< 1 מְלָכִים 20 >
וּבֶן־הֲדַ֣ד מֶֽלֶךְ־אֲרָ֗ם קָבַץ֙ אֶת־כָּל־חֵיל֔וֹ וּשְׁלֹשִׁ֨ים וּשְׁנַ֥יִם מֶ֛לֶךְ אִתּ֖וֹ וְס֣וּס וָרָ֑כֶב וַיַּ֗עַל וַיָּ֙צַר֙ עַל־שֹׁ֣מְר֔וֹן וַיִּלָּ֖חֶם בָּֽהּ׃ | 1 |
और अराम के बादशाह बिन हदद ने अपने सारे लश्कर को इकट्ठा किया, और उसके साथ बत्तीस बादशाह और घोड़े और रथ थे; और उसने सामरिया पर चढ़ाई करके उसका घेरा किया और उससे लड़ा।
וַיִּשְׁלַ֧ח מַלְאָכִ֛ים אֶל־אַחְאָ֥ב מֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵ֖ל הָעִֽירָה׃ וַיֹּ֣אמֶר ל֗וֹ כֹּ֚ה אָמַ֣ר בֶּן־הֲדַ֔ד | 2 |
और इस्राईल के बादशाह अख़ीअब के पास शहर में क़ासिद रवाना किए और उसे कहला भेजा कि “बिन हदद ऐसा फ़रमाता है: कि
כַּסְפְּךָ֥ וּֽזְהָבְךָ֖ לִֽי־ה֑וּא וְנָשֶׁ֧יךָ וּבָנֶ֛יךָ הַטּוֹבִ֖ים לִי־הֵֽם׃ | 3 |
'तेरी चाँदी और तेरा सोना मेरा है; तेरी बीवियों और तेरे लड़कों में जो सबसे ख़ूबसूरत हैं वह मेरे हैं।”
וַיַּ֤עַן מֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵל֙ וַיֹּ֔אמֶר כִּדְבָרְךָ֖ אֲדֹנִ֣י הַמֶּ֑לֶךְ לְךָ֥ אֲנִ֖י וְכָל־אֲשֶׁר־לִֽי׃ | 4 |
इस्राईल के बादशाह ने जवाब दिया, “ऐ मेरे मालिक, बादशाह! तेरे कहने के मुताबिक़, मैं और जो कुछ मेरे पास है सब तेरा ही है।”
וַיָּשֻׁ֙בוּ֙ הַמַּלְאָכִ֔ים וַיֹּ֣אמְר֔וּ כֹּֽה־אָמַ֥ר בֶּן־הֲדַ֖ד לֵאמֹ֑ר כִּֽי־שָׁלַ֤חְתִּי אֵלֶ֙יךָ֙ לֵאמֹ֔ר כַּסְפְּךָ֧ וּזְהָבְךָ֛ וְנָשֶׁ֥יךָ וּבָנֶ֖יךָ לִ֥י תִתֵּֽן׃ | 5 |
फिर उन क़ासिदों ने दोबारा आकर कहा कि “बिनहदद ऐसा फ़रमाता है कि 'मैंने तुझे कहला भेजा था कि तू अपनी चाँदी और अपनी बीवियाँ और अपने लड़के मेरे हवाले कर दे
כִּ֣י ׀ אִם־כָּעֵ֣ת מָחָ֗ר אֶשְׁלַ֤ח אֶת־עֲבָדַי֙ אֵלֶ֔יךָ וְחִפְּשׂוּ֙ אֶת־בֵּ֣יתְךָ֔ וְאֵ֖ת בָּתֵּ֣י עֲבָדֶ֑יךָ וְהָיָה֙ כָּל־מַחְמַ֣ד עֵינֶ֔יךָ יָשִׂ֥ימוּ בְיָדָ֖ם וְלָקָֽחוּ׃ | 6 |
लेकिन अब मैं कल इसी वक़्त अपने ख़ादिमों को तेरे पास भेजूँगा; तब वह तेरे घर और तेरे ख़ादिमों के घरों की तलाशी लेंगे, और जो कुछ तेरी निगाह में क़ीमती होगा वह उसे अपने कब्ज़े में करके ले आएँगे।”
וַיִּקְרָ֤א מֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵל֙ לְכָל־זִקְנֵ֣י הָאָ֔רֶץ וַיֹּ֙אמֶר֙ דְּעֽוּ־נָ֣א וּרְא֔וּ כִּ֥י רָעָ֖ה זֶ֣ה מְבַקֵּ֑שׁ כִּֽי־שָׁלַ֨ח אֵלַ֜י לְנָשַׁ֤י וּלְבָנַי֙ וּלְכַסְפִּ֣י וְלִזְהָבִ֔י וְלֹ֥א מָנַ֖עְתִּי מִמֶּֽנּוּ׃ | 7 |
तब इस्राईल के बादशाह ने मुल्क के सब बुज़ुर्गों को बुला कर कहा, “ज़रा ग़ौर करो और देखो, कि यह शख़्स किस तरह बुराई के पीछे पड़ा है; क्यूँकि उसने मेरी बीवियाँ और मेरे लड़के और मेरी चाँदी और मेरा सोना, मुझ से मंगा भेजा और मैंने उससे इन्कार नहीं किया।”
וַיֹּאמְר֥וּ אֵלָ֛יו כָּל־הַזְּקֵנִ֖ים וְכָל־הָעָ֑ם אַל־תִּשְׁמַ֖ע וְל֥וֹא תֹאבֶֽה׃ | 8 |
तब सब बुज़गों और सब लोगों ने उससे कहा कि “तू मत सुन, और मत मान।”
וַיֹּ֜אמֶר לְמַלְאֲכֵ֣י בֶן־הֲדַ֗ד אִמְר֞וּ לַֽאדֹנִ֤י הַמֶּ֙לֶךְ֙ כֹּל֩ אֲשֶׁר־שָׁלַ֨חְתָּ אֶל־עַבְדְּךָ֤ בָרִֽאשֹׁנָה֙ אֶעֱשֶׂ֔ה וְהַדָּבָ֣ר הַזֶּ֔ה לֹ֥א אוּכַ֖ל לַעֲשׂ֑וֹת וַיֵּֽלְכוּ֙ הַמַּלְאָכִ֔ים וַיְשִׁבֻ֖הוּ דָּבָֽר׃ | 9 |
इसलिए उसने बिनहदद के कासिदों से कहा, “मेरे मालिक बादशाह से कहना, 'जो कुछ तू ने अपने ख़ादिम से पहले तलब किया, वह तो मैं करूँगा; पर यह बात मुझ से नहीं हो सकती।” तब क़ासिद रवाना हुए और उसे यह जवाब सुना दिया।
וַיִּשְׁלַ֤ח אֵלָיו֙ בֶּן־הֲדַ֔ד וַיֹּ֕אמֶר כֹּֽה־יַעֲשׂ֥וּן לִ֛י אֱלֹהִ֖ים וְכֹ֣ה יוֹסִ֑פוּ אִם־יִשְׂפֹּק֙ עֲפַ֣ר שֹׁמְר֔וֹן לִשְׁעָלִ֕ים לְכָל־הָעָ֖ם אֲשֶׁ֥ר בְּרַגְלָֽי׃ | 10 |
तब बिन हदद ने उसको कहला भेजा कि “अगर सामरिया की मिट्टी, उन सब लोगों के लिए जो मेरे पैरोकार हैं, मुट्ठियाँ भरने को भी काफ़ी हो; तो मा'बूद मुझ से ऐसा ही बल्कि इससे भी ज़्यादा करें।”
וַיַּ֤עַן מֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵל֙ וַיֹּ֣אמֶר דַּבְּר֔וּ אַל־יִתְהַלֵּ֥ל חֹגֵ֖ר כִּמְפַתֵּֽחַ׃ | 11 |
शाह — ए — इस्राईल ने जवाब दिया, “तुम उससे कहना, 'जो हथियार बाँधता है, वह उसकी तरह फ़ख़्र न करे जो उसे उतारता है।”
וַיְהִ֗י כִּשְׁמֹ֙עַ֙ אֶת־הַדָּבָ֣ר הַזֶּ֔ה וְה֥וּא שֹׁתֶ֛ה ה֥וּא וְהַמְּלָכִ֖ים בַּסֻּכּ֑וֹת וַיֹּ֤אמֶר אֶל־עֲבָדָיו֙ שִׂ֔ימוּ וַיָּשִׂ֖ימוּ עַל־הָעִֽיר׃ | 12 |
जब बिन हदद ने, जो बादशाहों के साथ सायबानों में मयनोशी कर रहा था, यह पैग़ाम सुना तो अपने मुलाज़िमों को हुक्म किया कि “सफ़ बान्ध लो।” इसलिए उन्होंने शहर पर चढ़ाई करने के लिए सफ़आराई की।
וְהִנֵּ֣ה ׀ נָבִ֣יא אֶחָ֗ד נִגַּשׁ֮ אֶל־אַחְאָ֣ב מֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵל֒ וַיֹּ֗אמֶר כֹּ֚ה אָמַ֣ר יְהוָ֔ה הְֽרָאִ֔יתָ אֵ֛ת כָּל־הֶהָמ֥וֹן הַגָּד֖וֹל הַזֶּ֑ה הִנְנִ֨י נֹתְנ֤וֹ בְיָֽדְךָ֙ הַיּ֔וֹם וְיָדַעְתָּ֖ כִּֽי־אֲנִ֥י יְהוָֽה׃ | 13 |
और देखो, एक नबी ने शाह — ए — इस्राईल अख़ीअब के पास आकर कहा, 'ख़ुदावन्द ऐसा फ़रमाता है कि “क्या तू ने इस बड़े हुजूम को देख लिया? मैं आज ही उसे तेरे हाथ में कर दूँगा, और तू जान लेगा कि ख़ुदावन्द मैं ही हूँ।”
וַיֹּ֤אמֶר אַחְאָב֙ בְּמִ֔י וַיֹּ֙אמֶר֙ כֹּֽה־אָמַ֣ר יְהוָ֔ה בְּנַעֲרֵ֖י שָׂרֵ֣י הַמְּדִינ֑וֹת וַיֹּ֛אמֶר מִֽי־יֶאְסֹ֥ר הַמִּלְחָמָ֖ה וַיֹּ֥אמֶר אָֽתָּה׃ | 14 |
तब अख़ीअब ने पूछा, “किसके वसीले से?” उसने कहा, ख़ुदावन्द ऐसा फ़रमाता है कि सूबों के सरदारों के जवानों के वसीले से! “फिर उसने पूछा कि लड़ाई कौन शुरू करे।” उसने जवाब दिया कि “तू।”
וַיִּפְקֹ֗ד אֶֽת־נַעֲרֵי֙ שָׂרֵ֣י הַמְּדִינ֔וֹת וַיִּהְי֕וּ מָאתַ֖יִם שְׁנַ֣יִם וּשְׁלֹשִׁ֑ים וְאַחֲרֵיהֶ֗ם פָּקַ֧ד אֶת־כָּל־הָעָ֛ם כָּל־בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵ֖ל שִׁבְעַ֥ת אֲלָפִֽים׃ | 15 |
तब उसने सूबों के सरदारों के जवानों को शुमार किया, और वह दो सौ बत्तीस निकले; उनके बाद उसने सब लोगों, या'नी सब बनी — इस्राईल की हाजरी ली, और वह सात हज़ार थे।
וַיֵּצְא֖וּ בַּֽצָּהֳרָ֑יִם וּבֶן־הֲדַד֩ שֹׁתֶ֨ה שִׁכּ֜וֹר בַּסֻּכּ֗וֹת ה֧וּא וְהַמְּלָכִ֛ים שְׁלֹשִֽׁים־וּשְׁנַ֥יִם מֶ֖לֶךְ עֹזֵ֥ר אֹתֽוֹ׃ | 16 |
यह सब दोपहर को निकले, और बिन हदद और वह बत्तीस बादशाह, जो उसके मददगार थे, सायबानों में पी पीकर मस्त होते जाते थे।
וַיֵּצְא֗וּ נַעֲרֵ֛י שָׂרֵ֥י הַמְּדִינ֖וֹת בָּרִֽאשֹׁנָ֑ה וַיִּשְׁלַ֣ח בֶּן־הֲדַ֗ד וַיַּגִּ֤ידוּ לוֹ֙ לֵאמֹ֔ר אֲנָשִׁ֕ים יָצְא֖וּ מִשֹּׁמְרֽוֹן׃ | 17 |
इसलिए सूबों के सरदारों के जवान पहले निकले। और बिन हदद ने आदमी भेजे, और उन्होंने उसे ख़बर दी कि “सामरिया से लोग निकले हैं।”
וַיֹּ֛אמֶר אִם־לְשָׁל֥וֹם יָצָ֖אוּ תִּפְשׂ֣וּם חַיִּ֑ים וְאִ֧ם לְמִלְחָמָ֛ה יָצָ֖אוּ חַיִּ֥ים תִּפְשֽׂוּם׃ | 18 |
उसने कहा, “अगर वह सुलह के इरादे से निकले हों तो उनको ज़िन्दा पकड़ लो, और अगर वह जंग को निकले हों तोभी उनको ज़िन्दा पकड़ो।”
וְאֵ֙לֶּה֙ יָצְא֣וּ מִן־הָעִ֔יר נַעֲרֵ֖י שָׂרֵ֣י הַמְּדִינ֑וֹת וְהַחַ֖יִל אֲשֶׁ֥ר אַחֲרֵיהֶֽם׃ | 19 |
तब सूबों के सरदारों के जवान और वह लश्कर जो उनके पीछे हो लिया था शहर से बाहर निकले;
וַיַּכּוּ֙ אִ֣ישׁ אִישׁ֔וֹ וַיָּנֻ֣סוּ אֲרָ֔ם וַֽיִּרְדְּפֵ֖ם יִשְׂרָאֵ֑ל וַיִּמָּלֵ֗ט בֶּן־הֲדַד֙ מֶ֣לֶךְ אֲרָ֔ם עַל־ס֖וּס וּפָרָשִֽׁים׃ | 20 |
और उनमें से एक एक ने अपने मुख़ालिफ़ को क़त्ल किया; इसलिए अरामी भागे और इस्राईल ने उनका पीछा किया, और शाह — ए — अराम बिन हदद एक घोड़े पर सवार होकर सवारों के साथ भागकर बच गया।
וַיֵּצֵא֙ מֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֔ל וַיַּ֥ךְ אֶת־הַסּ֖וּס וְאֶת־הָרָ֑כֶב וְהִכָּ֥ה בַאֲרָ֖ם מַכָּ֥ה גְדוֹלָֽה׃ | 21 |
और शाह — ए — इस्राईल ने निकल कर घोड़ों और रथों को मारा, और अरामियों को बड़ी खूँरेज़ी के साथ क़त्ल किया।
וַיִּגַּ֤שׁ הַנָּבִיא֙ אֶל־מֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֔ל וַיֹּ֤אמֶר לוֹ֙ לֵ֣ךְ הִתְחַזַּ֔ק וְדַ֥ע וּרְאֵ֖ה אֵ֣ת אֲשֶֽׁר־תַּעֲשֶׂ֑ה כִּ֚י לִתְשׁוּבַ֣ת הַשָּׁנָ֔ה מֶ֥לֶךְ אֲרָ֖ם עֹלֶ֥ה עָלֶֽיךָ׃ ס | 22 |
और वह नबी शाह — ए — इस्राईल के पास आया और उससे कहा, “जा अपने को मज़बूत कर, और जो कुछ तू करे उसे ग़ौर से देख लेना; क्यूँकि अगले साल शाह — ए — अराम फिर तुझ पर चढ़ाई करेगा।”
וְעַבְדֵ֨י מֶֽלֶךְ־אֲרָ֜ם אָמְר֣וּ אֵלָ֗יו אֱלֹהֵ֤י הָרִים֙ אֱלֹ֣הֵיהֶ֔ם עַל־כֵּ֖ן חָזְק֣וּ מִמֶּ֑נּוּ וְאוּלָ֗ם נִלָּחֵ֤ם אִתָּם֙ בַּמִּישׁ֔וֹר אִם־לֹ֥א נֶחֱזַ֖ק מֵהֶֽם׃ | 23 |
और शाह — ए — अराम के ख़ादिमों ने उससे कहा, “उनका ख़ुदा पहाड़ी ख़ुदा है, इसलिए वह हम पर ग़ालिब आए; लेकिन हम को उनके साथ मैदान में लड़ने दे तो ज़रूर हम उन पर ग़ालिब होंगे।
וְאֶת־הַדָּבָ֥ר הַזֶּ֖ה עֲשֵׂ֑ה הָסֵ֤ר הַמְּלָכִים֙ אִ֣ישׁ מִמְּקֹמ֔וֹ וְשִׂ֥ים פַּח֖וֹת תַּחְתֵּיהֶֽם׃ | 24 |
और एक काम यह कर, कि बादशाहों को हटा दे, या'नी हर एक को उसके 'उहदे से हटा दे और उनकी जगह सरदारों को मुक़र्रर कर;
וְאַתָּ֣ה תִֽמְנֶה־לְךָ֣ ׀ חַ֡יִל כַּחַיִל֩ הַנֹּפֵ֨ל מֵאוֹתָ֜ךְ וְס֣וּס כַּסּ֣וּס ׀ וְרֶ֣כֶב כָּרֶ֗כֶב וְנִֽלָּחֲמָ֤ה אוֹתָם֙ בַּמִּישׁ֔וֹר אִם־לֹ֥א נֶחֱזַ֖ק מֵהֶ֑ם וַיִּשְׁמַ֥ע לְקֹלָ֖ם וַיַּ֥עַשׂ כֵּֽן׃ פ | 25 |
और अपने लिए एक लश्कर अपनी उस फ़ौज की तरह, जो तबाह हो गई, घोड़े की जगह घोड़ा और रथ की जगह रथ गिन गिनकर तैयार कर ले। हम मैदान में उनसे लड़ेंगे और ज़रूर उन पर ग़ालिब होंगे।” इसलिए उसने उनका कहा माना और ऐसा ही किया।
וַֽיְהִי֙ לִתְשׁוּבַ֣ת הַשָּׁנָ֔ה וַיִּפְקֹ֥ד בֶּן־הֲדַ֖ד אֶת־אֲרָ֑ם וַיַּ֣עַל אֲפֵ֔קָה לַמִּלְחָמָ֖ה עִם־יִשְׂרָאֵֽל׃ | 26 |
और अगले साल बिन हदद ने अरामियों की हाज़री ली, और इस्राईल से लड़ने के लिए अफ़ीक़ को गया।
וּבְנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֗ל הָתְפָּקְדוּ֙ וְכָלְכְּל֔וּ וַיֵּלְכ֖וּ לִקְרָאתָ֑ם וַיַּחֲנ֨וּ בְנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֜ל נֶגְדָּ֗ם כִּשְׁנֵי֙ חֲשִׂפֵ֣י עִזִּ֔ים וַאֲרָ֖ם מִלְא֥וּ אֶת־הָאָֽרֶץ׃ | 27 |
और बनी — इस्राईल की हाज़री भी ली गई, और उनकी ख़ूराक का इन्तज़ाम किया गया और यह उनसे लड़ने को गए; और बनी — इस्राईल उनके बराबर ख़ेमाज़न होकर ऐसे मा'लूम होते थे जैसे हलवानों के दो छोटे रेवड़, लेकिन अरामियों से वह मुल्क भर गया था।
וַיִּגַּ֞שׁ אִ֣ישׁ הָאֱלֹהִ֗ים וַיֹּאמֶר֮ אֶל־מֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵל֒ וַיֹּ֜אמֶר כֹּֽה־אָמַ֣ר יְהוָ֗ה יַ֠עַן אֲשֶׁ֨ר אָמְר֤וּ אֲרָם֙ אֱלֹהֵ֤י הָרִים֙ יְהוָ֔ה וְלֹֽא־אֱלֹהֵ֥י עֲמָקִ֖ים ה֑וּא וְ֠נָתַתִּי אֶת־כָּל־הֶהָמ֨וֹן הַגָּ֤דוֹל הַזֶּה֙ בְּיָדֶ֔ךָ וִֽידַעְתֶּ֖ם כִּֽי־אֲנִ֥י יְהוָֽה׃ | 28 |
तब एक नबी इस्राईल के बादशाह के पास आया और उससे कहा, “ख़ुदावन्द ऐसा फ़रमाता है कि चूँकि अरामियों ने ऐसा कहा है कि ख़ुदावन्द पहाड़ी ख़ुदा है, और वादियों का ख़ुदा नहीं; इसलिए मैं इस सारे बड़े हुजूम को तेरे ज़िम्मे में कर दूँगा, और तुम जान लोगे कि मैं ख़ुदावन्द हूँ।”
וַֽיַּחֲנ֧וּ אֵ֦לֶּה נֹ֥כַח אֵ֖לֶּה שִׁבְעַ֣ת יָמִ֑ים וַיְהִ֣י ׀ בַּיּ֣וֹם הַשְּׁבִיעִ֗י וַתִּקְרַב֙ הַמִּלְחָמָ֔ה וַיַּכּ֨וּ בְנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֧ל אֶת־אֲרָ֛ם מֵאָה־אֶ֥לֶף רַגְלִ֖י בְּי֥וֹם אֶחָֽד׃ | 29 |
और वह एक दूसरे के मुक़ाबिल सात दिन तक ख़ेमाज़न रहे; और सातवें दिन जंग छिड़ गई, और बनी — इस्राईल ने एक दिन में अरामियों के एक लाख प्यादे क़त्ल कर दिए;
וַיָּנֻ֨סוּ הַנּוֹתָרִ֥ים ׀ אֲפֵקָה֮ אֶל־הָעִיר֒ וַתִּפֹּל֙ הַחוֹמָ֔ה עַל־עֶשְׂרִ֨ים וְשִׁבְעָ֥ה אֶ֛לֶף אִ֖ישׁ הַנּוֹתָרִ֑ים וּבֶן־הֲדַ֣ד נָ֔ס וַיָּבֹ֥א אֶל־הָעִ֖יר חֶ֥דֶר בְּחָֽדֶר׃ ס | 30 |
और बाक़ी अफ़ोक को शहर के अन्दर भाग गए, और वहाँ एक दीवार सताईस हज़ार पर जो बाकी रहे थे गिरी। और बिन हदद भागकर शहर के अन्दर एक अन्दरूनी कोठरी में घुस गया।
וַיֹּאמְר֣וּ אֵלָיו֮ עֲבָדָיו֒ הִנֵּֽה־נָ֣א שָׁמַ֔עְנוּ כִּ֗י מַלְכֵי֙ בֵּ֣ית יִשְׂרָאֵ֔ל כִּֽי־מַלְכֵ֥י חֶ֖סֶד הֵ֑ם נָשִׂ֣ימָה נָּא֩ שַׂקִּ֨ים בְּמָתְנֵ֜ינוּ וַחֲבָלִ֣ים בְּרֹאשֵׁ֗נוּ וְנֵצֵא֙ אֶל־מֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֔ל אוּלַ֖י יְחַיֶּ֥ה אֶת־נַפְשֶֽׁךָ׃ | 31 |
और उसके ख़ादिमों ने उससे कहा, “देख, हम ने सुना है कि इस्राईल के घराने के बादशाह रहीम होते हैं; इसलिए हम को ज़रा अपनी कमरों पर टाट और अपने सिरों पर रस्सियाँ बाँध कर शाह — ए — इस्राईल के सामने जाने दे; शायद वह तेरी जान बख़्शी करे।”
וַיַּחְגְּרוּ֩ שַׂקִּ֨ים בְּמָתְנֵיהֶ֜ם וַחֲבָלִ֣ים בְּרָאשֵׁיהֶ֗ם וַיָּבֹ֙אוּ֙ אֶל־מֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֔ל וַיֹּ֣אמְר֔וּ עַבְדְּךָ֧ בֶן־הֲדַ֛ד אָמַ֖ר תְּחִֽי־נָ֣א נַפְשִׁ֑י וַיֹּ֛אמֶר הַעוֹדֶ֥נּוּ חַ֖י אָחִ֥י הֽוּא׃ | 32 |
इसलिए उन्होंने अपनी कमरों पर टाट और सिरों पर रस्सियाँ बाँधी, और शाह — ए — इस्राईल के सामने आकर कहा, “तेरा ख़ादिम बिनहदद यह दरख़्वास्त करता है कि 'महेरबानी करके मुझे जीने दे।” उसने कहा, “क्या वह अब तक ज़िन्दा है? वह मेरा भाई है।”
וְהָאֲנָשִׁים֩ יְנַחֲשׁ֨וּ וַֽיְמַהֲר֜וּ וַיַּחְלְט֣וּ הֲמִמֶּ֗נּוּ וַיֹּֽאמְרוּ֙ אָחִ֣יךָ בֶן־הֲדַ֔ד וַיֹּ֖אמֶר בֹּ֣אוּ קָחֻ֑הוּ וַיֵּצֵ֤א אֵלָיו֙ בֶּן־הֲדַ֔ד וַֽיַּעֲלֵ֖הוּ עַל־הַמֶּרְכָּבָֽה׃ | 33 |
वह लोग बड़ी ध्यान से सुन रहे थे; इसलिए उन्होंने उसका दिली इरादा दरियाफ़्त करने के लिए झट उससे कहा कि “तेरा भाई बिन हदद।” तब उसने फ़रमाया कि “जाओ, उसे ले आओ।” तब बिन हदद उससे मिलने को निकला, और उसने उसे अपने रथ पर चढ़ा लिया।
וַיֹּ֣אמֶר אֵלָ֡יו הֶעָרִ֣ים אֲשֶׁר־לָֽקַח־אָבִי֩ מֵאֵ֨ת אָבִ֜יךָ אָשִׁ֗יב וְ֠חוּצוֹת תָּשִׂ֨ים לְךָ֤ בְדַמֶּ֙שֶׂק֙ כַּאֲשֶׁר־שָׂ֤ם אָבִי֙ בְּשֹׁ֣מְר֔וֹן וַאֲנִ֖י בַּבְּרִ֣ית אֲשַׁלְּחֶ֑ךָּ וַיִּכְרָת־ל֥וֹ בְרִ֖ית וַֽיְשַׁלְּחֵֽהוּ׃ ס | 34 |
और बिनहदद ने उससे कहा, “जिन शहरों को मेरे बाप ने तेरे बाप से ले लिया था, मैं उनको लौटा दूँगा; और तू अपने लिए दमिश्क़ में सड़कें बनवा लेना, जैसे मेरे बाप ने सामरिया में बनवाई।” अख़ीअब ने कहा, “मैं इसी 'अहद पर तुझे छोड़ दूँगा।” इसलिए उसने उससे 'अहद बाँधा और उसे छोड़ दिया।
וְאִ֨ישׁ אֶחָ֜ד מִבְּנֵ֣י הַנְּבִיאִ֗ים אָמַ֧ר אֶל־רֵעֵ֛הוּ בִּדְבַ֥ר יְהוָ֖ה הַכֵּ֣ינִי נָ֑א וַיְמָאֵ֥ן הָאִ֖ישׁ לְהַכֹּתֽוֹ׃ | 35 |
इसलिए अम्बियाज़ादों में से एक ने ख़ुदावन्द के हुक्म से अपने साथी से कहा, “मुझे मार।” लेकिन उसने उसे मारने से इन्कार किया।
וַיֹּ֣אמֶר ל֗וֹ יַ֚עַן אֲשֶׁ֤ר לֹֽא־שָׁמַ֙עְתָּ֙ בְּק֣וֹל יְהוָ֔ה הִנְּךָ֤ הוֹלֵךְ֙ מֵֽאִתִּ֔י וְהִכְּךָ֖ הָאַרְיֵ֑ה וַיֵּ֙לֶךְ֙ מֵֽאֶצְל֔וֹ וַיִּמְצָאֵ֥הוּ הָאַרְיֵ֖ה וַיַּכֵּֽהוּ׃ | 36 |
तब उसने उससे कहा, “इसलिए कि तू ने ख़ुदावन्द की बात नहीं मानी, सो देख, जैसे ही तू मेरे पास से रवाना होगा एक शेर तुझे मार डालेगा।” सो जैसे ही वह उसके पास से रवाना हुआ, उसे एक शेर मिला और उसे मार डाला।
וַיִּמְצָא֙ אִ֣ישׁ אַחֵ֔ר וַיֹּ֖אמֶר הַכֵּ֣ינִי נָ֑א וַיַּכֵּ֥הוּ הָאִ֖ישׁ הַכֵּ֥ה וּפָצֹֽעַ׃ | 37 |
फिर उसे एक और शख़्स मिला, उसने उससे कहा, “मुझे मार।” उसने उसे मारा, और मार कर ज़ख़्मी कर दिया।
וַיֵּ֙לֶךְ֙ הַנָּבִ֔יא וַיַּעֲמֹ֥ד לַמֶּ֖לֶךְ עַל־הַדָּ֑רֶךְ וַיִּתְחַפֵּ֥שׂ בָּאֲפֵ֖ר עַל־עֵינָֽיו׃ | 38 |
तब वह नबी चला गया और बादशाह के इन्तज़ार में रास्ते पर ठहरा रहा, और अपनी आँखों पर अपनी पगड़ी लपेट ली और अपना भेस बदल डाला।
וַיְהִ֤י הַמֶּ֙לֶךְ֙ עֹבֵ֔ר וְה֖וּא צָעַ֣ק אֶל־הַמֶּ֑לֶךְ וַיֹּ֜אמֶר עַבְדְּךָ֣ ׀ יָצָ֣א בְקֶֽרֶב־הַמִּלְחָמָ֗ה וְהִנֵּֽה־אִ֨ישׁ סָ֜ר וַיָּבֵ֧א אֵלַ֣י אִ֗ישׁ וַיֹּ֙אמֶר֙ שְׁמֹר֙ אֶת־הָאִ֣ישׁ הַזֶּ֔ה אִם־הִפָּקֵד֙ יִפָּקֵ֔ד וְהָיְתָ֤ה נַפְשְׁךָ֙ תַּ֣חַת נַפְשׁ֔וֹ א֥וֹ כִכַּר־כֶּ֖סֶף תִּשְׁקֽוֹל׃ | 39 |
जैसे ही बादशाह उधर से गुज़रा, उसने बादशाह की दुहाई दी और कहा कि “तेरा ख़ादिम जंग होते में वहाँ चला गया था; और देख, एक शख़्स उधर मुड़कर एक आदमी को मेरे पास ले आया, और कहा कि “इस आदमी की हिफ़ाज़त कर; अगर यह किसी तरह ग़ायब हो जाए, तो उसकी जान के बदले तेरी जान जाएगी, और नहीं तो तुझे एक क़िन्तार' चाँदी देनी पड़ेगी।
וַיְהִ֣י עַבְדְּךָ֗ עֹשֵׂ֥ה הֵ֛נָּה וָהֵ֖נָּה וְה֣וּא אֵינֶ֑נּוּ וַיֹּ֨אמֶר אֵלָ֧יו מֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵ֛ל כֵּ֥ן מִשְׁפָּטֶ֖ךָ אַתָּ֥ה חָרָֽצְתָּ׃ | 40 |
जब तेरा ख़ादिम इधर उधर मसरूफ़ था, वह चलता बना।” शाह — ए — इस्राईल ने उससे कहा, “तुझ पर वैसा ही फ़तवा होगा, तू ने ख़ुद इसका फ़ैसला किया।”
וַיְמַהֵ֕ר וַיָּ֙סַר֙ אֶת־הָ֣אֲפֵ֔ר מֵעֲלֵ֖י עֵינָ֑יו וַיַּכֵּ֤ר אֹתוֹ֙ מֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֔ל כִּ֥י מֵֽהַנְּבִאִ֖ים הֽוּא׃ | 41 |
तब उसने झट अपनी आँखों पर से पगड़ी हटा दी, और शाह — ए — इस्राईल ने उसे पहचाना कि वह नबियों में से है।
וַיֹּ֣אמֶר אֵלָ֗יו כֹּ֚ה אָמַ֣ר יְהוָ֔ה יַ֛עַן שִׁלַּ֥חְתָּ אֶת־אִישׁ־חֶרְמִ֖י מִיָּ֑ד וְהָיְתָ֤ה נַפְשְׁךָ֙ תַּ֣חַת נַפְשׁ֔וֹ וְעַמְּךָ֖ תַּ֥חַת עַמּֽוֹ׃ | 42 |
और उसने उससे कहा, ख़ुदावन्द ऐसा फ़रमाता है, “इसलिए कि तू ने अपने हाथ से एक ऐसे शख़्स को निकल जाने दिया, जिसे मैंने क़त्ल के लायक़ ठहराया था, इसलिए तुझे उसकी जान के बदले अपनी जान और उसके लोगों के बदले अपने लोग देने पड़ेंगे।”
וַיֵּ֧לֶךְ מֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵ֛ל עַל־בֵּית֖וֹ סַ֣ר וְזָעֵ֑ף וַיָּבֹ֖א שֹׁמְרֽוֹנָה׃ פ | 43 |
इसलिए शाह — ए — इस्राईल उदास और नाख़ुश होकर अपने घर को चला और सामरिया में आया।