< יִרְמְיָהוּ 31 >
בָּעֵ֤ת הַהִיא֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה אֶֽהְיֶה֙ לֵֽאלֹהִ֔ים לְכֹ֖ל מִשְׁפְּחֹ֣ות יִשְׂרָאֵ֑ל וְהֵ֖מָּה יִֽהְיוּ־לִ֥י לְעָֽם׃ ס | 1 |
ख़ुदावन्द फ़रमाता है, मैं उस वक़्त इस्राईल के सब घरानों का ख़ुदा हूँगा और वह मेरे लोग होंगे।
כֹּ֚ה אָמַ֣ר יְהוָ֔ה מָצָ֥א חֵן֙ בַּמִּדְבָּ֔ר עַ֖ם שְׂרִ֣ידֵי חָ֑רֶב הָלֹ֥וךְ לְהַרְגִּיעֹ֖ו יִשְׂרָאֵֽל׃ | 2 |
ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि: इस्राईल में से जो लोग तलवार से बचे, जब वह राहत की तलाश में गए तो वीराने में मक़बूल ठहरे।
מֵרָחֹ֕וק יְהוָ֖ה נִרְאָ֣ה לִ֑י וְאַהֲבַ֤ת עֹולָם֙ אֲהַבְתִּ֔יךְ עַל־כֵּ֖ן מְשַׁכְתִּ֥יךְ חָֽסֶד׃ | 3 |
“ख़ुदावन्द फहले से मुझ पर ज़ाहिर हुआ और कहा कि मैंने तुझ से हमेशा की मुहब्बत रख्खी; इसीलिए मैंने अपनी शफ़क़त तुझ पर बढ़ाई।
עֹ֤וד אֶבְנֵךְ֙ וְֽנִבְנֵ֔ית בְּתוּלַ֖ת יִשְׂרָאֵ֑ל עֹ֚וד תַּעְדִּ֣י תֻפַּ֔יִךְ וְיָצָ֖את בִּמְחֹ֥ול מְשַׂחֲקִֽים׃ | 4 |
ऐ इस्राईल की कुँवारी! मैं तुझे फिर आबाद करूँगा और तू आबाद हो जाएगी; तू फिर दफ़ उठाकर आरास्ता होगी, और ख़ुशी करने वालों के नाच में शामिल होने को निकलेगी।
עֹ֚וד תִּטְּעִ֣י כְרָמִ֔ים בְּהָרֵ֖י שֹֽׁמְרֹ֑ון נָטְע֥וּ נֹטְעִ֖ים וְחִלֵּֽלוּ׃ | 5 |
तू फिर सामरिया के पहाड़ों पर ताकिस्तान लगाएगी, बाग़ लगाने वाले लगायेंगे और उसका फल खाएँगे।
כִּ֣י יֶשׁ־יֹ֔ום קָרְא֥וּ נֹצְרִ֖ים בְּהַ֣ר אֶפְרָ֑יִם ק֚וּמוּ וְנַעֲלֶ֣ה צִיֹּ֔ון אֶל־יְהוָ֖ה אֱלֹהֵֽינוּ׃ פ | 6 |
क्यूँकि एक दिन आएगा कि इफ़्राईम की पहाड़ियों पर निगहबान पुकारेंगे कि 'उठो, हम सिय्यून पर ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के सामने चलें।”
כִּי־כֹ֣ה ׀ אָמַ֣ר יְהוָ֗ה רָנּ֤וּ לְיַֽעֲקֹב֙ שִׂמְחָ֔ה וְצַהֲל֖וּ בְּרֹ֣אשׁ הַגֹּויִ֑ם הַשְׁמִ֤יעוּ הַֽלְלוּ֙ וְאִמְר֔וּ הֹושַׁ֤ע יְהוָה֙ אֶֽת־עַמְּךָ֔ אֵ֖ת שְׁאֵרִ֥ית יִשְׂרָאֵֽל׃ | 7 |
क्यूँकि ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि: या'क़ूब के लिए ख़ुशी से गाओ और क़ौमों के सरताज के लिए ललकारो; 'ऐलान करो, हम्द करो और कहो, 'ऐ ख़ुदावन्द, अपने लोगों को, या'नी इस्राईल के बक़िये को बचा।
הִנְנִי֩ מֵבִ֨יא אֹותָ֜ם מֵאֶ֣רֶץ צָפֹ֗ון וְקִבַּצְתִּים֮ מִיַּרְכְּתֵי־אָרֶץ֒ בָּ֚ם עִוֵּ֣ר וּפִסֵּ֔חַ הָרָ֥ה וְיֹלֶ֖דֶת יַחְדָּ֑ו קָהָ֥ל גָּדֹ֖ול יָשׁ֥וּבוּ הֵֽנָּה׃ | 8 |
देखो, मैं उत्तरी मुल्क से उनको लाऊँगा, और ज़मीन की सरहदों से उनको जमा' करूँगा, और उनमें अंधे, और लंगड़े, और हामिला और ज़च्चा सब होंगे; उनकी बड़ी जमा'अत यहाँ वापस आएगी।
בִּבְכִ֣י יָבֹ֗אוּ וּֽבְתַחֲנוּנִים֮ אֹֽובִילֵם֒ אֹֽולִיכֵם֙ אֶל־נַ֣חֲלֵי מַ֔יִם בְּדֶ֣רֶךְ יָשָׁ֔ר לֹ֥א יִכָּשְׁל֖וּ בָּ֑הּ כִּֽי־הָיִ֤יתִי לְיִשְׂרָאֵל֙ לְאָ֔ב וְאֶפְרַ֖יִם בְּכֹ֥רִי הֽוּא׃ ס | 9 |
वह रोते और मुनाजात करते हुए आएँगे, मैं उनकी रहबरी करूँगा; मैं उनको पानी की नदियों की तरफ़ राह — ए — रास्त पर चलाऊँगा, जिसमें वह ठोकर न खाएँगे; क्यूँकि मैं इस्राईल का बाप हूँ और इफ़्राईम मेरा पहलौठा है।
שִׁמְע֤וּ דְבַר־יְהוָה֙ גֹּויִ֔ם וְהַגִּ֥ידוּ בָאִיִּ֖ים מִמֶּרְחָ֑ק וְאִמְר֗וּ מְזָרֵ֤ה יִשְׂרָאֵל֙ יְקַבְּצֶ֔נּוּ וּשְׁמָרֹ֖ו כְּרֹעֶ֥ה עֶדְרֹֽו׃ | 10 |
“ऐ क़ौमों, ख़ुदावन्द का कलाम सुनो, और दूर के जज़ीरों में 'ऐलान करो; और कहो, 'जिसने इस्राईल को तितर — बितर किया, वही उसे जमा' करेगा और उसकी ऐसी निगहबानी करेगा, जैसी गड़रिया अपने गल्ले की,
כִּֽי־פָדָ֥ה יְהוָ֖ה אֶֽת־יַעֲקֹ֑ב וּגְאָלֹ֕ו מִיַּ֖ד חָזָ֥ק מִמֶּֽנּוּ׃ | 11 |
क्यूँकि ख़ुदावन्द ने या'क़ूब का फ़िदिया दिया है, और उसे उसके हाथ से जो उससे ताक़तवर था रिहाई बख़्शी है।
וּבָאוּ֮ וְרִנְּנ֣וּ בִמְרֹום־צִיֹּון֒ וְנָהֲר֞וּ אֶל־ט֣וּב יְהוָ֗ה עַל־דָּגָן֙ וְעַל־תִּירֹ֣שׁ וְעַל־יִצְהָ֔ר וְעַל־בְּנֵי־צֹ֖אן וּבָקָ֑ר וְהָיְתָ֤ה נַפְשָׁם֙ כְּגַ֣ן רָוֶ֔ה וְלֹא־יֹוסִ֥יפוּ לְדַאֲבָ֖ה עֹֽוד׃ | 12 |
तब वह आएँगे और सिय्यून की चोटी पर गाएँगे, और ख़ुदावन्द की ने'मतों या'नी अनाज और मय और तेल, और गाय — बैल के और भेड़ — बकरी के बच्चों की तरफ़ इकट्ठे रवाँ होंगे; और उनकी जान सैराब बाग़ की तरह होगी, और वह फिर कभी ग़मज़दा न होंगे।
אָ֣ז תִּשְׂמַ֤ח בְּתוּלָה֙ בְּמָחֹ֔ול וּבַחֻרִ֥ים וּזְקֵנִ֖ים יַחְדָּ֑ו וְהָפַכְתִּ֨י אֶבְלָ֤ם לְשָׂשֹׂון֙ וְנִ֣חַמְתִּ֔ים וְשִׂמַּחְתִּ֖ים מִיגֹונָֽם׃ | 13 |
उस वक़्त कुवाँरियाँ और पीर — ओ — जवान ख़ुशी से रक़्स करेंगे, क्यूँकि मैं उनके ग़म को ख़ुशी से बदल दूँगा और उनको तसल्ली देकर ग़म के बाद ख़ुश करूँगा।
וְרִוֵּיתִ֛י נֶ֥פֶשׁ הַכֹּהֲנִ֖ים דָּ֑שֶׁן וְעַמִּ֛י אֶת־טוּבִ֥י יִשְׂבָּ֖עוּ נְאֻם־יְהוָֽה׃ ס | 14 |
मैं काहिनों की जान को चिकनाई से सेर करूँगा, और मेरे लोग मेरी ने'मतों से आसूदा होंगे, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।”
כֹּ֣ה ׀ אָמַ֣ר יְהוָ֗ה קֹ֣ול בְּרָמָ֤ה נִשְׁמָע֙ נְהִי֙ בְּכִ֣י תַמְרוּרִ֔ים רָחֵ֖ל מְבַכָּ֣ה עַל־בָּנֶ֑יהָ מֵאֲנָ֛ה לְהִנָּחֵ֥ם עַל־בָּנֶ֖יהָ כִּ֥י אֵינֶֽנּוּ׃ ס | 15 |
ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि: “रामा में एक आवाज़ सुनाई दी, नौहा और ज़ार — ज़ार रोना; राख़िल अपने बच्चों को रो रही है, वह अपने बच्चों के बारे में तसल्ली पज़ीर नहीं होती, क्यूँकि वह नहीं हैं।”
כֹּ֣ה ׀ אָמַ֣ר יְהוָ֗ה מִנְעִ֤י קֹולֵךְ֙ מִבֶּ֔כִי וְעֵינַ֖יִךְ מִדִּמְעָ֑ה כִּי֩ יֵ֨שׁ שָׂכָ֤ר לִפְעֻלָּתֵךְ֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה וְשָׁ֖בוּ מֵאֶ֥רֶץ אֹויֵֽב׃ | 16 |
ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि: अपनी रोने की आवाज़ को रोक, और अपनी आँखों को आँसुओं से बाज़ रख; क्यूँकि तेरी मेहनत के लिए बदला है, ख़ुदावन्द फ़रमाता है; और वह दुश्मन के मुल्क से वापस आएँगे।
וְיֵשׁ־תִּקְוָ֥ה לְאַחֲרִיתֵ֖ךְ נְאֻם־יְהוָ֑ה וְשָׁ֥בוּ בָנִ֖ים לִגְבוּלָֽם׃ ס | 17 |
और ख़ुदावन्द फ़रमाता है, तेरी 'आक़बत के बारे में उम्मीद है क्यूँकि तेरे बच्चे फिर अपनी हदों में दाख़िल होंगे।
שָׁמֹ֣ועַ שָׁמַ֗עְתִּי אֶפְרַ֙יִם֙ מִתְנֹודֵ֔ד יִסַּרְתַּ֙נִי֙ וָֽאִוָּסֵ֔ר כְּעֵ֖גֶל לֹ֣א לֻמָּ֑ד הֲשִׁיבֵ֣נִי וְאָשׁ֔וּבָה כִּ֥י אַתָּ֖ה יְהוָ֥ה אֱלֹהָֽי׃ | 18 |
हक़ीक़त में मैंने इफ़्राईम को अपने आप पर यूँ मातम करते सुना, 'तू ने मुझे तम्बीह की, और मैंने उस बछड़े की तरह जो सधाया नहीं गया तम्बीह पाई। तू मुझे फेर तो मैं फिरूँगा, क्यूँकि तू ही मेरा ख़ुदावन्द ख़ुदा है।
כִּֽי־אַחֲרֵ֤י שׁוּבִי֙ נִחַ֔מְתִּי וְאַֽחֲרֵי֙ הִוָּ֣דְעִ֔י סָפַ֖קְתִּי עַל־יָרֵ֑ךְ בֹּ֚שְׁתִּי וְגַם־נִכְלַ֔מְתִּי כִּ֥י נָשָׂ֖אתִי חֶרְפַּ֥ת נְעוּרָֽי׃ | 19 |
क्यूँकि फिरने के बाद मैंने तौबा की, और तरबियत पाने के बाद मैंने अपनी रान पर हाथ मारा; मैं शर्मिन्दा बल्कि परेशान ख़ातिर हुआ, इसलिए कि मैंने अपनी जवानी की मलामत उठाई थी।
הֲבֵן֩ יַקִּ֨יר לִ֜י אֶפְרַ֗יִם אִ֚ם יֶ֣לֶד שַׁעֲשֻׁעִ֔ים כִּֽי־מִדֵּ֤י דַבְּרִי֙ בֹּ֔ו זָכֹ֥ר אֶזְכְּרֶ֖נּוּ עֹ֑וד עַל־כֵּ֗ן הָמ֤וּ מֵעַי֙ לֹ֔ו רַחֵ֥ם אֲֽרַחֲמֶ֖נּוּ נְאֻם־יְהוָֽה׃ ס | 20 |
क्या इफ़्राईम मेरा प्यारा बेटा है? क्या वह पसन्दीदा फ़र्ज़न्द है? क्यूँकि जब — जब मैं उसके ख़िलाफ़ कुछ कहता हूँ, तो उसे जी जान से याद करता हूँ। इसलिए मेरा दिल उसके लिए बेताब है; मैं यक़ीनन उस पर रहमत करूँगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
הַצִּ֧יבִי לָ֣ךְ צִיֻּנִ֗ים שִׂ֤מִי לָךְ֙ תַּמְרוּרִ֔ים שִׁ֣תִי לִבֵּ֔ךְ לַֽמְסִלָּ֖ה דֶּ֣רֶךְ הָלָכְתִּי (הָלָ֑כְתְּ) שׁ֚וּבִי בְּתוּלַ֣ת יִשְׂרָאֵ֔ל שֻׁ֖בִי אֶל־עָרַ֥יִךְ אֵֽלֶּה׃ | 21 |
“अपने लिए सुतून खड़े कर, अपने लिए खम्बे बना; उस शाहराह पर दिल लगा, हाँ, उसी राह से जिससे तू गई थी वापस आ। ऐ इस्राईल की कुँवारी, अपने इन शहरों में वापस आ।
עַד־מָתַי֙ תִּתְחַמָּקִ֔ין הַבַּ֖ת הַשֹּֽׁובֵבָ֑ה כִּֽי־בָרָ֨א יְהוָ֤ה חֲדָשָׁה֙ בָּאָ֔רֶץ נְקֵבָ֖ה תְּסֹ֥ובֵֽב גָּֽבֶר׃ ס | 22 |
ऐ नाफ़रमान बेटी, तू कब तक आवारा फिरेगी? क्यूँकि ख़ुदावन्द ने ज़मीन पर एक नई चीज़ पैदा की है, कि 'औरत मर्द की हिमायत करेगी।”
כֹּֽה־אָמַ֞ר יְהוָ֤ה צְבָאֹות֙ אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל עֹ֣וד יֹאמְר֞וּ אֶת־הַדָּבָ֣ר הַזֶּ֗ה בְּאֶ֤רֶץ יְהוּדָה֙ וּבְעָרָ֔יו בְּשׁוּבִ֖י אֶת־שְׁבוּתָ֑ם יְבָרֶכְךָ֧ יְהוָ֛ה נְוֵה־צֶ֖דֶק הַ֥ר הַקֹּֽדֶשׁ׃ | 23 |
रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल का ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: “जब मैं उनके ग़ुलामों को वापस लाऊँगा, तो वह यहूदाह के मुल्क और उसके शहरों में फिर यूँ कहेंगे, ऐ सदाक़त के घर, ऐ कोह — ए — मुक़द्दस, ख़ुदावन्द तुझे बरकत बख़्शे।”
וְיָ֥שְׁבוּ בָ֛הּ יְהוּדָ֥ה וְכָל־עָרָ֖יו יַחְדָּ֑ו אִכָּרִ֕ים וְנָסְע֖וּ בַּעֵֽדֶר׃ | 24 |
और यहूदाह और उसके सब शहर उसमें इकट्ठे आराम करेंगे, किसान और वह जो गल्ले लिए फिरते हैं।
כִּ֥י הִרְוֵ֖יתִי נֶ֣פֶשׁ עֲיֵפָ֑ה וְכָל־נֶ֥פֶשׁ דָּאֲבָ֖ה מִלֵּֽאתִי׃ | 25 |
क्यूँकि मैंने थकी जान को आसूदा, और हर ग़मगीन रूह को सेर किया है।
עַל־זֹ֖את הֱקִיצֹ֣תִי וָאֶרְאֶ֑ה וּשְׁנָתִ֖י עָ֥רְבָה לִּֽי׃ ס | 26 |
अब मैंने बेदार होकर निगाह की, और मेरी नींद मेरे लिए मीठी थी।
הִנֵּ֛ה יָמִ֥ים בָּאִ֖ים נְאֻם־יְהוָ֑ה וְזָרַעְתִּ֗י אֶת־בֵּ֤ית יִשְׂרָאֵל֙ וְאֶת־בֵּ֣ית יְהוּדָ֔ה זֶ֥רַע אָדָ֖ם וְזֶ֥רַע בְּהֵמָֽה׃ | 27 |
देखो, वह दिन आते हैं, ख़ुदावन्द फ़रमाता है, जब मैं इस्राईल के घर में और यहूदाह के घर में इंसान का बीज और हैवान का बीज बोऊँगा।
וְהָיָ֞ה כַּאֲשֶׁ֧ר שָׁקַ֣דְתִּי עֲלֵיהֶ֗ם לִנְתֹ֧ושׁ וְלִנְתֹ֛וץ וְלַהֲרֹ֖ס וּלְהַאֲבִ֣יד וּלְהָרֵ֑עַ כֵּ֣ן אֶשְׁקֹ֧ד עֲלֵיהֶ֛ם לִבְנֹ֥ות וְלִנְטֹ֖ועַ נְאֻם־יְהוָֽה׃ | 28 |
और ख़ुदावन्द फ़रमाता है, जिस तरह मैंने उनकी घात में बैठ कर उनको उखाड़ा और ढाया और गिराया और बर्बाद किया और दुख दिया; उसी तरह मैं निगहबानी करके उनको बनाऊँगा और लगाऊँगा।
בַּיָּמִ֣ים הָהֵ֔ם לֹא־יֹאמְר֣וּ עֹ֔וד אָבֹ֖ות אָ֣כְלוּ בֹ֑סֶר וְשִׁנֵּ֥י בָנִ֖ים תִּקְהֶֽינָה׃ | 29 |
उन दिनों में फिर यूँ न कहेंगे, 'बाप — दादा ने कच्चे अंगूर खाए और औलाद के दाँत खट्टे हो गए।
כִּ֛י אִם־אִ֥ישׁ בַּעֲוֹנֹ֖ו יָמ֑וּת כָּל־הָֽאָדָ֛ם הָאֹכֵ֥ל הַבֹּ֖סֶר תִּקְהֶ֥ינָה שִׁנָּֽיו׃ ס | 30 |
क्यूँकि हर एक अपनी ही बदकिरदारी की वजह से मरेगा; हर एक जो कच्चे अँगूर खाता है, उसी के दाँत खट्टे होंगे।
הִנֵּ֛ה יָמִ֥ים בָּאִ֖ים נְאֻם־יְהוָ֑ה וְכָרַתִּ֗י אֶת־בֵּ֧ית יִשְׂרָאֵ֛ל וְאֶת־בֵּ֥ית יְהוּדָ֖ה בְּרִ֥ית חֲדָשָֽׁה׃ | 31 |
“देख, वह दिन आते हैं, ख़ुदावन्द फ़रमाता है, जब मैं इस्राईल के घराने और यहूदाह के घराने के साथ नया 'अहद बाधूँगा;
לֹ֣א כַבְּרִ֗ית אֲשֶׁ֤ר כָּרַ֙תִּי֙ אֶת־אֲבֹותָ֔ם בְּיֹום֙ הֶחֱזִיקִ֣י בְיָדָ֔ם לְהֹוצִיאָ֖ם מֵאֶ֖רֶץ מִצְרָ֑יִם אֲשֶׁר־הֵ֜מָּה הֵפֵ֣רוּ אֶת־בְּרִיתִ֗י וְאָנֹכִ֛י בָּעַ֥לְתִּי בָ֖ם נְאֻם־יְהוָֽה׃ | 32 |
उस 'अहद के मुताबिक़ नहीं, जो मैंने उनके बाप — दादा से किया जब मैंने उनकी दस्तगीरी की, ताकि उनको मुल्क — ए — मिस्र से निकाल लाऊँ; और उन्होंने मेरे उस 'अहद को तोड़ा अगरचे मैं उनका मालिक था, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
כִּ֣י זֹ֣את הַבְּרִ֡ית אֲשֶׁ֣ר אֶכְרֹת֩ אֶת־בֵּ֨ית יִשְׂרָאֵ֜ל אַחֲרֵ֨י הַיָּמִ֤ים הָהֵם֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה נָתַ֤תִּי אֶת־תֹּֽורָתִי֙ בְּקִרְבָּ֔ם וְעַל־לִבָּ֖ם אֶכְתֲּבֶ֑נָּה וְהָיִ֤יתִי לָהֶם֙ לֵֽאלֹהִ֔ים וְהֵ֖מָּה יִֽהְיוּ־לִ֥י לְעָֽם׃ | 33 |
बल्कि यह वह 'अहद है जो मैं उन दिनों के बाद इस्राईल के घराने से बाधूँगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है: मैं अपनी शरी'अत उनके बातिन में रख्खूँगा, और उनके दिल पर उसे लिखूँगा; और मैं उनका ख़ुदा हूँगा, और वह मेरे लोग होंगे;
וְלֹ֧א יְלַמְּד֣וּ עֹ֗וד אִ֣ישׁ אֶת־רֵעֵ֜הוּ וְאִ֤ישׁ אֶת־אָחִיו֙ לֵאמֹ֔ר דְּע֖וּ אֶת־יְהוָ֑ה כִּֽי־כוּלָּם֩ יֵדְע֨וּ אֹותִ֜י לְמִקְטַנָּ֤ם וְעַד־גְּדֹולָם֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה כִּ֤י אֶסְלַח֙ לַֽעֲוֹנָ֔ם וּלְחַטָּאתָ֖ם לֹ֥א אֶזְכָּר־עֹֽוד׃ ס | 34 |
और वह फिर अपने — अपने पड़ोसी और अपने — अपने भाई को यह कह कर ता'लीम नहीं देंगे कि ख़ुदावन्द को पहचानो, क्यूँकि छोटे से बड़े तक वह सब मुझे जानेंगे, ख़ुदावन्द फ़रमाता है; इसलिए कि मैं उनकी बदकिरदारी को बख़्श दूँगा और उनके गुनाह को याद न करूँगा।”
כֹּ֣ה ׀ אָמַ֣ר יְהוָ֗ה נֹתֵ֥ן שֶׁ֙מֶשׁ֙ לְאֹ֣ור יֹומָ֔ם חֻקֹּ֛ת יָרֵ֥חַ וְכֹוכָבִ֖ים לְאֹ֣ור לָ֑יְלָה רֹגַ֤ע הַיָּם֙ וַיֶּהֱמ֣וּ גַלָּ֔יו יְהוָ֥ה צְבָאֹ֖ות שְׁמֹֽו׃ | 35 |
ख़ुदावन्द जिसने दिन की रोशनी के लिए सूरज को मुक़र्रर किया, और जिसने रात की रोशनी के लिए चाँद और सितारों का निज़ाम क़ाईम किया, जो समन्दर को मौजज़न करता है जिससे उसकी लहरें शोर करतीं है यूँ फ़रमाता है; उसका नाम रब्ब — उल — अफ़वाज है।
אִם־יָמֻ֜שׁוּ הַחֻקִּ֥ים הָאֵ֛לֶּה מִלְּפָנַ֖י נְאֻם־יְהוָ֑ה גַּם֩ זֶ֨רַע יִשְׂרָאֵ֜ל יִשְׁבְּת֗וּ מִֽהְיֹ֥ות גֹּ֛וי לְפָנַ֖י כָּל־הַיָּמִֽים׃ ס | 36 |
ख़ुदावन्द फ़रमाता है: “अगर यह निज़ाम मेरे सामने से ख़त्म हो जाए, तो इस्राईल की नसल भी मेरे सामने से जाती रहेगी कि हमेशा तक फिर क़ौम न हो।”
כֹּ֣ה ׀ אָמַ֣ר יְהוָ֗ה אִם־יִמַּ֤דּוּ שָׁמַ֙יִם֙ מִלְמַ֔עְלָה וְיֵחָקְר֥וּ מֹֽוסְדֵי־אֶ֖רֶץ לְמָ֑טָּה גַּם־אֲנִ֞י אֶמְאַ֨ס בְּכָל־זֶ֧רַע יִשְׂרָאֵ֛ל עַֽל־כָּל־אֲשֶׁ֥ר עָשׂ֖וּ נְאֻם־יְהוָֽה׃ ס | 37 |
ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि: “अगर कोई ऊपर आसमान को नाप सके और नीचे ज़मीन की बुनियाद का पता लगा ले, तो मैं भी बनी — इस्राईल को उनके सब 'आमाल की वजह से रद्द कर दूँगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।”
הִנֵּ֛ה יָמִ֥ים (בָּאִ֖ים) נְאֻם־יְהוָ֑ה וְנִבְנְתָ֤ה הָעִיר֙ לַֽיהוָ֔ה מִמִּגְדַּ֥ל חֲנַנְאֵ֖ל שַׁ֥עַר הַפִּנָּֽה׃ | 38 |
देख, वह दिन आते हैं, ख़ुदावन्द फ़रमाता है कि “यह शहर हननेल के बुर्ज से कोने के फाटक तक ख़ुदावन्द के लिए ता'मीर किया जाएगा।
וְיָצָ֨א עֹ֜וד קְוֵה (קָ֤ו) הַמִּדָּה֙ נֶגְדֹּ֔ו עַ֖ל גִּבְעַ֣ת גָּרֵ֑ב וְנָסַ֖ב גֹּעָֽתָה׃ | 39 |
और फिर जरीब सीधी कोह — ए — जारेब पर से होती हुई जोआता को घेर लेगी।
וְכָל־הָעֵ֣מֶק הַפְּגָרִ֣ים ׀ וְהַדֶּ֡שֶׁן וְכָֽל־הַשְּׁרֵמֹות (הַשְּׁדֵמֹות֩) עַד־נַ֨חַל קִדְרֹ֜ון עַד־פִּנַּ֨ת שַׁ֤עַר הַסּוּסִים֙ מִזְרָ֔חָה קֹ֖דֶשׁ לַֽיהוָ֑ה לֹֽא־יִנָּתֵ֧שׁ וְֽלֹא־יֵהָרֵ֛ס עֹ֖וד לְעֹולָֽם׃ ס | 40 |
और लाशों और राख की तमाम वादी और सब खेत क़िद्रोन के नाले तक, और घोड़े फाटक के कोने तक पूरब की तरफ़ ख़ुदावन्द के लिए पाक होंगे; फिर वह हमेशा तक न कभी उखाड़ा, न गिराया जाएगा।”