< יְשַׁעְיָהוּ 33 >
הֹ֣וי שֹׁודֵ֗ד וְאַתָּה֙ לֹ֣א שָׁד֔וּד וּבֹוגֵ֖ד וְלֹא־בָ֣גְדוּ בֹ֑ו כַּהֲתִֽמְךָ֤ שֹׁודֵד֙ תּוּשַּׁ֔ד כַּנְּלֹתְךָ֥ לִבְגֹּ֖ד יִבְגְּדוּ־בָֽךְ׃ ס | 1 |
हाय! तुम पर, जिनको नाश नहीं किया गया! और हाय! तुम विश्वासघातियों पर, जिनके साथ विश्वासघात नहीं किया गया! जब तुम नाश करोगे, तब तुम नाश किए जाओगे; और जब तुम विश्वासघात कर लोगे, तब तुम्हारे साथ विश्वासघात किया जायेगा.
יְהוָ֥ה חָנֵּ֖נוּ לְךָ֣ קִוִּ֑ינוּ הֱיֵ֤ה זְרֹעָם֙ לַבְּקָרִ֔ים אַף־יְשׁוּעָתֵ֖נוּ בְּעֵ֥ת צָרָֽה׃ | 2 |
हे याहवेह, हम पर दया कीजिए; हम आप ही की ओर देखते हैं. प्रति भोर आप हमारा बल तथा विपत्ति में हमारा सहायक बनिये.
מִקֹּ֣ול הָמֹ֔ון נָדְד֖וּ עַמִּ֑ים מֵרֹ֣ומְמֻתֶ֔ךָ נָפְצ֖וּ גֹּויִֽם׃ | 3 |
शोर सुनते ही लोग भागने लगते हैं; जब आप उठते तब, लोग बिखरने लगते हैं.
וְאֻסַּ֣ף שְׁלַלְכֶ֔ם אֹ֖סֶף הֶֽחָסִ֑יל כְּמַשַּׁ֥ק גֵּבִ֖ים שֹׁוקֵ֥ק בֹּֽו׃ | 4 |
जैसे टिड्डियां खेत को नष्ट करती हैं; उसी प्रकार लूटकर लाई गई चीज़ों को नष्ट कर दिया गया है, मनुष्य उस पर लपकते हैं.
נִשְׂגָּ֣ב יְהוָ֔ה כִּ֥י שֹׁכֵ֖ן מָרֹ֑ום מִלֵּ֣א צִיֹּ֔ון מִשְׁפָּ֖ט וּצְדָקָֽה׃ | 5 |
याहवेह महान हैं, वह ऊंचे पर रहते हैं; उन्होंने ज़ियोन को न्याय तथा धर्म से भर दिया है.
וְהָיָה֙ אֱמוּנַ֣ת עִתֶּ֔יךָ חֹ֥סֶן יְשׁוּעֹ֖ת חָכְמַ֣ת וָדָ֑עַת יִרְאַ֥ת יְהוָ֖ה הִ֥יא אֹוצָרֹֽו׃ ס | 6 |
याहवेह तुम्हारे समय के लिए निश्चित आधार होगा! उद्धार, बुद्धि और ज्ञान तुम्हारा हक होगा; और याहवेह का भय उसका धन होगा.
הֵ֚ן אֶרְאֶלָּ֔ם צָעֲק֖וּ חֻ֑צָה מַלְאֲכֵ֣י שָׁלֹ֔ום מַ֖ר יִבְכָּיֽוּן׃ | 7 |
देख, उनके सैनिक गलियों में रो रहे हैं; शांति के राजदूत फूट-फूटकर रो रहे हैं.
נָשַׁ֣מּוּ מְסִלֹּ֔ות שָׁבַ֖ת עֹבֵ֣ר אֹ֑רַח הֵפֵ֤ר בְּרִית֙ מָאַ֣ס עָרִ֔ים לֹ֥א חָשַׁ֖ב אֱנֹֽושׁ׃ | 8 |
मार्ग सुनसान पड़े हैं, और सब वायदों को तोड़ दिया गया है. उसे नगरों से घृणा हो चुकी है, मनुष्य के प्रति उसमें कोई सम्मान नहीं है.
אָבַ֤ל אֻמְלְלָה֙ אָ֔רֶץ הֶחְפִּ֥יר לְבָנֹ֖ון קָמַ֑ל הָיָ֤ה הַשָּׁרֹון֙ כָּֽעֲרָבָ֔ה וְנֹעֵ֥ר בָּשָׁ֖ן וְכַרְמֶֽל׃ | 9 |
देश रो रहा है, और परेशान है, लबानोन लज्जित होकर मुरझा रहा है; शारोन मरुभूमि के मैदान के समान हो गया है, बाशान तथा कर्मेल की हरियाली खत्म हो चुकी हैं.
עַתָּ֥ה אָק֖וּם יֹאמַ֣ר יְהוָ֑ה עַתָּה֙ אֵֽרֹומָ֔ם עַתָּ֖ה אֶנָּשֵֽׂא׃ | 10 |
याहवेह ने कहा, “अब मैं उठूंगा, अब मैं अपना प्रताप दिखाऊंगा; और महान बनाऊंगा.
תַּהֲר֥וּ חֲשַׁ֖שׁ תֵּ֣לְדוּ קַ֑שׁ רוּחֲכֶ֕ם אֵ֖שׁ תֹּאכַלְכֶֽם׃ | 11 |
तुम्हें सूखी घास का गर्भ रहेगा, और भूसी उत्पन्न होगी; तुम्हारी श्वास ही तुम्हें भस्म कर देगी.
וְהָי֥וּ עַמִּ֖ים מִשְׂרְפֹ֣ות שִׂ֑יד קֹוצִ֥ים כְּסוּחִ֖ים בָּאֵ֥שׁ יִצַּֽתּוּ׃ ס | 12 |
जो लोग भस्म होंगे वे चुने के समान हो जाएंगे; उन कंटीली झाड़ियों को आग में भस्म कर दिया जायेगा.”
שִׁמְע֥וּ רְחֹוקִ֖ים אֲשֶׁ֣ר עָשִׂ֑יתִי וּדְע֥וּ קְרֹובִ֖ים גְּבֻרָתִֽי׃ | 13 |
हे दूर-दूर के लोगों, सुनो कि मैंने क्या-क्या किया है; और तुम, जो पास हो, मेरे सामर्थ्य को देखो!
פָּחֲד֤וּ בְצִיֹּון֙ חַטָּאִ֔ים אָחֲזָ֥ה רְעָדָ֖ה חֲנֵפִ֑ים מִ֣י ׀ יָג֣וּר לָ֗נוּ אֵ֚שׁ אֹוכֵלָ֔ה מִי־יָג֥וּר לָ֖נוּ מֹוקְדֵ֥י עֹולָֽם׃ | 14 |
ज़ियोन के पापी डर गये; श्रद्धाहीन कांपने लगे: “हममें से कौन इस आग में जीवित रहेगा? जो कभी नहीं बुझेगी.”
הֹלֵ֣ךְ צְדָקֹ֔ות וְדֹבֵ֖ר מֵֽישָׁרִ֑ים מֹאֵ֞ס בְּבֶ֣צַע מַעֲשַׁקֹּ֗ות נֹעֵ֤ר כַּפָּיו֙ מִתְּמֹ֣ךְ בַּשֹּׁ֔חַד אֹטֵ֤ם אָזְנֹו֙ מִשְּׁמֹ֣עַ דָּמִ֔ים וְעֹצֵ֥ם עֵינָ֖יו מֵרְאֹ֥ות בְּרֽ͏ָע׃ | 15 |
वही जो धर्म से चलता है तथा सीधी बातें बोलता, जो गलत काम से नफरत करता है जो घूस नहीं लेता, जो खून की बात सुनना नहीं चाहता और बुराई देखना नहीं चाहता—
ה֚וּא מְרֹומִ֣ים יִשְׁכֹּ֔ן מְצָדֹ֥ות סְלָעִ֖ים מִשְׂגַּבֹּ֑ו לַחְמֹ֣ו נִתָּ֔ן מֵימָ֖יו נֶאֱמָנִֽים׃ | 16 |
वही ऊंचे स्थान में रहेगा, व चट्टानों में शरण पायेगा. उसे रोटी, और पानी की कमी नहीं होगी.
מֶ֥לֶךְ בְּיָפְיֹ֖ו תֶּחֱזֶ֣ינָה עֵינֶ֑יךָ תִּרְאֶ֖ינָה אֶ֥רֶץ מַרְחַקִּֽים׃ | 17 |
तुम स्वयं अपनी ही आंखों से राजा को देखोगे और लंबे चौड़े देश पर ध्यान दोगे.
לִבְּךָ֖ יֶהְגֶּ֣ה אֵימָ֑ה אַיֵּ֤ה סֹפֵר֙ אַיֵּ֣ה שֹׁקֵ֔ל אַיֵּ֖ה סֹפֵ֥ר אֶת־הַמִּגְדָּלִֽים׃ | 18 |
तुम्हारा हृदय भय के दिनों को याद करेगा: “हिसाब लेनेवाला और कर तौलकर लेनेवाला कहां रहा? गुम्मटों का लेखा लेनेवाला कहां रहा?”
אֶת־עַ֥ם נֹועָ֖ז לֹ֣א תִרְאֶ֑ה עַ֣ם עִמְקֵ֤י שָׂפָה֙ מִשְּׁמֹ֔ועַ נִלְעַ֥ג לָשֹׁ֖ון אֵ֥ין בִּינָֽה׃ | 19 |
उन निर्दयी लोगों को तू दोबारा न देखेगा, जिनकी भाषा कठिन है और जो हकलाते हैं, तथा उनकी बातें किसी को समझ नहीं आती.
חֲזֵ֣ה צִיֹּ֔ון קִרְיַ֖ת מֹֽועֲדֵ֑נוּ עֵינֶיךָ֩ תִרְאֶ֨ינָה יְרוּשָׁלַ֜͏ִם נָוֶ֣ה שַׁאֲנָ֗ן אֹ֤הֶל בַּל־יִצְעָן֙ בַּל־יִסַּ֤ע יְתֵֽדֹתָיו֙ לָנֶ֔צַח וְכָל־חֲבָלָ֖יו בַּל־יִנָּתֵֽקוּ׃ | 20 |
ज़ियोन के नगर पर ध्यान दो, जो उत्सवों का नगर है; येरूशलेम को तुम एक शांत ज़ियोन के रूप में देखोगे, एक ऐसे शिविर, जिसे लपेटा नहीं जाएगा; जिसके खूंटों को उखाड़ा न जाएगा, न ही जिसकी रस्सियों को काटा जाएगा.
כִּ֣י אִם־שָׁ֞ם אַדִּ֤יר יְהוָה֙ לָ֔נוּ מְקֹום־נְהָרִ֥ים יְאֹרִ֖ים רַחֲבֵ֣י יָדָ֑יִם בַּל־תֵּ֤לֶךְ בֹּו֙ אֳנִי־שַׁ֔יִט וְצִ֥י אַדִּ֖יר לֹ֥א יַעַבְרֶֽנּוּ׃ | 21 |
किंतु वही याहवेह जो पराक्रमी परमेश्वर हैं हमारे पक्ष में है. वह बड़ी-बड़ी नदियों एवं नहरों का स्थान है. उन पर वह नाव नहीं जा सकती जिसमें पतवार लगते हैं, इस पर बड़े जहाज़ नहीं जा सकते.
כִּ֤י יְהוָה֙ שֹׁפְטֵ֔נוּ יְהוָ֖ה מְחֹקְקֵ֑נוּ יְהוָ֥ה מַלְכֵּ֖נוּ ה֥וּא יֹושִׁיעֵֽנוּ׃ | 22 |
क्योंकि याहवेह हमारे न्यायी हैं, याहवेह हमारे हाकिम, याहवेह हमारे राजा हैं; वही हमें उद्धार देंगे.
נִטְּשׁ֖וּ חֲבָלָ֑יִךְ בַּל־יְחַזְּק֤וּ כֵן־תָּרְנָם֙ בַּל־פָּ֣רְשׂוּ נֵ֔ס אָ֣ז חֻלַּ֤ק עַֽד־שָׁלָל֙ מַרְבֶּ֔ה פִּסְחִ֖ים בָּ֥זְזוּ בַֽז׃ | 23 |
तुम्हारी रस्सियां ढीली पड़ी हुई हैं: वे जहाज़ को स्थिर न रख सकतीं, न पाल को तान सके. तब लूटी हुई चीज़ों को बांटकर विकलांग ले जाएंगे.
וּבַל־יֹאמַ֥ר שָׁכֵ֖ן חָלִ֑יתִי הָעָ֛ם הַיֹּשֵׁ֥ב בָּ֖הּ נְשֻׂ֥א עָוֹֽן׃ | 24 |
कोई भी व्यक्ति यह नहीं कहेगा, “मैं बीमार हूं”; वहां के लोगों के अधर्म को क्षमा कर दिया जायेगा.