< יְחֶזְקֵאל 23 >
וַיְהִ֥י דְבַר־יְהוָ֖ה אֵלַ֥י לֵאמֹֽר׃ | 1 |
१यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा:
בֶּן־אָדָ֑ם שְׁתַּ֣יִם נָשִׁ֔ים בְּנ֥וֹת אֵם־אַחַ֖ת הָיֽוּ׃ | 2 |
२“हे मनुष्य के सन्तान, दो स्त्रियाँ थी, जो एक ही माँ की बेटी थी।
וַתִּזְנֶ֣ינָה בְמִצְרַ֔יִם בִּנְעוּרֵיהֶ֖ן זָנ֑וּ שָׁ֚מָּה מֹעֲכ֣וּ שְׁדֵיהֶ֔ן וְשָׁ֣ם עִשּׂ֔וּ דַּדֵּ֖י בְּתוּלֵיהֶֽן׃ | 3 |
३वे अपने बचपन ही में वेश्या का काम मिस्र में करने लगी; उनकी छातियाँ कुँवारेपन में पहले वहीं मींजी गई और उनका मरदन भी हुआ।
וּשְׁמוֹתָ֗ן אָהֳלָ֤ה הַגְּדוֹלָה֙ וְאָהֳלִיבָ֣ה אֲחוֹתָ֔הּ וַתִּֽהְיֶ֣ינָה לִ֔י וַתֵּלַ֖דְנָה בָּנִ֣ים וּבָנ֑וֹת וּשְׁמוֹתָ֕ן שֹׁמְר֣וֹן אָהֳלָ֔ה וִירוּשָׁלִַ֖ם אָהֳלִיבָֽה׃ | 4 |
४उन लड़कियों में से बड़ी का नाम ओहोला और उसकी बहन का नाम ओहोलीबा था। वे मेरी हो गई, और उनके पुत्र पुत्रियाँ उत्पन्न हुईं। उनके नामों में से ओहोला तो सामरिया, और ओहोलीबा यरूशलेम है।
וַתִּ֥זֶן אָהֳלָ֖ה תַּחְתָּ֑י וַתַּעְגַּב֙ עַֽל־מְאַהֲבֶ֔יהָ אֶל־אַשּׁ֖וּר קְרוֹבִֽים׃ | 5 |
५“ओहोला जब मेरी थी, तब ही व्यभिचारिणी होकर अपने मित्रों पर मोहित होने लगी जो उसके पड़ोसी अश्शूरी थे।
לְבֻשֵׁ֤י תְכֵ֙לֶת֙ פַּח֣וֹת וּסְגָנִ֔ים בַּח֥וּרֵי חֶ֖מֶד כֻּלָּ֑ם פָּרָשִׁ֕ים רֹכְבֵ֖י סוּסִֽים׃ | 6 |
६वे तो सब के सब नीले वस्त्र पहननेवाले मनभावने जवान, अधिपति और प्रधान थे, और घोड़ों पर सवार थे।
וַתִּתֵּ֤ן תַּזְנוּתֶ֙יהָ֙ עֲלֵיהֶ֔ם מִבְחַ֥ר בְּנֵֽי־אַשּׁ֖וּר כֻּלָּ֑ם וּבְכֹ֧ל אֲשֶׁר־עָֽגְבָ֛ה בְּכָל־גִּלּוּלֵיהֶ֖ם נִטְמָֽאָה׃ | 7 |
७इसलिए उसने उन्हीं के साथ व्यभिचार किया जो सब के सब सर्वोत्तम अश्शूरी थे; और जिस किसी पर वह मोहित हुई, उसी की मूरतों से वह अशुद्ध हुई।
וְאֶת־תַּזְנוּתֶ֤יהָ מִמִּצְרַ֙יִם֙ לֹ֣א עָזָ֔בָה כִּ֤י אוֹתָהּ֙ שָׁכְב֣וּ בִנְעוּרֶ֔יהָ וְהֵ֥מָּה עִשּׂ֖וּ דַּדֵּ֣י בְתוּלֶ֑יהָ וַיִּשְׁפְּכ֥וּ תַזְנוּתָ֖ם עָלֶֽיהָ׃ | 8 |
८जो व्यभिचार उसने मिस्र में सीखा था, उसको भी उसने न छोड़ा; क्योंकि बचपन में मनुष्यों ने उसके साथ कुकर्म किया, और उसकी छातियाँ मींजी, और तन-मन से उसके साथ व्यभिचार किया गया था।
לָכֵ֥ן נְתַתִּ֖יהָ בְּיַד־מְאַֽהֲבֶ֑יהָ בְּיַד֙ בְּנֵ֣י אַשּׁ֔וּר אֲשֶׁ֥ר עָגְבָ֖ה עֲלֵיהֶֽם׃ | 9 |
९इस कारण मैंने उसको उन्हीं अश्शूरी मित्रों के हाथ कर दिया जिन पर वह मोहित हुई थी।
הֵמָּה֮ גִּלּ֣וּ עֶרְוָתָהּ֒ בָּנֶ֤יהָ וּבְנוֹתֶ֙יהָ֙ לָקָ֔חוּ וְאוֹתָ֖הּ בַּחֶ֣רֶב הָרָ֑גוּ וַתְּהִי־שֵׁם֙ לַנָּשִׁ֔ים וּשְׁפוּטִ֖ים עָ֥שׂוּ בָֽהּ׃ ס | 10 |
१०उन्होंने उसको नंगी किया; उसके पुत्र-पुत्रियाँ छीनकर उसको तलवार से घात किया; इस प्रकार उनके हाथ से दण्ड पाकर वह स्त्रियों में प्रसिद्ध हो गई।
וַתֵּ֙רֶא֙ אֲחוֹתָ֣הּ אָהֳלִיבָ֔ה וַתַּשְׁחֵ֥ת עַגְבָתָ֖הּ מִמֶּ֑נָּה וְאֶת־תַּ֨זְנוּתֶ֔יהָ מִזְּנוּנֵ֖י אֲחוֹתָֽהּ׃ | 11 |
११“उसकी बहन ओहोलीबा ने यह देखा, तो भी वह मोहित होकर व्यभिचार करने में अपनी बहन से भी अधिक बढ़ गई।
אֶל־בְּנֵי֩ אַשּׁ֨וּר עָגָ֜בָה פַּח֨וֹת וּסְגָנִ֤ים קְרֹבִים֙ לְבֻשֵׁ֣י מִכְל֔וֹל פָּרָשִׁ֖ים רֹכְבֵ֣י סוּסִ֑ים בַּח֥וּרֵי חֶ֖מֶד כֻּלָּֽם׃ | 12 |
१२वह अपने अश्शूरी पड़ोसियों पर मोहित होती थी, जो सब के सब अति सुन्दर वस्त्र पहननेवाले और घोड़ों के सवार मनभावने, जवान अधिपति और सब प्रकार के प्रधान थे।
וָאֵ֖רֶא כִּ֣י נִטְמָ֑אָה דֶּ֥רֶךְ אֶחָ֖ד לִשְׁתֵּיהֶֽן׃ | 13 |
१३तब मैंने देखा कि वह भी अशुद्ध हो गई; उन दोनों बहनों की एक ही चाल थी।
וַתּ֖וֹסֶף אֶל־תַּזְנוּתֶ֑יהָ וַתֵּ֗רֶא אַנְשֵׁי֙ מְחֻקֶּ֣ה עַל־הַקִּ֔יר צַלְמֵ֣י כַשְׂדִּ֔ים חֲקֻקִ֖ים בַּשָּׁשַֽׁר׃ | 14 |
१४परन्तु ओहोलीबा अधिक व्यभिचार करती गई; अतः जब उसने दीवार पर सेंदूर से खींचे हुए ऐसे कसदी पुरुषों के चित्र देखे,
חֲגוֹרֵ֨י אֵז֜וֹר בְּמָתְנֵיהֶ֗ם סְרוּחֵ֤י טְבוּלִים֙ בְּרָ֣אשֵׁיהֶ֔ם מַרְאֵ֥ה שָׁלִשִׁ֖ים כֻּלָּ֑ם דְּמ֤וּת בְּנֵֽי־בָבֶל֙ כַּשְׂדִּ֔ים אֶ֖רֶץ מוֹלַדְתָּֽם׃ | 15 |
१५जो कमर में फेंटे बाँधे हुए, सिर में छोर लटकती हुई रंगीली पगड़ियाँ पहने हुए, और सब के सब अपनी कसदी जन्म-भूमि अर्थात् बाबेल के लोगों की रीति पर प्रधानों का रूप धरे हुए थे,
וַתַּעְגְּבָ֥ה עֲלֵיהֶ֖ם לְמַרְאֵ֣ה עֵינֶ֑יהָ וַתִּשְׁלַ֧ח מַלְאָכִ֛ים אֲלֵיהֶ֖ם כַּשְׂדִּֽימָה׃ | 16 |
१६तब उनको देखते ही वह उन पर मोहित हुई और उनके पास कसदियों के देश में दूत भेजे।
וַיָּבֹ֨אוּ אֵלֶ֤יהָ בְנֵֽי־בָבֶל֙ לְמִשְׁכַּ֣ב דֹּדִ֔ים וַיְטַמְּא֥וּ אוֹתָ֖הּ בְּתַזְנוּתָ֑ם וַתִּ֨טְמָא־בָ֔ם וַתֵּ֥קַע נַפְשָׁ֖הּ מֵהֶֽם׃ | 17 |
१७इसलिए बाबेली उसके पास पलंग पर आए, और उसके साथ व्यभिचार करके उसे अशुद्ध किया; और जब वह उनसे अशुद्ध हो गई, तब उसका मन उनसे फिर गया।
וַתְּגַל֙ תַּזְנוּתֶ֔יהָ וַתְּגַ֖ל אֶת־עֶרְוָתָ֑הּ וַתֵּ֤קַע נַפְשִׁי֙ מֵֽעָלֶ֔יהָ כַּאֲשֶׁ֛ר נָקְעָ֥ה נַפְשִׁ֖י מֵעַ֥ל אֲחוֹתָֽהּ׃ | 18 |
१८तो भी जब वह तन उघाड़ती और व्यभिचार करती गई, तब मेरा मन जैसे उसकी बहन से फिर गया था, वैसे ही उससे भी फिर गया।
וַתַּרְבֶּ֖ה אֶת־תַּזְנוּתֶ֑יהָ לִזְכֹּר֙ אֶת־יְמֵ֣י נְעוּרֶ֔יהָ אֲשֶׁ֥ר זָנְתָ֖ה בְּאֶ֥רֶץ מִצְרָֽיִם׃ | 19 |
१९इस पर भी वह मिस्र देश के अपने बचपन के दिन स्मरण करके जब वह वेश्या का काम करती थी, और अधिक व्यभिचार करती गई;
וַֽתַּעְגְּבָ֔ה עַ֖ל פִּֽלַגְשֵׁיהֶ֑ם אֲשֶׁ֤ר בְּשַׂר־חֲמוֹרִים֙ בְּשָׂרָ֔ם וְזִרְמַ֥ת סוּסִ֖ים זִרְמָתָֽם׃ | 20 |
२०और ऐसे मित्रों पर मोहित हुई, जिनका अंग गदहों का सा, और वीर्य घोड़ों का सा था।
וַֽתִּפְקְדִ֔י אֵ֖ת זִמַּ֣ת נְעוּרָ֑יִךְ בַּעְשׂ֤וֹת מִמִּצְרַ֙יִם֙ דַּדַּ֔יִךְ לְמַ֖עַן שְׁדֵ֥י נְעוּרָֽיִךְ׃ ס | 21 |
२१तू इस प्रकार से अपने बचपन के उस समय के महापाप का स्मरण कराती है जब मिस्री लोग तेरी छातियाँ मींजते थे।”
לָכֵ֣ן אָהֳלִיבָ֗ה כֹּֽה־אָמַר֮ אֲדֹנָ֣י יְהוִה֒ הִנְנִ֨י מֵעִ֤יר אֶת־מְאַהֲבַ֙יִךְ֙ עָלַ֔יִךְ אֵ֛ת אֲשֶׁר־נָקְעָ֥ה נַפְשֵׁ֖ךְ מֵהֶ֑ם וַהֲבֵאתִ֥ים עָלַ֖יִךְ מִסָּבִֽיב׃ | 22 |
२२इस कारण हे ओहोलीबा, परमेश्वर यहोवा तुझ से यह कहता है: “देख, मैं तेरे मित्रों को उभारकर जिनसे तेरा मन फिर गया चारों ओर से तेरे विरुद्ध ले आऊँगा।
בְּנֵ֧י בָבֶ֣ל וְכָל־כַּשְׂדִּ֗ים פְּק֤וֹד וְשׁ֙וֹעַ֙ וְק֔וֹעַ כָּל־בְּנֵ֥י אַשּׁ֖וּר אוֹתָ֑ם בַּח֨וּרֵי חֶ֜מֶד פַּח֤וֹת וּסְגָנִים֙ כֻּלָּ֔ם שָֽׁלִשִׁים֙ וּקְרוּאִ֔ים רֹכְבֵ֥י סוּסִ֖ים כֻּלָּֽם׃ | 23 |
२३अर्थात् बाबेली और सब कसदियों को, और पकोद, शोया और कोआ के लोगों को; और उनके साथ सब अश्शूरियों को लाऊँगा जो सब के सब घोड़ों के सवार मनभावने जवान अधिपति, और कई प्रकार के प्रतिनिधि, प्रधान और नामी पुरुष हैं।
וּבָ֣אוּ עָלַ֡יִךְ הֹ֠צֶן רֶ֤כֶב וְגַלְגַּל֙ וּבִקְהַ֣ל עַמִּ֔ים צִנָּ֤ה וּמָגֵן֙ וְקוֹבַ֔ע יָשִׂ֥ימוּ עָלַ֖יִךְ סָבִ֑יב וְנָתַתִּ֤י לִפְנֵיהֶם֙ מִשְׁפָּ֔ט וּשְׁפָט֖וּךְ בְּמִשְׁפְּטֵיהֶֽם׃ | 24 |
२४वे लोग हथियार, रथ, छकड़े और देश-देश के लोगों का दल लिए हुए तुझ पर चढ़ाई करेंगे; और ढाल और फरी और टोप धारण किए हुए तेरे विरुद्ध चारों ओर पाँति बाँधेंगे; और मैं उन्हीं के हाथ न्याय का काम सौंपूँगा, और वे अपने-अपने नियम के अनुसार तेरा न्याय करेंगे।
וְנָתַתִּ֨י קִנְאָתִ֜י בָּ֗ךְ וְעָשׂ֤וּ אוֹתָךְ֙ בְּחֵמָ֔ה אַפֵּ֤ךְ וְאָזְנַ֙יִךְ֙ יָסִ֔ירוּ וְאַחֲרִיתֵ֖ךְ בַּחֶ֣רֶב תִּפּ֑וֹל הֵ֗מָּה בָּנַ֤יִךְ וּבְנוֹתַ֙יִךְ֙ יִקָּ֔חוּ וְאַחֲרִיתֵ֖ךְ תֵּאָכֵ֥ל בָּאֵֽשׁ׃ | 25 |
२५मैं तुझ पर जलूँगा, जिससे वे जलजलाहट के साथ तुझ से बर्ताव करेंगे। वे तेरी नाक और कान काट लेंगे, और तेरा जो भी बचा रहेगा वह तलवार से मारा जाएगा। वे तेरे पुत्र-पुत्रियों को छीन ले जाएँगे, और तेरा जो भी बचा रहेगा, वह आग से भस्म हो जाएगा।
וְהִפְשִׁיט֖וּךְ אֶת־בְּגָדָ֑יִךְ וְלָקְח֖וּ כְּלֵ֥י תִפְאַרְתֵּֽךְ׃ | 26 |
२६वे तेरे वस्त्र भी उतारकर तेरे सुन्दर-सुन्दर गहने छीन ले जाएँगे।
וְהִשְׁבַּתִּ֤י זִמָּתֵךְ֙ מִמֵּ֔ךְ וְאֶת־זְנוּתֵ֖ךְ מֵאֶ֣רֶץ מִצְרָ֑יִם וְלֹֽא־תִשְׂאִ֤י עֵינַ֙יִךְ֙ אֲלֵיהֶ֔ם וּמִצְרַ֖יִם לֹ֥א תִזְכְּרִי־עֽוֹד׃ ס | 27 |
२७इस रीति से मैं तेरा महापाप और जो वेश्या का काम तूने मिस्र देश में सीखा था, उसे भी तुझ से छुड़ाऊँगा, यहाँ तक कि तू फिर अपनी आँख उनकी ओर न लगाएगी और न मिस्र देश को फिर स्मरण करेगी।
כִּ֣י כֹ֤ה אָמַר֙ אֲדֹנָ֣י יְהוִ֔ה הִנְנִי֙ נֹֽתְנָ֔ךְ בְּיַ֖ד אֲשֶׁ֣ר שָׂנֵ֑את בְּיַ֛ד אֲשֶׁר־נָקְעָ֥ה נַפְשֵׁ֖ךְ מֵהֶֽם׃ | 28 |
२८क्योंकि प्रभु यहोवा तुझ से यह कहता है: देख, मैं तुझे उनके हाथ सौंपूँगा जिनसे तू बैर रखती है और जिनसे तेरा मन फिर गया है;
וְעָשׂ֨וּ אוֹתָ֜ךְ בְּשִׂנְאָ֗ה וְלָקְחוּ֙ כָּל־יְגִיעֵ֔ךְ וַעֲזָב֖וּךְ עֵירֹ֣ם וְעֶרְיָ֑ה וְנִגְלָה֙ עֶרְוַ֣ת זְנוּנַ֔יִךְ וְזִמָּתֵ֖ךְ וְתַזְנוּתָֽיִךְ׃ | 29 |
२९और वे तुझ से बैर के साथ बर्ताव करेंगे, और तेरी सारी कमाई को उठा लेंगे, और तुझे नंगा करके छोड़ देंगे, और तेरे तन के उघाड़े जाने से तेरा व्यभिचार और महापाप प्रगट हो जाएगा।
עָשֹׂ֥ה אֵ֖לֶּה לָ֑ךְ בִּזְנוֹתֵךְ֙ אַחֲרֵ֣י גוֹיִ֔ם עַ֥ל אֲשֶׁר־נִטְמֵ֖את בְּגִלּוּלֵיהֶֽם׃ | 30 |
३०ये काम तुझ से इस कारण किए जाएँगे क्योंकि तू अन्यजातियों के पीछे व्यभिचारिणी के समान हो गई, और उनकी मूर्तियों को पूजकर अशुद्ध हो गई है।
בְּדֶ֥רֶךְ אֲחוֹתֵ֖ךְ הָלָ֑כְתְּ וְנָתַתִּ֥י כוֹסָ֖הּ בְּיָדֵֽךְ׃ ס | 31 |
३१तू अपनी बहन की लीक पर चली है; इस कारण मैं तेरे हाथ में उसका सा कटोरा दूँगा।
כֹּ֤ה אָמַר֙ אֲדֹנָ֣י יְהֹוִ֔ה כּ֤וֹס אֲחוֹתֵךְ֙ תִּשְׁתִּ֔י הָעֲמֻקָּ֖ה וְהָרְחָבָ֑ה תִּהְיֶ֥ה לִצְחֹ֛ק וּלְלַ֖עַג מִרְבָּ֥ה לְהָכִֽיל׃ | 32 |
३२प्रभु यहोवा यह कहता है, अपनी बहन के कटोरे से तुझे पीना पड़ेगा जो गहरा और चौड़ा है; तू हँसी और उपहास में उड़ाई जाएगी, क्योंकि उस कटोरे में बहुत कुछ समाता है।
שִׁכָּר֥וֹן וְיָג֖וֹן תִּמָּלֵ֑אִי כּ֚וֹס שַׁמָּ֣ה וּשְׁמָמָ֔ה כּ֖וֹס אֲחוֹתֵ֥ךְ שֹׁמְרֽוֹן׃ | 33 |
३३तू मतवालेपन और दुःख से छक जाएगी। तू अपनी बहन सामरिया के कटोरे को, अर्थात् विस्मय और उजाड़ को पीकर छक जाएगी।
וְשָׁתִ֨ית אוֹתָ֜הּ וּמָצִ֗ית וְאֶת־חֲרָשֶׂ֛יהָ תְּגָרֵ֖מִי וְשָׁדַ֣יִךְ תְּנַתֵּ֑קִי כִּ֚י אֲנִ֣י דִבַּ֔רְתִּי נְאֻ֖ם אֲדֹנָ֥י יְהוִֽה׃ ס | 34 |
३४उसमें से तू गार-गारकर पीएगी, और उसके ठीकरों को भी चबाएगी और अपनी छातियाँ घायल करेगी; क्योंकि मैं ही ने ऐसा कहा है, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
לָכֵ֗ן כֹּ֤ה אָמַר֙ אֲדֹנָ֣י יְהוִ֔ה יַ֚עַן שָׁכַ֣חַתְּ אוֹתִ֔י וַתַּשְׁלִ֥יכִי אוֹתִ֖י אַחֲרֵ֣י גַוֵּ֑ךְ וְגַם־אַ֛תְּ שְׂאִ֥י זִמָּתֵ֖ךְ וְאֶת־תַּזְנוּתָֽיִךְ׃ ס | 35 |
३५तूने जो मुझे भुला दिया है और अपना मुँह मुझसे फेर लिया है, इसलिए तू आप ही अपने महापाप और व्यभिचार का भार उठा, परमेश्वर यहोवा का यही वचन है।”
וַיֹּ֤אמֶר יְהוָה֙ אֵלַ֔י בֶּן־אָדָ֕ם הֲתִשְׁפּ֥וֹט אֶֽת־אָהֳלָ֖ה וְאֶת־אָהֳלִיבָ֑ה וְהַגֵּ֣ד לָהֶ֔ן אֵ֖ת תוֹעֲבוֹתֵיהֶֽן׃ | 36 |
३६यहोवा ने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के सन्तान, क्या तू ओहोला और ओहोलीबा का न्याय करेगा? तो फिर उनके घिनौने काम उन्हें जता दे।
כִּ֣י נִאֵ֗פוּ וְדָם֙ בִּֽידֵיהֶ֔ן וְאֶת־גִּלּֽוּלֵיהֶ֖ן נִאֵ֑פוּ וְגַ֤ם אֶת־בְּנֵיהֶן֙ אֲשֶׁ֣ר יָֽלְדוּ־לִ֔י הֶעֱבִ֥ירוּ לָהֶ֖ם לְאָכְלָֽה׃ | 37 |
३७क्योंकि उन्होंने व्यभिचार किया है, और उनके हाथों में खून लगा है; उन्होंने अपनी मूरतों के साथ व्यभिचार किया, और अपने बच्चों को जो मुझसे उत्पन्न हुए थे, उन मूरतों के आगे भस्म होने के लिये चढ़ाए हैं।
ע֥וֹד זֹ֖את עָ֣שׂוּ לִ֑י טִמְּא֤וּ אֶת־מִקְדָּשִׁי֙ בַּיּ֣וֹם הַה֔וּא וְאֶת־שַׁבְּתוֹתַ֖י חִלֵּֽלוּ׃ | 38 |
३८फिर उन्होंने मुझसे ऐसा बर्ताव भी किया कि उसी के साथ मेरे पवित्रस्थान को भी अशुद्ध किया और मेरे विश्रामदिनों को अपवित्र किया है।
וּֽבְשַׁחֲטָ֤ם אֶת־בְּנֵיהֶם֙ לְגִלּ֣וּלֵיהֶ֔ם וַיָּבֹ֧אוּ אֶל־מִקְדָּשִׁ֛י בַּיּ֥וֹם הַה֖וּא לְחַלְּל֑וֹ וְהִנֵּה־כֹ֥ה עָשׂ֖וּ בְּת֥וֹךְ בֵּיתִֽי׃ | 39 |
३९वे अपने बच्चे अपनी मूरतों के सामने बलि चढ़ाकर उसी दिन मेरा पवित्रस्थान अपवित्र करने को उसमें घुसीं। देख, उन्होंने इस भाँति का काम मेरे भवन के भीतर किया है।
וְאַ֗ף כִּ֤י תִשְׁלַ֙חְנָה֙ לַֽאֲנָשִׁ֔ים בָּאִ֖ים מִמֶּרְחָ֑ק אֲשֶׁ֨ר מַלְאָ֜ךְ שָׁל֤וּחַ אֲלֵיהֶם֙ וְהִנֵּה־בָ֔אוּ לַאֲשֶׁ֥ר רָחַ֛צְתְּ כָּחַ֥לְתְּ עֵינַ֖יִךְ וְעָ֥דִית עֶֽדִי׃ | 40 |
४०उन्होंने दूर से पुरुषों को बुलवा भेजा, और वे चले भी आए। उनके लिये तू नहा धो, आँखों में अंजन लगा, गहने पहनकर;
וְיָשַׁבְתְּ֙ עַל־מִטָּ֣ה כְבוּדָּ֔ה וְשֻׁלְחָ֥ן עָר֖וּךְ לְפָנֶ֑יהָ וּקְטָרְתִּ֥י וְשַׁמְנִ֖י שַׂ֥מְתְּ עָלֶֽיהָ׃ | 41 |
४१सुन्दर पलंग पर बैठी रही; और तेरे सामने एक मेज बिछी हुई थी, जिस पर तूने मेरा धूप और मेरा तेल रखा था।
וְק֣וֹל הָמוֹן֮ שָׁלֵ֣ו בָהּ֒ וְאֶל־אֲנָשִׁים֙ מֵרֹ֣ב אָדָ֔ם מוּבָאִ֥ים סָבָאִ֖ים מִמִּדְבָּ֑ר וַֽיִּתְּנ֤וּ צְמִידִים֙ אֶל־יְדֵיהֶ֔ן וַעֲטֶ֥רֶת תִּפְאֶ֖רֶת עַל־רָאשֵׁיהֶֽן׃ | 42 |
४२तब उसके साथ निश्चिन्त लोगों की भीड़ का कोलाहल सुन पड़ा, और उन साधारण लोगों के पास जंगल से बुलाए हुए पियक्कड़ लोग भी थे; उन्होंने उन दोनों बहनों के हाथों में चूड़ियाँ पहनाई, और उनके सिरों पर शोभायमान मुकुट रखे।
וָאֹמַ֕ר לַבָּלָ֖ה נִֽאוּפִ֑ים עַתָּ֛ה יִזְנ֥וּ תַזְנוּתֶ֖הָ וָהִֽיא׃ | 43 |
४३“तब जो व्यभिचार करते-करते बुढ़िया हो गई थी, उसके विषय में बोल उठा, अब तो वे उसी के साथ व्यभिचार करेंगे।
וַיָּב֣וֹא אֵלֶ֔יהָ כְּב֖וֹא אֶל־אִשָּׁ֣ה זוֹנָ֑ה כֵּ֣ן בָּ֗אוּ אֶֽל־אָֽהֳלָה֙ וְאֶל־אָ֣הֳלִיבָ֔ה אִשֹּׁ֖ת הַזִּמָּֽה׃ | 44 |
४४क्योंकि वे उसके पास ऐसे गए जैसे लोग वेश्या के पास जाते हैं। वैसे ही वे ओहोला और ओहोलीबा नामक महापापिनी स्त्रियों के पास गए।
וַאֲנָשִׁ֣ים צַדִּיקִ֗ם הֵ֚מָּה יִשְׁפְּט֣וּ אֽוֹתְהֶ֔ם מִשְׁפַּט֙ נֹֽאֲפ֔וֹת וּמִשְׁפַּ֖ט שֹׁפְכ֣וֹת דָּ֑ם כִּ֤י נֹֽאֲפֹת֙ הֵ֔נָּה וְדָ֖ם בִּֽידֵיהֶֽן׃ ס | 45 |
४५अतः धर्मी लोग व्यभिचारिणियों और हत्यारों के योग्य उसका न्याय करें; क्योंकि वे व्यभिचारिणियों और हत्यारों के योग्य उसका न्याय करें; क्योंकि वे व्यभिचारिणी है, और उनके हाथों में खून लगा है।”
כִּ֛י כֹּ֥ה אָמַ֖ר אֲדֹנָ֣י יְהוִ֑ה הַעֲלֵ֤ה עֲלֵיהֶם֙ קָהָ֔ל וְנָתֹ֥ן אֶתְהֶ֖ן לְזַעֲוָ֥ה וְלָבַֽז׃ | 46 |
४६इस कारण परमेश्वर यहोवा यह कहता है: “मैं एक भीड़ से उन पर चढ़ाई कराकर उन्हें ऐसा करूँगा कि वे मारी-मारी फिरेंगी और लूटी जाएँगी।
וְרָגְמ֨וּ עֲלֵיהֶ֥ן אֶ֙בֶן֙ קָהָ֔ל וּבָרֵ֥א אוֹתְהֶ֖ן בְּחַרְבוֹתָ֑ם בְּנֵיהֶ֤ם וּבְנֽוֹתֵיהֶם֙ יַהֲרֹ֔גוּ וּבָתֵּיהֶ֖ן בָּאֵ֥שׁ יִשְׂרֹֽפוּ׃ | 47 |
४७उस भीड़ के लोग उनको पथराव करके उन्हें अपनी तलवारों से काट डालेंगे, तब वे उनके पुत्र-पुत्रियों को घात करके उनके घर भी आग लगाकर फूँक देंगे।
וְהִשְׁבַּתִּ֥י זִמָּ֖ה מִן־הָאָ֑רֶץ וְנִֽוַּסְּרוּ֙ כָּל־הַנָּשִׁ֔ים וְלֹ֥א תַעֲשֶׂ֖ינָה כְּזִמַּתְכֶֽנָה׃ | 48 |
४८इस प्रकार मैं महापाप को देश में से दूर करूँगा, और सब स्त्रियाँ शिक्षा पाकर तुम्हारा सा महापाप करने से बची रहेगी।
וְנָתְנ֤וּ זִמַּתְכֶ֙נָה֙ עֲלֵיכֶ֔ן וַחֲטָאֵ֥י גִלּוּלֵיכֶ֖ן תִּשֶּׂ֑אינָה וִידַעְתֶּ֕ם כִּ֥י אֲנִ֖י אֲדֹנָ֥י יְהוִֽה׃ פ | 49 |
४९तुम्हारा महापाप तुम्हारे ही सिर पड़ेगा; और तुम निश्चय अपनी मूरतों की पूजा के पापों का भार उठाओगे; और तब तुम जान लोगे कि मैं परमेश्वर यहोवा हूँ।”