< בְּמִדְבַּר 17 >
וַיְדַבֵּ֥ר יְהוָ֖ה אֶל־מֹשֶׁ֥ה לֵּאמֹֽר׃ | 1 |
फिर ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा कि;
דַּבֵּ֣ר ׀ אֶל־בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֗ל וְקַ֣ח מֵֽאִתָּ֡ם מַטֶּ֣ה מַטֶּה֩ לְבֵ֨ית אָ֜ב מֵאֵ֤ת כָּל־נְשִֽׂיאֵהֶם֙ לְבֵ֣ית אֲבֹתָ֔ם שְׁנֵ֥ים עָשָׂ֖ר מַטֹּ֑ות אִ֣ישׁ אֶת־שְׁמֹ֔ו תִּכְתֹּ֖ב עַל־מַטֵּֽהוּ׃ | 2 |
“बनी — इस्राईल से गुफ़्तगू करके उनके सब सरदारों से उनके आबाई ख़ान्दानों के मुताबिक, हर ख़ान्दान एक लाठी के हिसाब से बारह लाठियाँ ले; और हर सरदार का नाम उसी की लाठी पर लिख,
וְאֵת֙ שֵׁ֣ם אַהֲרֹ֔ן תִּכְתֹּ֖ב עַל־מַטֵּ֣ה לֵוִ֑י כִּ֚י מַטֶּ֣ה אֶחָ֔ד לְרֹ֖אשׁ בֵּ֥ית אֲבֹותָֽם׃ | 3 |
और लावी की लाठी पर हारून का नाम लिखना। क्यूँकि उनके आबाई ख़ान्दानों के हर सरदार के लिए एक लाठी होगी।
וְהִנַּחְתָּ֖ם בְּאֹ֣הֶל מֹועֵ֑ד לִפְנֵי֙ הָֽעֵד֔וּת אֲשֶׁ֛ר אִוָּעֵ֥ד לָכֶ֖ם שָֽׁמָּה׃ | 4 |
और उनको लेकर ख़ेमा — ए — इजितमा'अ में शहादत के सन्दूक के सामने जहाँ मैं तुम से मुलाक़ात करता हूँ रख देना।
וְהָיָ֗ה הָאִ֛ישׁ אֲשֶׁ֥ר אֶבְחַר־בֹּ֖ו מַטֵּ֣הוּ יִפְרָ֑ח וַהֲשִׁכֹּתִ֣י מֵֽעָלַ֗י אֶת־תְּלֻנֹּות֙ בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל אֲשֶׁ֛ר הֵ֥ם מַלִּינִ֖ם עֲלֵיכֶֽם׃ | 5 |
और जिस शख़्स को मैं चुनूँगा उसकी लाठी से कलियाँ फूट निकलेंगी, और बनी — इस्राईल जो तुम पर कुड़कुड़ाते रहते हैं, वह कुड़कुड़ाना मैं अपने पास से दफ़ा' करूँगा।”
וַיְדַבֵּ֨ר מֹשֶׁ֜ה אֶל־בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֗ל וַיִּתְּנ֣וּ אֵלָ֣יו ׀ כָּֽל־נְשִֽׂיאֵיהֶ֡ם מַטֶּה֩ לְנָשִׂ֨יא אֶחָ֜ד מַטֶּ֨ה לְנָשִׂ֤יא אֶחָד֙ לְבֵ֣ית אֲבֹתָ֔ם שְׁנֵ֥ים עָשָׂ֖ר מַטֹּ֑ות וּמַטֵּ֥ה אַהֲרֹ֖ן בְּתֹ֥וךְ מַטֹּותָֽם׃ | 6 |
तब मूसा ने बनी — इस्राईल से गुफ़्तगू की, और उनके सब सरदारों ने अपने आबाई ख़ान्दानों के मुताबिक़ हर सरदार एक लाठी के हिसाब से बारह लाठियाँ उस को दीं; और हारून की लाठी भी उनकी लाठियों में थी।
וַיַּנַּ֥ח מֹשֶׁ֛ה אֶת־הַמַּטֹּ֖ת לִפְנֵ֣י יְהוָ֑ה בְּאֹ֖הֶל הָעֵדֻֽת׃ | 7 |
और मूसा ने उन लाठियों को शहादत के ख़ेमे में ख़ुदावन्द के सामने रख दिया।
וַיְהִ֣י מִֽמָּחֳרָ֗ת וַיָּבֹ֤א מֹשֶׁה֙ אֶל־אֹ֣הֶל הָעֵד֔וּת וְהִנֵּ֛ה פָּרַ֥ח מַטֵּֽה־אַהֲרֹ֖ן לְבֵ֣ית לֵוִ֑י וַיֹּ֤צֵֽא פֶ֙רַח֙ וַיָּ֣צֵֽץ צִ֔יץ וַיִּגְמֹ֖ל שְׁקֵדִֽים׃ | 8 |
और दूसरे दिन जब मूसा शहादत के ख़ेमे में गया, तो देखा कि हारून की लाठी में जो लावी के ख़ान्दान के नाम की थी कलियाँ फूटी हुई और शगूफ़े खिले हुए और पक्के बादाम लगे हैं।
וַיֹּצֵ֨א מֹשֶׁ֤ה אֶת־כָּל־הַמַּטֹּת֙ מִלִּפְנֵ֣י יְהוָ֔ה אֶֽל־כָּל־בְּנֵ֖י יִשְׂרָאֵ֑ל וַיִּרְא֥וּ וַיִּקְח֖וּ אִ֥ישׁ מַטֵּֽהוּ׃ ס | 9 |
और मूसा उन सब लाठियों को ख़ुदावन्द के सामने से निकाल कर सब बनी — इस्राईल के पास ले गया, और उन्होंने देखा और हर शख़्स ने अपनी लाठी ले ली।
וַיֹּ֨אמֶר יְהוָ֜ה אֶל־מֹשֶׁ֗ה הָשֵׁ֞ב אֶת־מַטֵּ֤ה אַהֲרֹן֙ לִפְנֵ֣י הָעֵד֔וּת לְמִשְׁמֶ֥רֶת לְאֹ֖ות לִבְנֵי־מֶ֑רִי וּתְכַ֧ל תְּלוּנֹּתָ֛ם מֵעָלַ֖י וְלֹ֥א יָמֻֽתוּ׃ | 10 |
और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा, “हारून की लाठी शहादत के सन्दूक़ के आगे धर दे, ताकि वह फ़ित्नाअंगेज़ों के लिए एक निशान के तौर पर रख्खी रहे, और इस तरह तू उनकी शिकायतें जो मेरे ख़िलाफ़ होती रहती हैं बन्द कर दे ताकि वह हलाक न हों।”
וַיַּ֖עַשׂ מֹשֶׁ֑ה כַּאֲשֶׁ֨ר צִוָּ֧ה יְהוָ֛ה אֹתֹ֖ו כֵּ֥ן עָשָֽׂה׃ ס | 11 |
और मूसा ने जैसा ख़ुदावन्द ने उसे हुक्म दिया था वैसा ही किया।
וַיֹּֽאמְרוּ֙ בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל אֶל־מֹשֶׁ֖ה לֵאמֹ֑ר הֵ֥ן גָּוַ֛עְנוּ אָבַ֖דְנוּ כֻּלָּ֥נוּ אָבַֽדְנוּ׃ | 12 |
और बनी — इस्राईल ने मूसा से कहा, “देख, हम हलाक हुए जाते, हम हलाक हुए जाते, हम सब के सब हलाक हुए जाते हैं।
כֹּ֣ל הַקָּרֵ֧ב ׀ הַקָּרֵ֛ב אֶל־מִשְׁכַּ֥ן יְהוָ֖ה יָמ֑וּת הַאִ֥ם תַּ֖מְנוּ לִגְוֹֽעַ׃ ס | 13 |
जो कोई ख़ुदावन्द के घर के नज़दीक जाता है, मर जाता है। तो क्या हम सब के सब हलाक ही हो जाएँगे?”