< יְשַׁעְיָהוּ 37 >
וַיְהִ֗י כִּשְׁמֹ֙עַ֙ הַמֶּ֣לֶךְ חִזְקִיָּ֔הוּ וַיִּקְרַ֖ע אֶת־בְּגָדָ֑יו וַיִּתְכַּ֣ס בַּשָּׂ֔ק וַיָּבֹ֖א בֵּ֥ית יְהוָֽה׃ | 1 |
जब हिज़क़ियाह बादशाह ने ये सुना तो अपने कपड़े फाड़े और टाट ओढ़कर ख़ुदावन्द के घर में गया।
וַ֠יִּשְׁלַח אֶת־אֶלְיָקִ֨ים אֲשֶׁר־עַל־הַבַּ֜יִת וְאֵ֣ת ׀ שֶׁבְנָ֣א הַסּוֹפֵ֗ר וְאֵת֙ זִקְנֵ֣י הַכֹּהֲנִ֔ים מִתְכַּסִּ֖ים בַּשַּׂקִּ֑ים אֶל־יְשַֽׁעְיָ֥הוּ בֶן־אָמ֖וֹץ הַנָּבִֽיא׃ | 2 |
और उसने घर के दीवान इलियाक़ीम और शबनाह मुंशी और काहिनों के बुज़ुर्गों को टाट उढ़ा कर आमूस के बेटे यसा'याह नबी के पास भेजा।
וַיֹּאמְר֣וּ אֵלָ֗יו כֹּ֚ה אָמַ֣ר חִזְקִיָּ֔הוּ יוֹם־צָרָ֧ה וְתוֹכֵחָ֛ה וּנְאָצָ֖ה הַיּ֣וֹם הַזֶּ֑ה כִּ֣י בָ֤אוּ בָנִים֙ עַד־מַשְׁבֵּ֔ר וְכֹ֥חַ אַ֖יִן לְלֵדָֽה׃ | 3 |
और उनहोंने उससे कहा कि हिज़क़ियाह यूँ कहता है कि आज का दिन दुख और मलामत और तौहीन का दिन है क्यूँकि बच्चे पैदा होने पर हैं और विलादत की ताक़त नहीं।
אוּלַ֡י יִשְׁמַע֩ יְהוָ֨ה אֱלֹהֶ֜יךָ אֵ֣ת ׀ דִּבְרֵ֣י רַב־שָׁקֵ֗ה אֲשֶׁר֩ שְׁלָח֨וֹ מֶֽלֶךְ־אַשּׁ֤וּר ׀ אֲדֹנָיו֙ לְחָרֵף֙ אֱלֹהִ֣ים חַ֔י וְהוֹכִ֙יחַ֙ בַּדְּבָרִ֔ים אֲשֶׁ֥ר שָׁמַ֖ע יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֑יךָ וְנָשָׂ֣אתָ תְפִלָּ֔ה בְּעַ֥ד הַשְּׁאֵרִ֖ית הַנִּמְצָאָֽה׃ | 4 |
शायद ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा रबशाक़ी की बातें सुनेगा जिसे उसके आक़ा शाह — ए — असूर ने भेजा है कि ज़िन्दा ख़ुदा की तौहीन करे; और जो बातें ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने सुनीं, उनपर वह मलामत करेगा। फिर तू उस बक़िये के लिए जो मौजूद है दूआ कर।
וַיָּבֹ֗אוּ עַבְדֵ֛י הַמֶּ֥לֶךְ חִזְקִיָּ֖הוּ אֶל־יְשַׁעְיָֽהוּ׃ | 5 |
तब हिज़क़ियाह बादशाह के मुलाज़िम यसा'याह के पास आए।
וַיֹּ֤אמֶר אֲלֵיהֶם֙ יְשַֽׁעְיָ֔הוּ כֹּ֥ה תֹאמְר֖וּן אֶל־אֲדֹנֵיכֶ֑ם כֹּ֣ה ׀ אָמַ֣ר יְהוָ֗ה אַל־תִּירָא֙ מִפְּנֵ֤י הַדְּבָרִים֙ אֲשֶׁ֣ר שָׁמַ֔עְתָּ אֲשֶׁ֧ר גִּדְּפ֛וּ נַעֲרֵ֥י מֶלֶךְ־אַשּׁ֖וּר אוֹתִֽי׃ | 6 |
और यसा'याह ने उनसे कहा, तुम अपने आक़ा से यूँ कहना, ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि तू उन बातों से जो तूने सुनी हैं, जिनसे शाह — ए — असूर के मुलाज़िमों ने मेरी तकफ़ीर की है, परेशान न हो।
הִנְנִ֨י נוֹתֵ֥ן בּוֹ֙ ר֔וּחַ וְשָׁמַ֥ע שְׁמוּעָ֖ה וְשָׁ֣ב אֶל־אַרְצ֑וֹ וְהִפַּלְתִּ֥יו בַּחֶ֖רֶב בְּאַרְצֽוֹ׃ | 7 |
देख मैं उसमें एक रूह डाल दूँगा, और वह एक अफ़वाह सुनकर अपने मुल्क को लौट जाएगा, मैं उसे उसी के मुल्क में तलवार से मरवा डालूँगा।
וַיָּ֙שָׁב֙ רַב־שָׁקֵ֔ה וַיִּמְצָא֙ אֶת־מֶ֣לֶךְ אַשּׁ֔וּר נִלְחָ֖ם עַל־לִבְנָ֑ה כִּ֣י שָׁמַ֔ע כִּ֥י נָסַ֖ע מִלָּכִֽישׁ׃ | 8 |
इसलिए रबशाक़ी लौट गया और उसने शाह — ए — असूर को लिबनाह से लड़ते पाया, क्यूँकि उसने सुना था कि वह लकीस से चला गया है।
וַיִּשְׁמַ֗ע עַל־תִּרְהָ֤קָה מֶֽלֶךְ־כּוּשׁ֙ לֵאמֹ֔ר יָצָ֖א לְהִלָּחֵ֣ם אִתָּ֑ךְ וַיִּשְׁמַע֙ וַיִּשְׁלַ֣ח מַלְאָכִ֔ים אֶל־חִזְקִיָּ֖הוּ לֵאמֹֽר׃ | 9 |
और उसने कूश के बादशाह तिरहाक़ा के ज़रिए' सुना कि वह तुझ से लड़ने को निकला है; और जब उसने ये सुना, तो हिज़क़ियाह के पास क़ासिद भेजे और कहा,
כֹּ֣ה תֹאמְר֗וּן אֶל־חִזְקִיָּ֤הוּ מֶֽלֶךְ־יְהוּדָה֙ לֵאמֹ֔ר אַל־יַשִּֽׁאֲךָ֣ אֱלֹהֶ֔יךָ אֲשֶׁ֥ר אַתָּ֛ה בּוֹטֵ֥חַ בּ֖וֹ לֵאמֹ֑ר לֹ֤א תִנָּתֵן֙ יְר֣וּשָׁלִַ֔ם בְּיַ֖ד מֶ֥לֶךְ אַשּֽׁוּר׃ | 10 |
शाह — ए — यहूदाह हिज़क़ियाह से यूँ कहना, कि तेरा ख़ुदा जिस पर तेरा यक़ीन है, तुझे ये कह कर धोखा न दे कि येरूशलेम शाह — ए — असूर के क़ब्ज़े में न किया जाएगा।
הִנֵּ֣ה ׀ אַתָּ֣ה שָׁמַ֗עְתָּ אֲשֶׁ֨ר עָשׂ֜וּ מַלְכֵ֥י אַשּׁ֛וּר לְכָל־הָאֲרָצ֖וֹת לְהַחֲרִימָ֑ם וְאַתָּ֖ה תִּנָּצֵֽל׃ | 11 |
देख तूने सुना है कि असूर के बादशाहों ने तमाम मुल्कों को बिलकुल ग़ारत करके उनका क्या हाल बनाया है; इसलिए क्या तू बचा रहेगा?
הַהִצִּ֨ילוּ אוֹתָ֜ם אֱלֹהֵ֤י הַגּוֹיִם֙ אֲשֶׁ֣ר הִשְׁחִ֣יתוּ אֲבוֹתַ֔י אֶת־גּוֹזָ֖ן וְאֶת־חָרָ֑ן וְרֶ֥צֶף וּבְנֵי־עֶ֖דֶן אֲשֶׁ֥ר בִּתְלַשָּֽׂר׃ | 12 |
क्या उन क़ौमों के मा'बूदों ने उनको, या'नी जूज़ान और हारान और रसफ़ और बनी अदन को जो तिलसार में थे, जिनको हमारे बाप — दादा ने हलाक किया, छुड़ाया।
אַיֵּ֤ה מֶֽלֶךְ־חֲמָת֙ וּמֶ֣לֶךְ אַרְפָּ֔ד וּמֶ֖לֶךְ לָעִ֣יר סְפַרְוָ֑יִם הֵנַ֖ע וְעִוָּֽה׃ | 13 |
हमात का बादशाह, और अरफ़ाद का बादशाह, और शहर सिफ़वाइम और हेना' और 'इवाह का बादशाह कहाँ है।
וַיִּקַּ֨ח חִזְקִיָּ֧הוּ אֶת־הַסְּפָרִ֛ים מִיַּ֥ד הַמַּלְאָכִ֖ים וַיִּקְרָאֵ֑הוּ וַיַּ֙עַל֙ בֵּ֣ית יְהוָ֔ה וַיִּפְרְשֵׂ֥הוּ חִזְקִיָּ֖הוּ לִפְנֵ֥י יְהוָֽה׃ | 14 |
हिज़क़ियाह ने क़ासिदों के हाथ से ख़त लिया और उसे पढ़ा और हिज़क़ियाह ने ख़ुदावन्द के घर जाकर उसे ख़ुदावन्द के सामने फैला दिया।
וַיִּתְפַּלֵּל֙ חִזְקִיָּ֔הוּ אֶל־יְהוָ֖ה לֵאמֹֽר׃ | 15 |
और हिज़क़ियाह ने ख़ुदावन्द से यूँ दुआ की,
יְהוָ֨ה צְבָא֜וֹת אֱלֹהֵ֤י יִשְׂרָאֵל֙ יֹשֵׁ֣ב הַכְּרֻבִ֔ים אַתָּה־ה֤וּא הָֽאֱלֹהִים֙ לְבַדְּךָ֔ לְכֹ֖ל מַמְלְכ֣וֹת הָאָ֑רֶץ אַתָּ֣ה עָשִׂ֔יתָ אֶת־הַשָּׁמַ֖יִם וְאֶת־הָאָֽרֶץ׃ | 16 |
ऐ रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल के ख़ुदा करूबियों के ऊपर बैठनेवाले; तू ही अकेला ज़मीन की सब सल्तनतों का ख़ुदा है, तू ही ने आसमान और ज़मीन को पैदा किया।
הַטֵּ֨ה יְהוָ֤ה ׀ אָזְנְךָ֙ וּֽשְׁמָ֔ע פְּקַ֧ח יְהוָ֛ה עֵינֶ֖ךָ וּרְאֵ֑ה וּשְׁמַ֗ע אֵ֚ת כָּל־דִּבְרֵ֣י סַנְחֵרִ֔יב אֲשֶׁ֣ר שָׁלַ֔ח לְחָרֵ֖ף אֱלֹהִ֥ים חָֽי׃ | 17 |
ऐ ख़ुदावन्द कान लगा और सुन; ऐ ख़ुदावन्द अपनी आँखें खोल और देख; और सनहेरिब की इन सब बातों को जो उसने ज़िन्दा ख़ुदा की तौहीन करने के लिए कहला भेजी हैं, सुनले
אָמְנָ֖ם יְהוָ֑ה הֶחֱרִ֜יבוּ מַלְכֵ֥י אַשּׁ֛וּר אֶת־כָּל־הָאֲרָצ֖וֹת וְאֶת־אַרְצָֽם׃ | 18 |
ऐ ख़ुदावन्द, दर — हक़ीक़त असूर के बादशाहों ने सब क़ौमों को उनके मुल्कों के साथ तबाह किया,
וְנָתֹ֥ן אֶת־אֱלֹהֵיהֶ֖ם בָּאֵ֑שׁ כִּי֩ לֹ֨א אֱלֹהִ֜ים הֵ֗מָּה כִּ֣י אִם־מַעֲשֵׂ֧ה יְדֵֽי־אָדָ֛ם עֵ֥ץ וָאֶ֖בֶן וַֽיְאַבְּדֽוּם׃ | 19 |
और उनके मा'बूदों को आग में डाला, क्यूँकि वह ख़ुदा न थे बल्कि आदमियों की दस्तकारी थे, लकड़ी और पत्थर; इसलिए उन्होंने उनको हलाक किया है।
וְעַתָּה֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֵ֔ינוּ הוֹשִׁיעֵ֖נוּ מִיָד֑וֹ וְיֵֽדְעוּ֙ כָּל־מַמְלְכ֣וֹת הָאָ֔רֶץ כִּֽי־אַתָּ֥ה יְהוָ֖ה לְבַדֶּֽךָ׃ | 20 |
इसलिए अब ऐ ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा, हम को उसके हाथ से बचा ले, ताकि ज़मीन की सब सल्तनतें जान लें कि तू ही अकेला ख़ुदावन्द है।
וַיִּשְׁלַח֙ יְשַֽׁעְיָ֣הוּ בֶן־אָמ֔וֹץ אֶל־חִזְקִיָּ֖הוּ לֵאמֹ֑ר כֹּֽה־אָמַ֤ר יְהוָה֙ אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל אֲשֶׁר֙ הִתְפַּלַּ֣לְתָּ אֵלַ֔י אֶל־סַנְחֵרִ֖יב מֶ֥לֶךְ אַשּֽׁוּר׃ | 21 |
तब यसा'याह बिन आमूस ने हिज़क़ियाह को कहला भेजा, कि ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा यूँ फ़रमाता है चूँकि तूने शाह — ए — असूर सनहेरिब के ख़िलाफ़ मुझ से दुआ की है,
זֶ֣ה הַדָּבָ֔ר אֲשֶׁר־דִּבֶּ֥ר יְהוָ֖ה עָלָ֑יו בָּזָ֨ה לְךָ֜ לָעֲגָ֣ה לְךָ֗ בְּתוּלַת֙ בַּת־צִיּ֔וֹן אַחֲרֶ֙יךָ֙ רֹ֣אשׁ הֵנִ֔יעָה בַּ֖ת יְרוּשָׁלִָֽם׃ | 22 |
इसलिए ख़ुदावन्द ने उसके हक़ में यूँ फ़रमाया है, कि 'कुँवारी दुख़्तर — ए — सिय्यून ने तेरी तहक़ीर की और तेरा मज़ाक़ उड़ाया है। येरूशलेम की बेटी ने तुझ पर सिर हिलाया है।
אֶת־מִ֤י חֵרַ֙פְתָּ֙ וְגִדַּ֔פְתָּ וְעַל־מִ֖י הֲרִימ֣וֹתָה קּ֑וֹל וַתִּשָּׂ֥א מָר֛וֹם עֵינֶ֖יךָ אֶל־קְד֥וֹשׁ יִשְׂרָאֵֽל׃ | 23 |
तूने किस की तौहीन — ओ — तक्फ़ीर की है? तूने किसके ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ बलन्द की और अपनी आँखें ऊपर उठाई? इस्राईल के क़ुददूस के ख़िलाफ़।
בְּיַ֣ד עֲבָדֶיךָ֮ חֵרַ֣פְתָּ ׀ אֲדֹנָי֒ וַתֹּ֗אמֶר בְּרֹ֥ב רִכְבִּ֛י אֲנִ֥י עָלִ֛יתִי מְר֥וֹם הָרִ֖ים יַרְכְּתֵ֣י לְבָנ֑וֹן וְאֶכְרֹ֞ת קוֹמַ֤ת אֲרָזָיו֙ מִבְחַ֣ר בְּרֹשָׁ֔יו וְאָבוֹא֙ מְר֣וֹם קִצּ֔וֹ יַ֖עַר כַּרְמִלּֽוֹ׃ | 24 |
तूने अपने ख़ादिमों के ज़रीए से ख़ुदावन्द की तौहीन की और कहा कि मैं अपने बहुत से रथों को साथ लेकर पहाड़ों की चोटियों पर बल्कि लुबनान के बीच हिस्सों तक चढ़ आया हूँ, और मैं उसके ऊँचे ऊँचे देवदारों और अच्छे से अच्छे सनोबर के दरख़्तों को काट डालूँगा, और मैं उसके चोटी पर के ज़रखे़ज़ जंगल में जा घुसूंगा।
אֲנִ֥י קַ֖רְתִּי וְשָׁתִ֣יתִי מָ֑יִם וְאַחְרִב֙ בְּכַף־פְּעָמַ֔י כֹּ֖ל יְאֹרֵ֥י מָצֽוֹר׃ | 25 |
मैंने खोद खोद कर पानी पिया है और मैं अपने पाँव के तल्वे से मिस्र की सब नदियाँ सुखा डालूँगा।
הֲלֽוֹא־שָׁמַ֤עְתָּ לְמֵֽרָחוֹק֙ אוֹתָ֣הּ עָשִׂ֔יתִי מִ֥ימֵי קֶ֖דֶם וִיצַרְתִּ֑יהָ עַתָּ֣ה הֲבֵאתִ֔יהָ וּתְהִ֗י לְהַשְׁא֛וֹת גַּלִּ֥ים נִצִּ֖ים עָרִ֥ים בְּצֻרֽוֹת׃ | 26 |
क्या तूने नहीं सुना कि मुझे ये किए हुए मुद्दत हुई; और मैंने पिछले दिनों से ठहरा दिया था? अब मैंने उसी को पूरा किया है कि तू फ़सीलदार शहरों को उजाड़ कर खण्डर बना देने के लिए खड़ा हो।
וְיֹֽשְׁבֵיהֶן֙ קִצְרֵי־יָ֔ד חַ֖תּוּ וָבֹ֑שׁוּ הָי֞וּ עֵ֤שֶׂב שָׂדֶה֙ וִ֣ירַק דֶּ֔שֶׁא חֲצִ֣יר גַּגּ֔וֹת וּשְׁדֵמָ֖ה לִפְנֵ֥י קָמָֽה׃ | 27 |
इसी वजह से उनके बाशिन्दे कमज़ोर हुए और घबरा गए, और शर्मिन्दा हुए; और मैदान की घास और पौध, छतों पर की घास, खेत के अनाज की तरह हो गए जो अभी बढ़ा न हो।
וְשִׁבְתְּךָ֛ וְצֵאתְךָ֥ וּבוֹאֲךָ֖ יָדָ֑עְתִּי וְאֵ֖ת הִֽתְרַגֶּזְךָ֥ אֵלָֽי׃ | 28 |
मैं तेरी निशस्त और आमद — ओ — रफ़्त और तेरा मुझ पर झुंझलाना जानता हूँ।
יַ֚עַן הִתְרַגֶּזְךָ֣ אֵלַ֔י וְשַׁאֲנַנְךָ֖ עָלָ֣ה בְאָזְנָ֑י וְשַׂמְתִּ֨י חַחִ֜י בְּאַפֶּ֗ךָ וּמִתְגִּי֙ בִּשְׂפָתֶ֔יךָ וַהֲשִׁ֣יבֹתִ֔יךָ בַּדֶּ֖רֶךְ אֲשֶׁר־בָּ֥אתָ בָּֽהּ׃ | 29 |
तेरे मुझ पर झुंझलाने की वजह से और इसलिए कि तेरा घमण्ड मेरे कानों तक पहुँचा है, मैं अपनी नकेल तेरी नाक में और अपनी लगाम तेरे मुँह में डालूँगा, और तू जिस राह से आया है मैं तुझे उसी राह से वापस लौटा दूँगा।
וְזֶה־לְּךָ֣ הָא֔וֹת אָכ֤וֹל הַשָּׁנָה֙ סָפִ֔יחַ וּבַשָּׁנָ֥ה הַשֵּׁנִ֖ית שָׁחִ֑יס וּבַשָּׁנָ֣ה הַשְּׁלִישִׁ֗ית זִרְע֧וּ וְקִצְר֛וּ וְנִטְע֥וּ כְרָמִ֖ים וְאִכְל֥וּ פִרְיָֽם׃ | 30 |
और तेरे लिए ये निशान होगा कि तुम इस साल वह चीज़ें जो अज़ — ख़ुद उगती हैं, और दूसरे साल वह चीज़ें जो उनसे पैदा हों खाओगे; और तीसरे साल तुम बोना और काटना और बाग़ लगा कर उनका फल खाना।
וְיָ֨סְפָ֜ה פְּלֵיטַ֧ת בֵּית־יְהוּדָ֛ה הַנִּשְׁאָרָ֖ה שֹׁ֣רֶשׁ לְמָ֑טָּה וְעָשָׂ֥ה פְרִ֖י לְמָֽעְלָה׃ | 31 |
और वह बक़िया जो यहूदाह के घराने से बच रहा है, फिर नीचे की तरफ जड़ पकड़ेगा और ऊपर की तरफ़ फल लाएगा;
כִּ֤י מִירֽוּשָׁלִַ֙ם֙ תֵּצֵ֣א שְׁאֵרִ֔ית וּפְלֵיטָ֖ה מֵהַ֣ר צִיּ֑וֹן קִנְאַ֛ת יְהוָ֥ה צְבָא֖וֹת תַּֽעֲשֶׂה־זֹּֽאת׃ ס | 32 |
क्यूँकि एक बक़िया येरूशलेम में से और वह जो बच रहे हैं। सिय्यून पहाड़ से निकलेंगे; रब्ब — उल — अफ़वाज की ग़य्यूरी ये कर दिखाएगी।
לָכֵ֗ן כֹּֽה־אָמַ֤ר יְהוָה֙ אֶל־מֶ֣לֶךְ אַשּׁ֔וּר לֹ֤א יָבוֹא֙ אֶל־הָעִ֣יר הַזֹּ֔את וְלֹֽא־יוֹרֶ֥ה שָׁ֖ם חֵ֑ץ וְלֹֽא־יְקַדְּמֶ֣נָּה מָגֵ֔ן וְלֹֽא־יִשְׁפֹּ֥ךְ עֳלֶ֖יהָ סֹלְלָֽה׃ | 33 |
“इसलिए ख़ुदावन्द शाह — ए — असूर के हक़ में यूँ फ़रमाता है कि वह इस शहर में आने या यहाँ तीर चलाने न पाएगा; वह न तो सिपर लेकर उसके सामने आने और न उसके सामने दमदमा बाँधने पाएगा।
בַּדֶּ֥רֶךְ אֲשֶׁר־בָּ֖א בָּ֣הּ יָשׁ֑וּב וְאֶל־הָעִ֥יר הַזֹּ֛את לֹ֥א יָב֖וֹא נְאֻם־יְהוָֽה׃ | 34 |
बल्कि ख़ुदावन्द फ़रमाता है कि जिस रास्ते से वह आया उसी रास्ते से लौट जाएगा, और इस शहर में आने न पाएगा।
וְגַנּוֹתִ֛י עַל־הָעִ֥יר הַזֹּ֖את לְהֽוֹשִׁיעָ֑הּ לְמַֽעֲנִ֔י וּלְמַ֖עַן דָּוִ֥ד עַבְדִּֽי׃ ס | 35 |
क्यूँकि मैं अपनी ख़ातिर और अपने बन्दे दाऊद की ख़ातिर, इस शहर की हिमायत करके इसे बचाऊँगा।”
וַיֵּצֵ֣א ׀ מַלְאַ֣ךְ יְהוָ֗ה וַיַּכֶּה֙ בְּמַחֲנֵ֣ה אַשּׁ֔וּר מֵאָ֛ה וּשְׁמֹנִ֥ים וַחֲמִשָּׁ֖ה אָ֑לֶף וַיַּשְׁכִּ֣ימוּ בַבֹּ֔קֶר וְהִנֵּ֥ה כֻלָּ֖ם פְּגָרִ֥ים מֵתִֽים׃ | 36 |
फिर ख़ुदावन्द के फ़रिश्ते ने असूरियों की लश्करगाह में जाकर एक लाख पिच्चासी हज़ार आदमी जान से मार डाले; और सुबह को जब लोग सवेरे उठे, तो देखा कि वह सब पड़े हैं।
וַיִּסַּ֣ע וַיֵּ֔לֶךְ וַיָּ֖שָׁב סַנְחֵרִ֣יב מֶֽלֶךְ־אַשּׁ֑וּר וַיֵּ֖שֶׁב בְּנִֽינְוֵֽה׃ | 37 |
तब शाह — ए — असूर सनहेरिब रवानगी करके वहाँ से चला गया और लौटकर नीनवाह में रहने लगा।
וַיְהִי֩ ה֨וּא מִֽשְׁתַּחֲוֶ֜ה בֵּ֣ית ׀ נִסְרֹ֣ךְ אֱלֹהָ֗יו וְֽאַדְרַמֶּ֨לֶךְ וְשַׂרְאֶ֤צֶר בָּנָיו֙ הִכֻּ֣הוּ בַחֶ֔רֶב וְהֵ֥מָּה נִמְלְט֖וּ אֶ֣רֶץ אֲרָרָ֑ט וַיִּמְלֹ֛ךְ אֵֽסַר־חַדֹּ֥ן בְּנ֖וֹ תַּחְתָּֽיו׃ ס | 38 |
और जब वह अपने मा'बूद निसरूक के मंदिर में इबादत कर रहा था तो अदरम्मलिक और शराज़र, उसके बेटों ने उसे तलवार से क़त्ल किया और अरारात की सर ज़मीन को भाग गए। और उसका असरहद्दून उसकी जगह बादशाह हुआ।