< תְהִלִּים 78 >
מַשְׂכִּ֗יל לְאָ֫סָ֥ף הַאֲזִ֣ינָה עַ֭מִּי תֹּורָתִ֑י הַטּ֥וּ אָ֝זְנְכֶ֗ם לְאִמְרֵי־פִֽי׃ | 1 |
आसफ का मसकील मेरी प्रजा, मेरी शिक्षा पर ध्यान दो; जो शिक्षा मैं दे रहा हूं उसे ध्यान से सुनो.
אֶפְתְּחָ֣ה בְמָשָׁ֣ל פִּ֑י אַבִּ֥יעָה חִ֝ידֹ֗ות מִנִּי־קֶֽדֶם׃ | 2 |
मैं अपनी शिक्षा दृष्टान्तों में दूंगा; मैं पूर्वकाल से गोपनीय रखी गई बातों को प्रकाशित करूंगा—
אֲשֶׁ֣ר שָׁ֭מַעְנוּ וַנֵּדָעֵ֑ם וַ֝אֲבֹותֵ֗ינוּ סִפְּרוּ־לָֽנוּ׃ | 3 |
वे बातें जो हम सुन चुके थे, जो हमें मालूम थीं, वे बातें, जो हमने अपने पूर्वजों से प्राप्त की थीं.
לֹ֤א נְכַחֵ֨ד ׀ מִבְּנֵיהֶ֗ם לְדֹ֥ור אַחֲרֹ֗ון מְֽ֭סַפְּרִים תְּהִלֹּ֣ות יְהוָ֑ה וֶעֱזוּזֹ֥ו וְ֝נִפְלְאֹותָ֗יו אֲשֶׁ֣ר עָשָֽׂה׃ | 4 |
याहवेह द्वारा किए गए स्तुत्य कार्य, जो उनके सामर्थ्य के अद्भुत कार्य हैं, इन्हें हम इनकी संतानों से गुप्त नहीं रखेंगे; उनका लिखा भावी पीढ़ी तक किया जायेगा.
וַיָּ֤קֶם עֵד֨וּת ׀ בְּֽיַעֲקֹ֗ב וְתֹורָה֮ שָׂ֤ם בְּיִשְׂרָ֫אֵ֥ל אֲשֶׁ֣ר צִ֭וָּה אֶת־אֲבֹותֵ֑ינוּ לְ֝הֹודִיעָ֗ם לִבְנֵיהֶֽם׃ | 5 |
प्रभु ने याकोब के लिए नियम स्थापित किया तथा इस्राएल में व्यवस्था स्थापित कर दिया, इनके संबंध में परमेश्वर का आदेश था कि हमारे पूर्वज अगली पीढ़ी को इनकी शिक्षा दें,
לְמַ֤עַן יֵדְע֨וּ ׀ דֹּ֣ור אַ֭חֲרֹון בָּנִ֣ים יִוָּלֵ֑דוּ יָ֝קֻ֗מוּ וִֽיסַפְּר֥וּ לִבְנֵיהֶֽם׃ | 6 |
कि आगामी पीढ़ी इनसे परिचित हो जाए, यहां तक कि वे बालक भी, जिनका अभी जन्म भी नहीं हुआ है, कि अपने समय में वे भी अपनी अगली पीढ़ी तक इन्हें बताते जाए.
וְיָשִׂ֥ימוּ בֵֽאלֹהִ֗ים כִּ֫סְלָ֥ם וְלֹ֣א יִ֭שְׁכְּחוּ מַֽעַלְלֵי־אֵ֑ל וּמִצְוֹתָ֥יו יִנְצֹֽרוּ׃ | 7 |
तब वे परमेश्वर में अपना भरोसा स्थापित करेंगे और वे परमेश्वर के महाकार्य भूल न सकेंगे, तथा उनके आदेशों का पालन करेंगे.
וְלֹ֤א יִהְי֨וּ ׀ כַּאֲבֹותָ֗ם דֹּור֮ סֹורֵ֪ר וּמֹ֫רֶ֥ה דֹּ֭ור לֹא־הֵכִ֣ין לִבֹּ֑ו וְלֹא־נֶאֶמְנָ֖ה אֶת־אֵ֣ל רוּחֹֽו׃ | 8 |
तब उनका आचरण उनके पूर्वजों के समान न रहेगा, जो हठी और हठीली पीढ़ी प्रमाणित हुई, जिनका हृदय परमेश्वर को समर्पित न था, उनकी आत्माएं उनके प्रति सच्ची नहीं थीं.
בְּֽנֵי־אֶפְרַ֗יִם נֹושְׁקֵ֥י רֹומֵי־קָ֑שֶׁת הָ֝פְכ֗וּ בְּיֹ֣ום קְרָֽב׃ | 9 |
एफ्राईम के सैनिक यद्यपि धनुष से सुसज्जित थे, युद्ध के दिन वे फिरकर भाग गए;
לֹ֣א שָׁ֭מְרוּ בְּרִ֣ית אֱלֹהִ֑ים וּ֝בְתֹורָתֹ֗ו מֵאֲנ֥וּ לָלֶֽכֶת׃ | 10 |
उन्होंने परमेश्वर से स्थापित वाचा को भंग कर दिया, उन्होंने उनकी व्यवस्था की अधीनता भी अस्वीकार कर दी.
וַיִּשְׁכְּח֥וּ עֲלִילֹותָ֑יו וְ֝נִפְלְאֹותָ֗יו אֲשֶׁ֣ר הֶרְאָֽם׃ | 11 |
परमेश्वर द्वारा किए गए महाकार्य, वे समस्त आश्चर्य कार्य, जो उन्हें प्रदर्शित किए गए थे, वे भूल गए.
נֶ֣גֶד אֲ֭בֹותָם עָ֣שָׂה פֶ֑לֶא בְּאֶ֖רֶץ מִצְרַ֣יִם שְׂדֵה־צֹֽעַן׃ | 12 |
ये आश्चर्यकर्म परमेश्वर ने उनके पूर्वजों के देखते उनके सामने किए थे, ये सब मिस्र देश तथा ज़ोअन क्षेत्र में किए गए थे.
בָּ֣קַע יָ֭ם וַיַּֽעֲבִירֵ֑ם וַֽיַּצֶּב־מַ֥יִם כְּמֹו־נֵֽד׃ | 13 |
परमेश्वर ने समुद्र जल को विभक्त कर दिया और इसमें उनके लिए मार्ग निर्मित किया; इसके लिए परमेश्वर ने समुद्र जल को दीवार समान खड़ा कर दिया.
וַיַּנְחֵ֣ם בֶּעָנָ֣ן יֹומָ֑ם וְכָל־הַ֝לַּ֗יְלָה בְּאֹ֣ור אֵֽשׁ׃ | 14 |
परमेश्वर दिन के समय उनकी अगुवाई बादल के द्वारा तथा संपूर्ण रात्रि में अग्निप्रकाश के द्वारा करते रहे.
יְבַקַּ֣ע צֻ֭רִים בַּמִּדְבָּ֑ר וַ֝יַּ֗שְׁקְ כִּתְהֹמֹ֥ות רַבָּֽה׃ | 15 |
परमेश्वर ने बंजर भूमि में चट्टानों को फाड़कर उन्हें इतना जल प्रदान किया, जितना जल समुद्र में होता है;
וַיֹּוצִ֣א נֹוזְלִ֣ים מִסָּ֑לַע וַיֹּ֖ורֶד כַּנְּהָרֹ֣ות מָֽיִם׃ | 16 |
उन्होंने चट्टान में से जलधाराएं प्रवाहित कर दीं, कि जल नदी समान प्रवाहित हो चला.
וַיֹּוסִ֣יפוּ עֹ֖וד לַחֲטֹא־לֹ֑ו לַֽמְרֹ֥ות עֶ֝לְיֹ֗ון בַּצִּיָּֽה׃ | 17 |
यह सब होने पर भी वे परमेश्वर के विरुद्ध पाप करते ही रहे, बंजर भूमि में उन्होंने सर्वोच्च परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया.
וַיְנַסּוּ־אֵ֥ל בִּלְבָבָ֑ם לִֽשְׁאָל־אֹ֥כֶל לְנַפְשָֽׁם׃ | 18 |
जिस भोजन के लिए वे लालायित थे, उसके लिए हठ करके उन्होंने मन ही मन परमेश्वर की परीक्षा ली.
וַֽיְדַבְּר֗וּ בֵּֽאלֹ֫הִ֥ים אָ֭מְרוּ הֲי֣וּכַל אֵ֑ל לַעֲרֹ֥ךְ שֻׁ֝לְחָ֗ן בַּמִּדְבָּֽר׃ | 19 |
वे यह कहते हुए परमेश्वर की निंदा करते रहे; “क्या परमेश्वर बंजर भूमि में भी हमें भोजन परोस सकते हैं?
הֵ֤ן הִכָּה־צ֨וּר ׀ וַיָּז֣וּבוּ מַיִם֮ וּנְחָלִ֪ים יִ֫שְׁטֹ֥פוּ הֲגַם־לֶ֭חֶם י֣וּכַל תֵּ֑ת אִם־יָכִ֖ין שְׁאֵ֣ר לְעַמֹּֽו׃ | 20 |
जब उन्होंने चट्टान पर प्रहार किया तो जल-स्रोत फूट पड़े तथा विपुल जलधाराएं बहने लगीं; किंतु क्या वह हमें भोजन भी दे सकते हैं? क्या वह संपूर्ण प्रजा के लिए मांस भोजन का भी प्रबंध कर सकते हैं?”
לָכֵ֤ן ׀ שָׁמַ֥ע יְהוָ֗ה וַֽיִּתְעַבָּ֥ר וְ֭אֵשׁ נִשְּׂקָ֣ה בְיַעֲקֹ֑ב וְגַם־אַ֝֗ף עָלָ֥ה בְיִשְׂרָאֵֽל׃ | 21 |
यह सुन याहवेह अत्यंत उदास हो गए; याकोब के विरुद्ध उनकी अग्नि भड़क उठी, उनका क्रोध इस्राएल के विरुद्ध भड़क उठा,
כִּ֤י לֹ֣א הֶ֭אֱמִינוּ בֵּאלֹהִ֑ים וְלֹ֥א בָ֝טְח֗וּ בִּֽישׁוּעָתֹֽו׃ | 22 |
क्योंकि उन्होंने न तो परमेश्वर में विश्वास किया और न उनके उद्धार पर भरोसा किया.
וַיְצַ֣ו שְׁחָקִ֣ים מִמָּ֑עַל וְדַלְתֵ֖י שָׁמַ֣יִם פָּתָֽח׃ | 23 |
यह होने पर भी उन्होंने आकाश को आदेश दिया और स्वर्ग के झरोखे खोल दिए;
וַיַּמְטֵ֬ר עֲלֵיהֶ֣ם מָ֣ן לֶאֱכֹ֑ל וּדְגַן־שָׁ֝מַ֗יִם נָ֣תַן לָֽמֹו׃ | 24 |
उन्होंने उनके भोजन के लिए मन्ना वृष्टि की, उन्होंने उन्हें स्वर्गिक अन्न प्रदान किया.
לֶ֣חֶם אַ֭בִּירִים אָ֣כַל אִ֑ישׁ צֵידָ֬ה שָׁלַ֖ח לָהֶ֣ם לָשֹֽׂבַע׃ | 25 |
मनुष्य वह भोजन कर रहे थे, जो स्वर्गदूतों के लिए निर्धारित था; परमेश्वर ने उन्हें भरपेट भोजन प्रदान किया.
יַסַּ֣ע קָ֭דִים בַּשָּׁמָ֑יִם וַיְנַהֵ֖ג בְּעֻזֹּ֣ו תֵימָֽן׃ | 26 |
स्वर्ग से उन्होंने पूर्वी हवा प्रवाहित की, अपने सामर्थ्य में उन्होंने दक्षिणी हवा भी प्रवाहित की.
וַיַּמְטֵ֬ר עֲלֵיהֶ֣ם כֶּעָפָ֣ר שְׁאֵ֑ר וּֽכְחֹ֥ול יַ֝מִּ֗ים עֹ֣וף כָּנָֽף׃ | 27 |
उन्होंने उनके लिए मांस की ऐसी वृष्टि की, मानो वह धूलि मात्र हो, पक्षी ऐसे उड़ रहे थे, जैसे सागर तट पर रेत कण उड़ते हैं.
וַ֭יַּפֵּל בְּקֶ֣רֶב מַחֲנֵ֑הוּ סָ֝בִ֗יב לְמִשְׁכְּנֹתָֽיו׃ | 28 |
परमेश्वर ने पक्षियों को उनके मण्डपों में घुस जाने के लिए बाध्य कर दिया, वे मंडप के चारों ओर छाए हुए थे.
וַיֹּאכְל֣וּ וַיִּשְׂבְּע֣וּ מְאֹ֑ד וְ֝תַֽאֲוָתָ֗ם יָבִ֥א לָהֶֽם׃ | 29 |
उन्होंने तृप्त होने के बाद भी इन्हें खाया. परमेश्वर ने उन्हें वही प्रदान कर दिया था, जिसकी उन्होंने कामना की थी.
לֹא־זָר֥וּ מִתַּאֲוָתָ֑ם עֹ֝֗וד אָכְלָ֥ם בְּפִיהֶֽם׃ | 30 |
किंतु इसके पूर्व कि वे अपने कामना किए भोजन से तृप्त होते, जब भोजन उनके मुख में ही था,
וְאַ֤ף אֱלֹהִ֨ים ׀ עָ֘לָ֤ה בָהֶ֗ם וַֽ֭יַּהֲרֹג בְּמִשְׁמַנֵּיהֶ֑ם וּבַחוּרֵ֖י יִשְׂרָאֵ֣ל הִכְרִֽיעַ׃ | 31 |
परमेश्वर का रोष उन पर भड़क उठा; परमेश्वर ने उनके सबसे सशक्तों को मिटा डाला, उन्होंने इस्राएल के युवाओं को मिटा डाला.
בְּכָל־זֹ֭את חָֽטְאוּ־עֹ֑וד וְלֹֽא־הֶ֝אֱמִ֗ינוּ בְּנִפְלְאֹותָֽיו׃ | 32 |
इतना सब होने पर भी वे पाप से दूर न हुए; समस्त आश्चर्य कार्यों को देखने के बाद भी उन्होंने विश्वास नहीं किया.
וַיְכַל־בַּהֶ֥בֶל יְמֵיהֶ֑ם וּ֝שְׁנֹותָ֗ם בַּבֶּהָלָֽה׃ | 33 |
तब परमेश्वर ने उनके दिन व्यर्थता में तथा उनके वर्ष आतंक में समाप्त कर दिए.
אִם־הֲרָגָ֥ם וּדְרָשׁ֑וּהוּ וְ֝שָׁ֗בוּ וְשִֽׁחֲרוּ־אֵֽל׃ | 34 |
जब कभी परमेश्वर ने उनमें से किसी को मारा, वे बाकी परमेश्वर को खोजने लगे; वे दौड़कर परमेश्वर की ओर लौट गये.
וַֽ֭יִּזְכְּרוּ כִּֽי־אֱלֹהִ֣ים צוּרָ֑ם וְאֵ֥ל עֶ֝לְיֹון גֹּאֲלָֽם׃ | 35 |
उन्हें यह स्मरण आया कि परमेश्वर उनके लिए चट्टान हैं, उन्हें यह स्मरण आया कि सर्वोच्च परमेश्वर उनके उद्धारक हैं.
וַיְפַתּ֥וּהוּ בְּפִיהֶ֑ם וּ֝בִלְשֹׁונָ֗ם יְכַזְּבוּ־לֹֽו׃ | 36 |
किंतु उन्होंने अपने मुख से परमेश्वर की चापलूसी की, अपनी जीभ से उन्होंने उनसे झूठाचार किया;
וְ֭לִבָּם לֹא־נָכֹ֣ון עִמֹּ֑ו וְלֹ֥א נֶ֝אֶמְנ֗וּ בִּבְרִיתֹֽו׃ | 37 |
उनके हृदय में सच्चाई नहीं थी, वे उनके साथ बांधी गई वाचा के प्रतिनिष्ठ न रहे.
וְה֤וּא רַח֨וּם ׀ יְכַפֵּ֥ר עָוֹן֮ וְֽלֹא־יַ֫שְׁחִ֥ית וְ֭הִרְבָּה לְהָשִׁ֣יב אַפֹּ֑ו וְלֹֽא־יָ֝עִיר כָּל־חֲמָתֹֽו׃ | 38 |
फिर भी परमेश्वर उनके प्रति कृपालु बने रहे; परमेश्वर ही ने उनके अपराधों को क्षमा कर दिया और उनका विनाश न होने दिया. बार-बार वह अपने कोप पर नियंत्रण करते रहे और उन्होंने अपने समग्र प्रकोप को प्रगट न होने दिया.
וַ֭יִּזְכֹּר כִּי־בָשָׂ֣ר הֵ֑מָּה ר֥וּחַ הֹ֝ולֵ֗ךְ וְלֹ֣א יָשֽׁוּב׃ | 39 |
परमेश्वर को यह स्मरण रहा कि वे मात्र मनुष्य ही हैं—पवन के समान, जो बहने के बाद लौटकर नहीं आता.
כַּ֭מָּה יַמְר֣וּהוּ בַמִּדְבָּ֑ר יַ֝עֲצִיב֗וּהוּ בִּֽישִׁימֹֽון׃ | 40 |
बंजर भूमि में कितनी ही बार उन्होंने परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया, कितनी ही बार उन्होंने उजाड़ भूमि में उन्हें उदास किया!
וַיָּשׁ֣וּבוּ וַיְנַסּ֣וּ אֵ֑ל וּקְדֹ֖ושׁ יִשְׂרָאֵ֣ל הִתְווּ׃ | 41 |
बार-बार वे परीक्षा लेकर परमेश्वर को उकसाते रहे; वे इस्राएल के पवित्र परमेश्वर को क्रोधित करते रहे.
לֹא־זָכְר֥וּ אֶת־יָדֹ֑ו יֹ֝֗ום אֲֽשֶׁר־פָּדָ֥ם מִנִּי־צָֽר׃ | 42 |
वे परमेश्वर की सामर्थ्य को भूल गए, जब परमेश्वर ने उन्हें अत्याचारी की अधीनता से छुड़ा लिया था.
אֲשֶׁר־שָׂ֣ם בְּ֭מִצְרַיִם אֹֽתֹותָ֑יו וּ֝מֹופְתָ֗יו בִּשְׂדֵה־צֹֽעַן׃ | 43 |
जब परमेश्वर ने मिस्र देश में चमत्कार चिन्ह प्रदर्शित किए, जब ज़ोअन प्रदेश में आश्चर्य कार्य किए थे.
וַיַּהֲפֹ֣ךְ לְ֭דָם יְאֹרֵיהֶ֑ם וְ֝נֹזְלֵיהֶ֗ם בַּל־יִשְׁתָּיֽוּן׃ | 44 |
परमेश्वर ने नदी को रक्त में बदल दिया; वे जलधाराओं से जल पीने में असमर्थ हो गए.
יְשַׁלַּ֬ח בָּהֶ֣ם עָ֭רֹב וַיֹּאכְלֵ֑ם וּ֝צְפַרְדֵּ֗עַ וַתַּשְׁחִיתֵֽם׃ | 45 |
परमेश्वर ने उन पर कुटकी के समूह भेजे, जो उन्हें निगल गए. मेंढकों ने वहां विध्वंस कर डाला.
וַיִּתֵּ֣ן לֶחָסִ֣יל יְבוּלָ֑ם וִֽ֝יגִיעָ֗ם לָאַרְבֶּֽה׃ | 46 |
परमेश्वर ने उनकी उपज हासिल टिड्डों को, तथा उनके उत्पाद अरबेह टिड्डियों को सौंप दिए.
יַהֲרֹ֣ג בַּבָּרָ֣ד גַּפְנָ֑ם וְ֝שִׁקְמֹותָ֗ם בַּֽחֲנָמַֽל׃ | 47 |
उनकी द्राक्षा उपज ओलों से नष्ट कर दी गई, तथा उनके गूलर-अंजीर पाले में नष्ट हो गए.
וַיַּסְגֵּ֣ר לַבָּרָ֣ד בְּעִירָ֑ם וּ֝מִקְנֵיהֶ֗ם לָרְשָׁפִֽים׃ | 48 |
उनका पशु धन भी ओलों द्वारा नष्ट कर दिया गया, तथा उनकी भेड़-बकरियों को बिजलियों द्वारा.
יְשַׁלַּח־בָּ֨ם ׀ חֲרֹ֬ון אַפֹּ֗ו עֶבְרָ֣ה וָזַ֣עַם וְצָרָ֑ה מִ֝שְׁלַ֗חַת מַלְאֲכֵ֥י רָעִֽים׃ | 49 |
परमेश्वर का उत्तप्त क्रोध, प्रकोप तथा आक्रोश उन पर टूट पड़ा, ये सभी उनके विनाशक दूत थे.
יְפַלֵּ֥ס נָתִ֗יב לְאַ֫פֹּ֥ו לֹא־חָשַׂ֣ךְ מִמָּ֣וֶת נַפְשָׁ֑ם וְ֝חַיָּתָ֗ם לַדֶּ֥בֶר הִסְגִּֽיר׃ | 50 |
परमेश्वर ने अपने प्रकोप का पथ तैयार किया था; उन्होंने उन्हें मृत्यु से सुरक्षा प्रदान नहीं की परंतु उन्हें महामारी को सौंप दिया.
וַיַּ֣ךְ כָּל־בְּכֹ֣ור בְּמִצְרָ֑יִם רֵאשִׁ֥ית אֹ֝ונִ֗ים בְּאָהֳלֵי־חָֽם׃ | 51 |
मिस्र के सभी पहलौठों को परमेश्वर ने हत्या कर दी, हाम के मण्डपों में पौरुष के प्रथम फलों का.
וַיַּסַּ֣ע כַּצֹּ֣אן עַמֹּ֑ו וַֽיְנַהֲגֵ֥ם כַּ֝עֵ֗דֶר בַּמִּדְבָּֽר׃ | 52 |
किंतु उन्होंने भेड़ के झुंड के समान अपनी प्रजा को बचाया; बंजर भूमि में वह भेड़ का झुंड के समान उनकी अगुवाई करते रहे.
וַיַּנְחֵ֣ם לָ֭בֶטַח וְלֹ֣א פָחָ֑דוּ וְאֶת־אֹ֝ויְבֵיהֶ֗ם כִּסָּ֥ה הַיָּֽם׃ | 53 |
उनकी अगुवाई ने उन्हें सुरक्षा प्रदान की, फलस्वरूप वे अभय आगे बढ़ते गए; जबकि उनके शत्रुओं को समुद्र ने समेट लिया.
וַ֭יְבִיאֵם אֶל־גְּב֣וּל קָדְשֹׁ֑ו הַר־זֶ֝֗ה קָנְתָ֥ה יְמִינֹֽו׃ | 54 |
यह सब करते हुए परमेश्वर उन्हें अपनी पवित्र भूमि की सीमा तक, उस पर्वतीय भूमि तक ले आए जिस पर उनके दायें हाथ ने अपने अधीन किया था.
וַיְגָ֤רֶשׁ מִפְּנֵיהֶ֨ם ׀ גֹּויִ֗ם וַֽ֭יַּפִּילֵם בְּחֶ֣בֶל נַחֲלָ֑ה וַיַּשְׁכֵּ֥ן בְּ֝אָהֳלֵיהֶ֗ם שִׁבְטֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ | 55 |
तब उन्होंने जनताओं को वहां से काटकर अलग कर दिया और उनकी भूमि अपनी प्रजा में भाग स्वरूप बाट दिया; इस्राएल के समस्त गोत्रों को उनके आवास प्रदान करके उन्हें वहां बसा दिया.
וַיְנַסּ֣וּ וַ֭יַּמְרוּ אֶת־אֱלֹהִ֣ים עֶלְיֹ֑ון וְ֝עֵדֹותָ֗יו לֹ֣א שָׁמָֽרוּ׃ | 56 |
इतना सब होने के बाद भी उन्होंने परमेश्वर की परीक्षा ली, उन्होंने सर्वोच्च परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया; उन्होंने परमेश्वर की आज्ञाओं को भंग कर दिया.
וַיִּסֹּ֣גוּ וַֽ֭יִּבְגְּדוּ כַּאֲבֹותָ֑ם נֶ֝הְפְּכ֗וּ כְּקֶ֣שֶׁת רְמִיָּֽה׃ | 57 |
अपने पूर्वजों के जैसे वे भी अकृतज्ञ तथा विश्वासघाती हो गए; वैसे ही अयोग्य, जैसा एक दोषपूर्ण धनुष होता है.
וַיַּכְעִיס֥וּהוּ בְּבָמֹותָ֑ם וּ֝בִפְסִילֵיהֶ֗ם יַקְנִיאֽוּהוּ׃ | 58 |
उन्होंने देवताओं के लिए निर्मित वेदियों के द्वारा परमेश्वर के क्रोध को भड़काया है; उन प्रतिमाओं ने परमेश्वर में डाह भाव उत्तेजित किया.
שָׁמַ֣ע אֱ֭לֹהִים וַֽיִּתְעַבָּ֑ר וַיִּמְאַ֥ס מְ֝אֹ֗ד בְּיִשְׂרָאֵֽל׃ | 59 |
उन्हें सुन परमेश्वर को अत्यंत झुंझलाहट सी हो गई; उन्होंने इस्राएल को पूर्णतः छोड़ दिया.
וַ֭יִּטֹּשׁ מִשְׁכַּ֣ן שִׁלֹ֑ו אֹ֝֗הֶל שִׁכֵּ֥ן בָּאָדָֽם׃ | 60 |
उन्होंने शीलो के निवास-मंडप का परित्याग कर दिया, जिसे उन्होंने मनुष्य के मध्य बसा दिया था.
וַיִּתֵּ֣ן לַשְּׁבִ֣י עֻזֹּ֑ו וְֽתִפְאַרְתֹּ֥ו בְיַד־צָֽר׃ | 61 |
परमेश्वर ने अपने सामर्थ्य के संदूक को बन्दीत्व में भेज दिया, उनका वैभव शत्रुओं के वश में हो गया.
וַיַּסְגֵּ֣ר לַחֶ֣רֶב עַמֹּ֑ו וּ֝בְנַחֲלָתֹ֗ו הִתְעַבָּֽר׃ | 62 |
उन्होंने अपनी प्रजा तलवार को भेंट कर दी; अपने ही निज भाग पर वह अत्यंत उदास थे.
בַּחוּרָ֥יו אָֽכְלָה־אֵ֑שׁ וּ֝בְתוּלֹתָ֗יו לֹ֣א הוּלָּֽלוּ׃ | 63 |
अग्नि उनके युवाओं को निगल कर गई, उनकी कन्याओं के लिए कोई भी वैवाहिक गीत-संगीत शेष न रह गया.
כֹּ֭הֲנָיו בַּחֶ֣רֶב נָפָ֑לוּ וְ֝אַלְמְנֹתָ֗יו לֹ֣א תִבְכֶּֽינָה׃ | 64 |
उनके पुरोहितों का तलवार से वध कर दिया गया, उनकी विधवाएं आंसुओं के लिए असमर्थ हो गईं.
וַיִּקַ֖ץ כְּיָשֵׁ֥ן ׀ אֲדֹנָ֑י כְּ֝גִבֹּ֗ור מִתְרֹונֵ֥ן מִיָּֽיִן׃ | 65 |
तब मानो प्रभु की नींद भंग हो गई, कुछ वैसे ही, जैसे कोई वीर दाखमधु की होश से बाहर आ गया हो.
וַיַּךְ־צָרָ֥יו אָחֹ֑ור חֶרְפַּ֥ת עֹ֝ולָ֗ם נָ֣תַן לָֽמֹו׃ | 66 |
परमेश्वर ने अपने शत्रुओं को ऐसे मार भगाया; कि उनकी लज्जा चिरस्थाई हो गई.
וַ֭יִּמְאַס בְּאֹ֣הֶל יֹוסֵ֑ף וּֽבְשֵׁ֥בֶט אֶ֝פְרַ֗יִם לֹ֣א בָחָֽר׃ | 67 |
तब परमेश्वर ने योसेफ़ के मण्डपों को अस्वीकार कर दिया, उन्होंने एफ्राईम के गोत्र को नहीं चुना;
וַ֭יִּבְחַר אֶת־שֵׁ֣בֶט יְהוּדָ֑ה אֶֽת־הַ֥ר צִ֝יֹּ֗ון אֲשֶׁ֣ר אָהֵֽב׃ | 68 |
किंतु उन्होंने यहूदाह गोत्र को चुन लिया, अपने प्रिय ज़ियोन पर्वत को.
וַיִּ֣בֶן כְּמֹו־רָ֭מִים מִקְדָּשֹׁ֑ו כְּ֝אֶ֗רֶץ יְסָדָ֥הּ לְעֹולָֽם׃ | 69 |
परमेश्वर ने अपना पवित्र आवास उच्च पर्वत जैसा निर्मित किया, पृथ्वी-सा चिरस्थाई.
וַ֭יִּבְחַר בְּדָוִ֣ד עַבְדֹּ֑ו וַ֝יִּקָּחֵ֗הוּ מִֽמִּכְלְאֹ֥ת צֹֽאן׃ | 70 |
उन्होंने अपने सेवक दावीद को चुन लिया, इसके लिए उन्होंने उन्हें भेड़शाला से बाहर निकाल लाया;
מֵאַחַ֥ר עָלֹ֗ות הֱ֫בִיאֹ֥ו לִ֭רְעֹות בְּיַעֲקֹ֣ב עַמֹּ֑ו וּ֝בְיִשְׂרָאֵ֗ל נַחֲלָתֹֽו׃ | 71 |
भेड़ों के चरवाहे से उन्हें लेकर परमेश्वर ने उन्हें अपनी प्रजा याकोब का रखवाला बना दिया, इस्राएल का, जो उनके निज भाग हैं.
וַ֭יִּרְעֵם כְּתֹ֣ם לְבָבֹ֑ו וּבִתְבוּנֹ֖ות כַּפָּ֣יו יַנְחֵֽם׃ | 72 |
दावीद उनकी देखभाल हृदय की सच्चाई में करते रहे; उनके कुशल हाथों ने उनकी अगुवाई की.