< דְּבָרִים 19 >
כִּֽי־יַכְרִ֞ית יְהוָ֤ה אֱלֹהֶ֙יךָ֙ אֶת־הַגּוֹיִ֔ם אֲשֶׁר֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ נֹתֵ֥ן לְךָ֖ אֶת־אַרְצָ֑ם וִֽירִשְׁתָּ֕ם וְיָשַׁבְתָּ֥ בְעָרֵיהֶ֖ם וּבְבָתֵּיהֶֽם׃ | 1 |
जब ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा उन क़ौमों को, जिनका मुल्क ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तुझको देता है काट डाले, और तू उनकी जगह उनके शहरों और घरों में रहने लगे,
שָׁל֥וֹשׁ עָרִ֖ים תַּבְדִּ֣יל לָ֑ךְ בְּת֣וֹךְ אַרְצְךָ֔ אֲשֶׁר֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ נֹתֵ֥ן לְךָ֖ לְרִשְׁתָּֽהּ׃ | 2 |
तो तू उस मुल्क में जिसे ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तुझको क़ब्ज़ा करने को देता है, तीन शहर अपने लिए अलग कर देना।
תָּכִ֣ין לְךָ֮ הַדֶּרֶךְ֒ וְשִׁלַּשְׁתָּ֙ אֶת־גְּב֣וּל אַרְצְךָ֔ אֲשֶׁ֥ר יַנְחִֽילְךָ֖ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֑יךָ וְהָיָ֕ה לָנ֥וּס שָׁ֖מָּה כָּל־רֹצֵֽחַ׃ | 3 |
और तू एक रास्ता भी अपने लिए तैयार करना, और अपने उस मुल्क की ज़मीन को जिस पर ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तुझको क़ब्ज़ा दिलाता है तीन हिस्से करना, ताकि हर एक ख़ूनी वहीं भाग जाए।
וְזֶה֙ דְּבַ֣ר הָרֹצֵ֔חַ אֲשֶׁר־יָנ֥וּס שָׁ֖מָּה וָחָ֑י אֲשֶׁ֨ר יַכֶּ֤ה אֶת־רֵעֵ֙הוּ֙ בִּבְלִי־דַ֔עַת וְה֛וּא לֹא־שֹׂנֵ֥א ל֖וֹ מִתְּמֹ֥ל שִׁלְשֹֽׁם׃ | 4 |
और उस क़ातिल का जो वहाँ भाग कर अपनी जान बचाए हाल यह हो, कि उसने अपने पड़ोसी को अनजाने में और बग़ैर उससे पुरानी दुश्मनी रख्खे मार डाला हो।
וַאֲשֶׁר֩ יָבֹ֨א אֶת־רֵעֵ֥הוּ בַיַּעַר֮ לַחְטֹ֣ב עֵצִים֒ וְנִדְּחָ֨ה יָד֤וֹ בַגַּרְזֶן֙ לִכְרֹ֣ת הָעֵ֔ץ וְנָשַׁ֤ל הַבַּרְזֶל֙ מִן־הָעֵ֔ץ וּמָצָ֥א אֶת־רֵעֵ֖הוּ וָמֵ֑ת ה֗וּא יָנ֛וּס אֶל־אַחַ֥ת הֶעָרִים־הָאֵ֖לֶּה וָחָֽי׃ | 5 |
मसलन कोई शख़्स अपने पड़ोसी के साथ लकड़ियाँ काटने को जंगल में जाए और कुल्हाड़ा हाथ में उठाए ताकि दरख़्त काटे, और कुल्हाड़ा दस्ते से निकल कर उसके पड़ोसी के जा लगे और वह मर जाए, तो वह इन शहरों में से किसी में भाग कर ज़िन्दा बचे।
פֶּן־יִרְדֹּף֩ גֹּאֵ֨ל הַדָּ֜ם אַחֲרֵ֣י הָרֹצֵ֗חַ כִּי־יֵחַם֮ לְבָבוֹ֒ וְהִשִּׂיג֛וֹ כִּֽי־יִרְבֶּ֥ה הַדֶּ֖רֶךְ וְהִכָּ֣הוּ נָ֑פֶשׁ וְלוֹ֙ אֵ֣ין מִשְׁפַּט־מָ֔וֶת כִּ֠י לֹ֣א שֹׂנֵ֥א ה֛וּא ל֖וֹ מִתְּמ֥וֹל שִׁלְשֽׁוֹם׃ | 6 |
कहीं ऐसा न हो कि रास्ते की लम्बाई की वजह से ख़ून का इन्तक़ाम लेने वाला अपने जोश — ए — ग़ज़ब में क़ातिल का पीछा करके उसको जा पकड़े और उसको क़त्ल करे, हालाँके वह वाजिब — उल — क़त्ल नहीं क्यूँकि उसे मक़्तूल से पुरानी दुश्मनी न थी।
עַל־כֵּ֛ן אָנֹכִ֥י מְצַוְּךָ֖ לֵאמֹ֑ר שָׁלֹ֥שׁ עָרִ֖ים תַּבְדִּ֥יל לָֽךְ׃ ס | 7 |
इसलिए मैं तुझको हुक्म देता हूँ कि तू अपने लिए तीन शहर अलग कर देना।
וְאִם־יַרְחִ֞יב יְהוָ֤ה אֱלֹהֶ֙יךָ֙ אֶת־גְּבֻ֣לְךָ֔ כַּאֲשֶׁ֥ר נִשְׁבַּ֖ע לַאֲבֹתֶ֑יךָ וְנָ֤תַן לְךָ֙ אֶת־כָּל־הָאָ֔רֶץ אֲשֶׁ֥ר דִּבֶּ֖ר לָתֵ֥ת לַאֲבֹתֶֽיךָ׃ | 8 |
और अगर ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा उस क़सम के मुताबिक़ जो उसने तेरे बाप — दादा से खाई, तेरी सरहद को बढ़ाकर वह सब मुल्क जिसके देने का वा'दा उसने तेरे बाप दादा से किया था तुझको दे।
כִּֽי־תִשְׁמֹר֩ אֶת־כָּל־הַמִּצְוָ֨ה הַזֹּ֜את לַעֲשֹׂתָ֗הּ אֲשֶׁ֨ר אָנֹכִ֣י מְצַוְּךָ֮ הַיּוֹם֒ לְאַהֲבָ֞ה אֶת־יְהוָ֧ה אֱלֹהֶ֛יךָ וְלָלֶ֥כֶת בִּדְרָכָ֖יו כָּל־הַיָּמִ֑ים וְיָסַפְתָּ֨ לְךָ֥ עוֹד֙ שָׁלֹ֣שׁ עָרִ֔ים עַ֖ל הַשָּׁלֹ֥שׁ הָאֵֽלֶּה׃ | 9 |
और तू इन सब हुक्मों पर जो आज के दिन मैं तुझको देता हूँ ध्यान करके 'अमल करे और ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा से मुहब्बत रख्खे और हमेशा उसकी राहों पर चले, तो इन तीन शहरों के आलावा तीन शहर और अपने लिए अलग कर देना।
וְלֹ֤א יִשָּׁפֵךְ֙ דָּ֣ם נָקִ֔י בְּקֶ֣רֶב אַרְצְךָ֔ אֲשֶׁר֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ נֹתֵ֥ן לְךָ֖ נַחֲלָ֑ה וְהָיָ֥ה עָלֶ֖יךָ דָּמִֽים׃ ס | 10 |
ताकि तेरे मुल्क के बीच जिसे ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तुझको मीरास में देता है, बेगुनाह का ख़ून बहाया न जाए और वह ख़ून यूँ तेरी गर्दन पर हो।
וְכִֽי־יִהְיֶ֥ה אִישׁ֙ שֹׂנֵ֣א לְרֵעֵ֔הוּ וְאָ֤רַב לוֹ֙ וְקָ֣ם עָלָ֔יו וְהִכָּ֥הוּ נֶ֖פֶשׁ וָמֵ֑ת וְנָ֕ס אֶל־אַחַ֖ת הֶעָרִ֥ים הָאֵֽל׃ | 11 |
लेकिन अगर कोई शख़्स अपने पड़ोसी से दुश्मनी रखता हुआ उसकी घात में लगे, और उस पर हमला कर के उसे ऐसा मारे कि वह मर जाए और वह ख़ुद उन शहरों में से किसी में भाग जाए।
וְשָֽׁלְחוּ֙ זִקְנֵ֣י עִיר֔וֹ וְלָקְח֥וּ אֹת֖וֹ מִשָּׁ֑ם וְנָתְנ֣וּ אֹת֗וֹ בְּיַ֛ד גֹּאֵ֥ל הַדָּ֖ם וָמֵֽת׃ | 12 |
तो उसके शहर के बुज़ुर्ग लोगों को भेजकर उसे वहाँ से पकड़वा मँगवाएँ, और उसको ख़ून के इन्तक़ाम लेने वाले के हाथ में हवाले करें ताकि वह क़त्ल हो।
לֹא־תָח֥וֹס עֵֽינְךָ֖ עָלָ֑יו וּבִֽעַרְתָּ֧ דַֽם־הַנָּקִ֛י מִיִּשְׂרָאֵ֖ל וְט֥וֹב לָֽךְ׃ ס | 13 |
तुझको उस पर ज़रा तरस न आए, बल्कि तू इस तरह बेगुनाह के ख़ून को इस्राईल से दफ़ा' करना ताकि तेरा भला हो।
לֹ֤א תַסִּיג֙ גְּב֣וּל רֵֽעֲךָ֔ אֲשֶׁ֥ר גָּבְל֖וּ רִאשֹׁנִ֑ים בְּנַחֲלָֽתְךָ֙ אֲשֶׁ֣ר תִּנְחַ֔ל בָּאָ֕רֶץ אֲשֶׁר֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ נֹתֵ֥ן לְךָ֖ לְרִשְׁתָּֽהּ׃ ס | 14 |
तू उस मुल्क में जिसे ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तुझको क़ब्ज़ा करने को देता है, अपने पड़ोसी की हद का निशान जिसको अगले लोगों ने तेरी मीरास के हिस्से में ठहराया हो मत हटाना।
לֹֽא־יָקוּם֩ עֵ֨ד אֶחָ֜ד בְּאִ֗ישׁ לְכָל־עָוֹן֙ וּלְכָל־חַטָּ֔את בְּכָל־חֵ֖טְא אֲשֶׁ֣ר יֶֽחֱטָ֑א עַל־פִּ֣י ׀ שְׁנֵ֣י עֵדִ֗ים א֛וֹ עַל־פִּ֥י שְׁלֹשָֽׁה־עֵדִ֖ים יָק֥וּם דָּבָֽר׃ | 15 |
किसी शख़्स के ख़िलाफ़ उसकी किसी बदकारी या गुनाह के बारे में जो उससे सरज़द हो, एक ही गवाह बस नहीं बल्कि दो गवाहों या तीन गवाहों के कहने से बात पक्की समझी जाए।
כִּֽי־יָק֥וּם עֵד־חָמָ֖ס בְּאִ֑ישׁ לַעֲנ֥וֹת בּ֖וֹ סָרָֽה׃ | 16 |
अगर कोई झूटा गवाह उठ कर किसी आदमी की बदी की निस्बत गवाही दे,
וְעָמְד֧וּ שְׁנֵֽי־הָאֲנָשִׁ֛ים אֲשֶׁר־לָהֶ֥ם הָרִ֖יב לִפְנֵ֣י יְהוָ֑ה לִפְנֵ֤י הַכֹּֽהֲנִים֙ וְהַשֹּׁ֣פְטִ֔ים אֲשֶׁ֥ר יִהְי֖וּ בַּיָּמִ֥ים הָהֵֽם׃ | 17 |
तो वह दोनों आदमी जिनके बीच यह झगड़ा हो, ख़ुदावन्द के सामने काहिनों और उन दिनों के क़ाज़ियों के आगे खड़े हों,
וְדָרְשׁ֥וּ הַשֹּׁפְטִ֖ים הֵיטֵ֑ב וְהִנֵּ֤ה עֵֽד־שֶׁ֙קֶר֙ הָעֵ֔ד שֶׁ֖קֶר עָנָ֥ה בְאָחִֽיו׃ | 18 |
और क़ाज़ी ख़ूब तहक़ीक़ात करें, और अगर वह गवाह झूटा निकले और उसने अपने भाई के ख़िलाफ़ झूटी गवाही दी हो;
וַעֲשִׂ֣יתֶם ל֔וֹ כַּאֲשֶׁ֥ר זָמַ֖ם לַעֲשׂ֣וֹת לְאָחִ֑יו וּבִֽעַרְתָּ֥ הָרָ֖ע מִקִּרְבֶּֽךָ׃ | 19 |
तो जो हाल उसने अपने भाई का करना चाहा था, वही तुम उसका करना; और यूँ तू ऐसी बुराई को अपने बीच से दफ़ा' कर देना।
וְהַנִּשְׁאָרִ֖ים יִשְׁמְע֣וּ וְיִרָ֑אוּ וְלֹֽא־יֹסִ֨פוּ לַעֲשׂ֜וֹת ע֗וֹד כַּדָּבָ֥ר הָרָ֛ע הַזֶּ֖ה בְּקִרְבֶּֽךָ׃ | 20 |
और दूसरे लोग सुन कर डरेंगे और तेरे बीच फिर ऐसी बुराई नहीं करेंगे।
וְלֹ֥א תָח֖וֹס עֵינֶ֑ךָ נֶ֣פֶשׁ בְּנֶ֗פֶשׁ עַ֤יִן בְּעַ֙יִן֙ שֵׁ֣ן בְּשֵׁ֔ן יָ֥ד בְּיָ֖ד רֶ֥גֶל בְּרָֽגֶל׃ ס | 21 |
और तुझको ज़रा तरस न आए; जान का बदला जान, आँख का बदला आँख, दाँत का बदला दाँत, हाथ का बदला हाथ, और पाँव का बदला पाँव हो।