< בְּמִדְבַּר 6 >
וַיְדַבֵּ֥ר יְהוָ֖ה אֶל־מֹשֶׁ֥ה לֵּאמֹֽר׃ | 1 |
याहवेह ने मोशेह को आज्ञा दी,
דַּבֵּר֙ אֶל־בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל וְאָמַרְתָּ֖ אֲלֵהֶ֑ם אִ֣ישׁ אֹֽו־אִשָּׁ֗ה כִּ֤י יַפְלִא֙ לִנְדֹּר֙ נֶ֣דֶר נָזִ֔יר לְהַזִּ֖יר לַֽיהוָֽה׃ | 2 |
“इस्राएल के घराने को बुलाकर उन्हें यह आज्ञा दो: ‘जब कोई स्त्री अथवा कोई पुरुष नाज़ीरी संकल्प करता है, तथा यह संकल्प समर्पण के विषय में हो कि वह स्वयं को याहवेह के लिए समर्पित करता है,
מִיַּ֤יִן וְשֵׁכָר֙ יַזִּ֔יר חֹ֥מֶץ יַ֛יִן וְחֹ֥מֶץ שֵׁכָ֖ר לֹ֣א יִשְׁתֶּ֑ה וְכָל־מִשְׁרַ֤ת עֲנָבִים֙ לֹ֣א יִשְׁתֶּ֔ה וַעֲנָבִ֛ים לַחִ֥ים וִיבֵשִׁ֖ים לֹ֥א יֹאכֵֽל׃ | 3 |
वह दाखमधु से अलग रहे, सिरके का सेवन न करे, चाहे वह अंगूर के रस से बना हुआ हो अथवा किसी नशीले द्रव्य का. वह अंगूर के रस का भी सेवन न करे, वह न तो वाटिका से लाए गए अंगूरों का सेवन करे और न ही सुखाए हुए अंगूरों का.
כֹּ֖ל יְמֵ֣י נִזְרֹ֑ו מִכֹּל֩ אֲשֶׁ֨ר יֵעָשֶׂ֜ה מִגֶּ֣פֶן הַיַּ֗יִן מֵחַרְצַנִּ֛ים וְעַד־זָ֖ג לֹ֥א יֹאכֵֽל׃ | 4 |
अपने पूरे संकल्प किए हुए समय में वह किसी भी ऐसी वस्तु को न खाए, जो अंगूर से बनी हो, यहां तक कि न तो अंगूर के बीज से लेकर अंगूर के छिलकों का.
כָּל־יְמֵי֙ נֶ֣דֶר נִזְרֹ֔ו תַּ֖עַר לֹא־יַעֲבֹ֣ר עַל־רֹאשֹׁ֑ו עַד־מְלֹ֨את הַיָּמִ֜ם אֲשֶׁר־יַזִּ֤יר לַיהוָה֙ קָדֹ֣שׁ יִהְיֶ֔ה גַּדֵּ֥ל פֶּ֖רַע שְׂעַ֥ר רֹאשֹֽׁו׃ | 5 |
“‘जब तक उसके संकल्प का समय है, उसके सिर पर उस्तरा न फेरा जाएगा. जिस समय के लिए उसने संकल्प किया है वह याहवेह के लिए अलग तथा पवित्र बना रहेगा; वह अपने बाल लंबे होते जाने देगा.
כָּל־יְמֵ֥י הַזִּירֹ֖ו לַיהוָ֑ה עַל־נֶ֥פֶשׁ מֵ֖ת לֹ֥א יָבֹֽא׃ | 6 |
“‘याहवेह के लिए अलग रहने के समय में वह कभी भी किसी शव के पास नहीं जाएगा.
לְאָבִ֣יו וּלְאִמֹּ֗ו לְאָחִיו֙ וּלְאַ֣חֹתֹ֔ו לֹא־יִטַּמָּ֥א לָהֶ֖ם בְּמֹתָ֑ם כִּ֛י נֵ֥זֶר אֱלֹהָ֖יו עַל־רֹאשֹֽׁו׃ | 7 |
वह स्वयं को अपने माता-पिता अथवा भाई-बहन की मृत्यु होने पर भी अशुद्ध नहीं करेगा क्योंकि वह अपनी देह सहित परमेश्वर के लिए अलग किया गया है.
כֹּ֖ל יְמֵ֣י נִזְרֹ֑ו קָדֹ֥שׁ ה֖וּא לַֽיהוָֽה׃ | 8 |
अलग रहने के पूरे समय तक वह याहवेह के लिए पवित्र है.
וְכִֽי־יָמ֨וּת מֵ֤ת עָלָיו֙ בְּפֶ֣תַע פִּתְאֹ֔ם וְטִמֵּ֖א רֹ֣אשׁ נִזְרֹ֑ו וְגִלַּ֤ח רֹאשֹׁו֙ בְּיֹ֣ום טָהֳרָתֹ֔ו בַּיֹּ֥ום הַשְּׁבִיעִ֖י יְגַלְּחֶֽנּוּ׃ | 9 |
“‘किंतु यदि उसके निकट ही किसी व्यक्ति की मृत्यु अचानक हो गई हो, जिसके परिणामस्वरूप वह अपने समर्पित बालों को अशुद्ध कर देता है, तब वह उस दिन, जब वह स्वयं को अलग कर लेता है, अपने बाल मुंडवा ले.
וּבַיֹּ֣ום הַשְּׁמִינִ֗י יָבִא֙ שְׁתֵּ֣י תֹרִ֔ים אֹ֥ו שְׁנֵ֖י בְּנֵ֣י יֹונָ֑ה אֶל־הַכֹּהֵ֔ן אֶל־פֶּ֖תַח אֹ֥הֶל מֹועֵֽד׃ | 10 |
आठवें दिन वह दो पण्डुक अथवा दो कबूतर के बच्चे तंबू के द्वार पर लाकर पुरोहित को सौंप देगा.
וְעָשָׂ֣ה הַכֹּהֵ֗ן אֶחָ֤ד לְחַטָּאת֙ וְאֶחָ֣ד לְעֹלָ֔ה וְכִפֶּ֣ר עָלָ֔יו מֵאֲשֶׁ֥ר חָטָ֖א עַל־הַנָּ֑פֶשׁ וְקִדַּ֥שׁ אֶת־רֹאשֹׁ֖ו בַּיֹּ֥ום הַהֽוּא׃ | 11 |
पुरोहित एक पक्षी को पापबलि के लिए तथा अन्य पक्षी होमबलि के लिए भेंट करके उसके लिए प्रायश्चित विधि पूरी करेगा, क्योंकि वह उस व्यक्ति के शव के कारण अशुद्ध हो गया था. उसी दिन वह व्यक्ति अपने सिर को पवित्र करेगा,
וְהִזִּ֤יר לַֽיהוָה֙ אֶת־יְמֵ֣י נִזְרֹ֔ו וְהֵבִ֛יא כֶּ֥בֶשׂ בֶּן־שְׁנָתֹ֖ו לְאָשָׁ֑ם וְהַיָּמִ֤ים הָרִאשֹׁנִים֙ יִפְּל֔וּ כִּ֥י טָמֵ֖א נִזְרֹֽו׃ | 12 |
तथा वह याहवेह के सामने नाज़री होने की अवधि को भेंट करेगा. फिर वह एक वर्ष का मेमना दोष बलि के रूप में भेंट करेगा. उसके संकल्प की पूरी अवधि उसके अशुद्ध हो जाने के कारण मान्य नहीं होगी.
וְזֹ֥את תֹּורַ֖ת הַנָּזִ֑יר בְּיֹ֗ום מְלֹאת֙ יְמֵ֣י נִזְרֹ֔ו יָבִ֣יא אֹתֹ֔ו אֶל־פֶּ֖תַח אֹ֥הֶל מֹועֵֽד׃ | 13 |
“‘संकल्प लेने के दिन पूरे होने पर उस नाज़ीर के लिए विधि इस प्रकार है: वह अपनी भेंट मिलनवाले तंबू के द्वार पर ले आएगा.
וְהִקְרִ֣יב אֶת־קָרְבָּנֹ֣ו לַיהוָ֡ה כֶּבֶשׂ֩ בֶּן־שְׁנָתֹ֨ו תָמִ֤ים אֶחָד֙ לְעֹלָ֔ה וְכַבְשָׂ֨ה אַחַ֧ת בַּת־שְׁנָתָ֛הּ תְּמִימָ֖ה לְחַטָּ֑את וְאַֽיִל־אֶחָ֥ד תָּמִ֖ים לִשְׁלָמִֽים׃ | 14 |
वह अपनी यह भेंट याहवेह को चढ़ाएगा: एक वर्ष का निर्दोष मेमना, एक वर्ष की भेड़ पापबलि के लिए, तथा एक निर्दोष मेढ़ा मेल बलि के लिए.
וְסַ֣ל מַצֹּ֗ות סֹ֤לֶת חַלֹּת֙ בְּלוּלֹ֣ת בַּשֶּׁ֔מֶן וּרְקִיקֵ֥י מַצֹּ֖ות מְשֻׁחִ֣ים בַּשָּׁ֑מֶן וּמִנְחָתָ֖ם וְנִסְכֵּיהֶֽם׃ | 15 |
इनके अलावा मैदे की तेल मिली हुई अखमीरी रोटी एक टोकरी, तथा अखमीरी पपड़ियां, जिन पर तेल चुपड़ दिया गया हो. इनके साथ अन्नबलि तथा अर्घ भी.
וְהִקְרִ֥יב הַכֹּהֵ֖ן לִפְנֵ֣י יְהוָ֑ה וְעָשָׂ֥ה אֶת־חַטָּאתֹ֖ו וְאֶת־עֹלָתֹֽו׃ | 16 |
“‘यह सब पुरोहित याहवेह के सामने लाकर भेंट करेगा; इनमें अखमीरी रोटियां भी शामिल होंगी. पुरोहित अन्नबलि एवं अर्घ भी भेंट करेगा.
וְאֶת־הָאַ֜יִל יַעֲשֶׂ֨ה זֶ֤בַח שְׁלָמִים֙ לַֽיהוָ֔ה עַ֖ל סַ֣ל הַמַּצֹּ֑ות וְעָשָׂה֙ הַכֹּהֵ֔ן אֶת־מִנְחָתֹ֖ו וְאֶת־נִסְכֹּֽו׃ | 17 |
वह याहवेह को मेल बलि के लिए अखमीरी रोटी की टोकरी के साथ मेढ़ा भी भेंट करेगा. इसी प्रकार अन्नबलि एवं अर्घ भी.
וְגִלַּ֣ח הַנָּזִ֗יר פֶּ֛תַח אֹ֥הֶל מֹועֵ֖ד אֶת־רֹ֣אשׁ נִזְרֹ֑ו וְלָקַ֗ח אֶת־שְׂעַר֙ רֹ֣אשׁ נִזְרֹ֔ו וְנָתַן֙ עַל־הָאֵ֔שׁ אֲשֶׁר־תַּ֖חַת זֶ֥בַח הַשְּׁלָמִֽים׃ | 18 |
“‘इसके बाद वह नाज़ीर अपने सिर के बाल मिलनवाले तंबू के प्रवेश द्वार पर जाकर मुंडवाएगा, तथा अपने भेंट किए हुए बालों को उस आग में डाल देगा, जो मेल बलियों के बलि पशु के नीचे जलती है.
וְלָקַ֨ח הַכֹּהֵ֜ן אֶת־הַזְּרֹ֣עַ בְּשֵׁלָה֮ מִן־הָאַיִל֒ וְֽחַלַּ֨ת מַצָּ֤ה אַחַת֙ מִן־הַסַּ֔ל וּרְקִ֥יק מַצָּ֖ה אֶחָ֑ד וְנָתַן֙ עַל־כַּפֵּ֣י הַנָּזִ֔יר אַחַ֖ר הִֽתְגַּלְּחֹ֥ו אֶת־נִזְרֹֽו׃ | 19 |
“‘जब वह नाज़ीर अपना सिर मुंडवा चुके, तब पुरोहित उसके हाथों में उस मेढ़े के कंधे, जो इस समय उबाले जा चुके होंगे, टोकरी से एक अखमीरी रोटी तथा एक अखमीरी पपड़ी रख देगा.
וְהֵנִיף֩ אֹותָ֨ם הַכֹּהֵ֥ן ׀ תְּנוּפָה֮ לִפְנֵ֣י יְהוָה֒ קֹ֤דֶשׁ הוּא֙ לַכֹּהֵ֔ן עַ֚ל חֲזֵ֣ה הַתְּנוּפָ֔ה וְעַ֖ל שֹׁ֣וק הַתְּרוּמָ֑ה וְאַחַ֛ר יִשְׁתֶּ֥ה הַנָּזִ֖יר יָֽיִן׃ | 20 |
इसके बाद पुरोहित इन्हें याहवेह के सामने हिलाने की बलि के रूप में हिलाएगा. हिलाने के लिए ठहराए हुए भेंट के मेढ़े का सीना तथा ऊपर उठाकर भेंट करने के लिए ठहराई हुई जांघ उस पुरोहित के लिए पवित्र होगी. यह सब हो जाने के बाद उस नाज़ीर के लिए दाखमधु पीना वर्जित न रहेगा.’
זֹ֣את תֹּורַ֣ת הַנָּזִיר֮ אֲשֶׁ֣ר יִדֹּר֒ קָרְבָּנֹ֤ו לַֽיהוָה֙ עַל־נִזְרֹ֔ו מִלְּבַ֖ד אֲשֶׁר־תַּשִּׂ֣יג יָדֹ֑ו כְּפִ֤י נִדְרֹו֙ אֲשֶׁ֣ר יִדֹּ֔ר כֵּ֣ן יַעֲשֶׂ֔ה עַ֖ל תֹּורַ֥ת נִזְרֹֽו׃ פ | 21 |
“‘यही है उस नाज़ीर से संबंधित विधि, उसके अलावा, जो कुछ उसके लिए संभव है! जो अपने अलग रहने के द्वारा याहवेह के सामने संकल्प लेता है, उसने जो कुछ संकल्प किया है, उसे वह अपने अलग रहने की विधि के अनुसार अवश्य पूरी करे.’”
וַיְדַבֵּ֥ר יְהוָ֖ה אֶל־מֹשֶׁ֥ה לֵּאמֹֽר׃ | 22 |
फिर याहवेह ने मोशेह को यह आज्ञा दी,
דַּבֵּ֤ר אֶֽל־אַהֲרֹן֙ וְאֶל־בָּנָ֣יו לֵאמֹ֔ר כֹּ֥ה תְבָרֲכ֖וּ אֶת־בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל אָמֹ֖ור לָהֶֽם׃ ס | 23 |
“अहरोन एवं उसके पुत्रों को यह आज्ञा दो, ‘जब तुम इस्राएल के घराने को आशीर्वाद दो, तो उनसे इस प्रकार कहना:
יְבָרֶכְךָ֥ יְהוָ֖ה וְיִשְׁמְרֶֽךָ׃ ס | 24 |
“‘“याहवेह तुम्हें आशीष प्रदान करें, तथा तुम्हें सुरक्षित रखें;
יָאֵ֨ר יְהוָ֧ה ׀ פָּנָ֛יו אֵלֶ֖יךָ וִֽיחֻנֶּֽךָּ׃ ס | 25 |
याहवेह तुम पर अपने मुख का प्रकाश चमकाकर तुम पर अनुग्रह करें;
יִשָּׂ֨א יְהוָ֤ה ׀ פָּנָיו֙ אֵלֶ֔יךָ וְיָשֵׂ֥ם לְךָ֖ שָׁלֹֽום׃ ס | 26 |
याहवेह तुम्हारी ओर मुड़कर तुम्हें शांति प्रदान करें.”’
וְשָׂמ֥וּ אֶת־שְׁמִ֖י עַל־בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל וַאֲנִ֖י אֲבָרֲכֵֽם׃ פ | 27 |
“जब वे इस्राएल के घराने पर मेरा नाम रखेंगे, तब मैं उनका भला करूंगा.”