< תְהִלִּים 14 >
לַמְנַצֵּ֗חַ לְדָ֫וִ֥ד אָ֘מַ֤ר נָבָ֣ל בְּ֭לִבֹּו אֵ֣ין אֱלֹהִ֑ים הִֽשְׁחִ֗יתוּ הִֽתְעִ֥יבוּ עֲלִילָ֗ה אֵ֣ין עֹֽשֵׂה־טֹֽוב׃ | 1 |
संगीत निर्देशक के लिये. दावीद की रचना मूर्ख मन ही मन में कहते हैं, “परमेश्वर है ही नहीं.” वे सभी भ्रष्ट हैं और उनके काम घिनौने हैं; ऐसा कोई भी नहीं, जो भलाई करता हो.
יְֽהוָ֗ה מִשָּׁמַיִם֮ הִשְׁקִ֪יף עַֽל־בְּנֵי־אָ֫דָ֥ם לִ֭רְאֹות הֲיֵ֣שׁ מַשְׂכִּ֑יל דֹּ֝רֵשׁ אֶת־אֱלֹהִֽים׃ | 2 |
स्वर्ग से याहवेह मनुष्यों पर दृष्टि डालते हैं इस आशा में कि कोई तो होगा, जो बुद्धिमान है, जो परमेश्वर की खोज करता हो.
הַכֹּ֥ל סָר֮ יַחְדָּ֪ו נֶ֫אֱלָ֥חוּ אֵ֤ין עֹֽשֵׂה־טֹ֑וב אֵ֝֗ין גַּם־אֶחָֽד׃ | 3 |
सभी मनुष्य भटक गए हैं, सभी नैतिक रूप से भ्रष्ट हो चुके हैं; कोई भी सत्कर्म परोपकार नहीं करता, हां, एक भी नहीं.
הֲלֹ֥א יָדְעוּ֮ כָּל־פֹּ֪עֲלֵ֫י אָ֥וֶן אֹכְלֵ֣י עַ֭מִּי אָ֣כְלוּ לֶ֑חֶם יְ֝הוָ֗ה לֹ֣א קָרָֽאוּ׃ | 4 |
मेरी प्रजा के ये भक्षक, ये दुष्ट पुरुष, क्या ऐसे निर्बुद्धि हैं? जो उसे ऐसे खा जाते हैं, जैसे रोटी को; क्या उन्हें याहवेह की उपासना का कोई ध्यान नहीं?
שָׁ֤ם ׀ פָּ֣חֲדוּ פָ֑חַד כִּֽי־אֱ֝לֹהִ֗ים בְּדֹ֣ור צַדִּֽיק׃ | 5 |
वहां वे अत्यंत घबरा गये हैं, क्योंकि परमेश्वर धर्मी पीढ़ी के पक्ष में होते हैं.
עֲצַת־עָנִ֥י תָבִ֑ישׁוּ כִּ֖י יְהוָ֣ה מַחְסֵֽהוּ׃ | 6 |
तुम दुःखित को लज्जित करने की युक्ति कर रहे हो, किंतु उनका आश्रय याहवेह हैं.
מִ֥י יִתֵּ֣ן מִצִּיֹּון֮ יְשׁוּעַ֪ת יִשְׂרָ֫אֵ֥ל בְּשׁ֣וּב יְ֭הוָה שְׁב֣וּת עַמֹּ֑ו יָגֵ֥ל יַ֝עֲקֹ֗ב יִשְׂמַ֥ח יִשְׂרֽ͏ָאֵל׃ | 7 |
कैसा उत्तम होता यदि इस्राएल का उद्धार ज़ियोन से प्रगट होता! याकोब के लिए वह हर्षोल्लास का अवसर होगा, जब याहवेह अपनी प्रजा को दासत्व से लौटा लाएंगे, तब इस्राएल आनंदित हो जाएगा!