< וַיִּקְרָא 14 >
וַיְדַבֵּ֥ר יְהוָ֖ה אֶל־מֹשֶׁ֥ה לֵּאמֹֽר׃ | 1 |
फिर ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा,
זֹ֤את תִּֽהְיֶה֙ תֹּורַ֣ת הַמְּצֹרָ֔ע בְּיֹ֖ום טָהֳרָתֹ֑ו וְהוּבָ֖א אֶל־הַכֹּהֵֽן׃ | 2 |
'कोढ़ी के लिए जिस दिन वह पाक क़रार दिया जाए यह शरा' है, कि उसे काहिन के पास ले जाएँ,
וְיָצָא֙ הַכֹּהֵ֔ן אֶל־מִח֖וּץ לַֽמַּחֲנֶ֑ה וְרָאָה֙ הַכֹּהֵ֔ן וְהִנֵּ֛ה נִרְפָּ֥א נֶֽגַע־הַצָּרַ֖עַת מִן־הַצָּרֽוּעַ׃ | 3 |
और काहिन लश्करगाह के बाहर जाए, और काहिन ख़ुद कोढ़ी को मुलाहिज़ा करे और अगर देखे कि उसका कोढ़ अच्छा हो गया है,
וְצִוָּה֙ הַכֹּהֵ֔ן וְלָקַ֧ח לַמִּטַּהֵ֛ר שְׁתֵּֽי־צִפֳּרִ֥ים חַיֹּ֖ות טְהֹרֹ֑ות וְעֵ֣ץ אֶ֔רֶז וּשְׁנִ֥י תֹולַ֖עַת וְאֵזֹֽב׃ | 4 |
तो काहिन हुक्म दे कि वह जो पाक क़रार दिए जाने को है, उसके लिए दो ज़िन्दा पाक परिन्दे और देवदार की लकड़ी और सुर्ख़ कपड़ा और ज़ूफ़ा लें।
וְצִוָּה֙ הַכֹּהֵ֔ן וְשָׁחַ֖ט אֶת־הַצִּפֹּ֣ור הָאֶחָ֑ת אֶל־כְּלִי־חֶ֖רֶשׂ עַל־מַ֥יִם חַיִּֽים׃ | 5 |
और काहिन हुक्म दे कि उनमें से एक परिन्दा किसी मिट्टी के बर्तन में बहते हुए पानी के ऊपर ज़बह किया जाए।
אֶת־הַצִּפֹּ֤ר הַֽחַיָּה֙ יִקַּ֣ח אֹתָ֔הּ וְאֶת־עֵ֥ץ הָאֶ֛רֶז וְאֶת־שְׁנִ֥י הַתֹּולַ֖עַת וְאֶת־הָאֵזֹ֑ב וְטָבַ֨ל אֹותָ֜ם וְאֵ֣ת ׀ הַצִּפֹּ֣ר הֽ͏ַחַיָּ֗ה בְּדַם֙ הַצִּפֹּ֣ר הַשְּׁחֻטָ֔ה עַ֖ל הַמַּ֥יִם הֽ͏ַחַיִּֽים׃ | 6 |
फिर वह ज़िन्दा परिन्दे को और देवदार की लकड़ी और सुर्ख़ कपड़े और ज़ूफ़े को ले, और इन को और उस ज़िन्दा परिन्दे को उस परिन्दे के ख़ून में ग़ोता दे जो बहते पानी पर ज़बह हो चुका है।
וְהִזָּ֗ה עַ֧ל הַמִּטַּהֵ֛ר מִן־הַצָּרַ֖עַת שֶׁ֣בַע פְּעָמִ֑ים וְטִ֣הֲרֹ֔ו וְשִׁלַּ֛ח אֶת־הַצִּפֹּ֥ר הַֽחַיָּ֖ה עַל־פְּנֵ֥י הַשָּׂדֶֽה׃ | 7 |
और उस शख़्स पर जो कोढ़ से पाक करार दिया जाने को है, सात बार छिड़क कर उसे पाक क़रार दे और ज़िन्दा परिन्दे को खुले मैदान में छोड़ दे।
וְכִבֶּס֩ הַמִּטַּהֵ֨ר אֶת־בְּגָדָ֜יו וְגִלַּ֣ח אֶת־כָּל־שְׂעָרֹ֗ו וְרָחַ֤ץ בַּמַּ֙יִם֙ וְטָהֵ֔ר וְאַחַ֖ר יָבֹ֣וא אֶל־הַֽמַּחֲנֶ֑ה וְיָשַׁ֛ב מִח֥וּץ לְאָהֳלֹ֖ו שִׁבְעַ֥ת יָמִֽים׃ | 8 |
और वह जो पाक करार दिया जाएगा अपने कपड़े धोए और सारे बाल मुन्डाए और पानी में ग़ुस्ल करे, तब वह पाक ठहरेगा; इसके बाद वह लश्करगाह में आए, लेकिन सात दिन तक अपने ख़ेमे के बाहर ही रहे।
וְהָיָה֩ בַיֹּ֨ום הַשְּׁבִיעִ֜י יְגַלַּ֣ח אֶת־כָּל־שְׂעָרֹ֗ו אֶת־רֹאשֹׁ֤ו וְאֶת־זְקָנֹו֙ וְאֵת֙ גַּבֹּ֣ת עֵינָ֔יו וְאֶת־כָּל־שְׂעָרֹ֖ו יְגַלֵּ֑חַ וְכִבֶּ֣ס אֶת־בְּגָדָ֗יו וְרָחַ֧ץ אֶת־בְּשָׂרֹ֛ו בַּמַּ֖יִם וְטָהֵֽר׃ | 9 |
और सातवें रोज़ अपने सिर के सब बाल और अपनी दाढ़ी और अपने अबरू ग़र्ज़ अपने सारे बाल मुंडाए, और अपने कपड़े धोए और पानी में नहाए, तब वह पाक ठहरेगा।
וּבַיֹּ֣ום הַשְּׁמִינִ֗י יִקַּ֤ח שְׁנֵֽי־כְבָשִׂים֙ תְּמִימִ֔ים וְכַבְשָׂ֥ה אַחַ֛ת בַּת־שְׁנָתָ֖הּ תְּמִימָ֑ה וּשְׁלֹשָׁ֣ה עֶשְׂרֹנִ֗ים סֹ֤לֶת מִנְחָה֙ בְּלוּלָ֣ה בַשֶּׁ֔מֶן וְלֹ֥ג אֶחָ֖ד שָֽׁמֶן׃ | 10 |
और वह आठवें दिन दो बे — 'ऐब नर बर्रे और एक बे — 'ऐब यक — साला मादा बर्रा और नज़्र की क़ुर्बानी के लिए ऐफ़ा के तीन दहाई हिस्से के बराबर तेल मिला हुआ मैदा और लोज भर तेल ले।
וְהֶעֱמִ֞יד הַכֹּהֵ֣ן הַֽמְטַהֵ֗ר אֵ֛ת הָאִ֥ישׁ הַמִּטַּהֵ֖ר וְאֹתָ֑ם לִפְנֵ֣י יְהוָ֔ה פֶּ֖תַח אֹ֥הֶל מֹועֵֽד׃ | 11 |
तब वह काहिन जो उसे पाक करार देगा, उस शख़्स को जो पाक करार दिया जाएगा और इन चीज़ों को ख़ुदावन्द के सामने ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े पर हाज़िर करे।
וְלָקַ֨ח הַכֹּהֵ֜ן אֶת־הַכֶּ֣בֶשׂ הָאֶחָ֗ד וְהִקְרִ֥יב אֹתֹ֛ו לְאָשָׁ֖ם וְאֶת־לֹ֣ג הַשָּׁ֑מֶן וְהֵנִ֥יף אֹתָ֛ם תְּנוּפָ֖ה לִפְנֵ֥י יְהוָֽה׃ | 12 |
और काहिन नर बर्रों में से एक को लेकर जुर्म की क़ुर्बानी के लिए उसे और उस लोज भर तेल की नज़दीक लाए, और उनको हिलाने की क़ुर्बानी के तौर पर ख़ुदावन्द के सामने हिलाए;
וְשָׁחַ֣ט אֶת־הַכֶּ֗בֶשׂ בִּ֠מְקֹום אֲשֶׁ֨ר יִשְׁחַ֧ט אֶת־הַֽחַטָּ֛את וְאֶת־הָעֹלָ֖ה בִּמְקֹ֣ום הַקֹּ֑דֶשׁ כִּ֡י כַּ֠חַטָּאת הָאָשָׁ֥ם הוּא֙ לַכֹּהֵ֔ן קֹ֥דֶשׁ קֽ͏ָדָשִׁ֖ים הֽוּא׃ | 13 |
और उस बर्रे को हैकल में उस जगह ज़बह करे जहाँ ख़ता की क़ुर्बानी और सोख़्तनी क़ुर्बानी के जानवर ज़बह किए जाते हैं, क्यूँकि जुर्म की क़ुर्बानी ख़ता की क़ुर्बानी की तरह काहिन का हिस्सा ठहरेगी; वह बहुत पाक है।
וְלָקַ֣ח הַכֹּהֵן֮ מִדַּ֣ם הָאָשָׁם֒ וְנָתַן֙ הַכֹּהֵ֔ן עַל־תְּנ֛וּךְ אֹ֥זֶן הַמִּטַּהֵ֖ר הַיְמָנִ֑ית וְעַל־בֹּ֤הֶן יָדֹו֙ הַיְמָנִ֔ית וְעַל־בֹּ֥הֶן רַגְלֹ֖ו הַיְמָנִֽית׃ | 14 |
और काहिन जुर्म की क़ुर्बानी का कुछ ख़ून ले और जो शख़्स पाक क़रार दिया जाएगा उसके दहने कान की लौ पर और दहने हाथ के अँगूठे पर और दहने पाँव के अंगूठे पर उसे लगाए,
וְלָקַ֥ח הַכֹּהֵ֖ן מִלֹּ֣ג הַשָּׁ֑מֶן וְיָצַ֛ק עַל־כַּ֥ף הַכֹּהֵ֖ן הַשְּׂמָאלִֽית׃ | 15 |
और काहिन उस लोज भर तेल में से कुछ लेकर अपने बाएँ हाथ की हथेली में डाले;
וְטָבַ֤ל הַכֹּהֵן֙ אֶת־אֶצְבָּעֹ֣ו הַיְמָנִ֔ית מִן־הַשֶּׁ֕מֶן אֲשֶׁ֥ר עַל־כַּפֹּ֖ו הַשְּׂמָאלִ֑ית וְהִזָּ֨ה מִן־הַשֶּׁ֧מֶן בְּאֶצְבָּעֹ֛ו שֶׁ֥בַע פְּעָמִ֖ים לִפְנֵ֥י יְהוָֽה׃ | 16 |
और काहिन अपनी दहनी उँगली को अपने बाएँ हाथ के तेल में डुबोए, और ख़ुदावन्द के सामने कुछ तेल सात बार अपनी उँगली से छिड़के।
וּמִיֶּ֨תֶר הַשֶּׁ֜מֶן אֲשֶׁ֣ר עַל־כַּפֹּ֗ו יִתֵּ֤ן הַכֹּהֵן֙ עַל־תְּנ֞וּךְ אֹ֤זֶן הַמִּטַּהֵר֙ הַיְמָנִ֔ית וְעַל־בֹּ֤הֶן יָדֹו֙ הַיְמָנִ֔ית וְעַל־בֹּ֥הֶן רַגְלֹ֖ו הַיְמָנִ֑ית עַ֖ל דַּ֥ם הָאָשָֽׁם׃ | 17 |
और काहिन अपने हाथ के बाक़ी तेल में से कुछ ले और जो शख़्स पाक करार दिया जाएगा उसके दहने कान की लौ पर और उसके दहने हाथ के अंगूठे और दहने पांव के अंगूठे पर, जुर्म की क़ुर्बानी के ख़ून के ऊपर लगाए।
וְהַנֹּותָ֗ר בַּשֶּׁ֙מֶן֙ אֲשֶׁר֙ עַל־כַּ֣ף הַכֹּהֵ֔ן יִתֵּ֖ן עַל־רֹ֣אשׁ הַמִּטַּהֵ֑ר וְכִפֶּ֥ר עָלָ֛יו הַכֹּהֵ֖ן לִפְנֵ֥י יְהוָֽה׃ | 18 |
और जो तेल काहिन के हाथ में बाक़ी बचे उसे वह उस शख़्स के सिर में डाल दे जो पाक करार दिया जाएगा, यूँ काहिन उसके लिए ख़ुदावन्द के सामने कफ़्फ़ारा दे।
וְעָשָׂ֤ה הַכֹּהֵן֙ אֶת־הַ֣חַטָּ֔את וְכִפֶּ֕ר עַל־הַמִּטַּהֵ֖ר מִטֻּמְאָתֹ֑ו וְאַחַ֖ר יִשְׁחַ֥ט אֶת־הָעֹלָֽה׃ | 19 |
और काहिन ख़ता की क़ुर्बानी भी पेश करे, और उसके लिए जो अपनी नापाकी से पाक करार दिया जाएगा कफ़्फ़ारा दे; इसके बाद वह सोख़्तनी क़ुर्बानी के जानवर को ज़बह करे।
וְהֶעֱלָ֧ה הַכֹּהֵ֛ן אֶת־הָעֹלָ֥ה וְאֶת־הַמִּנְחָ֖ה הַמִּזְבֵּ֑חָה וְכִפֶּ֥ר עָלָ֛יו הַכֹּהֵ֖ן וְטָהֵֽר׃ ס | 20 |
फिर काहिन सोख़्तनी कुबानी और नज़्र की क़ुर्बानी को मज़बह पर अदा करे। यूँ काहिन उसके लिए कफ़्फ़ारा दे तो वह पाक ठहरेगा।
וְאִם־דַּ֣ל ה֗וּא וְאֵ֣ין יָדֹו֮ מַשֶּׂגֶת֒ וְ֠לָקַח כֶּ֣בֶשׂ אֶחָ֥ד אָשָׁ֛ם לִתְנוּפָ֖ה לְכַפֵּ֣ר עָלָ֑יו וְעִשָּׂרֹ֨ון סֹ֜לֶת אֶחָ֨ד בָּל֥וּל בַּשֶּׁ֛מֶן לְמִנְחָ֖ה וְלֹ֥ג שָֽׁמֶן׃ | 21 |
“और अगर वह ग़रीब हो और इतना उसे मक़दूर न हो तो वह हिलाने के लिए जुर्म की क़ुर्बानी के लिए एक नर बर्रा ले ताकि उसके लिए कफ़्फ़ारा दिया जाए और नज़्र की क़ुर्बानी के लिए ऐफ़ा के दसवें हिस्से के बराबर तेल मिला हुआ मैदा और लोज भर तेल,
וּשְׁתֵּ֣י תֹרִ֗ים אֹ֤ו שְׁנֵי֙ בְּנֵ֣י יֹונָ֔ה אֲשֶׁ֥ר תַּשִּׂ֖יג יָדֹ֑ו וְהָיָ֤ה אֶחָד֙ חַטָּ֔את וְהָאֶחָ֖ד עֹלָֽה׃ | 22 |
और अपने मक़दूर के मुताबिक़ दो कुमरियाँ या कबूतर के दो बच्चे भी ले, जिन में से एक तो ख़ता की क़ुर्बानी के लिए और दूसरा सोख़्तनी क़ुर्बानी के लिए हो।
וְהֵבִ֨יא אֹתָ֜ם בַּיֹּ֧ום הַשְּׁמִינִ֛י לְטָהֳרָתֹ֖ו אֶל־הַכֹּהֵ֑ן אֶל־פֶּ֥תַח אֹֽהֶל־מֹועֵ֖ד לִפְנֵ֥י יְהוָֽה׃ | 23 |
इन्हें वह आठवें दिन अपने पाक करार दिए जाने के लिए काहिन के पास ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े पर ख़ुदावन्द के सामने लाए।
וְלָקַ֧ח הַכֹּהֵ֛ן אֶת־כֶּ֥בֶשׂ הָאָשָׁ֖ם וְאֶת־לֹ֣ג הַשָּׁ֑מֶן וְהֵנִ֨יף אֹתָ֧ם הַכֹּהֵ֛ן תְּנוּפָ֖ה לִפְנֵ֥י יְהוָֽה׃ | 24 |
और काहिन जुर्म की क़ुर्बानी के बर्रे को और उस लोज भर तेल को लेकर उनको ख़ुदावन्द के सामने हिलाने की क़ुर्बानी के तौर पर हिलाए।
וְשָׁחַט֮ אֶת־כֶּ֣בֶשׂ הָֽאָשָׁם֒ וְלָקַ֤ח הַכֹּהֵן֙ מִדַּ֣ם הָֽאָשָׁ֔ם וְנָתַ֛ן עַל־תְּנ֥וּךְ אֹֽזֶן־הַמִּטַּהֵ֖ר הַיְמָנִ֑ית וְעַל־בֹּ֤הֶן יָדֹו֙ הַיְמָנִ֔ית וְעַל־בֹּ֥הֶן רַגְלֹ֖ו הַיְמָנִֽית׃ | 25 |
फिर काहिन जुर्म की क़ुर्बानी के बर्रे को ज़बह करे, और वह जुर्म की क़ुर्बानी का कुछ ख़ून लेकर जो शख़्स पाक क़रार दिया जाएगा, उसके दहने कान की लौ पर और दहने हाथ के अंगूठे और दहने पाँव के अंगूठे पर उसे लगाए।
וּמִן־הַשֶּׁ֖מֶן יִצֹ֣ק הַכֹּהֵ֑ן עַל־כַּ֥ף הַכֹּהֵ֖ן הַשְּׂמָאלִֽית׃ | 26 |
फिर काहिन उस तेल में से कुछ अपने बाएँ हाथ की हथेली में डाले,
וְהִזָּ֤ה הַכֹּהֵן֙ בְּאֶצְבָּעֹ֣ו הַיְמָנִ֔ית מִן־הַשֶּׁ֕מֶן אֲשֶׁ֥ר עַל־כַּפֹּ֖ו הַשְּׂמָאלִ֑ית שֶׁ֥בַע פְּעָמִ֖ים לִפְנֵ֥י יְהוָֽה׃ | 27 |
और वह अपने बाएँ हाथ के तेल में से कुछ अपनी दहनी उँगली से ख़ुदावन्द के सामने सात बार छिड़के।
וְנָתַ֨ן הַכֹּהֵ֜ן מִן־הַשֶּׁ֣מֶן ׀ אֲשֶׁ֣ר עַל־כַּפֹּ֗ו עַל־תְּנ֞וּךְ אֹ֤זֶן הַמִּטַּהֵר֙ הַיְמָנִ֔ית וְעַל־בֹּ֤הֶן יָדֹו֙ הַיְמָנִ֔ית וְעַל־בֹּ֥הֶן רַגְלֹ֖ו הַיְמָנִ֑ית עַל־מְקֹ֖ום דַּ֥ם הָאָשָֽׁם׃ | 28 |
फिर काहिन कुछ अपने हाथ के तेल में से ले, और जो शख़्स पाक करार दिया जाएगा उसके दहने कान की लौ पर और उसके दहने हाथ के अंगूठे और दहने पाँव के अंगूठे पर, जुर्म की क़ुर्बानी के ख़ून की जगह उसे लगाए;
וְהַנֹּותָ֗ר מִן־הַשֶּׁ֙מֶן֙ אֲשֶׁר֙ עַל־כַּ֣ף הַכֹּהֵ֔ן יִתֵּ֖ן עַל־רֹ֣אשׁ הַמִּטַּהֵ֑ר לְכַפֵּ֥ר עָלָ֖יו לִפְנֵ֥י יְהוָֽה׃ | 29 |
और जो तेल काहिन के हाथ में बाक़ी बचे उसे वह उस शख़्स के सिर में डाल दे जो पाक क़रार दिया जाएगा, ताकि उसके लिए ख़ुदावन्द के सामने कफ़्फ़ारा दिया जाए।
וְעָשָׂ֤ה אֶת־הָֽאֶחָד֙ מִן־הַתֹּרִ֔ים אֹ֖ו מִן־בְּנֵ֣י הַיֹּונָ֑ה מֵאֲשֶׁ֥ר תַּשִּׂ֖יג יָדֹֽו׃ | 30 |
फिर वह कुमरियों या कबूतर के बच्चों में से जिन्हें वह ला सका हो एक को अदा करे,
אֵ֣ת אֲשֶׁר־תַּשִּׂ֞יג יָדֹ֗ו אֶת־הָאֶחָ֥ד חַטָּ֛את וְאֶת־הָאֶחָ֥ד עֹלָ֖ה עַל־הַמִּנְחָ֑ה וְכִפֶּ֧ר הַכֹּהֵ֛ן עַ֥ל הַמִּטַּהֵ֖ר לִפְנֵ֥י יְהוָֽה׃ | 31 |
या'नी जो कुछ उसे मयस्सर हुआ हो उस में से एक को ख़ता की क़ुर्बानी के तौर पर और दूसरे को सोख़्तनी क़ुर्बानी के तौर पर, नज़्र की क़ुर्बानी के साथ पेश करे। यूँ काहिन उस शख़्स के लिए जो पाक क़रार दिया जाएगा, ख़ुदावन्द के सामने कफ़्फ़ारा दे।
זֹ֣את תֹּורַ֔ת אֲשֶׁר־בֹּ֖ו נֶ֣גַע צָרָ֑עַת אֲשֶׁ֛ר לֹֽא־תַשִּׂ֥יג יָדֹ֖ו בְּטָהֳרָתֹֽו׃ פ | 32 |
उस कोढ़ी के लिए जो अपने पाक क़रार दिए जाने के सामान को लाने का मक़दूर न रखता हो शरा' यह है।”
וַיְדַבֵּ֣ר יְהוָ֔ה אֶל־מֹשֶׁ֥ה וְאֶֽל־אַהֲרֹ֖ן לֵאמֹֽר׃ | 33 |
फिर ख़ुदावन्द ने मूसा और हारून से कहा,
כִּ֤י תָבֹ֙אוּ֙ אֶל־אֶ֣רֶץ כְּנַ֔עַן אֲשֶׁ֥ר אֲנִ֛י נֹתֵ֥ן לָכֶ֖ם לַאֲחֻזָּ֑ה וְנָתַתִּי֙ נֶ֣גַע צָרַ֔עַת בְּבֵ֖ית אֶ֥רֶץ אֲחֻזַּתְכֶֽם׃ | 34 |
“जब तुम मुल्क — ए — कनान में जिसे मैं तुम्हारी मिल्कियत किए देता हूँ दाख़िल हो, और मैं तुम्हारे मीरासी मुल्क के किसी घर में कोढ़ की बला भेजूँ।
וּבָא֙ אֲשֶׁר־לֹ֣ו הַבַּ֔יִת וְהִגִּ֥יד לַכֹּהֵ֖ן לֵאמֹ֑ר כְּנֶ֕גַע נִרְאָ֥ה לִ֖י בַּבָּֽיִת׃ | 35 |
तो उस घर का मालिक जाकर काहिन को ख़बर दे कि मुझे ऐसा मा'लूम होता है कि उस घर में कुछ बला सी है।
וְצִוָּ֨ה הַכֹּהֵ֜ן וּפִנּ֣וּ אֶת־הַבַּ֗יִת בְּטֶ֨רֶם יָבֹ֤א הַכֹּהֵן֙ לִרְאֹ֣ות אֶת־הַנֶּ֔גַע וְלֹ֥א יִטְמָ֖א כָּל־אֲשֶׁ֣ר בַּבָּ֑יִת וְאַ֥חַר כֵּ֛ן יָבֹ֥א הַכֹּהֵ֖ן לִרְאֹ֥ות אֶת־הַבָּֽיִת׃ | 36 |
तब काहिन हुक्म करे कि इससे पहले कि उस बला को देखने के लिए काहिन वहाँ जाए लोग उस घर को ख़ाली करें, ताकि जो कुछ घर में हो वह नापाक न ठहराया जाए। इसके बाद काहिन घर देखने को अन्दर जाए।
וְרָאָ֣ה אֶת־הַנֶּ֗גַע וְהִנֵּ֤ה הַנֶּ֙גַע֙ בְּקִירֹ֣ת הַבַּ֔יִת שְׁקַֽעֲרוּרֹת֙ יְרַקְרַקֹּ֔ת אֹ֖ו אֲדַמְדַּמֹּ֑ת וּמַרְאֵיהֶ֥ן שָׁפָ֖ל מִן־הַקִּֽיר׃ | 37 |
और उस बला को मुलाहिज़ा करे, और अगर देखे कि वह बला उस घर की दीवारों में सब्ज़ी या सुर्ख़ीमाइल गहरी लकीरों की सूरत में है, और दीवार में सतह के अन्दर नज़र आती है,
וְיָצָ֧א הַכֹּהֵ֛ן מִן־הַבַּ֖יִת אֶל־פֶּ֣תַח הַבָּ֑יִת וְהִסְגִּ֥יר אֶת־הַבַּ֖יִת שִׁבְעַ֥ת יָמִֽים׃ | 38 |
तो काहिन घर से बाहर निकल कर घर के दरवाज़े पर जाए और घर को सात दिन के लिए बन्द कर दे;
וְשָׁ֥ב הַכֹּהֵ֖ן בַּיֹּ֣ום הַשְּׁבִיעִ֑י וְרָאָ֕ה וְהִנֵּ֛ה פָּשָׂ֥ה הַנֶּ֖גַע בְּקִירֹ֥ת הַבָּֽיִת׃ | 39 |
और वह सातवें दिन फिर आकर उसे देखें। अगर वह बला घर की दीवारों में फैली हुई नज़र आए,
וְצִוָּה֙ הַכֹּהֵ֔ן וְחִלְּצוּ֙ אֶת־הָ֣אֲבָנִ֔ים אֲשֶׁ֥ר בָּהֵ֖ן הַנָּ֑גַע וְהִשְׁלִ֤יכוּ אֶתְהֶן֙ אֶל־מִח֣וּץ לָעִ֔יר אֶל־מָקֹ֖ום טָמֵֽא׃ | 40 |
तो काहिन हुक्म दे कि उन पत्थरों को जिन में वह बला है, निकालकर उन्हें शहर के बाहर किसी नापाक जगह में फेंक दें।
וְאֶת־הַבַּ֛יִת יַקְצִ֥עַ מִבַּ֖יִת סָבִ֑יב וְשָׁפְכ֗וּ אֶת־הֶֽעָפָר֙ אֲשֶׁ֣ר הִקְצ֔וּ אֶל־מִח֣וּץ לָעִ֔יר אֶל־מָקֹ֖ום טָמֵֽא׃ | 41 |
फिर वह उस घर को अन्दर ही अन्दर चारों तरफ़ से खुर्चवाए, और उस खुर्ची हुई मिट्टी को शहर के बाहर किसी नापाक जगह में डालें।
וְלָקְחוּ֙ אֲבָנִ֣ים אֲחֵרֹ֔ות וְהֵבִ֖יאוּ אֶל־תַּ֣חַת הָאֲבָנִ֑ים וְעָפָ֥ר אַחֵ֛ר יִקַּ֖ח וְטָ֥ח אֶת־הַבָּֽיִת׃ | 42 |
और वह उन पत्थरों की जगह और पत्थर लेकर लगाएं और काहिन ताज़ा गारे से उस घर की अस्तरकारी कराए।
וְאִם־יָשׁ֤וּב הַנֶּ֙גַע֙ וּפָרַ֣ח בַּבַּ֔יִת אַחַ֖ר חִלֵּ֣ץ אֶת־הָאֲבָנִ֑ים וְאַחֲרֵ֛י הִקְצֹ֥ות אֶת־הַבַּ֖יִת וְאַחֲרֵ֥י הִטֹּֽוחַ׃ | 43 |
और अगर पत्थरों के निकाले जाने और उस घर के खुर्च और अस्तरकारी कराए जाने के बाद भी वह बला फिर आ जाए और उस घर में फूट निकले,
וּבָא֙ הַכֹּהֵ֔ן וְרָאָ֕ה וְהִנֵּ֛ה פָּשָׂ֥ה הַנֶּ֖גַע בַּבָּ֑יִת צָרַ֨עַת מַמְאֶ֥רֶת הִ֛וא בַּבַּ֖יִת טָמֵ֥א הֽוּא׃ | 44 |
तो काहिन अन्दर जाकर मुलाहिज़ा करे, और अगर देखे कि वह बला घर में फैल गई है तो उस घर में खा जाने वाला कोढ़ है; वह नापाक है।
וְנָתַ֣ץ אֶת־הַבַּ֗יִת אֶת־אֲבָנָיו֙ וְאֶת־עֵצָ֔יו וְאֵ֖ת כָּל־עֲפַ֣ר הַבָּ֑יִת וְהֹוצִיא֙ אֶל־מִח֣וּץ לָעִ֔יר אֶל־מָקֹ֖ום טָמֵֽא׃ | 45 |
तब वह उस घर को, उसके पत्थरों और लकड़ियों और उसकी सारी मिट्टी को गिरा दे; और वह उनको शहर के बाहर निकाल कर किसी नापाक जगह में ले जाए।
וְהַבָּא֙ אֶל־הַבַּ֔יִת כָּל־יְמֵ֖י הִסְגִּ֣יר אֹתֹ֑ו יִטְמָ֖א עַד־הָעָֽרֶב׃ | 46 |
इसके सिवा, अगर कोई उस घर के बन्द कर दिए जाने के दिनों में उसके अन्दर दाख़िल हो तो वह शाम तक नापाक रहेगा;
וְהַשֹּׁכֵ֣ב בַּבַּ֔יִת יְכַבֵּ֖ס אֶת־בְּגָדָ֑יו וְהָאֹכֵ֣ל בַּבַּ֔יִת יְכַבֵּ֖ס אֶת־בְּגָדָֽיו׃ | 47 |
और जो कोई उस घर में सोए वह अपने कपड़े धो डाले, और जो कोई उस घर में कुछ खाए वह भी अपने कपड़े धोए।
וְאִם־בֹּ֨א יָבֹ֜א הַכֹּהֵ֗ן וְרָאָה֙ וְ֠הִנֵּה לֹא־פָשָׂ֤ה הַנֶּ֙גַע֙ בַּבַּ֔יִת אַחֲרֵ֖י הִטֹּ֣חַ אֶת־הַבָּ֑יִת וְטִהַ֤ר הַכֹּהֵן֙ אֶת־הַבַּ֔יִת כִּ֥י נִרְפָּ֖א הַנָּֽגַע׃ | 48 |
“और अगर काहिन अन्दर जाकर मुलाहिज़ा करे और देखे कि घर की अस्तरकारी के बाद वह बला उस घर में नहीं फैली, तो वह उस घर को पाक क़रार दे क्यूँकि वह बला दूर हो गई।
וְלָקַ֛ח לְחַטֵּ֥א אֶת־הַבַּ֖יִת שְׁתֵּ֣י צִפֳּרִ֑ים וְעֵ֣ץ אֶ֔רֶז וּשְׁנִ֥י תֹולַ֖עַת וְאֵזֹֽב׃ | 49 |
और वह उस घर को पाक करार देने के लिए दो परिन्दे और देवदार की लकड़ी और सुर्ख़ कपड़ा और ज़ूफ़ा ले,
וְשָׁחַ֖ט אֶת־הַצִּפֹּ֣ר הָאֶחָ֑ת אֶל־כְּלִי־חֶ֖רֶשׂ עַל־מַ֥יִם חַיִּֽים׃ | 50 |
और वह उन परिन्दों में से एक को मिट्टी के किसी बर्तन में बहते हुए पानी पर ज़बह करे;
וְלָקַ֣ח אֶת־עֵֽץ־הָ֠אֶרֶז וְאֶת־הָ֨אֵזֹ֜ב וְאֵ֣ת ׀ שְׁנִ֣י הַתֹּולַ֗עַת וְאֵת֮ הַצִּפֹּ֣ר הֽ͏ַחַיָּה֒ וְטָבַ֣ל אֹתָ֗ם בְּדַם֙ הַצִּפֹּ֣ר הַשְּׁחוּטָ֔ה וּבַמַּ֖יִם הַֽחַיִּ֑ים וְהִזָּ֥ה אֶל־הַבַּ֖יִת שֶׁ֥בַע פְּעָמִֽים׃ | 51 |
फिर वह देवदार की लकड़ी और ज़ूफ़ा और सुर्ख़ कपड़े और उस ज़िन्दा परिन्दे को लेकर उनको उस ज़बह किए हुए परिन्दे के ख़ून में और उस बहते हुए पानी में गोता दे, और सात बार उस घर पर छिड़के।
וְחִטֵּ֣א אֶת־הַבַּ֔יִת בְּדַם֙ הַצִּפֹּ֔ור וּבַמַּ֖יִם הַֽחַיִּ֑ים וּבַצִּפֹּ֣ר הַחַיָּ֗ה וּבְעֵ֥ץ הָאֶ֛רֶז וּבָאֵזֹ֖ב וּבִשְׁנִ֥י הַתֹּולָֽעַת׃ | 52 |
और वह उस परिन्दे के ख़ून से, और बहते हुए पानी और ज़िन्दा परिन्दे और देवदार की लकड़ी और ज़ूफ़े और सुर्ख़ कपड़े से उस घर को पाक करे;
וְשִׁלַּ֞ח אֶת־הַצִּפֹּ֧ר הַֽחַיָּ֛ה אֶל־מִח֥וּץ לָעִ֖יר אֶל־פְּנֵ֣י הַשָּׂדֶ֑ה וְכִפֶּ֥ר עַל־הַבַּ֖יִת וְטָהֵֽר׃ | 53 |
और उस ज़िन्दा परिन्दे को शहर के बाहर खुले मैदान में छोड़ दे; यूँ वह घर के लिए कफ़्फ़ारा दे, तो वह पाक ठहरेगा।”
זֹ֖את הַתֹּורָ֑ה לְכָל־נֶ֥גַע הַצָּרַ֖עַת וְלַנָּֽתֶק׃ | 54 |
कोढ़ की हर क़िस्म की बला के, और साफ़े के लिए,
וּלְצָרַ֥עַת הַבֶּ֖גֶד וְלַבָּֽיִת׃ | 55 |
और कपड़े और घर के कोढ़ के लिए,
וְלַשְׂאֵ֥ת וְלַסַּפַּ֖חַת וְלַבֶּהָֽרֶת׃ | 56 |
और वर्म और पपड़ी, और चमकते हुए दाग़ के लिए शरा' यह है;
לְהֹורֹ֕ת בְּיֹ֥ום הַטָּמֵ֖א וּבְיֹ֣ום הַטָּהֹ֑ר זֹ֥את תֹּורַ֖ת הַצָּרָֽעַת׃ ס | 57 |
ताकि बताया जाए कि कब वह नापाक और कब पाक करार दिए जाएँ। कोढ़ के लिए शरा' यही है।