< 2 דִּבְרֵי הַיָּמִים 32 >
אַחֲרֵ֨י הַדְּבָרִ֤ים וְהָאֱמֶת֙ הָאֵ֔לֶּה בָּ֖א סַנְחֵרִ֣יב מֶֽלֶךְ־אַשּׁ֑וּר וַיָּבֹ֣א בִֽיהוּדָ֗ה וַיִּ֙חַן֙ עַל־הֶעָרִ֣ים הַבְּצֻר֔וֹת וַיֹּ֖אמֶר לְבִקְעָ֥ם אֵלָֽיו׃ | 1 |
इन बातों और इस ईमानदारी के बाद शाह — ए — असूर सनहेरिब चढ़ आया और यहूदाह में दाख़िल हुआ, और फ़सीलदार शहरों के मुक़ाबिल ख़ेमाज़न हुआ और उनको अपने क़ब्ज़े में लाना चाहा।
וַיַּרְא֙ יְחִזְקִיָּ֔הוּ כִּי־בָ֖א סַנְחֵרִ֑יב וּפָנָ֕יו לַמִּלְחָמָ֖ה עַל־יְרוּשָׁלִָֽם׃ | 2 |
जब हिज़क़ियाह ने देखा कि सनहेरिब आया है और उसका 'इरादा है कि येरूशलेम से लड़े
וַיִּוָּעַ֗ץ עִם־שָׂרָיו֙ וְגִבֹּרָ֔יו לִסְתּוֹם֙ אֶת־מֵימֵ֣י הָעֲיָנ֔וֹת אֲשֶׁ֖ר מִח֣וּץ לָעִ֑יר וַֽיַּעְזְרֽוּהוּ׃ | 3 |
तो उसने अपने सरदारों और बहादुरों के साथ सलाह की कि उन चश्मों के पानी को जो शहर से बाहर थे बन्द कर दे, और उन्होंने उसकी मदद की।
וַיִּקָּבְצ֣וּ עַם־רָ֔ב וַֽיִּסְתְּמוּ֙ אֶת־כָּל־הַמַּעְיָנ֔וֹת וְאֶת־הַנַּ֛חַל הַשּׁוֹטֵ֥ף בְּתוֹךְ־הָאָ֖רֶץ לֵאמֹ֑ר לָ֤מָּה יָב֙וֹאוּ֙ מַלְכֵ֣י אַשּׁ֔וּר וּמָצְא֖וּ מַ֥יִם רַבִּֽים׃ | 4 |
बहुत लोग जमा' हुए और सब चश्मों को और उस नदी को जो उस सरज़मीन के बीच बहती थी, यह कह कर बन्द कर दिया, “असूर के बादशाह आकर बहुत सा पानी क्यूँ पाएँ?”
וַיִּתְחַזַּ֡ק וַיִּבֶן֩ אֶת־כָּל־הַחוֹמָ֨ה הַפְּרוּצָ֜ה וַיַּ֣עַל עַל־הַמִּגְדָּל֗וֹת וְלַח֙וּצָה֙ הַחוֹמָ֣ה אַחֶ֔רֶת וַיְחַזֵּ֥ק אֶת־הַמִּלּ֖וֹא עִ֣יר דָּוִ֑יד וַיַּ֥עַשׂ שֶׁ֛לַח לָרֹ֖ב וּמָגִנִּֽים׃ | 5 |
और उसने हिम्मत बाँधी और सारी दीवार को जो टूटी थी बनाया, और उसे बुर्जों के बराबर ऊँचा किया और बाहर से एक दूसरी दीवार उठाई, और दाऊद के शहर में मिल्लो को मज़बूत किया और बहुत से हथियार और ढालें बनाई।
וַיִּתֵּ֛ן שָׂרֵ֥י מִלְחָמ֖וֹת עַל־הָעָ֑ם וַיִּקְבְּצֵ֣ם אֵלָ֗יו אֶל־רְחוֹב֙ שַׁ֣עַר הָעִ֔יר וַיְדַבֵּ֥ר עַל־לְבָבָ֖ם לֵאמֹֽר׃ | 6 |
और उसने लोगों पर सर लश्कर ठहराए और शहर के फाटक के पास के मैदान में उनको अपने पास इकट्ठा किया, और उनसे हिम्मत अफ़ज़ाई की बातें कीं और कहा,
חִזְק֣וּ וְאִמְצ֔וּ אַל־תִּֽירְא֣וּ וְאַל־תֵּחַ֗תּוּ מִפְּנֵי֙ מֶ֣לֶךְ אַשּׁ֔וּר וּמִלִּפְנֵ֖י כָּל־הֶהָמ֣וֹן אֲשֶׁר־עִמּ֑וֹ כִּֽי־עִמָּ֥נוּ רַ֖ב מֵעִמּֽוֹ׃ | 7 |
“हिम्मत बाँधो और हौसला रखो, और असूर के बादशाह और उसके साथ के सारे गिरोह की वजह से न डरो न हिरासा न हो; क्यूँकि वह जो हमारे साथ है, उससे बड़ा है जो उसके साथ है।
עִמּוֹ֙ זְר֣וֹעַ בָּשָׂ֔ר וְעִמָּ֜נוּ יְהוָ֤ה אֱלֹהֵ֙ינוּ֙ לְעָזְרֵ֔נוּ וּלְהִלָּחֵ֖ם מִלְחֲמֹתֵ֑נוּ וַיִּסָּמְכ֣וּ הָעָ֔ם עַל־דִּבְרֵ֖י יְחִזְקִיָּ֥הוּ מֶֽלֶךְ־יְהוּדָֽה׃ פ | 8 |
उसके साथ बशर का हाथ है लेकिन हमारे साथ ख़ुदावन्द हमारा ख़ुदा है कि हमारी मदद करे और हमारी लड़ाईयाँ लड़े।” तब लोगों ने शाह — ए — यहूदाह हिज़क़ियाह की बातों पर भरोसा किया।
אַ֣חַר זֶ֗ה שָׁ֠לַח סַנְחֵרִ֨יב מֶֽלֶךְ־אַשּׁ֤וּר עֲבָדָיו֙ יְר֣וּשָׁלַ֔יְמָה וְהוּא֙ עַל־לָכִ֔ישׁ וְכָל־מֶמְשַׁלְתּ֖וֹ עִמּ֑וֹ עַל־יְחִזְקִיָּ֙הוּ֙ מֶ֣לֶךְ יְהוּדָ֔ה וְעַל־כָּל־יְהוּדָ֛ה אֲשֶׁ֥ר בִּירוּשָׁלִַ֖ם לֵאמֹֽר׃ | 9 |
उसके बाद शाह — ए — असूर सनहेरिब ने जो अपने सारे लश्कर' के साथ लकीस के मुक़ाबिल पड़ा था, अपने नौकर येरूशलेम को शाह — ए — यहूदाह हिज़क़ियाह के पास और पूरे यहूदाह के पास जो येरूशलेम में थे, यह कहने को भेजे कि;
כֹּ֣ה אָמַ֔ר סַנְחֵרִ֖יב מֶ֣לֶךְ אַשּׁ֑וּר עַל־מָה֙ אַתֶּ֣ם בֹּטְחִ֔ים וְיֹשְׁבִ֥ים בְּמָצ֖וֹר בִּירוּשָׁלִָֽם׃ | 10 |
शाह — ए — असूर सनहेरिब यू फ़रमाता है कि तुम्हारा किस पर भरोसा है कि तुम येरूशलेम में घेरे को झेल रहे हो?
הֲלֹ֤א יְחִזְקִיָּ֙הוּ֙ מַסִּ֣ית אֶתְכֶ֔ם לָתֵ֣ת אֶתְכֶ֔ם לָמ֛וּת בְּרָעָ֥ב וּבְצָמָ֖א לֵאמֹ֑ר יְהוָ֣ה אֱלֹהֵ֔ינוּ יַצִּילֵ֕נוּ מִכַּ֖ף מֶ֥לֶךְ אַשּֽׁוּר׃ | 11 |
क्या हिज़क़ियाह तुम को कहत और प्यास की मौत के हवाले करने को तुम को नहीं बहका रहा है कि “ख़ुदा वन्द हमारा ख़ुदा हम को शाह — ए — असूर के हाथ से बचा लेगा?”
הֲלֹא־הוּא֙ יְחִזְקִיָּ֔הוּ הֵסִ֥יר אֶת־בָּמֹתָ֖יו וְאֶת־מִזְבְּחֹתָ֑יו וַיֹּ֨אמֶר לִֽיהוּדָ֤ה וְלִֽירוּשָׁלִַ֙ם֙ לֵאמֹ֔ר לִפְנֵ֨י מִזְבֵּ֧חַ אֶחָ֛ד תִּֽשְׁתַּחֲו֖וּ וְעָלָ֥יו תַּקְטִֽירוּ׃ | 12 |
क्या इसी हिज़क़ियाह ने उसके ऊँचे मक़ामों और मज़बहों को दूर करके, यहूदाह और येरूशलेम को हुक्म नहीं दिया कि तुम एक ही मज़बह के आगे सिज्दा करना और उसी पर ख़ुशबू जलाना?
הֲלֹ֣א תֵדְע֗וּ מֶ֤ה עָשִׂ֙יתִי֙ אֲנִ֣י וַאֲבוֹתַ֔י לְכֹ֖ל עַמֵּ֣י הָאֲרָצ֑וֹת הֲיָכ֣וֹל יָֽכְל֗וּ אֱלֹהֵי֙ גּוֹיֵ֣ הָאֲרָצ֔וֹת לְהַצִּ֥יל אֶת־אַרְצָ֖ם מִיָּדִֽי׃ | 13 |
क्या तुम नहीं जानते कि मैंने और मेरे बाप — दादा ने और मुल्कों के सब लोगों से क्या क्या किया है? क्या उन मुल्कों की क़ौमों के मा'बूद अपने मुल्क को किसी तरह से मेरे हाथ से बचा सके?
מִ֠י בְּֽכָל־אֱלֹהֵ֞י הַגּוֹיִ֤ם הָאֵ֙לֶּה֙ אֲשֶׁ֣ר הֶחֱרִ֣ימוּ אֲבוֹתַ֔י אֲשֶׁ֣ר יָכ֔וֹל לְהַצִּ֥יל אֶת־עַמּ֖וֹ מִיָּדִ֑י כִּ֤י יוּכַל֙ אֱלֹ֣הֵיכֶ֔ם לְהַצִּ֥יל אֶתְכֶ֖ם מִיָּדִֽי׃ | 14 |
जिन क़ौमों को मेरे बाप — दादा ने बिल्कुल हलाक कर डाला, उनके मा'बूदों में कौन ऐसा निकला जो अपने लोगों को मेरे हाथ से बचा सका कि तुम्हारा मा'बूद तुम को मेरे हाथ से बचा सकेगा?
וְעַתָּ֡ה אַל־יַשִּׁיא֩ אֶתְכֶ֨ם חִזְקִיָּ֜הוּ וְאַל־יַסִּ֨ית אֶתְכֶ֣ם כָּזֹאת֮ וְאַל־תַּאֲמִ֣ינוּ לוֹ֒ כִּי־לֹ֣א יוּכַ֗ל כָּל־אֱל֙וֹהַ֙ כָּל־גּ֣וֹי וּמַמְלָכָ֔ה לְהַצִּ֥יל עַמּ֛וֹ מִיָּדִ֖י וּמִיַּ֣ד אֲבוֹתָ֑י אַ֚ף כִּ֣י אֱֽלֹהֵיכֶ֔ם לֹא־יַצִּ֥ילוּ אֶתְכֶ֖ם מִיָּדִֽי׃ | 15 |
फिर हिज़क़ियाह तुम को फ़रेब न देने पाए और न इस तौर पर बहकाए और न तुम उसका यक़ीन करो; क्यूँकि किसी क़ौम या मुल्क का मा'बूद अपने लोगों को मेरे हाथ से और मेरे बाप — दादा के हाथ से बचा नहीं सका, तो कितना कम तुम्हारा मा'बूद तुम को मेरे हाथ से बचा सकेगा।
וְעוֹד֙ דִּבְּר֣וּ עֲבָדָ֔יו עַל־יְהוָ֖ה הָאֱלֹהִ֑ים וְעַ֖ל יְחִזְקִיָּ֥הוּ עַבְדּֽוֹ׃ | 16 |
उसके नौकरों ने ख़ुदावन्द ख़ुदा के ख़िलाफ़ और उसके बन्दे हिज़क़ियाह के ख़िलाफ़ बहुत सी और बातें कहीं।
וּסְפָרִ֣ים כָּתַ֔ב לְחָרֵ֕ף לַיהוָ֖ה אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל וְלֵֽאמֹ֨ר עָלָ֜יו לֵאמֹ֗ר כֵּֽאלֹהֵ֞י גּוֹיֵ֤ הָאֲרָצוֹת֙ אֲשֶׁ֨ר לֹא־הִצִּ֤ילוּ עַמָּם֙ מִיָּדִ֔י כֵּ֣ן לֹֽא־יַצִּ֞יל אֱלֹהֵ֧י יְחִזְקִיָּ֛הוּ עַמּ֖וֹ מִיָּדִֽי׃ | 17 |
और उसने ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा की बे'इज्ज़ती करने और उसके हक़ में कुफ़्र बकने के लिए, इस मज़मून के ख़त भी लिखे: “जैसे और मुल्कों की क़ौमों के मा'बूदों ने अपने लोगों को मेरे हाथ से नहीं बचाया है, वैसे ही हिज़क़ियाह का मा'बूद भी अपने लोगों को मेरे हाथ से नहीं बचा सकेगा।”
וַיִּקְרְא֨וּ בְקוֹל־גָּד֜וֹל יְהוּדִ֗ית עַל־עַ֤ם יְרוּשָׁלִַ֙ם֙ אֲשֶׁ֣ר עַל־הַֽחוֹמָ֔ה לְיָֽרְאָ֖ם וּֽלְבַהֲלָ֑ם לְמַ֖עַן יִלְכְּד֥וּ אֶת־הָעִֽיר׃ | 18 |
और उन्होंने बड़ी आवाज़ से पुकार कर यहूदियों की ज़बान में येरूशलेम के लोगों को जो दीवार पर थे यह बातें कह सुनाये ताकि उनको डराएँ और परेशान करें और शहर को ले लें।
וַֽיְדַבְּר֔וּ אֶל־אֱלֹהֵ֖י יְרוּשָׁלִָ֑ם כְּעַ֗ל אֱלֹהֵי֙ עַמֵּ֣י הָאָ֔רֶץ מַעֲשֵׂ֖ה יְדֵ֥י הָאָדָֽם׃ ס | 19 |
उन्होंने येरूशलेम के ख़ुदा का ज़िक्र ज़मीन की क़ौमों के मा'बूदों की तरह किया, जो आदमी के हाथ की कारीगरी हैं।
וַיִּתְפַּלֵּ֞ל יְחִזְקִיָּ֣הוּ הַמֶּ֗לֶךְ וִֽישַֽׁעְיָ֧הוּ בֶן־אָמ֛וֹץ הַנָּבִ֖יא עַל־זֹ֑את וַֽיִּזְעֲק֖וּ הַשָּׁמָֽיִם׃ פ | 20 |
इसी वजह से हिज़क़ियाह बादशाह और आमूस के बेटे यसायाह नबी ने दुआ की, और आसमान की तरफ़ चिल्लाए।
וַיִּשְׁלַ֤ח יְהוָה֙ מַלְאָ֔ךְ וַיַּכְחֵ֞ד כָּל־גִּבּ֥וֹר חַ֙יִל֙ וְנָגִ֣יד וְשָׂ֔ר בְּמַחֲנֵ֖ה מֶ֣לֶךְ אַשּׁ֑וּר וַיָּשָׁב֩ בְּבֹ֨שֶׁת פָּנִ֜ים לְאַרְצ֗וֹ וַיָּבֹא֙ בֵּ֣ית אֱלֹהָ֔יו וּמִֽיצִיאֵ֣י מֵעָ֔יו שָׁ֖ם הִפִּילֻ֥הוּ בֶחָֽרֶב׃ | 21 |
और ख़ुदावन्द ने एक फ़रिश्ते को भेजा, जिसने शाह — ए — असूर के लश्कर में सब ज़बरदत सूर्माओं और रहनुमाओं और सरदारों को हलाक कर डाला। फिर वह शर्मिन्दा होकर अपने मुल्क को लौटा; और जब वह अपने मा'बूद के इबादत खाना में गया तो उन ही ने जो उसके सुल्ब से निकले थे, उसे वहीं तलवार से क़त्ल किया।
וַיּוֹשַׁע֩ יְהוָ֨ה אֶת־יְחִזְקִיָּ֜הוּ וְאֵ֣ת ׀ יֹשְׁבֵ֣י יְרוּשָׁלִַ֗ם מִיַּ֛ד סַנְחֵרִ֥יב מֶֽלֶךְ־אַשּׁ֖וּר וּמִיַּד־כֹּ֑ל וַֽיְנַהֲלֵ֖ם מִסָּבִֽיב׃ | 22 |
यूँ ख़ुदावन्द ने हिज़क़ियाह को और येरूशलेम के बाशिन्दों को शाह — ए — असूर सनहेरिब के हाथ से और सभों के हाथ से बचाया और हर तरफ़ उनकी रहनुमाई की।
וְ֠רַבִּים מְבִיאִ֨ים מִנְחָ֤ה לַיהוָה֙ לִיר֣וּשָׁלִַ֔ם וּמִ֨גְדָּנ֔וֹת לִֽיחִזְקִיָּ֖הוּ מֶ֣לֶךְ יְהוּדָ֑ה וַיִּנַּשֵּׂ֛א לְעֵינֵ֥י כָל־הַגּוֹיִ֖ם מֵאַֽחֲרֵי־כֵֽן׃ ס | 23 |
और बहुत लोग येरूशलेम में ख़ुदावन्द के लिए हदिये और शाह — ए — यहूदाह हिज़क़ियाह के लिए क़ीमती चीजें लाए, यहाँ तक कि वह उस वक़्त से सब क़ौमों की नज़र में मुम्ताज़ हो गया।
בַּיָּמִ֣ים הָהֵ֔ם חָלָ֥ה יְחִזְקִיָּ֖הוּ עַד־לָמ֑וּת וַיִּתְפַּלֵּל֙ אֶל־יְהוָ֔ה וַיֹּ֣אמֶר ל֔וֹ וּמוֹפֵ֖ת נָ֥תַן לֽוֹ׃ | 24 |
उन दिनों में हिज़क़ियाह ऐसा बीमार पड़ा कि मरने के क़रीब हो गया, और उसने ख़ुदावन्द से दुआ की तब उसने उससे बातें कीं और उसे एक निशान दिया।
וְלֹא־כִגְמֻ֤ל עָלָיו֙ הֵשִׁ֣יב יְחִזְקִיָּ֔הוּ כִּ֥י גָבַ֖הּ לִבּ֑וֹ וַיְהִ֤י עָלָיו֙ קֶ֔צֶף וְעַל־יְהוּדָ֖ה וִירוּשָׁלִָֽם׃ | 25 |
लेकिन हिज़क़ियाह ने उस एहसान के लायक़ जो उस पर किया गया 'अमल न किया, क्यूँकि उसके दिल में घमण्ड समा गया; इसलिए उस पर, और यहूदाह और येरूशलेम पर क़हर भड़का।
וַיִּכָּנַ֤ע יְחִזְקִיָּ֙הוּ֙ בְּגֹ֣בַהּ לִבּ֔וֹ ה֖וּא וְיֹשְׁבֵ֣י יְרוּשָׁלִָ֑ם וְלֹא־בָ֤א עֲלֵיהֶם֙ קֶ֣צֶף יְהוָ֔ה בִּימֵ֖י יְחִזְקִיָּֽהוּ׃ | 26 |
तब हिज़क़ियाह और येरूशलेम के बाशिन्दों ने अपने दिल के ग़ुरूर के बदले ख़ाकसारी इख़्तियार की, इसलिए हिज़क़ियाह के दिनों में ख़ुदावन्द का क़हर उन पर नाज़िल न हुआ।
וַיְהִ֧י לִֽיחִזְקִיָּ֛הוּ עֹ֥שֶׁר וְכָב֖וֹד הַרְבֵּ֣ה מְאֹ֑ד וְאֹֽצָר֣וֹת עָֽשָׂה־ל֠וֹ לְכֶ֨סֶף וּלְזָהָ֜ב וּלְאֶ֣בֶן יְקָרָ֗ה וְלִבְשָׂמִים֙ וּלְמָ֣גִנִּ֔ים וּלְכֹ֖ל כְּלֵ֥י חֶמְדָּֽה׃ | 27 |
और हिज़क़ियाह की दौलत और 'इज़्ज़त बहुत फ़रावान थी और उसने चाँदी और सोने और जवाहर और मसाले और ढालों और सब तरह की क़ीमती चीज़ों के लिए ख़ज़ाने
וּמִ֨סְכְּנ֔וֹת לִתְבוּאַ֥ת דָּגָ֖ן וְתִיר֣וֹשׁ וְיִצְהָ֑ר וְאֻֽרָוֹת֙ לְכָל־בְּהֵמָ֣ה וּבְהֵמָ֔ה וַעֲדָרִ֖ים לָאֲוֵרֽוֹת׃ | 28 |
और अनाज और शराब और तेल के लिए अम्बारख़ाने, और सब क़िस्म के जानवरों के लिए थान, और भेड़ — बकरियों के लिए बाड़े बनाए।
וְעָרִים֙ עָ֣שָׂה ל֔וֹ וּמִקְנֵה־צֹ֥אן וּבָקָ֖ר לָרֹ֑ב כִּ֤י נָֽתַן־לוֹ֙ אֱלֹהִ֔ים רְכ֖וּשׁ רַ֥ב מְאֹֽד׃ | 29 |
इसके 'अलावा उसने अपने लिए शहर बसाए और भेड़ बकरियों और गाय — बैलों को कसरत से मुहय्या किया, क्यूँकि ख़ुदा ने उसे बहुत माल बख़्शा था।
וְה֣וּא יְחִזְקִיָּ֗הוּ סָתַם֙ אֶת־מוֹצָ֞א מֵימֵ֤י גִיחוֹן֙ הָֽעֶלְי֔וֹן וַֽיַּישְּׁרֵ֥ם לְמַֽטָּה־מַּעְרָ֖בָה לְעִ֣יר דָּוִ֑יד וַיַּצְלַ֥ח יְחִזְקִיָּ֖הוּ בְּכָֽל־מַעֲשֵֽׂהוּ׃ | 30 |
इसी हिज़क़ियाह ने जैहून के पानी के ऊपर के सोते को बंद कर दिया, और उसे दाऊद के शहर के मग़रिब की तरफ़ सीधा पहुँचाया, और हिज़क़ियाह अपने सारे काम में क़ामयाब हुआ।
וְכֵ֞ן בִּמְלִיצֵ֣י ׀ שָׂרֵ֣י בָּבֶ֗ל הַֽמְשַׁלְּחִ֤ים עָלָיו֙ לִדְרֹ֗שׁ הַמּוֹפֵת֙ אֲשֶׁ֣ר הָיָ֣ה בָאָ֔רֶץ עֲזָב֖וֹ הָֽאֱלֹהִ֑ים לְנַ֨סּוֹת֔וֹ לָדַ֖עַת כָּל־בִּלְבָבֽוֹ׃ | 31 |
तो भी बाबुल के हाकिमों के मु'आमिले में, जिन्होंने अपने क़ासिद उसके पास भेजे ताकि उस मोजिज़ा का हाल जो उस मुल्क में किया गया था दरियाफ़्त करें; ख़ुदा ने उसे आज़माने के लिए छोड़ दिया, ताकि मा'लूम करे के उसके दिल में क्या है।
וְיֶ֛תֶר דִּבְרֵ֥י יְחִזְקִיָּ֖הוּ וַחֲסָדָ֑יו הִנָּ֣ם כְּתוּבִ֗ים בַּחֲז֞וֹן יְשַֽׁעְיָ֤הוּ בֶן־אָמוֹץ֙ הַנָּבִ֔יא עַל־סֵ֥פֶר מַלְכֵי־יְהוּדָ֖ה וְיִשְׂרָאֵֽל׃ | 32 |
और हिज़क़ियाह के बाक़ी काम और उसके नेक आ'माल आमूस के बेटे यसायाह नबी की ख़्वाब में और यहूदाह और इस्राईल के बादशाहों की किताब में लिखा है।
וַיִּשְׁכַּ֨ב יְחִזְקִיָּ֜הוּ עִם־אֲבֹתָ֗יו וַֽיִּקְבְּרֻהוּ֮ בְּֽמַעֲלֵה֮ קִבְרֵ֣י בְנֵי־דָוִיד֒ וְכָבוֹד֙ עָֽשׂוּ־ל֣וֹ בְמוֹת֔וֹ כָּל־יְהוּדָ֖ה וְיֹשְׁבֵ֣י יְרוּשָׁלִָ֑ם וַיִּמְלֹ֛ךְ מְנַשֶּׁ֥ה בְנ֖וֹ תַּחְתָּֽיו׃ פ | 33 |
और हिज़क़ियाह अपने बाप — दादा के साथ सो गया, और उन्होंने उसे बनी दाऊद की क़ब्रों की चढ़ाई पर दफ़्न किया, और सारे यहूदाह और येरूशलेम के सब बाशिन्दों ने उसकी मौत पर उसकी ताज़ीम की; और उसका बेटा मनस्सी उसकी जगह बादशाह हुआ।