< אִיּוֹב 42 >

וַיַּ֖עַן אִיֹּ֥וב אֶת־יְהוָ֗ה וַיֹּאמַֽר׃ 1
तब अय्योब ने याहवेह को यह उत्तर दिया:
יָדַעְתָּ (יָ֭דַעְתִּי) כִּי־כֹ֣ל תּוּכָ֑ל וְלֹא־יִבָּצֵ֖ר מִמְּךָ֣ מְזִמָּֽה׃ 2
“मेरे प्रभु, मुझे मालूम है कि आप सभी कुछ कर सकते हैं; तथा आपकी किसी भी योजना विफल नहीं होती.
מִ֤י זֶ֨ה ׀ מַעְלִ֥ים עֵצָ֗ה בְּֽלִ֫י דָ֥עַת לָכֵ֣ן הִ֭גַּדְתִּי וְלֹ֣א אָבִ֑ין נִפְלָאֹ֥ות מִ֝מֶּ֗נִּי וְלֹ֣א אֵדָֽע׃ 3
आपने पूछा था, ‘कौन है वह अज्ञानी, जो मेरे ज्ञान पर आवरण डाल देता है?’ यही कारण है कि मैं स्वीकार कर रहा हूं, कि मुझे इन विषयों का कोई ज्ञान न था, मैं नहीं समझ सका, कि क्या-क्या हो रहा था, तथा जो कुछ हो रहा था, वह विस्मयकारी था.
שְֽׁמַֽע־נָ֭א וְאָנֹכִ֣י אֲדַבֵּ֑ר אֶ֝שְׁאָלְךָ֗ וְהֹודִיעֵֽנִי׃ 4
“आपने कहा था, ‘अब तुम चुप रहो; कि अब मैं संवाद कर सकूं, तब प्रश्न मैं करूंगा, कि तुम इनका उत्तर दो.’
לְשֵֽׁמַע־אֹ֥זֶן שְׁמַעְתִּ֑יךָ וְ֝עַתָּ֗ה עֵינִ֥י רָאָֽתְךָ׃ 5
इसके पूर्व आपका ज्ञान मेरे लिए मात्र समाचार ही था, किंतु अब आपको मेरी आंखें देख चुकी हैं.
עַל־כֵּ֭ן אֶמְאַ֣ס וְנִחַ֑מְתִּי עַל־עָפָ֥ר וָאֵֽפֶר׃ פ 6
इसलिये अब मैं स्वयं को घृणास्पद समझ रहा हूं, मैं इसके लिए धूल तथा भस्म में प्रायश्चित करता हूं.”
וַיְהִ֗י אַחַ֨ר דִּבֶּ֧ר יְהוָ֛ה אֶת־הַדְּבָרִ֥ים הָאֵ֖לֶּה אֶל־אִיֹּ֑וב וַיֹּ֨אמֶר יְהוָ֜ה אֶל־אֱלִיפַ֣ז הַתֵּֽימָנִ֗י חָרָ֨ה אַפִּ֤י בְךָ֙ וּבִשְׁנֵ֣י רֵעֶ֔יךָ כִּ֠י לֹ֣א דִבַּרְתֶּ֥ם אֵלַ֛י נְכֹונָ֖ה כְּעַבְדִּ֥י אִיֹּֽוב׃ 7
अय्योब से अपना आख्यान समाप्‍त करके याहवेह ने तेमानी एलिफाज़ से पूछा, “मैं तुमसे तथा तुम्हारे दोनों मित्रों से अप्रसन्‍न हूं, क्योंकि तुमने मेरे विषय में वह सब अभिव्यक्त नहीं किया, जो सही है, जैसा मेरे सेवक अय्योब ने प्रकट किया था.
וְעַתָּ֡ה קְחֽוּ־לָכֶ֣ם שִׁבְעָֽה־פָרִים֩ וְשִׁבְעָ֨ה אֵילִ֜ים וּלְכ֣וּ ׀ אֶל־עַבְדִּ֣י אִיֹּ֗וב וְהַעֲלִיתֶ֤ם עֹולָה֙ בּֽ͏ַעַדְכֶ֔ם וְאִיֹּ֣וב עַבְדִּ֔י יִתְפַּלֵּ֖ל עֲלֵיכֶ֑ם כִּ֧י אִם־פָּנָ֣יו אֶשָּׂ֗א לְבִלְתִּ֞י עֲשֹׂ֤ות עִמָּכֶם֙ נְבָלָ֔ה כִּ֠י לֹ֣א דִבַּרְתֶּ֥ם אֵלַ֛י נְכֹונָ֖ה כְּעַבְדִּ֥י אִיֹּֽוב׃ 8
तब अब तुम सात बछड़े तथा सात मेढ़े लो और मेरे सेवक अय्योब के पास जाकर अपने लिए होमबलि अर्पित करो तथा मेरा सेवक अय्योब तुम्हारे लिए प्रार्थना करेगा, क्योंकि मैं उसकी याचना स्वीकार कर लूंगा, कि तुम्हारी मूर्खता के अनुरूप व्यवहार न करूं, क्योंकि तुमने मेरे विषय में वह सब अभिव्यक्त नहीं किया, जो उपयुक्त था जैसा अय्योब ने किया था.”
וַיֵּלְכוּ֩ אֱלִיפַ֨ז הַתֵּֽימָנִ֜י וּבִלְדַּ֣ד הַשּׁוּחִ֗י צֹפַר֙ הַנַּ֣עֲמָתִ֔י וַֽיַּעֲשׂ֔וּ כַּאֲשֶׁ֛ר דִּבֶּ֥ר אֲלֵיהֶ֖ם יְהוָ֑ה וַיִּשָּׂ֥א יְהוָ֖ה אֶת־פְּנֵ֥י אִיֹּֽוב׃ 9
तब तेमानी एलिफाज़ ने, शूही बिलदद ने तथा नआमथी ज़ोफर ने याहवेह के आदेश के अनुसार अनुपालन किया तथा याहवेह ने अय्योब की याचना स्वीकार कर ली.
וַֽיהוָ֗ה שָׁ֚ב אֶת־שְׁבִית (שְׁב֣וּת) אִיֹּ֔וב בְּהִֽתְפַּֽלְלֹ֖ו בְּעַ֣ד רֵעֵ֑הוּ וַ֧יֹּסֶף יְהוָ֛ה אֶת־כָּל־אֲשֶׁ֥ר לְאִיֹּ֖וב לְמִשְׁנֶֽה׃ 10
जब अय्योब अपने मित्रों के लिए प्रार्थना कर चुके, तब याहवेह ने अय्योब की संपत्ति को पूर्वावस्था में कर दिया तथा जो कुछ अय्योब का था, उसे दो गुणा कर दिया.
וַיָּבֹ֣אוּ אֵ֠לָיו כָּל־אֶחָ֨יו וְכָל־אַחְיֹתָיו (אַחְיֹותָ֜יו) וְכָל־יֹדְעָ֣יו לְפָנִ֗ים וַיֹּאכְל֨וּ עִמֹּ֣ו לֶחֶם֮ בְּבֵיתֹו֒ וַיָּנֻ֤דוּ לֹו֙ וַיְנַחֲמ֣וּ אֹתֹ֔ו עַ֚ל כָּל־הָ֣רָעָ֔ה אֲשֶׁר־הֵבִ֥יא יְהוָ֖ה עָלָ֑יו וַיִּתְּנוּ־לֹ֗ו אִ֚ישׁ קְשִׂיטָ֣ה אֶחָ֔ת וְאִ֕ישׁ נֶ֥זֶם זָהָ֖ב אֶחָֽד׃ ס 11
कालांतर उनके समस्त भाई बहनों तथा पूर्व परिचितों ने उनके घर पर आकर भोज में उनके साथ संगति की. उन्होंने उन पर याहवेह द्वारा समस्त विपत्तियों के संबंध में सहानुभूति एवं सांत्वना दी. उनमें से हर एक ने अय्योब को धनराशि एवं सोने के सिक्‍के भेंट में दिये.
וַֽיהוָ֗ה בֵּרַ֛ךְ אֶת־אַחֲרִ֥ית אִיֹּ֖וב מֵרֵאשִׁתֹ֑ו וַֽיְהִי־לֹ֡ו אַרְבָּעָה֩ עָשָׂ֨ר אֶ֜לֶף צֹ֗אן וְשֵׁ֤שֶׁת אֲלָפִים֙ גְּמַלִּ֔ים וְאֶֽלֶף־צֶ֥מֶד בָּקָ֖ר וְאֶ֥לֶף אֲתֹונֹֽות׃ 12
याहवेह ने अय्योब के इन उत्तर वर्षों को उनके पूर्व वर्षों की अपेक्षा कहीं अधिक आशीषित किया. उनकी संपत्ति में अब चौदह हजार भेड़ें, छः हजार ऊंट, एक हजार जोड़े बैल तथा एक हजार गधियां हो गईं.
וַֽיְהִי־לֹ֛ו שִׁבְעָ֥נָה בָנִ֖ים וְשָׁלֹ֥ושׁ בָּנֹֽות׃ 13
उनके सात पुत्र एवं तीन पुत्रियां हुईं.
וַיִּקְרָ֤א שֵׁם־הָֽאַחַת֙ יְמִימָ֔ה וְשֵׁ֥ם הַשֵּׁנִ֖ית קְצִיעָ֑ה וְשֵׁ֥ם הַשְּׁלִישִׁ֖ית קֶ֥רֶן הַפּֽוּךְ׃ 14
पहली पुत्री का नाम उन्होंने यमीमाह, दूसरी का केज़ीआह, तीसरी का केरेन-हप्पूख रखा.
וְלֹ֨א נִמְצָ֜א נָשִׁ֥ים יָפֹ֛ות כִּבְנֹ֥ות אִיֹּ֖וב בְּכָל־הָאָ֑רֶץ וַיִּתֵּ֨ן לָהֶ֧ם אֲבִיהֶ֛ם נַחֲלָ֖ה בְּתֹ֥וךְ אֲחֵיהֶֽם׃ ס 15
समस्त देश में अय्योब की पुत्रियों समान सौंदर्य अन्यत्र नहीं थी. उनके पिता ने उन्हें उनके भाइयों के साथ ही मीरास दी.
וַיְחִ֤י אִיֹּוב֙ אַֽחֲרֵי־זֹ֔את מֵאָ֥ה וְאַרְבָּעִ֖ים שָׁנָ֑ה וַיַּרְא (וַיִּרְאֶ֗ה) אֶת־בָּנָיו֙ וְאֶת־בְּנֵ֣י בָנָ֔יו אַרְבָּעָ֖ה דֹּרֹֽות׃ 16
इसके बाद अय्योब एक सौ चालीस वर्ष और जीवित रहे. उन्होंने चार पीढ़ियों तक अपने पुत्र तथा पौत्र देखे.
וַיָּ֣מָת אִיֹּ֔וב זָקֵ֖ן וּשְׂבַ֥ע יָמִֽים׃ 17
वृद्ध अय्योब अपनी पूर्ण परिपक्व आयु में चले गये.

< אִיּוֹב 42 >