< 2 שְׁמוּאֵל 15 >

וַֽיְהִי֙ מֵאַ֣חֲרֵי כֵ֔ן וַיַּ֤עַשׂ לוֹ֙ אַבְשָׁל֔וֹם מֶרְכָּבָ֖ה וְסֻסִ֑ים וַחֲמִשִּׁ֥ים אִ֖ישׁ רָצִ֥ים לְפָנָֽיו׃ 1
इसके बाद अबशालोम ने रथ और घोड़े, और अपने आगे-आगे दौड़नेवाले पचास अंगरक्षकों रख लिए।
וְהִשְׁכִּים֙ אַבְשָׁל֔וֹם וְעָמַ֕ד עַל־יַ֖ד דֶּ֣רֶךְ הַשָּׁ֑עַר וַיְהִ֡י כָּל־הָאִ֣ישׁ אֲשֶֽׁר־יִהְיֶה־לּוֹ־רִיב֩ לָב֨וֹא אֶל־הַמֶּ֜לֶךְ לַמִּשְׁפָּ֗ט וַיִּקְרָ֨א אַבְשָׁל֤וֹם אֵלָיו֙ וַיֹּ֗אמֶר אֵֽי־מִזֶּ֥ה עִיר֙ אַ֔תָּה וַיֹּ֕אמֶר מֵאַחַ֥ד שִׁבְטֵֽי־יִשְׂרָאֵ֖ל עַבְדֶּֽךָ׃ 2
अबशालोम सवेरे उठकर फाटक के मार्ग के पास खड़ा हुआ करता था; और जब जब कोई मुद्दई राजा के पास न्याय के लिये आता, तब-तब अबशालोम उसको पुकारके पूछता था, “तू किस नगर से आता है?” और वह कहता था, “तेरा दास इस्राएल के अमुक गोत्र का है।”
וַיֹּ֤אמֶר אֵלָיו֙ אַבְשָׁל֔וֹם רְאֵ֥ה דְבָרֶ֖ךָ טוֹבִ֣ים וּנְכֹחִ֑ים וְשֹׁמֵ֥עַ אֵין־לְךָ֖ מֵאֵ֥ת הַמֶּֽלֶךְ׃ 3
तब अबशालोम उससे कहता था, “सुन, तेरा पक्ष तो ठीक और न्याय का है; परन्तु राजा की ओर से तेरी सुननेवाला कोई नहीं है।”
וַיֹּ֙אמֶר֙ אַבְשָׁל֔וֹם מִי־יְשִׂמֵ֥נִי שֹׁפֵ֖ט בָּאָ֑רֶץ וְעָלַ֗י יָב֥וֹא כָּל־אִ֛ישׁ אֲשֶֽׁר־יִהְיֶה־לּוֹ־רִ֥יב וּמִשְׁפָּ֖ט וְהִצְדַּקְתִּֽיו׃ 4
फिर अबशालोम यह भी कहा करता था, “भला होता कि मैं इस देश में न्यायी ठहराया जाता! तब जितने मुकद्दमा वाले होते वे सब मेरे ही पास आते, और मैं उनका न्याय चुकाता।”
וְהָיָה֙ בִּקְרָב־אִ֔ישׁ לְהִשְׁתַּחֲוֹ֖ת ל֑וֹ וְשָׁלַ֧ח אֶת־יָד֛וֹ וְהֶחֱזִ֥יק ל֖וֹ וְנָ֥שַׁק לֽוֹ׃ 5
फिर जब कोई उसे दण्डवत् करने को निकट आता, तब वह हाथ बढ़ाकर उसको पकड़कर चूम लेता था।
וַיַּ֨עַשׂ אַבְשָׁל֜וֹם כַּדָּבָ֤ר הַזֶּה֙ לְכָל־יִשְׂרָאֵ֔ל אֲשֶׁר־יָבֹ֥אוּ לַמִּשְׁפָּ֖ט אֶל־הַמֶּ֑לֶךְ וַיְגַנֵּב֙ אַבְשָׁל֔וֹם אֶת־לֵ֖ב אַנְשֵׁ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ פ 6
अतः जितने इस्राएली राजा के पास अपना मुकद्दमा लेकर आते उन सभी से अबशालोम ऐसा ही व्यवहार किया करता था; इस प्रकार अबशालोम ने इस्राएली मनुष्यों के मन को हर लिया।
וַיְהִ֕י מִקֵּ֖ץ אַרְבָּעִ֣ים שָׁנָ֑ה וַיֹּ֤אמֶר אַבְשָׁלוֹם֙ אֶל־הַמֶּ֔לֶךְ אֵ֣לֲכָה נָּ֗א וַאֲשַׁלֵּ֛ם אֶת־נִדְרִ֛י אֲשֶׁר־נָדַ֥רְתִּי לַֽיהוָ֖ה בְּחֶבְרֽוֹן׃ 7
चार वर्ष के बीतने पर अबशालोम ने राजा से कहा, “मुझे हेब्रोन जाकर अपनी उस मन्नत को पूरी करने दे, जो मैंने यहोवा की मानी है।
כִּי־נֵ֙דֶר֙ נָדַ֣ר עַבְדְּךָ֔ בְּשִׁבְתִּ֥י בִגְשׁ֛וּר בַּאֲרָ֖ם לֵאמֹ֑ר אִם־יָשׁ֨וֹב יְשִׁיבֵ֤נִי יְהוָה֙ יְר֣וּשָׁלִַ֔ם וְעָבַדְתִּ֖י אֶת־יְהוָֽה בְּחֶבְרוֹן׃ 8
तेरा दास तो जब अराम के गशूर में रहता था, तब यह कहकर यहोवा की मन्नत मानी, कि यदि यहोवा मुझे सचमुच यरूशलेम को लौटा ले जाए, तो मैं यहोवा की उपासना करूँगा।”
וַיֹּֽאמֶר־ל֥וֹ הַמֶּ֖לֶךְ לֵ֣ךְ בְּשָׁל֑וֹם וַיָּ֖קָם וַיֵּ֥לֶךְ חֶבְרֽוֹנָה׃ פ 9
राजा ने उससे कहा, “कुशल क्षेम से जा।” और वह उठकर हेब्रोन को गया।
וַיִּשְׁלַ֤ח אַבְשָׁלוֹם֙ מְרַגְּלִ֔ים בְּכָל־שִׁבְטֵ֥י יִשְׂרָאֵ֖ל לֵאמֹ֑ר כְּשָׁמְעֲכֶם֙ אֶת־ק֣וֹל הַשֹּׁפָ֔ר וַאֲמַרְתֶּ֕ם מָלַ֥ךְ אַבְשָׁל֖וֹם בְּחֶבְרֽוֹן׃ 10
१०तब अबशालोम ने इस्राएल के समस्त गोत्रों में यह कहने के लिये भेदिए भेजे, “जब नरसिंगे का शब्द तुम को सुनाई पड़े, तब कहना, ‘अबशालोम हेब्रोन में राजा हुआ!’”
וְאֶת־אַבְשָׁל֗וֹם הָלְכ֞וּ מָאתַ֤יִם אִישׁ֙ מִיר֣וּשָׁלִַ֔ם קְרֻאִ֖ים וְהֹלְכִ֣ים לְתֻמָּ֑ם וְלֹ֥א יָדְע֖וּ כָּל־דָּבָֽר׃ 11
११अबशालोम के संग दो सौ निमंत्रित यरूशलेम से गए; वे सीधे मन से उसका भेद बिना जाने गए।
וַיִּשְׁלַ֣ח אַ֠בְשָׁלוֹם אֶת־אֲחִיתֹ֨פֶל הַגִּֽילֹנִ֜י יוֹעֵ֣ץ דָּוִ֗ד מֵֽעִירוֹ֙ מִגִּלֹ֔ה בְּזָבְח֖וֹ אֶת־הַזְּבָחִ֑ים וַיְהִ֤י הַקֶּ֙שֶׁר֙ אַמִּ֔ץ וְהָעָ֛ם הוֹלֵ֥ךְ וָרָ֖ב אֶת־אַבְשָׁלֽוֹם׃ 12
१२फिर जब अबशालोम का यज्ञ हुआ, तब उसने गीलोवासी अहीतोपेल को, जो दाऊद का मंत्री था, बुलवा भेजा कि वह अपने नगर गीलो से आए। और राजद्रोह की गोष्ठी ने बल पकड़ा, क्योंकि अबशालोम के पक्ष के लोग बराबर बढ़ते गए।
וַיָּבֹא֙ הַמַּגִּ֔יד אֶל־דָּוִ֖ד לֵאמֹ֑ר הָיָ֛ה לֶב־אִ֥ישׁ יִשְׂרָאֵ֖ל אַחֲרֵ֥י אַבְשָׁלֽוֹם׃ 13
१३तब किसी ने दाऊद के पास जाकर यह समाचार दिया, “इस्राएली मनुष्यों के मन अबशालोम की ओर हो गए हैं।”
וַיֹּ֣אמֶר דָּ֠וִד לְכָל־עֲבָדָ֨יו אֲשֶׁר־אִתּ֤וֹ בִירוּשָׁלִַ֙ם֙ ק֣וּמוּ וְנִבְרָ֔חָה כִּ֛י לֹא־תִֽהְיֶה־לָּ֥נוּ פְלֵיטָ֖ה מִפְּנֵ֣י אַבְשָׁל֑וֹם מַהֲר֣וּ לָלֶ֗כֶת פֶּן־יְמַהֵ֤ר וְהִשִּׂגָ֙נוּ֙ וְהִדִּ֤יחַ עָלֵ֙ינוּ֙ אֶת־הָ֣רָעָ֔ה וְהִכָּ֥ה הָעִ֖יר לְפִי־חָֽרֶב׃ 14
१४तब दाऊद ने अपने सब कर्मचारियों से जो यरूशलेम में उसके संग थे कहा, “आओ, हम भाग चलें; नहीं तो हम में से कोई भी अबशालोम से न बचेगा; इसलिए फुर्ती करते चले चलो, ऐसा न हो कि वह फुर्ती करके हमें आ घेरे, और हमारी हानि करे, और इस नगर को तलवार से मार ले।”
וַיֹּאמְר֥וּ עַבְדֵֽי־הַמֶּ֖לֶךְ אֶל־הַמֶּ֑לֶךְ כְּכֹ֧ל אֲשֶׁר־יִבְחַ֛ר אֲדֹנִ֥י הַמֶּ֖לֶךְ הִנֵּ֥ה עֲבָדֶֽיךָ׃ 15
१५राजा के कर्मचारियों ने उससे कहा, “जैसा हमारे प्रभु राजा को अच्छा जान पड़े, वैसा ही करने के लिये तेरे दास तैयार हैं।”
וַיֵּצֵ֥א הַמֶּ֛לֶךְ וְכָל־בֵּית֖וֹ בְּרַגְלָ֑יו וַיַּעֲזֹ֣ב הַמֶּ֗לֶךְ אֵ֣ת עֶ֧שֶׂר נָשִׁ֛ים פִּֽלַגְשִׁ֖ים לִשְׁמֹ֥ר הַבָּֽיִת׃ 16
१६तब राजा निकल गया, और उसके पीछे उसका समस्त घराना निकला। राजा दस रखैलियों को भवन की चौकसी करने के लिये छोड़ गया।
וַיֵּצֵ֥א הַמֶּ֛לֶךְ וְכָל־הָעָ֖ם בְּרַגְלָ֑יו וַיַּעַמְד֖וּ בֵּ֥ית הַמֶּרְחָֽק׃ 17
१७तब राजा निकल गया, और उसके पीछे सब लोग निकले; और वे बेतमेर्हक में ठहर गए।
וְכָל־עֲבָדָיו֙ עֹבְרִ֣ים עַל־יָד֔וֹ וְכָל־הַכְּרֵתִ֖י וְכָל־הַפְּלֵתִ֑י וְכָֽל־הַגִּתִּ֞ים שֵׁשׁ־מֵא֣וֹת אִ֗ישׁ אֲשֶׁר־בָּ֤אוּ בְרַגְלוֹ֙ מִגַּ֔ת עֹבְרִ֖ים עַל־פְּנֵ֥י הַמֶּֽלֶךְ׃ 18
१८उसके सब कर्मचारी उसके पास से होकर आगे गए; और सब करेती, और सब पलेती, और सब गती, अर्थात् जो छः सौ पुरुष गत से उसके पीछे हो लिए थे वे सब राजा के सामने से होकर आगे चले।
וַיֹּ֤אמֶר הַמֶּ֙לֶךְ֙ אֶל־אִתַּ֣י הַגִּתִּ֔י לָ֧מָּה תֵלֵ֛ךְ גַּם־אַתָּ֖ה אִתָּ֑נוּ שׁ֣וּב וְשֵׁ֤ב עִם־הַמֶּ֙לֶךְ֙ כִּֽי־נָכְרִ֣י אַ֔תָּה וְגַם־גֹּלֶ֥ה אַתָּ֖ה לִמְקוֹמֶֽךָ׃ 19
१९तब राजा ने गती इत्तै से पूछा, “हमारे संग तू क्यों चलता है? लौटकर राजा के पास रह; क्योंकि तू परदेशी और अपने देश से दूर है, इसलिए अपने स्थान को लौट जा।
תְּמ֣וֹל ׀ בּוֹאֶ֗ךָ וְהַיּ֞וֹם אֲנִֽיעֲךָ֤ עִמָּ֙נוּ֙ לָלֶ֔כֶת וַאֲנִ֣י הוֹלֵ֔ךְ עַ֥ל אֲשֶׁר־אֲנִ֖י הוֹלֵ֑ךְ שׁ֣וּב וְהָשֵׁ֧ב אֶת־אַחֶ֛יךָ עִמָּ֖ךְ חֶ֥סֶד וֶאֱמֶֽת׃ 20
२०तू तो कल ही आया है, क्या मैं आज तुझे अपने साथ मारा-मारा फिराऊँ? मैं तो जहाँ जा सकूँगा वहाँ जाऊँगा। तू लौट जा, और अपने भाइयों को भी लौटा दे; परमेश्वर की करुणा और सच्चाई तेरे संग रहे।”
וַיַּ֧עַן אִתַּ֛י אֶת־הַמֶּ֖לֶךְ וַיֹּאמַ֑ר חַי־יְהוָ֗ה וְחֵי֙ אֲדֹנִ֣י הַמֶּ֔לֶךְ כִּ֠י אִם־בִּמְק֞וֹם אֲשֶׁ֥ר יִֽהְיֶה־שָּׁ֣ם ׀ אֲדֹנִ֣י הַמֶּ֗לֶךְ אִם־לְמָ֙וֶת֙ אִם־לְחַיִּ֔ים כִּי־שָׁ֖ם יִהְיֶ֥ה עַבְדֶּֽךָ׃ 21
२१इत्तै ने राजा को उत्तर देकर कहा, “यहोवा के जीवन की शपथ, और मेरे प्रभु राजा के जीवन की शपथ, जिस किसी स्थान में मेरा प्रभु राजा रहेगा, चाहे मरने के लिये हो चाहे जीवित रहने के लिये, उसी स्थान में तेरा दास भी रहेगा।”
וַיֹּ֧אמֶר דָּוִ֛ד אֶל־אִתַּ֖י לֵ֣ךְ וַעֲבֹ֑ר וַֽיַּעֲבֹ֞ר אִתַּ֤י הַגִּתִּי֙ וְכָל־אֲנָשָׁ֔יו וְכָל־הַטַּ֖ף אֲשֶׁ֥ר אִתּֽוֹ׃ 22
२२तब दाऊद ने इत्तै से कहा, “पार चल।” अतः गती इत्तै अपने समस्त जनों और अपने साथ के सब बाल-बच्चों समेत पार हो गया।
וְכָל־הָאָ֗רֶץ בּוֹכִים֙ ק֣וֹל גָּד֔וֹל וְכָל־הָעָ֖ם עֹֽבְרִ֑ים וְהַמֶּ֗לֶךְ עֹבֵר֙ בְּנַ֣חַל קִדְר֔וֹן וְכָל־הָעָם֙ עֹבְרִ֔ים עַל־פְּנֵי־דֶ֖רֶךְ אֶת־הַמִּדְבָּֽר׃ 23
२३सब रहनेवाले चिल्ला चिल्लाकर रोए; और सब लोग पार हुए, और राजा भी किद्रोन नामक घाटी के पार हुआ, और सब लोग नाले के पार जंगल के मार्ग की ओर पार होकर चल पड़े।
וְהִנֵּ֨ה גַם־צָד֜וֹק וְכָֽל־הַלְוִיִּ֣ם אִתּ֗וֹ נֹֽשְׂאִים֙ אֶת־אֲרוֹן֙ בְּרִ֣ית הָאֱלֹהִ֔ים וַיַּצִּ֙קוּ֙ אֶת־אֲר֣וֹן הָאֱלֹהִ֔ים וַיַּ֖עַל אֶבְיָתָ֑ר עַד־תֹּ֥ם כָּל־הָעָ֖ם לַעֲב֥וֹר מִן־הָעִֽיר׃ 24
२४तब क्या देखने में आया, कि सादोक भी और उसके संग सब लेवीय परमेश्वर की वाचा का सन्दूक उठाए हुए हैं; और उन्होंने परमेश्वर के सन्दूक को धर दिया, तब एब्यातार चढ़ा, और जब तक सब लोग नगर से न निकले तब तक वहीं रहा।
וַיֹּ֤אמֶר הַמֶּ֙לֶךְ֙ לְצָד֔וֹק הָשֵׁ֛ב אֶת־אֲר֥וֹן הָאֱלֹהִ֖ים הָעִ֑יר אִם־אֶמְצָ֥א חֵן֙ בְּעֵינֵ֣י יְהוָ֔ה וֶהֱשִׁבַ֕נִי וְהִרְאַ֥נִי אֹת֖וֹ וְאֶת־נָוֵֽהוּ׃ 25
२५तब राजा ने सादोक से कहा, “परमेश्वर के सन्दूक को नगर में लौटा ले जा। यदि यहोवा के अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर हो, तो वह मुझे लौटाकर उसको और अपने वासस्थान को भी दिखाएगा;
וְאִם֙ כֹּ֣ה יֹאמַ֔ר לֹ֥א חָפַ֖צְתִּי בָּ֑ךְ הִנְנִ֕י יַֽעֲשֶׂה־לִּ֕י כַּאֲשֶׁ֥ר ט֖וֹב בְּעֵינָֽיו׃ ס 26
२६परन्तु यदि वह मुझसे ऐसा कहे, ‘मैं तुझ से प्रसन्न नहीं,’ तो भी मैं हाजिर हूँ, जैसा उसको भाए वैसा ही वह मेरे साथ बर्ताव करे।”
וַיֹּ֤אמֶר הַמֶּ֙לֶךְ֙ אֶל־צָד֣וֹק הַכֹּהֵ֔ן הֲרוֹאֶ֣ה אַתָּ֔ה שֻׁ֥בָה הָעִ֖יר בְּשָׁל֑וֹם וַאֲחִימַ֨עַץ בִּנְךָ֜ וִיהוֹנָתָ֧ן בֶּן־אֶבְיָתָ֛ר שְׁנֵ֥י בְנֵיכֶ֖ם אִתְּכֶֽם׃ 27
२७फिर राजा ने सादोक याजक से कहा, “क्या तू दर्शी नहीं है? सो कुशल क्षेम से नगर में लौट जा, और तेरा पुत्र अहीमास, और एब्यातार का पुत्र योनातान, दोनों तुम्हारे संग लौटें।
רְאוּ֙ אָנֹכִ֣י מִתְמַהְמֵ֔הַּ בְּעַֽרְב֖וֹת הַמִּדְבָּ֑ר עַ֣ד בּ֥וֹא דָבָ֛ר מֵעִמָּכֶ֖ם לְהַגִּ֥יד לִֽי׃ 28
२८सुनो, मैं जंगल के घाट के पास तब तक ठहरा रहूँगा, जब तक तुम लोगों से मुझे हाल का समाचार न मिले।”
וַיָּ֨שֶׁב צָד֧וֹק וְאֶבְיָתָ֛ר אֶת־אֲר֥וֹן הָאֱלֹהִ֖ים יְרוּשָׁלִָ֑ם וַיֵּשְׁב֖וּ שָֽׁם׃ 29
२९तब सादोक और एब्यातार ने परमेश्वर के सन्दूक को यरूशलेम में लौटा दिया; और आप वहीं रहे।
וְדָוִ֡ד עֹלֶה֩ בְמַעֲלֵ֨ה הַזֵּיתִ֜ים עֹלֶ֣ה ׀ וּבוֹכֶ֗ה וְרֹ֥אשׁ לוֹ֙ חָפ֔וּי וְה֖וּא הֹלֵ֣ךְ יָחֵ֑ף וְכָל־הָעָ֣ם אֲשֶׁר־אִתּ֗וֹ חָפוּ֙ אִ֣ישׁ רֹאשׁ֔וֹ וְעָל֥וּ עָלֹ֖ה וּבָכֹֽה׃ 30
३०तब दाऊद जैतून के पहाड़ की चढ़ाई पर सिर ढाँके, नंगे पाँव, रोता हुआ चढ़ने लगा; और जितने लोग उसके संग थे, वे भी सिर ढाँके रोते हुए चढ़ गए।
וְדָוִד֙ הִגִּ֣יד לֵאמֹ֔ר אֲחִיתֹ֥פֶל בַּקֹּשְׁרִ֖ים עִם־אַבְשָׁל֑וֹם וַיֹּ֣אמֶר דָּוִ֔ד סַכֶּל־נָ֛א אֶת־עֲצַ֥ת אֲחִיתֹ֖פֶל יְהוָֽה׃ 31
३१तब दाऊद को यह समाचार मिला, “अबशालोम के संगी राजद्रोहियों के साथ अहीतोपेल है।” दाऊद ने कहा, “हे यहोवा, अहीतोपेल की सम्मति को मूर्खता बना दे।”
וַיְהִ֤י דָוִד֙ בָּ֣א עַד־הָרֹ֔אשׁ אֲשֶֽׁר־יִשְׁתַּחֲוֶ֥ה שָׁ֖ם לֵאלֹהִ֑ים וְהִנֵּ֤ה לִקְרָאתוֹ֙ חוּשַׁ֣י הָאַרְכִּ֔י קָר֙וּעַ֙ כֻּתָּנְתּ֔וֹ וַאֲדָמָ֖ה עַל־רֹאשֽׁוֹ׃ 32
३२जब दाऊद चोटी तक पहुँचा, जहाँ परमेश्वर की आराधना की जाती थी, तब एरेकी हूशै अंगरखा फाड़े, सिर पर मिट्टी डाले हुए उससे मिलने को आया।
וַיֹּ֥אמֶר ל֖וֹ דָּוִ֑ד אִ֚ם עָבַ֣רְתָּ אִתִּ֔י וְהָיִ֥תָ עָלַ֖י לְמַשָּֽׂא׃ 33
३३दाऊद ने उससे कहा, “यदि तू मेरे संग आगे जाए, तब तो मेरे लिये भार ठहरेगा।
וְאִם־הָעִ֣יר תָּשׁ֗וּב וְאָמַרְתָּ֤ לְאַבְשָׁלוֹם֙ עַבְדְּךָ֨ אֲנִ֤י הַמֶּ֙לֶךְ֙ אֶֽהְיֶ֔ה עֶ֣בֶד אָבִ֤יךָ וַֽאֲנִי֙ מֵאָ֔ז וְעַתָּ֖ה וַאֲנִ֣י עַבְדֶּ֑ךָ וְהֵפַרְתָּ֣ה לִ֔י אֵ֖ת עֲצַ֥ת אֲחִיתֹֽפֶל׃ 34
३४परन्तु यदि तू नगर को लौटकर अबशालोम से कहने लगे, ‘हे राजा, मैं तेरा कर्मचारी होऊँगा; जैसा मैं बहुत दिन तेरे पिता का कर्मचारी रहा, वैसे ही अब तेरा रहूँगा,’ तो तू मेरे हित के लिये अहीतोपेल की सम्मति को निष्फल कर सकेगा।
וַהֲל֤וֹא עִמְּךָ֙ שָׁ֔ם צָד֥וֹק וְאֶבְיָתָ֖ר הַכֹּהֲנִ֑ים וְהָיָ֗ה כָּל־הַדָּבָר֙ אֲשֶׁ֤ר תִּשְׁמַע֙ מִבֵּ֣ית הַמֶּ֔לֶךְ תַּגִּ֕יד לְצָד֥וֹק וּלְאֶבְיָתָ֖ר הַכֹּהֲנִֽים׃ 35
३५और क्या वहाँ तेरे संग सादोक और एब्यातार याजक न रहेंगे? इसलिए राजभवन में से जो हाल तुझे सुनाई पड़े, उसे सादोक और एब्यातार याजकों को बताया करना।
הִנֵּה־שָׁ֤ם עִמָּם֙ שְׁנֵ֣י בְנֵיהֶ֔ם אֲחִימַ֣עַץ לְצָד֔וֹק וִיהוֹנָתָ֖ן לְאֶבְיָתָ֑ר וּשְׁלַחְתֶּ֤ם בְּיָדָם֙ אֵלַ֔י כָּל־דָּבָ֖ר אֲשֶׁ֥ר תִּשְׁמָֽעוּ׃ 36
३६उनके साथ तो उनके दो पुत्र, अर्थात् सादोक का पुत्र अहीमास, और एब्यातार का पुत्र योनातान, वहाँ रहेंगे; तो जो समाचार तुम लोगों को मिले उसे मेरे पास उन्हीं के हाथ भेजा करना।”
וַיָּבֹ֥א חוּשַׁ֛י רֵעֶ֥ה דָוִ֖ד הָעִ֑יר וְאַבְשָׁלֹ֔ם יָבֹ֖א יְרוּשָׁלִָֽם׃ 37
३७अतः दाऊद का मित्र, हूशै, नगर को गया, और अबशालोम भी यरूशलेम में पहुँच गया।

< 2 שְׁמוּאֵל 15 >