< 2 שְׁמוּאֵל 13 >

וַיְהִ֣י אַֽחֲרֵי־כֵ֗ן וּלְאַבְשָׁל֧וֹם בֶּן־דָּוִ֛ד אָח֥וֹת יָפָ֖ה וּשְׁמָ֣הּ תָּמָ֑ר וַיֶּאֱהָבֶ֖הָ אַמְנ֥וֹן בֶּן־דָּוִֽד׃ 1
और इसके बाद ऐसा हुआ कि दाऊद के बेटे अबीसलोम की एक ख़ूबसूरत बहन थी, जिसका नाम तमर था, उस पर दाऊद का बेटा अमनून आशिक़ हो गया।
וַיֵּ֨צֶר לְאַמְנ֜וֹן לְהִתְחַלּ֗וֹת בַּֽעֲבוּר֙ תָּמָ֣ר אֲחֹת֔וֹ כִּ֥י בְתוּלָ֖ה הִ֑יא וַיִּפָּלֵא֙ בְּעֵינֵ֣י אַמְנ֔וֹן לַעֲשׂ֥וֹת לָ֖הּ מְאֽוּמָה׃ 2
और अमनून ऐसा कुढ़ने लगा कि वह अपनी बहन तमर की वजह से बीमार पड़ गया, क्यूँकि वह कुँवारी थी इसलिए अमनून को उसके साथ कुछ करना दुशवार मा'लूम हुआ।
וּלְאַמְנ֣וֹן רֵ֗עַ וּשְׁמוֹ֙ יֽוֹנָדָ֔ב בֶּן־שִׁמְעָ֖ה אֲחִ֣י דָוִ֑ד וְי֣וֹנָדָ֔ב אִ֥ישׁ חָכָ֖ם מְאֹֽד׃ 3
और दाऊद के भाई सिमआ का बेटा यूनदब अमनून का दोस्त था, और यूनदब बड़ा चालाक आदमी था।
וַיֹּ֣אמֶר ל֗וֹ מַדּ֣וּעַ אַ֠תָּה כָּ֣כָה דַּ֤ל בֶּן־הַמֶּ֙לֶךְ֙ בַּבֹּ֣קֶר בַּבֹּ֔קֶר הֲל֖וֹא תַּגִּ֣יד לִ֑י וַיֹּ֤אמֶר לוֹ֙ אַמְנ֔וֹן אֶת־תָּמָ֗ר אֲח֛וֹת אַבְשָׁלֹ֥ם אָחִ֖י אֲנִ֥י אֹהֵֽב׃ 4
फिर उसने उनसे कहा, “ऐ बादशाह ज़ादे! तू क्यूँ दिन ब दिन दुबला होता जाता है? क्या तू मुझे नहीं बताएगा?” तब अमनून ने उससे कहा कि “मैं अपने भाई अबीसलोम की बहन तमर पर 'आशिक़ हूँ।”
וַיֹּ֤אמֶר לוֹ֙ יְה֣וֹנָדָ֔ב שְׁכַ֥ב עַל־מִשְׁכָּבְךָ֖ וְהִתְחָ֑ל וּבָ֧א אָבִ֣יךָ לִרְאוֹתֶ֗ךָ וְאָמַרְתָּ֣ אֵלָ֡יו תָּ֣בֹא נָא֩ תָמָ֨ר אֲחוֹתִ֜י וְתַבְרֵ֣נִי לֶ֗חֶם וְעָשְׂתָ֤ה לְעֵינַי֙ אֶת־הַבִּרְיָ֔ה לְמַ֙עַן֙ אֲשֶׁ֣ר אֶרְאֶ֔ה וְאָכַלְתִּ֖י מִיָּדָֽהּ׃ 5
यूनदब ने उससे कहा, “तू अपने बिस्तर पर लेट जा और बीमारी का बहाना कर ले और जब तेरा बाप तुझे देखने आए, तो तू उससे कहना, मेरी बहन तमर को ज़रा आने दे कि वह मुझे खाना दे और मेरे सामने खाना पकाये, ताकि मैं देखूँ और उसके हाथ से खाऊँ।”
וַיִּשְׁכַּ֥ב אַמְנ֖וֹן וַיִּתְחָ֑ל וַיָּבֹ֨א הַמֶּ֜לֶךְ לִרְאֹת֗וֹ וַיֹּ֨אמֶר אַמְנ֤וֹן אֶל־הַמֶּ֙לֶךְ֙ תָּֽבוֹא־נָ֞א תָּמָ֣ר אֲחֹתִ֗י וּתְלַבֵּ֤ב לְעֵינַי֙ שְׁתֵּ֣י לְבִב֔וֹת וְאֶבְרֶ֖ה מִיָּדָֽהּ׃ 6
तब अमनून पड़ गया और उसने बीमारी का बहाना कर लिया और जब बादशाह उसको देखने आया, तो अमनून ने बादशाह से कहा, “मेरी बहन तमर को ज़रा आने दे कि वह मेरे सामने दो पूरियाँ बनाये, ताकि मैं उसके हाथ से खाऊँ।”
וַיִּשְׁלַ֥ח דָּוִ֛ד אֶל־תָּמָ֖ר הַבַּ֣יְתָה לֵאמֹ֑ר לְכִ֣י נָ֗א בֵּ֚ית אַמְנ֣וֹן אָחִ֔יךְ וַעֲשִׂי־ל֖וֹ הַבִּרְיָֽה׃ 7
तब दाऊद ने तमर के घर कहला भेजा कि “तू अभी अपने भाई अमनून के घर जा और उसके लिए खाना पका।”
וַתֵּ֣לֶךְ תָּמָ֗ר בֵּ֛ית אַמְנ֥וֹן אָחִ֖יהָ וְה֣וּא שֹׁכֵ֑ב וַתִּקַּ֨ח אֶת־הַבָּצֵ֤ק וַתָּ֙לָשׁ֙ וַתְּלַבֵּ֣ב לְעֵינָ֔יו וַתְּבַשֵּׁ֖ל אֶת־הַלְּבִבֽוֹת׃ 8
फिर तमर अपने भाई अमनून के घर गई और वह बिस्तर पर पड़ा हुआ था और उसने आटा लिया और गूँधा, और उसके सामने पूरियाँ बनायीं और उनको पकाया।
וַתִּקַּ֤ח אֶת־הַמַּשְׂרֵת֙ וַתִּצֹ֣ק לְפָנָ֔יו וַיְמָאֵ֖ן לֶאֱכ֑וֹל וַיֹּ֣אמֶר אַמְנ֗וֹן הוֹצִ֤יאוּ כָל־אִישׁ֙ מֵֽעָלַ֔י וַיֵּצְא֥וּ כָל־אִ֖ישׁ מֵעָלָֽיו׃ 9
और तवे को लिया और उसके सामने उनको उंडेल दिया, लेकिन उसने खाने से इन्कार किया, तब अमनून ने कहा कि “सब आदमियों को मेरे पास से बाहर कर दो।” तब हर एक आदमी उसके पास से चला गया।
וַיֹּ֨אמֶר אַמְנ֜וֹן אֶל־תָּמָ֗ר הָבִ֤יאִי הַבִּרְיָה֙ הַחֶ֔דֶר וְאֶבְרֶ֖ה מִיָּדֵ֑ךְ וַתִּקַּ֣ח תָּמָ֗ר אֶת־הַלְּבִבוֹת֙ אֲשֶׁ֣ר עָשָׂ֔תָה וַתָּבֵ֛א לְאַמְנ֥וֹן אָחִ֖יהָ הֶחָֽדְרָה׃ 10
तब अमनून ने तमर से कहा कि “खाना कोठरी के अन्दर ले आ ताकि मैं तेरे हाथ से खाऊँ।” इसलिए तमर वह पूरियाँ जो उसने पकाई थीं उठा कर उनको कोठरी में अपने भाई अमनून के पास लायी।
וַתַּגֵּ֥שׁ אֵלָ֖יו לֶֽאֱכֹ֑ל וַיַּֽחֲזֶק־בָּהּ֙ וַיֹּ֣אמֶר לָ֔הּ בּ֛וֹאִי שִׁכְבִ֥י עִמִּ֖י אֲחוֹתִֽי׃ 11
और जब वह उनको उसके नज़दीक ले गई कि वह खाए तो उसने उसे पकड़ लिया और उससे कहा, “ऐ मेरी बहन मुझसे सोहबत कर।”
וַתֹּ֣אמֶר ל֗וֹ אַל־אָחִי֙ אַל־תְּעַנֵּ֔נִי כִּ֛י לֹא־יֵֽעָשֶׂ֥ה כֵ֖ן בְּיִשְׂרָאֵ֑ל אַֽל־תַּעֲשֵׂ֖ה אֶת־הַנְּבָלָ֥ה הַזֹּֽאת׃ 12
उसने कहा, “नहीं मेरे भाई मेरे साथ ज़बरदस्ती न कर क्यूँकि इस्राईलियों में कोई ऐसा काम नहीं होना चाहिए, तू ऐसी हिमाक़त न कर।
וַאֲנִ֗י אָ֤נָה אוֹלִיךְ֙ אֶת־חֶרְפָּתִ֔י וְאַתָּ֗ה תִּהְיֶ֛ה כְּאַחַ֥ד הַנְּבָלִ֖ים בְּיִשְׂרָאֵ֑ל וְעַתָּה֙ דַּבֶּר־נָ֣א אֶל־הַמֶּ֔לֶךְ כִּ֛י לֹ֥א יִמְנָעֵ֖נִי מִמֶּֽךָּ׃ 13
और भला मैं अपनी रुसवाई कहाँ लिए फिरूँगी? और तू भी इस्राईलियों के बेवक़ूफ़ों में से एक की तरह ठहरेगा, इसलिए तू बादशाह से दरख़्वास्त कर क्यूँकि वह मुझको तुझसे रोक नहीं रख्खेगा।”
וְלֹ֥א אָבָ֖ה לִשְׁמֹ֣עַ בְּקוֹלָ֑הּ וַיֶּחֱזַ֤ק מִמֶּ֙נָּה֙ וַיְעַנֶּ֔הָ וַיִּשְׁכַּ֖ב אֹתָֽהּ׃ 14
लेकिन उसने उसकी बात न मानी और चूँकि वह उससे ताक़तवर था इसलिए उसने उसके साथ ज़बरदस्ती की, और उससे सोहबत की।
וַיִּשְׂנָאֶ֣הָ אַמְנ֗וֹן שִׂנְאָה֙ גְּדוֹלָ֣ה מְאֹ֔ד כִּ֣י גְדוֹלָ֗ה הַשִּׂנְאָה֙ אֲשֶׁ֣ר שְׂנֵאָ֔הּ מֵאַהֲבָ֖ה אֲשֶׁ֣ר אֲהֵבָ֑הּ וַֽיֹּאמֶר־לָ֥הּ אַמְנ֖וֹן ק֥וּמִי לֵֽכִי׃ 15
फिर अमनून को उससे बड़ी सख्त़ नफ़रत हो गई क्यूँकि उसकी नफ़रत उसके जज़्ब — ए इश्क से कहीं बढ़कर थी, इसलिए अमनून ने उससे कहा, “उठ चली जा।”
וַתֹּ֣אמֶר ל֗וֹ אַל־אוֹדֹ֞ת הָרָעָ֤ה הַגְּדוֹלָה֙ הַזֹּ֔את מֵאַחֶ֛רֶת אֲשֶׁר־עָשִׂ֥יתָ עִמִּ֖י לְשַׁלְּחֵ֑נִי וְלֹ֥א אָבָ֖ה לִשְׁמֹ֥עַֽ לָֽהּ׃ 16
वह कहने लगी, “ऐसा न होगा क्यूँकि यह ज़ुल्म कि तू मुझे निकालता है उस काम से जो तूने मुझसे किया बदतर है।” लेकिन उसने उसकी एक न सुनी।
וַיִּקְרָ֗א אֶֽת־נַעֲרוֹ֙ מְשָׁ֣רְת֔וֹ וַיֹּ֕אמֶר שִׁלְחוּ־נָ֥א אֶת־זֹ֛את מֵעָלַ֖י הַח֑וּצָה וּנְעֹ֥ל הַדֶּ֖לֶת אַחֲרֶֽיהָ׃ 17
तब उसने अपने एक मुलाज़िम को जो उसकी ख़िदमत करता था बुला कर कहा, “इस 'औरत को मेरे पास से बाहर निकाल दे और पीछे दरवाज़े की चटकनी लगा दे।”
וְעָלֶ֙יהָ֙ כְּתֹ֣נֶת פַּסִּ֔ים כִּי֩ כֵ֨ן תִּלְבַּ֧שְׁןָ בְנוֹת־הַמֶּ֛לֶךְ הַבְּתוּלֹ֖ת מְעִילִ֑ים וַיֹּצֵ֨א אוֹתָ֤הּ מְשָֽׁרְתוֹ֙ הַח֔וּץ וְנָעַ֥ל הַדֶּ֖לֶת אַחֲרֶֽיהָ׃ 18
और वह रंग बिरंग जोड़ा पहने हुए थी क्यूँकि बादशाहों की कुँवारी बेटियाँ ऐसी ही लिबास पहनती थीं फिर उसके ख़ादिम ने उसको बाहर कर दिया और उसके पीछे चटकनी लगा दी
וַתִּקַּ֨ח תָּמָ֥ר אֵ֙פֶר֙ עַל־רֹאשָׁ֔הּ וּכְתֹ֧נֶת הַפַּסִּ֛ים אֲשֶׁ֥ר עָלֶ֖יהָ קָרָ֑עָה וַתָּ֤שֶׂם יָדָהּ֙ עַל־רֹאשָׁ֔הּ וַתֵּ֥לֶךְ הָל֖וֹךְ וְזָעָֽקָה׃ 19
और तमर ने अपने सर पर ख़ाक डाली और अपने रंग बिरंग के जोड़े को जो पहने हुए थी फाड़ लिया, और सर पर हाथ धर कर रोती हुई चली।
וַיֹּ֨אמֶר אֵלֶ֜יהָ אַבְשָׁל֣וֹם אָחִ֗יהָ הַאֲמִינ֣וֹן אָחִיךְ֮ הָיָ֣ה עִמָּךְ֒ וְעַתָּ֞ה אֲחוֹתִ֤י הַחֲרִ֙ישִׁי֙ אָחִ֣יךְ ה֔וּא אַל־תָּשִׁ֥יתִי אֶת־לִבֵּ֖ךְ לַדָּבָ֣ר הַזֶּ֑ה וַתֵּ֤שֶׁב תָּמָר֙ וְשֹׁ֣מֵמָ֔ה בֵּ֖ית אַבְשָׁל֥וֹם אָחִֽיהָ׃ 20
उसके भाई अबीसलोम ने उससे कहा, “क्या तेरा भाई अमनून तेरे साथ रहा है? ख़ैर ऐ मेरी बहन अब चुप हो रह क्यूँकि वह तेरा भाई है और इस बात का ग़म न कर।” तब तमर अपने भाई अबीसलोम के घर में बे बस पड़ी रही।
וְהַמֶּ֣לֶךְ דָּוִ֔ד שָׁמַ֕ע אֵ֥ת כָּל־הַדְּבָרִ֖ים הָאֵ֑לֶּה וַיִּ֥חַר ל֖וֹ מְאֹֽד׃ 21
और जब दाऊद बादशाह ने यह सब बातें सुनी तो निहायत ग़ुस्सा हुआ।
וְלֹֽא־דִבֶּ֧ר אַבְשָׁל֛וֹם עִם־אַמְנ֖וֹן לְמֵרָ֣ע וְעַד־ט֑וֹב כִּֽי־שָׂנֵ֤א אַבְשָׁלוֹם֙ אֶת־אַמְנ֔וֹן עַל־דְּבַר֙ אֲשֶׁ֣ר עִנָּ֔ה אֵ֖ת תָּמָ֥ר אֲחֹתֽוֹ׃ פ 22
और अबीसलोम ने अपने भाई अमनून से कुछ बुरा भला न कहा क्यूँकि अबीसलोम को अमनून से नफ़रत थी इसलिए कि उसने उसकी बहन तमर के साथ ज़बरदस्ती किया था।
וַֽיְהִי֙ לִשְׁנָתַ֣יִם יָמִ֔ים וַיִּהְי֤וּ גֹֽזְזִים֙ לְאַבְשָׁל֔וֹם בְּבַ֥עַל חָצ֖וֹר אֲשֶׁ֣ר עִם־אֶפְרָ֑יִם וַיִּקְרָ֥א אַבְשָׁל֖וֹם לְכָל־בְּנֵ֥י הַמֶּֽלֶךְ׃ 23
और ऐसा हुआ कि पूरे दो साल के बाद भेड़ों के बाल कतरने वाले अबीसलोम के यहाँ बा'ल हसोर में थे जो इफ़्राईम के पास है और अबीसलोम ने बादशाह के सब बेटों को दा'वत दी।
וַיָּבֹ֤א אַבְשָׁלוֹם֙ אֶל־הַמֶּ֔לֶךְ וַיֹּ֕אמֶר הִנֵּה־נָ֥א גֹזְזִ֖ים לְעַבְדֶּ֑ךָ יֵֽלֶךְ־נָ֥א הַמֶּ֛לֶךְ וַעֲבָדָ֖יו עִם־עַבְדֶּֽךָ׃ 24
तब अबीसलोम बादशाह के पास आकर कहने लगा, “तेरे ख़ादिम के यहाँ भेड़ों के बाल कतरने वाले आए हैं इसलिए मैं मिन्नत करता हूँ कि बादशाह अपने मुलाज़िमों और अपने ख़ादिम के साथ चले।”
וַיֹּ֨אמֶר הַמֶּ֜לֶךְ אֶל־אַבְשָׁל֗וֹם אַל־בְּנִי֙ אַל־נָ֤א נֵלֵךְ֙ כֻּלָּ֔נוּ וְלֹ֥א נִכְבַּ֖ד עָלֶ֑יךָ וַיִּפְרָץ־בּ֛וֹ וְלֹֽא־אָבָ֥ה לָלֶ֖כֶת וַֽיְבָרֲכֵֽהוּ׃ 25
तब बादशाह ने अबीसलोम से कहा, “नहीं मेरे बेटे हम सबके सब न चलें ऐसा न हो कि तुझ पर हम बोझ हो जाएँ और वह उससे बजिद हुआ तो भी वह न गया पर उसे दुआ दी।”
וַיֹּ֙אמֶר֙ אַבְשָׁל֔וֹם וָלֹ֕א יֵֽלֶךְ־נָ֥א אִתָּ֖נוּ אַמְנ֣וֹן אָחִ֑י וַיֹּ֤אמֶר לוֹ֙ הַמֶּ֔לֶךְ לָ֥מָּה יֵלֵ֖ךְ עִמָּֽךְ׃ 26
तब अबीसलोम ने कहा, अगर ऐसा नहीं हो सकता तो मेरे भाई अमनून को तो हमारे साथ जाने दे “बादशाह ने उससे कहा, वह तेरे साथ क्यों जाए?”
וַיִּפְרָץ־בּ֖וֹ אַבְשָׁל֑וֹם וַיִּשְׁלַ֤ח אִתּוֹ֙ אֶת־אַמְנ֔וֹן וְאֵ֖ת כָּל־בְּנֵ֥י הַמֶּֽלֶךְ׃ ס 27
लेकिन अबीसलोम ऐसा बजिद हुआ कि उसने अमनून और सब शहज़ादों को उसके साथ जाने दिया।
וַיְצַו֩ אַבְשָׁל֨וֹם אֶת־נְעָרָ֜יו לֵאמֹ֗ר רְא֣וּ נָ֠א כְּט֨וֹב לֵב־אַמְנ֤וֹן בַּיַּ֙יִן֙ וְאָמַרְתִּ֣י אֲלֵיכֶ֔ם הַכּ֧וּ אֶת־אַמְנ֛וֹן וַהֲמִתֶּ֥ם אֹת֖וֹ אַל־תִּירָ֑אוּ הֲל֗וֹא כִּ֤י אָֽנֹכִי֙ צִוִּ֣יתִי אֶתְכֶ֔ם חִזְק֖וּ וִהְי֥וּ לִבְנֵי־חָֽיִל׃ 28
और अबीसलोम ने अपने ख़ादिमों को हुक्म दिया कि “देखो जब अमनून का दिल मय से सुरूर में हो और मैं तुम को कहूँ कि अमनून को मारो तो तुम उसे मार डालना खौफ़ न करना, क्या मैंने तुमको हुक्म नही दिया? हिम्मतवर और बहादुर बने रहो।”
וַֽיַּעֲשׂ֞וּ נַעֲרֵ֤י אַבְשָׁלוֹם֙ לְאַמְנ֔וֹן כַּאֲשֶׁ֥ר צִוָּ֖ה אַבְשָׁל֑וֹם וַיָּקֻ֣מוּ ׀ כָּל־בְּנֵ֣י הַמֶּ֗לֶךְ וַֽיִּרְכְּב֛וּ אִ֥ישׁ עַל־פִּרְדּ֖וֹ וַיָּנֻֽסוּ׃ 29
चुनाँचे अबीसलोम के नौकरों ने अमनून से वैसा ही किया जैसा अबीसलोम ने हुक्म दिया था, तब सब शहज़ादे उठे और हर एक अपने खच्चर पर चढ़ कर भागा।
וַֽיְהִי֙ הֵ֣מָּה בַדֶּ֔רֶךְ וְהַשְּׁמֻעָ֣ה בָ֔אָה אֶל־דָּוִ֖ד לֵאמֹ֑ר הִכָּ֤ה אַבְשָׁלוֹם֙ אֶת־כָּל־בְּנֵ֣י הַמֶּ֔לֶךְ וְלֹֽא־נוֹתַ֥ר מֵהֶ֖ם אֶחָֽד׃ ס 30
और वह अभी रास्ते ही में थे कि दाऊद के पास यह ख़बर पहुँची कि “अबीसलोम ने सब शहज़ादों को क़त्ल कर डाला है और उनमें से एक भी बाक़ी नहीं बचा।”
וַיָּ֧קָם הַמֶּ֛לֶךְ וַיִּקְרַ֥ע אֶת־בְּגָדָ֖יו וַיִּשְׁכַּ֣ב אָ֑רְצָה וְכָל־עֲבָדָ֥יו נִצָּבִ֖ים קְרֻעֵ֥י בְגָדִֽים׃ ס 31
तब बादशाह ने उठकर अपने लिबास को फाड़ा और ज़मीन पर गिर पड़ा और उसके सब मुलाज़िम लिबास फाड़े हुए उसके सामने खड़े रहे।
וַיַּ֡עַן יוֹנָדָ֣ב ׀ בֶּן־שִׁמְעָ֨ה אֲחִֽי־דָוִ֜ד וַיֹּ֗אמֶר אַל־יֹאמַ֤ר אֲדֹנִי֙ אֵ֣ת כָּל־הַנְּעָרִ֤ים בְּנֵֽי־הַמֶּ֙לֶךְ֙ הֵמִ֔יתוּ כִּֽי־אַמְנ֥וֹן לְבַדּ֖וֹ מֵ֑ת כִּֽי־עַל־פִּ֤י אַבְשָׁלוֹם֙ הָיְתָ֣ה שׂוּמָ֔ה מִיּוֹם֙ עַנֹּת֔וֹ אֵ֖ת תָּמָ֥ר אֲחֹתֽוֹ׃ 32
तब दाऊद के भाई सिमआ का बेटा यूनदब कहने लगा कि “मेरा मालिक यह ख़्याल न करे, कि उन्होंने सब जवानों को जो बादशाह ज़ादे हैं मार डाला है इसलिए कि सिर्फ़ अमनून ही मरा है, क्यूँकि अबीसलोम के इन्तिज़ाम से उसी दिन से यह बात ठान ली गई थी जब उसने उसकी बहन तमर के साथ ज़बरदस्ती की थी।
וְעַתָּ֡ה אַל־יָשֵׂם֩ אֲדֹנִ֨י הַמֶּ֤לֶךְ אֶל־לִבּוֹ֙ דָּבָ֣ר לֵאמֹ֔ר כָּל־בְּנֵ֥י הַמֶּ֖לֶךְ מֵ֑תוּ כִּֽי־אִם־אַמְנ֥וֹן לְבַדּ֖וֹ מֵֽת׃ פ 33
इसलिए मेरा मालिक बादशाह ऐसा ख़्याल करके कि सब शहज़ादे मर गये इस बात का ग़म न करे क्यूँकि सिर्फ़ अमनून ही मरा है।”
וַיִּבְרַ֖ח אַבְשָׁל֑וֹם וַיִּשָּׂ֞א הַנַּ֤עַר הַצֹּפֶה֙ אֶת־עֵינָ֔יו וַיַּ֗רְא וְהִנֵּ֨ה עַם־רַ֜ב הֹלְכִ֥ים מִדֶּ֛רֶךְ אַחֲרָ֖יו בַּמּוֹרָ֑ד וַיָּבֹ֥א הַצֹּפֶ֜ה וַיַּגֵּ֖ד לַמֶּ֔לֶךְ וַיֹּאמַ֑ר אֲנָשִׁים֙ רָאִ֣יתִי יֹרְדִ֗ים מִדֶּ֣רֶךְ חֹרֹנַיִם מִצַּ֥ד הָהָֽר׃ 34
और अबीसलोम भाग गया और उस जवान ने जो निगहबान था अपनी आँखें उठाकर निगाह की और क्या देखा कि बहुत से लोग उसके पीछे की तरफ़ से पहाड़ के किनारे के रास्ते से चले आ रहे हैं।
וַיֹּ֤אמֶר יֽוֹנָדָב֙ אֶל־הַמֶּ֔לֶךְ הִנֵּ֥ה בְנֵֽי־הַמֶּ֖לֶךְ בָּ֑אוּ כִּדְבַ֥ר עַבְדְּךָ֖ כֵּ֥ן הָיָֽה׃ 35
तब यूनदब ने बादशाह से कहा कि “देख शहज़ादे आ गए जैसा तेरे ख़ादिम ने कहा था वैसा ही है।”
וַיְהִ֣י ׀ כְּכַלֹּת֣וֹ לְדַבֵּ֗ר וְהִנֵּ֤ה בְנֵֽי־הַמֶּ֙לֶךְ֙ בָּ֔אוּ וַיִּשְׂא֥וּ קוֹלָ֖ם וַיִּבְכּ֑וּ וְגַם־הַמֶּ֙לֶךְ֙ וְכָל־עֲבָדָ֔יו בָּכ֕וּ בְּכִ֖י גָּד֥וֹל מְאֹֽד׃ 36
उसने अपनी बात ख़त्म ही की थी कि शहज़ादे आ पहुँचे और ज़ोर ज़ोर से रोने लगे और बादशाह और उसके सब मुलाज़िम भी ज़ोर ज़ोर से रोए।
וְאַבְשָׁל֣וֹם בָּרַ֔ח וַיֵּ֛לֶךְ אֶל־תַּלְמַ֥י בֶּן־עַמִּיה֖וּד מֶ֣לֶךְ גְּשׁ֑וּר וַיִּתְאַבֵּ֥ל עַל־בְּנ֖וֹ כָּל־הַיָּמִֽים׃ 37
लेकिन अबीसलोम भाग कर जसूर के बादशाह 'अम्मीहूद के बेटे तल्मी के पास चला गया और दाऊद हर रोज़ अपने बेटे के लिए मातम करता रहा।
וְאַבְשָׁל֥וֹם בָּרַ֖ח וַיֵּ֣לֶךְ גְּשׁ֑וּר וַיְהִי־שָׁ֖ם שָׁלֹ֥שׁ שָׁנִֽים׃ 38
इसलिए अबीसलोम भाग कर जसूर को गया और तीन बरस तक वहीं रहा।
וַתְּכַל֙ דָּוִ֣ד הַמֶּ֔לֶךְ לָצֵ֖את אֶל־אַבְשָׁל֑וֹם כִּֽי־נִחַ֥ם עַל־אַמְנ֖וֹן כִּֽי־מֵֽת׃ ס 39
और दाऊद बादशाह के दिल में अबीसलोम के पास जाने की बड़ी आरज़ू थी क्यूँकि अमनून की तरफ़ से उसे तसल्ली हो गई थी इसलिए कि वह मर चुका था।

< 2 שְׁמוּאֵל 13 >