< תְהִלִּים 130 >
שִׁ֥יר הַֽמַּעֲלֹ֑ות מִמַּעֲמַקִּ֖ים קְרָאתִ֣יךָ יְהוָֽה׃ | 1 |
ऐ ख़ुदावन्द! मैंने गहराओ में से तेरे सामने फ़रियाद की है!
אֲדֹנָי֮ שִׁמְעָ֪ה בְקֹ֫ולִ֥י תִּהְיֶ֣ינָה אָ֭זְנֶיךָ קַשֻּׁבֹ֑ות לְ֝קֹ֗ול תַּחֲנוּנָֽי׃ | 2 |
ऐ ख़ुदावन्द! मेरी आवाज़ सुन ले! मेरी इल्तिजा की आवाज़ पर, तेरे कान लगे रहें।
אִם־עֲוֹנֹ֥ות תִּשְׁמָר־יָ֑הּ אֲ֝דֹנָ֗י מִ֣י יַעֲמֹֽד׃ | 3 |
ऐ ख़ुदावन्द! अगर तू बदकारी को हिसाब में लाए, तो ऐ ख़ुदावन्द कौन क़ाईम रह सकेगा?
כִּֽי־עִמְּךָ֥ הַסְּלִיחָ֑ה לְ֝מַ֗עַן תִּוָּרֵֽא׃ | 4 |
लेकिन मग़फ़िरत तेरे हाथ में है, ताकि लोग तुझ से डरें।
קִוִּ֣יתִי יְ֭הוָה קִוְּתָ֣ה נַפְשִׁ֑י וְֽלִדְבָרֹ֥ו הֹוחָֽלְתִּי׃ | 5 |
मैं ख़ुदावन्द का इन्तिज़ार करता हूँ। मेरी जान मुन्तज़िर है, और मुझे उसके कलाम पर भरोसा है।
נַפְשִׁ֥י לַֽאדֹנָ֑י מִשֹּׁמְרִ֥ים לַ֝בֹּ֗קֶר שֹׁמְרִ֥ים לַבֹּֽקֶר׃ | 6 |
सुबह का इन्तिज़ार करने वालों से ज़्यादा, हाँ, सुबह का इन्तिज़ार करने वालों से कहीं ज़्यादा, मेरी जान ख़ुदावन्द की मुन्तज़िर है।
יַחֵ֥ל יִשְׂרָאֵ֗ל אֶל־יְה֫וָה כִּֽי־עִם־יְהוָ֥ה הַחֶ֑סֶד וְהַרְבֵּ֖ה עִמֹּ֣ו פְדֽוּת׃ | 7 |
ऐ इस्राईल! ख़ुदावन्द पर भरोसा कर; क्यूँकि ख़ुदावन्द के हाथ में शफ़क़त है, उसी के हाथ में फ़िदिए की कसरत है।
וְ֭הוּא יִפְדֶּ֣ה אֶת־יִשְׂרָאֵ֑ל מִ֝כֹּ֗ל עֲוֹנֹתָֽיו׃ | 8 |
और वही इस्राईल का फ़िदिया देकर, उसको सारी बदकारी से छुड़ाएगा।