< תְהִלִּים 66 >
לַ֭מְנַצֵּחַ שִׁ֣יר מִזְמֹ֑ור הָרִ֥יעוּ לֵ֝אלֹהִים כָּל־הָאָֽרֶץ׃ | 1 |
संगीत निर्देशक के लिये. एक गीत. एक स्तोत्र. संपूर्ण पृथ्वी हर्षोल्लास में, परमेश्वर का जय जयकार करे!
זַמְּר֥וּ כְבֹֽוד־שְׁמֹ֑ו שִׂ֥ימוּ כָ֝בֹ֗וד תְּהִלָּתֹֽו׃ | 2 |
परमेश्वर की महिमा के तेज का गुणगान करो; महिमा का भजन गाकर उनका स्तवन करो.
אִמְר֣וּ לֵ֭אלֹהִים מַה־נֹּורָ֣א מַעֲשֶׂ֑יךָ בְּרֹ֥ב עֻ֝זְּךָ֗ יְֽכַחֲשׁ֖וּ לְךָ֣ אֹיְבֶֽיךָ׃ | 3 |
परमेश्वर से कहो, “कैसे आश्चर्यजनक हैं आपके महाकार्य! ऐसी अतुलनीय है आपकी सामर्थ्य, कि आपके शत्रु आपके सामने संकुचित होकर झुक जाते हैं.
כָּל־הָאָ֤רֶץ ׀ יִשְׁתַּחֲו֣וּ לְ֭ךָ וִֽיזַמְּרוּ־לָ֑ךְ יְזַמְּר֖וּ שִׁמְךָ֣ סֶֽלָה׃ | 4 |
संपूर्ण पृथ्वी आपके सामने नतमस्तक हो जाती है; सभी देश आपका स्तवन गान करते हैं, वे आपकी महिमा का स्तवन गान करते हैं.”
לְכ֣וּ וּ֭רְאוּ מִפְעֲלֹ֣ות אֱלֹהִ֑ים נֹורָ֥א עֲ֝לִילָ֗ה עַל־בְּנֵ֥י אָדָֽם׃ | 5 |
आकर स्वयं देख लो कि परमेश्वर ने क्या-क्या किया है, कैसे शोभायमान हैं मनुष्य के हित में किए गए उनके कार्य!
הָ֤פַךְ יָ֨ם ׀ לְֽיַבָּשָׁ֗ה בַּ֭נָּהָר יַֽעַבְר֣וּ בְרָ֑גֶל שָׁ֝֗ם נִשְׂמְחָה־בֹּֽו׃ | 6 |
उन्होंने समुद्र को सूखी भूमि में बदल दिया, जब वे नदी पार कर रहे थे तो उनके पांव सूखी भूमि पर पड़ रहे थे. आओ, हम प्रभु में आनंद मनाएं.
מֹ֘שֵׁ֤ל בִּגְבוּרָתֹ֨ו ׀ עֹולָ֗ם עֵ֭ינָיו בַּגֹּויִ֣ם תִּצְפֶּ֑ינָה הַסֹּורְרִ֓ים ׀ אַל־יָרִימוּ (יָר֖וּמוּ) לָ֣מֹו סֶֽלָה׃ | 7 |
सामर्थ्य में किया गया उनका शासन सर्वदा है, सभी राष्ट्र उनकी दृष्टि में बने रहते हैं, कोई भी उनके विरुद्ध विद्रोह का विचार न करे.
בָּרְכ֖וּ עַמִּ֥ים ׀ אֱלֹהֵ֑ינוּ וְ֝הַשְׁמִ֗יעוּ קֹ֣ול תְּהִלָּתֹֽו׃ | 8 |
सभी जातियों, हमारे परमेश्वर का स्तवन करो, उनके स्तवन का नाद सर्वत्र सुनाई दे;
הַשָּׂ֣ם נַ֭פְשֵׁנוּ בַּֽחַיִּ֑ים וְלֹֽא־נָתַ֖ן לַמֹּ֣וט רַגְלֵֽנוּ׃ | 9 |
उन्होंने ही हमारे जीवन की रक्षा की है तथा हमारे पांवों को फिसलने से बचाया है.
כִּֽי־בְחַנְתָּ֥נוּ אֱלֹהִ֑ים צְ֝רַפְתָּ֗נוּ כִּצְרָף־כָּֽסֶף׃ | 10 |
परमेश्वर, आपने हमारी परीक्षा ली; आपने हमें चांदी जैसे परिशुद्ध किया है.
הֲבֵאתָ֥נוּ בַמְּצוּדָ֑ה שַׂ֖מְתָּ מוּעָקָ֣ה בְמָתְנֵֽינוּ׃ | 11 |
आपने हमें उलझन की परिस्थिति में डालकर, हमारी पीठ पर बोझ लाद दिए.
הִרְכַּ֥בְתָּ אֱנֹ֗ושׁ לְרֹ֫אשֵׁ֥נוּ בָּֽאנוּ־בָאֵ֥שׁ וּבַמַּ֑יִם וַ֝תֹּוצִיאֵ֗נוּ לָֽרְוָיָֽה׃ | 12 |
आपने हमारे शत्रुओं को हमारे सिर कुचलते हुए जाने दिया; हमें अग्नि और जलधारा में से होकर जाना पड़ा, किंतु अंततः आपने हमें समृद्ध भूमि पर ला बसाया.
אָבֹ֣וא בֵיתְךָ֣ בְעֹולֹ֑ות אֲשַׁלֵּ֖ם לְךָ֣ נְדָרָֽי׃ | 13 |
मैं आपके मंदिर में अग्निबलि के साथ प्रवेश करूंगा, और आपसे की गई अपनी प्रतिज्ञाएं पूर्ण करूंगा.
אֲשֶׁר־פָּצ֥וּ שְׂפָתָ֑י וְדִבֶּר־פִּ֝֗י בַּצַּר־לִֽי׃ | 14 |
वे सभी प्रतिज्ञाएं, जो विपत्ति के अवसर पर स्वयं मैंने अपने मुख से की थी.
עֹ֘לֹ֤ות מֵחִ֣ים אַעֲלֶה־לָּ֭ךְ עִם־קְטֹ֣רֶת אֵילִ֑ים אֶ֥עֱשֶֽׂה בָקָ֖ר עִם־עַתּוּדִ֣ים סֶֽלָה׃ | 15 |
मैं आपको पुष्ट पशुओं की बलि अर्पण करूंगा, मैं मेढ़ों, बछड़ों और बकरों की बलि अर्पण करूंगा.
לְכֽוּ־שִׁמְע֣וּ וַ֭אֲסַפְּרָה כָּל־יִרְאֵ֣י אֱלֹהִ֑ים אֲשֶׁ֖ר עָשָׂ֣ה לְנַפְשִֽׁי׃ | 16 |
परमेश्वर के सभी श्रद्धालुओ, आओ और सुनो; मैं उन महाकार्य को लिखा करूंगा, जो मेरे हित में परमेश्वर द्वारा किए गए हैं.
אֵלָ֥יו פִּֽי־קָרָ֑אתִי וְ֝רֹומַ֗ם תַּ֣חַת לְשֹׁונִֽי׃ | 17 |
मैंने उन्हें पुकारा, मेरे होंठों पर उनका गुणगान था.
אָ֭וֶן אִם־רָאִ֣יתִי בְלִבִּ֑י לֹ֖א יִשְׁמַ֣ע ׀ אֲדֹנָֽי׃ | 18 |
यदि मैंने अपने हृदय में अपराध को संजोए रखकर, उसे पोषित किया होता, तो परमेश्वर ने मेरी पुकार न सुनी होती;
אָ֭כֵן שָׁמַ֣ע אֱלֹהִ֑ים הִ֝קְשִׁ֗יב בְּקֹ֣ול תְּפִלָּתִֽי׃ | 19 |
किंतु परमेश्वर ने न केवल मेरी प्रार्थना सुनी; उन्होंने उसका उत्तर भी दिया है.
בָּר֥וּךְ אֱלֹהִ֑ים אֲשֶׁ֥ר לֹֽא־הֵסִ֘יר תְּפִלָּתִ֥י וְ֝חַסְדֹּ֗ו מֵאִתִּֽי׃ | 20 |
धन्य हैं परमेश्वर, जिन्होंने मेरी प्रार्थना सुनकर उसे अस्वीकार नहीं किया, और न मुझे अपने करुणा-प्रेम से छीन लिया!