< יְחֶזְקֵאל 3 >

וַיֹּ֣אמֶר אֵלַ֔י בֶּן־אָדָ֕ם אֵ֥ת אֲשֶׁר־תִּמְצָ֖א אֱכֹ֑ול אֱכֹול֙ אֶת־הַמְּגִלָּ֣ה הַזֹּ֔את וְלֵ֥ךְ דַּבֵּ֖ר אֶל־בֵּ֥ית יִשְׂרָאֵֽל׃ 1
और उसने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, तुम्हारे सामने जो है, उसे खाओ, इस पुस्तक को खाओ; और तब जाकर इस्राएल के लोगों से बातें करो.”
וָאֶפְתַּ֖ח אֶת־פִּ֑י וַיַּ֣אֲכִלֵ֔נִי אֵ֖ת הַמְּגִלָּ֥ה הַזֹּֽאת׃ 2
इसलिये मैंने अपना मुंह खोला, और उसने मुझे खाने के लिये वह पुस्तक दिया.
וַיֹּ֣אמֶר אֵלַ֗י בֶּן־אָדָם֙ בִּטְנְךָ֤ תַֽאֲכֵל֙ וּמֵעֶ֣יךָ תְמַלֵּ֔א אֵ֚ת הַמְּגִלָּ֣ה הַזֹּ֔את אֲשֶׁ֥ר אֲנִ֖י נֹתֵ֣ן אֵלֶ֑יךָ וָאֹ֣כְלָ֔ה וַתְּהִ֥י בְּפִ֖י כִּדְבַ֥שׁ לְמָתֹֽוק׃ פ 3
तब उसने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, जो पुस्तक मैं तुम्हें दे रहा हूं, उसे खाओ और अपना पेट भर लो.” अतः मैंने उसे खा लिया, और मेरे मुंह में वह शहद के जैसी मीठी लगी.
וַיֹּ֖אמֶר אֵלָ֑י בֶּן־אָדָ֗ם לֶךְ־בֹּא֙ אֶל־בֵּ֣ית יִשְׂרָאֵ֔ל וְדִבַּרְתָּ֥ בִדְבָרַ֖י אֲלֵיהֶֽם׃ 4
तब उसने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, अब इस्राएल के लोगों के पास जाओ और उन्हें मेरी बातें बताओ.
כִּ֡י לֹא֩ אֶל־עַ֨ם עִמְקֵ֥י שָׂפָ֛ה וְכִבְדֵ֥י לָשֹׁ֖ון אַתָּ֣ה שָׁל֑וּחַ אֶל־בֵּ֖ית יִשְׂרָאֵֽל׃ 5
तुम्हें किसी ऐसे लोगों के पास नहीं भेजा जा रहा है, जिनकी बोली अस्पष्ट और भाषा अनोखी हो, पर तुम्हें इस्राएल के लोगों के पास भेजा जा रहा है—
לֹ֣א ׀ אֶל־עַמִּ֣ים רַבִּ֗ים עִמְקֵ֤י שָׂפָה֙ וְכִבְדֵ֣י לָשֹׁ֔ון אֲשֶׁ֥ר לֹֽא־תִשְׁמַ֖ע דִּבְרֵיהֶ֑ם אִם־לֹ֤א אֲלֵיהֶם֙ שְׁלַחְתִּ֔יךָ הֵ֖מָּה יִשְׁמְע֥וּ אֵלֶֽיךָ׃ 6
अस्पष्ट बोली और अनोखी भाषावाले बहुत से लोगों के पास नहीं, जिनकी बातें तू समझ न सके. निश्चित रूप से, यदि मैं तुम्हें इस प्रकार के लोगों के बीच भेजता, तो वे तुम्हारी सुनते.
וּבֵ֣ית יִשְׂרָאֵ֗ל לֹ֤א יֹאבוּ֙ לִשְׁמֹ֣עַ אֵלֶ֔יךָ כִּֽי־אֵינָ֥ם אֹבִ֖ים לִשְׁמֹ֣עַ אֵלָ֑י כִּ֚י כָּל־בֵּ֣ית יִשְׂרָאֵ֔ל חִזְקֵי־מֵ֥צַח וּקְשֵׁי־לֵ֖ב הֵֽמָּה׃ 7
परंतु इस्राएल के लोग तुम्हारी बातों को सुनना नहीं चाहते क्योंकि वे मेरी बातों को सुनना नहीं चाहते; सारे इस्राएलियों ने अपने मन को कठोर और अपने आपको हठीला बना लिया है.
הִנֵּ֨ה נָתַ֧תִּי אֶת־פָּנֶ֛יךָ חֲזָקִ֖ים לְעֻמַּ֣ת פְּנֵיהֶ֑ם וְאֶֽת־מִצְחֲךָ֥ חָזָ֖ק לְעֻמַּ֥ת מִצְחָֽם׃ 8
पर मैं तुम्हें उनके जैसा न झुकनेवाला और कठोर बना दूंगा.
כְּשָׁמִ֛יר חָזָ֥ק מִצֹּ֖ר נָתַ֣תִּי מִצְחֶ֑ךָ לֹֽא־תִירָ֤א אֹותָם֙ וְלֹא־תֵחַ֣ת מִפְּנֵיהֶ֔ם כִּ֛י בֵּֽית־מְרִ֖י הֵֽמָּה׃ פ 9
मैं तुम्हारे माथे को बहुत कठोर बना दूंगा, चकमक पत्थर से भी कठोर. तुम उनसे न डरना या उनसे भयभीत न होना, यद्यपि वे एक विद्रोही लोग हैं.”
וַיֹּ֖אמֶר אֵלָ֑י בֶּן־אָדָ֕ם אֶת־כָּל־דְּבָרַי֙ אֲשֶׁ֣ר אֲדַבֵּ֣ר אֵלֶ֔יךָ קַ֥ח בִּֽלְבָבְךָ֖ וּבְאָזְנֶ֥יךָ שְׁמָֽע׃ 10
फिर उसने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, जो बातें मैं तुमसे कहता हूं, उन्हें ध्यान से सुन और अपने हृदय में रख.
וְלֵ֨ךְ בֹּ֤א אֶל־הַגֹּולָה֙ אֶל־בְּנֵ֣י עַמֶּ֔ךָ וְדִבַּרְתָּ֤ אֲלֵיהֶם֙ וְאָמַרְתָּ֣ אֲלֵיהֶ֔ם כֹּ֥ה אָמַ֖ר אֲדֹנָ֣י יְהֹוִ֑ה אִֽם־יִשְׁמְע֖וּ וְאִם־יֶחְדָּֽלוּ׃ 11
बंधुआई में गये अपने लोगों के पास जाओ और उनसे बात करो. उनसे कहो, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है,’ चाहे वे सुनें या न सुनें.”
וַתִּשָּׂאֵ֣נִי ר֔וּחַ וָאֶשְׁמַ֣ע אַחֲרַ֔י קֹ֖ול רַ֣עַשׁ גָּדֹ֑ול בָּר֥וּךְ כְּבֹוד־יְהוָ֖ה מִמְּקֹומֹֽו׃ 12
तब आत्मा ने मुझे ऊपर उठाया, और मैंने अपने पीछे एक तेज गड़गड़ाहट की आवाज सुनी, जब याहवेह का तेज उस जगह से उठा जहां वह था.
וְקֹ֣ול ׀ כַּנְפֵ֣י הַחַיֹּ֗ות מַשִּׁיקֹות֙ אִשָּׁ֣ה אֶל־אֲחֹותָ֔הּ וְקֹ֥ול הָאֹופַנִּ֖ים לְעֻמָּתָ֑ם וְקֹ֖ול רַ֥עַשׁ גָּדֹֽול׃ 13
यह उन जीवित प्राणियों के पंखों की आवाज थी, जो एक दूसरे से रगड़ खा रहे थे और उन पहियों की आवाज थी, जो उनके बाजू में थे; यह एक तेज गड़गड़ाहट की आवाज थी.
וְר֥וּחַ נְשָׂאַ֖תְנִי וַתִּקָּחֵ֑נִי וָאֵלֵ֥ךְ מַר֙ בַּחֲמַ֣ת רוּחִ֔י וְיַד־יְהוָ֥ה עָלַ֖י חָזָֽקָה׃ 14
तब आत्मा ने मुझे ऊपर उठाया और दूर ले गया, और मेरा मन कड़वाहट एवं क्रोध से भर गया, और याहवेह का मजबूत हाथ मुझ पर था.
וָאָבֹ֨וא אֶל־הַגֹּולָ֜ה תֵּ֣ל אָ֠בִיב הַיֹּשְׁבִ֤ים אֶֽל־נְהַר־כְּבָר֙ וָאֲשֶׁר (וָֽאֵשֵׁ֔ב) הֵ֖מָּה יֹושְׁבִ֣ים שָׁ֑ם וָאֵשֵׁ֥ב שָׁ֛ם שִׁבְעַ֥ת יָמִ֖ים מַשְׁמִ֥ים בְּתֹוכָֽם׃ 15
मैं बंधुआ लोगों के पास आया, जो खेबर नदी के पास तेल-अबीब नगर में रहते थे. और जहां वे रहते थे, वहां मैं बहुत दुःखी होकर उनके बीच सात दिन तक बैठा रहा.
וַיְהִ֕י מִקְצֵ֖ה שִׁבְעַ֣ת יָמִ֑ים פ וַיְהִ֥י דְבַר־יְהוָ֖ה אֵלַ֥י לֵאמֹֽר׃ 16
सात दिन के अंत में याहवेह का यह वचन मेरे पास आया,
בֶּן־אָדָ֕ם צֹפֶ֥ה נְתַתִּ֖יךָ לְבֵ֣ית יִשְׂרָאֵ֑ל וְשָׁמַעְתָּ֤ מִפִּי֙ דָּבָ֔ר וְהִזְהַרְתָּ֥ אֹותָ֖ם מִמֶּֽנִּי׃ 17
“हे मनुष्य के पुत्र, मैंने तुम्हें इस्राएल के लोगों के लिये एक पहरेदार ठहराया है; इसलिये जो बात मैं कहता हूं, उसे सुन और उन्हें मेरी ओर से चेतावनी दे.
בְּאָמְרִ֤י לָֽרָשָׁע֙ מֹ֣ות תָּמ֔וּת וְלֹ֣א הִזְהַרְתֹּ֗ו וְלֹ֥א דִבַּ֛רְתָּ לְהַזְהִ֥יר רָשָׁ֛ע מִדַּרְכֹּ֥ו הָרְשָׁעָ֖ה לְחַיֹּתֹ֑ו ה֤וּא רָשָׁע֙ בַּעֲוֹנֹ֣ו יָמ֔וּת וְדָמֹ֖ו מִיָּדְךָ֥ אֲבַקֵּֽשׁ׃ 18
जब मैं एक दुष्ट व्यक्ति से कहूं, ‘तुम निश्चय मरोगे,’ और तुम उसका प्राण बचाने के लिये उसे चेतावनी न दो या उसे उसके बुरे कार्यों को छोड़ने के लिये न कहो, तो वह दुष्ट व्यक्ति अपने पाप में तो मरेगा ही, पर मैं तुम्हें उसके खून का ज़िम्मेदार ठहराऊंगा.
וְאַתָּה֙ כִּֽי־הִזְהַ֣רְתָּ רָשָׁ֔ע וְלֹא־שָׁב֙ מֵֽרִשְׁעֹ֔ו וּמִדַּרְכֹּ֖ו הָרְשָׁעָ֑ה ה֚וּא בַּעֲוֹנֹ֣ו יָמ֔וּת וְאַתָּ֖ה אֶֽת־נַפְשְׁךָ֥ הִצַּֽלְתָּ׃ ס 19
पर यदि तुम उस दुष्ट व्यक्ति को चेतावनी देते हो और वह अपनी दुष्टता या बुरे कार्यों को नहीं छोड़ता, तब तो वह अपने पाप में मरेगा, पर तुम अपने आपको बचा लोगे.
וּבְשׁ֨וּב צַדִּ֤יק מִצִּדְקֹו֙ וְעָ֣שָׂה עָ֔וֶל וְנָתַתִּ֥י מִכְשֹׁ֛ול לְפָנָ֖יו ה֣וּא יָמ֑וּת כִּ֣י לֹ֤א הִזְהַרְתֹּו֙ בְּחַטָּאתֹ֣ו יָמ֔וּת וְלֹ֣א תִזָּכַ֗רְןָ צִדְקֹתָו֙ אֲשֶׁ֣ר עָשָׂ֔ה וְדָמֹ֖ו מִיָּדְךָ֥ אֲבַקֵּֽשׁ׃ 20
“इसी प्रकार, जब कोई धर्मी व्यक्ति अपने धर्मीपन को छोड़कर बुरे कार्य करने लगे और मैं उसके सामने रोड़ा अटकाऊं, तो वह मर जाएगा. क्योंकि तुमने उसे नहीं चेताया, इसलिये वह अपने पाप में मर जाएगा, और जो धर्मी काम वह व्यक्ति किया होगा, वह याद किया नहीं जाएगा, और मैं तुमको उसके खून का ज़िम्मेदार ठहराऊंगा.
וְאַתָּ֞ה כִּ֧י הִזְהַרְתֹּ֣ו צַדִּ֗יק לְבִלְתִּ֥י חֲטֹ֛א צַדִּ֖יק וְה֣וּא לֹא־חָטָ֑א חָיֹ֤ו יִֽחְיֶה֙ כִּ֣י נִזְהָ֔ר וְאַתָּ֖ה אֶֽת־נַפְשְׁךָ֥ הִצַּֽלְתָּ׃ ס 21
पर यदि तुम उस धर्मी व्यक्ति को पाप न करने की चेतावनी देते हो और वह पाप नहीं करता है, तब वह निश्चित रूप से जीवित रहेगा, क्योंकि उसने चेतावनी पर ध्यान दिया और तुम अपने आपको बचा लोगे.”
וַתְּהִ֥י עָלַ֛י שָׁ֖ם יַד־יְהוָ֑ה וַיֹּ֣אמֶר אֵלַ֗י ק֥וּם צֵא֙ אֶל־הַבִּקְעָ֔ה וְשָׁ֖ם אֲדַבֵּ֥ר אֹותָֽךְ׃ 22
वहां याहवेह का हाथ मुझ पर था, और उसने मुझसे कहा, “उठकर मैदान में जा और वहां मैं तुमसे बातें करूंगा.”
וָאָקוּם֮ וָאֵצֵ֣א אֶל־הַבִּקְעָה֒ וְהִנֵּה־שָׁ֤ם כְּבֹוד־יְהוָה֙ עֹמֵ֔ד כַּכָּבֹ֕וד אֲשֶׁ֥ר רָאִ֖יתִי עַל־נְהַר־כְּבָ֑ר וָאֶפֹּ֖ל עַל־פָּנָֽי׃ 23
इसलिये मैं उठा और बाहर मैदान में चला गया. मैंने देखा कि याहवेह का तेज वहां था; यह तेज ठीक वैसा ही था, जैसा मैंने खेबर नदी के किनारे देखा था, और मैं मुख के बल गिर पड़ा.
וַתָּבֹא־בִ֣י ר֔וּחַ וַתַּעֲמִדֵ֖נִי עַל־רַגְלָ֑י וַיְדַבֵּ֤ר אֹתִי֙ וַיֹּ֣אמֶר אֵלַ֔י בֹּ֥א הִסָּגֵ֖ר בְּתֹ֥וךְ בֵּיתֶֽךָ׃ 24
तब आत्मा मुझमें आया और मुझे मेरे पैरों पर खड़ा कर दिया. वह मुझसे कहने लगा: “जाओ और अपने आपको अपने घर के अंदर बंद कर लो.
וְאַתָּ֣ה בֶן־אָדָ֗ם הִנֵּ֨ה נָתְנ֤וּ עָלֶ֙יךָ֙ עֲבֹותִ֔ים וַֽאֲסָר֖וּךָ בָּהֶ֑ם וְלֹ֥א תֵצֵ֖א בְּתֹוכָֽם׃ 25
और हे मनुष्य के पुत्र, वे तुम्हें रस्सियों से बांध देंगे, ताकि तुम बाहर लोगों के बीच न जा सको.
וּלְשֹֽׁונְךָ֙ אַדְבִּ֣יק אֶל־חִכֶּ֔ךָ וְנֶֽאֱלַ֔מְתָּ וְלֹא־תִֽהְיֶ֥ה לָהֶ֖ם לְאִ֣ישׁ מֹוכִ֑יחַ כִּ֛י בֵּ֥ית מְרִ֖י הֵֽמָּה׃ 26
मैं तुम्हारे जीभ को तुम्हारे तालू से चिपका दूंगा ताकि तुम चुप रहो और उनको डांट न सको, क्योंकि वे एक विद्रोही लोग हैं.
וּֽבְדַבְּרִ֤י אֹֽותְךָ֙ אֶפְתַּ֣ח אֶת־פִּ֔יךָ וְאָמַרְתָּ֣ אֲלֵיהֶ֔ם כֹּ֥ה אָמַ֖ר אֲדֹנָ֣י יְהֹוִ֑ה הַשֹּׁמֵ֤עַ ׀ יִשְׁמָע֙ וְהֶחָדֵ֣ל ׀ יֶחְדָּ֔ל כִּ֛י בֵּ֥ית מְרִ֖י הֵֽמָּה׃ ס 27
परंतु जब मैं तुमसे बातें करूंगा, तो मैं तुम्हारे मुंह को खोल दूंगा और तुम उनसे कहोगे, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है.’ जो कोई सुनना चाहे, वह सुने, और जो कोई सुनना न चाहे, वह न सुने; क्योंकि वे एक विद्रोही लोग हैं.

< יְחֶזְקֵאל 3 >