< יְשַׁעְיָהוּ 14 >

כִּי֩ יְרַחֵ֨ם יְהוָ֜ה אֶֽת־יַעֲקֹ֗ב וּבָחַ֥ר עוֹד֙ בְּיִשְׂרָאֵ֔ל וְהִנִּיחָ֖ם עַל־אַדְמָתָ֑ם וְנִלְוָ֤ה הַגֵּר֙ עֲלֵיהֶ֔ם וְנִסְפְּח֖וּ עַל־בֵּ֥ית יַעֲקֹֽב׃ 1
क्यूँकि ख़ुदावन्द या'क़ूब पर रहम फ़रमाएगा, बल्कि वह इस्राईल को भी बरगुज़ीदा करेगा और उनको उनके मुल्क में फिर क़ाईम करेगा और परदेसी उनके साथ मेल करेंगे और या'क़ूब के घराने से मिल जाएँगे।
וּלְקָח֣וּם עַמִּים֮ וֶהֱבִיא֣וּם אֶל־מְקוֹמָם֒ וְהִֽתְנַחֲל֣וּם בֵּֽית־יִשְׂרָאֵ֗ל עַ֚ל אַדְמַ֣ת יְהוָ֔ה לַעֲבָדִ֖ים וְלִשְׁפָח֑וֹת וְהָיוּ֙ שֹׁבִ֣ים לְשֹֽׁבֵיהֶ֔ם וְרָד֖וּ בְּנֹגְשֵׂיהֶֽם׃ ס 2
और लोग उनको लाकर उनके मुल्क में पहुंचाएगे और इस्राईल का घराना ख़ुदावन्द की सरज़मीन में उनका मालिक होकर उनको गु़लाम और लौंडियाँ बनाएगा क्यूँकि वह अपने ग़ुलाम करने वालों को ग़ुलाम करेंगे, और अपने ज़ुल्म करने वालों पर हुकूमत करेंगे।
וְהָיָ֗ה בְּי֨וֹם הָנִ֤יחַ יְהוָה֙ לְךָ֔ מֵֽעָצְבְּךָ֖ וּמֵרָגְזֶ֑ךָ וּמִן־הָעֲבֹדָ֥ה הַקָּשָׁ֖ה אֲשֶׁ֥ר עֻבַּד־בָּֽךְ׃ 3
और यूँ होगा कि जब ख़ुदावन्द तुझे तेरी मेहनत — ओ — मशक़्क़त से, और सख़्त ख़िदमत से जो उन्होंने तुझ से कराई, राहत बख़्शेगा,
וְנָשָׂ֜אתָ הַמָּשָׁ֥ל הַזֶּ֛ה עַל־מֶ֥לֶךְ בָּבֶ֖ל וְאָמָ֑רְתָּ אֵ֚יךְ שָׁבַ֣ת נֹגֵ֔שׂ שָׁבְתָ֖ה מַדְהֵבָֽה׃ 4
तब तू शाह — ए — बाबुल के ख़िलाफ़ यह मसल लाएगा और कहेगा, कि 'ज़ालिम कैसा हलाक हो गया, और ग़ासिब कैसा हलाक हुआ।
שָׁבַ֥ר יְהוָ֖ה מַטֵּ֣ה רְשָׁעִ֑ים שֵׁ֖בֶט מֹשְׁלִֽים׃ 5
ख़ुदावन्द ने शरीरों का लठ, या'नी बेइन्साफ़ हाकिमों का 'असा तोड़ डाला;
מַכֶּ֤ה עַמִּים֙ בְּעֶבְרָ֔ה מַכַּ֖ת בִּלְתִּ֣י סָרָ֑ה רֹדֶ֤ה בָאַף֙ גּוֹיִ֔ם מֻרְדָּ֖ף בְּלִ֥י חָשָֽׂךְ׃ 6
वही जो लोगों को क़हर से मारता रहा और क़ौमों पर ग़ज़ब के साथ हुक्मरानी करता रहा, और कोई रोक न सका।
נָ֥חָה שָׁקְטָ֖ה כָּל־הָאָ֑רֶץ פָּצְח֖וּ רִנָּֽה׃ 7
सारी ज़मीन पर आराम — ओ — आसाइश है, वह अचानक गीत गाने लगते हैं।
גַּם־בְּרוֹשִׁ֛ים שָׂמְח֥וּ לְךָ֖ אַרְזֵ֣י לְבָנ֑וֹן מֵאָ֣ז שָׁכַ֔בְתָּ לֹֽא־יַעֲלֶ֥ה הַכֹּרֵ֖ת עָלֵֽינוּ׃ 8
हाँ, सनोबर के दरख़्त और लुबनान के देवदार तुझ पर यह कहते हुए ख़ुशी करते हैं, कि 'जब से तू गिराया गया, तब से कोई काटनेवाला हमारी तरफ़ नहीं आया।
שְׁא֗וֹל מִתַּ֛חַת רָגְזָ֥ה לְךָ֖ לִקְרַ֣את בּוֹאֶ֑ךָ עוֹרֵ֨ר לְךָ֤ רְפָאִים֙ כָּל־עַתּ֣וּדֵי אָ֔רֶץ הֵקִים֙ מִכִּסְאוֹתָ֔ם כֹּ֖ל מַלְכֵ֥י גוֹיִֽם׃ (Sheol h7585) 9
पाताल नीचे से तेरी वजह से जुम्बिश खाता है कि तेरे आते वक़्त तेरा इस्तक़बाल करे; वह तेरे लिए मुर्दों को या'नी ज़मीन के सब सरदारों को जगाता है; वह क़ौमों के सब बादशाहों को उनके तख़्तों पर से उठा खड़ा करता है। (Sheol h7585)
כֻּלָּ֣ם יַֽעֲנ֔וּ וְיֹאמְר֖וּ אֵלֶ֑יךָ גַּם־אַתָּ֛ה חֻלֵּ֥יתָ כָמ֖וֹנוּ אֵלֵ֥ינוּ נִמְשָֽׁלְתָּ׃ 10
वह सब तुझ से कहेंगे, क्या तू भी हमारी तरह 'आजिज़ हो गया; तू ऐसा हो गया जैसे हम हैं?'
הוּרַ֥ד שְׁא֛וֹל גְּאוֹנֶ֖ךָ הֶמְיַ֣ת נְבָלֶ֑יךָ תַּחְתֶּ֙יךָ֙ יֻצַּ֣ע רִמָּ֔ה וּמְכַסֶּ֖יךָ תּוֹלֵעָֽה׃ (Sheol h7585) 11
तेरी शान — ओ — शौकत और तेरे साज़ों की ख़ुश आवाज़ी पाताल में उतारी गई; तेरे नीचे कीड़ों का फ़र्श हुआ, और कीड़े ही तेरा बालापोश बने। (Sheol h7585)
אֵ֛יךְ נָפַ֥לְתָּ מִשָּׁמַ֖יִם הֵילֵ֣ל בֶּן־שָׁ֑חַר נִגְדַּ֣עְתָּ לָאָ֔רֶץ חוֹלֵ֖שׁ עַל־גּוֹיִֽם׃ 12
ऐ सुबह के सितारे, तू क्यूँकर आसमान से गिर पड़ा। ऐ क़ौमों को पस्त करनेवाले, तू क्यूँकर ज़मीन पर पटका गया!
וְאַתָּ֞ה אָמַ֤רְתָּ בִֽלְבָבְךָ֙ הַשָּׁמַ֣יִם אֶֽעֱלֶ֔ה מִמַּ֥עַל לְכֽוֹכְבֵי־אֵ֖ל אָרִ֣ים כִּסְאִ֑י וְאֵשֵׁ֥ב בְּהַר־מוֹעֵ֖ד בְּיַרְכְּתֵ֥י צָפֽוֹן׃ 13
तू तो अपने दिल में कहता था, मैं आसमान पर चढ़ जाऊँगा; मैं अपने तख़्त को ख़ुदा के सितारों से भी ऊँचा करूँगा, और मैं उत्तरी अतराफ़ में जमा'अत के पहाड़ पर बैठूँगा;
אֶעֱלֶ֖ה עַל־בָּ֣מֳתֵי עָ֑ב אֶדַּמֶּ֖ה לְעֶלְיֽוֹן׃ 14
मैं बादलों से भी ऊपर चढ़ जाऊँगा, मैं ख़ुदा त'आला की तरह हूँगा।
אַ֧ךְ אֶל־שְׁא֛וֹל תּוּרָ֖ד אֶל־יַרְכְּתֵי־בֽוֹר׃ (Sheol h7585) 15
लेकिन तू पाताल में गढ़े की तह में उतारा जाएगा। (Sheol h7585)
רֹאֶ֙יךָ֙ אֵלֶ֣יךָ יַשְׁגִּ֔יחוּ אֵלֶ֖יךָ יִתְבּוֹנָ֑נוּ הֲזֶ֤ה הָאִישׁ֙ מַרְגִּ֣יז הָאָ֔רֶץ מַרְעִ֖ישׁ מַמְלָכֽוֹת׃ 16
और जिनकी नज़र तुझ पर पड़ेगी, तुझे ग़ौर से देखकर कहेंगे, 'क्या यह वही शख़्स है जिसने ज़मीन को लरज़ाया और ममलुकतों को हिला दिया;
שָׂ֥ם תֵּבֵ֛ל כַּמִּדְבָּ֖ר וְעָרָ֣יו הָרָ֑ס אֲסִירָ֖יו לֹא־פָ֥תַח בָּֽיְתָה׃ 17
जिसने जहान को वीरान किया और उसकी बस्तियाँ उजाड़ दीं, जिसने अपने ग़ुलामों को आज़ाद न किया कि घर की तरफ़ जाएँ?
כָּל־מַלְכֵ֥י גוֹיִ֖ם כֻּלָּ֑ם שָׁכְב֥וּ בְכָב֖וֹד אִ֥ישׁ בְּבֵיתֽוֹ׃ 18
क़ौमों के तमाम बादशाह सब के सब अपने अपने घर में शौकत के साथ आराम करते हैं,
וְאַתָּ֞ה הָשְׁלַ֤כְתָּ מִֽקִּבְרְךָ֙ כְּנֵ֣צֶר נִתְעָ֔ב לְב֥וּשׁ הֲרֻגִ֖ים מְטֹ֣עֲנֵי חָ֑רֶב יוֹרְדֵ֥י אֶל־אַבְנֵי־ב֖וֹר כְּפֶ֥גֶר מוּבָֽס׃ 19
लेकिन तू अपनी क़ब्र से बाहर, निकम्मी शाख़ की तरह निकाल फेंका गया; तू उन मक़तूलों के नीचे दबा है जो तलवार से छेदे गए और गढ़े के पत्थरों पर गिरे हैं, उस लाश की तरह जो पाँवों से लताड़ी गई हो।
לֹֽא־תֵחַ֤ד אִתָּם֙ בִּקְבוּרָ֔ה כִּֽי־אַרְצְךָ֥ שִׁחַ֖תָּ עַמְּךָ֣ הָרָ֑גְתָּ לֹֽא־יִקָּרֵ֥א לְעוֹלָ֖ם זֶ֥רַע מְרֵעִֽים׃ 20
तू उनके साथ कभी क़ब्र में दफ़न न किया जाएगा, क्यूँकि तूने अपनी ममलुकत को वीरान किया और अपनी र'अय्यत को क़त्ल किया, “बदकिरदारों की नस्ल का नाम बाक़ी न रहेगा।
הָכִ֧ינוּ לְבָנָ֛יו מַטְבֵּ֖חַ בַּעֲוֹ֣ן אֲבוֹתָ֑ם בַּל־יָקֻ֙מוּ֙ וְיָ֣רְשׁוּ אָ֔רֶץ וּמָלְא֥וּ פְנֵֽי־תֵבֵ֖ל עָרִֽים׃ 21
उसके फ़र्ज़न्दों के लिए उनके बाप दादा के गुनाहों की वजह से क़त्ल का सामान तैयार करो, ताकि वह फिर उठ कर मुल्क के मालिक न हो जाएँ और इस ज़मीन को शहरों से मा'मूर न करें।”
וְקַמְתִּ֣י עֲלֵיהֶ֔ם נְאֻ֖ם יְהוָ֣ה צְבָא֑וֹת וְהִכְרַתִּ֨י לְבָבֶ֜ל שֵׁ֥ם וּשְׁאָ֛ר וְנִ֥ין וָנֶ֖כֶד נְאֻם־יְהוָֽה׃ 22
क्यूँकि रब्ब — उल — अफ़्वाज फ़रमाता है, मैं उनकी मुख़ालिफ़त को उठूँगा, और मैं बाबुल का नाम मिटाऊँगा और उनको जो बाक़ी हैं, बेटों और पोतों के साथ काट डालूँगा; यह ख़ुदावन्द का फ़रमान है।
וְשַׂמְתִּ֛יהָ לְמוֹרַ֥שׁ קִפֹּ֖ד וְאַגְמֵי־מָ֑יִם וְטֵֽאטֵאתִ֙יהָ֙ בְּמַטְאֲטֵ֣א הַשְׁמֵ֔ד נְאֻ֖ם יְהוָ֥ה צְבָאֽוֹת׃ פ 23
रब्ब — उल — अफ़्वाज फरमाता है “मैं उसे ख़ार पुश्त की मीरास और तालाब बना दूँगा और उसे फ़ना के झाड़ू से साफ़ कर दूँगा।”
נִשְׁבַּ֛ע יְהוָ֥ה צְבָא֖וֹת לֵאמֹ֑ר אִם־לֹ֞א כַּאֲשֶׁ֤ר דִּמִּ֙יתִי֙ כֵּ֣ן הָיָ֔תָה וְכַאֲשֶׁ֥ר יָעַ֖צְתִּי הִ֥יא תָקֽוּם׃ 24
रब्ब — उल — अफ़्वाज क़सम खाकर फ़रमाता है, कि यक़ीनन जैसा मैंने चाहा वैसा ही हो जाएगा; और जैसा मैंने इरादा किया है, वही वजूद में आयेगा।
לִשְׁבֹּ֤ר אַשּׁוּר֙ בְּאַרְצִ֔י וְעַל־הָרַ֖י אֲבוּסֶ֑נּוּ וְסָ֤ר מֵֽעֲלֵיהֶם֙ עֻלּ֔וֹ וְסֻ֨בֳּל֔וֹ מֵעַ֥ל שִׁכְמ֖וֹ יָסֽוּר׃ 25
मैं अपने ही मुल्क में असूरी को शिकस्त दूँगा, और अपने पहाड़ों पर उसे पाँव तले लताड़ूँगा; तब उसका जूआ उन पर से उतरेगा, और उसका बोझ उनके कंधों पर से टलेगा।
זֹ֛את הָעֵצָ֥ה הַיְּעוּצָ֖ה עַל־כָּל־הָאָ֑רֶץ וְזֹ֛את הַיָּ֥ד הַנְּטוּיָ֖ה עַל־כָּל־הַגּוֹיִֽם׃ 26
सारी दुनिया के ज़रिए' यही है, और सब क़ौमों पर यही हाथ बढ़ाया गया है।
כִּֽי־יְהוָ֧ה צְבָא֛וֹת יָעָ֖ץ וּמִ֣י יָפֵ֑ר וְיָד֥וֹ הַנְּטוּיָ֖ה וּֽמִ֥י יְשִׁיבֶֽנָּה׃ פ 27
क्यूँकि रब्ब — उल — अफ़्वाज ने इरादा किया है, कौन उसे बातिल करेगा? और उसका हाथ बढ़ाया गया है, उसे कौन रोकेगा?
בִּשְׁנַת־מ֖וֹת הַמֶּ֣לֶךְ אָחָ֑ז הָיָ֖ה הַמַּשָּׂ֥א הַזֶּֽה׃ 28
जिस साल आख़ज़ बादशाह ने वफ़ात पाई उसी साल यह बार — ए — नबुव्वत आया:
אַֽל־תִּשְׂמְחִ֤י פְלֶ֙שֶׁת֙ כֻּלֵּ֔ךְ כִּ֥י נִשְׁבַּ֖ר שֵׁ֣בֶט מַכֵּ֑ךְ כִּֽי־מִשֹּׁ֤רֶשׁ נָחָשׁ֙ יֵ֣צֵא צֶ֔פַע וּפִרְי֖וֹ שָׂרָ֥ף מְעוֹפֵֽף׃ 29
“ऐ कुल फ़िलिस्तीन, तू इस पर ख़ुश न हो कि तुझे मारने वाला लठ टूट गया; क्यूँकि साँप की अस्ल से एक नाग निकलेगा, और उसका फल एक उड़नेवाला आग का साँप होगा।
וְרָעוּ֙ בְּכוֹרֵ֣י דַלִּ֔ים וְאֶבְיוֹנִ֖ים לָבֶ֣טַח יִרְבָּ֑צוּ וְהֵמַתִּ֤י בָֽרָעָב֙ שָׁרְשֵׁ֔ךְ וּשְׁאֵרִיתֵ֖ךְ יַהֲרֹֽג׃ 30
तब ग़रीबों के पहलौठे खाएँगे, और मोहताज आराम से सोएँगे; लेकिन मैं तेरी जड़ काल से बर्बाद कर दूँगा, और तेरे बाक़ी लोग क़त्ल किए जाएँगे।
הֵילִ֤ילִֽי שַׁ֙עַר֙ זַֽעֲקִי־עִ֔יר נָמ֖וֹג פְּלֶ֣שֶׁת כֻּלֵּ֑ךְ כִּ֤י מִצָּפוֹן֙ עָשָׁ֣ן בָּ֔א וְאֵ֥ין בּוֹדֵ֖ד בְּמוֹעָדָֽיו׃ 31
ऐ फाटक, तू वावैला कर; ऐ शहर, तू चिल्ला; ऐ फ़िलिस्तीन, तू बिल्कुल गुदाज़ हो गई! क्यूँकि उत्तर से एक धुंवा उठेगा और उसके लश्करों में से कोई पीछे न रह जाएगा।”
וּמַֽה־יַּעֲנֶ֖ה מַלְאֲכֵי־ג֑וֹי כִּ֤י יְהוָה֙ יִסַּ֣ד צִיּ֔וֹן וּבָ֥הּ יֶחֱס֖וּ עֲנִיֵּ֥י עַמּֽוֹ׃ ס 32
उस वक़्त क़ौम के क़ासिदों को कोई क्या जवाब देगा? कि 'ख़ुदावन्द ने सिय्यून को ता'मीर किया है, और उसमें उसके ग़रीब बन्दे पनाह लेंगे।

< יְשַׁעְיָהוּ 14 >