< 2 דִּבְרֵי הַיָּמִים 34 >

בֶּן־שְׁמוֹנֶ֥ה שָׁנִ֖ים יֹאשִׁיָּ֣הוּ בְמָלְכ֑וֹ וּשְׁלֹשִׁ֤ים וְאַחַת֙ שָׁנָ֔ה מָלַ֖ךְ בִּירוּשָׁלִָֽם׃ 1
जब योशिय्याह राज्य करने लगा, तब वह आठ वर्ष का था, और यरूशलेम में इकतीस वर्ष तक राज्य करता रहा।
וַיַּ֥עַשׂ הַיָּשָׁ֖ר בְּעֵינֵ֣י יְהוָ֑ה וַיֵּ֗לֶךְ בְּדַרְכֵי֙ דָּוִ֣יד אָבִ֔יו וְלֹא־סָ֖ר יָמִ֥ין וּשְׂמֹֽאול׃ 2
उसने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में ठीक है, और जिन मार्गों पर उसका मूलपुरुष दाऊद चलता रहा, उन्हीं पर वह भी चला करता था और उससे न तो दाहिनी ओर मुड़ा, और न बाईं ओर।
וּבִשְׁמוֹנֶ֨ה שָׁנִ֜ים לְמָלְכ֗וֹ וְהוּא֙ עוֹדֶ֣נּוּ נַ֔עַר הֵחֵ֕ל לִדְר֕וֹשׁ לֵאלֹהֵ֖י דָּוִ֣יד אָבִ֑יו וּבִשְׁתֵּ֧ים עֶשְׂרֵ֣ה שָׁנָ֗ה הֵחֵל֙ לְטַהֵ֔ר אֶת־יְהוּדָה֙ וִיר֣וּשָׁלִַ֔ם מִן־הַבָּמוֹת֙ וְהָ֣אֲשֵׁרִ֔ים וְהַפְּסִלִ֖ים וְהַמַּסֵּכֽוֹת׃ 3
वह लड़का ही था, अर्थात् उसको गद्दी पर बैठे आठ वर्ष पूरे भी न हुए थे कि अपने मूलपुरुष दाऊद के परमेश्वर की खोज करने लगा, और बारहवें वर्ष में वह ऊँचे स्थानों और अशेरा नामक मूरतों को और खुदी और ढली हुई मूरतों को दूर करके, यहूदा और यरूशलेम को शुद्ध करने लगा।
וַיְנַתְּצ֣וּ לְפָנָ֗יו אֵ֚ת מִזְבְּח֣וֹת הַבְּעָלִ֔ים וְהַֽחַמָּנִ֛ים אֲשֶׁר־לְמַ֥עְלָה מֵעֲלֵיהֶ֖ם גִּדֵּ֑עַ וְ֠הָאֲשֵׁרִים וְהַפְּסִלִ֤ים וְהַמַּסֵּכוֹת֙ שִׁבַּ֣ר וְהֵדַ֔ק וַיִּזְרֹק֙ עַל־פְּנֵ֣י הַקְּבָרִ֔ים הַזֹּבְחִ֖ים לָהֶֽם׃ 4
बाल देवताओं की वेदियाँ उसके सामने तोड़ डाली गई, और सूर्य की प्रतिमाएँ जो उनके ऊपर ऊँचे पर थीं, उसने काट डाली, और अशेरा नामक, और खुदी और ढली हुई मूरतों को उसने तोड़कर पीस डाला, और उनकी बुकनी उन लोगों की कब्रों पर छितरा दी, जो उनको बलि चढ़ाते थे।
וְעַצְמוֹת֙ כֹּֽהֲנִ֔ים שָׂרַ֖ף עַל־מִזְבְּחוֹתָ֑ם וַיְטַהֵ֥ר אֶת־יְהוּדָ֖ה וְאֶת־יְרוּשָׁלִָֽם׃ 5
उनके पुजारियों की हड्डियाँ उसने उन्हीं की वेदियों पर जलाईं। अतः उसने यहूदा और यरूशलेम को शुद्ध किया।
וּבְעָרֵ֨י מְנַשֶּׁ֧ה וְאֶפְרַ֛יִם וְשִׁמְע֖וֹן וְעַד־נַפְתָּלִ֑י בְּהַר בְּחַרְבֹתֵיהֶ֖ם סָבִֽיב׃ 6
फिर मनश्शे, एप्रैम और शिमोन के वरन् नप्ताली तक के नगरों के खण्डहरों में, उसने वेदियों को तोड़ डाला,
וַיְנַתֵּ֣ץ אֶת־הַֽמִּזְבְּח֗וֹת וְאֶת־הָאֲשֵׁרִ֤ים וְהַפְּסִלִים֙ כִּתַּ֣ת לְהֵדַ֔ק וְכָל־הַֽחַמָּנִ֥ים גִּדַּ֖ע בְּכָל־אֶ֣רֶץ יִשְׂרָאֵ֑ל וַיָּ֖שָׁב לִירוּשָׁלִָֽם׃ ס 7
और अशेरा नामक और खुदी हुई मूरतों को पीसकर बुकनी कर डाला, और इस्राएल के सारे देश की सूर्य की सब प्रतिमाओं को काटकर यरूशलेम को लौट गया।
וּבִשְׁנַ֨ת שְׁמוֹנֶ֤ה עֶשְׂרֵה֙ לְמָלְכ֔וֹ לְטַהֵ֥ר הָאָ֖רֶץ וְהַבָּ֑יִת שָׁ֠לַח אֶת־שָׁפָ֨ן בֶּן־אֲצַלְיָ֜הוּ וְאֶת־מַעֲשֵׂיָ֣הוּ שַׂר־הָעִ֗יר וְ֠אֵת יוֹאָ֤ח בֶּן־יֽוֹאָחָז֙ הַמַּזְכִּ֔יר לְחַזֵּ֕ק אֶת־בֵּ֖ית יְהוָ֥ה אֱלֹהָֽיו׃ 8
फिर अपने राज्य के अठारहवें वर्ष में जब वह देश और भवन दोनों को शुद्ध कर चुका, तब उसने असल्याह के पुत्र शापान और नगर के हाकिम मासेयाह और योआहाज के पुत्र इतिहास के लेखक योआह को अपने परमेश्वर यहोवा के भवन की मरम्मत कराने के लिये भेज दिया।
וַיָּבֹ֜אוּ אֶל־חִלְקִיָּ֣הוּ ׀ הַכֹּהֵ֣ן הַגָּד֗וֹל וַֽיִּתְּנוּ֮ אֶת־הַכֶּסֶף֮ הַמּוּבָ֣א בֵית־אֱלֹהִים֒ אֲשֶׁ֣ר אָסְפֽוּ־הַלְוִיִּם֩ שֹׁמְרֵ֨י הַסַּ֜ף מִיַּ֧ד מְנַשֶּׁ֣ה וְאֶפְרַ֗יִם וּמִכֹּל֙ שְׁאֵרִ֣ית יִשְׂרָאֵ֔ל וּמִכָּל־יְהוּדָ֖ה וּבִנְיָמִ֑ן וַיָּשֻׁ֖בוּ יְרֽוּשָׁלִָֽם׃ 9
अतः उन्होंने हिल्किय्याह महायाजक के पास जाकर जो रुपया परमेश्वर के भवन में लाया गया था, अर्थात् जो लेवीय दरबानों ने मनश्शेइयों, एप्रैमियों और सब बचे हुए इस्राएलियों से और सब यहूदियों और बिन्यामीनियों से और सब यरूशलेम के निवासियों के हाथ से लेकर इकट्ठा किया था, उसको सौंप दिया।
וַֽיִּתְּנ֗וּ עַל־יַד֙ עֹשֵׂ֣ה הַמְּלָאכָ֔ה הַמֻּפְקָדִ֖ים בְּבֵ֣ית יְהוָ֑ה וַיִּתְּנ֨וּ אֹת֜וֹ עוֹשֵׂ֣י הַמְּלָאכָ֗ה אֲשֶׁ֤ר עֹשִׂים֙ בְּבֵ֣ית יְהוָ֔ה לִבְדּ֥וֹק וּלְחַזֵּ֖ק הַבָּֽיִת׃ 10
१०अर्थात् उन्होंने उसे उन काम करनेवालों के हाथ सौंप दिया जो यहोवा के भवन के काम पर मुखिए थे, और यहोवा के भवन के उन काम करनेवालों ने उसे भवन में जो कुछ टूटा फूटा था, उसकी मरम्मत करने में लगाया।
וַֽיִּתְּנ֗וּ לֶחָֽרָשִׁים֙ וְלַבֹּנִ֔ים לִקְנוֹת֙ אַבְנֵ֣י מַחְצֵ֔ב וְעֵצִ֖ים לַֽמְחַבְּר֑וֹת וּלְקָרוֹת֙ אֶת־הַבָּ֣תִּ֔ים אֲשֶׁ֥ר הִשְׁחִ֖יתוּ מַלְכֵ֥י יְהוּדָֽה׃ 11
११अर्थात् उन्होंने उसे बढ़इयों और राजमिस्त्रियों को दिया कि वे गढ़े हुए पत्थर और जोड़ों के लिये लकड़ी मोल लें, और उन घरों को छाएँ जो यहूदा के राजाओं ने नाश कर दिए थे।
וְהָאֲנָשִׁים֩ עֹשִׂ֨ים בֶּאֱמוּנָ֜ה בַּמְּלָאכָ֗ה וַעֲלֵיהֶ֣ם ׀ מֻ֠פְקָדִים יַ֣חַת וְעֹבַדְיָ֤הוּ הַלְוִיִּם֙ מִן־בְּנֵ֣י מְרָרִ֔י וּזְכַרְיָ֧ה וּמְשֻׁלָּ֛ם מִן־בְּנֵ֥י הַקְּהָתִ֖ים לְנַצֵּ֑חַ וְהַ֨לְוִיִּ֔ם כָּל־מֵבִ֖ין בִּכְלֵי־שִֽׁיר׃ 12
१२वे मनुष्य सच्चाई से काम करते थे, और उनके अधिकारी मरारीय, यहत और ओबद्याह, लेवीय और कहाती, जकर्याह और मशुल्लाम, काम चलानेवाले और गाने-बजाने का भेद सब जाननेवाले लेवीय भी थे।
וְעַ֣ל הַסַּבָּלִ֗ים וּֽמְנַצְּחִים֙ לְכֹל֙ עֹשֵׂ֣ה מְלָאכָ֔ה לַעֲבוֹדָ֖ה וַעֲבוֹדָ֑ה וּמֵֽהַלְוִיִּ֔ם סוֹפְרִ֥ים וְשֹׁטְרִ֖ים וְשׁוֹעֲרִֽים׃ 13
१३फिर वे बोझियों के अधिकारी थे और भाँति-भाँति की सेवा और काम चलानेवाले थे, और कुछ लेवीय मुंशी सरदार और दरबान थे।
וּבְהוֹצִיאָ֣ם אֶת־הַכֶּ֔סֶף הַמּוּבָ֖א בֵּ֣ית יְהוָ֑ה מָצָא֙ חִלְקִיָּ֣הוּ הַכֹּהֵ֔ן אֶת־סֵ֥פֶר תּֽוֹרַת־יְהוָ֖ה בְּיַד־מֹשֶֽׁה׃ 14
१४जब वे उस रुपये को जो यहोवा के भवन में पहुँचाया गया था, निकाल रहे थे, तब हिल्किय्याह याजक को मूसा के द्वारा दी हुई यहोवा की व्यवस्था की पुस्तक मिली।
וַיַּ֣עַן חִלְקִיָּ֗הוּ וַיֹּ֙אמֶר֙ אֶל־שָׁפָ֣ן הַסּוֹפֵ֔ר סֵ֧פֶר הַתּוֹרָ֛ה מָצָ֖אתִי בְּבֵ֣ית יְהוָ֑ה וַיִּתֵּ֧ן חִלְקִיָּ֛הוּ אֶת־הַסֵּ֖פֶר אֶל־שָׁפָֽן׃ 15
१५तब हिल्किय्याह ने शापान मंत्री से कहा, “मुझे यहोवा के भवन में व्यवस्था की पुस्तक मिली है;” तब हिल्किय्याह ने शापान को वह पुस्तक दी।
וַיָּבֵ֨א שָׁפָ֤ן אֶת־הַסֵּ֙פֶר֙ אֶל־הַמֶּ֔לֶךְ וַיָּ֨שֶׁב ע֧וֹד אֶת־הַמֶּ֛לֶךְ דָּבָ֖ר לֵאמֹ֑ר כֹּ֛ל אֲשֶׁר־נִתַּ֥ן בְּיַד־עֲבָדֶ֖יךָ הֵ֥ם עֹשִֽׂים׃ 16
१६तब शापान उस पुस्तक को राजा के पास ले गया, और यह सन्देश दिया, “जो-जो काम तेरे कर्मचारियों को सौंपा गया था उसे वे कर रहे हैं।
וַיַּתִּ֕יכוּ אֶת־הַכֶּ֖סֶף הַנִּמְצָ֣א בְּבֵית־יְהוָ֑ה וַֽיִּתְּנ֗וּהוּ עַל־יַד֙ הַמֻּפְקָדִ֔ים וְעַל־יַ֖ד עוֹשֵׂ֥י הַמְּלָאכָֽה׃ 17
१७जो रुपया यहोवा के भवन में मिला, उसको उन्होंने उण्डेलकर मुखियों और कारीगरों के हाथों में सौंप दिया है।”
וַיַּגֵּ֞ד שָׁפָ֤ן הַסּוֹפֵר֙ לַמֶּ֣לֶךְ לֵאמֹ֔ר סֵ֚פֶר נָ֣תַן לִ֔י חִלְקִיָּ֖הוּ הַכֹּהֵ֑ן וַיִּקְרָא־ב֥וֹ שָׁפָ֖ן לִפְנֵ֥י הַמֶּֽלֶךְ׃ 18
१८फिर शापान मंत्री ने राजा को यह भी बता दिया कि हिल्किय्याह याजक ने मुझे एक पुस्तक दी है; तब शापान ने उसमें से राजा को पढ़कर सुनाया।
וַיְהִי֙ כִּשְׁמֹ֣עַ הַמֶּ֔לֶךְ אֵ֖ת דִּבְרֵ֣י הַתּוֹרָ֑ה וַיִּקְרַ֖ע אֶת־בְּגָדָֽיו׃ 19
१९व्यवस्था की वे बातें सुनकर राजा ने अपने वस्त्र फाड़े।
וַיְצַ֣ו הַמֶּ֡לֶךְ אֶת־חִלְקִיָּ֡הוּ וְאֶת־אֲחִיקָ֣ם בֶּן־שָׁ֠פָן וְאֶת־עַבְדּ֨וֹן בֶּן־מִיכָ֜ה וְאֵ֣ת ׀ שָׁפָ֣ן הַסּוֹפֵ֗ר וְאֵ֛ת עֲשָׂיָ֥ה עֶֽבֶד־הַמֶּ֖לֶךְ לֵאמֹֽר׃ 20
२०फिर राजा ने हिल्किय्याह, शापान के पुत्र अहीकाम, मीका के पुत्र अब्दोन, शापान मंत्री और असायाह नामक अपने कर्मचारी को आज्ञा दी,
לְכוּ֩ דִרְשׁ֨וּ אֶת־יְהוָ֜ה בַּעֲדִ֗י וּבְעַד֙ הַנִּשְׁאָר֙ בְּיִשְׂרָאֵ֣ל וּבִֽיהוּדָ֔ה עַל־דִּבְרֵ֥י הַסֵּ֖פֶר אֲשֶׁ֣ר נִמְצָ֑א כִּֽי־גְדוֹלָ֤ה חֲמַת־יְהוָה֙ אֲשֶׁ֣ר נִתְּכָ֣ה בָ֔נוּ עַל֩ אֲשֶׁ֨ר לֹא־שָׁמְר֤וּ אֲבוֹתֵ֙ינוּ֙ אֶת־דְּבַ֣ר יְהוָ֔ה לַעֲשׂ֕וֹת כְּכָל־הַכָּת֖וּב עַל־הַסֵּ֥פֶר הַזֶּֽה׃ פ 21
२१“तुम जाकर मेरी ओर से और इस्राएल और यहूदा में रहनेवालों की ओर से इस पाई हुई पुस्तक के वचनों के विषय यहोवा से पूछो; क्योंकि यहोवा की बड़ी ही जलजलाहट हम पर इसलिए भड़की है कि हमारे पुरखाओं ने यहोवा का वचन नहीं माना, और इस पुस्तक में लिखी हुई सब आज्ञाओं का पालन नहीं किया।”
וַיֵּ֨לֶךְ חִלְקִיָּ֜הוּ וַאֲשֶׁ֣ר הַמֶּ֗לֶךְ אֶל־חֻלְדָּ֨ה הַנְּבִיאָ֜ה אֵ֣שֶׁת ׀ שַׁלֻּ֣ם בֶּן־תָּקְהַ֗ת בֶּן־חַסְרָה֙ שׁוֹמֵ֣ר הַבְּגָדִ֔ים וְהִ֛יא יוֹשֶׁ֥בֶת בִּירוּשָׁלִַ֖ם בַּמִּשְׁנֶ֑ה וַיְדַבְּר֥וּ אֵלֶ֖יהָ כָּזֹֽאת׃ ס 22
२२तब हिल्किय्याह ने राजा के अन्य दूतों समेत हुल्दा नबिया के पास जाकर उससे उसी बात के अनुसार बातें की, वह तो उस शल्लूम की स्त्री थी जो तोखत का पुत्र और हस्रा का पोता और वस्त्रालय का रखवाला था: और वह स्त्री यरूशलेम के नये टोले में रहती थी।
וַתֹּ֣אמֶר לָהֶ֔ם כֹּה־אָמַ֥ר יְהוָ֖ה אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל אִמְר֣וּ לָאִ֔ישׁ אֲשֶׁר־שָׁלַ֥ח אֶתְכֶ֖ם אֵלָֽי׃ ס 23
२३उसने उनसे कहा, “इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यह कहता है, कि जिस पुरुष ने तुम को मेरे पास भेजा, उससे यह कहो,
כֹּ֚ה אָמַ֣ר יְהוָ֔ה הִנְנִ֨י מֵבִ֥יא רָעָ֛ה עַל־הַמָּק֥וֹם הַזֶּ֖ה וְעַל־יוֹשְׁבָ֑יו אֵ֤ת כָּל־הָאָלוֹת֙ הַכְּתוּב֣וֹת עַל־הַסֵּ֔פֶר אֲשֶׁ֣ר קָֽרְא֔וּ לִפְנֵ֖י מֶ֥לֶךְ יְהוּדָֽה׃ 24
२४‘यहोवा यह कहता है, कि सुन, मैं इस स्थान और इसके निवासियों पर विपत्ति डालकर यहूदा के राजा के सामने जो पुस्तक पढ़ी गई, उसमें जितने श्राप लिखे हैं उन सभी को पूरा करूँगा।
תַּ֣חַת ׀ אֲשֶׁ֣ר עֲזָב֗וּנִי וַֽיְקַטְּרוּ֙ לֵֽאלֹהִ֣ים אֲחֵרִ֔ים לְמַ֙עַן֙ הַכְעִיסֵ֔נִי בְּכֹ֖ל מַעֲשֵׂ֣י יְדֵיהֶ֑ם וְתִתַּ֧ךְ חֲמָתִ֛י בַּמָּק֥וֹם הַזֶּ֖ה וְלֹ֥א תִכְבֶּֽה׃ 25
२५उन लोगों ने मुझे त्याग कर पराए देवताओं के लिये धूप जलाया है और अपनी बनाई हुई सब वस्तुओं के द्वारा मुझे क्रोध दिलाया है, इस कारण मेरी जलजलाहट इस स्थान पर भड़क उठी है, और शान्त न होगी।
וְאֶל־מֶ֣לֶךְ יְהוּדָ֗ה הַשֹּׁלֵ֤חַ אֶתְכֶם֙ לִדְר֣וֹשׁ בַּֽיהוָ֔ה כֹּ֥ה תֹאמְר֖וּ אֵלָ֑יו ס כֹּֽה־אָמַ֤ר יְהוָה֙ אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל הַדְּבָרִ֖ים אֲשֶׁ֥ר שָׁמָֽעְתָּ׃ 26
२६परन्तु यहूदा का राजा जिसने तुम्हें यहोवा से पूछने को भेज दिया है उससे तुम यह कहो, कि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यह कहता है,
יַ֠עַן רַךְ־לְבָ֨בְךָ֜ וַתִּכָּנַ֣ע ׀ מִלִּפְנֵ֣י אֱלֹהִ֗ים בְּשָׁמְעֲךָ֤ אֶת־דְּבָרָיו֙ עַל־הַמָּק֤וֹם הַזֶּה֙ וְעַל־יֹ֣שְׁבָ֔יו וַתִּכָּנַ֣ע לְפָנַ֔י וַתִּקְרַ֥ע אֶת־בְּגָדֶ֖יךָ וַתֵּ֣בְךְּ לְפָנָ֑י וְגַם־אֲנִ֥י שָׁמַ֖עְתִּי נְאֻם־יְהוָֽה׃ 27
२७कि इसलिए कि तू वे बातें सुनकर दीन हुआ, और परमेश्वर के सामने अपना सिर झुकाया, और उसकी बातें सुनकर जो उसने इस स्थान और इसके निवासियों के विरुद्ध कहीं, तूने मेरे सामने अपना सिर झुकाया, और वस्त्र फाड़कर मेरे सामने रोया है, इस कारण मैंने तेरी सुनी है; यहोवा की यही वाणी है।
הִנְנִ֨י אֹֽסִפְךָ֜ אֶל־אֲבֹתֶ֗יךָ וְנֶאֱסַפְתָּ֣ אֶל־קִבְרֹתֶיךָ֮ בְּשָׁלוֹם֒ וְלֹא־תִרְאֶ֣ינָה עֵינֶ֔יךָ בְּכֹל֙ הָֽרָעָ֔ה אֲשֶׁ֨ר אֲנִ֥י מֵבִ֛יא עַל־הַמָּק֥וֹם הַזֶּ֖ה וְעַל־יֹשְׁבָ֑יו וַיָּשִׁ֥יבוּ אֶת־הַמֶּ֖לֶךְ דָּבָֽר׃ פ 28
२८सुन, मैं तुझे तेरे पुरखाओं के संग ऐसा मिलाऊँगा कि तू शान्ति से अपनी कब्र को पहुँचाया जाएगा; और जो विपत्ति मैं इस स्थान पर, और इसके निवासियों पर डालना चाहता हूँ, उसमें से तुझे अपनी आँखों से कुछ भी देखना न पड़ेगा।’” तब उन लोगों ने लौटकर राजा को यही सन्देश दिया।
וַיִּשְׁלַ֖ח הַמֶּ֑לֶךְ וַיֶּאֱסֹ֕ף אֶת־כָּל־זִקְנֵ֥י יְהוּדָ֖ה וִירוּשָׁלִָֽם׃ 29
२९तब राजा ने यहूदा और यरूशलेम के सब पुरनियों को इकट्ठे होने को बुलवा भेजा।
וַיַּ֣עַל הַמֶּ֣לֶךְ בֵּית־יְ֠הוָה וְכָל־אִ֨ישׁ יְהוּדָ֜ה וְיֹשְׁבֵ֣י יְרוּשָׁלִַ֗ם וְהַכֹּֽהֲנִים֙ וְהַלְוִיִּ֔ם וְכָל־הָעָ֖ם מִגָּד֣וֹל וְעַד־קָטָ֑ן וַיִּקְרָ֣א בְאָזְנֵיהֶ֗ם אֶת־כָּל־דִּבְרֵי֙ סֵ֣פֶר הַבְּרִ֔ית הַנִּמְצָ֖א בֵּ֥ית יְהוָֽה׃ 30
३०राजा यहूदा के सब लोगों और यरूशलेम के सब निवासियों और याजकों और लेवियों वरन् छोटे बड़े सारी प्रजा के लोगों को संग लेकर यहोवा के भवन को गया; तब उसने जो वाचा की पुस्तक यहोवा के भवन में मिली थी उसमें की सारी बातें उनको पढ़कर सुनाई।
וַיַּעֲמֹ֨ד הַמֶּ֜לֶךְ עַל־עָמְד֗וֹ וַיִּכְרֹ֣ת אֶֽת־הַבְּרִית֮ לִפְנֵ֣י יְהוָה֒ לָלֶ֜כֶת אַחֲרֵ֣י יְהוָ֗ה וְלִשְׁמ֤וֹר אֶת־מִצְוֹתָיו֙ וְעֵֽדְוֹתָ֣יו וְחֻקָּ֔יו בְּכָל־לְבָב֖וֹ וּבְכָל־נַפְשׁ֑וֹ לַעֲשׂוֹת֙ אֶת־דִּבְרֵ֣י הַבְּרִ֔ית הַכְּתוּבִ֖ים עַל־הַסֵּ֥פֶר הַזֶּֽה׃ 31
३१तब राजा ने अपने स्थान पर खड़े होकर, यहोवा से इस आशय की वाचा बाँधी कि मैं यहोवा के पीछे-पीछे चलूँगा, और अपने सम्पूर्ण मन और सम्पूर्ण जीव से उसकी आज्ञाओं, चेतावनियों और विधियों का पालन करूँगा, और इन वाचा की बातों को जो इस पुस्तक में लिखी हैं, पूरी करूँगा।
וַיַּעֲמֵ֕ד אֵ֛ת כָּל־הַנִּמְצָ֥א בִירוּשָׁלִַ֖ם וּבִנְיָמִ֑ן וַֽיַּעֲשׂוּ֙ יֹשְׁבֵ֣י יְרוּשָׁלִַ֔ם כִּבְרִ֥ית אֱלֹהִ֖ים אֱלֹהֵ֥י אֲבוֹתֵיהֶֽם׃ 32
३२फिर उसने उन सभी से जो यरूशलेम में और बिन्यामीन में थे वैसी ही वाचा बँधाई: और यरूशलेम के निवासी, परमेश्वर जो उनके पितरों का परमेश्वर था, उसकी वाचा के अनुसार करने लगे।
וַיָּ֨סַר יֹֽאשִׁיָּ֜הוּ אֶת־כָּל־הַתּוֹעֵב֗וֹת מִֽכָּל־הָאֲרָצוֹת֮ אֲשֶׁ֣ר לִבְנֵ֣י יִשְׂרָאֵל֒ וַֽיַּעֲבֵ֗ד אֵ֤ת כָּל־הַנִּמְצָא֙ בְּיִשְׂרָאֵ֔ל לַעֲב֖וֹד אֶת־יְהוָ֣ה אֱלֹהֵיהֶ֑ם כָּל־יָמָ֕יו לֹ֣א סָ֔רוּ מֵֽאַחֲרֵ֕י יְהוָ֖ה אֱלֹהֵ֥י אֲבוֹתֵיהֶֽם׃ פ 33
३३योशिय्याह ने इस्राएलियों के सब देशों में से सब अशुद्ध वस्तुओं को दूर करके जितने इस्राएल में मिले, उन सभी से उपासना कराई; अर्थात् उनके परमेश्वर यहोवा की उपासना कराई; उसके जीवन भर उन्होंने अपने पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा के पीछे चलना न छोड़ा।

< 2 דִּבְרֵי הַיָּמִים 34 >