< שֹׁפְטִים 14 >
וַיֵּ֥רֶד שִׁמְשֹׁ֖ון תִּמְנָ֑תָה וַיַּ֥רְא אִשָּׁ֛ה בְּתִמְנָ֖תָה מִבְּנֹ֥ות פְּלִשְׁתִּֽים׃ | 1 |
एक समय पर, जब शिमशोन तिमनाह नगर को गया हुआ था, उसने वहां एक फिलिस्तीनी कन्या देखी.
וַיַּ֗עַל וַיַּגֵּד֙ לְאָבִ֣יו וּלְאִמֹּ֔ו וַיֹּ֗אמֶר אִשָּׁ֛ה רָאִ֥יתִי בְתִמְנָ֖תָה מִבְּנֹ֣ות פְּלִשְׁתִּ֑ים וְעַתָּ֕ה קְחוּ־אֹותָ֥הּ לִּ֖י לְאִשָּֽׁה׃ | 2 |
वहां से लौटने पर उसने अपने माता-पिता से कहा, “तिमनाह में मैंने एक फिलिस्तीनी लड़की देखी है; उससे मेरा विवाह कर दीजिए.”
וַיֹּ֨אמֶר לֹ֜ו אָבִ֣יו וְאִמֹּ֗ו הַאֵין֩ בִּבְנֹ֨ות אַחֶ֤יךָ וּבְכָל־עַמִּי֙ אִשָּׁ֔ה כִּֽי־אַתָּ֤ה הֹולֵךְ֙ לָקַ֣חַת אִשָּׁ֔ה מִפְּלִשְׁתִּ֖ים הָעֲרֵלִ֑ים וַיֹּ֨אמֶר שִׁמְשֹׁ֤ון אֶל־אָבִיו֙ אֹותָ֣הּ קַֽח־לִ֔י כִּֽי־הִ֖יא יָשְׁרָ֥ה בְעֵינָֽי׃ | 3 |
उसके माता-पिता ने उत्तर में उससे कहा, “तुम्हारे संबंधियों में, अथवा हमारे सजातियों में क्या कोई भी लड़की नहीं है, कि तुम्हें ख़तना रहित फिलिस्तीनियों में की पुत्री से विवाह करने की सूझी है?” किंतु शिमशोन ने उन्हें उत्तर दिया, “मेरा विवाह उसी से कर दीजिए, मुझे वही भा गई है.”
וְאָבִ֨יו וְאִמֹּ֜ו לֹ֣א יָדְע֗וּ כִּ֤י מֵיְהוָה֙ הִ֔יא כִּי־תֹאֲנָ֥ה הֽוּא־מְבַקֵּ֖שׁ מִפְּלִשְׁתִּ֑ים וּבָעֵ֣ת הַהִ֔יא פְּלִשְׁתִּ֖ים מֹשְׁלִ֥ים בְּיִשְׂרָאֵֽל׃ פ | 4 |
यद्यपि उसके माता-पिता को यह मालूम न था कि यह याहवेह की योजना थी, क्योंकि वह फिलिस्तीनियों से बदले का अवसर खोज रहा था, इस समय फिलिस्ती इस्राएल पर शासन कर रहे थे.
וַיֵּ֧רֶד שִׁמְשֹׁ֛ון וְאָבִ֥יו וְאִמֹּ֖ו תִּמְנָ֑תָה וַיָּבֹ֙אוּ֙ עַד־כַּרְמֵ֣י תִמְנָ֔תָה וְהִנֵּה֙ כְּפִ֣יר אֲרָיֹ֔ות שֹׁאֵ֖ג לִקְרָאתֹֽו׃ | 5 |
शिमशोन अपने माता-पिता के साथ तिमनाह गया. जब वे तिमनाह के अंगूरों के बगीचों तक पहुंचे, एक जवान शेर दहाड़ता हुआ उस पर लपका.
וַתִּצְלַ֨ח עָלָ֜יו ר֣וּחַ יְהוָ֗ה וַֽיְשַׁסְּעֵ֙הוּ֙ כְּשַׁסַּ֣ע הַגְּדִ֔י וּמְא֖וּמָה אֵ֣ין בְּיָדֹ֑ו וְלֹ֤א הִגִּיד֙ לְאָבִ֣יו וּלְאִמֹּ֔ו אֵ֖ת אֲשֶׁ֥ר עָשָֽׂה׃ | 6 |
बड़ी सामर्थ्य के साथ याहवेह का आत्मा उस पर उतरा. शिमशोन ने उसे इस रीति से फाड़ डाला, जैसे कोई एक मेमने को फाड़ देता है, जबकि शिमशोन के हाथों में कोई भी हथियार न था. इस काम की चर्चा उसने अपने माता-पिता से नहीं की.
וַיֵּ֖רֶד וַיְדַבֵּ֣ר לָאִשָּׁ֑ה וַתִּישַׁ֖ר בְּעֵינֵ֥י שִׁמְשֹֽׁון׃ | 7 |
उसने जाकर उस स्त्री से बातचीत की. वह उसे प्रिय लगी.
וַיָּ֤שָׁב מִיָּמִים֙ לְקַחְתָּ֔הּ וַיָּ֣סַר לִרְאֹ֔ות אֵ֖ת מַפֶּ֣לֶת הָאַרְיֵ֑ה וְהִנֵּ֨ה עֲדַ֧ת דְּבֹורִ֛ים בִּגְוִיַּ֥ת הָאַרְיֵ֖ה וּדְבָֽשׁ׃ | 8 |
कुछ समय बाद उस कन्या से विवाह करने के लिए वह तिमनाह लौटा. शेर का शव देखने के लिए मार्ग से मुड़ा. उसने देखा कि शेर के शव में मधुमक्खियों का छत्ता तथा उसमें शहद लगा हुआ था.
וַיִּרְדֵּ֣הוּ אֶל־כַּפָּ֗יו וַיֵּ֤לֶךְ הָלֹוךְ֙ וְאָכֹ֔ל וַיֵּ֙לֶךְ֙ אֶל־אָבִ֣יו וְאֶל־אִמֹּ֔ו וַיִּתֵּ֥ן לָהֶ֖ם וַיֹּאכֵ֑לוּ וְלֹֽא־הִגִּ֣יד לָהֶ֔ם כִּ֛י מִגְּוִיַּ֥ת הָאַרְיֵ֖ה רָדָ֥ה הַדְּבָֽשׁ׃ | 9 |
उसने अपने हाथों में वह शहद ले लिया और उसे खाता हुआ आगे बढ़ गया. जब वह अपने माता-पिता के पास पहुंचा, उसने उन्हें भी वह शहद दिया और उन्होंने भी उसे खाया, किंतु शिमशोन ने उन्हें यह न बताया कि उसने यह मधु शेर के शव में से निकाला था.
וַיֵּ֥רֶד אָבִ֖יהוּ אֶל־הָאִשָּׁ֑ה וַיַּ֨עַשׂ שָׁ֤ם שִׁמְשֹׁון֙ מִשְׁתֶּ֔ה כִּ֛י כֵּ֥ן יַעֲשׂ֖וּ הַבַּחוּרִֽים׃ | 10 |
तब उसका पिता उस स्त्री के घर पर पहुंचा. शिमशोन ने वहां एक भोज आयोजित किया, जैसा कि वहां के युवकों की रीति थी.
וַיְהִ֖י כִּרְאֹותָ֣ם אֹותֹ֑ו וַיִּקְחוּ֙ שְׁלֹשִׁ֣ים מֵֽרֵעִ֔ים וַיִּהְי֖וּ אִתֹּֽו׃ | 11 |
जब उन्होंने देखा और उन्होंने उसके साथ साथ रहने के लिए तीस युवक चुन दिए.
וַיֹּ֤אמֶר לָהֶם֙ שִׁמְשֹׁ֔ון אָחֽוּדָה־נָּ֥א לָכֶ֖ם חִידָ֑ה אִם־הַגֵּ֣ד תַּגִּידוּ֩ אֹותָ֨הּ לִ֜י שִׁבְעַ֨ת יְמֵ֤י הַמִּשְׁתֶּה֙ וּמְצָאתֶ֔ם וְנָתַתִּ֤י לָכֶם֙ שְׁלֹשִׁ֣ים סְדִינִ֔ים וּשְׁלֹשִׁ֖ים חֲלִפֹ֥ת בְּגָדִֽים׃ | 12 |
शिमशोन ने उनसे कहा, “मैं तुम्हारे विचारने के लिए एक पहेली देता हूं; यदि तुम विवाहोत्सव के सात दिन के भीतर यह पहेली का समझ बूझ कर मुझे इसका उत्तर दे दोगे, तो मैं तुम्हें मलमल के तीस बाहरी वस्त्र और तीस जोड़े कपड़े दूंगा.
וְאִם־לֹ֣א תוּכְלוּ֮ לְהַגִּ֣יד לִי֒ וּנְתַתֶּ֨ם אַתֶּ֥ם לִי֙ שְׁלֹשִׁ֣ים סְדִינִ֔ים וּשְׁלֹשִׁ֖ים חֲלִיפֹ֣ות בְּגָדִ֑ים וַיֹּ֣אמְרוּ לֹ֔ו ח֥וּדָה חִידָתְךָ֖ וְנִשְׁמָעֶֽנָּה׃ | 13 |
मगर, यदि तुम इसका उत्तर न दे सको, तो तुम्हें मुझे तीस बाहरी वस्त्र और तीस जोड़े कपड़े देना पड़ेंगे.” उन्होंने उत्तर दिया, “पेश करो अपनी पहेली, हम सुन रहे हैं.”
וַיֹּ֣אמֶר לָהֶ֗ם מֵהָֽאֹכֵל֙ יָצָ֣א מַאֲכָ֔ל וּמֵעַ֖ז יָצָ֣א מָתֹ֑וק וְלֹ֥א יָכְל֛וּ לְהַגִּ֥יד הַחִידָ֖ה שְׁלֹ֥שֶׁת יָמִֽים׃ | 14 |
शिमशोन ने कहा, “खानेवाले में से भोजन, तथा बलवंत में से मिठास.” तीन दिन बीत गए मगर इस पहेली का उत्तर वे न दे सके.
וַיְהִ֣י ׀ בַּיֹּ֣ום הַשְּׁבִיעִ֗י וַיֹּאמְר֤וּ לְאֵֽשֶׁת־שִׁמְשֹׁון֙ פַּתִּ֣י אֶת־אִישֵׁ֗ךְ וְיַגֶּד־לָ֙נוּ֙ אֶת־הַ֣חִידָ֔ה פֶּן־נִשְׂרֹ֥ף אֹותָ֛ךְ וְאֶת־בֵּ֥ית אָבִ֖יךְ בָּאֵ֑שׁ הַלְיָרְשֵׁ֕נוּ קְרָאתֶ֥ם לָ֖נוּ הֲלֹֽא׃ | 15 |
चौथे दिन उन्होंने शिमशोन की पत्नी से कहा, “अपने पति को फुसलाओ, कि वह उस पहेली का मतलब हमें बता दे. अगर नहीं, तो हम तुम्हें और तुम्हारे पिता के घर को आग लगा देंगे, क्या हमें आमंत्रित करने में तुम्हारी मंशा हमें कंगाल कर देने की थी? क्या यही सच नहीं?”
וַתֵּבְךְּ֩ אֵ֨שֶׁת שִׁמְשֹׁ֜ון עָלָ֗יו וַתֹּ֙אמֶר֙ רַק־שְׂנֵאתַ֙נִי֙ וְלֹ֣א אֲהַבְתָּ֔נִי הֽ͏ַחִידָ֥ה חַ֙דְתָּ֙ לִבְנֵ֣י עַמִּ֔י וְלִ֖י לֹ֣א הִגַּ֑דְתָּה וַיֹּ֣אמֶר לָ֗הּ הִנֵּ֨ה לְאָבִ֧י וּלְאִמִּ֛י לֹ֥א הִגַּ֖דְתִּי וְלָ֥ךְ אַגִּֽיד׃ | 16 |
शिमशोन की पत्नी उसके सामने रोने लगी. और उसने शिमशोन से कहा, “तुम तो मुझसे नफरत करते हो. तुम्हें मुझसे प्रेम है ही नहीं. मेरे जाति वाले युवाओं के सामने तुमने पहेली प्रस्तुत की, और मुझे इसका हल नहीं बताया.” शिमशोन ने साफ़ किया, “देखो, इसका हल तो मैंने अपने माता-पिता तक को नहीं बताया है, क्या मैं यह तुम्हें बता दूं?”
וַתֵּ֤בְךְּ עָלָיו֙ שִׁבְעַ֣ת הַיָּמִ֔ים אֲשֶׁר־הָיָ֥ה לָהֶ֖ם הַמִּשְׁתֶּ֑ה וַיְהִ֣י ׀ בַּיֹּ֣ום הַשְּׁבִיעִ֗י וַיַּגֶּד־לָהּ֙ כִּ֣י הֱצִיקַ֔תְהוּ וַתַּגֵּ֥ד הַחִידָ֖ה לִבְנֵ֥י עַמָּֽהּ׃ | 17 |
फिर भी सातों दिन, जब तक विवाहोत्सव चलता रहा, वह रोती रही. अंत में सातवें दिन शिमशोन ने उसे पहेली का हल बता ही दिया; उसकी पत्नी ने उसे इस सीमा तक तंग कर दिया था. उसने जाकर अपने जाति वाले युवकों को पहेली का उत्तर जा सुनाया.
וַיֹּ֣אמְרוּ לֹו֩ אַנְשֵׁ֨י הָעִ֜יר בַּיֹּ֣ום הַשְּׁבִיעִ֗י בְּטֶ֙רֶם֙ יָבֹ֣א הַחַ֔רְסָה מַה־מָּתֹ֣וק מִדְּבַ֔שׁ וּמֶ֥ה עַ֖ז מֵאֲרִ֑י וַיֹּ֣אמֶר לָהֶ֔ם לוּלֵא֙ חֲרַשְׁתֶּ֣ם בְּעֶגְלָתִ֔י לֹ֥א מְצָאתֶ֖ם חִידָתִֽי׃ | 18 |
सातवें दिन सूरज डूबने के पहले, उन नगरवासियों ने जाकर शिमशोन से कहा, “क्या हो सकता है शहद से मीठा? कौन है शेर से अधिक बलवान? “शिमशोन ने उनसे कहा, “यदि तुमने मेरी बछिया से खेत न जोता होता, तो मेरी पहेली का उत्तर बिन सुलझा ही रहता.”
וַתִּצְלַ֨ח עָלָ֜יו ר֣וּחַ יְהוָ֗ה וַיֵּ֨רֶד אַשְׁקְלֹ֜ון וַיַּ֥ךְ מֵהֶ֣ם ׀ שְׁלֹשִׁ֣ים אִ֗ישׁ וַיִּקַּח֙ אֶת־חֲלִ֣יצֹותָ֔ם וַיִּתֵּן֙ הַחֲלִיפֹ֔ות לְמַגִּידֵ֖י הַחִידָ֑ה וַיִּ֣חַר אַפֹּ֔ו וַיַּ֖עַל בֵּ֥ית אָבִֽיהוּ׃ פ | 19 |
तब बड़ी ही सामर्थ्य के साथ याहवेह का आत्मा शिमशोन पर उतरी. वह अश्कलोन गया, तीस व्यक्तियों को मार गिराया, उनका सामान इकट्ठा कर उसने वे कपड़े उन्हें दिए, जिन्होंने उस पहेली का उत्तर दे दिया था. उसका क्रोध भड़कता हुआ वह अपने पिता के घर को लौट गया.
וַתְּהִ֖י אֵ֣שֶׁת שִׁמְשֹׁ֑ון לְמֵ֣רֵעֵ֔הוּ אֲשֶׁ֥ר רֵעָ֖ה לֹֽו׃ | 20 |
शिमशोन की पत्नी उसके उस साथी को दे दी गई, जो उसका मित्र था.