< אֶסְתֵר 3 >
אַחַ֣ר ׀ הַדְּבָרִ֣ים הָאֵ֗לֶּה גִּדַּל֩ הַמֶּ֨לֶךְ אֲחַשְׁוֵר֜וֹשׁ אֶת־הָמָ֧ן בֶּֽן־הַמְּדָ֛תָא הָאֲגָגִ֖י וַֽיְנַשְּׂאֵ֑הוּ וַיָּ֙שֶׂם֙ אֶת־כִּסְא֔וֹ מֵעַ֕ל כָּל־הַשָּׂרִ֖ים אֲשֶׁ֥ר אִתּֽוֹ׃ | 1 |
इन बातों के बाद अख़्सूयरस बादशाह ने अजाजी हम्मदाता के बेटे हामान को मुम्ताज़ और सरफ़राज़ किया और उसकी कुर्सी को सब हाकिम से जो उसके साथ थे ऊँचा किया।
וְכָל־עַבְדֵ֨י הַמֶּ֜לֶךְ אֲשֶׁר־בְּשַׁ֣עַר הַמֶּ֗לֶךְ כֹּרְעִ֤ים וּמִֽשְׁתַּחֲוִים֙ לְהָמָ֔ן כִּי־כֵ֖ן צִוָּה־ל֣וֹ הַמֶּ֑לֶךְ וּמָ֨רְדֳּכַ֔י לֹ֥א יִכְרַ֖ע וְלֹ֥א יִֽשְׁתַּחֲוֶֽה׃ | 2 |
और बादशाह के सब मुलाज़िम जो बादशाह के फाटक पर थे, हामान के आगे झुककर उसकी ता'ज़ीम करते थे; क्यूँकि बादशाह ने उसके बारे में ऐसा ही हुक्म किया था। लेकिन मर्दकै न झुकता, न उसकी ताज़ीम करता था।
וַיֹּ֨אמְר֜וּ עַבְדֵ֥י הַמֶּ֛לֶךְ אֲשֶׁר־בְּשַׁ֥עַר הַמֶּ֖לֶךְ לְמָרְדֳּכָ֑י מַדּ֙וּעַ֙ אַתָּ֣ה עוֹבֵ֔ר אֵ֖ת מִצְוַ֥ת הַמֶּֽלֶךְ׃ | 3 |
तब बादशाह के मुलाज़िमों ने जो बादशाह के फाटक पर थे मर्दकै से कहा, “तू क्यूँ बादशाह के हुक्म को तोड़ता है?”
וַיְהִ֗י כְּאָמְרָ֤ם אֵלָיו֙ י֣וֹם וָי֔וֹם וְלֹ֥א שָׁמַ֖ע אֲלֵיהֶ֑ם וַיַּגִּ֣ידוּ לְהָמָ֗ן לִרְאוֹת֙ הֲיַֽעַמְדוּ֙ דִּבְרֵ֣י מָרְדֳּכַ֔י כִּֽי־הִגִּ֥יד לָהֶ֖ם אֲשֶׁר־ה֥וּא יְהוּדִֽי׃ | 4 |
जब वो उससे रोज़ कहते रहे, और उसने उनकी न मानी, तो उन्होंने हामान को बता दिया, ताकि देखें कि मर्दकै की बात चलेगी या नहीं, क्यूँकि उसने उनसे कह दिया था कि मैं यहूदी हूँ।
וַיַּ֣רְא הָמָ֔ן כִּי־אֵ֣ין מָרְדֳּכַ֔י כֹּרֵ֥עַ וּמִֽשְׁתַּחֲוֶ֖ה ל֑וֹ וַיִּמָּלֵ֥א הָמָ֖ן חֵמָֽה׃ | 5 |
जब हामान ने देखा कि मर्दकै न झुकता, न मेरी ताज़ीम करता है, तो हामान गुस्से से भर गया।
וַיִּ֣בֶז בְּעֵינָ֗יו לִשְׁלֹ֤ח יָד֙ בְּמָרְדֳּכַ֣י לְבַדּ֔וֹ כִּֽי־הִגִּ֥ידוּ ל֖וֹ אֶת־עַ֣ם מָרְדֳּכָ֑י וַיְבַקֵּ֣שׁ הָמָ֗ן לְהַשְׁמִ֧יד אֶת־כָּל־הַיְּהוּדִ֛ים אֲשֶׁ֛ר בְּכָל־מַלְכ֥וּת אֲחַשְׁוֵר֖וֹשׁ עַ֥ם מָרְדֳּכָֽי׃ | 6 |
लेकिन सिर्फ़ मर्दकै ही पर हाथ चलाना अपनी शान से नीचे समझा; क्यूँकि उन्होंने उसे मर्दकै की क़ौम बता दी थी, इसलिए हामान ने चाहा कि मर्दकै की क़ौम, या'नी सब यहूदियों को जो अख़्सूयरस की पूरी बादशाहत में रहते थे। हलाक करे।
בַּחֹ֤דֶשׁ הָרִאשׁוֹן֙ הוּא־חֹ֣דֶשׁ נִיסָ֔ן בִּשְׁנַת֙ שְׁתֵּ֣ים עֶשְׂרֵ֔ה לַמֶּ֖לֶךְ אֲחַשְׁוֵר֑וֹשׁ הִפִּ֣יל פּוּר֩ ה֨וּא הַגּוֹרָ֜ל לִפְנֵ֣י הָמָ֗ן מִיּ֧וֹם ׀ לְי֛וֹם וּמֵחֹ֛דֶשׁ לְחֹ֥דֶשׁ וַיִּפֹּל הַגּוֹרָל עַל־שְׁלוֹשָׁה עָשָׂר יוֹם לְחֹדֶשׁ שְׁנֵים־עָשָׂ֖ר הוּא־חֹ֥דֶשׁ אֲדָֽר׃ ס | 7 |
अख़्सूयरस बादशाह की बादशाहत के बारहवें बरस के पहले महीने से, जो नेसान महीना है, वह रोज़ — ब — रोज़ और माह — ब — माह बारहवें महीने या'नी अदार के महीने तक हामान के सामने पर या'नी पर्ची डालते रहे।
וַיֹּ֤אמֶר הָמָן֙ לַמֶּ֣לֶךְ אֲחַשְׁוֵר֔וֹשׁ יֶשְׁנ֣וֹ עַם־אֶחָ֗ד מְפֻזָּ֤ר וּמְפֹרָד֙ בֵּ֣ין הָֽעַמִּ֔ים בְּכֹ֖ל מְדִינ֣וֹת מַלְכוּתֶ֑ךָ וְדָתֵיהֶ֞ם שֹׁנ֣וֹת מִכָּל־עָ֗ם וְאֶת־דָּתֵ֤י הַמֶּ֙לֶךְ֙ אֵינָ֣ם עֹשִׂ֔ים וְלַמֶּ֥לֶךְ אֵין־שֹׁוֶ֖ה לְהַנִּיחָֽם׃ | 8 |
और हामान ने अख़्सूयरस बादशाह से दरख़्वास्त की कि “हुज़ूर की बादशाहत के सब सूबों में एक क़ौम सब क़ौमों के दर्मियान इधर उधर फैली हुई है, उसके काम हर क़ौम से निराले हैं, और वह बादशाह के क़वानीन नहीं मानते हैं, इसलिए उनको रहने देना बादशाह के लिए फ़ाइदे मन्द नहीं।
אִם־עַל־הַמֶּ֣לֶךְ ט֔וֹב יִכָּתֵ֖ב לְאַבְּדָ֑ם וַעֲשֶׂ֨רֶת אֲלָפִ֜ים כִּכַּר־כֶּ֗סֶף אֶשְׁקוֹל֙ עַל־יְדֵי֙ עֹשֵׂ֣י הַמְּלָאכָ֔ה לְהָבִ֖יא אֶל־גִּנְזֵ֥י הַמֶּֽלֶךְ׃ | 9 |
अगर बादशाह को मन्ज़ूर हो, तो उनको हलाक करने का हुक्म लिखा जाए; और मैं तहसीलदारों के हाथ में शाही ख़ज़ानों में दाख़िल करने के लिए चाँदी के दस हज़ार तोड़े दूँगा।”
וַיָּ֧סַר הַמֶּ֛לֶךְ אֶת־טַבַּעְתּ֖וֹ מֵעַ֣ל יָד֑וֹ וַֽיִּתְּנָ֗הּ לְהָמָ֧ן בֶּֽן־הַמְּדָ֛תָא הָאֲגָגִ֖י צֹרֵ֥ר הַיְּהוּדִֽים׃ | 10 |
और बादशाह ने अपने हाथ से अंगूठी उतार कर यहूदियों के दुश्मन अजाजी हम्मदाता के बेटे हामान को दी।
וַיֹּ֤אמֶר הַמֶּ֙לֶךְ֙ לְהָמָ֔ן הַכֶּ֖סֶף נָת֣וּן לָ֑ךְ וְהָעָ֕ם לַעֲשׂ֥וֹת בּ֖וֹ כַּטּ֥וֹב בְּעֵינֶֽיךָ׃ | 11 |
और बादशाह ने हामान से कहा, “वह चाँदी तुझे बख़्शी गई और वह लोग भी, ताकि जो तुझे अच्छा मा'लूम हो उनसे करे।”
וַיִּקָּרְאוּ֩ סֹפְרֵ֨י הַמֶּ֜לֶךְ בַּחֹ֣דֶשׁ הָרִאשׁ֗וֹן בִּשְׁלוֹשָׁ֨ה עָשָׂ֣ר יוֹם֮ בּוֹ֒ וַיִּכָּתֵ֣ב כְּֽכָל־אֲשֶׁר־צִוָּ֣ה הָמָ֡ן אֶ֣ל אֲחַשְׁדַּרְפְּנֵֽי־הַ֠מֶּלֶךְ וְֽאֶל־הַפַּח֞וֹת אֲשֶׁ֣ר ׀ עַל־מְדִינָ֣ה וּמְדִינָ֗ה וְאֶל־שָׂ֤רֵי עַם֙ וָעָ֔ם מְדִינָ֤ה וּמְדִינָה֙ כִּכְתָבָ֔הּ וְעַ֥ם וָעָ֖ם כִּלְשׁוֹנ֑וֹ בְּשֵׁ֨ם הַמֶּ֤לֶךְ אֲחַשְׁוֵרֹשׁ֙ נִכְתָּ֔ב וְנֶחְתָּ֖ם בְּטַבַּ֥עַת הַמֶּֽלֶךְ׃ | 12 |
तब बादशाह के मुंशी पहले महीने की तेरहवीं तारीख़ को बुलाए गए, और जो कुछ हामान ने बादशाह के नवाबों, और हर सूबे के हाकिमों, और हर क़ौम के सरदारों को हुक्म किया उसके मुताबिक़ लिखा गया; सूबे सूबे के हुरूफ़ और क़ौम क़ौम की ज़बान मे अख़्सूयरस के नाम से यह लिखा गया, और उस पर बादशाह की अँगूठी की मुहर की गई।
וְנִשְׁל֨וֹחַ סְפָרִ֜ים בְּיַ֣ד הָרָצִים֮ אֶל־כָּל־מְדִינ֣וֹת הַמֶּלֶךְ֒ לְהַשְׁמִ֡יד לַהֲרֹ֣ג וּלְאַבֵּ֣ד אֶת־כָּל־הַ֠יְּהוּדִים מִנַּ֨עַר וְעַד־זָקֵ֜ן טַ֤ף וְנָשִׁים֙ בְּי֣וֹם אֶחָ֔ד בִּשְׁלוֹשָׁ֥ה עָשָׂ֛ר לְחֹ֥דֶשׁ שְׁנֵים־עָשָׂ֖ר הוּא־חֹ֣דֶשׁ אֲדָ֑ר וּשְׁלָלָ֖ם לָבֽוֹז׃ | 13 |
और क़ासिदों के हाथ बादशाह के सब सूबों में ख़त भेजे गए कि बारहवें महीने, या'नी अदार महीने की तेरहवीं तारीख़ को सब यहूदियों को, क्या जवान क्या बुड्ढे क्या बच्चे क्या 'औरतें, एक ही दिन में हलाक और क़त्ल करें और मिटा दें और उनका माल लूट लें।
פַּתְשֶׁ֣גֶן הַכְּתָ֗ב לְהִנָּ֤תֵֽן דָּת֙ בְּכָל־מְדִינָ֣ה וּמְדִינָ֔ה גָּל֖וּי לְכָל־הָֽעַמִּ֑ים לִהְי֥וֹת עֲתִדִ֖ים לַיּ֥וֹם הַזֶּֽה׃ | 14 |
इस लिखाई की एक एक नक़ल सब क़ौमों के लिए जारी की गई, कि इस फ़रमान का ऐलान हर सूबे में किया जाए, ताकि उस दिन के लिए तैयार हो जाएँ।
הָֽרָצִ֞ים יָצְא֤וּ דְחוּפִים֙ בִּדְבַ֣ר הַמֶּ֔לֶךְ וְהַדָּ֥ת נִתְּנָ֖ה בְּשׁוּשַׁ֣ן הַבִּירָ֑ה וְהַמֶּ֤לֶךְ וְהָמָן֙ יָשְׁב֣וּ לִשְׁתּ֔וֹת וְהָעִ֥יר שׁוּשָׁ֖ן נָבֽוֹכָה׃ פ | 15 |
बादशाह के हुक्म से क़ासिद फ़ौरन रवाना हुए और वह हुक्म क़स्र — ए — सोसन में दिया गया। बादशाह और हामान मय नौशी करने को बैठ गए, पर सोसन शहर परेशान था।