< 2 שְׁמוּאֵל 22 >

וַיְדַבֵּ֤ר דָּוִד֙ לַֽיהוָ֔ה אֶת־דִּבְרֵ֖י הַשִּׁירָ֣ה הַזֹּ֑את בְּיוֹם֩ הִצִּ֨יל יְהוָ֥ה אֹת֛וֹ מִכַּ֥ף כָּל־אֹיְבָ֖יו וּמִכַּ֥ף שָׁאֽוּל׃ 1
जब ख़ुदावन्द ने दाऊद को उसके सब दुश्मनों और साऊल के हाथ से रिहाई दी तो उसने ख़ुदावन्द के सामने इस मज़मून का हम्द सुनाया।
וַיֹּאמַ֑ר יְהוָ֛ה סַֽלְעִ֥י וּמְצֻדָתִ֖י וּמְפַלְטִי־לִֽי׃ 2
वह कहने लगा, ख़ुदावन्द मेरी चट्टान और मेरा किला' और मेरा छुड़ाने वाला है।
אֱלֹהֵ֥י צוּרִ֖י אֶחֱסֶה־בּ֑וֹ מָגִנִּ֞י וְקֶ֣רֶן יִשְׁעִ֗י מִשְׂגַּבִּי֙ וּמְנוּסִ֔י מֹשִׁעִ֕י מֵחָמָ֖ס תֹּשִׁעֵֽנִי׃ 3
ख़ुदा मेरी चट्टान है, मैं उसी पर भरोसा रख्खूँगा, वही मेरी ढाल और मेरी नजात का सींग है, मेरा ऊँचा बुर्ज और मेरी पनाह है, मेरे नजात देने वाले! तूही मुझे ज़ुल्म से बचाता है।
מְהֻלָּ֖ל אֶקְרָ֣א יְהוָ֑ה וּמֵאֹיְבַ֖י אִוָּשֵֽׁעַ׃ 4
मैं ख़ुदावन्द को जो ता'रीफ़ के लायक़ है पुकारूँगा, यूँ मैं अपने दुश्मनों से बचाया जाऊँगा।
כִּ֥י אֲפָפֻ֖נִי מִשְׁבְּרֵי־מָ֑וֶת נַחֲלֵ֥י בְלִיַּ֖עַל יְבַעֲתֻֽנִי׃ 5
क्यूँकि मौत की मौजों ने मुझे घेरा, बेदीनी के सैलाबों ने मुझे डराया।
חֶבְלֵ֥י שְׁא֖וֹל סַבֻּ֑נִי קִדְּמֻ֖נִי מֹֽקְשֵׁי־מָֽוֶת׃ (Sheol h7585) 6
पाताल की रस्सियाँ मेरे चारो तरफ़ थीं मौत के फंदे मुझ पर आते थे। (Sheol h7585)
בַּצַּר־לִי֙ אֶקְרָ֣א יְהוָ֔ה וְאֶל־אֱלֹהַ֖י אֶקְרָ֑א וַיִּשְׁמַ֤ע מֵהֵֽיכָלוֹ֙ קוֹלִ֔י וְשַׁוְעָתִ֖י בְּאָזְנָֽיו׃ 7
अपनी मुसीबत में मैंने ख़ुदावन्द को पुकारा, मैं अपने ख़ुदा के सामने चिल्लाया। उसने अपनी हैकल में से मेरी आवाज़ सुनी और मेरी फ़रयाद उसके कान में पहुँची।
וַיִּתְגָּעַ֤שׁ וַתִּרְעַשׁ֙ הָאָ֔רֶץ מוֹסְד֥וֹת הַשָּׁמַ֖יִם יִרְגָּ֑זוּ וַיִּֽתְגָּעֲשׁ֖וּ כִּֽי־חָ֥רָה לֽוֹ׃ 8
तब ज़मीन हिल गई और काँप उठी और आसमान की बुनियादों ने जुम्बिश खाई और हिल गयीं, इसलिए कि वह ग़ुस्सा हुआ।
עָלָ֤ה עָשָׁן֙ בְּאַפּ֔וֹ וְאֵ֥שׁ מִפִּ֖יו תֹּאכֵ֑ל גֶּחָלִ֖ים בָּעֲר֥וּ מִמֶּֽנּוּ׃ 9
उसके नथुनों से धुवाँ उठा और उसके मुँह से आग निकल कर भस्म करने लगी, कोयले उससे दहक उठे।
וַיֵּ֥ט שָׁמַ֖יִם וַיֵּרַ֑ד וַעֲרָפֶ֖ל תַּ֥חַת רַגְלָֽיו׃ 10
उसने आसमानों को भी झुका दिया और नीचे उतर आया और उसके पाँव तले गहरा अँधेरा था।
וַיִּרְכַּ֥ב עַל־כְּר֖וּב וַיָּעֹ֑ף וַיֵּרָ֖א עַל־כַּנְפֵי־רֽוּחַ׃ 11
वह करूबी पर सवार होकर उदा और हवा के बाज़ुओं पर दिखाई दिया।
וַיָּ֥שֶׁת חֹ֛שֶׁךְ סְבִיבֹתָ֖יו סֻכּ֑וֹת חַֽשְׁרַת־מַ֖יִם עָבֵ֥י שְׁחָקִֽים׃ 12
और उसने अपने चारों तरफ़ अँधेरे को और पानी के इज्तिमा'और आसमान के दलदार बादलों को शामियाने बनाया।
מִנֹּ֖גַהּ נֶגְדּ֑וֹ בָּעֲר֖וּ גַּחֲלֵי־אֵֽשׁ׃ 13
उस झलक से जो उसके आगे आगे थी आग के कोयले सुलग गये।
יַרְעֵ֥ם מִן־שָׁמַ֖יִם יְהוָ֑ה וְעֶלְי֖וֹן יִתֵּ֥ן קוֹלֽוֹ׃ 14
ख़ुदावन्द आसमान से गरजा और हक़ त'आला ने अपनी आवाज़ सुनाई।
וַיִּשְׁלַ֥ח חִצִּ֖ים וַיְפִיצֵ֑ם בָּרָ֖ק וַיָּהֹֽם׃ 15
उसने तीर चला कर उनको तितर बितर किया, और बिजली से उनको शिकस्त दी।
וַיֵּֽרָאוּ֙ אֲפִ֣קֵי יָ֔ם יִגָּל֖וּ מֹסְד֣וֹת תֵּבֵ֑ל בְּגַעֲרַ֣ת יְהוָ֔ה מִנִּשְׁמַ֖ת ר֥וּחַ אַפּֽוֹ׃ 16
तब ख़ुदावन्द की डॉट से; उसके नथुनों के दम के झोंके से, समुन्दर की गहराई दिखाई देने लगी, और जहान की बुनियादें नमूदार हुईं।
יִשְׁלַ֥ח מִמָּר֖וֹם יִקָּחֵ֑נִי יַֽמְשֵׁ֖נִי מִמַּ֥יִם רַבִּֽים׃ 17
उसने ऊपर से हाथ बढ़ाकर मुझे थाम लिया, और मुझे बहुत पानी में से खींच कर बाहर निकाला।
יַצִּילֵ֕נִי מֵאֹיְבִ֖י עָ֑ז מִשֹּׂ֣נְאַ֔י כִּ֥י אָמְצ֖וּ מִמֶּֽנִּי׃ 18
उसने मेरे ताक़तवर दुश्मन और मेरे 'अदावत रखने वालों से, मुझे छुड़ा लिया क्यूँकि वह मेरे लिए निहायत बहादुर थे।
יְקַדְּמֻ֖נִי בְּי֣וֹם אֵידִ֑י וַיְהִ֧י יְהוָ֛ה מִשְׁעָ֖ן לִֽי׃ 19
वह मेरी मुसीबत के दिन मुझ पर आ पड़े, पर ख़ुदावन्द मेरा सहारा था।
וַיֹּצֵ֥א לַמֶּרְחָ֖ב אֹתִ֑י יְחַלְּצֵ֖נִי כִּי־חָ֥פֵֽץ בִּֽי׃ 20
वह मुझे चौड़ी जगह में निकाल भी लाया, उसने मुझे छुड़ाया, इसलिए कि वह मुझसे ख़ुश था।
יִגְמְלֵ֥נִי יְהוָ֖ה כְּצִדְקָתִ֑י כְּבֹ֥ר יָדַ֖י יָשִׁ֥יב לִֽי׃ 21
ख़ुदावन्द ने मेरी रास्तबाज़ी के मुवाफ़िक़ मुझे बदला दिया, और मेरे हाथों की पाकीज़गी के मुताबिक़ मुझे बदला दिया।
כִּ֥י שָׁמַ֖רְתִּי דַּרְכֵ֣י יְהוָ֑ה וְלֹ֥א רָשַׁ֖עְתִּי מֵאֱלֹהָֽי׃ 22
क्यूँकि मैं ख़ुदावन्द की राहों पर चलता रहा, और ग़ल्ती से अपने ख़ुदा से अलग न हुआ।
כִּ֥י כָל־מִשְׁפָּטָ֖יו לְנֶגְדִּ֑י וְחֻקֹּתָ֖יו לֹא־אָס֥וּר מִמֶּֽנָּה׃ 23
क्यूँकि उसके सारे फ़ैसले मेरे सामने थे, और मैं उसके क़ानून से अलग न हुआ।
וָאֶהְיֶ֥ה תָמִ֖ים ל֑וֹ וָאֶשְׁתַּמְּרָ֖ה מֵעֲוֹנִֽי׃ 24
मैं उसके सामने कामिल भी रहा, और अपनी बदकारी से बा'ज़ रहा।
וַיָּ֧שֶׁב יְהוָ֛ה לִ֖י כְּצִדְקָתִ֑י כְּבֹרִ֖י לְנֶ֥גֶד עֵינָֽיו׃ 25
इसीलिए ख़ुदावन्द ने मुझे मेरी रास्तबाज़ी के मुवाफ़िक़ बल्कि मेरी उस पाकीज़गी के मुताबिक़ जो उसकी नज़र के सामने थी बदला दिया।
עִם־חָסִ֖יד תִּתְחַסָּ֑ד עִם־גִּבּ֥וֹר תָּמִ֖ים תִּתַּמָּֽם׃ 26
रहम दिल के साथ तू रहीम होगा, और कामिल आदमी के साथ कामिल।
עִם־נָבָ֖ר תִּתָּבָ֑ר וְעִם־עִקֵּ֖שׁ תִּתַּפָּֽל׃ 27
नेकों के साथ नेक होगा, और टेढों के साथ टेढ़ा।
וְאֶת־עַ֥ם עָנִ֖י תּוֹשִׁ֑יעַ וְעֵינֶ֖יךָ עַל־רָמִ֥ים תַּשְׁפִּֽיל׃ 28
मुसीबत ज़दा लोगों को तू बचाएगा, लेकिन तेरी आँखें मग़रूरों पर लगी हैं ताकि तू उन्हें नीचा करे।
כִּֽי־אַתָּ֥ה נֵירִ֖י יְהוָ֑ה וַיהוָ֖ה יַגִּ֥יהַּ חָשְׁכִּֽי׃ 29
क्यूँकि ऐ ख़ुदावन्द! तू मेरा चराग़ है, और ख़ुदावन्द मेरे अँधेरे को उजाला कर देगा।
כִּ֥י בְכָ֖ה אָר֣וּץ גְּד֑וּד בֵּאלֹהַ֖י אֲדַלֶּג־שֽׁוּר׃ 30
क्यूँकि तेरी बदौलत मैं फ़ौज पर जंग करता हूँ, और अपने ख़ुदा की बदौलत दीवार फाँद जाता हूँ।
הָאֵ֖ל תָּמִ֣ים דַּרְכּ֑וֹ אִמְרַ֤ת יְהוָה֙ צְרוּפָ֔ה מָגֵ֣ן ה֔וּא לְכֹ֖ל הַחֹסִ֥ים בּֽוֹ׃ 31
लेकिन ख़ुदा की राह कामिल है, ख़ुदावन्द का कलाम ताया हुआ है, वह उन सबकी ढाल है जो उसपर भरोसा रखते हैं।
כִּ֥י מִי־אֵ֖ל מִבַּלְעֲדֵ֣י יְהוָ֑ה וּמִ֥י צ֖וּר מִֽבַּלְעֲדֵ֥י אֱלֹהֵֽינוּ׃ 32
क्यूँकि ख़ुदावन्द के 'अलावा और कौन ख़ुदा है? और हमारे ख़ुदा को छोड़ कर और कौन चटटान है?
הָאֵ֥ל מָעוּזִּ֖י חָ֑יִל וַיַּתֵּ֥ר תָּמִ֖ים דַּרְכִּֽי׃ 33
ख़ुदा मेरा मज़बूत किला' है, वह अपनी राह में कामिल शख़्स की रहनुमाई करता है।
מְשַׁוֶּ֥ה רַגְלַ֖י כָּאַיָּל֑וֹת וְעַ֥ל בָּמוֹתַ֖י יַעֲמִדֵֽנִי׃ 34
वह उसके पाँव हिरनी के से बना देता है, और मुझे मेरी ऊँची जगहों में क़ाईम करता है।
מְלַמֵּ֥ד יָדַ֖י לַמִּלְחָמָ֑ה וְנִחַ֥ת קֶֽשֶׁת־נְחוּשָׁ֖ה זְרֹעֹתָֽי׃ 35
वह मेरे हाथों को जंग करना सिखाता है, यहाँ तक कि मेरे बाज़ू पीतल की कमान को झुका देते हैं।
וַתִּתֶּן־לִ֖י מָגֵ֣ן יִשְׁעֶ֑ךָ וַעֲנֹתְךָ֖ תַּרְבֵּֽנִי׃ 36
तूने मुझको अपनी नजात की ढाल भी बख़्शी, और तेरी नरमी ने मुझे बुज़ुर्ग बना दिया।
תַּרְחִ֥יב צַעֲדִ֖י תַּחְתֵּ֑נִי וְלֹ֥א מָעֲד֖וּ קַרְסֻלָּֽי׃ 37
तूने मेरे नीचे मेरे क़दम चौड़े कर दिए, और मेरे पाँव नहीं फिसले।
אֶרְדְּפָ֥ה אֹיְבַ֖י וָאַשְׁמִידֵ֑ם וְלֹ֥א אָשׁ֖וּב עַד־כַּלּוֹתָֽם׃ 38
मैंने अपने दुश्मनों का पीछा करके उनको हलाक किया, और जब तक वह फ़ना न हो गये मैं वापस नहीं आया।
וָאֲכַלֵּ֥ם וָאֶמְחָצֵ֖ם וְלֹ֣א יְקוּמ֑וּן וַֽיִּפְּל֖וּ תַּ֥חַת רַגְלָֽי׃ 39
मैंने उनको फ़ना कर दिया और ऐसा छेद डाला है कि वह उठ नहीं सकते, बल्कि वह तो मेरे पाँव के नीचे गिरे पड़े हैं।
וַתַּזְרֵ֥נִי חַ֖יִל לַמִּלְחָמָ֑ה תַּכְרִ֥יעַ קָמַ֖י תַּחְתֵּֽנִי׃ 40
क्यूँकि तूने लड़ाई के लिए मुझे ताक़त से तैयार किया, और मेरे मुख़ालिफ़ों को मेरे सामने नीचा किया।
וְאֹ֣יְבַ֔י תַּ֥תָּה לִּ֖י עֹ֑רֶף מְשַׂנְאַ֖י וָאַצְמִיתֵֽם׃ 41
तूने मेरे दुश्मनों की पीठ मेरी तरफ़ फेरदी, ताकि मैं अपने 'अदावत रखने वालों को काट डालूँ।
יִשְׁע֖וּ וְאֵ֣ין מֹשִׁ֑יעַ אֶל־יְהוָ֖ה וְלֹ֥א עָנָֽם׃ 42
उन्होंने इन्तिज़ार किया लेकिन कोई न था जो बचाए, बल्कि ख़ुदावन्द का भी इन्तिज़ार किया, लेकिन उसने उनको जवाब न दिया।
וְאֶשְׁחָקֵ֖ם כַּעֲפַר־אָ֑רֶץ כְּטִיט־חוּצ֥וֹת אֲדִקֵּ֖ם אֶרְקָעֵֽם׃ 43
तब मैंने उनको कूट कूट कर ज़मीन की गर्द की तरह कर दिया, मैंने उनको गली कूचों के कीचड़ की तरह रौंद कर चारो तरफ़ फैला दिया।
וַֽתְּפַלְּטֵ֔נִי מֵרִיבֵ֖י עַמִּ֑י תִּשְׁמְרֵ֙נִי֙ לְרֹ֣אשׁ גּוֹיִ֔ם עַ֥ם לֹא־יָדַ֖עְתִּי יַעַבְדֻֽנִי׃ 44
तूने मुझे मेरी क़ौम के झगड़ों से भी छुड़ाया, तूने मुझे क़ौमों का सरदार होने के लिए रख छोड़ा है, जिस क़ौम से मैं वाक़िफ़ भी नहीं वह मेरी फ़रमा बरदार होगी।
בְּנֵ֥י נֵכָ֖ר יִתְכַּֽחֲשׁוּ־לִ֑י לִשְׁמ֥וֹעַ אֹ֖זֶן יִשָּׁ֥מְעוּ לִֽי׃ 45
परदेसी मेरे ताबे' हो जायेंगे, वह मेरा नाम सुनते ही मेरी फ़रमाबर्दारी करेंगे।
בְּנֵ֥י נֵכָ֖ר יִבֹּ֑לוּ וְיַחְגְּר֖וּ מִמִּסְגְּרוֹתָֽם׃ 46
परदेसी मुरझा जायेंगे और अपने किलों'से थरथराते हुए निकलेंगे।
חַי־יְהוָ֖ה וּבָר֣וּךְ צוּרִ֑י וְיָרֻ֕ם אֱלֹהֵ֖י צ֥וּר יִשְׁעִֽי׃ 47
ख़ुदावन्द ज़िन्दा है, मेरी चटटान मुबारक हो! और ख़ुदा मेरे नजात की चटटान मुम्ताज़ हो!
הָאֵ֕ל הַנֹּתֵ֥ן נְקָמֹ֖ת לִ֑י וּמוֹרִ֥יד עַמִּ֖ים תַּחְתֵּֽנִי׃ 48
वही ख़ुदा जो मेरा बदला लेता है, और उम्मतों को मेरे ताबे' कर देता है।
וּמוֹצִיאִ֖י מֵאֹֽיְבָ֑י וּמִקָּמַי֙ תְּר֣וֹמְמֵ֔נִי מֵאִ֥ישׁ חֲמָסִ֖ים תַּצִּילֵֽנִי׃ 49
और मुझे मेरे दुश्मनों के बीच से निकालता है, हाँ तू मुझे मेरे मुख़ालिफ़ों पर सरफ़राज़ करता है, तू मुझे टेढ़े आदमियों से रिहाई देता है।
עַל־כֵּ֛ן אוֹדְךָ֥ יְהוָ֖ה בַּגּוֹיִ֑ם וּלְשִׁמְךָ֖ אֲזַמֵּֽר׃ 50
इसलिए ऐ ख़ुदावन्द! मैं क़ौमों के बीच तेरी शुक्रगुज़ारी और तेरे नाम की मदह सराई करूँगा।
מִגְדּ֖וֹל יְשׁוּע֣וֹת מַלְכּ֑וֹ וְעֹֽשֶׂה־חֶ֧סֶד לִמְשִׁיח֛וֹ לְדָוִ֥ד וּלְזַרְע֖וֹ עַד־עוֹלָֽם׃ פ 51
वह अपने बादशाह को बड़ी नजात 'इनायत करता है, और अपने ममसूह दाऊद और उसकी नसल पर हमेशा शफ़क़त करता है।

< 2 שְׁמוּאֵל 22 >