< 1 שְׁמוּאֵל 14 >

וַיְהִ֣י הַיּ֗וֹם וַיֹּ֨אמֶר יוֹנָתָ֤ן בֶּן־שָׁאוּל֙ אֶל־הַנַּ֙עַר֙ נֹשֵׂ֣א כֵלָ֔יו לְכָ֗ה וְנַעְבְּרָה֙ אֶל־מַצַּ֣ב פְּלִשְׁתִּ֔ים אֲשֶׁ֖ר מֵעֵ֣בֶר הַלָּ֑ז וּלְאָבִ֖יו לֹ֥א הִגִּֽיד׃ 1
एक दिन शाऊल के पुत्र योनातान ने अपने पिता से बिना कुछ कहे अपने हथियार ढोनेवाले जवान से कहा, “आ, हम उधर पलिश्तियों की चौकी के पास चलें।”
וְשָׁא֗וּל יוֹשֵׁב֙ בִּקְצֵ֣ה הַגִּבְעָ֔ה תַּ֥חַת הָרִמּ֖וֹן אֲשֶׁ֣ר בְּמִגְר֑וֹן וְהָעָם֙ אֲשֶׁ֣ר עִמּ֔וֹ כְּשֵׁ֥שׁ מֵא֖וֹת אִֽישׁ׃ 2
शाऊल तो गिबा की सीमा पर मिग्रोन में अनार के पेड़ के तले टिका हुआ था, और उसके संग के लोग कोई छः सौ थे;
וַאֲחִיָּ֣ה בֶן־אֲחִט֡וּב אֲחִ֡י אִיכָב֣וֹד ׀ בֶּן־פִּינְחָ֨ס בֶּן־עֵלִ֜י כֹּהֵ֧ן ׀ יְהוָ֛ה בְּשִׁל֖וֹ נֹשֵׂ֣א אֵפ֑וֹד וְהָעָם֙ לֹ֣א יָדַ֔ע כִּ֥י הָלַ֖ךְ יוֹנָתָֽן׃ 3
और एली जो शीलो में यहोवा का याजक था, उसके पुत्र पीनहास का पोता, और ईकाबोद के भाई, अहीतूब का पुत्र अहिय्याह भी एपोद पहने हुए संग था। परन्तु उन लोगों को मालूम न था कि योनातान चला गया है।
וּבֵ֣ין הַֽמַּעְבְּר֗וֹת אֲשֶׁ֨ר בִּקֵּ֤שׁ יֽוֹנָתָן֙ לַֽעֲבֹר֙ עַל־מַצַּ֣ב פְּלִשְׁתִּ֔ים שֵׁן־הַסֶּ֤לַע מֵהָעֵ֙בֶר֙ מִזֶּ֔ה וְשֵׁן־הַסֶּ֥לַע מֵהָעֵ֖בֶר מִזֶּ֑ה וְשֵׁ֤ם הָֽאֶחָד֙ בּוֹצֵ֔ץ וְשֵׁ֥ם הָאֶחָ֖ד סֶֽנֶּה׃ 4
उन घाटियों के बीच में, जिनसे होकर योनातान पलिश्तियों की चौकी को जाना चाहता था, दोनों ओर एक-एक नोकीली चट्टान थी; एक चट्टान का नाम बोसेस, और दूसरी का नाम सेने था।
הַשֵּׁ֧ן הָאֶחָ֛ד מָצ֥וּק מִצָּפ֖וֹן מ֣וּל מִכְמָ֑שׂ וְהָאֶחָ֥ד מִנֶּ֖גֶב מ֥וּל גָּֽבַע׃ ס 5
एक चट्टान तो उत्तर की ओर मिकमाश के सामने, और दूसरी दक्षिण की ओर गेबा के सामने खड़ी थी।
וַיֹּ֨אמֶר יְהוֹנָתָ֜ן אֶל־הַנַּ֣עַר ׀ נֹשֵׂ֣א כֵלָ֗יו לְכָה֙ וְנַעְבְּרָ֗ה אֶל־מַצַּב֙ הָעֲרֵלִ֣ים הָאֵ֔לֶּה אוּלַ֛י יַעֲשֶׂ֥ה יְהוָ֖ה לָ֑נוּ כִּ֣י אֵ֤ין לַֽיהוָה֙ מַעְצ֔וֹר לְהוֹשִׁ֥יעַ בְּרַ֖ב א֥וֹ בִמְעָֽט׃ 6
तब योनातान ने अपने हथियार ढोनेवाले जवान से कहा, “आ, हम उन खतनारहित लोगों की चौकी के पास जाएँ; क्या जाने यहोवा हमारी सहायता करे; क्योंकि यहोवा को कोई रुकावट नहीं, कि चाहे तो बहुत लोगों के द्वारा, चाहे थोड़े लोगों के द्वारा छुटकारा दे।”
וַיֹּ֤אמֶר לוֹ֙ נֹשֵׂ֣א כֵלָ֔יו עֲשֵׂ֖ה כָּל־אֲשֶׁ֣ר בִּלְבָבֶ֑ךָ נְטֵ֣ה לָ֔ךְ הִנְנִ֥י עִמְּךָ֖ כִּלְבָבֶֽךָ׃ ס 7
उसके हथियार ढोनेवाले ने उससे कहा, “जो कुछ तेरे मन में हो वही कर; उधर चल, मैं तेरी इच्छा के अनुसार तेरे संग रहूँगा।”
וַיֹּ֙אמֶר֙ יְה֣וֹנָתָ֔ן הִנֵּ֛ה אֲנַ֥חְנוּ עֹבְרִ֖ים אֶל־הָאֲנָשִׁ֑ים וְנִגְלִ֖ינוּ אֲלֵיהֶֽם׃ 8
योनातान ने कहा, “सुन, हम उन मनुष्यों के पास जाकर अपने को उन्हें दिखाएँ।
אִם־כֹּ֤ה יֹֽאמְרוּ֙ אֵלֵ֔ינוּ דֹּ֕מּוּ עַד־הַגִּיעֵ֖נוּ אֲלֵיכֶ֑ם וְעָמַ֣דְנוּ תַחְתֵּ֔ינוּ וְלֹ֥א נַעֲלֶ֖ה אֲלֵיהֶֽם׃ 9
यदि वे हम से यह कहें, ‘हमारे आने तक ठहरे रहो,’ तब तो हम उसी स्थान पर खड़े रहें, और उनके पास न चढ़ें।
וְאִם־כֹּ֨ה יֹאמְר֜וּ עֲל֤וּ עָלֵ֙ינוּ֙ וְעָלִ֔ינוּ כִּֽי־נְתָנָ֥ם יְהוָ֖ה בְּיָדֵ֑נוּ וְזֶה־לָּ֖נוּ הָאֽוֹת׃ 10
१०परन्तु यदि वे यह कहें, ‘हमारे पास चढ़ आओ,’ तो हम यह जानकर चढ़ें, कि यहोवा उन्हें हमारे हाथ में कर देगा। हमारे लिये यही चिन्ह हो।”
וַיִּגָּל֣וּ שְׁנֵיהֶ֔ם אֶל־מַצַּ֖ב פְּלִשְׁתִּ֑ים וַיֹּאמְר֣וּ פְלִשְׁתִּ֔ים הִנֵּ֤ה עִבְרִים֙ יֹֽצְאִ֔ים מִן־הַחֹרִ֖ים אֲשֶׁ֥ר הִתְחַבְּאוּ־שָֽׁם׃ 11
११तब उन दोनों ने अपने को पलिश्तियों की चौकी पर प्रगट किया, तब पलिश्ती कहने लगे, “देखो, इब्री लोग उन बिलों में से जहाँ वे छिपे थे निकले आते हैं।”
וַיַּעֲנוּ֩ אַנְשֵׁ֨י הַמַּצָּבָ֜ה אֶת־יוֹנָתָ֣ן ׀ וְאֶת־נֹשֵׂ֣א כֵלָ֗יו וַיֹּֽאמְרוּ֙ עֲל֣וּ אֵלֵ֔ינוּ וְנוֹדִ֥יעָה אֶתְכֶ֖ם דָּבָ֑ר פ וַיֹּ֨אמֶר יוֹנָתָ֜ן אֶל־נֹשֵׂ֤א כֵלָיו֙ עֲלֵ֣ה אַחֲרַ֔י כִּֽי־נְתָנָ֥ם יְהוָ֖ה בְּיַ֥ד יִשְׂרָאֵֽל׃ 12
१२फिर चौकी के लोगों ने योनातान और उसके हथियार ढोनेवाले से पुकारके कहा, “हमारे पास चढ़ आओ, तब हम तुम को कुछ सिखाएँगे।” तब योनातान ने अपने हथियार ढोनेवाले से कहा, “मेरे पीछे-पीछे चढ़ आ; क्योंकि यहोवा उन्हें इस्राएलियों के हाथ में कर देगा।”
וַיַּ֣עַל יוֹנָתָ֗ן עַל־יָדָיו֙ וְעַל־רַגְלָ֔יו וְנֹשֵׂ֥א כֵלָ֖יו אַחֲרָ֑יו וַֽיִּפְּלוּ֙ לִפְנֵ֣י יוֹנָתָ֔ן וְנֹשֵׂ֥א כֵלָ֖יו מְמוֹתֵ֥ת אַחֲרָֽיו׃ 13
१३और योनातान अपने हाथों और पाँवों के बल चढ़ गया, और उसका हथियार ढोनेवाला भी उसके पीछे-पीछे चढ़ गया। पलिश्ती योनातान के सामने गिरते गए, और उसका हथियार ढोनेवाला उसके पीछे-पीछे उन्हें मारता गया।
וַתְּהִ֞י הַמַּכָּ֣ה הָרִאשֹׁנָ֗ה אֲשֶׁ֨ר הִכָּ֧ה יוֹנָתָ֛ן וְנֹשֵׂ֥א כֵלָ֖יו כְּעֶשְׂרִ֣ים אִ֑ישׁ כְּבַחֲצִ֥י מַעֲנָ֖ה צֶ֥מֶד שָׂדֶֽה׃ 14
१४यह पहला संहार जो योनातान और उसके हथियार ढोनेवाले से हुआ, उसमें आधे बीघे भूमि में बीस एक पुरुष मारे गए।
וַתְּהִי֩ חֲרָדָ֨ה בַמַּחֲנֶ֤ה בַשָּׂדֶה֙ וּבְכָל־הָעָ֔ם הַמַּצָּב֙ וְהַמַּשְׁחִ֔ית חָרְד֖וּ גַּם־הֵ֑מָּה וַתִּרְגַּ֣ז הָאָ֔רֶץ וַתְּהִ֖י לְחֶרְדַּ֥ת אֱלֹהִֽים׃ 15
१५और छावनी में, और मैदान पर, और उन सब लोगों में थरथराहट हुई; और चौकीवाले और आक्रमण करनेवाले भी थरथराने लगे; और भूकम्प भी हुआ; और अत्यन्त बड़ी थरथराहट हुई।
וַיִּרְא֤וּ הַצֹּפִים֙ לְשָׁא֔וּל בְּגִבְעַ֖ת בִּנְיָמִ֑ן וְהִנֵּ֧ה הֶהָמ֛וֹן נָמ֖וֹג וַיֵּ֥לֶךְ וַהֲלֹֽם׃ פ 16
१६बिन्यामीन के गिबा में शाऊल के पहरुओं ने दृष्टि करके देखा कि वह भीड़ घटती जा रही है, और वे लोग इधर-उधर चले जा रहे हैं।
וַיֹּ֣אמֶר שָׁא֗וּל לָעָם֙ אֲשֶׁ֣ר אִתּ֔וֹ פִּקְדוּ־נָ֣א וּרְא֔וּ מִ֖י הָלַ֣ךְ מֵעִמָּ֑נוּ וַֽיִּפְקְד֔וּ וְהִנֵּ֛ה אֵ֥ין יוֹנָתָ֖ן וְנֹשֵׂ֥א כֵלָֽיו׃ 17
१७तब शाऊल ने अपने साथ के लोगों से कहा, “अपनी गिनती करके देखो कि हमारे पास से कौन चला गया है।” उन्होंने गिनकर देखा, कि योनातान और उसका हथियार ढोनेवाला यहाँ नहीं हैं।
וַיֹּ֤אמֶר שָׁאוּל֙ לַֽאֲחִיָּ֔ה הַגִּ֖ישָׁה אֲר֣וֹן הָאֱלֹהִ֑ים כִּֽי־הָיָ֞ה אֲר֧וֹן הָאֱלֹהִ֛ים בַּיּ֥וֹם הַה֖וּא וּבְנֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ 18
१८तब शाऊल ने अहिय्याह से कहा, “परमेश्वर का सन्दूक इधर ला।” उस समय तो परमेश्वर का सन्दूक इस्राएलियों के साथ था।
וַיְהִ֗י עַ֣ד דִּבֶּ֤ר שָׁאוּל֙ אֶל־הַכֹּהֵ֔ן וְהֶהָמ֗וֹן אֲשֶׁר֙ בְּמַחֲנֵ֣ה פְלִשְׁתִּ֔ים וַיֵּ֥לֶךְ הָל֖וֹךְ וָרָ֑ב פ וַיֹּ֧אמֶר שָׁא֛וּל אֶל־הַכֹּהֵ֖ן אֱסֹ֥ף יָדֶֽךָ׃ 19
१९शाऊल याजक से बातें कर रहा था, कि पलिश्तियों की छावनी में हुल्लड़ अधिक बढ़ गया; तब शाऊल ने याजक से कहा, “अपना हाथ खींच ले।”
וַיִּזָּעֵ֣ק שָׁא֗וּל וְכָל־הָעָם֙ אֲשֶׁ֣ר אִתּ֔וֹ וַיָּבֹ֖אוּ עַד־הַמִּלְחָמָ֑ה וְהִנֵּ֨ה הָיְתָ֜ה חֶ֤רֶב אִישׁ֙ בְּרֵעֵ֔הוּ מְהוּמָ֖ה גְּדוֹלָ֥ה מְאֹֽד׃ 20
२०तब शाऊल और उसके संग के सब लोग इकट्ठे होकर लड़ाई में गए; वहाँ उन्होंने क्या देखा, कि एक-एक पुरुष की तलवार अपने-अपने साथी पर चल रही है, और बहुत बड़ा कोलाहल मच रहा है।
וְהָעִבְרִ֗ים הָי֤וּ לַפְּלִשְׁתִּים֙ כְּאֶתְמ֣וֹל שִׁלְשׁ֔וֹם אֲשֶׁ֨ר עָל֥וּ עִמָּ֛ם בַּֽמַּחֲנֶ֖ה סָבִ֑יב וְגַם־הֵ֗מָּה לִֽהְיוֹת֙ עִם־יִשְׂרָאֵ֔ל אֲשֶׁ֥ר עִם־שָׁא֖וּל וְיוֹנָתָֽן׃ 21
२१जो इब्री पहले पलिश्तियों की ओर थे, और उनके साथ चारों ओर से छावनी में गए थे, वे भी शाऊल और योनातान के संग के इस्राएलियों में मिल गए।
וְכֹל֩ אִ֨ישׁ יִשְׂרָאֵ֜ל הַמִּֽתְחַבְּאִ֤ים בְּהַר־אֶפְרַ֙יִם֙ שָֽׁמְע֔וּ כִּֽי־נָ֖סוּ פְּלִשְׁתִּ֑ים וַֽיַּדְבְּק֥וּ גַם־הֵ֛מָּה אַחֲרֵיהֶ֖ם בַּמִּלְחָמָֽה׃ 22
२२इसी प्रकार जितने इस्राएली पुरुष एप्रैम के पहाड़ी देश में छिप गए थे, वे भी यह सुनकर कि पलिश्ती भागे जाते हैं, लड़ाई में आकर उनका पीछा करने में लग गए।
וַיּ֧וֹשַׁע יְהוָ֛ה בַּיּ֥וֹם הַה֖וּא אֶת־יִשְׂרָאֵ֑ל וְהַ֨מִּלְחָמָ֔ה עָבְרָ֖ה אֶת־בֵּ֥ית אָֽוֶן׃ 23
२३तब यहोवा ने उस दिन इस्राएलियों को छुटकारा दिया; और लड़नेवाले बेतावेन की परली ओर तक चले गए।
וְאִֽישׁ־יִשְׂרָאֵ֥ל נִגַּ֖שׂ בַּיּ֣וֹם הַה֑וּא וַיֹּאֶל֩ שָׁא֨וּל אֶת־הָעָ֜ם לֵאמֹ֗ר אָר֣וּר הָ֠אִישׁ אֲשֶׁר־יֹ֨אכַל לֶ֜חֶם עַד־הָעֶ֗רֶב וְנִקַּמְתִּי֙ מֵאֹ֣יְבַ֔י וְלֹֽא טָעַ֥ם כָּל־הָעָ֖ם לָֽחֶם׃ ס 24
२४परन्तु इस्राएली पुरुष उस दिन तंग हुए, क्योंकि शाऊल ने उन लोगों को शपथ धराकर कहा, “श्रापित हो वह, जो साँझ से पहले कुछ खाए; इसी रीति मैं अपने शत्रुओं से बदला ले सकूँगा।” अतः उन लोगों में से किसी ने कुछ भी भोजन न किया।
וְכָל־הָאָ֖רֶץ בָּ֣אוּ בַיָּ֑עַר וַיְהִ֥י דְבַ֖שׁ עַל־פְּנֵ֥י הַשָּׂדֶֽה׃ 25
२५और सब लोग किसी वन में पहुँचे, जहाँ भूमि पर मधु पड़ा हुआ था।
וַיָּבֹ֤א הָעָם֙ אֶל־הַיַּ֔עַר וְהִנֵּ֖ה הֵ֣לֶךְ דְּבָ֑שׁ וְאֵין־מַשִּׂ֤יג יָדוֹ֙ אֶל־פִּ֔יו כִּֽי־יָרֵ֥א הָעָ֖ם אֶת־הַשְּׁבֻעָֽה׃ 26
२६जब लोग वन में आए तब क्या देखा, कि मधु टपक रहा है, तो भी शपथ के डर के मारे कोई अपना हाथ अपने मुँह तक न ले गया।
וְיוֹנָתָ֣ן לֹֽא־שָׁמַ֗ע בְּהַשְׁבִּ֣יעַ אָבִיו֮ אֶת־הָעָם֒ וַיִּשְׁלַ֗ח אֶת־קְצֵ֤ה הַמַּטֶּה֙ אֲשֶׁ֣ר בְּיָד֔וֹ וַיִּטְבֹּ֥ל אוֹתָ֖הּ בְּיַעְרַ֣ת הַדְּבָ֑שׁ וַיָּ֤שֶׁב יָדוֹ֙ אֶל־פִּ֔יו וַתָּאֹ֖רְנָה עֵינָֽיו׃ 27
२७परन्तु योनातान ने अपने पिता को लोगों को शपथ धराते न सुना था, इसलिए उसने अपने हाथ की छड़ी की नोक बढ़ाकर मधु के छत्ते में डुबाया, और अपना हाथ अपने मुँह तक ले गया; तब उसकी आँखों में ज्योति आई।
וַיַּעַן֩ אִ֨ישׁ מֵֽהָעָ֜ם וַיֹּ֗אמֶר הַשְׁבֵּעַ֩ הִשְׁבִּ֨יעַ אָבִ֤יךָ אֶת־הָעָם֙ לֵאמֹ֔ר אָר֥וּר הָאִ֛ישׁ אֲשֶׁר־יֹ֥אכַל לֶ֖חֶם הַיּ֑וֹם וַיָּ֖עַף הָעָֽם׃ 28
२८तब लोगों में से एक मनुष्य ने कहा, “तेरे पिता ने लोगों को कड़ी शपथ धरा के कहा है, ‘श्रापित हो वह, जो आज कुछ खाए।’” और लोग थके-माँदे थे।
וַיֹּ֙אמֶר֙ יֽוֹנָתָ֔ן עָכַ֥ר אָבִ֖י אֶת־הָאָ֑רֶץ רְאוּ־נָא֙ כִּֽי־אֹ֣רוּ עֵינַ֔י כִּ֣י טָעַ֔מְתִּי מְעַ֖ט דְּבַ֥שׁ הַזֶּֽה׃ 29
२९योनातान ने कहा, “मेरे पिता ने लोगों को कष्ट दिया है; देखो, मैंने इस मधु को थोड़ा सा चखा, और मेरी आँखें कैसी चमक उठी हैं।
אַ֗ף כִּ֡י לוּא֩ אָכֹ֨ל אָכַ֤ל הַיּוֹם֙ הָעָ֔ם מִשְּׁלַ֥ל אֹיְבָ֖יו אֲשֶׁ֣ר מָצָ֑א כִּ֥י עַתָּ֛ה לֹֽא־רָבְתָ֥ה מַכָּ֖ה בַּפְּלִשְׁתִּֽים׃ 30
३०यदि आज लोग अपने शत्रुओं की लूट से जिसे उन्होंने पाया मनमाना खाते, तो कितना अच्छा होता; अभी तो बहुत अधिक पलिश्ती मारे नहीं गए।”
וַיַּכּ֞וּ בַּיּ֤וֹם הַהוּא֙ בַּפְּלִשְׁתִּ֔ים מִמִּכְמָ֖שׂ אַיָּלֹ֑נָה וַיָּ֥עַף הָעָ֖ם מְאֹֽד׃ 31
३१उस दिन वे मिकमाश से लेकर अय्यालोन तक पलिश्तियों को मारते गए; और लोग बहुत ही थक गए।
וַיַּ֤עַט הָעָם֙ אֶל־הַשָּׁלָ֔ל וַיִּקְח֨וּ צֹ֧אן וּבָקָ֛ר וּבְנֵ֥י בָקָ֖ר וַיִּשְׁחֲטוּ־אָ֑רְצָה וַיֹּ֥אכַל הָעָ֖ם עַל־הַדָּֽם׃ 32
३२इसलिए वे लूट पर टूटे, और भेड़-बकरी, और गाय-बैल, और बछड़े लेकर भूमि पर मारकर उनका माँस लहू समेत खाने लगे।
וַיַּגִּ֤ידוּ לְשָׁאוּל֙ לֵאמֹ֔ר הִנֵּ֥ה הָעָ֛ם חֹטִ֥אים לַֽיהוָ֖ה לֶאֱכֹ֣ל עַל־הַדָּ֑ם וַיֹּ֣אמֶר בְּגַדְתֶּ֔ם גֹּֽלּוּ־אֵלַ֥י הַיּ֖וֹם אֶ֥בֶן גְּדוֹלָֽה׃ 33
३३जब इसका समाचार शाऊल को मिला, कि लोग लहू समेत माँस खाकर यहोवा के विरुद्ध पाप करते हैं। तब उसने उनसे कहा, “तुम ने तो विश्वासघात किया है; अभी एक बड़ा पत्थर मेरे पास लुढ़का दो।”
וַיֹּ֣אמֶר שָׁא֣וּל פֻּ֣צוּ בָעָ֡ם וַאֲמַרְתֶּ֣ם לָהֶ֡ם הַגִּ֣ישׁוּ אֵלַי֩ אִ֨ישׁ שׁוֹר֜וֹ וְאִ֣ישׁ שְׂיֵ֗הוּ וּשְׁחַטְתֶּ֤ם בָּזֶה֙ וַאֲכַלְתֶּ֔ם וְלֹֽא־תֶחֶטְא֥וּ לַֽיהוָ֖ה לֶאֱכֹ֣ל אֶל־הַדָּ֑ם וַיַּגִּ֨שׁוּ כָל־הָעָ֜ם אִ֣ישׁ שׁוֹר֧וֹ בְיָד֛וֹ הַלַּ֖יְלָה וַיִּשְׁחֲטוּ־שָֽׁם׃ 34
३४फिर शाऊल ने कहा, “लोगों के बीच में इधर-उधर फिरके उनसे कहो, ‘अपना-अपना बैल और भेड़ शाऊल के पास ले जाओ, और वहीं बलि करके खाओ; और लहू समेत खाकर यहोवा के विरुद्ध पाप न करो।’” तब सब लोगों ने उसी रात अपना-अपना बैल ले जाकर वहीं बलि किया।
וַיִּ֧בֶן שָׁא֛וּל מִזְבֵּ֖חַ לַֽיהוָ֑ה אֹת֣וֹ הֵחֵ֔ל לִבְנ֥וֹת מִזְבֵּ֖חַ לַֽיהוָֽה׃ פ 35
३५तब शाऊल ने यहोवा के लिये एक वेदी बनवाई; वह तो पहली वेदी है जो उसने यहोवा के लिये बनवाई।
וַיֹּ֣אמֶר שָׁא֡וּל נֵרְדָ֣ה אַחֲרֵי֩ פְלִשְׁתִּ֨ים ׀ לַ֜יְלָה וְֽנָבֹ֥זָה בָהֶ֣ם ׀ עַד־א֣וֹר הַבֹּ֗קֶר וְלֹֽא־נַשְׁאֵ֤ר בָּהֶם֙ אִ֔ישׁ וַיֹּ֣אמְר֔וּ כָּל־הַטּ֥וֹב בְּעֵינֶ֖יךָ עֲשֵׂ֑ה ס וַיֹּ֙אמֶר֙ הַכֹּהֵ֔ן נִקְרְבָ֥ה הֲלֹ֖ם אֶל־הָאֱלֹהִֽים׃ 36
३६फिर शाऊल ने कहा, “हम इसी रात को ही पलिश्तियों का पीछा करके उन्हें भोर तक लूटते रहें; और उनमें से एक मनुष्य को भी जीवित न छोड़ें।” उन्होंने कहा, “जो कुछ तुझे अच्छा लगे वही कर।” परन्तु याजक ने कहा, “हम यहीं परमेश्वर के समीप आएँ।”
וַיִּשְׁאַ֤ל שָׁאוּל֙ בֵּֽאלֹהִ֔ים הַֽאֵרֵד֙ אַחֲרֵ֣י פְלִשְׁתִּ֔ים הֲתִתְּנֵ֖ם בְּיַ֣ד יִשְׂרָאֵ֑ל וְלֹ֥א עָנָ֖הוּ בַּיּ֥וֹם הַהֽוּא׃ 37
३७तब शाऊल ने परमेश्वर से पूछा, “क्या मैं पलिश्तियों का पीछा करूँ? क्या तू उन्हें इस्राएल के हाथ में कर देगा?” परन्तु उसे उस दिन कुछ उत्तर न मिला।
וַיֹּ֣אמֶר שָׁא֔וּל גֹּ֣שֽׁוּ הֲלֹ֔ם כֹּ֖ל פִּנּ֣וֹת הָעָ֑ם וּדְע֣וּ וּרְא֔וּ בַּמָּ֗ה הָֽיְתָ֛ה הַחַטָּ֥את הַזֹּ֖את הַיּֽוֹם׃ 38
३८तब शाऊल ने कहा, “हे प्रजा के मुख्य लोगों, इधर आकर जानो; और देखो कि आज पाप किस प्रकार से हुआ है।
כִּ֣י חַי־יְהוָ֗ה הַמּוֹשִׁ֙יעַ֙ אֶת־יִשְׂרָאֵ֔ל כִּ֧י אִם־יֶשְׁנ֛וֹ בְּיוֹנָתָ֥ן בְּנִ֖י כִּ֣י מ֣וֹת יָמ֑וּת וְאֵ֥ין עֹנֵ֖הוּ מִכָּל־הָעָֽם׃ 39
३९क्योंकि इस्राएल के छुड़ानेवाले यहोवा के जीवन की शपथ, यदि वह पाप मेरे पुत्र योनातान से हुआ हो, तो भी निश्चय वह मार डाला जाएगा।” परन्तु लोगों में से किसी ने उसे उत्तर न दिया।
וַיֹּ֣אמֶר אֶל־כָּל־יִשְׂרָאֵ֗ל אַתֶּם֙ תִּֽהְיוּ֙ לְעֵ֣בֶר אֶחָ֔ד וַֽאֲנִי֙ וְיוֹנָתָ֣ן בְּנִ֔י נִהְיֶ֖ה לְעֵ֣בֶר אֶחָ֑ד וַיֹּאמְר֤וּ הָעָם֙ אֶל־שָׁא֔וּל הַטּ֥וֹב בְּעֵינֶ֖יךָ עֲשֵֽׂה׃ ס 40
४०तब उसने सारे इस्राएलियों से कहा, “तुम एक ओर रहो, और मैं और मेरा पुत्र योनातान दूसरी ओर रहेंगे।” लोगों ने शाऊल से कहा, “जो कुछ तुझे अच्छा लगे वही कर।”
וַיֹּ֣אמֶר שָׁא֗וּל אֶל־יְהוָ֛ה אֱלֹהֵ֥י יִשְׂרָאֵ֖ל לָמָּה לֹא עָנִיתָ אֶת־עַבְדְּךָ הַיּוֹם אִם יֶשׁ־בִּי אוֹ בְּיוֹנָתָן בְנִי הֶעָוֹן הַזֶּה יְהוָה אֱלֹהֵי יִשְׂרָאֵל הָבָה אוּרִים וְאִם יֶשְׁנוֹ הֶעָוֹן הַזֶּה בְּעַמְּךָ יִשְׂרָאֵל הָ֣בָה תָמִ֑ים וַיִּלָּכֵ֧ד יוֹנָתָ֛ן וְשָׁא֖וּל וְהָעָ֥ם יָצָֽאוּ׃ 41
४१तब शाऊल ने यहोवा से कहा, “हे इस्राएल के परमेश्वर, सत्य बात बता।” तब चिट्ठी योनातान और शाऊल के नाम पर निकली, और प्रजा बच गई।
וַיֹּ֣אמֶר שָׁא֔וּל הַפִּ֕ילוּ בֵּינִ֕י וּבֵ֖ין יוֹנָתָ֣ן בְּנִ֑י וַיִּלָּכֵ֖ד יוֹנָתָֽן׃ 42
४२फिर शाऊल ने कहा, “मेरे और मेरे पुत्र योनातान के नाम पर चिट्ठी डालो।” तब चिट्ठी योनातान के नाम पर निकली।
וַיֹּ֤אמֶר שָׁאוּל֙ אֶל־י֣וֹנָתָ֔ן הַגִּ֥ידָה לִּ֖י מֶ֣ה עָשִׂ֑יתָה וַיַּגֶּד־ל֣וֹ יוֹנָתָ֗ן וַיֹּאמֶר֩ טָעֹ֨ם טָעַ֜מְתִּי בִּקְצֵ֨ה הַמַּטֶּ֧ה אֲשֶׁר־בְּיָדִ֛י מְעַ֥ט דְּבַ֖שׁ הִנְנִ֥י אָמֽוּת׃ 43
४३तब शाऊल ने योनातान से कहा, “मुझे बता, कि तूने क्या किया है।” योनातान ने बताया, और उससे कहा, “मैंने अपने हाथ की छड़ी की नोक से थोड़ा सा मधु चख तो लिया था; और देख, मुझे मरना है।”
וַיֹּ֣אמֶר שָׁא֔וּל כֹּֽה־יַעֲשֶׂ֥ה אֱלֹהִ֖ים וְכֹ֣ה יוֹסִ֑ף כִּֽי־מ֥וֹת תָּמ֖וּת יוֹנָתָֽן׃ 44
४४शाऊल ने कहा, “परमेश्वर ऐसा ही करे, वरन् इससे भी अधिक करे; हे योनातान, तू निश्चय मारा जाएगा।”
וַיֹּ֨אמֶר הָעָ֜ם אֶל־שָׁא֗וּל הֲֽיוֹנָתָ֤ן ׀ יָמוּת֙ אֲשֶׁ֣ר עָ֠שָׂה הַיְשׁוּעָ֨ה הַגְּדוֹלָ֣ה הַזֹּאת֮ בְּיִשְׂרָאֵל֒ חָלִ֗ילָה חַי־יְהוָה֙ אִם־יִפֹּ֞ל מִשַּׂעֲרַ֤ת רֹאשׁוֹ֙ אַ֔רְצָה כִּֽי־עִם־אֱלֹהִ֥ים עָשָׂ֖ה הַיּ֣וֹם הַזֶּ֑ה וַיִּפְדּ֥וּ הָעָ֛ם אֶת־יוֹנָתָ֖ן וְלֹא־מֵֽת׃ ס 45
४५परन्तु लोगों ने शाऊल से कहा, “क्या योनातान मारा जाए, जिसने इस्राएलियों का ऐसा बड़ा छुटकारा किया है? ऐसा न होगा! यहोवा के जीवन की शपथ, उसके सिर का एक बाल भी भूमि पर गिरने न पाएगा; क्योंकि आज के दिन उसने परमेश्वर के साथ होकर काम किया है।” तब प्रजा के लोगों ने योनातान को बचा लिया, और वह मारा न गया।
וַיַּ֣עַל שָׁא֔וּל מֵאַחֲרֵ֖י פְּלִשְׁתִּ֑ים וּפְלִשְׁתִּ֖ים הָלְכ֥וּ לִמְקוֹמָֽם׃ 46
४६तब शाऊल पलिश्तियों का पीछा छोड़कर लौट गया; और पलिश्ती भी अपने स्थान को चले गए।
וְשָׁא֛וּל לָכַ֥ד הַמְּלוּכָ֖ה עַל־יִשְׂרָאֵ֑ל וַיִּלָּ֣חֶם סָבִ֣יב ׀ בְּֽכָל־אֹיְבָ֡יו בְּמוֹאָ֣ב ׀ וּבִבְנֵי־עַמּ֨וֹן וּבֶאֱד֜וֹם וּבְמַלְכֵ֤י צוֹבָה֙ וּבַפְּלִשְׁתִּ֔ים וּבְכֹ֥ל אֲשֶׁר־יִפְנֶ֖ה יַרְשִֽׁיעַ׃ 47
४७जब शाऊल इस्राएलियों के राज्य में स्थिर हो गया, तब वह मोआबी, अम्मोनी, एदोमी, और पलिश्ती, अपने चारों ओर के सब शत्रुओं से, और सोबा के राजाओं से लड़ा; और जहाँ-जहाँ वह जाता वहाँ जय पाता था।
וַיַּ֣עַשׂ חַ֔יִל וַיַּ֖ךְ אֶת־עֲמָלֵ֑ק וַיַּצֵּ֥ל אֶת־יִשְׂרָאֵ֖ל מִיַּ֥ד שֹׁסֵֽהוּ׃ ס 48
४८फिर उसने वीरता करके अमालेकियों को जीता, और इस्राएलियों को लूटनेवालों के हाथ से छुड़ाया।
וַיִּֽהְיוּ֙ בְּנֵ֣י שָׁא֔וּל יוֹנָתָ֥ן וְיִשְׁוִ֖י וּמַלְכִּי־שׁ֑וּעַ וְשֵׁם֙ שְׁתֵּ֣י בְנֹתָ֔יו שֵׁ֤ם הַבְּכִירָה֙ מֵרַ֔ב וְשֵׁ֥ם הַקְּטַנָּ֖ה מִיכַֽל׃ 49
४९शाऊल के पुत्र योनातान, यिश्वी, और मल्कीशूअ थे; और उसकी दो बेटियों के नाम ये थे, बड़ी का नाम तो मेरब और छोटी का नाम मीकल था।
וְשֵׁם֙ אֵ֣שֶׁת שָׁא֔וּל אֲחִינֹ֖עַם בַּת־אֲחִימָ֑עַץ וְשֵׁ֤ם שַׂר־צְבָאוֹ֙ אֲבִינֵ֔ר בֶּן־נֵ֖ר דּ֥וֹד שָׁאֽוּל׃ 50
५०और शाऊल की स्त्री का नाम अहीनोअम था जो अहीमास की बेटी थी। उसके प्रधान सेनापति का नाम अब्नेर था जो शाऊल के चाचा नेर का पुत्र था।
וְקִ֧ישׁ אֲבִֽי־שָׁא֛וּל וְנֵ֥ר אֲבִֽי־אַבְנֵ֖ר בֶּן־אֲבִיאֵֽל׃ ס 51
५१शाऊल का पिता कीश था, और अब्नेर का पिता नेर अबीएल का पुत्र था।
וַתְּהִ֤י הַמִּלְחָמָה֙ חֲזָקָ֣ה עַל־פְּלִשְׁתִּ֔ים כֹּ֖ל יְמֵ֣י שָׁא֑וּל וְרָאָ֨ה שָׁא֜וּל כָּל־אִ֤ישׁ גִּבּוֹר֙ וְכָל־בֶּן־חַ֔יִל וַיַּאַסְפֵ֖הוּ אֵלָֽיו׃ ס 52
५२शाऊल जीवन भर पलिश्तियों से संग्राम करता रहा; जब जब शाऊल को कोई वीर या अच्छा योद्धा दिखाई पड़ा तब-तब उसने उसे अपने पास रख लिया।

< 1 שְׁמוּאֵל 14 >