< תְהִלִּים 60 >
לַ֭מְנַצֵּחַ עַל־שׁוּשַׁ֣ן עֵד֑וּת מִכְתָּ֖ם לְדָוִ֣ד לְלַמֵּֽד׃ בְּהַצֹּותֹ֨ו ׀ אֶ֥ת אֲרַ֣ם נַהֲרַיִם֮ וְאֶת־אֲרַ֪ם צֹ֫ובָ֥ה וַיָּ֤שָׁב יֹואָ֗ב וַיַּ֣ךְ אֶת־אֱדֹ֣ום בְּגֵיא־מֶ֑לַח שְׁנֵ֖ים עָשָׂ֣ר אָֽלֶף׃ אֱ֭לֹהִים זְנַחְתָּ֣נוּ פְרַצְתָּ֑נוּ אָ֝נַ֗פְתָּ תְּשֹׁ֣ובֵ֥ב לָֽנוּ׃ | 1 |
ऐ ख़ुदा, तूने हमें रद्द किया; तूने हमें शिकस्ता हाल कर दिया। तू नाराज़ रहा है। हमें फिर बहाल कर।
הִרְעַ֣שְׁתָּה אֶ֣רֶץ פְּצַמְתָּ֑הּ רְפָ֖ה שְׁבָרֶ֣יהָ כִי־מָֽטָה׃ | 2 |
तूने ज़मीन को लरज़ा दिया; तूने उसे फाड़ डाला है। उसके रख़्ने बन्द कर दे क्यूँकि वह लरज़ाँ है।
הִרְאִ֣יתָה עַמְּךָ֣ קָשָׁ֑ה הִ֝שְׁקִיתָ֗נוּ יַ֣יִן תַּרְעֵלָֽה׃ | 3 |
तूने अपने लोगों को सख़्तियाँ दिखाई, तूने हमको लड़खड़ा देने वाली मय पिलाई।
נָ֘תַ֤תָּה לִּירֵאֶ֣יךָ נֵּ֭ס לְהִתְנֹוסֵ֑ס מִ֝פְּנֵ֗י קֹ֣שֶׁט סֶֽלָה׃ | 4 |
जो तुझ से डरते हैं, तूने उनको एक झंडा दिया है; ताकि वह हक़ की ख़ातिर बुलन्द किया जाएं। (सिलाह)
לְ֭מַעַן יֵחָלְצ֣וּן יְדִידֶ֑יךָ הֹושִׁ֖יעָה יְמִֽינְךָ֣ וַעֲנֵנוּ (וַעֲנֵֽנִי)׃ | 5 |
अपने दहने हाथ से बचा और हमें जवाब दे, ताकि तेरे महबूब बचाए जाएँ।
אֱלֹהִ֤ים ׀ דִּבֶּ֥ר בְּקָדְשֹׁ֗ו אֶ֫עְלֹ֥זָה אֲחַלְּקָ֥ה שְׁכֶ֑ם וְעֵ֖מֶק סֻכֹּ֣ות אֲמַדֵּֽד׃ | 6 |
ख़ुदा ने अपनी पाकीज़गी में फ़रमाया है, “मैं ख़ुशी करूँगा; मैं सिकम को तक़सीम करूँगा, और सुकात की वादी को बाटूँगा।
לִ֤י גִלְעָ֨ד ׀ וְלִ֬י מְנַשֶּׁ֗ה וְ֭אֶפְרַיִם מָעֹ֣וז רֹאשִׁ֑י יְ֝הוּדָ֗ה מְחֹֽקְקִי׃ | 7 |
जिल'आद मेरा है, मनस्सी भी मेरा है; इफ़्राईम मेरे सिर का खू़द है, यहूदाह मेरा 'असा है।
מֹואָ֤ב ׀ סִ֬יר רַחְצִ֗י עַל־אֱ֭דֹום אַשְׁלִ֣יךְ נַעֲלִ֑י עָ֝לַ֗י פְּלֶ֣שֶׁת הִתְרֹעָֽעִֽי׃ | 8 |
मोआब मेरी चिलमची है, अदोम पर मैं जूता फेफूँगा; ऐ फ़िलिस्तीन, मेरी वजह से ललकार।”
מִ֣י יֹ֭בִלֵנִי עִ֣יר מָצֹ֑ור מִ֖י נָחַ֣נִי עַד־אֱדֹֽום׃ | 9 |
मुझे उस मुहकम शहर में कौन पहुँचाएगा? कौन मुझे अदोम तक ले गया है?
הֲלֹֽא־אַתָּ֣ה אֱלֹהִ֣ים זְנַחְתָּ֑נוּ וְֽלֹא־תֵצֵ֥א אֱ֝לֹהִ֗ים בְּצִבְאֹותֵֽינוּ׃ | 10 |
ऐ ख़ुदा, क्या तूने हमें रद्द नहीं कर दिया? ऐ ख़ुदा, तू हमारे लश्करों के साथ नहीं जाता।
הָֽבָה־לָּ֣נוּ עֶזְרָ֣ת מִצָּ֑ר וְ֝שָׁ֗וְא תְּשׁוּעַ֥ת אָדָם׃ | 11 |
मुख़ालिफ़ के मुक़ाबले में हमारी मदद कर, क्यूँकि इंसानी मदद बेकार है।
בֵּֽאלֹהִ֥ים נַעֲשֶׂה־חָ֑יִל וְ֝ה֗וּא יָב֥וּס צָרֵֽינוּ׃ | 12 |
ख़ुदा की मदद से हम बहादुरी करेंगे, क्यूँकि वही हमारे मुख़ालिफ़ों को पस्त करेगा।