< 1 שְׁמוּאֵל 7 >
וַיָּבֹ֜אוּ אַנְשֵׁ֣י ׀ קִרְיַ֣ת יְעָרִ֗ים וַֽיַּעֲלוּ֙ אֶת־אֲר֣וֹן יְהוָ֔ה וַיָּבִ֣אוּ אֹת֔וֹ אֶל־בֵּ֥ית אֲבִינָדָ֖ב בַּגִּבְעָ֑ה וְאֶת־אֶלְעָזָ֤ר בְּנוֹ֙ קִדְּשׁ֔וּ לִשְׁמֹ֖ר אֶת־אֲר֥וֹן יְהוָֽה׃ פ | 1 |
तब क़रयत या'रीम के लोग आए और ख़ुदावन्द के संदूक़ को लेकर अबीनदाब के घर में जो टीले पर है, लाए, और उसके बेटे एलियाज़र को पाक किया कि वह ख़ुदावन्द के संदूक़ की निगरानी करे।
וַיְהִ֗י מִיּ֞וֹם שֶׁ֤בֶת הָֽאָרוֹן֙ בְּקִרְיַ֣ת יְעָרִ֔ים וַיִּרְבּוּ֙ הַיָּמִ֔ים וַיִּֽהְי֖וּ עֶשְׂרִ֣ים שָׁנָ֑ה וַיִּנָּה֛וּ כָּל־בֵּ֥ית יִשְׂרָאֵ֖ל אַחֲרֵ֥י יְהוָֽה׃ ס | 2 |
और जिस दिन से संदूक़ क़रयत या'रीम में रहा, तब से एक मुद्दत हो गई, या'नी बीस बरस गुज़रे और इस्राईल का सारा घराना ख़ुदावन्द के पीछे नौहा करता रहा।
וַיֹּ֣אמֶר שְׁמוּאֵ֗ל אֶל־כָּל־בֵּ֣ית יִשְׂרָאֵל֮ לֵאמֹר֒ אִם־בְּכָל־לְבַבְכֶ֗ם אַתֶּ֤ם שָׁבִים֙ אֶל־יְהוָ֔ה הָסִ֜ירוּ אֶת־אֱלֹהֵ֧י הַנֵּכָ֛ר מִתּוֹכְכֶ֖ם וְהָעַשְׁתָּר֑וֹת וְהָכִ֨ינוּ לְבַבְכֶ֤ם אֶל־יְהוָה֙ וְעִבְדֻ֣הוּ לְבַדּ֔וֹ וְיַצֵּ֥ל אֶתְכֶ֖ם מִיַּ֥ד פְּלִשְׁתִּֽים׃ | 3 |
और समुएल ने इस्राईल के सारे घराने से कहा कि “अगर तुम अपने सारे दिल से ख़ुदावन्द की तरफ़ फिरते हो तो ग़ैर मा'बूदों और 'इस्तारात को अपने बीच से दूर करो और ख़ुदावन्द के लिए अपने दिलों को मुसत'इद करके सिर्फ़ उसकी इबादत करो, और वह फ़िलिस्तियों के हाथ से तुमको रिहाई देगा।”
וַיָּסִ֙ירוּ֙ בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל אֶת־הַבְּעָלִ֖ים וְאֶת־הָעַשְׁתָּרֹ֑ת וַיַּעַבְד֥וּ אֶת־יְהוָ֖ה לְבַדּֽוֹ׃ פ | 4 |
तब बनी इस्राईल ने बा'लीम और 'इस्तारात को दूर किया, और सिर्फ़ ख़ुदावन्द की इबादत करने लगे।
וַיֹּ֣אמֶר שְׁמוּאֵ֔ל קִבְצ֥וּ אֶת־כָּל־יִשְׂרָאֵ֖ל הַמִּצְפָּ֑תָה וְאֶתְפַּלֵּ֥ל בַּעַדְכֶ֖ם אֶל־יְהוָֽה׃ | 5 |
फिर समुएल ने कहा कि “सब इस्राईल को मिस्फ़ाह में जमा' करो, और मैं तुम्हारे लिए ख़ुदावन्द से दुआ करूंगा।”
וַיִּקָּבְצ֣וּ הַ֠מִּצְפָּתָה וַיִּֽשְׁאֲבוּ־מַ֜יִם וַֽיִּשְׁפְּכ֣וּ ׀ לִפְנֵ֣י יְהוָ֗ה וַיָּצ֙וּמוּ֙ בַּיּ֣וֹם הַה֔וּא וַיֹּ֣אמְרוּ שָׁ֔ם חָטָ֖אנוּ לַיהוָ֑ה וַיִּשְׁפֹּ֧ט שְׁמוּאֵ֛ל אֶת־בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵ֖ל בַּמִּצְפָּֽה׃ | 6 |
तब वह सब मिस्फ़ाह में इकठ्ठा हुए और पानी भर कर ख़ुदावन्द के आगे उँडेला, और उस दिन रोज़ा रख्खा और वहाँ कहने लगे, कि “हमने ख़ुदावन्द का गुनाह किया है।” और समुएल मिस्फ़ाह में बनी इस्राईल की 'अदालत करता था।
וַיִּשְׁמְע֣וּ פְלִשְׁתִּ֗ים כִּֽי־הִתְקַבְּצ֤וּ בְנֵֽי־יִשְׂרָאֵל֙ הַמִּצְפָּ֔תָה וַיַּעֲל֥וּ סַרְנֵֽי־פְלִשְׁתִּ֖ים אֶל־יִשְׂרָאֵ֑ל וַֽיִּשְׁמְעוּ֙ בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל וַיִּֽרְא֖וּ מִפְּנֵ֥י פְלִשְׁתִּֽים׃ | 7 |
और जब फ़िलिस्तियों ने सुना कि बनी इस्राईल मिस्फ़ाह में इकट्ठे हुए हैं, तो उनके सरदारों ने बनी इस्राईल पर हमला किया, और जब बनी — इस्राईल ने यह सुना तो वह फ़िलिस्तियों से डरे।
וַיֹּאמְר֤וּ בְנֵֽי־יִשְׂרָאֵל֙ אֶל־שְׁמוּאֵ֔ל אַל־תַּחֲרֵ֣שׁ מִמֶּ֔נּוּ מִזְּעֹ֖ק אֶל־יְהוָ֣ה אֱלֹהֵ֑ינוּ וְיֹשִׁעֵ֖נוּ מִיַּ֥ד פְּלִשְׁתִּֽים׃ | 8 |
और बनी — इस्राईल ने समुएल से कहा, “ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा के सामने हमारे लिए फ़रियाद करना न छोड़, ताकि वह हमको फ़िलिस्तियों के हाथ से बचाए।”
וַיִּקַּ֣ח שְׁמוּאֵ֗ל טְלֵ֤ה חָלָב֙ אֶחָ֔ד וַיַּעֲלֵ֧הוּ עוֹלָ֛ה כָּלִ֖יל לַֽיהוָ֑ה וַיִּזְעַ֨ק שְׁמוּאֵ֤ל אֶל־יְהוָה֙ בְּעַ֣ד יִשְׂרָאֵ֔ל וַֽיַּעֲנֵ֖הוּ יְהוָֽה׃ | 9 |
और समुएल ने एक दूध पीता बर्रा लिया और उसे पूरी सोख़्तनी क़ुर्बानी के तौर पर ख़ुदावन्द के सामने पेश किया, और समुएल बनी — इस्राईल के लिए ख़ुदावन्द के सामने फ़रियाद करता रहा और ख़ुदावन्द ने उस की सुनी।
וַיְהִ֤י שְׁמוּאֵל֙ מַעֲלֶ֣ה הָעוֹלָ֔ה וּפְלִשְׁתִּ֣ים נִגְּשׁ֔וּ לַמִּלְחָמָ֖ה בְּיִשְׂרָאֵ֑ל וַיַּרְעֵ֣ם יְהוָ֣ה ׀ בְּקוֹל־גָּ֠דוֹל בַּיּ֨וֹם הַה֤וּא עַל־פְּלִשְׁתִּים֙ וַיְהֻמֵּ֔ם וַיִּנָּגְפ֖וּ לִפְנֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ | 10 |
और जिस वक़्त समुएल उस सोख़्तनी क़ुर्बानी को अदा कर रहा था उस वक़्त फ़िलिस्ती इस्राईलियों से जंग करने को नज़दीक आए, लेकिन ख़ुदावन्द फ़िलिस्तियों के उपर उसी दिन बड़ी कड़क के साथ गरजा और उनको घबरा दिया; और उन्होंने इस्रालियों के आगे शिकस्त खाई।
וַיֵּ֨צְא֜וּ אַנְשֵׁ֤י יִשְׂרָאֵל֙ מִן־הַמִּצְפָּ֔ה וַֽיִּרְדְּפ֖וּ אֶת־פְּלִשְׁתִּ֑ים וַיַּכּ֕וּם עַד־מִתַּ֖חַת לְבֵ֥ית כָּֽר׃ | 11 |
और इस्राईल के लोगों ने मिस्फ़ाह से निकल कर फ़िलिस्तियों को दौड़ाया, और बैतकर्र के नीचे तक उन्हें मारते चले गए।
וַיִּקַּ֨ח שְׁמוּאֵ֜ל אֶ֣בֶן אַחַ֗ת וַיָּ֤שֶׂם בֵּֽין־הַמִּצְפָּה֙ וּבֵ֣ין הַשֵּׁ֔ן וַיִּקְרָ֥א אֶת־שְׁמָ֖הּ אֶ֣בֶן הָעָ֑זֶר וַיֹּאמַ֕ר עַד־הֵ֖נָּה עֲזָרָ֥נוּ יְהוָֽה׃ | 12 |
तब समुएल ने एक पत्थर ले कर उसे मिस्फ़ाह और शेन के बीच में खड़ा किया, और उसका नाम इबन-'अज़र यह कहकर रख्खा, “कि यहाँ तक ख़ुदावन्द ने हमारी मदद की।”
וַיִּכָּֽנְעוּ֙ הַפְּלִשְׁתִּ֔ים וְלֹא־יָסְפ֣וּ ע֔וֹד לָב֖וֹא בִּגְב֣וּל יִשְׂרָאֵ֑ל וַתְּהִ֤י יַד־יְהוָה֙ בַּפְּלִשְׁתִּ֔ים כֹּ֖ל יְמֵ֥י שְׁמוּאֵֽל׃ | 13 |
इस लिए फ़िलिस्ती मग़लूब हुए और इस्राईल की सरहद में फिर न आए, और समुएल की ज़िन्दगी भर ख़ुदावन्द का हाथ फ़िलिस्तियों के ख़िलाफ़ रहा।
וַתָּשֹׁ֣בְנָה הֶעָרִ֡ים אֲשֶׁ֣ר לָֽקְחוּ־פְלִשְׁתִּים֩ מֵאֵ֨ת יִשְׂרָאֵ֤ל ׀ לְיִשְׂרָאֵל֙ מֵעֶקְר֣וֹן וְעַד־גַּ֔ת וְאֶ֨ת־גְּבוּלָ֔ן הִצִּ֥יל יִשְׂרָאֵ֖ל מִיַּ֣ד פְּלִשְׁתִּ֑ים וַיְהִ֣י שָׁל֔וֹם בֵּ֥ין יִשְׂרָאֵ֖ל וּבֵ֥ין הָאֱמֹרִֽי׃ | 14 |
और अक़रून से जात तक के शहर जिनको फ़िलिस्तियों ने इस्राईलियों से ले लिया था, वह फिर इस्रालियों के क़ब्ज़े में आए; और इस्राईलियों ने उनकी 'इलाक़ा भी फ़िलिस्तियों के हाथ से छुड़ा लिया और इस्राईलियों और अमोरियों में सुलह थी।
וַיִּשְׁפֹּ֤ט שְׁמוּאֵל֙ אֶת־יִשְׂרָאֵ֔ל כֹּ֖ל יְמֵ֥י חַיָּֽיו׃ | 15 |
और समुएल अपनी ज़िन्दगी भर इस्राईलियों की 'अदालत करता रहा।
וְהָלַ֗ךְ מִדֵּ֤י שָׁנָה֙ בְּשָׁנָ֔ה וְסָבַב֙ בֵּֽית־אֵ֔ל וְהַגִּלְגָּ֖ל וְהַמִּצְפָּ֑ה וְשָׁפַט֙ אֶת־יִשְׂרָאֵ֔ל אֵ֥ת כָּל־הַמְּקוֹמ֖וֹת הָאֵֽלֶּה׃ | 16 |
और वह हर साल बैतएल और जिल्जाल और मिस्फ़ाह में दौरा करता, और उन सब मक़ामों में बनी — इस्राईल की 'अदालत करता था।
וּתְשֻׁבָת֤וֹ הָרָמָ֙תָה֙ כִּֽי־שָׁ֣ם בֵּית֔וֹ וְשָׁ֖ם שָׁפָ֣ט אֶת־יִשְׂרָאֵ֑ל וַיִּֽבֶן־שָׁ֥ם מִזְבֵּ֖חַ לַֽיהוָֽה׃ פ | 17 |
फिर वह रामा को लौट आता क्यूँकि वहाँ उसका घर था, और वहाँ इस्राईल की 'अदालत करता था, और वहीं उसने ख़ुदावन्द के लिए एक मज़बह बनाया।