< 2 מְלָכִים 10 >
וּלְאַחְאָ֛ב שִׁבְעִ֥ים בָּנִ֖ים בְּשֹׁמְר֑וֹן וַיִּכְתֹּב֩ יֵה֨וּא סְפָרִ֜ים וַיִּשְׁלַ֣ח שֹׁמְר֗וֹן אֶל־שָׂרֵ֤י יִזְרְעֶאל֙ הַזְּקֵנִ֔ים וְאֶל־הָאֹמְנִ֥ים אַחְאָ֖ב לֵאמֹֽר׃ | 1 |
सामरिया में अख़ीअब के सत्तर बेटे थे। इसलिए याहू ने सामरिया में यज़र'एल के अमीरों, या'नी बुज़ुर्गों के पास और उनके पास जो अख़ीअब के बेटों के पालने वाले थे, ख़त लिख भेजे,
וְעַתָּ֗ה בְּבֹ֨א הַסֵּ֤פֶר הַזֶּה֙ אֲלֵיכֶ֔ם וְאִתְּכֶ֖ם בְּנֵ֣י אֲדֹנֵיכֶ֑ם וְאִתְּכֶם֙ הָרֶ֣כֶב וְהַסּוּסִ֔ים וְעִ֥יר מִבְצָ֖ר וְהַנָּֽשֶׁק׃ | 2 |
कि “जिस हाल में तुम्हारे मालिक के बेटे तुम्हारे साथ हैं, और तुम्हारे पास रथ और घोड़े और फ़सीलदार शहर भी और हथियार भी हैं; इसलिए इस ख़त के पहुँचते ही,
וּרְאִיתֶ֞ם הַטּ֤וֹב וְהַיָּשָׁר֙ מִבְּנֵ֣י אֲדֹנֵיכֶ֔ם וְשַׂמְתֶּ֖ם עַל־כִּסֵּ֣א אָבִ֑יו וְהִֽלָּחֲמ֖וּ עַל־בֵּ֥ית אֲדֹנֵיכֶֽם׃ | 3 |
तुम अपने मालिक के बेटों में सबसे अच्छे और लायक़ को चुनकर उसे उसके बाप के तख़्त पर बिठाओ, और अपने मालिक के घराने के लिए जंग करो।
וַיִּֽרְאוּ֙ מְאֹ֣ד מְאֹ֔ד וַיֹּ֣אמְר֔וּ הִנֵּה֙ שְׁנֵ֣י הַמְּלָכִ֔ים לֹ֥א עָמְד֖וּ לְפָנָ֑יו וְאֵ֖יךְ נַעֲמֹ֥ד אֲנָֽחְנוּ׃ | 4 |
लेकिन वह निहायत परेशान हुए और कहने लगे देखो दो बादशाह तो उसका मुक़ाबिला न कर सके; तो हम क्यूँकर कर सकेंगे?”
וַיִּשְׁלַ֣ח אֲשֶׁר־עַל־הַבַּ֣יִת וַאֲשֶׁ֪ר עַל־הָעִ֟יר וְהַזְּקֵנִים֩ וְהָאֹמְנִ֨ים אֶל־יֵה֤וּא ׀ לֵאמֹר֙ עֲבָדֶ֣יךָ אֲנַ֔חְנוּ וְכֹ֛ל אֲשֶׁר־תֹּאמַ֥ר אֵלֵ֖ינוּ נַעֲשֶׂ֑ה לֹֽא־נַמְלִ֣יךְ אִ֔ישׁ הַטּ֥וֹב בְּעֵינֶ֖יךָ עֲשֵֽׂה׃ | 5 |
इसलिए महल के दीवान ने और शहर के हाकिम ने और बुज़ुगों ने भी, और लड़कों के पालने वालों ने याहू को कहला भेजा, “हम सब तेरे ख़ादिम हैं, और जो कुछ तू फ़रमाएगा वह सब हम करेंगे; हम किसी को बादशाह नहीं बनाएँगे, जो कुछ तेरी नज़र में अच्छा है वही कर।”
וַיִּכְתֹּ֣ב אֲלֵיהֶם֩ סֵ֨פֶר ׀ שֵׁנִ֜ית לֵאמֹ֗ר אִם־לִ֨י אַתֶּ֜ם וּלְקֹלִ֣י ׀ אַתֶּ֣ם שֹׁמְעִ֗ים קְחוּ֙ אֶת־רָאשֵׁי֙ אַנְשֵׁ֣י בְנֵֽי־אֲדֹנֵיכֶ֔ם וּבֹ֧אוּ אֵלַ֛י כָּעֵ֥ת מָחָ֖ר יִזְרְעֶ֑אלָה וּבְנֵ֤י הַמֶּ֙לֶךְ֙ שִׁבְעִ֣ים אִ֔ישׁ אֶת־גְּדֹלֵ֥י הָעִ֖יר מְגַדְּלִ֥ים אוֹתָֽם׃ | 6 |
तब उसने दूसरी बार एक ख़त उनको लिख भेजा, कि “अगर तुम मेरी तरफ़ हो और मेरी बात मानना चाहते हो, तो अपने मालिक के बेटों के सिर उतार कर कल यज़र'एल में इसी वक़्त मेरे पास आ जाओ।” उस वक़्त शाहज़ादे जो सत्तर आदमी थे, शहर के उन बड़े आदमियों के साथ थे जो उनके पालनेवाले थे।
וַיְהִ֗י כְּבֹ֤א הַסֵּ֙פֶר֙ אֲלֵיהֶ֔ם וַיִּקְחוּ֙ אֶת־בְּנֵ֣י הַמֶּ֔לֶךְ וַֽיִּשְׁחֲט֖וּ שִׁבְעִ֣ים אִ֑ישׁ וַיָּשִׂ֤ימוּ אֶת־רָֽאשֵׁיהֶם֙ בַּדּוּדִ֔ים וַיִּשְׁלְח֥וּ אֵלָ֖יו יִזְרְעֶֽאלָה׃ | 7 |
इसलिए जब यह ख़त उनके पास आया, तो उन्होंने शाहज़ादों को लेकर उनको, या'नी उन सत्तर आदमियों को क़त्ल किया और उनके सिर टोकरों में रख कर उनको उसके पास यज़र'एल में भेज दिया।
וַיָּבֹ֤א הַמַּלְאָךְ֙ וַיַּגֶּד־ל֣וֹ לֵאמֹ֔ר הֵבִ֖יאוּ רָאשֵׁ֣י בְנֵֽי־הַמֶּ֑לֶךְ וַיֹּ֗אמֶר שִׂ֣ימוּ אֹתָ֞ם שְׁנֵ֧י צִבֻּרִ֛ים פֶּ֥תַח הַשַּׁ֖עַר עַד־הַבֹּֽקֶר׃ | 8 |
तब एक क़ासिद ने आकर उसे ख़बर दी, “वह शाहज़ादों के सिर लाए हैं।” उसने कहा, “तुम शहर के फाटक के मदख़ल पर उनकी दो ढेरियाँ लगा कर कल सुबह तक रहने दो।”
וַיְהִ֤י בַבֹּ֙קֶר֙ וַיֵּצֵ֣א וַֽיַּעֲמֹ֔ד וַיֹּ֙אמֶר֙ אֶל־כָּל־הָעָ֔ם צַדִּקִ֖ים אַתֶּ֑ם הִנֵּ֨ה אֲנִ֜י קָשַׁ֤רְתִּי עַל־אֲדֹנִי֙ וָאֶהְרְגֵ֔הוּ וּמִ֥י הִכָּ֖ה אֶת־כָּל־אֵֽלֶּה׃ | 9 |
और सुबह को ऐसा हुआ कि वह निकल कर खड़ा हुआ और सब लोगों से कहने लगा, “तुम तो रास्त हो। देखो, मैंने तो अपने मालिक के ख़िलाफ़ बन्दिश बाँधी और उसे मारा; पर इन सभों को किसने मारा?
דְּע֣וּ אֵפ֗וֹא כִּי֩ לֹ֨א יִפֹּ֜ל מִדְּבַ֤ר יְהוָה֙ אַ֔רְצָה אֲשֶׁר־דִּבֶּ֥ר יְהוָ֖ה עַל־בֵּ֣ית אַחְאָ֑ב וַיהוָ֣ה עָשָׂ֔ה אֵ֚ת אֲשֶׁ֣ר דִּבֶּ֔ר בְּיַ֖ד עַבְדּ֥וֹ אֵלִיָּֽהוּ׃ | 10 |
इसलिए अब जान लो कि ख़ुदावन्द के उस बात में से, जिसे ख़ुदावन्द ने अख़ीअब के घराने के हक़ में फ़रमाया, कोई बात ख़ाक में नहीं मिलेगी; क्यूँकि ख़ुदावन्द ने जो कुछ अपने बन्दे एलियाह के ज़रिए फ़रमाया था उसे पूरा किया।”
וַיַּ֣ךְ יֵה֗וּא אֵ֣ת כָּל־הַנִּשְׁאָרִ֤ים לְבֵית־אַחְאָב֙ בְּיִזְרְעֶ֔אל וְכָל־גְּדֹלָ֖יו וּמְיֻדָּעָ֣יו וְכֹהֲנָ֑יו עַד־בִּלְתִּ֥י הִשְׁאִֽיר־ל֖וֹ שָׂרִֽיד׃ | 11 |
इसलिए याहू ने उन सबको जो अख़ीअब के घराने से यज़र'एल में बच रहे थे, और उसके सब बड़े आदमियों और क़रीबी दोस्तों और काहिनों को क़त्ल किया, यहाँ तक कि उसने उसके किसी आदमी को बाक़ी न छोड़ा।
וַיָּ֙קָם֙ וַיָּבֹ֔א וַיֵּ֖לֶךְ שֹׁמְר֑וֹן ה֛וּא בֵּֽית־עֵ֥קֶד הָרֹעִ֖ים בַּדָּֽרֶךְ׃ | 12 |
फिर वह उठ कर रवाना हुआ और सामरिया को चला। और रास्ते में गड़रियों के बाल कतरने के घर तक पहुँचा ही था कि
וְיֵה֗וּא מָצָא֙ אֶת־אֲחֵי֙ אֲחַזְיָ֣הוּ מֶֽלֶךְ־יְהוּדָ֔ה וַיֹּ֖אמֶר מִ֣י אַתֶּ֑ם וַיֹּאמְר֗וּ אֲחֵ֤י אֲחַזְיָ֙הוּ֙ אֲנַ֔חְנוּ וַנֵּ֛רֶד לִשְׁל֥וֹם בְּנֵֽי־הַמֶּ֖לֶךְ וּבְנֵ֥י הַגְּבִירָֽה׃ | 13 |
याहू को यहूदाह के बादशाह अख़ज़ियाह के भाई मिल गए; इसने पूछा, “तुम कौन हो?” उन्होंने कहा, “हम अख़ज़ियाह के भाई हैं; और हम जाते हैं कि बादशाह के बेटों और मलिका के बेटों को सलाम करें।”
וַיֹּ֙אמֶר֙ תִּפְשׂ֣וּם חַיִּ֔ים וַֽיִּתְפְּשׂ֖וּם חַיִּ֑ים וַֽיִּשְׁחָט֞וּם אֶל־בּ֣וֹר בֵּֽית־עֵ֗קֶד אַרְבָּעִ֤ים וּשְׁנַ֙יִם֙ אִ֔ישׁ וְלֹֽא־הִשְׁאִ֥יר אִ֖ישׁ מֵהֶֽם׃ ס | 14 |
तब उसने कहा, कि “उनको ज़िन्दा पकड़ लो।” इसलिए उन्होंने उनको ज़िन्दा पकड़ लिया और उनको जो बयालीस आदमी थे बाल कतरने के घर के हौज़ पर क़त्ल किया; उसने उनमें से एक को भी न छोड़ा।
וַיֵּ֣לֶךְ מִשָּׁ֡ם וַיִּמְצָ֣א אֶת־יְהוֹנָדָב֩ בֶּן־רֵכָ֨ב לִקְרָאת֜וֹ וַֽיְבָרְכֵ֗הוּ וַיֹּ֨אמֶר אֵלָ֜יו הֲיֵ֧שׁ אֶת־לְבָבְךָ֣ יָשָׁ֗ר כַּאֲשֶׁ֤ר לְבָבִי֙ עִם־לְבָבֶ֔ךָ וַיֹּ֨אמֶר יְהוֹנָדָ֥ב יֵ֛שׁ וָיֵ֖שׁ תְּנָ֣ה אֶת־יָדֶ֑ךָ וַיִּתֵּ֣ן יָד֔וֹ וַיַּעֲלֵ֥הוּ אֵלָ֖יו אֶל־הַמֶּרְכָּבָֽה׃ | 15 |
फिर जब वह वहाँ से रुख़्सत हुआ, तो यहूनादाब — बिन — रैकाब जो उसके इस्तक़बाल को आ रहा था उसे मिला। तब उसने उसे सलाम किया और उससे कहा “क्या तेरा दिल ठीक है, जैसा मेरा दिल तेरे दिल के साथ है?” यहूनादाब ने जवाब दिया कि है। इसलिए उसने कहा, “अगर ऐसा है, तो अपना हाथ मुझे दे।” तब उसने उसे अपना हाथ दिया; और उसने उसे रथ में अपने साथ बिठा लिया,
וַיֹּ֙אמֶר֙ לְכָ֣ה אִתִּ֔י וּרְאֵ֖ה בְּקִנְאָתִ֣י לַיהוָ֑ה וַיַּרְכִּ֥בוּ אֹת֖וֹ בְּרִכְבּֽוֹ׃ | 16 |
और कहा, “मेरे साथ चल, और मेरी गै़रत को जो ख़ुदावन्द के लिए है, देख।” तब उन्होंने उसे उसके साथ रथ पर सवार कराया,
וַיָּבֹא֙ שֹֽׁמְר֔וֹן וַ֠יַּךְ אֶת־כָּל־הַנִּשְׁאָרִ֧ים לְאַחְאָ֛ב בְּשֹׁמְר֖וֹן עַד־הִשְׁמִיד֑וֹ כִּדְבַ֣ר יְהוָ֔ה אֲשֶׁ֥ר דִּבֶּ֖ר אֶל־אֵלִיָּֽהוּ׃ פ | 17 |
और जब वह सामरिया में पहुँचा, तो अख़ीअब के सब बाक़ी लोगों को, जो सामरिया में थे क़त्ल किया, यहाँ तक कि उसने, जैसा ख़ुदावन्द ने एलियाह से कहा था, उसको नेस्त — ओ — नाबूद कर दिया।
וַיִּקְבֹּ֤ץ יֵהוּא֙ אֶת־כָּל־הָעָ֔ם וַיֹּ֣אמֶר אֲלֵהֶ֔ם אַחְאָ֕ב עָבַ֥ד אֶת־הַבַּ֖עַל מְעָ֑ט יֵה֖וּא יַעַבְדֶ֥נּוּ הַרְבֵּֽה׃ | 18 |
फिर याहू ने सब लोगों को जमा' किया, और उनसे कहा, कि “अख़ीअब ने बा'ल की थोड़ी इबादत की, याहू उसकी बहुत इबादत करेगा।
וְעַתָּ֣ה כָל־נְבִיאֵ֣י הַבַּ֡עַל כָּל־עֹבְדָ֣יו וְכָל־כֹּהֲנָיו֩ קִרְא֨וּ אֵלַ֜י אִ֣ישׁ אַל־יִפָּקֵ֗ד כִּי֩ זֶ֨בַח גָּד֥וֹל לִי֙ לַבַּ֔עַל כֹּ֥ל אֲשֶׁר־יִפָּקֵ֖ד לֹ֣א יִֽחְיֶ֑ה וְיֵהוּא֙ עָשָׂ֣ה בְעָקְבָּ֔ה לְמַ֥עַן הַאֲבִ֖יד אֶת־עֹבְדֵ֥י הַבָּֽעַל׃ | 19 |
इसलिए अब तुम बा'ल के सब नबियों और उसके सब पूजने वालों और पुजारियों को मेरे पास बुला लाओ; उनमें से कोई गै़र हाज़िर न रहे, क्यूँकि मुझे बा'ल के लिए बड़ी क़ुर्बानी करना है। इसलिए जो कोई गै़र हाज़िर रहे, वह ज़िन्दा न बचेगा।” पर याहू ने इस ग़रज़ से कि बा'ल के पूजनेवालों को हलाक कर दे, ये बहाना निकाला था।
וַיֹּ֣אמֶר יֵה֗וּא קַדְּשׁ֧וּ עֲצָרָ֛ה לַבַּ֖עַל וַיִּקְרָֽאוּ׃ | 20 |
और याहू ने कहा, कि “बा'ल के लिए एक ख़ास 'ईद का 'एलान करो।” तब उन्होंने उसका 'एलान कर दिया।
וַיִּשְׁלַ֤ח יֵהוּא֙ בְּכָל־יִשְׂרָאֵ֔ל וַיָּבֹ֙אוּ֙ כָּל־עֹבְדֵ֣י הַבַּ֔עַל וְלֹֽא־נִשְׁאַ֥ר אִ֖ישׁ אֲשֶׁ֣ר לֹֽא־בָ֑א וַיָּבֹ֙אוּ֙ בֵּ֣ית הַבַּ֔עַל וַיִּמָּלֵ֥א בֵית־הַבַּ֖עַל פֶּ֥ה לָפֶֽה׃ | 21 |
और याहू ने सारे इस्राईल में लोग भेजे, और बा'ल के सब पूजनेवाले आए, यहाँ तक कि एक शख़्स भी ऐसा न था जो न आया हो। और वह बा'ल के बुतख़ाने में दाख़िल हुए, और बा'ल का बुतख़ाना इस सिरे से उस सिरे तक भर गया।
וַיֹּ֗אמֶר לַֽאֲשֶׁר֙ עַל־הַמֶּלְתָּחָ֔ה הוֹצֵ֣א לְב֔וּשׁ לְכֹ֖ל עֹבְדֵ֣י הַבָּ֑עַל וַיֹּצֵ֥א לָהֶ֖ם הַמַּלְבּֽוּשׁ׃ | 22 |
फिर उसने उसको जो तोशाखाने पर मुक़र्रर था हुक्म किया, कि “बा'ल के सब पूजनेवालों के लिए लिबास निकाल ला।” तब वह उनके लिए लिबास निकाल लाया।
וַיָּבֹ֥א יֵה֛וּא וִיהוֹנָדָ֥ב בֶּן־רֵכָ֖ב בֵּ֣ית הַבָּ֑עַל וַיֹּ֜אמֶר לְעֹבְדֵ֣י הַבַּ֗עַל חַפְּשׂ֤וּ וּרְאוּ֙ פֶּן־יֶשׁ־פֹּ֤ה עִמָּכֶם֙ מֵעַבְדֵ֣י יְהוָ֔ה כִּ֛י אִם־עֹבְדֵ֥י הַבַּ֖עַל לְבַדָּֽם׃ | 23 |
तब याहू और यहूनादाब — बिन — रैकाब बा'ल के बुतख़ाने के अन्दर गए, और उसने बा'ल के पूजनेवालों से कहा, “बयान करो, और देख लो कि यहाँ तुम्हारे साथ ख़ुदावन्द के ख़ादिमों में से कोई न हो, सिर्फ़ बा'ल ही के पूजनेवाले हों।”
וַיָּבֹ֕אוּ לַעֲשׂ֖וֹת זְבָחִ֣ים וְעֹל֑וֹת וְיֵה֞וּא שָׂם־ל֤וֹ בַחוּץ֙ שְׁמֹנִ֣ים אִ֔ישׁ וַיֹּ֗אמֶר הָאִ֤ישׁ אֲשֶׁר־יִמָּלֵט֙ מִן־הָאֲנָשִׁ֗ים אֲשֶׁ֤ר אֲנִי֙ מֵבִ֣יא עַל־יְדֵיכֶ֔ם נַפְשׁ֖וֹ תַּ֥חַת נַפְשֽׁוֹ׃ | 24 |
और वह ज़बीहे और सोख़्तनी कु़र्बानियाँ पेश करने को अन्दर गए। और याहू ने बाहर अस्सी जवान मुक़र्रर कर दिए और कहा, कि “अगर कोई उन लोगों में से जिनको मैं तुम्हारे हाथ में कर दूँ निकल भागे, तो छोड़ने वाले की जान उसकी जान के बदले जाएगी।”
וַיְהִ֞י כְּכַלֹּת֣וֹ ׀ לַעֲשׂ֣וֹת הָעֹלָ֗ה וַיֹּ֣אמֶר יֵ֠הוּא לָרָצִ֨ים וְלַשָּׁלִשִׁ֜ים בֹּ֤אוּ הַכּוּם֙ אִ֣ישׁ אַל־יֵצֵ֔א וַיַּכּ֖וּם לְפִי־חָ֑רֶב וַיַּשְׁלִ֗כוּ הָֽרָצִים֙ וְהַשָּׁ֣לִשִׁ֔ים וַיֵּלְכ֖וּ עַד־עִ֥יר בֵּית־הַבָּֽעַל׃ | 25 |
जब वह सोख़्तनी क़ुर्बानी अदा कर चुका, तो याहू ने पहरेवालों और सरदारों से कहा, कि “घुस जाओ और उनको क़त्ल करो, एक भी निकलने न पाए।” चुनाँचे उन्होंने उनको हलाक किया, और पहरेवालों और सरदारों ने उनको बाहर फेंक दिया और बा'ल के बुतख़ाने के शहर को गए।
וַיֹּצִ֛אוּ אֶת־מַצְּב֥וֹת בֵּית־הַבַּ֖עַל וַֽיִּשְׂרְפֽוּהָ׃ | 26 |
और उन्होंने बा'ल के बुतख़ाने की कड़ियों को बाहर निकाल कर उनको आग में जलाया।
וַֽיִּתְּצ֔וּ אֵ֖ת מַצְּבַ֣ת הַבָּ֑עַל וַֽיִּתְּצוּ֙ אֶת־בֵּ֣ית הַבַּ֔עַל וַיְשִׂמֻ֥הוּ לְמֽוֹצָא֖וֹת עַד־הַיּֽוֹם׃ | 27 |
और बा'ल के सुतूनों को चकनाचूर किया, और बा'ल का बुतख़ाना को गिरा कर उसे बैतुल — ख़ला' बना दिया, जैसा आज तक है।
וַיַּשְׁמֵ֥ד יֵה֛וּא אֶת־הַבַּ֖עַל מִיִּשְׂרָאֵֽל׃ | 28 |
इस तरह याहू ने बा'ल को इस्राईल के बीच से हलाक कर दिया।
רַ֠ק חֲטָאֵ֞י יָרָבְעָ֤ם בֶּן־נְבָט֙ אֲשֶׁ֣ר הֶחֱטִ֣יא אֶת־יִשְׂרָאֵ֔ל לֹֽא־סָ֥ר יֵה֖וּא מֵאַֽחֲרֵיהֶ֑ם עֶגְלֵי֙ הַזָּהָ֔ב אֲשֶׁ֥ר בֵּֽית־אֵ֖ל וַאֲשֶׁ֥ר בְּדָֽן׃ ס | 29 |
तोभी नबात के बेटे युरब'आम के गुनाहों से, जिनसे उसने इस्राईल से गुनाह कराया, याहू बाज़ न आया; या'नी उसने सोने के बछड़ों को मानने से जो बैतएल और दान में थे, दूरी इख़्तियार न की।
וַיֹּ֨אמֶר יְהוָ֜ה אֶל־יֵה֗וּא יַ֤עַן אֲשֶׁר־הֱטִיבֹ֙תָ֙ לַעֲשׂ֤וֹת הַיָּשָׁר֙ בְּעֵינַ֔י כְּכֹל֙ אֲשֶׁ֣ר בִּלְבָבִ֔י עָשִׂ֖יתָ לְבֵ֣ית אַחְאָ֑ב בְּנֵ֣י רְבִעִ֔ים יֵשְׁב֥וּ לְךָ֖ עַל־כִּסֵּ֥א יִשְׂרָאֵֽל׃ | 30 |
और ख़ुदावन्द ने याहू से कहा, “चूँकि तू ने ये नेकी की है कि जो कुछ मेरी नज़र में भला था उसे अंजाम दिया है, और अख़ीअब के घराने से मेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ बर्ताव किया है; इसलिए तेरे बेटे चौथी नस्ल तक इस्राईल के तख़्त पर बैठेंगे।”
וְיֵה֗וּא לֹ֥א שָׁמַ֛ר לָלֶ֛כֶת בְּתֽוֹרַת־יְהוָ֥ה אֱלֹהֵֽי־יִשְׂרָאֵ֖ל בְּכָל־לְבָב֑וֹ לֹ֣א סָ֗ר מֵעַל֙ חַטֹּ֣אות יָֽרָבְעָ֔ם אֲשֶׁ֥ר הֶחֱטִ֖יא אֶת־יִשְׂרָאֵֽל׃ | 31 |
लेकिन याहू ने ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा की शरी'अत पर अपने सारे दिल से चलने की फ़िक्र न की; वह युरब'आम के गुनाहों से, जिनसे उसने इस्राईल से गुनाह कराया, अलग न हुआ।
בַּיָּמִ֣ים הָהֵ֔ם הֵחֵ֣ל יְהוָ֔ה לְקַצּ֖וֹת בְּיִשְׂרָאֵ֑ל וַיַּכֵּ֥ם חֲזָאֵ֖ל בְּכָל־גְּב֥וּל יִשְׂרָאֵֽל׃ | 32 |
उन दिनों ख़ुदावन्द इस्राईल को घटाने लगा, और हज़ाएल ने उनको इस्राईल की सब सरहदों में मारा,
מִן־הַיַּרְדֵּן֙ מִזְרַ֣ח הַשֶּׁ֔מֶשׁ אֵ֚ת כָּל־אֶ֣רֶץ הַגִּלְעָ֔ד הַגָּדִ֥י וְהָרֻאובֵנִ֖י וְהַֽמְנַשִּׁ֑י מֵעֲרֹעֵר֙ אֲשֶׁ֣ר עַל־נַ֣חַל אַרְנֹ֔ן וְהַגִּלְעָ֖ד וְהַבָּשָֽׁן׃ | 33 |
या'नी यरदन से लेकर पूरब की तरफ़ जिल'आद के सारे मुल्क में, और जद्दियों और रूबीनियों और मनस्सियों को, 'अरो'ईर से जो वादी — ए — अरनून में है, या'नी जिल'आद और बसन को भी।
וְיֶ֨תֶר דִּבְרֵ֥י יֵה֛וּא וְכָל־אֲשֶׁ֥ר עָשָׂ֖ה וְכָל־גְּבוּרָת֑וֹ הֲלֽוֹא־הֵ֣ם כְּתוּבִ֗ים עַל־סֵ֛פֶר דִּבְרֵ֥י הַיָּמִ֖ים לְמַלְכֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ | 34 |
याहू के बाक़ी काम और सब जो उसने किया, और उसकी सारी ताक़त का बयान; इसलिए क्या वह सब इस्राईल के बादशाहों की तवारीख़ की किताब में लिखा नहीं?
וַיִּשְׁכַּ֤ב יֵהוּא֙ עִם־אֲבֹתָ֔יו וַיִּקְבְּר֥וּ אֹת֖וֹ בְּשֹׁמְר֑וֹן וַיִּמְלֹ֛ךְ יְהוֹאָחָ֥ז בְּנ֖וֹ תַּחְתָּֽיו׃ | 35 |
और याहू अपने बाप — दादा के साथ मर गया, और उन्होंने उसे सामरिया में दफ़न किया, और उसका बेटा यहूआख़ज़ उसकी जगह बादशाह हुआ।
וְהַיָּמִ֗ים אֲשֶׁ֨ר מָלַ֤ךְ יֵהוּא֙ עַל־יִשְׂרָאֵ֔ל עֶשְׂרִ֥ים וּשְׁמֹנֶֽה־שָׁנָ֖ה בְּשֹׁמְרֽוֹן׃ פ | 36 |
और वह उसी 'अरसे में जिसमें याहू ने सामरिया में बनी — इस्राईल पर सल्तनत की अठाईस साल का था।