< וַיִּקְרָא 11 >

וַיְדַבֵּ֧ר יְהוָ֛ה אֶל־מֹשֶׁ֥ה וְאֶֽל־אַהֲרֹ֖ן לֵאמֹ֥ר אֲלֵהֶֽם׃ 1
याहवेह ने मोशेह और अहरोन को आदेश दिया,
דַּבְּר֛וּ אֶל־בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵ֖ל לֵאמֹ֑ר זֹ֤את הַֽחַיָּה֙ אֲשֶׁ֣ר תֹּאכְל֔וּ מִכָּל־הַבְּהֵמָ֖ה אֲשֶׁ֥ר עַל־הָאָֽרֶץ׃ 2
“इस्राएल की प्रजा को यह आदेश दो, ‘पृथ्वी पर के सारे पशुओं में से
כֹּ֣ל ׀ מַפְרֶ֣סֶת פַּרְסָ֗ה וְשֹׁסַ֤עַת שֶׁ֙סַע֙ פְּרָסֹ֔ת מַעֲלַ֥ת גֵּרָ֖ה בַּבְּהֵמָ֑ה אֹתָ֖הּ תֹּאכֵֽלוּ׃ 3
कोई भी पशु, जिसके खुर अलग हैं, जिसके खुर फटे हों और वह पागुर करता है, तुम्हारे लिए भोज्य है.
אַ֤ךְ אֶת־זֶה֙ לֹ֣א תֹֽאכְל֔וּ מִֽמַּעֲלֵי֙ הַגֵּרָ֔ה וּמִמַּפְרִיסֵ֖י הַפַּרְסָ֑ה אֶֽת־הַ֠גָּמָל כִּֽי־מַעֲלֵ֨ה גֵרָ֜ה ה֗וּא וּפַרְסָה֙ אֵינֶ֣נּוּ מַפְרִ֔יס טָמֵ֥א ה֖וּא לָכֶֽם׃ 4
“‘परंतु वे पशु, जो पागुर करते हैं अथवा जिनके खुर चिरे हैं, उनमें से ये पशु तुम्हारे खाने योग्य नहीं हैं: ऊंट, क्योंकि यह पागुर तो करता है, किंतु इसके खुर चिरे नहीं, यह तुम्हारे लिए अशुद्ध है;
וְאֶת־הַשָּׁפָ֗ן כִּֽי־מַעֲלֵ֤ה גֵרָה֙ ה֔וּא וּפַרְסָ֖ה לֹ֣א יַפְרִ֑יס טָמֵ֥א ה֖וּא לָכֶֽם׃ 5
इसी प्रकार चट्टानी बिज्जू क्योंकि यद्यपि यह पागुर करता है, परंतु इसके खुर चिरे नहीं होते, यह तुम्हारे लिए अशुद्ध है;
וְאֶת־הָאַרְנֶ֗בֶת כִּֽי־מַעֲלַ֤ת גֵּרָה֙ הִ֔וא וּפַרְסָ֖ה לֹ֣א הִפְרִ֑יסָה טְמֵאָ֥ה הִ֖וא לָכֶֽם׃ 6
इसी प्रकार खरगोश भी, यह पागुर तो करता है, परंतु इसके खुर चिरे नहीं होते, यह तुम्हारे लिए अशुद्ध है,
וְאֶת־הַ֠חֲזִיר כִּֽי־מַפְרִ֨יס פַּרְסָ֜ה ה֗וּא וְשֹׁסַ֥ע שֶׁ֙סַע֙ פַּרְסָ֔ה וְה֖וּא גֵּרָ֣ה לֹֽא־יִגָּ֑ר טָמֵ֥א ה֖וּא לָכֶֽם׃ 7
और सूअर क्योंकि यद्यपि इसके खुर चिरे अर्थात् इसके खुर दो भागों में तो हैं, किंतु यह पागुर नहीं करता; तब यह तुम्हारे लिए अशुद्ध है.
מִבְּשָׂרָם֙ לֹ֣א תֹאכֵ֔לוּ וּבְנִבְלָתָ֖ם לֹ֣א תִגָּ֑עוּ טְמֵאִ֥ים הֵ֖ם לָכֶֽם׃ 8
तुम्हें न तो उनके मांस को खाना है और न ही उनके शवों का स्पर्श; वे तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं.
אֶת־זֶה֙ תֹּֽאכְל֔וּ מִכֹּ֖ל אֲשֶׁ֣ר בַּמָּ֑יִם כֹּ֣ל אֲשֶׁר־לֹו֩ סְנַפִּ֨יר וְקַשְׂקֶ֜שֶׂת בַּמַּ֗יִם בַּיַּמִּ֛ים וּבַנְּחָלִ֖ים אֹתָ֥ם תֹּאכֵֽלוּ׃ 9
“‘तुम इन जलचरों को खा सकते हो: समुद्र अथवा नदियों के वे सारे जलचर जिनके पक्ष और शल्क हैं, तुम उनको खा सकते हो.
וְכֹל֩ אֲשֶׁ֨ר אֵֽין־לֹ֜ו סְנַפִּ֣יר וְקַשְׂקֶ֗שֶׂת בַּיַּמִּים֙ וּבַנְּחָלִ֔ים מִכֹּל֙ שֶׁ֣רֶץ הַמַּ֔יִם וּמִכֹּ֛ל נֶ֥פֶשׁ הַחַיָּ֖ה אֲשֶׁ֣ר בַּמָּ֑יִם שֶׁ֥קֶץ הֵ֖ם לָכֶֽם׃ 10
किंतु समुद्र और नदियों के वे जलचर, अर्थात् जल के वे जंतु, जो समूहों में रहते हैं और जल के समस्त प्राणी, जिनके न तो पंख हैं और न छिलके, वे तुम्हारे लिए घृणित हैं,
וְשֶׁ֖קֶץ יִהְי֣וּ לָכֶ֑ם מִבְּשָׂרָם֙ לֹ֣א תֹאכֵ֔לוּ וְאֶת־נִבְלָתָ֖ם תְּשַׁקֵּֽצוּ׃ 11
और क्योंकि वे तुम्हारे लिए घृणित हैं, तुम उनके मांस को खा नहीं सकते और उनके शव तुम्हारे लिए घृणित वस्तु हों.
כֹּ֣ל אֲשֶׁ֥ר אֵֽין־לֹ֛ו סְנַפִּ֥יר וְקַשְׂקֶ֖שֶׂת בַּמָּ֑יִם שֶׁ֥קֶץ ה֖וּא לָכֶֽם׃ 12
जल के कोई भी जीव, जिसके पक्ष और शल्क नहीं हैं, वह तुम्हारे लिए घृणित है.
וְאֶת־אֵ֙לֶּה֙ תְּשַׁקְּצ֣וּ מִן־הָעֹ֔וף לֹ֥א יֵאָכְל֖וּ שֶׁ֣קֶץ הֵ֑ם אֶת־הַנֶּ֙שֶׁר֙ וְאֶת־הַפֶּ֔רֶס וְאֵ֖ת הָעָזְנִיָּֽה׃ 13
“‘पक्षियों में से तुम्हारे लिए घृणित ये हैं; और जिनको खाना मना है; वे ये है: गरुड़, गिद्ध, काला गिद्ध,
וְאֶת־הַ֨דָּאָ֔ה וְאֶת־הָאַיָּ֖ה לְמִינָֽהּ׃ 14
लाल चील और काली चील और समस्त प्रकार की चीलें,
אֵ֥ת כָּל־עֹרֵ֖ב לְמִינֹֽו׃ 15
समस्त प्रकार के कौवे,
וְאֵת֙ בַּ֣ת הַֽיַּעֲנָ֔ה וְאֶת־הַתַּחְמָ֖ס וְאֶת־הַשָּׁ֑חַף וְאֶת־הַנֵּ֖ץ לְמִינֵֽהוּ׃ 16
शुतुरमुर्ग, उल्लू, सागर काक और शिकारे की सभी प्रजातियां,
וְאֶת־הַכֹּ֥וס וְאֶת־הַשָּׁלָ֖ךְ וְאֶת־הַיַּנְשֽׁוּף׃ 17
छोटी प्रजाति के उल्लू, जलकौए और बड़ी प्रजाति के उल्लू,
וְאֶת־הַתִּנְשֶׁ֥מֶת וְאֶת־הַקָּאָ֖ת וְאֶת־הָרָחָֽם׃ 18
बख़ारी उल्लू, जल मुर्गी और शवभक्षी गिद्ध,
וְאֵת֙ הַחֲסִידָ֔ה הָאֲנָפָ֖ה לְמִינָ֑הּ וְאֶת־הַדּוּכִיפַ֖ת וְאֶת־הָעֲטַלֵּֽף׃ 19
छोटा गरुड़, सभी प्रकार के बगुले, टिटिहरी और चमगादड़.
כֹּ֚ל שֶׁ֣רֶץ הָעֹ֔וף הַהֹלֵ֖ךְ עַל־אַרְבַּ֑ע שֶׁ֥קֶץ ה֖וּא לָכֶֽם׃ ס 20
“‘सभी प्रकार के पंख वाले कीड़े, जो अपने चारों पैरों पर चलते हैं, तुम्हारे लिए घृणित हैं.
אַ֤ךְ אֶת־זֶה֙ תֹּֽאכְל֔וּ מִכֹּל֙ שֶׁ֣רֶץ הָעֹ֔וף הַהֹלֵ֖ךְ עַל־אַרְבַּ֑ע אֲשֶׁר־לֹא (לֹ֤ו) כְרָעַ֙יִם֙ מִמַּ֣עַל לְרַגְלָ֔יו לְנַתֵּ֥ר בָּהֵ֖ן עַל־הָאָֽרֶץ׃ 21
फिर भी वे उड़ते हुए कीड़े, जो अपने चारों पैरों पर चलते हैं, तथा जिनके पैरों के ऊपर एक मुड़ी हुई टांग होती है, जिसके बल पर वे भूमि पर कूदते हैं, उनको तुम खा सकते हो.
אֶת־אֵ֤לֶּה מֵהֶם֙ תֹּאכֵ֔לוּ אֶת־הָֽאַרְבֶּ֣ה לְמִינֹ֔ו וְאֶת־הַסָּלְעָ֖ם לְמִינֵ֑הוּ וְאֶת־הַחַרְגֹּ֣ל לְמִינֵ֔הוּ וְאֶת־הֶחָגָ֖ב לְמִינֵֽהוּ׃ 22
तुम उनमें से इनको खा सकते हो: सभी प्रकार की टिड्डियां, सभी प्रकार के पतंगे, सभी प्रकार के झींगुर और सभी प्रकार के टिड्डे.
וְכֹל֙ שֶׁ֣רֶץ הָעֹ֔וף אֲשֶׁר־לֹ֖ו אַרְבַּ֣ע רַגְלָ֑יִם שֶׁ֥קֶץ ה֖וּא לָכֶֽם׃ 23
किंतु सभी प्रकार के उड़ते हुए कीड़े, जो चार पैरों पर चलते हैं, वे तुम्हारे लिए घृणित हैं.
וּלְאֵ֖לֶּה תִּטַּמָּ֑אוּ כָּל־הַנֹּגֵ֥עַ בְּנִבְלָתָ֖ם יִטְמָ֥א עַד־הָעָֽרֶב׃ 24
“‘इन सभी जीवों के कारण भी तुम अशुद्ध हो जाओगे; जो कोई इनके शव को छू लेगा, वह संध्या तक अशुद्ध रहेगा,
וְכָל־הַנֹּשֵׂ֖א מִנִּבְלָתָ֑ם יְכַבֵּ֥ס בְּגָדָ֖יו וְטָמֵ֥א עַד־הָעָֽרֶב׃ 25
और जो कोई इनके शव को हटाता है, वह अपने वस्त्रों को धो डाले, वह शाम तक अशुद्ध रहेगा.
לְֽכָל־הַבְּהֵמָ֡ה אֲשֶׁ֣ר הִוא֩ מַפְרֶ֨סֶת פַּרְסָ֜ה וְשֶׁ֣סַע ׀ אֵינֶ֣נָּה שֹׁסַ֗עַת וְגֵרָה֙ אֵינֶ֣נָּה מַעֲלָ֔ה טְמֵאִ֥ים הֵ֖ם לָכֶ֑ם כָּל־הַנֹּגֵ֥עַ בָּהֶ֖ם יִטְמָֽא׃ 26
“‘उन पशुओं के विषय में, जिनके खुर चिरे तो हैं किंतु पूरी तरह दो भागों में नहीं हैं, और पागुर भी नहीं करते, वे तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं. जो कोई उनको छू लेगा, वह अशुद्ध हो जाएगा.
וְכֹ֣ל ׀ הֹולֵ֣ךְ עַל־כַּפָּ֗יו בְּכָל־הַֽחַיָּה֙ הַהֹלֶ֣כֶת עַל־אַרְבַּ֔ע טְמֵאִ֥ים הֵ֖ם לָכֶ֑ם כָּל־הַנֹּגֵ֥עַ בְּנִבְלָתָ֖ם יִטְמָ֥א עַד־הָעָֽרֶב׃ 27
सभी चौपायों में वे प्राणी, जो अपने पंजों पर चलते हैं, तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं, जो कोई उनके शव को छू लेगा, वह शाम तक अशुद्ध रहेगा,
וְהַנֹּשֵׂא֙ אֶת־נִבְלָתָ֔ם יְכַבֵּ֥ס בְּגָדָ֖יו וְטָמֵ֣א עַד־הָעָ֑רֶב טְמֵאִ֥ים הֵ֖מָּה לָכֶֽם׃ ס 28
और जो कोई इनके शव को हटाता है, वह अपने वस्त्रों को धो ले. वह शाम तक अशुद्ध रहेगा; वे पशु तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं.
וְזֶ֤ה לָכֶם֙ הַטָּמֵ֔א בַּשֶּׁ֖רֶץ הַשֹּׁרֵ֣ץ עַל־הָאָ֑רֶץ הַחֹ֥לֶד וְהָעַכְבָּ֖ר וְהַצָּ֥ב לְמִינֵֽהוּ׃ 29
“‘भूमि पर जो जंतु रेंगते हैं, वे तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं. वे ये है: छछूंदर, चूहा, सभी प्रकार की गोह,
וְהָאֲנָקָ֥ה וְהַכֹּ֖חַ וְהַלְּטָאָ֑ה וְהַחֹ֖מֶט וְהַתִּנְשָֽׁמֶת׃ 30
छिपकली, मगरमच्छ, टिकटिक, साण्डा और गिरगिट.
אֵ֛לֶּה הַטְּמֵאִ֥ים לָכֶ֖ם בְּכָל־הַשָּׁ֑רֶץ כָּל־הַנֹּגֵ֧עַ בָּהֶ֛ם בְּמֹתָ֖ם יִטְמָ֥א עַד־הָעָֽרֶב׃ 31
वे जंतु, जो रेंगते हैं, इनमें से वे सभी तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं. जो कोई इनके शव को छू लेता है, वह शाम तक अशुद्ध रहेगा.
וְכֹ֣ל אֲשֶׁר־יִפֹּל־עָלָיו֩ מֵהֶ֨ם ׀ בְּמֹתָ֜ם יִטְמָ֗א מִכָּל־כְּלִי־עֵץ֙ אֹ֣ו בֶ֤גֶד אֹו־עֹור֙ אֹ֣ו שָׂ֔ק כָּל־כְּלִ֕י אֲשֶׁר־יֵעָשֶׂ֥ה מְלָאכָ֖ה בָּהֶ֑ם בַּמַּ֧יִם יוּבָ֛א וְטָמֵ֥א עַד־הָעֶ֖רֶב וְטָהֵֽר׃ 32
इनमें से उनका शव यदि किसी वस्तु पर गिर जाता है, तो वह वस्तु अशुद्ध हो जाएगी, चाहे वह लकड़ी की हो अथवा वस्त्र, खाल अथवा टाट की और किसी भी कार्य में इस्तेमाल की जाती हो. इसे जल में रख देना और शाम तक यह अशुद्ध रहे, इसके बाद यह वस्तु शुद्ध मानी जाए.
וְכָל־כְּלִי־חֶ֔רֶשׂ אֲשֶׁר־יִפֹּ֥ל מֵהֶ֖ם אֶל־תֹּוכֹ֑ו כֹּ֣ל אֲשֶׁ֧ר בְּתֹוכֹ֛ו יִטְמָ֖א וְאֹתֹ֥ו תִשְׁבֹּֽרוּ׃ 33
यदि किसी मिट्टी के पात्र में इन जंतुओं का शव गिर जाता है, उस पात्र में जो कुछ भी हो, वह अशुद्ध हो जाएगा. उस पात्र को तोड़ दिया जाए.
מִכָּל־הָאֹ֜כֶל אֲשֶׁ֣ר יֵאָכֵ֗ל אֲשֶׁ֨ר יָבֹ֥וא עָלָ֛יו מַ֖יִם יִטְמָ֑א וְכָל־מַשְׁקֶה֙ אֲשֶׁ֣ר יִשָּׁתֶ֔ה בְּכָל־כְּלִ֖י יִטְמָֽא׃ 34
यदि इस पात्र का जल किसी भी खाने की वस्तु पर गिर जाए, तो वह खाना अशुद्ध माना जाएगा, और इसी प्रकार यदि यह जल किसी पीने के पदार्थ पर गिर जाए, तो वह पीने का पदार्थ अशुद्ध माना जाएगा.
וְ֠כֹל אֲשֶׁר־יִפֹּ֨ל מִנִּבְלָתָ֥ם ׀ עָלָיו֮ יִטְמָא֒ תַּנּ֧וּר וְכִירַ֛יִם יֻתָּ֖ץ טְמֵאִ֣ים הֵ֑ם וּטְמֵאִ֖ים יִהְי֥וּ לָכֶֽם׃ 35
कोई भी वस्तु, जिस पर इन जंतुओं के शव का भाग गिर जाए, वह वस्तु अशुद्ध मानी जाएगी; चाहे वह कोई भट्टी हो अथवा चूल्हा, इसे चूर-चूर कर दिया जाए; वे अशुद्ध हैं, और तुम्हारे लिए अशुद्ध बनी रहेंगी.
אַ֣ךְ מַעְיָ֥ן וּבֹ֛ור מִקְוֵה־מַ֖יִם יִהְיֶ֣ה טָהֹ֑ור וְנֹגֵ֥עַ בְּנִבְלָתָ֖ם יִטְמָֽא׃ 36
फिर भी झरना अथवा जल कुंड, जहां जल इकट्ठा किया जाता है, वह तो शुद्ध रहेगा, किंतु जो कोई इनके शव को छू लेगा, वह अशुद्ध होगा.
וְכִ֤י יִפֹּל֙ מִנִּבְלָתָ֔ם עַל־כָּל־זֶ֥רַע זֵר֖וּעַ אֲשֶׁ֣ר יִזָּרֵ֑עַ טָהֹ֖ור הֽוּא׃ 37
जिस बीज को बोया जाना है, यदि इन जंतुओं के शव का कोई भाग उन बीजों में गिर जाता है, तो उस बीज को स्वच्छ ही माना जाएगा.
וְכִ֤י יֻתַּן־מַ֙יִם֙ עַל־זֶ֔רַע וְנָפַ֥ל מִנִּבְלָתָ֖ם עָלָ֑יו טָמֵ֥א ה֖וּא לָכֶֽם׃ ס 38
किंतु यदि उन बीजों पर जल डाला गया है और इन जंतुओं के शव का कोई भाग उस पर गिर जाता है, तो वे बीज तुम्हारे लिए अशुद्ध होंगे.
וְכִ֤י יָמוּת֙ מִן־הַבְּהֵמָ֔ה אֲשֶׁר־הִ֥יא לָכֶ֖ם לְאָכְלָ֑ה הַנֹּגֵ֥עַ בְּנִבְלָתָ֖הּ יִטְמָ֥א עַד־הָעָֽרֶב׃ 39
“‘यदि उन पशुओं में से, जो तुम्हारे लिए खाने योग्य हैं, किसी पशु की मृत्यु हो जाए और कोई उसके शव को छू ले, तो वह व्यक्ति शाम तक अशुद्ध रहेगा.
וְהָֽאֹכֵל֙ מִנִּבְלָתָ֔הּ יְכַבֵּ֥ס בְּגָדָ֖יו וְטָמֵ֣א עַד־הָעָ֑רֶב וְהַנֹּשֵׂא֙ אֶת־נִבְלָתָ֔הּ יְכַבֵּ֥ס בְּגָדָ֖יו וְטָמֵ֥א עַד־הָעָֽרֶב׃ 40
जो इस पशु के शव में से कुछ भाग को खा लेता है, वह व्यक्ति भी अपने वस्त्रों को धो डाले और वह शाम तक अशुद्ध रहेगा. जो इसके शव को हटाए, वह व्यक्ति भी अपने वस्त्रों को धो डाले और वह शाम तक अशुद्ध रहेगा.
וְכָל־הַשֶּׁ֖רֶץ הַשֹּׁרֵ֣ץ עַל־הָאָ֑רֶץ שֶׁ֥קֶץ ה֖וּא לֹ֥א יֵאָכֵֽל׃ 41
“‘हर एक जंतु, जो भूमि पर रेंगता है, वह तुम्हारे लिए घृणित है और उसको खाया न जाए.
כֹּל֩ הֹולֵ֨ךְ עַל־גָּחֹ֜ון וְכֹ֣ל ׀ הֹולֵ֣ךְ עַל־אַרְבַּ֗ע עַ֚ד כָּל־מַרְבֵּ֣ה רַגְלַ֔יִם לְכָל־הַשֶּׁ֖רֶץ הַשֹּׁרֵ֣ץ עַל־הָאָ֑רֶץ לֹ֥א תֹאכְל֖וּם כִּי־שֶׁ֥קֶץ הֵֽם׃ 42
वे जंतु, जो भूमि पर रेंगते हैं, उसमें से हर एक जो अपने पेट पर रेंगता है, जो चार पैरों पर चलता है और जो बहुत पैर वाले हैं, तुम उनको न खाना, क्योंकि वे घृणित हैं.
אַל־תְּשַׁקְּצוּ֙ אֶת־נַפְשֹׁ֣תֵיכֶ֔ם בְּכָל־הַשֶּׁ֖רֶץ הַשֹּׁרֵ֑ץ וְלֹ֤א תִֽטַּמְּאוּ֙ בָּהֶ֔ם וְנִטְמֵתֶ֖ם בָּֽם׃ 43
कोई भी जंतु, जो रेंगता है, उसके द्वारा तुम स्वयं को घृणित न करना और न ही स्वयं को अशुद्ध करना, जिससे कि तुम अशुद्ध हो जाओ.
כִּ֣י אֲנִ֣י יְהוָה֮ אֱלֹֽהֵיכֶם֒ וְהִתְקַדִּשְׁתֶּם֙ וִהְיִיתֶ֣ם קְדֹשִׁ֔ים כִּ֥י קָדֹ֖ושׁ אָ֑נִי וְלֹ֤א תְטַמְּאוּ֙ אֶת־נַפְשֹׁ֣תֵיכֶ֔ם בְּכָל־הַשֶּׁ֖רֶץ הָרֹמֵ֥שׂ עַל־הָאָֽרֶץ׃ 44
क्योंकि मैं वही याहवेह, तुम्हारा परमेश्वर हूं, इसलिये स्वयं को शुद्ध करो और पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूं. उन जंतुओं के द्वारा स्वयं को अशुद्ध न करना, जो भूमि पर रेंगते हैं.
כִּ֣י ׀ אֲנִ֣י יְהוָ֗ה הַֽמַּעֲלֶ֤ה אֶתְכֶם֙ מֵאֶ֣רֶץ מִצְרַ֔יִם לִהְיֹ֥ת לָכֶ֖ם לֵאלֹהִ֑ים וִהְיִיתֶ֣ם קְדֹשִׁ֔ים כִּ֥י קָדֹ֖ושׁ אָֽנִי׃ 45
क्योंकि मैं ही याहवेह हूं, जिसने तुम्हें मिस्र देश से इसलिये निकाला, कि तुम्हारा परमेश्वर हो जाऊं; इसलिये ज़रूरी है, कि तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूं.
זֹ֣את תֹּורַ֤ת הַבְּהֵמָה֙ וְהָעֹ֔וף וְכֹל֙ נֶ֣פֶשׁ הַֽחַיָּ֔ה הָרֹמֶ֖שֶׂת בַּמָּ֑יִם וּלְכָל־נֶ֖פֶשׁ הַשֹּׁרֶ֥צֶת עַל־הָאָֽרֶץ׃ 46
“‘पशुओं तथा पक्षियों और हर एक प्राणी, जो जल में हैं तथा जो भूमि पर रेंगते हैं, उनके लिए यही विधि है,
לְהַבְדִּ֕יל בֵּ֥ין הַטָּמֵ֖א וּבֵ֣ין הַטָּהֹ֑ר וּבֵ֤ין הַֽחַיָּה֙ הַֽנֶּאֱכֶ֔לֶת וּבֵין֙ הַֽחַיָּ֔ה אֲשֶׁ֖ר לֹ֥א תֵאָכֵֽל׃ פ 47
जिससे शुद्ध अथवा अशुद्ध और खाने तथा न खाने की वस्तुओं में भेद किया जा सके.’”

< וַיִּקְרָא 11 >