< דְּבָרִים 2 >

וַנֵּ֜פֶן וַנִּסַּ֤ע הַמִּדְבָּ֙רָה֙ דֶּ֣רֶךְ יַם־ס֔וּף כַּאֲשֶׁ֛ר דִּבֶּ֥ר יְהוָ֖ה אֵלָ֑י וַנָּ֥סָב אֶת־הַר־שֵׂעִ֖יר יָמִ֥ים רַבִּֽים׃ ס 1
“और जैसा ख़ुदावन्द ने मुझे हुक्म दिया था, उसके मुताबिक़ हम लौटे और बहर — ए — कु़लजु़म की राह से वीराने में आए और बहुत दिनों तक कोह — ए — श'ईर के बाहर — बाहर चलते रहे।
וַיֹּ֥אמֶר יְהוָ֖ה אֵלַ֥י לֵאמֹֽר׃ 2
तब ख़ुदावन्द ने मुझसे कहा, कि:
רַב־לָכֶ֕ם סֹ֖ב אֶת־הָהָ֣ר הַזֶּ֑ה פְּנ֥וּ לָכֶ֖ם צָפֹֽנָה׃ 3
तुम इस पहाड़ के बाहर — बाहर बहुत चल चुके; उत्तर की तरफ़ मुड़ जाओ,
וְאֶת־הָעָם֮ צַ֣ו לֵאמֹר֒ אַתֶּ֣ם עֹֽבְרִ֗ים בִּגְבוּל֙ אֲחֵיכֶ֣ם בְּנֵי־עֵשָׂ֔ו הַיֹּשְׁבִ֖ים בְּשֵׂעִ֑יר וְיִֽירְא֣וּ מִכֶּ֔ם וְנִשְׁמַרְתֶּ֖ם מְאֹֽד׃ 4
और तू इन लोगों को ताकीद कर दे कि तुमको बनी 'ऐसौ, तुम्हारे भाई जो श'ईर में रहते हैं उनकी सरहद के पास से होकर जाना है, और वह तुमसे हिरासान होंगे। इसलिए तुम ख़ूब एहतियात रखना,
אַל־תִּתְגָּר֣וּ בָ֔ם כִּ֠י לֹֽא־אֶתֵּ֤ן לָכֶם֙ מֵֽאַרְצָ֔ם עַ֖ד מִדְרַ֣ךְ כַּף־רָ֑גֶל כִּֽי־יְרֻשָּׁ֣ה לְעֵשָׂ֔ו נָתַ֖תִּי אֶת־הַ֥ר שֵׂעִֽיר׃ 5
और उनको मत छेड़ना; क्यूँकि मैं उनकी ज़मीन में से पाँव धरने तक की जगह भी तुमको नहीं दूँगा, इसलिए कि मैंने कोह — ए — श'ईर 'ऐसौ को मीरास में दिया है।
אֹ֣כֶל תִּשְׁבְּר֧וּ מֵֽאִתָּ֛ם בַּכֶּ֖סֶף וַאֲכַלְתֶּ֑ם וְגַם־מַ֜יִם תִּכְר֧וּ מֵאִתָּ֛ם בַּכֶּ֖סֶף וּשְׁתִיתֶֽם׃ 6
तुम रुपये देकर अपने खाने के लिए उनसे ख़ुराक ख़रीदना, और पीने के लिए पानी भी रुपया देकर उनसे मोल लेना।
כִּי֩ יְהוָ֨ה אֱלֹהֶ֜יךָ בֵּֽרַכְךָ֗ בְּכֹל֙ מַעֲשֵׂ֣ה יָדֶ֔ךָ יָדַ֣ע לֶכְתְּךָ֔ אֶת־הַמִּדְבָּ֥ר הַגָּדֹ֖ל הַזֶּ֑ה זֶ֣ה ׀ אַרְבָּעִ֣ים שָׁנָ֗ה יְהוָ֤ה אֱלֹהֶ֙יךָ֙ עִמָּ֔ךְ לֹ֥א חָסַ֖רְתָּ דָּבָֽר׃ 7
क्यूँकि ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा तेरे हाथ की कमाई में बरकत देता रहा है, और इस बड़े वीराने में जो तुम्हारा चलना फिरना है वह उसे जानता है। इन चालीस बरसों में ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा बराबर तुम्हारे साथ रहा और तुझको किसी चीज़ की कमी नहीं हुई।
וַֽנַּעֲבֹ֞ר מֵאֵ֧ת אַחֵ֣ינוּ בְנֵי־עֵשָׂ֗ו הַיֹּֽשְׁבִים֙ בְּשֵׂעִ֔יר מִדֶּ֙רֶךְ֙ הָֽעֲרָבָ֔ה מֵאֵילַ֖ת וּמֵעֶצְיֹ֣ן גָּ֑בֶר ס וַנֵּ֙פֶן֙ וַֽנַּעֲבֹ֔ר דֶּ֖רֶךְ מִדְבַּ֥ר מוֹאָֽב׃ 8
इसलिए हम अपने भाइयों बनी 'ऐसौ के पास से जो श'ईर में रहते हैं, कतरा कर मैदान की राह से ऐलात और 'अस्यून जाबर होते हुए गुज़रे।” फिर हम मुड़े और मोआब के वीराने के रास्ते से चले।
וַיֹּ֨אמֶר יְהוָ֜ה אֵלַ֗י אֶל־תָּ֙צַר֙ אֶת־מוֹאָ֔ב וְאַל־תִּתְגָּ֥ר בָּ֖ם מִלְחָמָ֑ה כִּ֠י לֹֽא־אֶתֵּ֨ן לְךָ֤ מֵֽאַרְצוֹ֙ יְרֻשָּׁ֔ה כִּ֣י לִבְנֵי־ל֔וֹט נָתַ֥תִּי אֶת־עָ֖ר יְרֻשָּֽׁה׃ 9
फिर ख़ुदावन्द ने मुझसे कहा, कि मोआबियों को न तो सताना और न उनसे जंग करना; इसलिए कि मैं तुझको उनकी ज़मीन का कोई हिस्सा मिल्कियत के तौर पर नहीं दूँगा, क्यूँकि मैंने 'आर को बनी लूत की मीरास कर दिया है।
הָאֵמִ֥ים לְפָנִ֖ים יָ֣שְׁבוּ בָ֑הּ עַ֣ם גָּד֥וֹל וְרַ֛ב וָרָ֖ם כָּעֲנָקִֽים׃ 10
वहाँ पहले ऐमीम बसे हुए थे जो 'अनाक़ीम की तरह बड़े — बड़े और लम्बे — लम्बे और शुमार में बहुत थे।
רְפָאִ֛ים יֵחָשְׁב֥וּ אַף־הֵ֖ם כָּעֲנָקִ֑ים וְהַמֹּ֣אָבִ֔ים יִקְרְא֥וּ לָהֶ֖ם אֵמִֽים׃ 11
और 'अनाक़ीम ही की तरह वह भी रिफ़ाईम में गिने जाते थे, लेकिन मोआबी उनको ऐमीम कहते हैं।
וּבְשֵׂעִ֞יר יָשְׁב֣וּ הַחֹרִים֮ לְפָנִים֒ וּבְנֵ֧י עֵשָׂ֣ו יִֽירָשׁ֗וּם וַיַּשְׁמִידוּם֙ מִפְּנֵיהֶ֔ם וַיֵּשְׁב֖וּ תַּחְתָּ֑ם כַּאֲשֶׁ֧ר עָשָׂ֣ה יִשְׂרָאֵ֗ל לְאֶ֙רֶץ֙ יְרֻשָּׁת֔וֹ אֲשֶׁר־נָתַ֥ן יְהוָ֖ה לָהֶֽם׃ 12
और पहले श'ईर में होरी क़ौम के लोग बसे हुए थे, लेकिन बनी 'ऐसौ ने उनको निकाल दिया और उनको अपने सामने से बर्बाद करके आप उनकी जगह बस गए, जैसे इस्राईल ने अपनी मीरास के मुल्क में किया जिसे ख़ुदावन्द ने उनको दिया।
עַתָּ֗ה קֻ֛מוּ וְעִבְר֥וּ לָכֶ֖ם אֶת־נַ֣חַל זָ֑רֶד וַֽנַּעֲבֹ֖ר אֶת־נַ֥חַל זָֽרֶד׃ 13
अब उठो और वादी — ए — ज़रद के पार जाओ। चुनाँचे हम वादी — ए — ज़रद से पार हुए।
וְהַיָּמִ֞ים אֲשֶׁר־הָלַ֣כְנוּ ׀ מִקָּדֵ֣שׁ בַּרְנֵ֗עַ עַ֤ד אֲשֶׁר־עָבַ֙רְנוּ֙ אֶת־נַ֣חַל זֶ֔רֶד שְׁלֹשִׁ֥ים וּשְׁמֹנֶ֖ה שָׁנָ֑ה עַד־תֹּ֨ם כָּל־הַדּ֜וֹר אַנְשֵׁ֤י הַמִּלְחָמָה֙ מִקֶּ֣רֶב הַֽמַּחֲנֶ֔ה כַּאֲשֶׁ֛ר נִשְׁבַּ֥ע יְהוָ֖ה לָהֶֽם׃ 14
और हमारे क़ादिस बर्नी'अ से रवाना होने से लेकर वादी — ए — ज़रद के पार होने तक अठतीस बरस का 'अरसा गुज़रा। इस असना में ख़ुदावन्द की क़सम के मुताबिक़ उस नसल के सब जंगी मर्द लश्कर में से मर खप गए।
וְגַ֤ם יַד־יְהוָה֙ הָ֣יְתָה בָּ֔ם לְהֻמָּ֖ם מִקֶּ֣רֶב הַֽמַּחֲנֶ֑ה עַ֖ד תֻּמָּֽם׃ 15
और जब तक वह नाबूद न हो गए तब तक ख़ुदावन्द का हाथ उनको लश्कर में से हलाक करने को उनके ख़िलाफ़ बढ़ा ही रहा।
וַיְהִ֨י כַאֲשֶׁר־תַּ֜מּוּ כָּל־אַנְשֵׁ֧י הַמִּלְחָמָ֛ה לָמ֖וּת מִקֶּ֥רֶב הָעָֽם׃ ס 16
जब सब जंगी मर्द मर गए और क़ौम में से फ़ना हो गए
וַיְדַבֵּ֥ר יְהוָ֖ה אֵלַ֥י לֵאמֹֽר׃ 17
तो ख़ुदावन्द ने मुझसे कहा,
אַתָּ֨ה עֹבֵ֥ר הַיּ֛וֹם אֶת־גְּב֥וּל מוֹאָ֖ב אֶת־עָֽר׃ 18
आज तुझे 'आर शहर से होकर जो मोआब की सरहद है गुज़रना है।
וְקָרַבְתָּ֗ מ֚וּל בְּנֵ֣י עַמּ֔וֹן אַל־תְּצֻרֵ֖ם וְאַל־תִּתְגָּ֣ר בָּ֑ם כִּ֣י לֹֽא־אֶ֠תֵּן מֵאֶ֨רֶץ בְּנֵי־עַמּ֤וֹן לְךָ֙ יְרֻשָּׁ֔ה כִּ֥י לִבְנֵי־ל֖וֹט נְתַתִּ֥יהָ יְרֻשָּֽׁה׃ 19
और जब तू बनी 'अम्मोन के क़रीब जा पहुँचे, तो उन को मत सताना और न उनको छेड़ना, क्यूँकि मैं बनी 'अम्मोन की ज़मीन का कोई हिस्सा तुझे मीरास के तौर पर नहीं दूँगा इसलिए कि उसे मैंने बनी लूत को मीरास में दिया है।
אֶֽרֶץ־רְפָאִ֥ים תֵּחָשֵׁ֖ב אַף־הִ֑וא רְפָאִ֤ים יָֽשְׁבוּ־בָהּ֙ לְפָנִ֔ים וְהָֽעַמֹּנִ֔ים יִקְרְא֥וּ לָהֶ֖ם זַמְזֻמִּֽים׃ 20
वह मुल्क भी रिफ़ाईम का गिना जाता था, क्यूँकि पहले रफ़ाईम जिनको 'अम्मोनी लोग ज़मज़मीम कहते थे वहाँ बसे हुए थे।
עַ֣ם גָּד֥וֹל וְרַ֛ב וָרָ֖ם כָּעֲנָקִ֑ים וַיַּשְׁמִידֵ֤ם יְהוָה֙ מִפְּנֵיהֶ֔ם וַיִּירָשֻׁ֖ם וַיֵּשְׁב֥וּ תַחְתָּֽם׃ 21
यह लोग भी 'अनाक़ीम की तरह बड़े — बड़े और लम्बे — लम्बे और शुमार में बहुत थे, लेकिन ख़ुदावन्द ने उनको 'अम्मोनियों के सामने से हलाक किया, और वह उनको निकाल कर उनकी जगह आप बस गए।
כַּאֲשֶׁ֤ר עָשָׂה֙ לִבְנֵ֣י עֵשָׂ֔ו הַיֹּשְׁבִ֖ים בְּשֵׂעִ֑יר אֲשֶׁ֨ר הִשְׁמִ֤יד אֶת־הַחֹרִי֙ מִפְּנֵיהֶ֔ם וַיִּֽירָשֻׁם֙ וַיֵּשְׁב֣וּ תַחְתָּ֔ם עַ֖ד הַיּ֥וֹם הַזֶּֽה׃ 22
ठीक वैसे ही जैसे उसने बनी 'ऐसौ के सामने से जो श'ईर में रहते थे होरियों को हलाक किया, और वह उनको निकाल कर आज तक उन ही की जगह बसे हुए हैं।
וְהָֽעַוִּ֛ים הַיֹּשְׁבִ֥ים בַּחֲצֵרִ֖ים עַד־עַזָּ֑ה כַּפְתֹּרִים֙ הַיֹּצְאִ֣ים מִכַּפְתּ֔וֹר הִשְׁמִידֻ֖ם וַיֵּשְׁב֥וּ תַחְתָּֽם׃ 23
ऐसे ही 'अवियों को जो अपनी बस्तियों में ग़ज़्ज़ा तक बसे हुए थे, कफ़तूरियों ने जो कफ़तूरा से निकले थे हलाक किया और उनकी जगह आप बस गए
ק֣וּמוּ סְּע֗וּ וְעִבְרוּ֮ אֶת־נַ֣חַל אַרְנֹן֒ רְאֵ֣ה נָתַ֣תִּי בְ֠יָדְךָ אֶת־סִיחֹ֨ן מֶֽלֶךְ־חֶשְׁבּ֧וֹן הָֽאֱמֹרִ֛י וְאֶת־אַרְצ֖וֹ הָחֵ֣ל רָ֑שׁ וְהִתְגָּ֥ר בּ֖וֹ מִלְחָמָֽה׃ 24
इसलिए उठो, और वादी — ए — अरनून के पार जाओ। देखो, मैंने हस्बोन के बादशाह सीहोन को, जो अमोरी है उसके मुल्क समेत तुम्हारे हाथ में कर दिया है; इसलिए उस पर क़ब्ज़ा करना शुरू' करो और उससे जंग छेड़ दो।
הַיּ֣וֹם הַזֶּ֗ה אָחֵל֙ תֵּ֤ת פַּחְדְּךָ֙ וְיִרְאָ֣תְךָ֔ עַל־פְּנֵי֙ הָֽעַמִּ֔ים תַּ֖חַת כָּל־הַשָּׁמָ֑יִם אֲשֶׁ֤ר יִשְׁמְעוּן֙ שִׁמְעֲךָ֔ וְרָגְז֥וּ וְחָל֖וּ מִפָּנֶֽיךָ׃ 25
मैं आज ही से तुम्हारा ख़ौफ़ और रौब उन क़ौमों के दिल में डालना शुरू' करूँगा जो इस ज़मीन पर रहती हैं, वह तुम्हारी ख़बर सुनेंगी और काँपेंगी, और तुम्हारी वजह से बेताब हो जाएँगी।
וָאֶשְׁלַ֤ח מַלְאָכִים֙ מִמִּדְבַּ֣ר קְדֵמ֔וֹת אֶל־סִיח֖וֹן מֶ֣לֶךְ חֶשְׁבּ֑וֹן דִּבְרֵ֥י שָׁל֖וֹם לֵאמֹֽר׃ 26
“और मैंने दश्त — ए — क़दीमात से हस्बोन के बादशाह सीहोन के पास सुलह के पैग़ाम के साथ क़ासिद रवाना किए और कहला भेजा, कि
אֶעְבְּרָ֣ה בְאַרְצֶ֔ךָ בַּדֶּ֥רֶךְ בַּדֶּ֖רֶךְ אֵלֵ֑ךְ לֹ֥א אָס֖וּר יָמִ֥ין וּשְׂמֹֽאול׃ 27
मुझे अपने मुल्क से गुज़र जाने दे; मैं शाहराह से होकर चलूँगा और दहने और बाएँ हाथ नहीं मुड़ूँगा
אֹ֣כֶל בַּכֶּ֤סֶף תַּשְׁבִּרֵ֙נִי֙ וְאָכַ֔לְתִּי וּמַ֛יִם בַּכֶּ֥סֶף תִּתֶּן־לִ֖י וְשָׁתִ֑יתִי רַ֖ק אֶעְבְּרָ֥ה בְרַגְלָֽי׃ 28
तू रुपये लेकर मेरे हाथ मेरे खाने के लिए ख़ुराक बेचना, और मेरे पीने के लिए पानी भी मुझे रुपया लेकर देना; सिर्फ़ मुझे पाँव — पाँव निकल जाने दे,
כַּאֲשֶׁ֨ר עָֽשׂוּ־לִ֜י בְּנֵ֣י עֵשָׂ֗ו הַיֹּֽשְׁבִים֙ בְּשֵׂעִ֔יר וְהַמּ֣וֹאָבִ֔ים הַיֹּשְׁבִ֖ים בְּעָ֑ר עַ֤ד אֲשֶֽׁר־אֶֽעֱבֹר֙ אֶת־הַיַּרְדֵּ֔ן אֶל־הָאָ֕רֶץ אֲשֶׁר־יְהוָ֥ה אֱלֹהֵ֖ינוּ נֹתֵ֥ן לָֽנוּ׃ 29
जैसे बनी 'ऐसौ ने जो श'ईर में रहते हैं, और मोआबियों ने जो 'आर शहर में बसते हैं। मेरे साथ किया; जब तक कि मैं यरदन को उबूर करके उस मुल्क में पहुँच न जाऊँ जो ख़ुदावन्द हमारा ख़ुदा हमको देता है।
וְלֹ֣א אָבָ֗ה סִיחֹן֙ מֶ֣לֶךְ חֶשְׁבּ֔וֹן הַעֲבִרֵ֖נוּ בּ֑וֹ כִּֽי־הִקְשָׁה֩ יְהוָ֨ה אֱלֹהֶ֜יךָ אֶת־רוּח֗וֹ וְאִמֵּץ֙ אֶת־לְבָב֔וֹ לְמַ֛עַן תִּתּ֥וֹ בְיָדְךָ֖ כַּיּ֥וֹם הַזֶּֽה׃ ס 30
लेकिन हस्बोन के बादशाह सीहोन ने हमको अपने हाँ से गुज़रने न दिया; क्यूँकि ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने उसका मिज़ाज कड़ा और उसका दिल सख़्त कर दिया ताकि उसे तेरे हाथ में हवाले कर दे, जैसा आज ज़ाहिर है।
וַיֹּ֤אמֶר יְהוָה֙ אֵלַ֔י רְאֵ֗ה הַֽחִלֹּ֙תִי֙ תֵּ֣ת לְפָנֶ֔יךָ אֶת־סִיחֹ֖ן וְאֶת־אַרְצ֑וֹ הָחֵ֣ל רָ֔שׁ לָרֶ֖שֶׁת אֶת־אַרְצֽוֹ׃ 31
और ख़ुदावन्द ने मुझसे कहा, देख, मैं सीहोन और उसके मुल्क को तेरे हाथ में हवाले करने को हूँ, इसलिए तू उस पर क़ब्ज़ा करना शुरू' कर, ताकि वह तेरी मीरास ठहरे।
וַיֵּצֵא֩ סִיחֹ֨ן לִקְרָאתֵ֜נוּ ה֧וּא וְכָל־עַמּ֛וֹ לַמִּלְחָמָ֖ה יָֽהְצָה׃ 32
तब सीहोन अपने सब आदमियों को लेकर हमारे मुक़ाबले में निकला और जंग करने के लिए यहज़ में आया।
וַֽיִּתְּנֵ֛הוּ יְהוָ֥ה אֱלֹהֵ֖ינוּ לְפָנֵ֑ינוּ וַנַּ֥ךְ אֹת֛וֹ וְאֶת־בָּנָ֖יו וְאֶת־כָּל־עַמּֽוֹ׃ 33
और ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा ने उसे हमारे हवाले कर दिया; और हमने उसे, और उसके बेटों को, और उसके सब आदमियों को मार लिया।
וַנִּלְכֹּ֤ד אֶת־כָּל־עָרָיו֙ בָּעֵ֣ת הַהִ֔וא וַֽנַּחֲרֵם֙ אֶת־כָּל־עִ֣יר מְתִ֔ם וְהַנָּשִׁ֖ים וְהַטָּ֑ף לֹ֥א הִשְׁאַ֖רְנוּ שָׂרִֽיד׃ 34
और हमने उसी वक़्त उसके सब शहरों को ले लिया, और हर आबाद शहर को 'औरतों और बच्चों समेत बिल्कुल नाबूद कर दिया और किसी को बाक़ी न छोड़ा;
רַ֥ק הַבְּהֵמָ֖ה בָּזַ֣זְנוּ לָ֑נוּ וּשְׁלַ֥ל הֶעָרִ֖ים אֲשֶׁ֥ר לָכָֽדְנוּ׃ 35
लेकिन चौपायों को और शहरों के माल को जो हमारे हाथ लगा लूट कर हमने अपने लिए रख लिया।
מֵֽעֲרֹעֵ֡ר אֲשֶׁר֩ עַל־שְׂפַת־נַ֨חַל אַרְנֹ֜ן וְהָעִ֨יר אֲשֶׁ֤ר בַּנַּ֙חַל֙ וְעַד־הַגִּלְעָ֔ד לֹ֤א הָֽיְתָה֙ קִרְיָ֔ה אֲשֶׁ֥ר שָׂגְבָ֖ה מִמֶּ֑נּוּ אֶת־הַכֹּ֕ל נָתַ֛ן יְהוָ֥ה אֱלֹהֵ֖ינוּ לְפָנֵֽינוּ׃ 36
और 'अरो'ईर से जो वादी — ए — अरनोन के किनारे है, और उस शहर से जो वादी में है, जिल'आद तक ऐसा कोई शहर न था जिसको सर करना हमारे लिए मुश्किल हुआ; ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा ने सबको हमारे क़ब्ज़े में कर दिया।
רַ֛ק אֶל־אֶ֥רֶץ בְּנֵי־עַמּ֖וֹן לֹ֣א קָרָ֑בְתָּ כָּל־יַ֞ד נַ֤חַל יַבֹּק֙ וְעָרֵ֣י הָהָ֔ר וְכֹ֥ל אֲשֶׁר־צִוָּ֖ה יְהוָ֥ה אֱלֹהֵֽינוּ׃ 37
लेकिन बनी 'अम्मोन के मुल्क के नज़दीक और दरिया — ए — यबोक़ का 'इलाक़ा और कोहिस्तान के शहरों में और जहाँ — जहाँ ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा ने हमको मना' किया था तो नहीं गया।

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