< תְהִלִּים 37 >
לְדָוִ֨ד ׀ אַל־תִּתְחַ֥ר בַּמְּרֵעִ֑ים אַל־תְּ֝קַנֵּ֗א בְּעֹשֵׂ֥י עַוְלָֽה׃ | 1 |
तू बदकिरदारों की वजह से बेज़ार न हो, और बदी करने वालों पर रश्क न कर!
כִּ֣י כֶ֭חָצִיר מְהֵרָ֣ה יִמָּ֑לוּ וּכְיֶ֥רֶק דֶּ֝֗שֶׁא יִבֹּולֽוּן׃ | 2 |
क्यूँकि वह घास की तरह जल्द काट डाले जाएँगे, और हरियाली की तरह मुरझा जाएँगे।
בְּטַ֣ח בַּֽ֭יהוָה וַעֲשֵׂה־טֹ֑וב שְׁכָן־אֶ֝֗רֶץ וּרְעֵ֥ה אֱמוּנָֽה׃ | 3 |
ख़ुदावन्द पर भरोसा कर, और नेकी कर; मुल्क में आबाद रह, और उसकी वफ़ादारी से परवरिश पा।
וְהִתְעַנַּ֥ג עַל־יְהוָ֑ה וְיִֽתֶּן־לְ֝ךָ֗ מִשְׁאֲלֹ֥ת לִבֶּֽךָ׃ | 4 |
ख़ुदावन्द में मसरूर रह, और वह तेरे दिल की मुरादें पूरी करेगा।
גֹּ֣ול עַל־יְהוָ֣ה דַּרְכֶּ֑ךָ וּבְטַ֥ח עָ֝לָ֗יו וְה֣וּא יַעֲשֶֽׂה׃ | 5 |
अपनी राह ख़ुदावन्द पर छोड़ दे: और उस पर भरोसा कर, वही सब कुछ करेगा।
וְהֹוצִ֣יא כָאֹ֣ור צִדְקֶ֑ךָ וּ֝מִשְׁפָּטֶ֗ךָ כַּֽצָּהֳרָֽיִם׃ | 6 |
वह तेरी रास्तबाज़ी को नूर की तरह, और तेरे हक़ को दोपहर की तरह रोशन करेगा।
דֹּ֤ום ׀ לַיהוָה֮ וְהִתְחֹ֪ולֵ֫ל לֹ֥ו אַל־תִּ֭תְחַר בְּמַצְלִ֣יחַ דַּרְכֹּ֑ו בְּ֝אִ֗ישׁ עֹשֶׂ֥ה מְזִמֹּֽות׃ | 7 |
ख़ुदावन्द में मुतम'इन रह, और सब्र से उसकी आस रख; उस आदमी की वजह से जो अपनी राह में कामयाब होता और बुरे मन्सूबों को अंजाम देता है, बेज़ार न हो।
הֶ֣רֶף מֵ֭אַף וַעֲזֹ֣ב חֵמָ֑ה אַל־תִּ֝תְחַ֗ר אַךְ־לְהָרֵֽעַ׃ | 8 |
क़हर से बाज़ आ और ग़ज़ब को छोड़ दे! बेज़ार न हो, इससे बुराई ही निकलती है।
כִּֽי־מְ֭רֵעִים יִכָּרֵת֑וּן וְקֹוֵ֥י יְ֝הוָ֗ה הֵ֣מָּה יִֽירְשׁוּ־אָֽרֶץ׃ | 9 |
क्यूँकि बदकार काट डाले जाएँगे; लेकिन जिनको ख़ुदावन्द की आस है, मुल्क के वारिस होंगे।
וְעֹ֣וד מְ֭עַט וְאֵ֣ין רָשָׁ֑ע וְהִתְבֹּונַ֖נְתָּ עַל־מְקֹומֹ֣ו וְאֵינֶֽנּוּ׃ | 10 |
क्यूँकि थोड़ी देर में शरीर नाबूद हो जाएगा; तू उसकी जगह को ग़ौर से देखेगा पर वह न होगा।
וַעֲנָוִ֥ים יִֽירְשׁוּ־אָ֑רֶץ וְ֝הִתְעַנְּג֗וּ עַל־רֹ֥ב שָׁלֹֽום׃ | 11 |
लेकिन हलीम मुल्क के वारिस होंगे, और सलामती की फ़िरावानी से ख़ुश रहेंगे।
זֹמֵ֣ם רָ֭שָׁע לַצַּדִּ֑יק וְחֹרֵ֖ק עָלָ֣יו שִׁנָּֽיו׃ | 12 |
शरीर रास्तबाज़ के ख़िलाफ़ बन्दिशें बाँधता है, और उस पर दाँत पीसता है;
אֲדֹנָ֥י יִשְׂחַק־לֹ֑ו כִּֽי־רָ֝אָ֗ה כִּֽי־יָבֹ֥א יֹומֹֽו׃ | 13 |
ख़ुदावन्द उस पर हंसेगा, क्यूँकि वह देखता है कि उसका दिनआता है।
חֶ֤רֶב ׀ פָּֽתְח֣וּ רְשָׁעִים֮ וְדָרְכ֪וּ קַ֫שְׁתָּ֥ם לְ֭הַפִּיל עָנִ֣י וְאֶבְיֹ֑ון לִ֝טְבֹ֗וחַ יִשְׁרֵי־דָֽרֶךְ׃ | 14 |
शरीरों ने तलवार निकाली और कमान खींची है, ताकि ग़रीब और मुहताज को गिरा दें, और रास्तरों को क़त्ल करें।
חַ֭רְבָּם תָּבֹ֣וא בְלִבָּ֑ם וְ֝קַשְּׁתֹותָ֗ם תִּשָּׁבַֽרְנָה׃ | 15 |
उनकी तलवार उन ही के दिल को छेदेगी, और उनकी कमानें तोड़ी जाएँगी।
טֹוב־מְ֭עַט לַצַּדִּ֑יק מֵ֝הֲמֹ֗ון רְשָׁעִ֥ים רַבִּֽים׃ | 16 |
सादिक़ का थोड़ा सा माल, बहुत से शरीरों की दौलत से बेहतर है।
כִּ֤י זְרֹועֹ֣ות רְ֭שָׁעִים תִּשָּׁבַ֑רְנָה וְסֹומֵ֖ךְ צַדִּיקִ֣ים יְהוָֽה׃ | 17 |
क्यूँकि शरीरों के बाज़ू तोड़े जाएँगे, लेकिन ख़ुदावन्द सादिकों को संभालता है।
יֹודֵ֣עַ יְ֭הוָה יְמֵ֣י תְמִימִ֑ם וְ֝נַחֲלָתָ֗ם לְעֹולָ֥ם תִּהְיֶֽה׃ | 18 |
कामिल लोगों के दिनों को ख़ुदावन्द जानता है, उनकी मीरास हमेशा के लिए होगी।
לֹֽא־יֵ֭בֹשׁוּ בְּעֵ֣ת רָעָ֑ה וּבִימֵ֖י רְעָבֹ֣ון יִשְׂבָּֽעוּ׃ | 19 |
वह आफ़त के वक़्त शर्मिन्दा न होंगे, और काल के दिनों में आसूदा रहेंगे।
כִּ֤י רְשָׁעִ֨ים ׀ יֹאבֵ֗דוּ וְאֹיְבֵ֣י יְ֭הוָה כִּיקַ֣ר כָּרִ֑ים כָּל֖וּ בֶעָשָׁ֣ן כָּֽלוּ׃ | 20 |
लेकिन शरीर हलाक होंगे, ख़ुदावन्द के दुश्मन चरागाहों की सरसब्ज़ी की तरह होंगे; वह फ़ना हो जाएँगे, वह धुएँ की तरह जाते रहेंगे।
לֹוֶ֣ה רָ֭שָׁע וְלֹ֣א יְשַׁלֵּ֑ם וְ֝צַדִּ֗יק חֹונֵ֥ן וְנֹותֵֽן׃ | 21 |
शरीर क़र्ज़ लेता है और अदा नहीं करता, लेकिन सादिक़ रहम करता है और देता है।
כִּ֣י מְ֭בֹרָכָיו יִ֣ירְשׁוּ אָ֑רֶץ וּ֝מְקֻלָּלָ֗יו יִכָּרֵֽתוּ׃ | 22 |
क्यूँकि जिनको वह बरकत देता है, वह ज़मीन के वारिस होंगे; और जिन पर वह ला'नत करता है, वह काट डाले जाएँगे।
מֵ֭יְהוָה מִֽצְעֲדֵי־גֶ֥בֶר כֹּונָ֗נוּ וְדַרְכֹּ֥ו יֶחְפָּֽץ׃ | 23 |
इंसान की चाल चलन ख़ुदावन्द की तरफ़ से क़ाईम हैं, और वह उसकी राह से ख़ुश है;
כִּֽי־יִפֹּ֥ל לֹֽא־יוּטָ֑ל כִּֽי־יְ֝הוָ֗ה סֹומֵ֥ךְ יָדֹֽו׃ | 24 |
अगर वह गिर भी जाए तो पड़ा न रहेगा, क्यूँकि ख़ुदावन्द उसे अपने हाथ से संभालता है।
נַ֤עַר ׀ הָיִ֗יתִי גַּם־זָ֫קַ֥נְתִּי וְֽלֹא־רָ֭אִיתִי צַדִּ֣יק נֶעֱזָ֑ב וְ֝זַרְעֹ֗ו מְבַקֶּשׁ־לָֽחֶם׃ | 25 |
मैं जवान था और अब बूढ़ा हूँ तोभी मैंने सादिक़ को बेकस, और उसकी औलाद को टुकड़े माँगते नहीं देखा।
כָּל־הַ֭יֹּום חֹונֵ֣ן וּמַלְוֶ֑ה וְ֝זַרְעֹ֗ו לִבְרָכָֽה׃ | 26 |
वह दिन भर रहम करता है और क़र्ज़ देता है, और उसकी औलाद को बरकत मिलती है।
ס֣וּר מֵ֭רָע וַעֲשֵׂה־טֹ֗וב וּשְׁכֹ֥ן לְעֹולָֽם׃ | 27 |
बदी को छोड़ दे और नेकी कर; और हमेशा तक आबाद रह।
כִּ֤י יְהוָ֨ה ׀ אֹ֘הֵ֤ב מִשְׁפָּ֗ט וְלֹא־יַעֲזֹ֣ב אֶת־חֲ֭סִידָיו לְעֹולָ֣ם נִשְׁמָ֑רוּ וְזֶ֖רַע רְשָׁעִ֣ים נִכְרָֽת׃ | 28 |
क्यूँकि ख़ुदावन्द इन्साफ़ को पसंद करता है: और अपने पाक लोगों को नहीं छोड़ता। वह हमेशा के लिए महफ़ूज़ हैं, लेकिन शरीरों की नसल काट डाली जाएगी।
צַדִּיקִ֥ים יִֽירְשׁוּ־אָ֑רֶץ וְיִשְׁכְּנ֖וּ לָעַ֣ד עָלֶֽיהָ׃ | 29 |
सादिक़ ज़मीन के वारिस होंगे, और उसमें हमेशा बसे रहेंगे।
פִּֽי־צַ֭דִּיק יֶהְגֶּ֣ה חָכְמָ֑ה וּ֝לְשֹׁונֹ֗ו תְּדַבֵּ֥ר מִשְׁפָּֽט׃ | 30 |
सादिक़ के मुँह से दानाई निकलती है, और उसकी ज़बान से इन्साफ़ की बातें।
תֹּורַ֣ת אֱלֹהָ֣יו בְּלִבֹּ֑ו לֹ֖א תִמְעַ֣ד אֲשֻׁרָֽיו׃ | 31 |
उसके ख़ुदा की शरी'अत उसके दिल में है, वह अपनी चाल चलन में फिसलेगा नहीं।
צֹופֶ֣ה רָ֭שָׁע לַצַּדִּ֑יק וּ֝מְבַקֵּ֗שׁ לַהֲמִיתֹו׃ | 32 |
शरीर सादिक़ की ताक में रहता है; और उसे क़त्ल करना चाहता है।
יְ֭הוָה לֹא־יַעַזְבֶ֣נּוּ בְיָדֹ֑ו וְלֹ֥א יַ֝רְשִׁיעֶ֗נּוּ בְּהִשָּׁפְטֹֽו׃ | 33 |
ख़ुदावन्द उसे उसके हाथ में नहीं छोड़ेगा, और जब उसकी 'अदालत हो तो उसे मुजरिम न ठहराएगा।
קַוֵּ֤ה אֶל־יְהוָ֨ה ׀ וּשְׁמֹ֬ר דַּרְכֹּ֗ו וִֽ֭ירֹומִמְךָ לָרֶ֣שֶׁת אָ֑רֶץ בְּהִכָּרֵ֖ת רְשָׁעִ֣ים תִּרְאֶֽה׃ | 34 |
ख़ुदावन्द की उम्मीद रख, और उसी की राह पर चलता रह, और वह तुझे सरफ़राज़ करके ज़मीन का वारिस बनाएगा; जब शरीर काट डाले जाएँगे, तो तू देखेगा।
רָ֭אִיתִי רָשָׁ֣ע עָרִ֑יץ וּ֝מִתְעָרֶ֗ה כְּאֶזְרָ֥ח רַעֲנָֽן׃ | 35 |
मैंने शरीर को बड़े इक्तिदार में और ऐसा फैलता देखा, जैसे कोई हरा दरख़्त अपनी असली ज़मीन में फैलता है।
וַ֭יּֽ͏ַעֲבֹר וְהִנֵּ֣ה אֵינֶ֑נּוּ וָֽ֝אֲבַקְשֵׁ֗הוּ וְלֹ֣א נִמְצָֽא׃ | 36 |
लेकिन जब कोई उधर से गुज़राऔर देखा तो वह था ही नहीं; बल्कि मैंने उसे ढूंढा लेकिन वह न मिला।
שְׁמָר־תָּ֭ם וּרְאֵ֣ה יָשָׁ֑ר כִּֽי־אַחֲרִ֖ית לְאִ֣ישׁ שָׁלֹֽום׃ | 37 |
कामिल आदमी पर निगाह कर और रास्तबाज़ को देख, क्यूँकि सुलह दोस्त आदमी के लिए अज्र है।
וּֽ֭פֹשְׁעִים נִשְׁמְד֣וּ יַחְדָּ֑ו אַחֲרִ֖ית רְשָׁעִ֣ים נִכְרָֽתָה׃ | 38 |
लेकिन ख़ताकार इकट्ठे मर मिटेंगे; शरीरों का अंजाम हलाकत है।
וּתְשׁוּעַ֣ת צַ֭דִּיקִים מֵיְהוָ֑ה מָֽ֝עוּזָּ֗ם בְּעֵ֣ת צָרָֽה׃ | 39 |
लेकिन सादिकों की नजात ख़ुदावन्द की तरफ़ से है; मुसीबत के वक़्त वह उनका मज़बूत क़िला है।
וַֽיַּעְזְרֵ֥ם יְהוָ֗ה וַֽיְפַ֫לְּטֵ֥ם יְפַלְּטֵ֣ם מֵ֭רְשָׁעִים וְיֹושִׁיעֵ֑ם כִּי־חָ֥סוּ בֹֽו׃ | 40 |
और ख़ुदावन्द उनकी मदद करताऔर उनको बचाता है; वह उनको शरीरों से छुड़ाता और बचा लेता है, इसलिए कि उन्होंने उसमें पनाह ली है।