַחֲרִ֤ישׁוּ אֵלַי֙ אִיִּ֔ים וּלְאֻמִּ֖ים יַחֲלִ֣יפוּ כֹ֑חַ יִגְּשׁוּ֙ אָ֣ז יְדַבֵּ֔רוּ יַחְדָּ֖ו לַמִּשְׁפָּ֥ט נִקְרָֽבָה׃ | 1 |
१हे द्वीपों, मेरे सामने चुप रहो; देश-देश के लोग नया बल प्राप्त करें; वे समीप आकर बोलें; हम आपस में न्याय के लिये एक दूसरे के समीप आएँ।
מִ֤י הֵעִיר֙ מִמִּזְרָ֔ח צֶ֖דֶק יִקְרָאֵ֣הוּ לְרַגְל֑וֹ יִתֵּ֨ן לְפָנָ֤יו גּוֹיִם֙ וּמְלָכִ֣ים יַ֔רְדְּ יִתֵּ֤ן כֶּֽעָפָר֙ חַרְבּ֔וֹ כְּקַ֥שׁ נִדָּ֖ף קַשְׁתּֽוֹ׃ | 2 |
२किसने पूर्व दिशा से एक को उभारा है, जिसे वह धार्मिकता के साथ अपने पाँव के पास बुलाता है? वह जातियों को उसके वश में कर देता और उसको राजाओं पर अधिकारी ठहराता है; वह अपनी तलवार से उन्हें धूल के समान, और अपने धनुष से उड़ाए हुए भूसे के समान कर देता है।
יִרְדְּפֵ֖ם יַעֲב֣וֹר שָׁל֑וֹם אֹ֥רַח בְּרַגְלָ֖יו לֹ֥א יָבֽוֹא׃ | 3 |
३वह उन्हें खदेड़ता और ऐसे मार्ग से, जिस पर वह कभी न चला था, बिना रोक-टोक आगे बढ़ता है।
מִֽי־פָעַ֣ל וְעָשָׂ֔ה קֹרֵ֥א הַדֹּר֖וֹת מֵרֹ֑אשׁ אֲנִ֤י יְהוָה֙ רִאשׁ֔וֹן וְאֶת־אַחֲרֹנִ֖ים אֲנִי־הֽוּא׃ | 4 |
४किसने यह काम किया है और आदि से पीढ़ियों को बुलाता आया है? मैं यहोवा, जो सबसे पहला, और अन्त के समय रहूँगा; मैं वहीं हूँ।
רָא֤וּ אִיִּים֙ וְיִירָ֔אוּ קְצ֥וֹת הָאָ֖רֶץ יֶחֱרָ֑דוּ קָרְב֖וּ וַיֶּאֱתָיֽוּן׃ | 5 |
५द्वीप देखकर डरते हैं, पृथ्वी के दूर देश काँप उठे और निकट आ गए हैं।
אִ֥ישׁ אֶת־רֵעֵ֖הוּ יַעְזֹ֑רוּ וּלְאָחִ֖יו יֹאמַ֥ר חֲזָֽק׃ | 6 |
६वे एक दूसरे की सहायता करते हैं और उनमें से एक अपने भाई से कहता है, “हियाव बाँध!”
וַיְחַזֵּ֤ק חָרָשׁ֙ אֶת־צֹרֵ֔ף מַחֲלִ֥יק פַּטִּ֖ישׁ אֶת־ה֣וֹלֶם פָּ֑עַם אֹמֵ֤ר לַדֶּ֙בֶק֙ ט֣וֹב ה֔וּא וַיְחַזְּקֵ֥הוּ בְמַסְמְרִ֖ים לֹ֥א יִמּֽוֹט׃ ס | 7 |
७बढ़ई सुनार को और हथौड़े से बराबर करनेवाला निहाई पर मारनेवाले को यह कहकर हियाव बन्धा रहा है, “जोड़ तो अच्छी है,” अतः वह कील ठोंक-ठोंककर उसको ऐसा दृढ़ करता है कि वह स्थिर रहे।
וְאַתָּה֙ יִשְׂרָאֵ֣ל עַבְדִּ֔י יַעֲקֹ֖ב אֲשֶׁ֣ר בְּחַרְתִּ֑יךָ זֶ֖רַע אַבְרָהָ֥ם אֹהֲבִֽי׃ | 8 |
८हे मेरे दास इस्राएल, हे मेरे चुने हुए याकूब, हे मेरे मित्र अब्राहम के वंश;
אֲשֶׁ֤ר הֶחֱזַקְתִּ֙יךָ֙ מִקְצ֣וֹת הָאָ֔רֶץ וּמֵאֲצִילֶ֖יהָ קְרָאתִ֑יךָ וָאֹ֤מַר לְךָ֙ עַבְדִּי־אַ֔תָּה בְּחַרְתִּ֖יךָ וְלֹ֥א מְאַסְתִּֽיךָ׃ | 9 |
९तू जिसे मैंने पृथ्वी के दूर-दूर देशों से लिया और पृथ्वी की छोर से बुलाकर यह कहा, “तू मेरा दास है, मैंने तुझे चुना है और त्यागा नहीं;”
אַל־תִּירָא֙ כִּ֣י עִמְּךָ־אָ֔נִי אַל־תִּשְׁתָּ֖ע כִּֽי־אֲנִ֣י אֱלֹהֶ֑יךָ אִמַּצְתִּ֙יךָ֙ אַף־עֲזַרְתִּ֔יךָ אַף־תְּמַכְתִּ֖יךָ בִּימִ֥ין צִדְקִֽי׃ | 10 |
१०मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूँ, इधर-उधर मत ताक, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूँ; मैं तुझे दृढ़ करूँगा और तेरी सहायता करूँगा, अपने धर्ममय दाहिने हाथ से मैं तुझे सम्भाले रहूँगा।
הֵ֤ן יֵבֹ֙שׁוּ֙ וְיִכָּ֣לְמ֔וּ כֹּ֖ל הַנֶּחֱרִ֣ים בָּ֑ךְ יִֽהְי֥וּ כְאַ֛יִן וְיֹאבְד֖וּ אַנְשֵׁ֥י רִיבֶֽךָ׃ | 11 |
११देख, जो तुझ से क्रोधित हैं, वे सब लज्जित होंगे; जो तुझ से झगड़ते हैं उनके मुँह काले होंगे और वे नाश होकर मिट जाएँगे।
תְּבַקְשֵׁם֙ וְלֹ֣א תִמְצָאֵ֔ם אַנְשֵׁ֖י מַצֻּתֶ֑ךָ יִהְי֥וּ כְאַ֛יִן וּכְאֶ֖פֶס אַנְשֵׁ֥י מִלְחַמְתֶּֽךָ׃ | 12 |
१२जो तुझ से लड़ते हैं उन्हें ढूँढ़ने पर भी तू न पाएगा; जो तुझ से युद्ध करते हैं वे नाश होकर मिट जाएँगे।
כִּ֗י אֲנִ֛י יְהוָ֥ה אֱלֹהֶ֖יךָ מַחֲזִ֣יק יְמִינֶ֑ךָ הָאֹמֵ֥ר לְךָ֛ אַל־תִּירָ֖א אֲנִ֥י עֲזַרְתִּֽיךָ׃ ס | 13 |
१३क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा, तेरा दाहिना हाथ पकड़कर कहूँगा, “मत डर, मैं तेरी सहायता करूँगा।”
אַל־תִּֽירְאִי֙ תּוֹלַ֣עַת יַֽעֲקֹ֔ב מְתֵ֖י יִשְׂרָאֵ֑ל אֲנִ֤י עֲזַרְתִּיךְ֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה וְגֹאֲלֵ֖ךְ קְד֥וֹשׁ יִשְׂרָאֵֽל׃ | 14 |
१४हे कीड़े सरीखे याकूब, हे इस्राएल के मनुष्यों, मत डरो! यहोवा की यह वाणी है, मैं तेरी सहायता करूँगा; इस्राएल का पवित्र तेरा छुड़ानेवाला है।
הִנֵּ֣ה שַׂמְתִּ֗יךְ לְמוֹרַג֙ חָר֣וּץ חָדָ֔שׁ בַּ֖עַל פִּֽיפִיּ֑וֹת תָּד֤וּשׁ הָרִים֙ וְתָדֹ֔ק וּגְבָע֖וֹת כַּמֹּ֥ץ תָּשִֽׂים׃ | 15 |
१५देख, मैंने तुझे छुरीवाले दाँवने का एक नया और उत्तम यन्त्र ठहराया है; तू पहाड़ों को दाँव-दाँवकर सूक्ष्म धूल कर देगा, और पहाड़ियों को तू भूसे के समान कर देगा।
תִּזְרֵם֙ וְר֣וּחַ תִּשָּׂאֵ֔ם וּסְעָרָ֖ה תָּפִ֣יץ אוֹתָ֑ם וְאַתָּה֙ תָּגִ֣יל בַּֽיהוָ֔ה בִּקְד֥וֹשׁ יִשְׂרָאֵ֖ל תִּתְהַלָּֽל׃ פ | 16 |
१६तू उनको फटकेगा, और पवन उन्हें उड़ा ले जाएगी, और आँधी उन्हें तितर-बितर कर देगी। परन्तु तू यहोवा के कारण मगन होगा, और इस्राएल के पवित्र के कारण बड़ाई मारेगा।
הָעֲנִיִּ֨ים וְהָאֶבְיוֹנִ֜ים מְבַקְשִׁ֥ים מַ֙יִם֙ וָאַ֔יִן לְשׁוֹנָ֖ם בַּצָּמָ֣א נָשָׁ֑תָּה אֲנִ֤י יְהוָה֙ אֶעֱנֵ֔ם אֱלֹהֵ֥י יִשְׂרָאֵ֖ל לֹ֥א אֶעֶזְבֵֽם׃ | 17 |
१७जब दीन और दरिद्र लोग जल ढूँढ़ने पर भी न पाएँ और उनका तालू प्यास के मारे सूख जाये; मैं यहोवा उनकी विनती सुनूँगा, मैं इस्राएल का परमेश्वर उनको त्याग न दूँगा।
אֶפְתַּ֤ח עַל־שְׁפָיִים֙ נְהָר֔וֹת וּבְת֥וֹךְ בְּקָע֖וֹת מַעְיָנ֑וֹת אָשִׂ֤ים מִדְבָּר֙ לַאֲגַם־מַ֔יִם וְאֶ֥רֶץ צִיָּ֖ה לְמוֹצָ֥אֵי מָֽיִם׃ | 18 |
१८मैं मुँण्ड़े टीलों से भी नदियाँ और मैदानों के बीच में सोते बहाऊँगा; मैं जंगल को ताल और निर्जल देश को सोते ही सोते कर दूँगा।
אֶתֵּ֤ן בַּמִּדְבָּר֙ אֶ֣רֶז שִׁטָּ֔ה וַהֲדַ֖ס וְעֵ֣ץ שָׁ֑מֶן אָשִׂ֣ים בָּעֲרָבָ֗ה בְּר֛וֹשׁ תִּדְהָ֥ר וּתְאַשּׁ֖וּר יַחְדָּֽו׃ | 19 |
१९मैं जंगल में देवदार, बबूल, मेंहदी, और जैतून उगाऊँगा; मैं अराबा में सनोवर, चिनार वृक्ष, और चीड़ इकट्ठे लगाऊँगा;
לְמַ֧עַן יִרְא֣וּ וְיֵדְע֗וּ וְיָשִׂ֤ימוּ וְיַשְׂכִּ֙ילוּ֙ יַחְדָּ֔ו כִּ֥י יַד־יְהוָ֖ה עָ֣שְׂתָה זֹּ֑את וּקְד֥וֹשׁ יִשְׂרָאֵ֖ל בְּרָאָֽהּ׃ פ | 20 |
२०जिससे लोग देखकर जान लें, और सोचकर पूरी रीति से समझ लें कि यह यहोवा के हाथ का किया हुआ और इस्राएल के पवित्र का सृजा हुआ है।
קָרְב֥וּ רִֽיבְכֶ֖ם יֹאמַ֣ר יְהוָ֑ה הַגִּ֙ישׁוּ֙ עֲצֻמ֣וֹתֵיכֶ֔ם יֹאמַ֖ר מֶ֥לֶךְ יַעֲקֹֽב׃ | 21 |
२१यहोवा कहता है, “अपना मुकद्दमा लड़ो,” याकूब का राजा कहता है, “अपने प्रमाण दो।”
יַגִּ֙ישׁוּ֙ וְיַגִּ֣ידוּ לָ֔נוּ אֵ֖ת אֲשֶׁ֣ר תִּקְרֶ֑ינָה הָרִאשֹׁנ֣וֹת ׀ מָ֣ה הֵ֗נָּה הַגִּ֜ידוּ וְנָשִׂ֤ימָה לִבֵּ֙נוּ֙ וְנֵדְעָ֣ה אַחֲרִיתָ֔ן א֥וֹ הַבָּא֖וֹת הַשְׁמִיעֻֽנוּ׃ | 22 |
२२वे उन्हें देकर हमको बताएँ कि भविष्य में क्या होगा? पूर्वकाल की घटनाएँ बताओ कि आदि में क्या-क्या हुआ, जिससे हम उन्हें सोचकर जान सके कि भविष्य में उनका क्या फल होगा; या होनेवाली घटनाएँ हमको सुना दो।
הַגִּ֙ידוּ֙ הָאֹתִיּ֣וֹת לְאָח֔וֹר וְנֵ֣דְעָ֔ה כִּ֥י אֱלֹהִ֖ים אַתֶּ֑ם אַף־תֵּיטִ֣יבוּ וְתָרֵ֔עוּ וְנִשְׁתָּ֖עָה וְנִרְאֶ֥ה יַחְדָּֽו׃ | 23 |
२३भविष्य में जो कुछ घटेगा वह बताओ, तब हम मानेंगे कि तुम ईश्वर हो; भला या बुरा, कुछ तो करो कि हम देखकर चकित को जाएँ।
הֵן־אַתֶּ֣ם מֵאַ֔יִן וּפָעָלְכֶ֖ם מֵאָ֑פַע תּוֹעֵבָ֖ה יִבְחַ֥ר בָּכֶֽם׃ | 24 |
२४देखो, तुम कुछ नहीं हो, तुम से कुछ नहीं बनता; जो कोई तुम्हें चाहता है वह घृणित है।
הַעִיר֤וֹתִי מִצָּפוֹן֙ וַיַּ֔את מִמִּזְרַח־שֶׁ֖מֶשׁ יִקְרָ֣א בִשְׁמִ֑י וְיָבֹ֤א סְגָנִים֙ כְּמוֹ־חֹ֔מֶר וּכְמ֥וֹ יוֹצֵ֖ר יִרְמָס־טִֽיט׃ | 25 |
२५मैंने एक को उत्तर दिशा से उभारा, वह आ भी गया है; वह पूर्व दिशा से है और मेरा नाम लेता है; जैसा कुम्हार गीली मिट्टी को लताड़ता है, वैसा ही वह हाकिमों को कीच के समान लताड़ देगा।
מִֽי־הִגִּ֤יד מֵרֹאשׁ֙ וְנֵדָ֔עָה וּמִלְּפָנִ֖ים וְנֹאמַ֣ר צַדִּ֑יק אַ֣ף אֵין־מַגִּ֗יד אַ֚ף אֵ֣ין מַשְׁמִ֔יעַ אַ֥ף אֵין־שֹׁמֵ֖עַ אִמְרֵיכֶֽם׃ | 26 |
२६किसने इस बात को पहले से बताया था, जिससे हम यह जानते? किसने पूर्वकाल से यह प्रगट किया जिससे हम कहें कि वह सच्चा है? कोई भी बतानेवाला नहीं, कोई भी सुनानेवाला नहीं, तुम्हारी बातों का कोई भी सुनानेवाला नहीं है।
רִאשׁ֥וֹן לְצִיּ֖וֹן הִנֵּ֣ה הִנָּ֑ם וְלִירוּשָׁלִַ֖ם מְבַשֵּׂ֥ר אֶתֵּֽן׃ | 27 |
२७मैं ही ने पहले सिय्योन से कहा, “देख, उन्हें देख,” और मैंने यरूशलेम को एक शुभ समाचार देनेवाला भेजा।
וְאֵ֙רֶא֙ וְאֵ֣ין אִ֔ישׁ וּמֵאֵ֖לֶּה וְאֵ֣ין יוֹעֵ֑ץ וְאֶשְׁאָלֵ֖ם וְיָשִׁ֥יבוּ דָבָֽר׃ | 28 |
२८मैंने देखने पर भी किसी को न पाया; उनमें कोई मंत्री नहीं जो मेरे पूछने पर कुछ उत्तर दे सके।
הֵ֣ן כֻּלָּ֔ם אָ֥וֶן אֶ֖פֶס מַעֲשֵׂיהֶ֑ם ר֥וּחַ וָתֹ֖הוּ נִסְכֵּיהֶֽם׃ פ | 29 |
२९सुनो, उन सभी के काम अनर्थ हैं; उनके काम तुच्छ हैं, और उनकी ढली हुई मूर्तियाँ वायु और मिथ्या हैं।