< אִיּוֹב 22 >

וַ֭יַּעַן אֱלִיפַ֥ז הַֽתֵּמָנִ֗י וַיֹּאמַֽר׃ 1
तब तेमानवासी एलिफाज़ ने प्रत्युत्तर में कहा:
הַלְאֵ֥ל יִסְכָּן־גָּ֑בֶר כִּֽי־יִסְכֹּ֖ן עָלֵ֣ימֹו מַשְׂכִּֽיל׃ 2
“क्या कोई बलवान पुरुष परमेश्वर के लिए उपयोगी हो सकता है? अथवा क्या कोई बुद्धिमान स्वयं का कल्याण कर सकता है?
הַחֵ֣פֶץ לְ֭שַׁדַּי כִּ֣י תִצְדָּ֑ק וְאִם־בֶּ֝֗צַע כִּֽי־תַתֵּ֥ם דְּרָכֶֽיךָ׃ 3
क्या तुम्हारी खराई सर्वशक्तिमान के लिए आनंद है? अथवा क्या तुम्हारा त्रुटिहीन चालचलन लाभकारी होता है?
הֲ֭‌ֽמִיִּרְאָ֣תְךָ יֹכִיחֶ֑ךָ יָבֹ֥וא עִ֝מְּךָ֗ בַּמִּשְׁפָּֽט׃ 4
“क्या तुम्हारे द्वारा दिया गया सम्मान तुम्हें उनके सामने स्वीकार्य बना देता है, कि वह तुम्हारे विरुद्ध न्याय करने लगते हैं?
הֲלֹ֣א רָעָֽתְךָ֣ רַבָּ֑ה וְאֵֽין־קֵ֝֗ץ לַעֲוֹנֹתֶֽיךָ׃ 5
क्या तुम्हारी बुराई बहुत नहीं कही जा सकती? क्या तुम्हारे पाप का अंत नहीं?
כִּֽי־תַחְבֹּ֣ל אַחֶ֣יךָ חִנָּ֑ם וּבִגְדֵ֖י עֲרוּמִּ֣ים תַּפְשִֽׁיט׃ 6
क्यों तुमने अकारण अपने भाइयों का बंधक रख लिया है, तथा मनुष्यों को विवस्त्र कर छोड़ा है?
לֹא־מַ֭יִם עָיֵ֣ף תַּשְׁקֶ֑ה וּ֝מֵרָעֵ֗ב תִּֽמְנַֽע־לָֽחֶם׃ 7
थके मांदे से तुमने पेय जल के लिए तक न पूछा, भूखे से तुमने भोजन छिपा रखा है.
וְאִ֣ישׁ זְ֭רֹועַ לֹ֣ו הָאָ֑רֶץ וּנְשׂ֥וּא פָ֝נִ֗ים יֵ֣שֶׁב בָּֽהּ׃ 8
किंतु पृथ्वी पर बलवानों का अधिकार है, इसके निवासी सम्मान्य व्यक्ति हैं.
אַ֭לְמָנֹות שִׁלַּ֣חְתָּ רֵיקָ֑ם וּזְרֹעֹ֖ות יְתֹמִ֣ים יְדֻכָּֽא׃ 9
तुमने विधवाओं को निराश लौटा दिया है पितृहीनों का बल कुचल दिया गया है.
עַל־כֵּ֭ן סְבִיבֹותֶ֣יךָ פַחִ֑ים וִֽ֝יבַהֶלְךָ פַּ֣חַד פִּתְאֹֽם׃ 10
यही कारण है कि तुम्हारे चारों ओर फंदे फैले हैं, आतंक ने तुम्हें भयभीत कर रखा है,
אֹו־חֹ֥שֶׁךְ לֹֽא־תִרְאֶ֑ה וְֽשִׁפְעַת־מַ֥יִם תְּכַסֶּֽךָּ׃ 11
संभवतः यह अंधकार है कि तुम दृष्टिहीन हो जाओ, एक बड़ी जल राशि में तुम जलमग्न हो चुके हो.
הֲ‍ֽלֹא־אֱ֭לֹוהַּ גֹּ֣בַהּ שָׁמָ֑יִם וּרְאֵ֤ה רֹ֖אשׁ כֹּוכָבִ֣ים כִּי־רָֽמּוּ׃ 12
“क्या परमेश्वर स्वर्ग में विराजमान नहीं हैं? दूर के तारों पर दृष्टि डालो. कितनी ऊंचाई पर हैं वे!
וְֽ֭אָמַרְתָּ מַה־יָּ֣דַֽע אֵ֑ל הַבְעַ֖ד עֲרָפֶ֣ל יִשְׁפֹּֽוט׃ 13
तुम पूछ रहे हो, ‘क्या-क्या मालूम है परमेश्वर को?’ क्या घोर अंधकार में भी उन्हें स्थिति बोध हो सकता है?
עָבִ֣ים סֵֽתֶר־לֹ֖ו וְלֹ֣א יִרְאֶ֑ה וְח֥וּג שָׁ֝מַ֗יִם יִתְהַלָּֽךְ׃ 14
मेघ उनके लिए छिपने का साधन हो जाते हैं, तब वह देख सकते हैं; वह तो नभोमण्डल में चलते फिरते हैं.
הַאֹ֣רַח עֹולָ֣ם תִּשְׁמֹ֑ר אֲשֶׁ֖ר דָּרְכ֣וּ מְתֵי־אָֽוֶן׃ 15
क्या तुम उस प्राचीन मार्ग पर चलते रहोगे, जो दुर्वृत्तों का मार्ग हुआ करता था?
אֲשֶֽׁר־קֻמְּט֥וּ וְלֹא־עֵ֑ת נָ֝הָ֗ר יוּצַ֥ק יְסֹודָֽם׃ 16
जिन्हें समय से पूर्व ही उठा लिया गया, जिनकी तो नींव ही नदी अपने प्रवाह में बहा ले गई?
הָאֹמְרִ֣ים לָ֭אֵל ס֣וּר מִמֶּ֑נּוּ וּמַה־יִּפְעַ֖ל שַׁדַּ֣י לָֽמֹו׃ 17
वे परमेश्वर से आग्रह करते, ‘हमसे दूर चले जाइए!’ तथा यह भी ‘सर्वशक्तिमान उनका क्या बिगाड़ लेगा?’
וְה֤וּא מִלֵּ֣א בָתֵּיהֶ֣ם טֹ֑וב וַעֲצַ֥ת רְ֝שָׁעִ֗ים רָ֣חֲקָה מֶֽנִּי׃ 18
फिर भी परमेश्वर ने उनके घरों को उत्तम वस्तुओं से भर रखा है, किंतु उन दुर्वृत्तों की युक्ति मेरी समझ से परे है.
יִרְא֣וּ צַדִּיקִ֣ים וְיִשְׂמָ֑חוּ וְ֝נָקִ֗י יִלְעַג־לָֽמֹו׃ 19
यह देख धार्मिक उल्‍लसित हो रहे हैं तथा वे; जो निर्दोष हैं, उनका उपहास कर रहे हैं.
אִם־לֹ֣א נִכְחַ֣ד קִימָ֑נוּ וְ֝יִתְרָ֗ם אָ֣כְלָה אֵֽשׁ׃ 20
उनका नारा है, ‘यह सत्य है कि हमारे शत्रु मिटा दिए गए हैं, उनकी समृद्धि को अग्नि भस्म कर चुकी है.’
הַסְכֶּן־נָ֣א עִמֹּ֑ו וּשְׁלם בָּ֝הֶ֗ם תְּֽבֹואַתְךָ֥ טֹובָֽה׃ 21
“अब भी समर्पण करके परमेश्वर से मेल कर लो; तब तो तुम्हारे कल्याण की संभावना है.
קַח־נָ֣א מִפִּ֣יו תֹּורָ֑ה וְשִׂ֥ים אֲ֝מָרָ֗יו בִּלְבָבֶֽךָ׃ 22
कृपया उनसे शिक्षा ग्रहण कर लो. उनके शब्दों को मन में रख लो.
אִם־תָּשׁ֣וּב עַד־שַׁ֭דַּי תִּבָּנֶ֑ה תַּרְחִ֥יק עַ֝וְלָ֗ה מֵאָהֳלֶֽךָ׃ 23
यदि तुम सर्वशक्तिमान की ओर मुड़कर समीप हो जाओ, तुम पहले की तरह हो जाओगे: यदि तुम अपने घर में से बुराई को दूर कर दोगे,
וְשִׁית־עַל־עָפָ֥ר בָּ֑צֶר וּבְצ֖וּר נְחָלִ֣ים אֹופִֽיר׃ 24
यदि तुम अपने स्वर्ण को भूमि में दबा दोगे, उस स्वर्ण को, जो ओफीर से लाया गया है, उसे नदियों के पत्थरों के मध्य छिपा दोगे,
וְהָיָ֣ה שַׁדַּ֣י בְּצָרֶ֑יךָ וְכֶ֖סֶף תֹּועָפֹ֣ות לָֽךְ׃ 25
तब सर्वशक्तिमान स्वयं तुम्हारे लिए स्वर्ण हो जाएंगे हां, उत्कृष्ट चांदी.
כִּי־אָ֭ז עַל־שַׁדַּ֣י תִּתְעַנָּ֑ג וְתִשָּׂ֖א אֶל־אֱלֹ֣והַּ פָּנֶֽיךָ׃ 26
तुम परमेश्वर की ओर दृष्टि करोगे, तब सर्वशक्तिमान तुम्हारे परमानंद हो जाएंगे.
תַּעְתִּ֣יר אֵ֭לָיו וְיִשְׁמָעֶ֑ךָּ וּנְדָרֶ֥יךָ תְשַׁלֵּֽם׃ 27
जब तुम उनसे प्रार्थना करोगे, वह तुम्हारी सुन लेंगे, इसके अतिरिक्त तुम अपनी मन्‍नतें भी पूर्ण करोगे.
וְֽתִגְזַר־אֹ֖ומֶר וְיָ֣קָם לָ֑ךְ וְעַל־דְּ֝רָכֶ֗יךָ נָ֣גַֽהּ אֹֽור׃ 28
तुम किसी विषय की कामना करोगे और वह तुम्हारे लिए सफल हो जाएगा, इसके अतिरिक्त तुम्हारा रास्ता भी प्रकाशित हो जाएगा.
כִּֽי־הִ֭שְׁפִּילוּ וַתֹּ֣אמֶר גֵּוָ֑ה וְשַׁ֖ח עֵינַ֣יִם יֹושִֽׁעַ׃ 29
उस स्थिति में जब तुम पूर्णतः हताश हो जाओगे, तुम्हारी बातें तुम्हारा ‘आत्मविश्वास प्रकट करेंगी!’ परमेश्वर विनीत व्यक्ति को रक्षा प्रदान करते हैं.
יֽ͏ְמַלֵּ֥ט אִֽי־נָקִ֑י וְ֝נִמְלַ֗ט בְּבֹ֣ר כַּפֶּֽיךָ׃ פ 30
निर्दोष को परमेश्वर सुरक्षा प्रदान करते हैं, वह निर्दोष तुम्हारे ही शुद्ध कामों के कारण छुड़ाया जाएगा.”

< אִיּוֹב 22 >