< קֹהֶלֶת 8 >
מִ֚י כְּהֶ֣חָכָ֔ם וּמִ֥י יוֹדֵ֖עַ פֵּ֣שֶׁר דָּבָ֑ר חָכְמַ֤ת אָדָם֙ תָּאִ֣יר פָּנָ֔יו וְעֹ֥ז פָּנָ֖יו יְשֻׁנֶּֽא׃ | 1 |
कौन बुद्धिमान के समान है? किसे इस बात का मतलब मालूम है? बुद्धि से बुद्धिमान का चेहरा चमक जाता है.
אֲנִי֙ פִּי־מֶ֣לֶךְ שְׁמ֔וֹר וְעַ֕ל דִּבְרַ֖ת שְׁבוּעַ֥ת אֱלֹהִֽים׃ | 2 |
दार्शनिक कहता है, परमेश्वर के सामने ली गई शपथ के कारण राजा की आज्ञा का पालन करो.
אַל־תִּבָּהֵ֤ל מִפָּנָיו֙ תֵּלֵ֔ךְ אַֽל־תַּעֲמֹ֖ד בְּדָבָ֣ר רָ֑ע כִּ֛י כָּל־אֲשֶׁ֥ר יַחְפֹּ֖ץ יַעֲשֶֽׂה׃ | 3 |
उनके सामने से जाने में जल्दबाजी न करना और बुरी बातों पर हठ न करना, क्योंकि राजा वही करेंगे जो उनकी नज़रों में सही होगा.
בַּאֲשֶׁ֥ר דְּבַר־מֶ֖לֶךְ שִׁלְט֑וֹן וּמִ֥י יֹֽאמַר־ל֖וֹ מַֽה־תַּעֲשֶֽׂה׃ | 4 |
राजा की बातों में तो अधिकार होता है, उन्हें कौन कहेगा, “आप क्या कर रहे हैं?”
שׁוֹמֵ֣ר מִצְוָ֔ה לֹ֥א יֵדַ֖ע דָּבָ֣ר רָ֑ע וְעֵ֣ת וּמִשְׁפָּ֔ט יֵדַ֖ע לֵ֥ב חָכָֽם׃ | 5 |
जो व्यक्ति आज्ञा का पालन करता है, बुरा उसका भी न होगा, क्योंकि बुद्धिमान हृदय को सही समय और सही तरीका मालूम होता है.
כִּ֣י לְכָל־חֵ֔פֶץ יֵ֖שׁ עֵ֣ת וּמִשְׁפָּ֑ט כִּֽי־רָעַ֥ת הָאָדָ֖ם רַבָּ֥ה עָלָֽיו׃ | 6 |
क्योंकि हर एक खुशी के लिए सही समय और तरीका होता है, फिर भी एक व्यक्ति पर भारी संकट आ ही जाता है.
כִּֽי־אֵינֶ֥נּוּ יֹדֵ֖עַ מַה־שֶּׁיִּֽהְיֶ֑ה כִּ֚י כַּאֲשֶׁ֣ר יִֽהְיֶ֔ה מִ֖י יַגִּ֥יד לֽוֹ׃ | 7 |
अगर किसी व्यक्ति को यह ही मालूम नहीं है कि क्या होगा, तो कौन उसे बता सकता है कि क्या होगा?
אֵ֣ין אָדָ֞ם שַׁלִּ֤יט בָּר֙וּחַ֙ לִכְל֣וֹא אֶת־הָר֔וּחַ וְאֵ֤ין שִׁלְטוֹן֙ בְּי֣וֹם הַמָּ֔וֶת וְאֵ֥ין מִשְׁלַ֖חַת בַּמִּלְחָמָ֑ה וְלֹֽא־יְמַלֵּ֥ט רֶ֖שַׁע אֶת־בְּעָלָֽיו׃ | 8 |
वायु को रोकने का अधिकार किसके पास है? और मृत्यु के दिन पर अधिकार कौन रखता है? युद्ध के समय छुट्टी नहीं होती, और जो बुराई करते हैं वे इसके प्रभाव से कैसे बचेंगे.
אֶת־כָּל־זֶ֤ה רָאִ֙יתִי֙ וְנָת֣וֹן אֶת־לִבִּ֔י לְכָֽל־מַעֲשֶׂ֔ה אֲשֶׁ֥ר נַעֲשָׂ֖ה תַּ֣חַת הַשָּׁ֑מֶשׁ עֵ֗ת אֲשֶׁ֨ר שָׁלַ֧ט הָאָדָ֛ם בְּאָדָ֖ם לְרַ֥ע לֽוֹ׃ | 9 |
यह सब देख मैंने अपने हृदय को सूरज के नीचे किए जा रहे हर एक काम पर लगाया जब एक मनुष्य दूसरे मनुष्य की बुराई के लिए उसके अधिकार का इस्तेमाल करता है.
וּבְכֵ֡ן רָאִיתִי֩ רְשָׁעִ֨ים קְבֻרִ֜ים וָבָ֗אוּ וּמִמְּק֤וֹם קָדוֹשׁ֙ יְהַלֵּ֔כוּ וְיִֽשְׁתַּכְּח֥וּ בָעִ֖יר אֲשֶׁ֣ר כֵּן־עָשׂ֑וּ גַּם־זֶ֖ה הָֽבֶל׃ | 10 |
सो मैंने दुष्टों को गाड़े जाते देखा. वे पवित्र स्थान में आते जाते थे. किंतु जहां वे ऐसा करते थे जल्द ही उस नगर ने उन्हें भुला दिया. यह भी बेकार ही है.
אֲשֶׁר֙ אֵין־נַעֲשָׂ֣ה פִתְגָ֔ם מַעֲשֵׂ֥ה הָרָעָ֖ה מְהֵרָ֑ה עַל־כֵּ֡ן מָלֵ֞א לֵ֧ב בְּֽנֵי־הָאָדָ֛ם בָּהֶ֖ם לַעֲשׂ֥וֹת רָֽע׃ | 11 |
बुरे काम के दंड की आज्ञा जल्दबाजी में नहीं दी जाती, इसलिये मनुष्य का हृदय बुराई करने में हमेशा लगा रहता है,
אֲשֶׁ֣ר חֹטֶ֗א עֹשֶׂ֥ה רָ֛ע מְאַ֖ת וּמַאֲרִ֣יךְ ל֑וֹ כִּ֚י גַּם־יוֹדֵ֣עַ אָ֔נִי אֲשֶׁ֤ר יִהְיֶה־טּוֹב֙ לְיִרְאֵ֣י הָאֱלֹהִ֔ים אֲשֶׁ֥ר יִֽירְא֖וּ מִלְּפָנָֽיו׃ | 12 |
चाहे पापी हज़ार बार बुरा करें और अपने जीवन को बढ़ाते रहें, मगर मुझे मालूम है कि जिनमें परमेश्वर के लिए श्रद्धा और भय की भावना है उनका भला ही होगा, क्योंकि उनमें परमेश्वर के प्रति श्रद्धा और भय की भावना हैं.
וְטוֹב֙ לֹֽא־יִהְיֶ֣ה לָֽרָשָׁ֔ע וְלֹֽא־יַאֲרִ֥יךְ יָמִ֖ים כַּצֵּ֑ל אֲשֶׁ֛ר אֵינֶ֥נּוּ יָרֵ֖א מִלִּפְנֵ֥י אֱלֹהִֽים׃ | 13 |
मगर दुष्ट के साथ अच्छा न होगा और न ही वह परछाई के समान अपने सारे जीवन को बड़ा कर सकेगा, क्योंकि उसमें परमेश्वर के लिए श्रद्धा और भय की भावना नहीं है.
יֶשׁ־הֶבֶל֮ אֲשֶׁ֣ר נַעֲשָׂ֣ה עַל־הָאָרֶץ֒ אֲשֶׁ֣ר ׀ יֵ֣שׁ צַדִּיקִ֗ים אֲשֶׁ֨ר מַגִּ֤יעַ אֲלֵהֶם֙ כְּמַעֲשֵׂ֣ה הָרְשָׁעִ֔ים וְיֵ֣שׁ רְשָׁעִ֔ים שֶׁמַּגִּ֥יעַ אֲלֵהֶ֖ם כְּמַעֲשֵׂ֣ה הַצַּדִּיקִ֑ים אָמַ֕רְתִּי שֶׁגַּם־זֶ֖ה הָֽבֶל׃ | 14 |
पृथ्वी पर एक और बात बेकार होती है: धर्मियों के साथ दुष्टों द्वारा किए गए कामों के अनुसार घटता है और दुष्टों के साथ धर्मियों द्वारा किए गए कामों के अनुसार. मैंने कहा कि यह भी बेकार ही है.
וְשִׁבַּ֤חְתִּֽי אֲנִי֙ אֶת־הַשִּׂמְחָ֔ה אֲשֶׁ֨ר אֵֽין־ט֤וֹב לָֽאָדָם֙ תַּ֣חַת הַשֶּׁ֔מֶשׁ כִּ֛י אִם־לֶאֱכ֥וֹל וְלִשְׁתּ֖וֹת וְלִשְׂמ֑וֹחַ וְה֞וּא יִלְוֶ֣נּוּ בַעֲמָל֗וֹ יְמֵ֥י חַיָּ֛יו אֲשֶׁר־נָֽתַן־ל֥וֹ הָאֱלֹהִ֖ים תַּ֥חַת הַשָּֽׁמֶשׁ׃ | 15 |
सो मैं आनंद की तारीफ़ करता हूं, सूरज के नीचे मनुष्य के लिए इससे अच्छा कुछ नहीं है कि वह खाए-पिए और खुश रहे क्योंकि सूरज के नीचे परमेश्वर द्वारा दिए गए उसके जीवन भर में उसकी मेहनत के साथ यह हमेशा रहेगा.
כַּאֲשֶׁ֨ר נָתַ֤תִּי אֶת־לִבִּי֙ לָדַ֣עַת חָכְמָ֔ה וְלִרְאוֹת֙ אֶת־הָ֣עִנְיָ֔ן אֲשֶׁ֥ר נַעֲשָׂ֖ה עַל־הָאָ֑רֶץ כִּ֣י גַ֤ם בַּיּוֹם֙ וּבַלַּ֔יְלָה שֵׁנָ֕ה בְּעֵינָ֖יו אֵינֶ֥נּוּ רֹאֶֽה׃ | 16 |
जब मैंने अपने हृदय को बुद्धि के और पृथ्वी पर के कामों के बारे में मालूम करने के लिए लगाया (हालांकि एक व्यक्ति को दिन और रात नहीं सोना चाहिए).
וְרָאִיתִי֮ אֶת־כָּל־מַעֲשֵׂ֣ה הָאֱלֹהִים֒ כִּי֩ לֹ֨א יוּכַ֜ל הָאָדָ֗ם לִמְצוֹא֙ אֶת־הַֽמַּעֲשֶׂה֙ אֲשֶׁ֣ר נַעֲשָׂ֣ה תַֽחַת־הַשֶּׁ֔מֶשׁ בְּ֠שֶׁל אֲשֶׁ֨ר יַעֲמֹ֧ל הָאָדָ֛ם לְבַקֵּ֖שׁ וְלֹ֣א יִמְצָ֑א וְגַ֨ם אִם־יֹאמַ֤ר הֶֽחָכָם֙ לָדַ֔עַת לֹ֥א יוּכַ֖ל לִמְצֹֽא׃ | 17 |
और मैंने परमेश्वर के हर एक काम को देखा, तब मुझे मालूम हुआ कि सूरज के नीचे किया जा रहा हर एक काम मनुष्य नहीं समझ सकता. जबकि मनुष्य बहुत मेहनत करे फिर भी उसे यह मालूम न होगा और चाहे बुद्धिमान का यह कहना हो कि, मुझे मालूम है, फिर भी वह इसे मालूम नहीं कर सकता.