< יְהוֹשֻעַ 22 >
אָ֚ז יִקְרָ֣א יְהֹושֻׁ֔עַ לָרֽאוּבֵנִ֖י וְלַגָּדִ֑י וְלַחֲצִ֖י מַטֵּ֥ה מְנַשֶּֽׁה׃ | 1 |
उस वक़्त यशू'अ ने रोबिनियों और जद्दियों और मनस्सी के आधे क़बीले को बुला कर।
וַיֹּ֣אמֶר אֲלֵיהֶ֔ם אַתֶּ֣ם שְׁמַרְתֶּ֔ם אֵ֚ת כָּל־אֲשֶׁ֣ר צִוָּ֣ה אֶתְכֶ֔ם מֹשֶׁ֖ה עֶ֣בֶד יְהוָ֑ה וַתִּשְׁמְע֣וּ בְקֹולִ֔י לְכֹ֥ל אֲשֶׁר־צִוִּ֖יתִי אֶתְכֶֽם׃ | 2 |
उन से कहा कि सब कुछ जो ख़ुदावन्द के बन्दे मूसा ने तुम को फ़रमाया तुम ने माना, और जो कुछ मैं ने तुम को हुक्म दिया उस में तुम ने मेरी बात मानी।
לֹֽא־עֲזַבְתֶּ֣ם אֶת־אֲחֵיכֶ֗ם זֶ֚ה יָמִ֣ים רַבִּ֔ים עַ֖ד הַיֹּ֣ום הַזֶּ֑ה וּשְׁמַרְתֶּ֕ם אֶת־מִשְׁמֶ֕רֶת מִצְוַ֖ת יְהוָ֥ה אֱלֹהֵיכֶֽם׃ | 3 |
तुमने अपने भाईयों को इस मुद्दत में आज के दिन तक नहीं छोड़ा बल्कि ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के हुक्म की ताकीद पर 'अमल किया।
וְעַתָּ֗ה הֵנִ֨יחַ יְהוָ֤ה אֱלֹֽהֵיכֶם֙ לַֽאֲחֵיכֶ֔ם כַּאֲשֶׁ֖ר דִּבֶּ֣ר לָהֶ֑ם וְעַתָּ֡ה פְּנוּ֩ וּלְכ֨וּ לָכֶ֜ם לְאָהֳלֵיכֶ֗ם אֶל־אֶ֙רֶץ֙ אֲחֻזַּתְכֶ֔ם אֲשֶׁ֣ר ׀ נָתַ֣ן לָכֶ֗ם מֹשֶׁה֙ עֶ֣בֶד יְהוָ֔ה בְּעֵ֖בֶר הַיַּרְדֵּֽן׃ | 4 |
और अब ख़ुदावन्द तुम्हारे ख़ुदा ने तुम्हारे भाईयों को जैसा उस ने उन से कहा था आराम बख़्शा है इसलिए तुम अब लौट कर अपने अपने ख़ेमे को अपनी मीरासी सर ज़मीन में जो ख़ुदावन्द के बन्दे मूसा ने यरदन के उस पार तुम को दी है चले जाओ।
רַ֣ק ׀ שִׁמְר֣וּ מְאֹ֗ד לַעֲשֹׂ֨ות אֶת־הַמִּצְוָ֣ה וְאֶת־הַתֹּורָה֮ אֲשֶׁ֣ר צִוָּ֣ה אֶתְכֶם֮ מֹשֶׁ֣ה עֶֽבֶד־יְהוָה֒ לְ֠אַהֲבָה אֶת־יְהוָ֨ה אֱלֹֽהֵיכֶ֜ם וְלָלֶ֧כֶת בְּכָל־דְּרָכָ֛יו וְלִשְׁמֹ֥ר מִצְוֹתָ֖יו וּלְדָבְקָה־בֹ֑ו וּלְעָבְדֹ֕ו בְּכָל־לְבַבְכֶ֖ם וּבְכָל־נַפְשְׁכֶֽם׃ | 5 |
सिर्फ़ उस फ़रमान और शरा' पर 'अमल करने की निहायत एहतियात रखना जिसका हुक्म ख़ुदावन्द के बन्दे मूसा ने तुम को दिया, कि तुम ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा से मुहब्बत रखो और उसकी सब राहों पर चलो, और उसके हुक्मों को मानो और उस से लिपटे रहो और अपने सारे दिल, और सारी जान, से उसकी बन्दगी करो।
וַֽיְבָרְכֵ֖ם יְהֹושֻׁ֑עַ וַֽיְשַׁלְּחֵ֔ם וַיֵּלְכ֖וּ אֶל־אָהֳלֵיהֶֽם׃ ס | 6 |
और यशू'अ ने बरकत दे कर उनको रुख़्सत किया और वह अपने अपने ख़ेमे को चले गये।
וְלַחֲצִ֣י ׀ שֵׁ֣בֶט הַֽמְנַשֶּׁ֗ה נָתַ֣ן מֹשֶׁה֮ בַּבָּשָׁן֒ וּלְחֶצְיֹ֗ו נָתַ֤ן יְהֹושֻׁ֙עַ֙ עִם־אֲחֵיהֶ֔ם מֵעֵבֶר (בְּעֵ֥בֶר) הַיַּרְדֵּ֖ן יָ֑מָּה וְ֠גַם כִּ֣י שִׁלְּחָ֧ם יְהֹושֻׁ֛עַ אֶל־אָהֳלֵיהֶ֖ם וַיְבָרֲכֵֽם׃ | 7 |
मनस्सी के आधे क़बीले को तो मूसा ने बसन में मीरास दी, थी लेकिन उस के दूसरे आधे को यशु'अ ने उनके भाईयों के बीच यरदन के इस पार पश्चिम की तरफ़ हिस्सा दिया; और जब यशू'अ ने उनको रुख़्सत किया की अपने अपने ख़ेमे को जाएँ, तो उनको भी बरकत देकर।
וַיֹּ֨אמֶר אֲלֵיהֶ֜ם לֵאמֹ֗ר בִּנְכָסִ֨ים רַבִּ֜ים שׁ֤וּבוּ אֶל־אָֽהֳלֵיכֶם֙ וּבְמִקְנֶ֣ה רַב־מְאֹ֔ד בְּכֶ֨סֶף וּבְזָהָ֜ב וּבִנְחֹ֧שֶׁת וּבְבַרְזֶ֛ל וּבִשְׂלָמֹ֖ות הַרְבֵּ֣ה מְאֹ֑ד חִלְק֥וּ שְׁלַל־אֹיְבֵיכֶ֖ם עִם־אֲחֵיכֶֽם׃ פ | 8 |
उन से कहा कि, बड़ी दौलत और बहुत से चौपाये, और चाँदी और सोना और पीतल और लोहा और बहुत सी पोशाक लेकर तुम अपने अपने ख़ेमे को लौटो; और अपने दुश्मनों के माल — ए — ग़नीमत को अपने भाईयों के साथ बाँट लो।
וַיָּשֻׁ֣בוּ וַיֵּלְכ֡וּ בְּנֵי־רְאוּבֵ֨ן וּבְנֵי־גָ֜ד וַחֲצִ֣י ׀ שֵׁ֣בֶט הַֽמְנַשֶּׁ֗ה מֵאֵת֙ בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל מִשִּׁלֹ֖ה אֲשֶׁ֣ר בְּאֶֽרֶץ־כְּנָ֑עַן לָלֶ֜כֶת אֶל־אֶ֣רֶץ הַגִּלְעָ֗ד אֶל־אֶ֤רֶץ אֲחֻזָּתָם֙ אֲשֶׁ֣ר נֹֽאחֲזוּ־בָ֔הּ עַל־פִּ֥י יְהוָ֖ה בְּיַד־מֹשֶֽׁה׃ | 9 |
तब बनी रूबिन और बनी जद्द और मनस्सी का आधा क़बीला लौटा और वह बनी इस्राईल के पास से शीलोह से जो मुल्क — ए — कना'न में है रवाना हुए, ताकि वह अपने मीरासी मुल्क जिल'आद को लौट, जाएँ जिसके मालिक वह ख़ुदावन्द के उस हुक्म के मुताबिक़ हुए थे जो उस ने मूसा के बारे में दिया था।
וַיָּבֹ֙אוּ֙ אֶל־גְּלִילֹ֣ות הַיַּרְדֵּ֔ן אֲשֶׁ֖ר בְּאֶ֣רֶץ כְּנָ֑עַן וַיִּבְנ֣וּ בְנֵי־רְאוּבֵ֣ן וּבְנֵי־גָ֡ד וַחֲצִ֣י שֵׁבֶט֩ הַֽמְנַשֶּׁ֨ה שָׁ֤ם מִזְבֵּ֙חַ֙ עַל־הַיַּרְדֵּ֔ן מִזְבֵּ֥חַ גָּדֹ֖ול לְמַרְאֶֽה׃ | 10 |
और जब वह यरदन के पास के उस मुक़ाम में पहुँचे जो मुल्क कनान में है, तो बनी रूबिन और बनी जद्द और मनस्सी के आधे क़बीले ने वहाँ यरदन के पास एक मज़बह जो देखने में बड़ा मज़बह था बनाया।
וַיִּשְׁמְע֥וּ בְנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֖ל לֵאמֹ֑ר הִנֵּ֣ה בָנ֣וּ בְנֵֽי־רְאוּבֵ֣ן וּבְנֵי־גָ֡ד וַחֲצִי֩ שֵׁ֨בֶט הַֽמְנַשֶּׁ֜ה אֶת־הַמִּזְבֵּ֗חַ אֶל־מוּל֙ אֶ֣רֶץ כְּנַ֔עַן אֶל־גְּלִילֹות֙ הַיַּרְדֵּ֔ן אֶל־עֵ֖בֶר בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ | 11 |
और बनी इस्राईल के सुनने में आया की देखो बनी रूबिन और बनी जद्द और मनस्सी के आधे क़बीला ने मुल्क — ए — कना'न के सामने, यरदन के गिर्द के मक़ाम में उस रुख़ पर जो बनी इस्राईल का है एक मज़बह बनाया है।
וַֽיִּשְׁמְע֖וּ בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל וַיִּקָּ֨הֲל֜וּ כָּל־עֲדַ֤ת בְּנֵֽי־יִשְׂרָאֵל֙ שִׁלֹ֔ה לַעֲלֹ֥ות עֲלֵיהֶ֖ם לַצָּבָֽא׃ פ | 12 |
जब बनी इस्राईल ने यह सुना तो बनी इस्राईल की सारी जमा'त शीलोह में इकठ्ठा हुई, ताकि उन पर चढ़ जाये और लड़े,
וַיִּשְׁלְח֨וּ בְנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֜ל אֶל־בְּנֵי־רְאוּבֵ֧ן וְאֶל־בְּנֵי־גָ֛ד וְאֶל־חֲצִ֥י שֵֽׁבֶט־מְנַשֶּׁ֖ה אֶל־אֶ֣רֶץ הַגִּלְעָ֑ד אֶת־פִּינְחָ֖ס בֶּן־אֶלְעָזָ֥ר הַכֹּהֵֽן׃ | 13 |
और बनी इस्राईल ने इली'एलियाज़र काहिन के बेटे फ़ीन्हास को बनी रूबिन और बनी जद्द और मनस्सी के आधे क़बीला के पास जो मुल्क जिल'आद में थे भेजा।
וַעֲשָׂרָ֤ה נְשִׂאִים֙ עִמֹּ֔ו נָשִׂ֨יא אֶחָ֜ד נָשִׂ֤יא אֶחָד֙ לְבֵ֣ית אָ֔ב לְכֹ֖ל מַטֹּ֣ות יִשְׂרָאֵ֑ל וְאִ֨ישׁ רֹ֧אשׁ בֵּית־אֲבֹותָ֛ם הֵ֖מָּה לְאַלְפֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ | 14 |
और बनी इस्राईल के क़बीलों से हर एक के आबाई ख़ानदान से एक अमीर के हिसाब से दस अमीर उसके साथ किये, उन में से हर एक हज़ार दर हज़ार इस्राईलियों में अपने आबाई ख़ानदान का सरदार था।
וַיָּבֹ֜אוּ אֶל־בְּנֵי־רְאוּבֵ֧ן וְאֶל־בְּנֵי־גָ֛ד וְאֶל־חֲצִ֥י שֵֽׁבֶט־מְנַשֶּׁ֖ה אֶל־אֶ֣רֶץ הַגִּלְעָ֑ד וַיְדַבְּר֥וּ אִתָּ֖ם לֵאמֹֽר׃ | 15 |
इसलिए वह बनी रूबिन और बनी जद्द और मनस्सी के आधे क़बीले के पास मुल्क जिल'आद में आये और उन से कहा कि,
כֹּ֣ה אָמְר֞וּ כֹּ֣ל ׀ עֲדַ֣ת יְהוָ֗ה מָֽה־הַמַּ֤עַל הַזֶּה֙ אֲשֶׁ֤ר מְעַלְתֶּם֙ בֵּאלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל לָשׁ֣וּב הַיֹּ֔ום מֵאַחֲרֵ֖י יְהוָ֑ה בִּבְנֹֽותְכֶ֤ם לָכֶם֙ מִזְבֵּ֔חַ לִמְרָדְכֶ֥ם הַיֹּ֖ום בַּיהוָֽה׃ | 16 |
ख़ुदावन्द की सारी जमा'अत यह कहती, है कि तुम ने इस्राईल के ख़ुदा से यह क्या सरकशी की कि, आज के दिन ख़ुदावन्द की पैरवी से फिरकर अपने लिए एक मज़बह बनाया, और आज के दिन तुम ख़ुदावन्द से बाग़ी हो गये?
הַמְעַט־לָ֙נוּ֙ אֶת־עֲוֹ֣ן פְּעֹ֔ור אֲשֶׁ֤ר לֹֽא־הִטַּהַ֙רְנוּ֙ מִמֶּ֔נּוּ עַ֖ד הַיֹּ֣ום הַזֶּ֑ה וַיְהִ֥י הַנֶּ֖גֶף בַּעֲדַ֥ת יְהוָֽה׃ | 17 |
क्या हमारे लिए फ़गू़र की बदकारी कुछ कम थी जिस से हम आज के दिन तक पाक नहीं हुए, अगरचे ख़ुदावन्द की जमा'त में वबा भी आई कि।
וְאַתֶּם֙ תָּשֻׁ֣בוּ הַיֹּ֔ום מֵאַחֲרֵ֖י יְהוָ֑ה וְהָיָ֗ה אַתֶּ֞ם תִּמְרְד֤וּ הַיֹּום֙ בַּֽיהוָ֔ה וּמָחָ֕ר אֶֽל־כָּל־עֲדַ֥ת יִשְׂרָאֵ֖ל יִקְצֹֽף׃ | 18 |
तुम आज के दिन ख़ुदावन्द की पैरवी से फिर जाते हो? और चूँकि तुम आज ख़ुदावन्द से बाग़ी होते हो, इसलिए कल यह होगा कि इस्राईल की सारी जमा'त पर उसका क़हर नाज़िल होगा
וְאַ֨ךְ אִם־טְמֵאָ֜ה אֶ֣רֶץ אֲחֻזַּתְכֶ֗ם עִבְר֨וּ לָכֶ֜ם אֶל־אֶ֨רֶץ אֲחֻזַּ֤ת יְהוָה֙ אֲשֶׁ֤ר שָֽׁכַן־שָׁם֙ מִשְׁכַּ֣ן יְהוָ֔ה וְהֵאָחֲז֖וּ בְּתֹוכֵ֑נוּ וּבַֽיהוָ֣ה אַל־תִּמְרֹ֗דוּ וְאֹתָ֙נוּ֙ אֶל־תִּמְרֹ֔דוּ בִּבְנֹֽתְכֶ֤ם לָכֶם֙ מִזְבֵּ֔חַ מִֽבַּלְעֲדֵ֔י מִזְבַּ֖ח יְהוָ֥ה אֱלֹהֵֽינוּ׃ | 19 |
और अगर तुम्हारा मीरासी मुल्क नापाक है, तो तुम ख़ुदावन्द के मीरासी मुल्क में पार आ जाओ जहाँ ख़ुदावन्द का घर है और हमारे बीच मीरास लो, लेकिन ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा के मज़बह के सिवा अपने लिए कोई और मज़बह बना कर, न तो ख़ुदावन्द से बाग़ी हो और न हम से बग़ावत करो।
הֲלֹ֣וא ׀ עָכָ֣ן בֶּן־זֶ֗רַח מָ֤עַל מַ֙עַל֙ בַּחֵ֔רֶם וְעַֽל־כָּל־עֲדַ֥ת יִשְׂרָאֵ֖ל הָ֣יָה קָ֑צֶף וְהוּא֙ אִ֣ישׁ אֶחָ֔ד לֹ֥א גָוַ֖ע בַּעֲוֹנֹֽו׃ פ | 20 |
क्या ज़ारह के बेटे 'अकन की ख़यानत की वजह से जो उस ने मख़्सूस की हुई चीज़ में की इस्राईल की सारी जमा'त पर ग़ज़ब नाज़िल न हुआ? वह शख्स़ अकेला ही अपनी बदकारी में हलाक नहीं हुआ।
וַֽיַּעֲנוּ֙ בְּנֵי־רְאוּבֵ֣ן וּבְנֵי־גָ֔ד וַחֲצִ֖י שֵׁ֣בֶט הַֽמְנַשֶּׁ֑ה וַֽיְדַבְּר֔וּ אֶת־רָאשֵׁ֖י אַלְפֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ | 21 |
तब बनी रूबिन औ बनी जद्द और मनस्सी के आधे क़बीला ने हज़ार दर हज़ार इस्राईलियों के सरदारों को जवाब दिया कि।
אֵל֩ ׀ אֱלֹהִ֨ים ׀ יְהוָ֜ה אֵ֣ל ׀ אֱלֹהִ֤ים ׀ יְהוָה֙ ה֣וּא יֹדֵ֔עַ וְיִשְׂרָאֵ֖ל ה֣וּא יֵדָ֑ע אִם־בְּמֶ֤רֶד וְאִם־בְּמַ֙עַל֙ בַּֽיהוָ֔ה אַל־תֹּושִׁיעֵ֖נוּ הַיֹּ֥ום הַזֶּֽה׃ | 22 |
ख़ुदावन्द ख़ुदा — ओं का ख़ुदा, ख़ुदावन्द ख़ुदा — ओं का ख़ुदा, जानता है और इस्राईली भी जान लेंगे, अगर इस में बग़ावत या ख़ुदावन्द की मुख़ालिफ़त है तूने तो हमको आज जीता न छोड़ा।
לִבְנֹ֥ות לָ֙נוּ֙ מִזְבֵּ֔חַ לָשׁ֖וּב מֵאַחֲרֵ֣י יְהוָ֑ה וְאִם־לְהַעֲלֹ֨ות עָלָ֜יו עֹולָ֣ה וּמִנְחָ֗ה וְאִם־לַעֲשֹׂ֤ות עָלָיו֙ זִבְחֵ֣י שְׁלָמִ֔ים יְהוָ֖ה ה֥וּא יְבַקֵּֽשׁ׃ | 23 |
अगर हम ने आज के दिन इसलिए यह मज़बह बनाया हो कि ख़ुदावन्द से फिर जाएँ या उस पर सोख़्तनी क़ुर्बानी या नज़र की क़ुर्बानी या सलामती के ज़बीहे चढ़ाएं तो ख़ुदावन्द ही इसका हिसाब ले।
וְאִם־לֹ֤א מִדְּאָגָה֙ מִדָּבָ֔ר עָשִׂ֥ינוּ אֶת־זֹ֖את לֵאמֹ֑ר מָחָ֗ר יֹאמְר֨וּ בְנֵיכֶ֤ם לְבָנֵ֙ינוּ֙ לֵאמֹ֔ר מַה־לָּכֶ֕ם וְלַֽיהוָ֖ה אֱלֹהֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ | 24 |
बल्कि हम ने इस ख़याल और ग़रज़ से यह किया कि कहीं आइन्दा ज़माना में तुम्हारी औलाद हमारी औलाद से यह न कहने लगे,' कि तुम को ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा से क्या लेना है?
וּגְב֣וּל נָֽתַן־יְ֠הוָה בֵּינֵ֨נוּ וּבֵינֵיכֶ֜ם בְּנֵי־רְאוּבֵ֤ן וּבְנֵי־גָד֙ אֶת־הַיַּרְדֵּ֔ן אֵין־לָכֶ֥ם חֵ֖לֶק בַּֽיהוָ֑ה וְהִשְׁבִּ֤יתוּ בְנֵיכֶם֙ אֶת־בָּנֵ֔ינוּ לְבִלְתִּ֖י יְרֹ֥א אֶת־יְהוָֽה׃ | 25 |
क्यूँकि ख़ुदावन्द तो हमारे और तुम्हारे बीच 'ऐ बनी रूबिन और बनी जद्द यरदन को हद ठहराया है इसलिए ख़ुदावन्द में तुम्हारा कोई हिस्सा नहीं है, यूँ तुम्हारी औलाद हमारी औलाद से ख़ुदावन्द का ख़ौफ़ छुड़ा देगी।
וַנֹּ֕אמֶר נַעֲשֶׂה־נָּ֣א לָ֔נוּ לִבְנֹ֖ות אֶת־הַמִּזְבֵּ֑חַ לֹ֥א לְעֹולָ֖ה וְלֹ֥א לְזָֽבַח׃ | 26 |
इसलिए हम ने कहा कि आओ हम अपने लिए एक मज़बह बनाना शुरू'' करें जो न सोख़्तनी क़ुर्बानी के लिए हो और न ज़बीहे के लिए।
כִּי֩ עֵ֨ד ה֜וּא בֵּינֵ֣ינוּ וּבֵינֵיכֶ֗ם וּבֵ֣ין דֹּרֹותֵינוּ֮ אַחֲרֵינוּ֒ לַעֲבֹ֞ד אֶת־עֲבֹדַ֤ת יְהוָה֙ לְפָנָ֔יו בְּעֹלֹותֵ֥ינוּ וּבִזְבָחֵ֖ינוּ וּבִשְׁלָמֵ֑ינוּ וְלֹא־יֹאמְר֨וּ בְנֵיכֶ֤ם מָחָר֙ לְבָנֵ֔ינוּ אֵין־לָכֶ֥ם חֵ֖לֶק בַּיהוָֽה׃ | 27 |
बल्कि वह हमारे और तुम्हारे और हमारे बाद हमारी नसलों के बीच गवाह ठहरे, ताकि हम ख़ुदावन्द के सामने उसकी ''इबादत अपनी सोख़्तनी क़ुर्बानियों और अपने ज़बीहों और सलामती के हदियों से करें, और आइन्दा ज़माना में तुम्हारी औलाद हमारी औलाद से कहने न पाए कि ख़ुदावन्द में तुम्हारा कोई हिस्सा नहीं।
וַנֹּ֕אמֶר וְהָיָ֗ה כִּֽי־יֹאמְר֥וּ אֵלֵ֛ינוּ וְאֶל־דֹּרֹתֵ֖ינוּ מָחָ֑ר וְאָמַ֡רְנוּ רְא֣וּ אֶת־תַּבְנִית֩ מִזְבַּ֨ח יְהוָ֜ה אֲשֶׁר־עָשׂ֣וּ אֲבֹותֵ֗ינוּ לֹ֤א לְעֹולָה֙ וְלֹ֣א לְזֶ֔בַח כִּי־עֵ֣ד ה֔וּא בֵּינֵ֖ינוּ וּבֵינֵיכֶֽם׃ | 28 |
इसलिए हम ने कहा कि, जब वह हम से या हमारी औलाद से आइन्दा ज़माना में यूँ कहेंगे तो हम उनको जवाब देंगे कि देखो ख़ुदावन्द के मज़बह का नमूना जिसे हमारे बाप दादा ने बनाया, यह न सोख़्तनी क़ुर्बानी के लिए है न ज़बीहा के लिए बल्कि यह हमारे और तुम्हारे बीच गवाह है।
חָלִילָה֩ לָּ֨נוּ מִמֶּ֜נּוּ לִמְרֹ֣ד בַּֽיהוָ֗ה וְלָשׁ֤וּב הַיֹּום֙ מֵאַחֲרֵ֣י יְהוָ֔ה לִבְנֹ֣ות מִזְבֵּ֔חַ לְעֹלָ֖ה לְמִנְחָ֣ה וּלְזָ֑בַח מִלְּבַ֗ד מִזְבַּח֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֵ֔ינוּ אֲשֶׁ֖ר לִפְנֵ֥י מִשְׁכָּנֹֽו׃ פ | 29 |
ख़ुदा न करे कि हम ख़ुदावन्द से बाग़ी हों और आज ख़ुदावन्द की पैरवी से फिर कर ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के मज़बह के सिवा जो उसके ख़ेमें के सामने है सोख़्तनी क़ुर्बानी और नज़्र की क़ुर्बानी और ज़बीहा के लिए कोई मज़बह बनाएँ।
וַיִּשְׁמַ֞ע פִּֽינְחָ֣ס הַכֹּהֵ֗ן וּנְשִׂיאֵ֨י הָעֵדָ֜ה וְרָאשֵׁ֨י אַלְפֵ֤י יִשְׂרָאֵל֙ אֲשֶׁ֣ר אִתֹּ֔ו אֶת־הַ֨דְּבָרִ֔ים אֲשֶׁ֧ר דִּבְּר֛וּ בְּנֵי־רְאוּבֵ֥ן וּבְנֵי־גָ֖ד וּבְנֵ֣י מְנַשֶּׁ֑ה וַיִּיטַ֖ב בְּעֵינֵיהֶֽם׃ | 30 |
जब फ़ीन्हास काहिन और जमा'त के अमीरों या'नी हज़ार दर हज़ार इस्राईलियों के सरदारों ने जो उसके साथ आए थे यह बातें सुनीं जो बनी रूबिन और बनी जद्द और बनी मनस्सी ने कहीं तो वह बहुत खुश हुए।
וַיֹּ֣אמֶר פִּֽינְחָ֣ס בֶּן־אֶלְעָזָ֣ר הַכֹּהֵ֡ן אֶל־בְּנֵי־רְאוּבֵ֨ן וְאֶל־בְּנֵי־גָ֜ד וְאֶל־בְּנֵ֣י מְנַשֶּׁ֗ה הַיֹּ֤ום ׀ יָדַ֙עְנוּ֙ כִּֽי־בְתֹוכֵ֣נוּ יְהוָ֔ה אֲשֶׁ֛ר לֹֽא־מְעַלְתֶּ֥ם בַּֽיהוָ֖ה הַמַּ֣עַל הַזֶּ֑ה אָ֗ז הִצַּלְתֶּ֛ם אֶת־בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵ֖ל מִיַּ֥ד יְהוָֽה׃ | 31 |
तब इली'एलियाज़र के बेटे फ़ीन्हास काहिन ने बनी रूबिन और बनी जद्द और बनी मनस्सी से कहा आज हम ने जान लिया कि ख़ुदावन्द हमारे बीच है क्यूँकि तुम से ख़ुदावन्द की यह ख़ता नहीं हुई, इसलिए तुम ने बनी इस्राईल को ख़ुदावन्द के हाथ से छुड़ा लिया है।
וַיָּ֣שָׁב פִּֽינְחָ֣ס בֶּן־אֶלְעָזָ֣ר הַכֹּהֵ֣ן ׀ וְהַנְּשִׂיאִ֡ים מֵאֵ֣ת בְּנֵֽי־רְאוּבֵן֩ וּמֵאֵ֨ת בְּנֵי־גָ֜ד מֵאֶ֧רֶץ הַגִּלְעָ֛ד אֶל־אֶ֥רֶץ כְּנַ֖עַן אֶל־בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל וַיָּשִׁ֥בוּ אֹותָ֖ם דָּבָֽר׃ | 32 |
और इली'एलियाज़र काहिन का बेटा फ़ीन्हास और वह सरदार जिल'आद से बनी रूबिन और बनी जद्द के पास से मुल्क — ए — कना'न में बनी इस्राईल के पास लौट आये और उनको यह माजरा सुनाया?
וַיִּיטַ֣ב הַדָּבָ֗ר בְּעֵינֵי֙ בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל וַיְבָרֲכ֥וּ אֱלֹהִ֖ים בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל וְלֹ֣א אָמְר֗וּ לַעֲלֹ֤ות עֲלֵיהֶם֙ לַצָּבָ֔א לְשַׁחֵת֙ אֶת־הָאָ֔רֶץ אֲשֶׁ֛ר בְּנֵי־רְאוּבֵ֥ן וּבְנֵי־גָ֖ד יֹשְׁבִ֥ים בָּֽהּ׃ | 33 |
तब बनी इस्राईल इस बात से खुश हुए और बनी इस्राईल ने ख़ुदा की हम्द की और फिर जंग के लिए उन पर चढ़ाई करने और उस मुल्क को तबाह करने का नाम न लिया जिस में बनी रूबिन और बनी जद्द रहते थे।
וַֽיִּקְרְא֛וּ בְּנֵי־רְאוּבֵ֥ן וּבְנֵי־גָ֖ד לַמִּזְבֵּ֑חַ כִּ֣י עֵ֥ד הוּא֙ בֵּֽינֹתֵ֔ינוּ כִּ֥י יְהוָ֖ה הָאֱלֹהִֽים׃ פ | 34 |
तब बनी रूबिन और बनी जद्द ने उस मज़बह का नाम 'ईद यह कह कर रखा की वह हमारे बीच गवाह है कि यहोवाह ख़ुदा है।