< אִיּוֹב 18 >
וַ֭יַּעַן בִּלְדַּ֥ד הַשֻּׁחִ֗י וַיֹּאמַֽר׃ | 1 |
तब बिलदद शूखी ने जवाब दिया,
עַד־אָ֤נָה ׀ תְּשִׂימ֣וּן קִנְצֵ֣י לְמִלִּ֑ין תָּ֝בִ֗ינוּ וְאַחַ֥ר נְדַבֵּֽר׃ | 2 |
तुम कब तक लफ़्ज़ों की जुस्तुजू में रहोगे ग़ौर कर लो फ़िर हम बोलेंगे
מַ֭דּוּעַ נֶחְשַׁ֣בְנוּ כַבְּהֵמָ֑ה נִ֝טְמִ֗ינוּ בְּעֵינֵיכֶֽם׃ | 3 |
हम क्यूँ जानवरों की तरह समझे जाते हैं, और तुम्हारी नज़र में नापाक ठहरे हैं।
טֹֽרֵ֥ף נַפְשֹׁ֗ו בְּאַ֫פֹּ֥ו הַ֭לְמַעַנְךָ תֵּעָ֣זַב אָ֑רֶץ וְיֶעְתַּק־צ֝֗וּר מִמְּקֹמֹֽו׃ | 4 |
तू जो अपने क़हर में अपने को फाड़ता है तो क्या ज़मीन तेरी वजह से उजड़ जाएगी या चट्टान अपनी जगह से हटा दी जाएगी
גַּ֤ם אֹ֣ור רְשָׁעִ֣ים יִדְעָ֑ךְ וְלֹֽא־יִ֝גַּ֗הּ שְׁבִ֣יב אִשֹּֽׁו׃ | 5 |
बल्कि शरीर का चराग़ गुल कर दिया जाएगा और उसकी आग का शो'ला बे नूर हो जाएगा
אֹ֖ור חָשַׁ֣ךְ בְּאָהֳלֹ֑ו וְ֝נֵרֹ֗ו עָלָ֥יו יִדְעָֽךְ׃ | 6 |
रोशनी उसके ख़ेमे में तरीकी हो जाएगी और जो चराग ऊसके उपर है, बुझा दिया जाएगा
יֵֽ֭צְרוּ צַעֲדֵ֣י אֹונֹ֑ו וְֽתַשְׁלִיכֵ֥הוּ עֲצָתֹֽו׃ | 7 |
उसकी क़ुव्वत के क़दम छोटे किए जाएँगे और उसी की मसलहत उसे नेचे गिराएगी।
כִּֽי־שֻׁלַּ֣ח בְּרֶ֣שֶׁת בְּרַגְלָ֑יו וְעַל־שְׂ֝בָכָ֗ה יִתְהַלָּֽךְ׃ | 8 |
क्यूँकि वह अपने ही पाँव से जाल में फँसता है और फँदों पर चलता है
יֹאחֵ֣ז בְּעָקֵ֣ב פָּ֑ח יַחֲזֵ֖ק עָלָ֣יו צַמִּֽים׃ | 9 |
दाम उसकी एड़ी को पकड़ेगा, और जाल उसको फँसा लेगा।
טָמ֣וּן בָּאָ֣רֶץ חַבְלֹ֑ו וּ֝מַלְכֻּדְתֹּ֗ו עֲלֵ֣י נָתִֽיב׃ | 10 |
कमन्द उसके लिए ज़मीन में छिपा दी गई है, और फंदा उसके लिए रास्ते में रख्खा गया है।
סָ֭בִיב בִּֽעֲתֻ֣הוּ בַלָּהֹ֑ות וֶהֱפִיצֻ֥הוּ לְרַגְלָֽיו׃ | 11 |
दहशत नाक चीज़ें हर तरफ़ से उसे डराएँगी, और उसके दर पे होकर उसे भगाएंगी।
יְהִי־רָעֵ֥ב אֹנֹ֑ו וְ֝אֵ֗יד נָכֹ֥ון לְצַלְעֹֽו׃ | 12 |
उसका ज़ोर भूक का मारा होगा और आफ़त उसके शामिल — ए — हाल रहेगी।
יֹ֭אכַל בַּדֵּ֣י עֹורֹ֑ו יֹאכַ֥ל בַּ֝דָּ֗יו בְּכֹ֣ור מָֽוֶת׃ | 13 |
वह उसके जिस्म के आ'ज़ा को खा जाएगी बल्कि मौत का पहलौठा उसके आ'ज़ा को चट कर जाएगी।
יִנָּתֵ֣ק מֵ֭אָהֳלֹו מִבְטַחֹ֑ו וְ֝תַצְעִדֵ֗הוּ לְמֶ֣לֶךְ בַּלָּהֹֽות׃ | 14 |
वह अपने ख़ेमे से जिस पर उसको भरोसा है उखाड़ दिया जाएगा, और दहशत के बादशाह के पास पहुंचाया जाएगा।
תִּשְׁכֹּ֣ון בְּ֭אָהֳלֹו מִבְּלִי־לֹ֑ו יְזֹרֶ֖ה עַל־נָוֵ֣הוּ גָפְרִֽית׃ | 15 |
और वह जो उसका नहीं, उसके ख़ेमे में बसेगा; उसके मकान पर गंधक छितराई जाएगी।
מִ֭תַּחַת שָֽׁרָשָׁ֣יו יִבָ֑שׁוּ וּ֝מִמַּ֗עַל יִמַּ֥ל קְצִירֹֽו׃ | 16 |
नीचे उसकी जड़ें सुखाई जाएँगी, और ऊपर उसकी डाली काटी जाएगी।
זִֽכְרֹו־אָ֭בַד מִנִּי־אָ֑רֶץ וְלֹא־שֵׁ֥ם לֹ֝֗ו עַל־פְּנֵי־חֽוּץ׃ | 17 |
उसकी यादगार ज़मीन पर से मिट जाएगी, और कूचों' में उसका नाम न होगा।
יֶ֭הְדְּפֻהוּ מֵאֹ֣ור אֶל־חֹ֑שֶׁךְ וּֽמִתֵּבֵ֥ל יְנִדֻּֽהוּ׃ | 18 |
वह रोशनी से अंधेरे में हँका दिया जाएगा, और दुनिया से खदेड़ दिया जाएगा।
לֹ֘א נִ֤ין לֹ֣ו וְלֹא־נֶ֣כֶד בְּעַמֹּ֑ו וְאֵ֥ין שָׂ֝רִ֗יד בִּמְגוּרָֽיו׃ | 19 |
उसके लोगों में उसका न कोई बेटा होगा न पोता, और जहाँ वह टिका हुआ था, वहाँ कोई उसका बाक़ी न रहेगा।
עַל־יֹ֖ומֹו נָשַׁ֣מּוּ אַחֲרֹנִ֑ים וְ֝קַדְמֹנִ֗ים אָ֣חֲזוּ שָֽׂעַר׃ | 20 |
वह जो पीछे आनेवाले हैं, उसके दिन पर हैरान होंगे, जैसे वह जो पहले हुए डर गए थे।
אַךְ־אֵ֭לֶּה מִשְׁכְּנֹ֣ות עַוָּ֑ל וְ֝זֶ֗ה מְקֹ֣ום לֹא־יָדַֽע־אֵֽל׃ ס | 21 |
नारास्तों के घर यक़ीनन ऐसे ही हैं, और जो ख़ुदा को नहीं पहचानता उसकी जगह ऐसी ही है।