< 1 מְלָכִים 2 >
וַיִּקְרְב֥וּ יְמֵֽי־דָוִ֖ד לָמ֑וּת וַיְצַ֛ו אֶת־שְׁלֹמֹ֥ה בְנ֖וֹ לֵאמֹֽר׃ | 1 |
और दाऊद के मरने के दिन नज़दीकआए, तब उसने अपने बेटे सुलेमान को वसीय्यत की और कहा कि,
אָנֹכִ֣י הֹלֵ֔ךְ בְּדֶ֖רֶךְ כָּל־הָאָ֑רֶץ וְחָזַקְתָּ֖ וְהָיִ֥יתָֽ לְאִֽישׁ׃ | 2 |
“मैं उसी रास्ते जाने वाला हूँ जो सारे जहान का है; इसलिए तू मज़बूत हो और मर्दानगी दिखा।
וְשָׁמַרְתָּ֞ אֶת־מִשְׁמֶ֣רֶת ׀ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֗יךָ לָלֶ֤כֶת בִּדְרָכָיו֙ לִשְׁמֹ֨ר חֻקֹּתָ֤יו מִצְוֹתָיו֙ וּמִשְׁפָּטָ֣יו וְעֵדְוֹתָ֔יו כַּכָּת֖וּב בְּתוֹרַ֣ת מֹשֶׁ֑ה לְמַ֣עַן תַּשְׂכִּ֗יל אֵ֚ת כָּל־אֲשֶׁ֣ר תַּֽעֲשֶׂ֔ה וְאֵ֛ת כָּל־אֲשֶׁ֥ר תִּפְנֶ֖ה שָֽׁם׃ | 3 |
और जो मूसा की शरी'अत में लिखा है, उसके मुताबिक़ ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की हिदायत को मानकर उसके रास्तों पर चल; और उसके क़ानून पर और उसके फ़रमानों और हुक्मों और शहादतों पर 'अमल कर, ताकि जो कुछ तू करे और जहाँ कहीं तू जाए, सब में तुझे कामयाबी हो,
לְמַעַן֩ יָקִ֨ים יְהוָ֜ה אֶת־דְּבָר֗וֹ אֲשֶׁ֨ר דִּבֶּ֣ר עָלַי֮ לֵאמֹר֒ אִם־יִשְׁמְר֨וּ בָנֶ֜יךָ אֶת־דַּרְכָּ֗ם לָלֶ֤כֶת לְפָנַי֙ בֶּאֱמֶ֔ת בְּכָל־לְבָבָ֖ם וּבְכָל־נַפְשָׁ֑ם לֵאמֹ֕ר לֹֽא־יִכָּרֵ֤ת לְךָ֙ אִ֔ישׁ מֵעַ֖ל כִּסֵּ֥א יִשְׂרָאֵֽל׃ | 4 |
और ख़ुदावन्द अपनी उस बात को क़ाईम रख्खे, जो उसने मेरे हक़ में कही कि, 'अगर तेरी औलाद अपने रास्ते की हिफ़ाज़त करके अपने सारे दिल और अपनी सारी जान से मेरे सामने सच्चाई से चले, तो इस्राईल के तख़्त पर तेरे यहाँ आदमी की कमी न होगी।
וְגַ֣ם אַתָּ֣ה יָדַ֡עְתָּ אֵת֩ אֲשֶׁר־עָ֨שָׂה לִ֜י יוֹאָ֣ב בֶּן־צְרוּיָ֗ה אֲשֶׁ֣ר עָשָׂ֣ה לִשְׁנֵֽי־שָׂרֵ֣י צִבְא֣וֹת יִ֠שְׂרָאֵל לְאַבְנֵ֨ר בֶּן־נֵ֜ר וְלַעֲמָשָׂ֤א בֶן־יֶ֙תֶר֙ וַיַּ֣הַרְגֵ֔ם וַיָּ֥שֶׂם דְּמֵֽי־מִלְחָמָ֖ה בְּשָׁלֹ֑ם וַיִּתֵּ֞ן דְּמֵ֣י מִלְחָמָ֗ה בַּחֲגֹֽרָתוֹ֙ אֲשֶׁ֣ר בְּמָתְנָ֔יו וּֽבְנַעֲל֖וֹ אֲשֶׁ֥ר בְּרַגְלָֽיו׃ | 5 |
“और तू ख़ुद जानता है कि ज़रोयाह के बेटे योआब ने मुझ से क्या — क्या किया, या'नी उसने इस्राईली लश्कर के दो सरदारों, नेर के बेटे अबनेर और यतर के बेटे 'अमासा से क्या किया, जिनको उसने क़त्ल किया और सुलह के वक़्त ख़ून — ए — जंग बहाया, और ख़ून — ए — जंग को अपने पटके पर जो उसकी कमर में बंधा था और अपनी जूतियों पर जो उसके पाँवों में थी लगाया।
וְעָשִׂ֖יתָ כְּחָכְמָתֶ֑ךָ וְלֹֽא־תוֹרֵ֧ד שֵׂיבָת֛וֹ בְּשָׁלֹ֖ם שְׁאֹֽל׃ ס (Sheol ) | 6 |
इसलिए तू अपनी हिकमत से काम लेना और उसके सफ़ेद सर को क़ब्र में सलामत उतरने न देना। (Sheol )
וְלִבְנֵ֨י בַרְזִלַּ֤י הַגִּלְעָדִי֙ תַּֽעֲשֶׂה־חֶ֔סֶד וְהָי֖וּ בְּאֹכְלֵ֣י שֻׁלְחָנֶ֑ךָ כִּי־כֵן֙ קָרְב֣וּ אֵלַ֔י בְּבָרְחִ֕י מִפְּנֵ֖י אַבְשָׁל֥וֹם אָחִֽיךָ׃ | 7 |
लेकिन बरज़िली जिल'आदी के बेटों पर महेरबानी करना, और वह उनमें शामिल हों जो तेरे दस्तरख़्वान पर खाना खाया करेंगे, क्यूँकि वह ऐसा ही करने को मेरे पास आए जब मैं तेरे भाई अबीसलोम की वजह से भागा था।
וְהִנֵּ֣ה עִ֠מְּךָ שִֽׁמְעִ֨י בֶן־גֵּרָ֥א בֶן־הַיְמִינִי֮ מִבַּחֻרִים֒ וְה֤וּא קִֽלְלַ֙נִי֙ קְלָלָ֣ה נִמְרֶ֔צֶת בְּי֖וֹם לֶכְתִּ֣י מַחֲנָ֑יִם וְהֽוּא־יָרַ֤ד לִקְרָאתִי֙ הַיַּרְדֵּ֔ן וָאֶשָּׁ֨בַֽע ל֤וֹ בַֽיהוָה֙ לֵאמֹ֔ר אִם־אֲמִֽיתְךָ֖ בֶּחָֽרֶב׃ | 8 |
और देख, बिनयमीनी जीरा का बेटा बहूरीमी सिम'ई तेरे साथ है, जिसने उस दिन जब कि मैं महनायम को जाता था बहुत बुरी तरह मुझ पर ला'नत की, लेकिन वह यरदन पर मुझ से मिलने को आया, और मैंने ख़ुदावन्द की क़सम खाकर उससे कहा कि “मैं तुझे तलवार से क़त्ल नहीं करूँगा।
וְעַתָּה֙ אַל־תְּנַקֵּ֔הוּ כִּ֛י אִ֥ישׁ חָכָ֖ם אָ֑תָּה וְיָֽדַעְתָּ֙ אֵ֣ת אֲשֶׁ֣ר תַּֽעֲשֶׂה־לּ֔וֹ וְהוֹרַדְתָּ֧ אֶת־שֵׂיבָת֛וֹ בְּדָ֖ם שְׁאֽוֹל׃ (Sheol ) | 9 |
तब तू उसको बेगुनाह न ठहराना, क्यूँकि तू ''अक़्लमन्द आदमी है और तू जानता है कि तुझे उसके साथ क्या करना चाहिए, इसलिए तू उसका सफ़ेद सर लहू लुहान करके क़ब्र में उतारना।” (Sheol )
וַיִּשְׁכַּ֥ב דָּוִ֖ד עִם־אֲבֹתָ֑יו וַיִּקָּבֵ֖ר בְּעִ֥יר דָּוִֽד׃ פ | 10 |
और दाऊद अपने बाप — दादा के साथ सो गया और दाऊद के शहर में दफ़्न हुआ।
וְהַיָּמִ֗ים אֲשֶׁ֨ר מָלַ֤ךְ דָּוִד֙ עַל־יִשְׂרָאֵ֔ל אַרְבָּעִ֖ים שָׁנָ֑ה בְּחֶבְר֤וֹן מָלַךְ֙ שֶׁ֣בַע שָׁנִ֔ים וּבִירוּשָׁלִַ֣ם מָלַ֔ךְ שְׁלֹשִׁ֥ים וְשָׁלֹ֖שׁ שָׁנִֽים׃ | 11 |
और कुल मुद्दत जिसमें दाऊद ने इस्राईल पर हुकूमत की चालीस साल की थी; सात साल तो उसने हबरून में हुकूमत की, और सैंतीस साल येरूशलेम में।
וּשְׁלֹמֹ֕ה יָשַׁ֕ב עַל־כִּסֵּ֖א דָּוִ֣ד אָבִ֑יו וַתִּכֹּ֥ן מַלְכֻת֖וֹ מְאֹֽד׃ | 12 |
और सुलेमान अपने बाप दाऊद के तख़्त पर बैठा और उसकी हुकूमत बहुत ही मज़्बूत हुई।
וַיָּבֹ֞א אֲדֹנִיָּ֣הוּ בֶן־חַגֵּ֗ית אֶל־בַּת־שֶׁ֙בַע֙ אֵם־שְׁלֹמֹ֔ה וַתֹּ֖אמֶר הֲשָׁל֣וֹם בֹּאֶ֑ךָ וַיֹּ֖אמֶר שָׁלֽוֹם׃ | 13 |
तब हज्जीत का बेटा अदूनियाह, सुलेमान की माँ बतसबा' के पास आया; उसने पूछा, “तू सुलह के ख़्याल से आया है?” उसने कहा, “सुलह के ख़्याल से।”
וַיֹּ֕אמֶר דָּבָ֥ר לִ֖י אֵלָ֑יִךְ וַתֹּ֖אמֶר דַּבֵּֽר׃ | 14 |
फिर उसने कहा, “मुझे तुझ से कुछ कहना है।” उसने कहा, “कह।”
וַיֹּ֗אמֶר אַ֤תְּ יָדַ֙עַתְּ֙ כִּי־לִי֙ הָיְתָ֣ה הַמְּלוּכָ֔ה וְעָלַ֞י שָׂ֧מוּ כָֽל־יִשְׂרָאֵ֛ל פְּנֵיהֶ֖ם לִמְלֹ֑ךְ וַתִּסֹּ֤ב הַמְּלוּכָה֙ וַתְּהִ֣י לְאָחִ֔י כִּ֥י מֵיְהוָ֖ה הָ֥יְתָה לּֽוֹ׃ | 15 |
उसने कहा, “तू जानती है कि हुकूमत मेरी थी, और सब इस्राईली मेरी तरफ़ मुतवज्जिह थे कि मैं हुकूमत करूँ, लेकिन हुकूमत पलट गई और मेरे भाई की हो गई, क्यूँकि ख़ुदावन्द की तरफ़ से यह उसी की थी।
וְעַתָּ֗ה שְׁאֵלָ֤ה אַחַת֙ אָֽנֹכִי֙ שֹׁאֵ֣ל מֵֽאִתָּ֔ךְ אַל־תָּשִׁ֖בִי אֶת־פָּנָ֑י וַתֹּ֥אמֶר אֵלָ֖יו דַּבֵּֽר׃ | 16 |
इसलिए मेरी तुझ से एक दरख़्वास्त है, नामंजूर न कर।” उसने कहा, “बयान कर।”
וַיֹּ֗אמֶר אִמְרִי־נָא֙ לִשְׁלֹמֹ֣ה הַמֶּ֔לֶךְ כִּ֥י לֹֽא־יָשִׁ֖יב אֶת־פָּנָ֑יִךְ וְיִתֶּן־לִ֛י אֶת־אֲבִישַׁ֥ג הַשּׁוּנַמִּ֖ית לְאִשָּֽׁה׃ | 17 |
उसने कहा, “ज़रा सुलेमान बादशाह से कह, क्यूँकि वह तेरी बात को नहीं टालेगा, कि अबीशाग शून्मीत को मुझे ब्याह दे।”
וַתֹּ֥אמֶר בַּת־שֶׁ֖בַע ט֑וֹב אָנֹכִ֕י אֲדַבֵּ֥ר עָלֶ֖יךָ אֶל־הַמֶּֽלֶךְ׃ | 18 |
बतसबा' ने कहा, “अच्छा, मैं तेरे लिए बादशाह से 'दरख़्वास्त करूँगी।”
וַתָּבֹ֤א בַת־שֶׁ֙בַע֙ אֶל־הַמֶּ֣לֶךְ שְׁלֹמֹ֔ה לְדַבֶּר־ל֖וֹ עַל־אֲדֹנִיָּ֑הוּ וַיָּקָם֩ הַמֶּ֨לֶךְ לִקְרָאתָ֜הּ וַיִּשְׁתַּ֣חוּ לָ֗הּ וַיֵּ֙שֶׁב֙ עַל־כִּסְא֔וֹ וַיָּ֤שֶׂם כִּסֵּא֙ לְאֵ֣ם הַמֶּ֔לֶךְ וַתֵּ֖שֶׁב לִֽימִינֽוֹ׃ | 19 |
तब बतसबा' सुलेमान बादशाह के पास गई, ताकि उससे अदूनियाह के लिए 'दरख़्वास्त करे। बादशाह उसके इस्तक़बाल के वास्ते उठा और उसके सामने झुका, फिर अपने तख़्त पर बैठा; और उसने बादशाह की माँ के लिए एक तख़्त लगवाया, तब वह उसके दहने हाथ बैठी;
וַתֹּ֗אמֶר שְׁאֵלָ֨ה אַחַ֤ת קְטַנָּה֙ אָֽנֹכִי֙ שֹׁאֶ֣לֶת מֵֽאִתָּ֔ךְ אַל־תָּ֖שֶׁב אֶת־פָּנָ֑י וַיֹּֽאמֶר־לָ֤הּ הַמֶּ֙לֶךְ֙ שַׁאֲלִ֣י אִמִּ֔י כִּ֥י לֹֽא־אָשִׁ֖יב אֶת־פָּנָֽיִךְ׃ | 20 |
और कहने लगी, “मेरी तुझ से एक छोटी सी दरख़्वास्त है; तू मुझ से इन्कार न करना।” बादशाह ने उससे कहा, “ऐ मेरी माँ, इरशाद फ़रमा; मुझे तुझ से इन्कार न होगा।”
וַתֹּ֕אמֶר יֻתַּ֖ן אֶת־אֲבִישַׁ֣ג הַשֻּׁנַמִּ֑ית לַאֲדֹנִיָּ֥הוּ אָחִ֖יךָ לְאִשָּֽׁה׃ | 21 |
उसने कहा, “अबीशाग शून्मीत तेरे भाई अदूनियाह को ब्याह दी जाए।”
וַיַּעַן֩ הַמֶּ֨לֶךְ שְׁלֹמֹ֜ה וַיֹּ֣אמֶר לְאִמּ֗וֹ וְלָמָה֩ אַ֨תְּ שֹׁאֶ֜לֶת אֶת־אֲבִישַׁ֤ג הַשֻּׁנַמִּית֙ לַאֲדֹ֣נִיָּ֔הוּ וְשַֽׁאֲלִי־לוֹ֙ אֶת־הַמְּלוּכָ֔ה כִּ֛י ה֥וּא אָחִ֖י הַגָּד֣וֹל מִמֶּ֑נִּי וְלוֹ֙ וּלְאֶבְיָתָ֣ר הַכֹּהֵ֔ן וּלְיוֹאָ֖ב בֶּן־צְרוּיָֽה׃ פ | 22 |
सुलेमान बादशाह ने अपनी माँ को जवाब दिया, “तू अबीशाग शून्मीत ही को अदूनियाह के लिए क्यूँ माँगती है? उसके लिए हुकूमत भी माँग, क्यूँकि वह तो मेरा बड़ा भाई है; बल्कि उसके लिए क्या, अबीयातर काहिन और ज़रोयाह के बेटे योआब के लिए भी माँग।”
וַיִּשָּׁבַע֙ הַמֶּ֣לֶךְ שְׁלֹמֹ֔ה בַּֽיהוָ֖ה לֵאמֹ֑ר כֹּ֣ה יַֽעֲשֶׂה־לִּ֤י אֱלֹהִים֙ וְכֹ֣ה יוֹסִ֔יף כִּ֣י בְנַפְשׁ֔וֹ דִּבֶּר֙ אֲדֹ֣נִיָּ֔הוּ אֶת־הַדָּבָ֖ר הַזֶּֽה׃ | 23 |
तब सुलेमान बादशाह ने ख़ुदावन्द की क़सम खाई और कहा कि “अगर अदूनियाह ने यह बात अपनी ही जान के ख़िलाफ़ नहीं कही, तो ख़ुदा मुझ से ऐसा ही, बल्कि इससे भी ज़्यादा करे।
וְעַתָּ֗ה חַי־יְהוָה֙ אֲשֶׁ֣ר הֱכִינַ֗נִי וַיּֽוֹשִׁיבַ֙נִי֙ עַל־כִּסֵּא֙ דָּוִ֣ד אָבִ֔י וַאֲשֶׁ֧ר עָֽשָׂה־לִ֛י בַּ֖יִת כַּאֲשֶׁ֣ר דִּבֵּ֑ר כִּ֣י הַיּ֔וֹם יוּמַ֖ת אֲדֹנִיָּֽהוּ׃ | 24 |
इसलिए अब ख़ुदावन्द की हयात की क़सम जिसने मुझ को क़याम बख़्शा, और मुझ को मेरे बाप दाऊद के तख़्त पर बिठाया, और मेरे लिए अपने वा'दे के मुताबिक़ एक घर बनाया, यक़ीनन अदूनियाह आज ही क़त्ल किया जाएगा।”
וַיִּשְׁלַח֙ הַמֶּ֣לֶךְ שְׁלֹמֹ֔ה בְּיַ֖ד בְּנָיָ֣הוּ בֶן־יְהוֹיָדָ֑ע וַיִּפְגַּע־בּ֖וֹ וַיָּמֹֽת׃ ס | 25 |
और सुलेमान बादशाह ने यहूयदा' के बेटे बिनायाह को भेजा: उसने उस पर ऐसा वार किया कि वह मर गया।
וּלְאֶבְיָתָ֨ר הַכֹּהֵ֜ן אָמַ֣ר הַמֶּ֗לֶךְ עֲנָתֹת֙ לֵ֣ךְ עַל־שָׂדֶ֔יךָ כִּ֛י אִ֥ישׁ מָ֖וֶת אָ֑תָּה וּבַיּ֨וֹם הַזֶּ֜ה לֹ֣א אֲמִיתֶ֗ךָ כִּֽי־נָשָׂ֜אתָ אֶת־אֲר֨וֹן אֲדֹנָ֤י יְהֹוִה֙ לִפְנֵי֙ דָּוִ֣ד אָבִ֔י וְכִ֣י הִתְעַנִּ֔יתָ בְּכֹ֥ל אֲשֶֽׁר־הִתְעַנָּ֖ה אָבִֽי׃ | 26 |
फिर बादशाह ने अबीयातर काहिन से कहा, “तू अनतोत को अपने खेतों में चला जा क्यूँकि तू क़त्ल के लायक़ है, लेकिन मैं इस वक़्त तुझ को क़त्ल नहीं करता क्यूँकि तू मेरे बाप दाऊद के सामने ख़ुदावन्द यहोवाह का सन्दूक़ उठाया करता था; और जो जो मुसीबत मेरे बाप पर आई वह तुझ पर भी आई।”
וַיְגָ֤רֶשׁ שְׁלֹמֹה֙ אֶת־אֶבְיָתָ֔ר מִהְי֥וֹת כֹּהֵ֖ן לַֽיהוָ֑ה לְמַלֵּא֙ אֶת־דְּבַ֣ר יְהוָ֔ה אֲשֶׁ֥ר דִּבֶּ֛ר עַל־בֵּ֥ית עֵלִ֖י בְּשִׁלֹֽה׃ פ | 27 |
तब सुलेमान ने अबीयातर को ख़ुदावन्द के काहिन के उहदे से बरतरफ़ किया, ताकि वह ख़ुदावन्द के उस क़ौल को पूरा करे जो उसने शीलोह में एली के घराने के हक़ में कहा था।
וְהַשְּׁמֻעָה֙ בָּ֣אָה עַד־יוֹאָ֔ב כִּ֣י יוֹאָ֗ב נָטָה֙ אַחֲרֵ֣י אֲדֹנִיָּ֔ה וְאַחֲרֵ֥י אַבְשָׁל֖וֹם לֹ֣א נָטָ֑ה וַיָּ֤נָס יוֹאָב֙ אֶל־אֹ֣הֶל יְהוָ֔ה וַֽיַּחֲזֵ֖ק בְּקַרְנ֥וֹת הַמִּזְבֵּֽחַ׃ | 28 |
और यह ख़बर योआब तक पहुँची: क्यूँकि योआब अदूनियाह का तो पैरोकार हो गया था, अगर्चे वह अबीसलोम का पैरोकार नहीं हुआ था। इसलिए योआब ख़ुदावन्द के ख़ेमे को भाग गया, और मज़बह के सींग पकड़ लिए।
וַיֻּגַּ֞ד לַמֶּ֣לֶךְ שְׁלֹמֹ֗ה כִּ֣י נָ֤ס יוֹאָב֙ אֶל־אֹ֣הֶל יְהוָ֔ה וְהִנֵּ֖ה אֵ֣צֶל הַמִּזְבֵּ֑חַ וַיִּשְׁלַ֨ח שְׁלֹמֹ֜ה אֶת־בְּנָיָ֧הוּ בֶן־יְהוֹיָדָ֛ע לֵאמֹ֖ר לֵ֥ךְ פְּגַע־בּֽוֹ׃ | 29 |
और सुलेमान बादशाह को ख़बर हुई, “योआब ख़ुदावन्द के ख़ैमे को भाग गया है; और देख, वह मज़बह के पास है।” तब सुलेमान ने यहूयदा' के बेटे बिनायाह को यह कहकर भेजा कि, “जाकर उस पर वार कर।”
וַיָּבֹ֨א בְנָיָ֜הוּ אֶל־אֹ֣הֶל יְהוָ֗ה וַיֹּ֨אמֶר אֵלָ֜יו כֹּֽה־אָמַ֤ר הַמֶּ֙לֶךְ֙ צֵ֔א וַיֹּ֥אמֶר ׀ לֹ֖א כִּ֣י פֹ֣ה אָמ֑וּת וַיָּ֨שֶׁב בְּנָיָ֤הוּ אֶת־הַמֶּ֙לֶךְ֙ דָּבָ֣ר לֵאמֹ֔ר כֹּֽה־דִבֶּ֥ר יוֹאָ֖ב וְכֹ֥ה עָנָֽנִי׃ | 30 |
तब बिनायाह ख़ुदावन्द के ख़ैमे को गया, और उसने उससे कहा, “बादशाह यूँ फ़रमाता है कि तू बाहर निकल आ।” उसने कहा, “नहीं, बल्कि मैं यहीं मरूँगा।” तब बिनायाह ने लौट कर बादशाह को ख़बर दी कि “योआब ने ऐसा कहा है, और उसने मुझे ऐसा जवाब दिया।”
וַיֹּ֧אמֶר ל֣וֹ הַמֶּ֗לֶךְ עֲשֵׂה֙ כַּאֲשֶׁ֣ר דִּבֶּ֔ר וּפְגַע־בּ֖וֹ וּקְבַרְתּ֑וֹ וַהֲסִירֹ֣תָ ׀ דְּמֵ֣י חִנָּ֗ם אֲשֶׁר֙ שָׁפַ֣ךְ יוֹאָ֔ב מֵעָלַ֕י וּמֵעַ֖ל בֵּ֥ית אָבִֽי׃ | 31 |
तब बादशाह ने उससे कहा, “जैसा उसने कहा वैसा ही कर, और उस पर वार कर और उसे दफ़्न कर दे; ताकि तू उस ख़ून को जो योआब ने बे वजह बहाया, मुझ पर से और मेरे बाप के घर पर से दूर कर दे।
וְהֵשִׁיב֩ יְהוָ֨ה אֶת־דָּמ֜וֹ עַל־רֹאשׁ֗וֹ אֲשֶׁ֣ר פָּגַ֣ע בִּשְׁנֵֽי־אֲ֠נָשִׁים צַדִּקִ֨ים וְטֹבִ֤ים מִמֶּ֙נּוּ֙ וַיַּהַרְגֵ֣ם בַּחֶ֔רֶב וְאָבִ֥י דָוִ֖ד לֹ֣א יָדָ֑ע אֶת־אַבְנֵ֤ר בֶּן־נֵר֙ שַׂר־צְבָ֣א יִשְׂרָאֵ֔ל וְאֶת־עֲמָשָׂ֥א בֶן־יֶ֖תֶר שַׂר־צְבָ֥א יְהוּדָֽה׃ | 32 |
और ख़ुदावन्द उसका ख़ून उल्टा उसी के सर पर लाएगा, क्यूँकि उसने दो शख़्सों पर जो उससे ज़्यादा रास्तबाज़ और अच्छे थे, या'नी नेर के बेटे अबनेर पर जो इस्राईली लश्कर का सरदार था और यतर के बेटे 'अमासा पर जो यहूदाह की फ़ौज का सरदार था, वार किया और उनको तलवार से क़त्ल किया, और मेरे बाप दाऊद को मा'लूम न था।
וְשָׁ֤בוּ דְמֵיהֶם֙ בְּרֹ֣אשׁ יוֹאָ֔ב וּבְרֹ֥אשׁ זַרְע֖וֹ לְעֹלָ֑ם וּלְדָוִ֡ד וּ֠לְזַרְעוֹ וּלְבֵית֨וֹ וּלְכִסְא֜וֹ יִהְיֶ֥ה שָׁל֛וֹם עַד־עוֹלָ֖ם מֵעִ֥ם יְהוָֽה׃ | 33 |
इसलिए उनका ख़ून योआब के सर पर और उसकी नसल के सर पर हमेशा तक रहेगा, लेकिन दाऊद पर और उसकी नसल पर और उसके घर पर और उसके तख़्त पर हमेशा तक ख़ुदावन्द की तरफ़ से सलामती होगी।”
וַיַּ֗עַל בְּנָיָ֙הוּ֙ בֶּן־יְה֣וֹיָדָ֔ע וַיִּפְגַּע־בּ֖וֹ וַיְמִתֵ֑הוּ וַיִּקָּבֵ֥ר בְּבֵית֖וֹ בַּמִּדְבָּֽר׃ | 34 |
तब यहूयदा' का बेटा बिनायाह गया, और उसने उस पर वार करके उसे क़त्ल किया; और वह वीरान के बीच अपने ही घर में दफ़्न हुआ।
וַיִּתֵּ֨ן הַמֶּ֜לֶךְ אֶת־בְּנָיָ֧הוּ בֶן־יְהוֹיָדָ֛ע תַּחְתָּ֖יו עַל־הַצָּבָ֑א וְאֶת־צָד֤וֹק הַכֹּהֵן֙ נָתַ֣ן הַמֶּ֔לֶךְ תַּ֖חַת אֶבְיָתָֽר׃ | 35 |
और बादशाह ने यहूयदा' के बेटे बिनायाह को उसकी जगह लश्कर पर मुक़र्रर किया; और सदूक़ काहिन को बादशाह ने अबीयातर की जगह रखा।
וַיִּשְׁלַ֤ח הַמֶּ֙לֶךְ֙ וַיִּקְרָ֣א לְשִׁמְעִ֔י וַיֹּ֣אמֶר ל֗וֹ בְּֽנֵה־לְךָ֥ בַ֙יִת֙ בִּיר֣וּשָׁלִַ֔ם וְיָשַׁבְתָּ֖ שָׁ֑ם וְלֹֽא־תֵצֵ֥א מִשָּׁ֖ם אָ֥נֶה וָאָֽנָה׃ | 36 |
फिर बादशाह ने सिम'ई को बुला भेजा और उससे कहा कि “येरूशलेम में अपने लिए एक घर बना ले और वहीं रह, और वहाँ से कहीं न जाना;
וְהָיָ֣ה ׀ בְּי֣וֹם צֵאתְךָ֗ וְעָֽבַרְתָּ֙ אֶת־נַ֣חַל קִדְר֔וֹן יָדֹ֥עַ תֵּדַ֖ע כִּ֣י מ֣וֹת תָּמ֑וּת דָּמְךָ֖ יִהְיֶ֥ה בְרֹאשֶֽׁךָ׃ | 37 |
क्यूँकि जिस दिन तू बाहर निकलेगा और नहर — ए — क़िद्रोन के पार जाएगा, तू यक़ीन जान ले कि तू ज़रूर मारा जाएगा, और तेरा ख़ून तेरे ही सर पर होगा।”
וַיֹּ֨אמֶר שִׁמְעִ֤י לַמֶּ֙לֶךְ֙ ט֣וֹב הַדָּבָ֔ר כַּאֲשֶׁ֤ר דִּבֶּר֙ אֲדֹנִ֣י הַמֶּ֔לֶךְ כֵּ֖ן יַעֲשֶׂ֣ה עַבְדֶּ֑ךָ וַיֵּ֧שֶׁב שִׁמְעִ֛י בִּירוּשָׁלִַ֖ם יָמִ֥ים רַבִּֽים׃ ס | 38 |
और सिम'ई ने बादशाह से कहा, “यह बात अच्छी है; जैसा मेरे मालिक बादशाह ने कहा है, तेरा ख़ादिम वैसा ही करेगा।” इसलिए सिम्ई बहुत दिनों तक येरूशलेम में रहा।
וַיְהִ֗י מִקֵּץ֙ שָׁלֹ֣שׁ שָׁנִ֔ים וַיִּבְרְח֤וּ שְׁנֵֽי־עֲבָדִים֙ לְשִׁמְעִ֔י אֶל־אָכִ֥ישׁ בֶּֽן־מַעֲכָ֖ה מֶ֣לֶךְ גַּ֑ת וַיַּגִּ֤ידוּ לְשִׁמְעִי֙ לֵאמֹ֔ר הִנֵּ֥ה עֲבָדֶ֖יךָ בְּגַֽת׃ | 39 |
और तीन साल के आख़िर में ऐसा हुआ कि सिम्ई के नौकरों में से दो आदमी जात के बादशाह अकीस — बिन — मा'काह के यहाँ भाग गए। और उन्होंने सिम'ई को बताया कि, “देख, तेरे नौकर जात में है।”
וַיָּ֣קָם שִׁמְעִ֗י וַֽיַּחֲבֹשׁ֙ אֶת־חֲמֹר֔וֹ וַיֵּ֤לֶךְ גַּ֙תָה֙ אֶל־אָכִ֔ישׁ לְבַקֵּ֖שׁ אֶת־עֲבָדָ֑יו וַיֵּ֣לֶךְ שִׁמְעִ֔י וַיָּבֵ֥א אֶת־עֲבָדָ֖יו מִגַּֽת׃ | 40 |
तब सिम'ई ने उठकर अपने गधे पर ज़ीन कसा, और अपने नौकरों की तलाश में जात को अकीस के पास गया; और सिम्'ई जाकर अपने नौकरों को जात से ले आया।
וַיֻּגַּ֖ד לִשְׁלֹמֹ֑ה כִּי־הָלַ֨ךְ שִׁמְעִ֧י מִירוּשָׁלִַ֛ם גַּ֖ת וַיָּשֹֽׁב׃ | 41 |
और यह ख़बर सुलेमान को मिली कि सिम'ई येरूशलेम से जात को गया था और वापस आ गया है,
וַיִּשְׁלַ֨ח הַמֶּ֜לֶךְ וַיִּקְרָ֣א לְשִׁמְעִ֗י וַיֹּ֨אמֶר אֵלָ֜יו הֲל֧וֹא הִשְׁבַּעְתִּ֣יךָ בַֽיהוָ֗ה וָאָעִ֤ד בְּךָ֙ לֵאמֹ֔ר בְּי֣וֹם צֵאתְךָ֗ וְהָֽלַכְתָּ֙ אָ֣נֶה וָאָ֔נָה יָדֹ֥עַ תֵּדַ֖ע כִּ֣י מ֣וֹת תָּמ֑וּת וַתֹּ֧אמֶר אֵלַ֛י ט֥וֹב הַדָּבָ֖ר שָׁמָֽעְתִּי׃ | 42 |
तब बादशाह ने सिम'ई को बुला भेजा और उससे कहा, “क्या मैंने तुझे ख़ुदावन्द की क़सम न खिलाई और तुझ को बता न दिया कि, 'यक़ीन जान ले कि जिस दिन तू बाहर निकला और इधर — उधर कहीं गया, तो ज़रूर मारा जाएगा'? और तू ने मुझ से यह कहा कि जो बात मैंने सुनी, वह अच्छी है।
וּמַדּ֕וּעַ לֹ֣א שָׁמַ֔רְתָּ אֵ֖ת שְׁבֻעַ֣ת יְהוָ֑ה וְאֶת־הַמִּצְוָ֖ה אֲשֶׁר־צִוִּ֥יתִי עָלֶֽיךָ׃ | 43 |
इसलिए तूने ख़ुदावन्द की क़सम को, और उस हुक्म को जिसकी मैंने तुझे ताकीद की, क्यूँ न माना?”
וַיֹּ֨אמֶר הַמֶּ֜לֶךְ אֶל־שִׁמְעִ֗י אַתָּ֤ה יָדַ֙עְתָּ֙ אֵ֣ת כָּל־הָרָעָ֗ה אֲשֶׁ֤ר יָדַע֙ לְבָ֣בְךָ֔ אֲשֶׁ֥ר עָשִׂ֖יתָ לְדָוִ֣ד אָבִ֑י וְהֵשִׁ֧יב יְהוָ֛ה אֶת־רָעָתְךָ֖ בְּרֹאשֶֽׁךָ׃ | 44 |
और बादशाह ने सिम'ई से यह भी कहा, “तू उस सारी शरारत को जो तू ने मेरे बाप दाऊद से की, जिससे तेरा दिल वाकिफ़ है जानता है; इसलिए ख़ुदावन्द तेरी शरारत को उल्टा तेरे ही सर पर लाएगा।
וְהַמֶּ֥לֶךְ שְׁלֹמֹ֖ה בָּר֑וּךְ וְכִסֵּ֣א דָוִ֗ד יִהְיֶ֥ה נָכ֛וֹן לִפְנֵ֥י יְהוָ֖ה עַד־עוֹלָֽם׃ | 45 |
लेकिन सुलेमान बादशाह मुबारक होगा, और दाऊद का तख़्त ख़ुदावन्द के सामने हमेशा क़ाईम रहेगा।”
וַיְצַ֣ו הַמֶּ֗לֶךְ אֶת־בְּנָיָ֙הוּ֙ בֶּן־יְה֣וֹיָדָ֔ע וַיֵּצֵ֕א וַיִּפְגַּע־בּ֖וֹ וַיָּמֹ֑ת וְהַמַּמְלָכָ֥ה נָכ֖וֹנָה בְּיַד־שְׁלֹמֹֽה׃ | 46 |
और बादशाह ने यहूयदा' के बेटे बिनायाह को हुक्म दिया, तब उसने बाहर जाकर उस पर ऐसा वार किया कि वह मर गया। और हुकूमत सुलेमान के हाथ में मज़बूत हो गई।