< 1 מְלָכִים 13 >
וְהִנֵּ֣ה ׀ אִ֣ישׁ אֱלֹהִ֗ים בָּ֧א מִיהוּדָ֛ה בִּדְבַ֥ר יְהוָ֖ה אֶל־בֵּֽית־אֵ֑ל וְיָרָבְעָ֛ם עֹמֵ֥ד עַל־הַמִּזְבֵּ֖חַ לְהַקְטִֽיר׃ | 1 |
१तब यहोवा से वचन पाकर परमेश्वर का एक जन यहूदा से बेतेल को आया, और यारोबाम धूप जलाने के लिये वेदी के पास खड़ा था।
וַיִּקְרָ֤א עַל־הַמִּזְבֵּ֙חַ֙ בִּדְבַ֣ר יְהוָ֔ה וַיֹּ֙אמֶר֙ מִזְבֵּ֣חַ מִזְבֵּ֔חַ כֹּ֖ה אָמַ֣ר יְהוָ֑ה הִנֵּֽה־בֵ֞ן נוֹלָ֤ד לְבֵית־דָּוִד֙ יֹאשִׁיָּ֣הוּ שְׁמ֔וֹ וְזָבַ֣ח עָלֶ֗יךָ אֶת־כֹּהֲנֵ֤י הַבָּמוֹת֙ הַמַּקְטִרִ֣ים עָלֶ֔יךָ וְעַצְמ֥וֹת אָדָ֖ם יִשְׂרְפ֥וּ עָלֶֽיךָ׃ | 2 |
२उस जन ने यहोवा से वचन पाकर वेदी के विरुद्ध यह पुकारा, “वेदी, हे वेदी! यहोवा यह कहता है, कि सुन, दाऊद के कुल में योशिय्याह नामक एक लड़का उत्पन्न होगा, वह उन ऊँचे स्थानों के याजकों को जो तुझ पर धूप जलाते हैं, तुझ पर बलि कर देगा; और तुझ पर मनुष्यों की हड्डियाँ जलाई जाएँगी।”
וְנָתַן֩ בַּיּ֨וֹם הַה֤וּא מוֹפֵת֙ לֵאמֹ֔ר זֶ֣ה הַמּוֹפֵ֔ת אֲשֶׁ֖ר דִּבֶּ֣ר יְהוָ֑ה הִנֵּ֤ה הַמִּזְבֵּ֙חַ֙ נִקְרָ֔ע וְנִשְׁפַּ֖ךְ הַדֶּ֥שֶׁן אֲשֶׁר־עָלָֽיו׃ | 3 |
३और उसने, उसी दिन यह कहकर उस बात का एक चिन्ह भी बताया, “यह वचन जो यहोवा ने कहा है, इसका चिन्ह यह है कि यह वेदी फट जाएगी, और इस पर की राख गिर जाएगी।”
וַיְהִי֩ כִשְׁמֹ֨עַ הַמֶּ֜לֶךְ אֶת־דְּבַ֣ר אִישׁ־הָאֱלֹהִ֗ים אֲשֶׁ֨ר קָרָ֤א עַל־הַמִּזְבֵּ֙חַ֙ בְּבֵֽית־אֵ֔ל וַיִּשְׁלַ֨ח יָרָבְעָ֧ם אֶת־יָד֛וֹ מֵעַ֥ל הַמִּזְבֵּ֖חַ לֵאמֹ֣ר ׀ תִּפְשֻׂ֑הוּ וַתִּיבַ֤שׁ יָדוֹ֙ אֲשֶׁ֣ר שָׁלַ֣ח עָלָ֔יו וְלֹ֥א יָכֹ֖ל לַהֲשִׁיבָ֥הּ אֵלָֽיו׃ | 4 |
४तब ऐसा हुआ कि परमेश्वर के जन का यह वचन सुनकर जो उसने बेतेल की वेदी के विरुद्ध पुकारकर कहा, यारोबाम ने वेदी के पास से हाथ बढ़ाकर कहा, “उसको पकड़ लो!” तब उसका हाथ जो उसकी ओर बढ़ाया गया था, सूख गया और वह उसे अपनी ओर खींच न सका।
וְהַמִּזְבֵּ֣חַ נִקְרָ֔ע וַיִּשָּׁפֵ֥ךְ הַדֶּ֖שֶׁן מִן־הַמִּזְבֵּ֑חַ כַּמּוֹפֵ֗ת אֲשֶׁ֥ר נָתַ֛ן אִ֥ישׁ הָאֱלֹהִ֖ים בִּדְבַ֥ר יְהוָֽה׃ | 5 |
५और वेदी फट गई, और उस पर की राख गिर गई; अतः वह चिन्ह पूरा हुआ, जो परमेश्वर के जन ने यहोवा से वचन पाकर कहा था।
וַיַּ֨עַן הַמֶּ֜לֶךְ וַיֹּ֣אמֶר ׀ אֶל־אִ֣ישׁ הָאֱלֹהִ֗ים חַל־נָ֞א אֶת־פְּנֵ֨י יְהוָ֤ה אֱלֹהֶ֙יךָ֙ וְהִתְפַּלֵּ֣ל בַּעֲדִ֔י וְתָשֹׁ֥ב יָדִ֖י אֵלָ֑י וַיְחַ֤ל אִישׁ־הָֽאֱלֹהִים֙ אֶת־פְּנֵ֣י יְהוָ֔ה וַתָּ֤שָׁב יַד־הַמֶּ֙לֶךְ֙ אֵלָ֔יו וַתְּהִ֖י כְּבָרִֽאשֹׁנָֽה׃ | 6 |
६तब राजा ने परमेश्वर के जन से कहा, “अपने परमेश्वर यहोवा को मना और मेरे लिये प्रार्थना कर, कि मेरा हाथ ज्यों का त्यों हो जाए!” तब परमेश्वर के जन ने यहोवा को मनाया और राजा का हाथ फिर ज्यों का त्यों हो गया।
וַיְדַבֵּ֤ר הַמֶּ֙לֶךְ֙ אֶל־אִ֣ישׁ הָאֱלֹהִ֔ים בֹּאָה־אִתִּ֥י הַבַּ֖יְתָה וּֽסְעָ֑דָה וְאֶתְּנָ֥ה לְךָ֖ מַתָּֽת׃ | 7 |
७तब राजा ने परमेश्वर के जन से कहा, “मेरे संग घर चलकर अपना प्राण ठंडा कर, और मैं तुझे दान भी दूँगा।”
וַיֹּ֤אמֶר אִישׁ־הָֽאֱלֹהִים֙ אֶל־הַמֶּ֔לֶךְ אִם־תִּתֶּן־לִי֙ אֶת־חֲצִ֣י בֵיתֶ֔ךָ לֹ֥א אָבֹ֖א עִמָּ֑ךְ וְלֹֽא־אֹ֤כַל לֶ֙חֶם֙ וְלֹ֣א אֶשְׁתֶּה־מַּ֔יִם בַּמָּק֖וֹם הַזֶּֽה׃ | 8 |
८परमेश्वर के जन ने राजा से कहा, “चाहे तू मुझे अपना आधा घर भी दे, तो भी तेरे घर न चलूँगा और इस स्थान में मैं न तो रोटी खाऊँगा और न पानी पीऊँगा।
כִּֽי־כֵ֣ן ׀ צִוָּ֣ה אֹתִ֗י בִּדְבַ֤ר יְהוָה֙ לֵאמֹ֔ר לֹא־תֹ֥אכַל לֶ֖חֶם וְלֹ֣א תִשְׁתֶּה־מָּ֑יִם וְלֹ֣א תָשׁ֔וּב בַּדֶּ֖רֶךְ אֲשֶׁ֥ר הָלָֽכְתָּ׃ | 9 |
९क्योंकि यहोवा के वचन के द्वारा मुझे यह आज्ञा मिली है, कि न तो रोटी खाना, और न पानी पीना, और न उस मार्ग से लौटना जिससे तू जाएगा।”
וַיֵּ֖לֶךְ בְּדֶ֣רֶךְ אַחֵ֑ר וְלֹֽא־שָׁ֣ב בַּדֶּ֔רֶךְ אֲשֶׁ֛ר בָּ֥א בָ֖הּ אֶל־בֵּֽית־אֵֽל׃ פ | 10 |
१०इसलिए वह उस मार्ग से जिससे बेतेल को गया था न लौटकर, दूसरे मार्ग से चला गया।
וְנָבִ֤יא אֶחָד֙ זָקֵ֔ן יֹשֵׁ֖ב בְּבֵֽית־אֵ֑ל וַיָּב֣וֹא בְנ֡וֹ וַיְסַפֶּר־ל֣וֹ אֶת־כָּל־הַמַּעֲשֶׂ֣ה אֲשֶׁר־עָשָׂה֩ אִישׁ־הָאֱלֹהִ֨ים ׀ הַיּ֜וֹם בְּבֵֽית־אֵ֗ל אֶת־הַדְּבָרִים֙ אֲשֶׁ֣ר דִּבֶּ֣ר אֶל־הַמֶּ֔לֶךְ וַֽיְסַפְּר֖וּם לַאֲבִיהֶֽם׃ | 11 |
११बेतेल में एक बूढ़ा नबी रहता था, और उसके एक बेटे ने आकर उससे उन सब कामों का वर्णन किया जो परमेश्वर के जन ने उस दिन बेतेल में किए थे; और जो बातें उसने राजा से कही थीं, उनको भी उसने अपने पिता से कह सुनाया।
וַיְדַבֵּ֤ר אֲלֵהֶם֙ אֲבִיהֶ֔ם אֵֽי־זֶ֥ה הַדֶּ֖רֶךְ הָלָ֑ךְ וַיִּרְא֣וּ בָנָ֗יו אֶת־הַדֶּ֙רֶךְ֙ אֲשֶׁ֤ר הָלַךְ֙ אִ֣ישׁ הָאֱלֹהִ֔ים אֲשֶׁר־בָּ֖א מִיהוּדָֽה׃ | 12 |
१२उसके बेटों ने तो यह देखा था, कि परमेश्वर का वह जन जो यहूदा से आया था, किस मार्ग से चला गया, अतः उनके पिता ने उनसे पूछा, “वह किस मार्ग से चला गया?”
וַיֹּ֙אמֶר֙ אֶל־בָּנָ֔יו חִבְשׁוּ־לִ֖י הַחֲמ֑וֹר וַיַּחְבְּשׁוּ־ל֣וֹ הַחֲמ֔וֹר וַיִּרְכַּ֖ב עָלָֽיו׃ | 13 |
१३और उसने अपने बेटों से कहा, “मेरे लिये गदहे पर काठी बाँधो;” तब उन्होंने गदहे पर काठी बाँधी, और वह उस पर चढ़ा,
וַיֵּ֗לֶךְ אַֽחֲרֵי֙ אִ֣ישׁ הָאֱלֹהִ֔ים וַיִּ֨מְצָאֵ֔הוּ יֹשֵׁ֖ב תַּ֣חַת הָאֵלָ֑ה וַיֹּ֣אמֶר אֵלָ֗יו הַאַתָּ֧ה אִישׁ־הָאֱלֹהִ֛ים אֲשֶׁר־בָּ֥אתָ מִֽיהוּדָ֖ה וַיֹּ֥אמֶר אָֽנִי׃ | 14 |
१४और परमेश्वर के जन के पीछे जाकर उसे एक बांज वृक्ष के तले बैठा हुआ पाया; और उससे पूछा, “परमेश्वर का जो जन यहूदा से आया था, क्या तू वही है?”
וַיֹּ֣אמֶר אֵלָ֔יו לֵ֥ךְ אִתִּ֖י הַבָּ֑יְתָה וֶאֱכֹ֖ל לָֽחֶם׃ | 15 |
१५उसने कहा, “हाँ, वही हूँ।” उसने उससे कहा, “मेरे संग घर चलकर भोजन कर।”
וַיֹּ֗אמֶר לֹ֥א אוּכַ֛ל לָשׁ֥וּב אִתָּ֖ךְ וְלָב֣וֹא אִתָּ֑ךְ וְלֹֽא־אֹ֣כַל לֶ֗חֶם וְלֹֽא־אֶשְׁתֶּ֤ה אִתְּךָ֙ מַ֔יִם בַּמָּק֖וֹם הַזֶּֽה׃ | 16 |
१६उसने उससे कहा, “मैं न तो तेरे संग लौट सकता, और न तेरे संग घर में जा सकता हूँ और न मैं इस स्थान में तेरे संग रोटी खाऊँगा, न पानी पीऊँगा।
כִּֽי־דָבָ֤ר אֵלַי֙ בִּדְבַ֣ר יְהוָ֔ה לֹֽא־תֹאכַ֣ל לֶ֔חֶם וְלֹֽא־תִשְׁתֶּ֥ה שָׁ֖ם מָ֑יִם לֹא־תָשׁ֣וּב לָלֶ֔כֶת בַּדֶּ֖רֶךְ אֲשֶׁר־הָלַ֥כְתָּ בָּֽהּ׃ | 17 |
१७क्योंकि यहोवा के वचन के द्वारा मुझे यह आज्ञा मिली है, कि वहाँ न तो रोटी खाना और न पानी पीना, और जिस मार्ग से तू जाएगा उससे न लौटना।”
וַיֹּ֣אמֶר ל֗וֹ גַּם־אֲנִ֣י נָבִיא֮ כָּמוֹךָ֒ וּמַלְאָ֡ךְ דִּבֶּ֣ר אֵלַי֩ בִּדְבַ֨ר יְהוָ֜ה לֵאמֹ֗ר הֲשִׁבֵ֤הוּ אִתְּךָ֙ אֶל־בֵּיתֶ֔ךָ וְיֹ֥אכַל לֶ֖חֶם וְיֵ֣שְׁתְּ מָ֑יִם כִּחֵ֖שׁ לֽוֹ׃ | 18 |
१८उसने कहा, “जैसा तू नबी है वैसा ही मैं भी नबी हूँ; और मुझसे एक दूत ने यहोवा से वचन पाकर कहा, कि उस पुरुष को अपने संग अपने घर लौटा ले आ, कि वह रोटी खाए, और पानी पीए।” यह उसने उससे झूठ कहा।
וַיָּ֣שָׁב אִתּ֗וֹ וַיֹּ֥אכַל לֶ֛חֶם בְּבֵית֖וֹ וַיֵּ֥שְׁתְּ מָֽיִם׃ | 19 |
१९अतएव वह उसके संग लौट गया और उसके घर में रोटी खाई और पानी पीया।
וַיְהִ֕י הֵ֥ם יֹשְׁבִ֖ים אֶל־הַשֻּׁלְחָ֑ן פ וַֽיְהִי֙ דְּבַר־יְהוָ֔ה אֶל־הַנָּבִ֖יא אֲשֶׁ֥ר הֱשִׁיבֽוֹ׃ | 20 |
२०जब वे मेज पर बैठे ही थे, कि यहोवा का वचन उस नबी के पास पहुँचा, जो दूसरे को लौटा ले आया था।
וַיִּקְרָ֞א אֶל־אִ֣ישׁ הָאֱלֹהִ֗ים אֲשֶׁר־בָּ֤א מִֽיהוּדָה֙ לֵאמֹ֔ר כֹּ֖ה אָמַ֣ר יְהוָ֑ה יַ֗עַן כִּ֤י מָרִ֙יתָ֙ פִּ֣י יְהוָ֔ה וְלֹ֤א שָׁמַ֙רְתָּ֙ אֶת־הַמִּצְוָ֔ה אֲשֶׁ֥ר צִוְּךָ֖ יְהוָ֥ה אֱלֹהֶֽיךָ׃ | 21 |
२१उसने परमेश्वर के उस जन को जो यहूदा से आया था, पुकारके कहा, “यहोवा यह कहता है इसलिए कि तूने यहोवा का वचन न माना, और जो आज्ञा तेरे परमेश्वर यहोवा ने तुझे दी थी उसे भी नहीं माना;
וַתָּ֗שָׁב וַתֹּ֤אכַל לֶ֙חֶם֙ וַתֵּ֣שְׁתְּ מַ֔יִם בַּמָּקוֹם֙ אֲשֶׁ֣ר דִּבֶּ֣ר אֵלֶ֔יךָ אַל־תֹּ֥אכַל לֶ֖חֶם וְאַל־תֵּ֣שְׁתְּ מָ֑יִם לֹֽא־תָב֥וֹא נִבְלָתְךָ֖ אֶל־קֶ֥בֶר אֲבֹתֶֽיךָ׃ | 22 |
२२परन्तु जिस स्थान के विषय उसने तुझ से कहा था, ‘उसमें न तो रोटी खाना और न पानी पीना,’ उसी में तूने लौटकर रोटी खाई, और पानी भी पिया है इस कारण तुझे अपने पुरखाओं के कब्रिस्तान में मिट्टी नहीं दी जाएगी।”
וַיְהִ֗י אַחֲרֵ֛י אָכְל֥וֹ לֶ֖חֶם וְאַחֲרֵ֣י שְׁתוֹת֑וֹ וַיַּחֲבָשׁ־ל֣וֹ הַחֲמ֔וֹר לַנָּבִ֖יא אֲשֶׁ֥ר הֱשִׁיבֽוֹ׃ | 23 |
२३जब वह खा पी चुका, तब उसने परमेश्वर के उस जन के लिये जिसको वह लौटा ले आया था गदहे पर काठी बँधाई।
וַיֵּ֕לֶךְ וַיִּמְצָאֵ֧הוּ אַרְיֵ֛ה בַּדֶּ֖רֶךְ וַיְמִיתֵ֑הוּ וַתְּהִ֤י נִבְלָתוֹ֙ מֻשְׁלֶ֣כֶת בַּדֶּ֔רֶךְ וְהַחֲמוֹר֙ עֹמֵ֣ד אֶצְלָ֔הּ וְהָ֣אַרְיֵ֔ה עֹמֵ֖ד אֵ֥צֶל הַנְּבֵלָֽה׃ | 24 |
२४जब वह मार्ग में चल रहा था, तो एक सिंह उसे मिला, और उसको मार डाला, और उसका शव मार्ग पर पड़ा रहा, और गदहा उसके पास खड़ा रहा और सिंह भी लोथ के पास खड़ा रहा।
וְהִנֵּ֧ה אֲנָשִׁ֣ים עֹבְרִ֗ים וַיִּרְא֤וּ אֶת־הַנְּבֵלָה֙ מֻשְׁלֶ֣כֶת בַּדֶּ֔רֶךְ וְאֶת־הָ֣אַרְיֵ֔ה עֹמֵ֖ד אֵ֣צֶל הַנְּבֵלָ֑ה וַיָּבֹ֙אוּ֙ וַיְדַבְּר֣וּ בָעִ֔יר אֲשֶׁ֛ר הַנָּבִ֥יא הַזָּקֵ֖ן יֹשֵׁ֥ב בָּֽהּ׃ | 25 |
२५जो लोग उधर से चले आ रहे थे उन्होंने यह देखकर कि मार्ग पर एक शव पड़ा है, और उसके पास सिंह खड़ा है, उस नगर में जाकर जहाँ वह बूढ़ा नबी रहता था यह समाचार सुनाया।
וַיִּשְׁמַ֣ע הַנָּבִיא֮ אֲשֶׁ֣ר הֱשִׁיב֣וֹ מִן־הַדֶּרֶךְ֒ וַיֹּ֙אמֶר֙ אִ֣ישׁ הָאֱלֹהִ֣ים ה֔וּא אֲשֶׁ֥ר מָרָ֖ה אֶת־פִּ֣י יְהוָ֑ה וַיִּתְּנֵ֨הוּ יְהוָ֜ה לָאַרְיֵ֗ה וַֽיִּשְׁבְּרֵ֙הוּ֙ וַיְמִתֵ֔הוּ כִּדְבַ֥ר יְהוָ֖ה אֲשֶׁ֥ר דִּבֶּר־לֽוֹ׃ | 26 |
२६यह सुनकर उस नबी ने जो उसको मार्ग पर से लौटा ले आया था, कहा, “परमेश्वर का वही जन होगा, जिसने यहोवा के वचन के विरुद्ध किया था, इस कारण यहोवा ने उसको सिंह के पंजे में पड़ने दिया; और यहोवा के उस वचन के अनुसार जो उसने उससे कहा था, सिंह ने उसे फाड़कर मार डाला होगा।”
וַיְדַבֵּ֤ר אֶל־בָּנָיו֙ לֵאמֹ֔ר חִבְשׁוּ־לִ֖י אֶֽת־הַחֲמ֑וֹר וַֽיַּחֲבֹֽשׁוּ׃ | 27 |
२७तब उसने अपने बेटों से कहा, “मेरे लिये गदहे पर काठी बाँधो;” जब उन्होंने काठी बाँधी,
וַיֵּ֗לֶךְ וַיִּמְצָ֤א אֶת־נִבְלָתוֹ֙ מֻשְׁלֶ֣כֶת בַּדֶּ֔רֶךְ וַֽחֲמוֹר֙ וְהָ֣אַרְיֵ֔ה עֹמְדִ֖ים אֵ֣צֶל הַנְּבֵלָ֑ה לֹֽא־אָכַ֤ל הָֽאַרְיֵה֙ אֶת־הַנְּבֵלָ֔ה וְלֹ֥א שָׁבַ֖ר אֶֽת־הַחֲמֽוֹר׃ | 28 |
२८तब उसने जाकर उस जन का शव मार्ग पर पड़ा हुआ, और गदहे, और सिंह दोनों को शव के पास खड़े हुए पाया, और यह भी कि सिंह ने न तो शव को खाया, और न गदहे को फाड़ा है।
וַיִּשָּׂ֨א הַנָּבִ֜יא אֶת־נִבְלַ֧ת אִישׁ־הָאֱלֹהִ֛ים וַיַּנִּחֵ֥הוּ אֶֽל־הַחֲמ֖וֹר וַיְשִׁיבֵ֑הוּ וַיָּבֹ֗א אֶל־עִיר֙ הַנָּבִ֣יא הַזָּקֵ֔ן לִסְפֹּ֖ד וּלְקָבְרֽוֹ׃ | 29 |
२९तब उस बूढ़े नबी ने परमेश्वर के जन के शव को उठाकर गदहे पर लाद लिया, और उसके लिये छाती पीटने लगा, और उसे मिट्टी देने को अपने नगर में लौटा ले गया।
וַיַּנַּ֥ח אֶת־נִבְלָת֖וֹ בְּקִבְר֑וֹ וַיִּסְפְּד֥וּ עָלָ֖יו ה֥וֹי אָחִֽי׃ | 30 |
३०और उसने उसके शव को अपने कब्रिस्तान में रखा, और लोग “हाय, मेरे भाई!” यह कहकर छाती पीटने लगे।
וַיְהִי֮ אַחֲרֵ֣י קָבְר֣וֹ אֹתוֹ֒ וַיֹּ֤אמֶר אֶל־בָּנָיו֙ לֵאמֹ֔ר בְּמוֹתִי֙ וּקְבַרְתֶּ֣ם אֹתִ֔י בַּקֶּ֕בֶר אֲשֶׁ֛ר אִ֥ישׁ הָאֱלֹהִ֖ים קָב֣וּר בּ֑וֹ אֵ֚צֶל עַצְמֹתָ֔יו הַנִּ֖יחוּ אֶת־עַצְמֹתָֽי׃ | 31 |
३१फिर उसे मिट्टी देकर उसने अपने बेटों से कहा, “जब मैं मर जाऊँगा तब मुझे इसी कब्रिस्तान में रखना, जिसमें परमेश्वर का यह जन रखा गया है, और मेरी हड्डियाँ उसी की हड्डियों के पास रख देना।
כִּי֩ הָיֹ֨ה יִהְיֶ֜ה הַדָּבָ֗ר אֲשֶׁ֤ר קָרָא֙ בִּדְבַ֣ר יְהוָ֔ה עַל־הַמִּזְבֵּ֖חַ אֲשֶׁ֣ר בְּבֵֽית־אֵ֑ל וְעַל֙ כָּל־בָּתֵּ֣י הַבָּמ֔וֹת אֲשֶׁ֖ר בְּעָרֵ֥י שֹׁמְרֽוֹן׃ פ | 32 |
३२क्योंकि जो वचन उसने यहोवा से पाकर बेतेल की वेदी और सामरिया के नगरों के सब ऊँचे स्थानों के भवनों के विरुद्ध पुकारके कहा है, वह निश्चय पूरा हो जाएगा।”
אַחַר֙ הַדָּבָ֣ר הַזֶּ֔ה לֹֽא־שָׁ֥ב יָרָבְעָ֖ם מִדַּרְכּ֣וֹ הָרָעָ֑ה וַ֠יָּשָׁב וַיַּ֜עַשׂ מִקְצ֤וֹת הָעָם֙ כֹּהֲנֵ֣י בָמ֔וֹת הֶֽחָפֵץ֙ יְמַלֵּ֣א אֶת־יָד֔וֹ וִיהִ֖י כֹּהֲנֵ֥י בָמֽוֹת׃ | 33 |
३३इसके बाद यारोबाम अपनी बुरी चाल से न फिरा। उसने फिर सब प्रकार के लोगों में से ऊँचे स्थानों के याजक बनाए, वरन् जो कोई चाहता था, उसका संस्कार करके, वह उसको ऊँचे स्थानों का याजक होने को ठहरा देता था।
וַיְהִי֙ בַּדָּבָ֣ר הַזֶּ֔ה לְחַטַּ֖את בֵּ֣ית יָרָבְעָ֑ם וּלְהַכְחִיד֙ וּלְהַשְׁמִ֔יד מֵעַ֖ל פְּנֵ֥י הָאֲדָמָֽה׃ פ | 34 |
३४यह बात यारोबाम के घराने का पाप ठहरी, इस कारण उसका विनाश हुआ, और वह धरती पर से नाश किया गया।