< 2 מְלָכִים 6 >

וַיֹּאמְר֥וּ בְנֵֽי־הַנְּבִיאִ֖ים אֶל־אֱלִישָׁ֑ע הִנֵּֽה־נָ֣א הַמָּק֗וֹם אֲשֶׁ֨ר אֲנַ֜חְנוּ יֹשְׁבִ֥ים שָׁ֛ם לְפָנֶ֖יךָ צַ֥ר מִמֶּֽנּוּ׃ 1
और अम्बियाज़ादों ने इलीशा' से कहा, “देख, ये जगह जहाँ हम तेरे सामने रहते हैं, हमारे लिए छोटी है;
נֵֽלְכָה־נָּ֣א עַד־הַיַּרְדֵּ֗ן וְנִקְחָ֤ה מִשָּׁם֙ אִ֚ישׁ קוֹרָ֣ה אֶחָ֔ת וְנַעֲשֶׂה־לָּ֥נוּ שָׁ֛ם מָק֖וֹם לָשֶׁ֣בֶת שָׁ֑ם וַיֹּ֖אמֶר לֵֽכוּ׃ 2
इसलिए हम को ज़रा यरदन को जाने दे कि हम वहाँ से एक एक कड़ी लेकर आएँ और अपने रहने के लिए एक घर बना सकें।” उसने जवाब दिया, “जाओ।”
וַיֹּ֙אמֶר֙ הָֽאֶחָ֔ד ה֥וֹאֶל נָ֖א וְלֵ֣ךְ אֶת־עֲבָדֶ֑יךָ וַיֹּ֖אמֶר אֲנִ֥י אֵלֵֽךְ׃ 3
तब एक ने कहा, “मेहरबानी से अपने ख़ादिमों के साथ चल।” उसने कहा, “मैं चलूँगा।”
וַיֵּ֖לֶךְ אִתָּ֑ם וַיָּבֹ֙אוּ֙ הַיַּרְדֵּ֔נָה וַֽיִּגְזְר֖וּ הָעֵצִֽים׃ 4
चुनाँचे वह उनके साथ गया, और जब वह यरदन पर पहुँचे तो लकड़ी काटने लगे।
וַיְהִ֤י הָֽאֶחָד֙ מַפִּ֣יל הַקּוֹרָ֔ה וְאֶת־הַבַּרְזֶ֖ל נָפַ֣ל אֶל־הַמָּ֑יִם וַיִּצְעַ֥ק וַיֹּ֛אמֶר אֲהָ֥הּ אֲדֹנִ֖י וְה֥וּא שָׁאֽוּל׃ 5
लेकिन एक की कुल्हाड़ी का लोहा, जब वह कड़ी काट रहा था, पानी में गिर गया। तब वह चित्ला उठा, और कहने लगा, “हाय, मेरे मालिक! यह तो माँगा हुआ था।”
וַיֹּ֥אמֶר אִישׁ־הָאֱלֹהִ֖ים אָ֣נָה נָפָ֑ל וַיַּרְאֵ֙הוּ֙ אֶת־הַמָּק֔וֹם וַיִּקְצָב־עֵץ֙ וַיַּשְׁלֶךְ־שָׁ֔מָּה וַיָּ֖צֶף הַבַּרְזֶֽל׃ 6
नबी ने कहा, “वह किस जगह गिरा?” उसने उसे वह जगह दिखाई। तब उसने एक छड़ी काट कर उस जगह डाल दी, और लोहा तैरने लगा।
וַיֹּ֖אמֶר הָ֣רֶם לָ֑ךְ וַיִּשְׁלַ֥ח יָד֖וֹ וַיִּקָּחֵֽהוּ׃ פ 7
फिर उसने कहा, “अपने लिए उठा ले।” तब उसने हाथ बढ़ाकर उसे उठा लिया।
וּמֶ֣לֶךְ אֲרָ֔ם הָיָ֥ה נִלְחָ֖ם בְּיִשְׂרָאֵ֑ל וַיִּוָּעַץ֙ אֶל־עֲבָדָ֣יו לֵאמֹ֗ר אֶל־מְק֛וֹם פְּלֹנִ֥י אַלְמֹנִ֖י תַּחֲנֹתִֽי׃ 8
अराम का बादशाह, इस्राईल के बादशाह से लड़ रहा था; और उसने अपने ख़ादिमों से मशवरा किया कि “मैं इन जगह पर डेरा डालूँगा।”
וַיִּשְׁלַ֞ח אִ֣ישׁ הָאֱלֹהִ֗ים אֶל־מֶ֤לֶךְ יִשְׂרָאֵל֙ לֵאמֹ֔ר הִשָּׁ֕מֶר מֵעֲבֹ֖ר הַמָּק֣וֹם הַזֶּ֑ה כִּֽי־שָׁ֖ם אֲרָ֥ם נְחִתִּֽים׃ 9
इसलिए मर्द — ए — ख़ुदा ने इस्राईल के बादशाह से कहला भेजा कि “ख़बरदार तू उन जगहों से मत गुज़रना, क्यूँकि वहाँ अरामी आने को हैं।”
וַיִּשְׁלַ֞ח מֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֗ל אֶֽל־הַמָּק֞וֹם אֲשֶׁ֨ר אָֽמַר־ל֧וֹ אִישׁ־הָאֱלֹהִ֛ים וְהִזְהִיר֖וֹ וְנִשְׁמַ֣ר שָׁ֑ם לֹ֥א אַחַ֖ת וְלֹ֥א שְׁתָּֽיִם׃ 10
और इस्राईल के बादशाह ने उस जगह, जिसकी ख़बर मर्द — ए — ख़ुदा ने दी थी और उसको आगाह कर दिया था, आदमी भेजे और वहाँ से अपने को बचाया, और यह सिर्फ़ एक या दो बार ही नहीं।
וַיִּסָּעֵר֙ לֵ֣ב מֶֽלֶךְ־אֲרָ֔ם עַל־הַדָּבָ֖ר הַזֶּ֑ה וַיִּקְרָ֤א אֶל־עֲבָדָיו֙ וַיֹּ֣אמֶר אֲלֵיהֶ֔ם הֲלוֹא֙ תַּגִּ֣ידוּ לִ֔י מִ֥י מִשֶּׁלָּ֖נוּ אֶל־מֶ֥לֶךְ יִשְׂרָאֵֽל׃ 11
इस बात की वजह से अराम के बादशाह का दिल निहायत बेचैन हुआ; और उसने अपने ख़ादिमों को बुलाकर उनसे कहा, “क्या तुम मुझे नहीं बताओगे कि हम में से कौन इस्राईल के बादशाह की तरफ़ है?”
וַיֹּ֙אמֶר֙ אַחַ֣ד מֵֽעֲבָדָ֔יו ל֖וֹא אֲדֹנִ֣י הַמֶּ֑לֶךְ כִּֽי־אֱלִישָׁ֤ע הַנָּבִיא֙ אֲשֶׁ֣ר בְּיִשְׂרָאֵ֔ל יַגִּיד֙ לְמֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֔ל אֶת־הַ֨דְּבָרִ֔ים אֲשֶׁ֥ר תְּדַבֵּ֖ר בַּחֲדַ֥ר מִשְׁכָּבֶֽךָ׃ 12
तब उसके ख़ादिमों में से एक ने कहा, “नहीं, ऐ मेरे मालिक, ऐ बादशाह! बल्कि इलीशा', जो इस्राईल में नबी है, तेरी उन बातों को जो तू अपनी आरामगाह में कहता है, इस्राईल के बादशाह को बता देता है।”
וַיֹּ֗אמֶר לְכ֤וּ וּרְאוּ֙ אֵיכֹ֣ה ה֔וּא וְאֶשְׁלַ֖ח וְאֶקָּחֵ֑הוּ וַיֻּגַּד־ל֥וֹ לֵאמֹ֖ר הִנֵּ֥ה בְדֹתָֽן׃ 13
उसने कहा, “जाकर देखो वह कहाँ है, ताकि मैं उसे पकड़वाऊँ।” और उसे यह बताया गया, “वह दूतैन में है।”
וַיִּשְׁלַח־שָׁ֛מָּה סוּסִ֥ים וְרֶ֖כֶב וְחַ֣יִל כָּבֵ֑ד וַיָּבֹ֣אוּ לַ֔יְלָה וַיַּקִּ֖פוּ עַל־הָעִֽיר׃ 14
तब उसने वहाँ घोड़ों और रथों, और एक बड़े लश्कर को रवाना किया; तब उन्होंने रातों रात आकर उस शहर को घेर लिया।
וַ֠יַּשְׁכֵּם מְשָׁרֵ֨ת אִ֥ישׁ הָֽאֱלֹהִים֮ לָקוּם֒ וַיֵּצֵ֕א וְהִנֵּה־חַ֛יִל סוֹבֵ֥ב אֶת־הָעִ֖יר וְס֣וּס וָרָ֑כֶב וַיֹּ֨אמֶר נַעֲר֥וֹ אֵלָ֛יו אֲהָ֥הּ אֲדֹנִ֖י אֵיכָ֥ה נַֽעֲשֶֽׂה׃ 15
जब उस मर्द — ए — ख़ुदा का ख़ादिम सुबह को उठ कर बाहर निकला तो देखा, कि एक लश्कर घोड़ों के साथ और रथों के शहर के चारों तरफ़ है। तब उस ख़ादिम ने जाकर उससे कहा, “हाय! ऐ मेरे मालिक, हम क्या करें?”
וַיֹּ֖אמֶר אַל־תִּירָ֑א כִּ֤י רַבִּים֙ אֲשֶׁ֣ר אִתָּ֔נוּ מֵאֲשֶׁ֖ר אוֹתָֽם׃ 16
उसने जवाब दिया, “ख़ौफ़ न कर, क्यूँकि हमारे साथ वाले उनके साथ वालों से ज़्यादा हैं।”
וַיִּתְפַּלֵּ֤ל אֱלִישָׁע֙ וַיֹּאמַ֔ר יְהוָ֕ה פְּקַח־נָ֥א אֶת־עֵינָ֖יו וְיִרְאֶ֑ה וַיִּפְקַ֤ח יְהוָה֙ אֶת־עֵינֵ֣י הַנַּ֔עַר וַיַּ֗רְא וְהִנֵּ֨ה הָהָ֜ר מָלֵ֨א סוּסִ֥ים וְרֶ֛כֶב אֵ֖שׁ סְבִיבֹ֥ת אֱלִישָֽׁע׃ 17
और इलीशा' ने दुआ की और कहा, “ऐ ख़ुदावन्द, उसकी आँखें खोल दे ताकि वह देख सके।” तब ख़ुदावन्द ने उस जवान की आँखें खोल दीं, और उसने जो निगाह की तो देखा कि इलीशा' के चारों तरफ़ का पहाड़ आग के घोड़ों और रथों से भरा है।
וַיֵּרְדוּ֮ אֵלָיו֒ וַיִּתְפַּלֵּ֨ל אֱלִישָׁ֤ע אֶל־יְהוָה֙ וַיֹּאמַ֔ר הַךְ־נָ֥א אֶת־הַגּוֹי־הַזֶּ֖ה בַּסַּנְוֵרִ֑ים וַיַּכֵּ֥ם בַּסַּנְוֵרִ֖ים כִּדְבַ֥ר אֱלִישָֽׁע׃ 18
और जब वह उसकी तरफ़ आने लगे, तो इलीशा' ने ख़ुदावन्द से दुआ की और कहा, “मैं तेरी मिन्नत करता हूँ, इन लोगों को अन्धा कर दे।” इसलिए उसने जैसा इलीशा' ने कहा था, उनको अन्धा कर दिया।
וַיֹּ֨אמֶר אֲלֵהֶ֜ם אֱלִישָׁ֗ע לֹ֣א זֶ֣ה הַדֶּרֶךְ֮ וְלֹ֣א זֹ֣ה הָעִיר֒ לְכ֣וּ אַחֲרַ֔י וְאוֹלִ֣יכָה אֶתְכֶ֔ם אֶל־הָאִ֖ישׁ אֲשֶׁ֣ר תְּבַקֵּשׁ֑וּן וַיֹּ֥לֶךְ אוֹתָ֖ם שֹׁמְרֽוֹנָה׃ 19
फिर इलीशा' ने उनसे कहा, “यह वह रास्ता नहीं और न ये वह शहर है, तुम मेरे पीछे चले आओ, और मैं तुम को उस शख़्स के पास पहुँचा दूँगा जिसकी तुम तलाश करते हो।” और वह उनको सामरिया को ले गया।
וַיְהִי֮ כְּבֹאָ֣ם שֹׁמְרוֹן֒ וַיֹּ֣אמֶר אֱלִישָׁ֔ע יְהוָ֕ה פְּקַ֥ח אֶת־עֵינֵֽי־אֵ֖לֶּה וְיִרְא֑וּ וַיִּפְקַ֤ח יְהוָה֙ אֶת־עֵ֣ינֵיהֶ֔ם וַיִּרְא֕וּ וְהִנֵּ֖ה בְּת֥וֹךְ שֹׁמְרֽוֹן׃ 20
जब वह सामरिया में पहुँचे तो इलीशा' ने कहा, “ऐ ख़ुदावन्द, इन लोगों की आँखें खोल दे, ताकि वह देख सके।” तब ख़ुदावन्द ने उनकी आँखें खोल दीं, उन्होंने जो निगाह की, तो क्या देखा कि सामरिया के अन्दर हैं।
וַיֹּ֤אמֶר מֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵל֙ אֶל־אֱלִישָׁ֔ע כִּרְאֹת֖וֹ אוֹתָ֑ם הַאַכֶּ֥ה אַכֶּ֖ה אָבִֽי׃ 21
और इस्राईल के बादशाह ने उनको देखकर इलीशा' से कहा, “ऐ मेरे बाप, क्या मैं उनको मार लूँ? मैं उनको मार लूँ?”
וַיֹּ֙אמֶר֙ לֹ֣א תַכֶּ֔ה הַאֲשֶׁ֥ר שָׁבִ֛יתָ בְּחַרְבְּךָ֥ וּֽבְקַשְׁתְּךָ֖ אַתָּ֣ה מַכֶּ֑ה שִׂים֩ לֶ֨חֶם וָמַ֜יִם לִפְנֵיהֶ֗ם וְיֹֽאכְלוּ֙ וְיִשְׁתּ֔וּ וְיֵלְכ֖וּ אֶל־אֲדֹנֵיהֶֽם׃ 22
उसने जवाब दिया, “तू उनको न मार। क्या तू उनको मार दिया करता है, जिनको तू अपनी तलवार और कमान से क़ैद कर लेता है? तू उनके आगे रोटी और पानी रख, ताकि वह खाएँ — पिएँ और अपने मालिक के पास जाएँ।”
וַיִּכְרֶ֨ה לָהֶ֜ם כֵּרָ֣ה גְדוֹלָ֗ה וַיֹּֽאכְלוּ֙ וַיִּשְׁתּ֔וּ וַֽיְשַׁלְּחֵ֔ם וַיֵּלְכ֖וּ אֶל־אֲדֹֽנֵיהֶ֑ם וְלֹֽא־יָ֤סְפוּ עוֹד֙ גְּדוּדֵ֣י אֲרָ֔ם לָב֖וֹא בְּאֶ֥רֶץ יִשְׂרָאֵֽל׃ פ 23
तब उसने उनके लिए बहुत सा खाना तैयार किया; और जब वह खा पी चुके तो उसने उनको रुख़्सत किया, और वह अपने मालिक के पास चले गए। और अराम के गिरोह इस्राईल के मुल्क में फिर न आए।
וַֽיְהִי֙ אַחֲרֵי־כֵ֔ן וַיִּקְבֹּ֛ץ בֶּן־הֲדַ֥ד מֶֽלֶךְ־אֲרָ֖ם אֶת־כָּל־מַחֲנֵ֑הוּ וַיַּ֕עַל וַיָּ֖צַר עַל־שֹׁמְרֽוֹן׃ 24
इसके बाद ऐसा हुआ कि बिनहदद, अराम, का बादशाह अपनी सब फ़ौज इकट्ठी करके चढ़ आया और सामरिया का घेरा कर लिया।
וַיְהִ֨י רָעָ֤ב גָּדוֹל֙ בְּשֹׁ֣מְר֔וֹן וְהִנֵּ֖ה צָרִ֣ים עָלֶ֑יהָ עַ֣ד הֱי֤וֹת רֹאשׁ־חֲמוֹר֙ בִּשְׁמֹנִ֣ים כֶּ֔סֶף וְרֹ֛בַע הַקַּ֥ב דִּבְיוֹנִ֖ים בַּחֲמִשָּׁה־כָֽסֶף׃ 25
और सामरिया में बड़ा काल था, और वह उसे घेरे रहे, यहाँ तक कि गधे का सिर चाँदी के अस्सी सिक्कों में और कबूतर की बीट का एक चौथाई पैमाना' चाँदी के पाँच सिक्कों में बिकने लगा।
וַֽיְהִי֙ מֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֔ל עֹבֵ֖ר עַל־הַחֹמָ֑ה וְאִשָּׁ֗ה צָעֲקָ֤ה אֵלָיו֙ לֵאמֹ֔ר הוֹשִׁ֖יעָה אֲדֹנִ֥י הַמֶּֽלֶךְ׃ 26
जब इस्राईल का बादशाह दीवार पर जा रहा था, तो एक 'औरत ने उसकी दुहाई दी और कहा, “ऐ मेरे मालिक, ऐ बादशाह, मदद कर।”
וַיֹּ֙אמֶר֙ אַל־יוֹשִׁעֵ֣ךְ יְהוָ֔ה מֵאַ֖יִן אֽוֹשִׁיעֵ֑ךְ הֲמִן־הַגֹּ֖רֶן א֥וֹ מִן־הַיָּֽקֶב׃ 27
उसने कहा, “अगर ख़ुदावन्द ही तेरी मदद न करे, तो मैं कहाँ से तेरी मदद करूँ? क्या ख़लिहान से, या अंगूर के कोल्हू से?”
וַיֹּֽאמֶר־לָ֥הּ הַמֶּ֖לֶךְ מַה־לָּ֑ךְ וַתֹּ֗אמֶר הָאִשָּׁ֨ה הַזֹּ֜את אָמְרָ֣ה אֵלַ֗י תְּנִ֤י אֶת־בְּנֵךְ֙ וְנֹאכְלֶ֣נּוּ הַיּ֔וֹם וְאֶת־בְּנִ֖י נֹאכַ֥ל מָחָֽר׃ 28
फिर बादशाह ने उससे कहा, “तुझे क्या हुआ?” उसने जवाब दिया, इस 'औरत ने मुझसे कहा, 'अपना बेटा दे दे, ताकि हम आज के दिन उसे खाएँ; और मेरा बेटा जो है, फिर उसे हम कल खाएँगे।
וַנְּבַשֵּׁ֥ל אֶת־בְּנִ֖י וַנֹּֽאכְלֵ֑הוּ וָאֹמַ֨ר אֵלֶ֜יהָ בַּיּ֣וֹם הָאַחֵ֗ר תְּנִ֤י אֶת־בְּנֵךְ֙ וְנֹ֣אכְלֶ֔נּוּ וַתַּחְבִּ֖א אֶת־בְּנָֽהּ׃ 29
तब मेरे बेटे को हम ने पकाया और उसे खा लिया, और दूसरे दिन मैंने उससे कहा, 'अपना बेटा ला, ताकि हम उसे खाएँ; “लेकिन उसने अपना बेटा छिपा दिया है।”
וַיְהִי֩ כִשְׁמֹ֨עַ הַמֶּ֜לֶךְ אֶת־דִּבְרֵ֤י הָֽאִשָּׁה֙ וַיִּקְרַ֣ע אֶת־בְּגָדָ֔יו וְה֖וּא עֹבֵ֣ר עַל־הַחֹמָ֑ה וַיַּ֣רְא הָעָ֔ם וְהִנֵּ֥ה הַשַּׂ֛ק עַל־בְּשָׂר֖וֹ מִבָּֽיִת׃ 30
बादशाह ने उस 'औरत की बातें सुनकर अपने कपड़े फाड़े; उस वक़्त वह दीवार पर चला जाता था, और लोगों ने देखा कि अन्दर उसके तन पर टाट है।
וַיֹּ֕אמֶר כֹּֽה־יַעֲשֶׂה־לִּ֥י אֱלֹהִ֖ים וְכֹ֣ה יוֹסִ֑ף אִֽם־יַעֲמֹ֞ד רֹ֣אשׁ אֱלִישָׁ֧ע בֶּן־שָׁפָ֛ט עָלָ֖יו הַיּֽוֹם׃ 31
और उसने कहा, “अगर आज साफ़त के बेटे इलीशा' का सिर उसके तन पर रह जाए, तो ख़ुदावन्द मुझसे ऐसा बल्कि इससे ज़्यादा करे।”
וֶאֱלִישָׁע֙ יֹשֵׁ֣ב בְּבֵית֔וֹ וְהַזְּקֵנִ֖ים יֹשְׁבִ֣ים אִתּ֑וֹ וַיִּשְׁלַ֨ח אִ֜ישׁ מִלְּפָנָ֗יו בְּטֶ֣רֶם יָבֹא֩ הַמַּלְאָ֨ךְ אֵלָ֜יו וְה֣וּא ׀ אָמַ֣ר אֶל־הַזְּקֵנִ֗ים הַרְּאִיתֶם֙ כִּֽי־שָׁלַ֞ח בֶּן־הַֽמְרַצֵּ֤חַ הַזֶּה֙ לְהָסִ֣יר אֶת־רֹאשִׁ֔י רְא֣וּ ׀ כְּבֹ֣א הַמַּלְאָ֗ךְ סִגְר֤וּ הַדֶּ֙לֶת֙ וּלְחַצְתֶּ֤ם אֹתוֹ֙ בַּדֶּ֔לֶת הֲל֗וֹא ק֛וֹל רַגְלֵ֥י אֲדֹנָ֖יו אַחֲרָֽיו׃ 32
लेकिन इलीशा' अपने घर में बैठा रहा, और बुजु़र्ग़ लोग उसके साथ बैठे थे, और बादशाह ने अपने सामने से एक शख़्स को भेजा, पर इससे पहले कि वह क़ासिद उसके पास आए, उसने बुज़ु़गों से कहा, “तुम देखते हो कि उस क़ातिल के बेटे ने मेरा सिर उड़ा देने को एक आदमी भेजा है? इसलिए देखो, जब वह क़ासिद आए, तो दरवाज़ा बन्द कर लेना और मज़बूती से दरवाज़े को उसके सामने पकड़े रहना। क्या उसके पीछे — पीछे उसके मालिक के पैरों की आहट नहीं?”
עוֹדֶ֙נּוּ֙ מְדַבֵּ֣ר עִמָּ֔ם וְהִנֵּ֥ה הַמַּלְאָ֖ךְ יֹרֵ֣ד אֵלָ֑יו וַיֹּ֗אמֶר הִנֵּֽה־זֹ֤את הָֽרָעָה֙ מֵאֵ֣ת יְהוָ֔ה מָֽה־אוֹחִ֥יל לַיהוָ֖ה עֽוֹד׃ ס 33
और वह उनसे अभी बातें कर ही रहा था कि देखो, कि वह क़ासिद उसके पास आ पहुँचा, और उसने कहा, “देखो, ये बला ख़ुदावन्द की तरफ़ से है, अब आगे मैं ख़ुदावन्द का रास्ता क्यूँ देखूँ?”

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