< יְחֶזְקֵאל 22 >
וַיְהִ֥י דְבַר־יְהוָ֖ה אֵלַ֥י לֵאמֹֽר׃ | 1 |
फिर ख़ुदा वन्द का कलाम मुझ पर नाजिल हुआ:
וְאַתָּ֣ה בֶן־אָדָ֔ם הֲתִשְׁפֹּ֥ט הֲתִשְׁפֹּ֖ט אֶת־עִ֣יר הַדָּמִ֑ים וְה֣וֹדַעְתָּ֔הּ אֵ֖ת כָּל־תּוֹעֲבוֹתֶֽיהָ׃ | 2 |
कि 'ऐ आदमज़ाद, क्या तू इल्ज़ाम न लगाएगा? क्या तू इस खू़नी शहर को मुल्ज़िम न ठहराएगा? तू इसके सब नफ़रती काम इसको दिखा,
וְאָמַרְתָּ֗ כֹּ֤ה אָמַר֙ אֲדֹנָ֣י יְהוִ֔ה עִ֣יר שֹׁפֶ֥כֶת דָּ֛ם בְּתוֹכָ֖הּ לָב֣וֹא עִתָּ֑הּ וְעָשְׂתָ֧ה גִלּוּלִ֛ים עָלֶ֖יהָ לְטָמְאָֽה׃ | 3 |
और कह, ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि ऐ शहर, तू अपने अन्दर खूँरेज़ी करता है ताकि तेरा वक़्त आजाए और तू अपने वास्ते बुतों को अपने नापाक करने के लिए बनाता है।
בְּדָמֵ֨ךְ אֲשֶׁר־שָׁפַ֜כְתְּ אָשַׁ֗מְתְּ וּבְגִלּוּלַ֤יִךְ אֲשֶׁר־עָשִׂית֙ טָמֵ֔את וַתַּקְרִ֣יבִי יָמַ֔יִךְ וַתָּב֖וֹא עַד־שְׁנוֹתָ֑יִךְ עַל־כֵּ֗ן נְתַתִּ֤יךְ חֶרְפָּה֙ לַגּוֹיִ֔ם וְקַלָּסָ֖ה לְכָל־הָאֲרָצֽוֹת׃ | 4 |
तू उस खू़न की वजह से जो तूने बहाया मुजरिम ठहरा, और तू बुतों के ज़रिए' जिनको तूने बनाया है नापाक हुआ; तू अपने वक़्त को नज़दीक लाता है और अपने दिनों के ख़ातिमे तक पहुँचा है इसलिए मैंने तुझे क़ौमों की मलामत का निशाना और मुल्कों का ठठ्ठा बनाया है।
הַקְּרֹב֛וֹת וְהָרְחֹק֥וֹת מִמֵּ֖ךְ יִתְקַלְּסוּ־בָ֑ךְ טְמֵאַ֣ת הַשֵּׁ֔ם רַבַּ֖ת הַמְּהוּמָֽה׃ | 5 |
तुझ से दूर — ओ — नज़दीक के सब लोग तेरी हँसी उड़ायेंगे क्यूँकि तू झगड़ालू और बदनाम मशहूर है।
הִנֵּה֙ נְשִׂיאֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל אִ֥ישׁ לִזְרֹע֖וֹ הָ֣יוּ בָ֑ךְ לְמַ֖עַן שְׁפָךְ־דָּֽם׃ | 6 |
देख, इस्राईल के हाकिम सब के सब जो तुझ में हैं, मक़दूर भर खू़ँरेज़ी पर मुसत'इद थे।
אָ֤ב וָאֵם֙ הֵקַ֣לּוּ בָ֔ךְ לַגֵּ֛ר עָשׂ֥וּ בַעֹ֖שֶׁק בְּתוֹכֵ֑ךְ יָת֥וֹם וְאַלְמָנָ֖ה ה֥וֹנוּ בָֽךְ׃ | 7 |
तेरे अन्दर उन्होंने माँ बाप को बेकार जाना है, तेरे अन्दर उन्होंने परदेसियों पर ज़ुल्म किया तेरे अन्दर उन्होंने यतीमों और बेवाओं पर सितम किया है।
קָדָשַׁ֖י בָּזִ֑ית וְאֶת־שַׁבְּתֹתַ֖י חִלָּֽלְתְּ׃ | 8 |
तूने मेरी पाक चीज़ों को नाचीज़ जाना, और मेरे सबतों को नापाक किया।
אַנְשֵׁ֥י רָכִ֛יל הָ֥יוּ בָ֖ךְ לְמַ֣עַן שְׁפָךְ־דָּ֑ם וְאֶל־הֶֽהָרִים֙ אָ֣כְלוּ בָ֔ךְ זִמָּ֖ה עָשׂ֥וּ בְתוֹכֵֽךְ׃ | 9 |
तेरे अन्दर वह लोग हैं जो चुगलखोरी करके खू़न करवाते हैं, और तेरे अन्दर वह हैं जो बुतों की क़ुर्बानी से खाते हैं; तेरे अन्दर वह हैं जो बुराई करते हैं।
עֶרְוַת־אָ֖ב גִּלָּה־בָ֑ךְ טְמֵאַ֥ת הַנִּדָּ֖ה עִנּוּ־בָֽךְ׃ | 10 |
तेरे अन्दर वह भी हैं जिन्होंने अपने बाप की लौंडी शिकनी की, तुझ में उन्होंने उस 'औरत से जो नापाकी की हालत में थी मुबाश्रत की।
וְאִ֣ישׁ ׀ אֶת־אֵ֣שֶׁת רֵעֵ֗הוּ עָשָׂה֙ תּֽוֹעֵבָ֔ה וְאִ֥ישׁ אֶת־כַּלָּת֖וֹ טִמֵּ֣א בְזִמָּ֑ה וְאִ֛ישׁ אֶת־אֲחֹת֥וֹ בַת־אָבִ֖יו עִנָּה־בָֽךְ׃ | 11 |
किसी ने दूसरे की बीवी से बदकारी की, और किसी ने अपनी बहू से बदज़ाती की, और किसी ने अपनी बहन अपने बाप की बेटी को तेरे अन्दर रुस्वा किया।
שֹׁ֥חַד לָֽקְחוּ־בָ֖ךְ לְמַ֣עַן שְׁפָךְ־דָּ֑ם נֶ֧שֶׁךְ וְתַרְבִּ֣ית לָקַ֗חַתְּ וַתְּבַצְּעִ֤י רֵעַ֙יִךְ֙ בַּעֹ֔שֶׁק וְאֹתִ֣י שָׁכַ֔חַתְּ נְאֻ֖ם אֲדֹנָ֥י יְהוִֽה׃ | 12 |
तेरे अन्दर उन्होंने खूँरेज़ी के लिए रिश्वत ख़्वारी की तूने ब्याज और सूद लिया और ज़ुल्म करके अपने पड़ोसी को लूटा और मुझे फ़रामोश किया ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है।
וְהִנֵּה֙ הִכֵּ֣יתִי כַפִּ֔י אֶל־בִּצְעֵ֖ךְ אֲשֶׁ֣ר עָשִׂ֑ית וְעַ֨ל־דָּמֵ֔ךְ אֲשֶׁ֥ר הָי֖וּ בְּתוֹכֵֽךְ׃ | 13 |
“देख, तेरे नारवा नफ़े' की वजह से जो तूने लिया, और तेरी खू़ँरेज़ी के ज़रिए' जो तेरे अन्दर हुई, मैंने ताली बजाई।
הֲיַעֲמֹ֤ד לִבֵּךְ֙ אִם־תֶּחֱזַ֣קְנָה יָדַ֔יִךְ לַיָּמִ֕ים אֲשֶׁ֥ר אֲנִ֖י עֹשֶׂ֣ה אוֹתָ֑ךְ אֲנִ֥י יְהוָ֖ה דִּבַּ֥רְתִּי וְעָשִֽׂיתִי׃ | 14 |
क्या तेरा दिल बर्दाश्त करेगा और तेरे हाथों में ज़ोर होगा, जब मैं तेरा मु'आमिले का फ़ैसला करूँगा? मैं ख़ुदावन्द ने फ़रमाया, और मैं ही कर दिखाऊँगा।
וַהֲפִיצוֹתִ֤י אוֹתָךְ֙ בַּגּוֹיִ֔ם וְזֵרִיתִ֖יךְ בָּאֲרָצ֑וֹת וַהֲתִמֹּתִ֥י טֻמְאָתֵ֖ךְ מִמֵּֽךְ׃ | 15 |
हाँ, मैं तुझ को क़ौमों में तितर बितर और मुल्कों में तितर — बितर करूँगा, और तेरी गन्दगी तुझ में से हलाक कर दूँगा।
וְנִחַ֥לְתְּ בָּ֖ךְ לְעֵינֵ֣י גוֹיִ֑ם וְיָדַ֖עַתְּ כִּֽי־אֲנִ֥י יְהוָֽה׃ פ | 16 |
और तू क़ौमों के सामने अपने आप में नापाक ठहरेगा, और मा'लूम करेगा कि मैं ख़ुदावन्द हूँ।”
וַיְהִ֥י דְבַר־יְהוָ֖ה אֵלַ֥י לֵאמֹֽר׃ | 17 |
और ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
בֶּן־אָדָ֕ם הָיוּ־לִ֥י בֵֽית־יִשְׂרָאֵ֖ל לְסִ֑יג כֻּלָּ֡ם נְ֠חֹשֶׁת וּבְדִ֨יל וּבַרְזֶ֤ל וְעוֹפֶ֙רֶת֙ בְּת֣וֹךְ כּ֔וּר סִגִ֥ים כֶּ֖סֶף הָיֽוּ׃ ס | 18 |
कि ऐ आदमज़ाद, बनी इस्राईल मेरे लिए मैल हो गए हैं; वह सब के सब पीतल और रॉगा और लोहा और सीसा हैं जो भट्टी में हैं, वह चाँदी की मैल हैं।
לָכֵ֗ן כֹּ֤ה אָמַר֙ אֲדֹנָ֣י יְהוִ֔ה יַ֛עַן הֱי֥וֹת כֻּלְּכֶ֖ם לְסִגִ֑ים לָכֵן֙ הִנְנִ֣י קֹבֵ֣ץ אֶתְכֶ֔ם אֶל־תּ֖וֹךְ יְרוּשָׁלִָֽם׃ | 19 |
इसलिए ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि चूँकि तुम सब मैल हो गए हो, इसलिए देखो, मैं तुम को येरूशलेम में जमा' करूँगा।
קְבֻ֣צַת כֶּ֡סֶף וּ֠נְחֹשֶׁת וּבַרְזֶ֨ל וְעוֹפֶ֤רֶת וּבְדִיל֙ אֶל־תּ֣וֹךְ כּ֔וּר לָפַֽחַת־עָלָ֥יו אֵ֖שׁ לְהַנְתִּ֑יךְ כֵּ֤ן אֶקְבֹּץ֙ בְּאַפִּ֣י וּבַחֲמָתִ֔י וְהִנַּחְתִּ֥י וְהִתַּכְתִּ֖י אֶתְכֶֽם׃ | 20 |
जिस तरह लोग चाँदी और पीतल और लोहा और शीशा और राँगा भट्ठी में जमा' करते हैं और उनपर धौंकते हैं ताकि उनको पिघला डालें, उसी तरह मैं अपने क़हर और अपने ग़ज़ब में तुम को जमा' करूँगा, और तुम को वहाँ रखकर पिघलाऊँगा।
וְכִנַּסְתִּ֣י אֶתְכֶ֔ם וְנָפַחְתִּ֥י עֲלֵיכֶ֖ם בְּאֵ֣שׁ עֶבְרָתִ֑י וְנִתַּכְתֶּ֖ם בְּתוֹכָֽהּ׃ | 21 |
हाँ, मैं तुम को इकट्ठा करूँगा और अपने ग़ज़ब की आग तुम पर धौंकूँगा, और तुम को उसमें पिघला डालूँगा।
כְּהִתּ֥וּךְ כֶּ֙סֶף֙ בְּת֣וֹךְ כּ֔וּר כֵּ֖ן תֻּתְּכ֣וּ בְתוֹכָ֑הּ וִֽידַעְתֶּם֙ כִּֽי־אֲנִ֣י יְהוָ֔ה שָׁפַ֥כְתִּי חֲמָתִ֖י עֲלֵיכֶֽם׃ פ | 22 |
जिस तरह चाँदी भट्टी में पिघलाई जाती है, उसी तरह तुम उसमें पिघलाए जाओगे, और तुम जानोगे कि मैं ख़ुदावन्द ने अपना क़हर तुम पर नाज़िल किया है।
וַיְהִ֥י דְבַר־יְהוָ֖ה אֵלַ֥י לֵאמֹֽר׃ | 23 |
और ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
בֶּן־אָדָ֕ם אֱמָר־לָ֕הּ אַ֣תְּ אֶ֔רֶץ לֹ֥א מְטֹהָרָ֖ה הִ֑יא לֹ֥א גֻשְׁמָ֖הּ בְּי֥וֹם זָֽעַם׃ | 24 |
कि 'ऐ आदमज़ाद, उससे कह, तू वह सरज़मीन है जो पाक नहीं की गई और जिस पर ग़ज़ब के दिन में बारिश नहीं हुई।
קֶ֤שֶׁר נְבִיאֶ֙יהָ֙ בְּתוֹכָ֔הּ כַּאֲרִ֥י שׁוֹאֵ֖ג טֹ֣רֵֽף טָ֑רֶף נֶ֣פֶשׁ אָכָ֗לוּ חֹ֤סֶן וִיקָר֙ יִקָּ֔חוּ אַלְמְנוֹתֶ֖יהָ הִרְבּ֥וּ בְתוֹכָֽהּ׃ | 25 |
जिसमें उसके नबियों ने साज़िश की है, शिकार को फाड़ते हुए गरजने वाले शेर — ए — बबर की तरह वह जानों को खा गए हैं; वह माल और क़ीमती चीज़ों को छीन लेते हैं; उन्होंने उसमें बहुत सी 'औरतों को बेवा बना दिया है।
כֹּהֲנֶ֜יהָ חָמְס֣וּ תוֹרָתִי֮ וַיְחַלְּל֣וּ קָדָשַׁי֒ בֵּֽין־קֹ֤דֶשׁ לְחֹל֙ לֹ֣א הִבְדִּ֔ילוּ וּבֵין־הַטָּמֵ֥א לְטָה֖וֹר לֹ֣א הוֹדִ֑יעוּ וּמִשַׁבְּתוֹתַי֙ הֶעְלִ֣ימוּ עֵֽינֵיהֶ֔ם וָאֵחַ֖ל בְּתוֹכָֽם׃ | 26 |
उसके काहिनों ने मेरी शरी'अत को तोड़ा और मेरी पाक चीज़ों को नापाक किया है। उन्होंने पाक और 'आम में कुछ फ़र्क़ नहीं रख्खा और मैं उनमें बे'इज़्ज़त हुआ।
שָׂרֶ֣יהָ בְקִרְבָּ֔הּ כִּזְאֵבִ֖ים טֹ֣רְפֵי טָ֑רֶף לִשְׁפָּךְ־דָּם֙ לְאַבֵּ֣ד נְפָשׁ֔וֹת לְמַ֖עַן בְּצֹ֥עַ בָּֽצַע׃ | 27 |
उसके हाकिम उसमें शिकार को फाड़ने वाले भेड़ियों की तरह हैं, जो नाजाएज़ नफ़ा' की ख़ातिर खूँरेज़ी करते हैं और जानों को हलाक करते हैं।
וּנְבִיאֶ֗יהָ טָח֤וּ לָהֶם֙ תָּפֵ֔ל חֹזִ֣ים שָׁ֔וְא וְקֹסְמִ֥ים לָהֶ֖ם כָּזָ֑ב אֹמְרִ֗ים כֹּ֤ה אָמַר֙ אֲדֹנָ֣י יְהוִ֔ה וַֽיהוָ֖ה לֹ֥א דִבֵּֽר׃ | 28 |
और उसके नबी उनके लिए कच्च गारा करते हैं; बातिल ख़्वाब देखते और झूटी फ़ालगीर करते हैं और कहते हैं कि ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है, हालाँकि ख़ुदावन्द ने नहीं फ़रमाया।
עַ֤ם הָאָ֙רֶץ֙ עָ֣שְׁקוּ עֹ֔שֶׁק וְגָזְל֖וּ גָּזֵ֑ל וְעָנִ֤י וְאֶבְיוֹן֙ הוֹנ֔וּ וְאֶת־הַגֵּ֥ר עָשְׁק֖וּ בְּלֹ֥א מִשְׁפָּֽט׃ | 29 |
इस मुल्क के लोगों ने सितमगरी और लूट मार की है, और ग़रीब और मोहताज को सताया है और परदेसियों पर नाहक सख़्ती की है।
וָאֲבַקֵּ֣שׁ מֵהֶ֡ם אִ֣ישׁ גֹּֽדֵר־גָּדֵר֩ וְעֹמֵ֨ד בַּפֶּ֧רֶץ לְפָנַ֛י בְּעַ֥ד הָאָ֖רֶץ לְבִלְתִּ֣י שַׁחֲתָ֑הּ וְלֹ֖א מָצָֽאתִי׃ | 30 |
मैंने उनके बीच तलाश की, कि कोई ऐसा आदमी मिले जो फ़सील बनाए, और उस सरज़मीन के लिए उसके रखने में मेरे सामने खड़ा हो ताकि मैं उसे वीरान न करूँ, लेकिन कोई न मिला।
וָאֶשְׁפֹּ֤ךְ עֲלֵיהֶם֙ זַעְמִ֔י בְּאֵ֥שׁ עֶבְרָתִ֖י כִּלִּיתִ֑ים דַּרְכָּם֙ בְּרֹאשָׁ֣ם נָתַ֔תִּי נְאֻ֖ם אֲדֹנָ֥י יְהֹוִֽה׃ פ | 31 |
इसलिए मैंने अपना क़हर उन पर नाज़िल किया, और अपने ग़ज़ब की आग से उनको फ़ना कर दिया; और मैं उनके चाल चलन को उनके सिरों पर लाया, ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है।