< יְחֶזְקֵאל 12 >
וַיְהִ֥י דְבַר־יְהוָ֖ה אֵלַ֥י לֵאמֹֽר׃ | 1 |
और ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ।
בֶּן־אָדָ֕ם בְּת֥וֹךְ בֵּית־הַמֶּ֖רִי אַתָּ֣ה יֹשֵׁ֑ב אֲשֶׁ֣ר עֵינַיִם֩ לָהֶ֨ם לִרְא֜וֹת וְלֹ֣א רָא֗וּ אָזְנַ֨יִם לָהֶ֤ם לִשְׁמֹ֙עַ֙ וְלֹ֣א שָׁמֵ֔עוּ כִּ֛י בֵּ֥ית מְרִ֖י הֵֽם׃ | 2 |
कि ऐ आदमज़ाद, तू एक बाग़ी घराने के बीच रहता है, जिनकी आँखें हैं कि देखें पर वह नहीं देखते, और उनके कान हैं कि सुनें पर वह नहीं सुनते; क्यूँकि वह बाग़ी ख़ान्दान हैं।
וְאַתָּ֣ה בֶן־אָדָ֗ם עֲשֵׂ֤ה לְךָ֙ כְּלֵ֣י גוֹלָ֔ה וּגְלֵ֥ה יוֹמָ֖ם לְעֵֽינֵיהֶ֑ם וְגָלִ֨יתָ מִמְּקוֹמְךָ֜ אֶל־מָק֤וֹם אַחֵר֙ לְעֵ֣ינֵיהֶ֔ם אוּלַ֣י יִרְא֔וּ כִּ֛י בֵּ֥ית מְרִ֖י הֵֽמָּה׃ | 3 |
इसलिए ऐ आदमज़ाद, सफ़र का सामान तैयार कर और दिन को उनके देखते हुए अपने मकान से रवाना हो, तू उनके सामने अपने मकान से दूसरे मकान को जा; मुम्किन है कि वह सोचें, अगरचे वह बाग़ी ख़ान्दान हैं।
וְהוֹצֵאתָ֨ כֵלֶ֜יךָ כִּכְלֵ֥י גוֹלָ֛ה יוֹמָ֖ם לְעֵֽינֵיהֶ֑ם וְאַתָּ֗ה תֵּצֵ֤א בָעֶ֙רֶב֙ לְעֵ֣ינֵיהֶ֔ם כְּמוֹצָאֵ֖י גּוֹלָֽה׃ | 4 |
और तू दिन को उनकी आँखों के सामने अपना सामान बाहर निकाल, जिस तरह नक़्ल — ए — मकान के लिए सामान निकालते हैं और शाम को उनके सामने उनकी तरह जो ग़ुलाम होकर निकल जाते हैं निकल जा।
לְעֵינֵיהֶ֖ם חֲתָר־לְךָ֣ בַקִּ֑יר וְהוֹצֵאתָ֖ בּֽוֹ׃ | 5 |
उनकी आँखों के सामने दीवार में सूराख़ कर और उस रास्ते से सामान निकाल।
לְעֵ֨ינֵיהֶ֜ם עַל־כָּתֵ֤ף תִּשָּׂא֙ בָּעֲלָטָ֣ה תוֹצִ֔יא פָּנֶ֣יךָ תְכַסֶּ֔ה וְלֹ֥א תִרְאֶ֖ה אֶת־הָאָ֑רֶץ כִּֽי־מוֹפֵ֥ת נְתַתִּ֖יךָ לְבֵ֥ית יִשְׂרָאֵֽל׃ | 6 |
उनकी आँखों के सामने तू उसे अपने कान्धे पर उठा, और अन्धेरे में उसे निकाल ले जा, तू अपना चेहरा छिपा ताकि ज़मीन को न देख सके; क्यूँकि मैंने तुझे बनी — इस्राईल के लिए एक निशान मुक़र्रर किया है।
וָאַ֣עַשׂ כֵּן֮ כַּאֲשֶׁ֣ר צֻוֵּיתִי֒ כֵּ֠לַי הוֹצֵ֜אתִי כִּכְלֵ֤י גוֹלָה֙ יוֹמָ֔ם וּבָעֶ֛רֶב חָתַֽרְתִּי־לִ֥י בַקִּ֖יר בְּיָ֑ד בָּעֲלָטָ֥ה הוֹצֵ֛אתִי עַל־כָּתֵ֥ף נָשָׂ֖אתִי לְעֵינֵיהֶֽם׃ פ | 7 |
चुनाँचे जैसा मुझे हुक्म हुआ था वैसा ही मैंने किया। मैंने दिन को अपना सामान निकाला, जैसे नक़्ल — ए — मकान के लिए निकालते हैं; और शाम को मैंने अपने हाथ से दीवार में सूराख किया, मैंने अन्धेरे में उसे निकाला और उनके देखते हुए काँधे पर उठा लिया।
וַיְהִ֧י דְבַר־יְהוָ֛ה אֵלַ֖י בַּבֹּ֥קֶר לֵאמֹֽר׃ | 8 |
और सुबह को ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
בֶּן־אָדָ֕ם הֲלֹ֨א אָמְר֥וּ אֵלֶ֛יךָ בֵּ֥ית יִשְׂרָאֵ֖ל בֵּ֣ית הַמֶּ֑רִי מָ֖ה אַתָּ֥ה עֹשֶֽׂה׃ | 9 |
कि ऐ आदमज़ाद, क्या बनी इस्राईल ने जो बाग़ी ख़ान्दान हैं, तुझ से नहीं पूछा, 'तू क्या करता है?
אֱמֹ֣ר אֲלֵיהֶ֔ם כֹּ֥ה אָמַ֖ר אֲדֹנָ֣י יְהֹוִ֑ה הַנָּשִׂ֞יא הַמַּשָּׂ֤א הַזֶּה֙ בִּיר֣וּשָׁלִַ֔ם וְכָל־בֵּ֥ית יִשְׂרָאֵ֖ל אֲשֶׁר־הֵ֥מָּה בְתוֹכָֽם׃ | 10 |
उनको जवाब दे, कि 'ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि येरूशलेम के हाकिम और तमाम बनी — इस्राईल के लिए जो उसमें हैं, यह बार — ए — नबुव्वत है।
אֱמֹ֖ר אֲנִ֣י מֽוֹפֶתְכֶ֑ם כַּאֲשֶׁ֣ר עָשִׂ֗יתִי כֵּ֚ן יֵעָשֶׂ֣ה לָהֶ֔ם בַּגּוֹלָ֥ה בַשְּׁבִ֖י יֵלֵֽכוּ׃ | 11 |
उनसे कह दे, कि 'मैं तुम्हारे लिए निशान हूँ: जैसा मैंने किया, वैसा ही उनसे सुलूक किया जाएगा। वह जिलावतन होंगे और ग़ुलामी में जाएँगे।
וְהַנָּשִׂ֨יא אֲשֶׁר־בְּתוֹכָ֜ם אֶל־כָּתֵ֤ף יִשָּׂא֙ בָּעֲלָטָ֣ה וְיֵצֵ֔א בַּקִּ֥יר יַחְתְּר֖וּ לְה֣וֹצִיא ב֑וֹ פָּנָ֣יו יְכַסֶּ֔ה יַ֗עַן אֲשֶׁ֨ר לֹא־יִרְאֶ֥ה לַעַ֛יִן ה֖וּא אֶת־הָאָֽרֶץ׃ | 12 |
और जो उनमें हाकिम हैं, वह शाम को अन्धेरे में उठ कर अपने काँधे पर सामान उठाए हुए निकल जाएगा। वह दीवार में सूराख़ करेंगे कि उस रास्ते से निकाल ले जाएँ। वह अपना चेहरा छिपाएगा, क्यूँकि अपनी आँखों से ज़मीन को न देखेगा।
וּפָרַשְׂתִּ֤י אֶת־רִשְׁתִּי֙ עָלָ֔יו וְנִתְפַּ֖שׂ בִּמְצֽוּדָתִ֑י וְהֵבֵאתִ֨י אֹת֤וֹ בָבֶ֙לָה֙ אֶ֣רֶץ כַּשְׂדִּ֔ים וְאוֹתָ֥הּ לֹֽא־יִרְאֶ֖ה וְשָׁ֥ם יָמֽוּת׃ | 13 |
और मैं अपना जाल उस पर बिछाऊँगा और वह मेरे फन्दे में फंस जाएगा। और मैं उसे कसदियों के मुल्क में बाबुल में पहुचाऊँगा, लेकिन वह उसे न देखेगा, अगरचे वहीं मरेगा।
וְכֹל֩ אֲשֶׁ֨ר סְבִיבֹתָ֥יו עֶזְר֛וֹ וְכָל־אֲגַפָּ֖יו אֱזָרֶ֣ה לְכָל־ר֑וּחַ וְחֶ֖רֶב אָרִ֥יק אַחֲרֵיהֶֽם׃ | 14 |
और मैं उसके आस पास के सब हिमायत करने वालों और उसके सब ग़ोलों की तमाम अतराफ़ में तितर बितर करूँगा, और मैं तलवार खींच कर उनका पीछा करूँगा।
וְיָדְע֖וּ כִּֽי־אֲנִ֣י יְהוָ֑ה בַּהֲפִיצִ֤י אוֹתָם֙ בַּגּוֹיִ֔ם וְזֵרִיתִ֥י אוֹתָ֖ם בָּאֲרָצֽוֹת׃ | 15 |
और जब मैं उनकी क़ौम में तितर बितर और मुल्कों में तितर — बितर करूँगा, तब वह जानेंगे कि मैं ख़ुदावन्द हूँ।
וְהוֹתַרְתִּ֤י מֵהֶם֙ אַנְשֵׁ֣י מִסְפָּ֔ר מֵחֶ֖רֶב מֵרָעָ֣ב וּמִדָּ֑בֶר לְמַ֨עַן יְסַפְּר֜וּ אֶת־כָּל־תּוֹעֲבֽוֹתֵיהֶ֗ם בַּגּוֹיִם֙ אֲשֶׁר־בָּ֣אוּ שָׁ֔ם וְיָדְע֖וּ כִּֽי־אֲנִ֥י יְהוָֽה׃ פ | 16 |
लेकिन मैं उनमें से कुछ को तलवार और काल से और वबा से बचा रख्खूँगा, ताकि वह क़ौमों के बीच जहाँ कहीं जाएँ अपने तमाम नफ़रती कामों को बयान करें, और वह मा'लूम करेंगे कि मैं ख़ुदावन्द हूँ।
וַיְהִ֥י דְבַר־יְהוָ֖ה אֵלַ֥י לֵאמֹֽר׃ | 17 |
और ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
בֶּן־אָדָ֕ם לַחְמְךָ֖ בְּרַ֣עַשׁ תֹּאכֵ֑ל וּמֵימֶ֕יךָ בְּרָגְזָ֥ה וּבִדְאָגָ֖ה תִּשְׁתֶּֽה׃ | 18 |
कि 'ऐआदमज़ाद! तू थरथराते हुए रोटी खा, और काँपते हुए फ़िक्रमन्दी से पानी पी।
וְאָמַרְתָּ֣ אֶל־עַ֣ם הָאָ֡רֶץ כֹּֽה־אָמַר֩ אֲדֹנָ֨י יְהוִ֜ה לְיוֹשְׁבֵ֤י יְרוּשָׁלִַ֙ם֙ אֶל־אַדְמַ֣ת יִשְׂרָאֵ֔ל לַחְמָם֙ בִּדְאָגָ֣ה יֹאכֵ֔לוּ וּמֵֽימֵיהֶ֖ם בְּשִׁמָּמ֣וֹן יִשְׁתּ֑וּ לְמַ֜עַן תֵּשַׁ֤ם אַרְצָהּ֙ מִמְּלֹאָ֔הּ מֵחֲמַ֖ס כָּֽל־הַיֹּשְׁבִ֥ים בָּֽהּ׃ | 19 |
और इस मुल्क के लोगों से कह कि ख़ुदावन्द ख़ुदा येरूशलेम और मुल्क — ए — इस्राईल के बाशिन्दों के हक़ में यूँ फ़रमाता है: कि वह फ़िक्रमन्दी से रोटी खाएँगे और परेशानी से पानी पिएँगे, ताकि उसके बाशिन्दों की सितमगरी की वजह से मुल्क अपनी मा'मूरी से ख़ाली हो जाए।
וְהֶעָרִ֤ים הַנּֽוֹשָׁבוֹת֙ תֶּחֱרַ֔בְנָה וְהָאָ֖רֶץ שְׁמָמָ֣ה תִֽהְיֶ֑ה וִֽידַעְתֶּ֖ם כִּֽי־אֲנִ֥י יְהוָֽה׃ פ | 20 |
और वह बस्तियाँ जो आबाद हैं उजाड़ हो जायेंगी और मुल्क वीरान होगा और तुम जानोगे कि ख़ुदावन्द मैं हूँ।
וַיְהִ֥י דְבַר־יְהוָ֖ה אֵלַ֥י לֵאמֹֽר׃ | 21 |
फिर ख़ुदा वन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
בֶּן־אָדָ֗ם מָֽה־הַמָּשָׁ֤ל הַזֶּה֙ לָכֶ֔ם עַל־אַדְמַ֥ת יִשְׂרָאֵ֖ל לֵאמֹ֑ר יַֽאַרְכוּ֙ הַיָּמִ֔ים וְאָבַ֖ד כָּל־חָזֽוֹן׃ | 22 |
कि ऐ आदमज़ाद! मुल्क — ए — इस्राईल में यह क्या मिसाल जारी है, कि 'वक़्त गुज़रता जाता है, और किसी ख़्वाब का कुछ अन्जाम नहीं होता'?
לָכֵ֞ן אֱמֹ֣ר אֲלֵיהֶ֗ם כֹּֽה־אָמַר֮ אֲדֹנָ֣י יְהוִה֒ הִשְׁבַּ֙תִּי֙ אֶת־הַמָּשָׁ֣ל הַזֶּ֔ה וְלֹֽא־יִמְשְׁל֥וּ אֹת֛וֹ ע֖וֹד בְּיִשְׂרָאֵ֑ל כִּ֚י אִם־דַּבֵּ֣ר אֲלֵיהֶ֔ם קָֽרְבוּ֙ הַיָּמִ֔ים וּדְבַ֖ר כָּל־חָזֽוֹן׃ | 23 |
इसलिए उनसे कह दे, कि 'ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि मैं इस मिसाल को ख़त्म करूँगा और फिर इसे इस्राईल में इस्ते'माल न करेंगे। बल्कि तू उनसे कह, वक़्त आ गया है और हर ख़्वाब का अन्जाम क़रीब है।
כִּ֠י לֹ֣א יִֽהְיֶ֥ה ע֛וֹד כָּל־חֲז֥וֹן שָׁ֖וְא וּמִקְסַ֣ם חָלָ֑ק בְּת֖וֹךְ בֵּ֥ית יִשְׂרָאֵֽל׃ | 24 |
क्यूँकि आगे को बनी इस्राईल के बीच बेमतलब के ख़्वाब और ख़ुशामद की ग़ैबदानी न होगी।
כִּ֣י ׀ אֲנִ֣י יְהוָ֗ה אֲדַבֵּר֙ אֵת֩ אֲשֶׁ֨ר אֲדַבֵּ֤ר דָּבָר֙ וְיֵ֣עָשֶׂ֔ה לֹ֥א תִמָּשֵׁ֖ךְ ע֑וֹד כִּ֣י בִֽימֵיכֶ֞ם בֵּ֣ית הַמֶּ֗רִי אֲדַבֵּ֤ר דָּבָר֙ וַעֲשִׂיתִ֔יו נְאֻ֖ם אֲדֹנָ֥י יְהוִֽה׃ פ | 25 |
क्यूँकि मैं ख़ुदावन्द हूँ मैं कलाम करूँगा और मेरा कलाम ज़रूर पूरा होगा उसके पूरा होने में देर न होगी बल्कि ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है कि ऐ बाग़ी ख़ान्दान मैं तुम्हारे दिनों में कलाम करके उसे पूरा करूँगा।
וַיְהִ֥י דְבַר־יְהוָ֖ה אֵלַ֥י לֵאמֹֽר׃ | 26 |
और ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ।
בֶּן־אָדָ֗ם הִנֵּ֤ה בֵֽית־יִשְׂרָאֵל֙ אֹֽמְרִ֔ים הֶחָז֛וֹן אֲשֶׁר־ה֥וּא חֹזֶ֖ה לְיָמִ֣ים רַבִּ֑ים וּלְעִתִּ֥ים רְחוֹק֖וֹת ה֥וּא נִבָּֽא׃ | 27 |
कि 'ऐ आदमज़ाद देख बनी इस्राईल कहते हैं कि जो ख़्वाब उसने देखा है बहुत ज़मानों में ज़ाहिर होगा और वह उन दिनों की ख़बर देता है जो बहुत दूर हैं।
לָכֵ֞ן אֱמֹ֣ר אֲלֵיהֶ֗ם כֹּ֤ה אָמַר֙ אֲדֹנָ֣י יְהוִ֔ה לֹא־תִמָּשֵׁ֥ךְ ע֖וֹד כָּל־דְּבָרָ֑י אֲשֶׁ֨ר אֲדַבֵּ֤ר דָּבָר֙ וְיֵ֣עָשֶׂ֔ה נְאֻ֖ם אֲדֹנָ֥י יְהוִֽה׃ ס | 28 |
इसलिए उनसे कह, ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँफ़रमाता है: कि आगे की मेरी किसी बात को पूरा होने में देर न होगी, बल्कि ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है, कि जो बात मैं कहूँगा पूरी हो जाएगी।